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जैव प्रौद्योगिकी- जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली | Biotechnology - Biology Terminology

जैव प्रौद्योगिकी- जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली | Biotechnology - Biology Terminology


नमस्कार,आपका answerduniya.com में स्वागत है। इस  पोस्ट में आपको जैव प्रौद्योगिकी से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली दिया जा रहा है । इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए जा रहे हैं। जैव प्रोद्योगिकी जीव विज्ञान की ही एक शाखा है जिसके अंतर्गत जीवाणुओं की ऊतक या कोशिका का उपयोग करके नए जीवों का उत्पादन किया जाता है। इन जीवों का उत्पादन सामान्य दाब, निम्न ताप एवं उदासीन नमी या जल में इन नए जीवों का उत्पादन होता है। अगर आप जैव प्रोद्योगिकी जिसे अंगेजी में Biotechnology कहा जाता है इस विषय में स्नातक की पढाई करना चाहते हैं तो आपको जैव प्रौद्योगिकी-पारिभाषिक शब्दावली (Biotechnology-Terminology) के बारे में जरुर जान लेना चाहिए।



Biotechnology - Biology Terminology

Jaiva Praudyogikee Paribhashik Shabdavali

1. जीन क्लोनिंग (Gene cloning) - पुनर्योगज D.N.A. के पोषक कोशिका में प्रवेश के बाद परपोषी कोशिका का संवर्धन जिससे वांछित जीन की भी क्लोनिंग होती है।

2. निवेशी निष्क्रियता (Insertional Inactivation) - रंग पैदा करने वाले जीन उत्पाद, जैसे- बीटा गैलेक्टो साइडेज को कोडित करने वाले जीन में वांछित जीन निवेशित कर पुनर्योगजों की पहचान करना।

3. लाइगेज (Ligase) - D.N.A. खण्डों को जोड़ने वाला एन्जाइम।

4. न्यूक्लिएज (Nuclease) - नाभिकीय अम्ल (DNA/ RNA) का पाचन करने वाला एन्जाइम।

5.ओरी (Ori) - प्लाज्मिड या वाहक का वह स्थल जहाँ से प्रतिकृतिकरण प्रारम्भ होता है।

6.प्लाज्मिड (Plasmid ) - जीवाणुओं के गुणसूत्रों से बाहर के गोलाकार स्व-प्रतिकृतिकरण करने वाले डी.एन.ए. अणु।

7.पुनर्योगज डी.एन.ए. तकनीक (Recombinant DNA Technology) - बाह्य या विजातीय डी.एन.ए. को दूसरे जीव के डी.एन.ए. से जोड़कर काइमेरिक डी. एन. ए. बनाने की प्रक्रिया या जेनेटिक इंजीनियरिंग।

8. पश्च विषाणु (Retro Virus) - आर.एन.ए. विषाणु जिनमें डी.एन.ए. निर्माण हेतु रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज एन्जाइम पाया जाता है।

9. वाहक / संवाहक (Vector) - डी.एन.ए. अणु जिसमें उचित पोषक कोशिका के अंदर प्रतिकृतिकरण की क्षमता होती है तथा जिसमें विजातीय डी.एन.ए. निवेशित (Insert) किया जा सकता है।

10. जी.एम.ओ. (GMO) - जेनेटिकली मॉडीफाइड आर्गेनिज्म या ट्रांसजेनिक जिनके जीनों में फेरबदल कर कोई कार्यशील विजातीय डी.एन.ए. प्रविष्ट करा दिया गया हो, जैसे बी.टी. पौधे।

12. जीन थेरेपी (Gene Therapy) - त्रुटिपूर्ण या विकारयुक्त जीन को सामान्य कार्यशील जीन द्वारा प्रतिस्थापित कर रोग - उपचार।

13. ह्यूम्यूलिन (Humulin) - यू. एस की एलि लिली कम्पनी द्वारा पुनर्योगज तकनीक से उत्पादित मानव इंसुलिन का ब्रांड नाम।

14.p 53 जीन (p53 जीन) - कोशिका विभाजन के नियन्त्रण के लिए यह जीन कोशिका चक्र को रोकती है।

15. पेटेन्ट (Patent) - सरकार द्वारा किसी वस्तु/प्रक्रिया के खोजकर्ता को दिया जाने वाला अधिकार जो अन्य व्यक्तियों को व्यावसायिक उपयोग से रोकता है।

16. खोजी (Probe) - न्यूक्लियोटाइड के छोटे 13-30 क्षारक युग्म लम्बे खण्ड है जो रेडियोएक्टिव अणुओं से चिन्हित करने पर पूरक खण्डों की पहचान हेतु प्रयोग किये जाते हैं।

17. प्रोइंसुलिन (Proinsulin) - इंसुलिन का पूर्ववर्ती अणु जिसमें एक अतिरिक्त C-पेप्टाइड होता है तथा इसके निकलने (प्रसंस्करण) से इंसुलिन बनता है।

18.जीन लाइब्रेरी (Gene library) - जीव के DNA के सभी जीनों को किसी वाहक के DNA के साथ समाकित करके क्लोनों का मिश्रण बना लेन।

19.DNA रिकॉम्बिनेंट तकनीक (DNA Recombinent Technology) - वह तकनीक जिसके अंतर्गत किसी मनचाहे DNA का कृत्रिम रूप से निर्माण करते है।

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20.ट्रांसफॉर्मेशन(Transformation) - जब किसी स्वतंत्र DNA को बैक्टीरियल सेल में स्थानान्तरित करने की क्रिया।

21.रोगी थेरैपी (Patient Therapy) - इस थेरैपी में प्रभावित ऊतक में स्वस्थ जीनों का प्रवेश करा दिया जाता है।

22.भ्रूण थेरैपी (Embryo Therapy) -इस थेरैपी में दोषी जीन का पता लग जाने पर ,जायगोट बनने के बाद भ्रूण की आनुवंशिक संरचना को बदला जाता है।

23.सोमोक्लोनल विभिन्नताए (Somoclonal Variation) - कृत्रिम संवर्धन माध्यम कोशिकाओं अथवा ऊतको में होने वाली आकस्मिक एवं प्राकृतिक विभिन्नताओ को ही सोमोक्लोनल विभिन्नताए कहते है

24. हैटरोकेरियान(Heterokaryon) - ऐसी कोशिकाए जिसमे दो भिन्न -भिन्न कोशिकाओ में नाभिक होता है।

25.संकर कोशिका (Hybrid Cell) - कोशिका - संयोजन से बने हैटरोकेरियान में अंततः समससूत्रण विभाजन से बने सेल को संकर कोशिका कहते है।

इस पोस्ट में हमने जैव प्रौद्योगिकी- जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली | Biotechnology - Biology Terminology के बारे में जाना। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में जैव प्रौद्योगिकी से जुड़े सवाल अक्सर पूछे जाते रहते हैं। 

उम्मीद करता हूँ कि जैव प्रौद्योगिकी-पारिभाषिक शब्दावली (Biotechnology Terminology) का यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा ,अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इस पोस्ट को शेयर अवश्य करें। धन्यवाद !!

कंपनी - पारिभाषिक शब्दावली(Company terminology in Hindi)

कंपनी - पारिभाषिक शब्दावली (Company - Terminology)




नमस्कार, आपका answerduniya.com में स्वागत है। किसी औद्योगिक उद्देश्य के लिए संघ, संगठन, भागीदारी को कंपनी कहा जाता है। यह एक व्यवसायिक संगठन होता है जिसका उद्देश्य लाभ अर्जित करना होता है। "कंपनी" शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है 'साथ-साथ'। वर्तमान में कंपनी को एक संगठन के रूप में ही देखा समझा जाता है। अगर आप कंपनी क्या है या कंपनी के बारे में अन्य जानकारी लेना चाहते हैं तो आपको पहले कंपनी से जुड़े महत्वपूर्ण पारिभाषिक  शब्दावली के बारे में अवश्य जान लेना चाहिए। इस आर्टिकल में कंपनी से सम्बंधित महत्वपूर्ण पारिभाषिक शब्दावली दिया जा रहा है। इसे जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़ें।

Company terminology in Hindi


Company Paribhashik Shabdavali 

1.कंपनी (Company)- कंपनी का अर्थ- कंपनी विधान द्वारा निर्मित एक अमूर्त एवं कृत्रिम व्यक्ति है, जिसका अपने सदस्यों से पृथक् अस्तित्व होता है। इसकी एक सर्वामुद्रा होती है और इसे निरन्तर उत्तराधिकार प्राप्त होता है।

2.कंपनी (Company)- कंपनी की परिभाषा- लार्ड लिण्डले के अनुसार- कंपनी से आशय बहुत से व्यक्तियों के संघ से है, जिसमें वे संयुक्त पूँजी में द्रव्य के बराबर कोई संपत्ति देते है उसका उपयोग किसी सामान्य उद्देश्य के लिए करते है।

3.असीमित कंपनी (Unlimited Company)- इस प्रकार की कंपनी के सदस्यों का दायित्व असीमित होता है और सदस्य व्यक्तिगत रूप से लेनदारों के प्रति उत्तरदायी होते है। इस प्रकार की कंपनी में पूँजी की कमी या वृद्धि करने पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है।

4.गारंटी द्वारा सीमित कंपनी (limited Company by Guarantee)- इन कंपनियों के सदस्य इस बात का दायित्व अपने ऊपर लेते है की यदि कंपनी का समापन उनकी सदस्यता के समय या सदस्यता छोड़ने के एक वर्ष के अंदर होता है तो वे कंपनी के ऋणों का भुगतान एक निश्चित रकम तक करेंगे।

5.अंशोंं द्वारा सीमित कंपनी (limited Company by Shares)- ऐसी कंपनियाँ जिनके सदस्यों का दायित्व उनके द्वारा क्रय किये गए अंशों के अंकित मूल्य तक सीमित रहता है, को अंशों द्वारा कंपनी कहते है।

6.निजी कंपनी(Private Company)- निजी कंपनी का अर्थ- एक ऐसी कंपनी से है जिसकी चुकता अथवा प्रदत्त अंश पूँजी रु- 1,00,000 अथवा अधिनियम द्वारा निर्धारित इससे अधिक राशि तथा जो अपने अंतर्निय मों द्वारा अपने अंशों के हस्तांतरण पर रोक लगा देती हों तथा जिसमें सदस्यों की संख्या 2 या अधिकतम 200 होती है।

7.सार्वजनिक कंपनी (Public Company)- वह कंपनी जो प्राइवेट नहीं है तथा जिसका चुकता अथवा प्रदत्त रु- 5,00,000 है अथवा अधिनियम द्वारा निर्धारित इससे अधिक राशि हो, वह सार्वजनिक कंपनी होती है।

8.एक व्यक्ति की कंपनी (One Person Company)- एक व्यक्ति की कंपनी से अभिप्राय है कि जिसमें केवल एक व्यक्ति ही इसका सदस्य होता है।

10.पार्षद सीमानियम (Councilor Memorandum)- पार्षद सीमानियम कंपनी का सबसे प्रमुख एवं महत्वपूर्ण प्रलेख है। यह कंपनी अधिनियम के अन्तर्गत स्थापित की शक्तियों की सीमाओं की व्याख्या करता है। यह कंपनी सदस्यों की उत्तराधिकार को परिभाषित करती है।

11.प्रविवरण (Prospectus/Statement)- समामेलन का प्रमाणपत्र प्राप्त होने के बाद सार्वजनिक कंपनी द्वारा जनता से पूँजी एकत्रित करने के लिए निमंत्रण पत्र निर्गमित किया जाता है उसे प्रविवरण कहते है।

12.स्थानापन्न प्रविवरण (Officiating Prospectus/ Statement)- यदि किसी कारण वश कोई सार्वजनिक कंपनी रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी के पास अपना प्रविवरण तैयार करके फाइल नहीं करती है और जनता में जारी करती है, तो ऐसी स्थिति में उसे इस प्रविवरण जरी करना पड़ता है। इस दूसरे प्रविवरण को ही स्थानापन्न प्रविवरण कहते है।


इस आर्टिकल में हमने कंपनी - पारिभाषिक शब्दावली(Company terminology in Hindi) के बारे में जाना । विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में कंपनी - पारिभाषिक शब्दावली(Company terminology in Hindi) से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं ।

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लागत - पारिभाषिक शब्दावली (cost - terminology)

हेलो दोस्तों, answerduniya.com में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में हम लागत से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली के बारे में जानने वाले हैं। लागत अर्थशास्त्र विषय का एक टॉपिक जिससे जुड़े महत्वपूर्ण शब्दों की परिभाषा सहित सूची इस पोस्ट में दी जा रही है। जिससे लागत की परिभाषिक शब्दावली कहा जाता है।  इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखकर इस पोस्ट को तैयार किया गया है इसलिए इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़ें।

लागत - पारिभाषिक शब्दावली (Cost - Terminology)

cost - terminology

Lagat Paribhashik Shabdavali

1.उत्पादन लागत (Cost of Production)- उत्पादन के साधनों को उनकी सेवाओं के क्रय मूल्य प्रतिफलस्वरूप उत्पादन को प्राप्त करने के लिये फर्म द्वारा किये गये कुल मौद्रिक त्याग को उत्पादन लागत कहते है।

2. मौद्रिक लागत (Money Cost)- प्रो.हैन्सन के अनुसार- एक वस्तु की एक निश्चित मात्रा उत्पादित करने की मौद्रिक लागत उत्पादन के विभिन्न साधनों, जो की उस वस्तु के उत्पादन में प्रयोग किए गए भुगतानों का योग होता है। इस प्रकार मौद्रिक लागत उत्पादन के साधनों को मुद्रा के रूप में किए गए भुगतानों का योग होता है।

3.स्प्ष्ट लागत (Explicit Costs)- वे लागत जिसमें एक उत्पादन द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं, साधनों,साधनों को दूसरे स्वामी से प्राप्त कर उसके बदले में उसे जो भुगतान किया जाता है उसे फर्म को स्प्ष्ट लागत कहते है। जैसे- श्रमिकों को दी गई मजदूरी आदि।

जानें- राष्ट्रीय आय संबंधी अर्थ।

4.अस्प्ष्ट लागत (Implicit Costs)- एक उत्पादक जब स्वयं अपने साधनों एवं सेवाओं के बदले भुगतान पता है एवं किसी भी बाहरी व्यक्ति को भुगतान नहीं करता है तो इसे ही अस्प्ष्ट लागत कहते है। जैसे- व्यापार हेतु स्वयं की निजी भवन को किराया देना।

5.विक्रय लागत (selling Costs)- विक्रय लागत वे लागत है जो वस्तु की बिक्री बढ़ाने के लिए विज्ञापन, प्रचार एवं प्रसार पर व्यय किए जाते है।

6.वास्तविक लागत (Real Costs)- प्रो मार्शल के अनुसार- किसी वस्तु के निर्माण विभिन्न प्रकार के श्रमिकों को जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रयत्न करने होते है वस्तु के निर्माण में प्रयुक्त की जाने वाली पूँजी को बचाने के लिए जो संयमयुक्त प्रतीक्षा करनी होती है, ये सब मिलकर वस्तु की वास्तविक लागत की अंश होती है।

7.अवसर लागत (Opportunity Cost)- जब उत्पादन के विभिन्न साधनों में से एक विशिष्ट साधन को अपने वर्तमान प्रयोग में बनाये रखने से उसके दूसरे विकल्प या प्रयोग में जाने के अवसर प्रदाय नहीं करती है तो यही उस साधन की अवसर लागत कहलाती है।

8.कुल लागत (Total Cost)- किसी फर्म को उत्पादन की एक निश्चित मात्रा उत्पादित करने के लिए जो कुल व्यय करना पड़ता है उसे उस फर्म की कुल लागत कहा जाता है।

9.स्थिर या पूरक लागत(Fixed or Supplementary Cost)- बेन्हम के अनुसार- एक फर्म की स्थिर लागत, वह लागत है, जो उत्पादन की मात्रा के अनुसार परिवर्तित नहीं होती है।

10.परिवर्तनशील या प्रमुख लागत (Variable or Prime)- बेन्हम के अनुसार- एक फर्म की परिवर्तनशील लागतें, वे लागतें होती है, जो उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन होने के साथ बदलती रहती है।

11.औसत स्थिर लागत (Average Fixed Cost)- औसत स्थिर लागत, कुल स्थिर लागत को फर्म के कुल उत्पादन मात्रा से भाग दिए जाने पर प्राप्त होती है। इसे प्रति इकाई स्थिर लागत भी कहा जाता है।

पढ़ें- वित्तीय विवरणों  का निर्वचन, उद्देश्य और प्रकार। 

12.औसत परिवर्तनशील लागत (Average Variable Cost)- कुल परिवर्तनशील लागत को फर्म के कुल उत्पादन की इकाइयों से भाग दिए जाने पर जो भजनफल प्राप्त होता है, उसे ही औसत परिवर्तनशील लागत कहते है।

13.औसत कुल लागत (Average Total Cost)- औसत कुल लागत से अभिप्राय, उत्पादन की कुल प्रति इकाई लागत से है। जब उत्पादन की कुल लागत को उत्पादित इकाईयों की संख्या से भाग दिया जाता है। उसे औसत कुल लागत है।

14.सीमान्त लागत (Marginal Cost)- सीमान्त  इकाई का तात्पर्य एक अतिरिक्त इकाई या अंतिम इकाई से होता है। अतएव उत्पादन की एक अतिरिक्त इकाई को बढ़ाने या घटाने से कुल उत्पादन लागत में जो कमी/वृद्धि होती है उसे ही सीमान्त लागत कहते है।

15.तकनीकी बचतें (Technical Economic)- उत्पादन की तकनीक में सुधार करने पर बचतें प्राप्त होती है, उसे तकनीकी बचतें कहते है। जैसे- आधुनिक मशीनें, बड़े आकार की मशीनें आदि।

16.प्रबन्धकीय बचतें (Managerial Economic)- उत्पादन की मात्रा को बढ़ाने पर प्रबन्ध पर होने वाले व्ययों में कमी आती है, जिसे प्रबन्धकीय बचतें कहते है।

17.आगम (Revenue)- एक उत्पादन या फर्म को उनके द्वारा उत्पादित वस्तु की बिक्री से जो मूल्य प्राप्त होता है, उसे ही फर्म की आय या आगम कहते है।

18.औसत आगम (Average Revenue)- मैकोनल के अनुसार- किसी वस्तु की बिक्री से प्राप्त होने वाला प्रति इकाई आगम, औसत आगम है।

19. सीमान्त आगम (Marginal Revenue)- एक अतिरिक्त इकाई को बेचने से फर्म की कुल आय में जो वृद्धि होती है, सीमान्त आगम कहते है।

20.विपणन बचतें (Marketing Economic)- कोई भी फर्म जब अपने उत्पादन की मात्रा को बढ़ाती है, तो विक्रय लागतें उस अनुपात में नहीं बढ़ती है, जिससे प्रति इकाई में कमी आ जाती है।

इस पोस्ट में हमने लागत - पारिभाषिक शब्दावली (cost - terminology) के बारे में जाना। लागत अर्थशास्त्र से जुदा एक शब्द है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में लागत - पारिभाषिक शब्दावली (cost - terminology) से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।

आशा करता हूँ कि लागत - पारिभाषिक शब्दावली (cost - terminology) की यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी ,यदि आपको अच्छा लगा हो तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।


बजट और कर से संबंधित अर्थ (Meaning related to budget and tax in Hindi)

बजट और कर से संबंधित अर्थ(Meaning related to budget and tax)

हेलो दोस्तों, आपका answerduniya.com में स्वागत है। बजट और कर अर्थशास्त्र से जुड़े हुए शब्द हैं, जिनसे हर कोई अवगत है। परन्तु बजट और कर केवल इन्हीं शब्दों तक सीमित नहीं है, इनका विशाल अर्थ है। आज के इस लेख में बजट और कर से सम्बंधित महत्वपूर्ण पारिभाषिक शब्दावली के बारे जानने वाले हैं।  बजट और कर से संबंधित अर्थ (Meaning related to budget and tax in Hindi) से जुड़े सवाल विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते रहते हैं। 
Meaning related to budget and tax in Hindi

Bajt or Kar se Smbndhit Arth 

1.बजट (Budget)- जाॅनसन के अनुसार- एक राजकीय बजट आने वाले समय प्रायः एक वर्ष में राज्य के अनुमानित आय- व्ययों का विवरण है।

2.केन्द्रीय बजट (Central Budget)- केन्द्रीय बजट को केंद्र सरकार तैयार करती है केन्द्रीय सरकार के द्वारा अनुमानित प्राप्तियों और प्रस्तावित खर्चो तथा भुगतानों का विस्तृत वर्णन करता है।

3.राज्य बजट (State Budget)- राज्य सरकार द्वारा जो बजट तैयार किया जाता है उसे राज्य बजट कहते है।

4.राजस्व बजट (Revenue Budget)- राजस्व बजट में कर राजस्व और गैर-राजस्व प्राप्तियों और इस राजस्व से सम्बन्धित खर्चे आते है राजस्व खाते अन्तर्गत वे मन्दे आते है जिन्हें चुकाना नहीं पड़ता है।

जानें- राष्ट्रीय आय से सम्बंधित अर्थ।

5.पूँजीगत बजट (Capital Budget)- पूँजीगत बजट के अन्तर्गत सरकार की प्राप्तियाँँ और पूँजीगत खर्चे आते है।पूँजीगत प्राप्तियाँँ सरकार की वे प्राप्तियाँँ है जो दायित्व बढ़ाती है। जैसे- बाजार से उधार, विदेशी ऋण आती है।

6.योजना बजट (Plan Budget)योजना बजट एक दस्तावेज है, जो केंद्रीय योजना में सम्मिलित परियोजनाओं कार्यक्रमों और अन्य योजनाओं के लिए बजट संबंधी प्रावधान प्रस्तुत करता है। जैसे- कृषि और उससे सम्बन्धित विवरण प्रस्तुत करता है।

7.मुख्य बजट (Main Budget)- मुख्य बजट सरकार के द्वारा सम्पूर्ण वर्ष के लिए प्रस्तुत अनुमानित प्राप्तियों और खर्च का एक वित्तीय वार्षिक विवरण है।

8.अनुपूरक बजट (Supplementary Budget)- अनुपूरक बजट वह बजट है जो किसी देश की सरकार के द्वारा युद्ध,भूकम्प, बाढ़ जैसे आपातकालीन परिस्थितियों में संसद में प्रस्तुत किया जाता है।

9.सन्तुलित बजट (Balanced Budget)जब सरकारी राजस्व और खर्चे समान हों, तब उसे सरकारी बजट कहते है।

10.असन्तुलित बजट (Unbalanced Budget)-जब राजस्व की तुलना में खर्चे अधिक या कम होता है, तो उस बजट को असन्तुलित बजट कहते है।

पढ़ें- अर्थशास्त्र की परिभाषा।

11.सार्वजनिक आय(Public Revenue)- सार्वजनिक आय से तात्पर्य, सरकार की उन सभी मौद्रिक प्राप्तियों से है, जो सरकार व्यय के लिए आवश्यक है।

12.कर (Tax)- कर एक ऐसी अनिवार्य भुगतान है, जो आवश्यक रूप से सरकार को उसके बनाए कानूनों के अनुसार दिया जाता है। इसके बदले में किसी सेवा प्राप्ति की आशा नहीं की जा सकती है।

13.प्रगतिशील कर (Progressive Tax)- डाॅॅल्टन के अनुसार- प्रगतिशील करों में करदाता की आय जितनी अधिक होती है, उतने ही अधिक अनुपात में वे कर अदा करते है।

14.प्रतिगामी कर (Regressive Tax)- इस कर में कम आय वाले व्यक्तियों पर कर अधिक दर से लगाया जाता है अधिक आय वालोँ पर कर की दर अपेक्षाकृत कम होती है। इनका वास्तविक भर निर्धन व्यक्तियों पर अधिक तथा धनी व्यक्तियों में कम पड़ता है।

15.प्रत्यक्ष कर (Direct Tax)- प्रत्यक्ष कर वे कर होते है जिनका भुगतान एक बार में कर दिया जाता है तथा वे ही व्यक्ति उनका भुगतान करते है जीन पर वह लगाया जाता अर्थात उनके भर को दूसरों पर टाला नहीं जा सकता है।

16.अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)- अप्रत्यक्ष कर वे कर होते है जिनका भुगतान दूसरे व्यक्तियों पर टाला जा सकता है अर्थात अप्रत्यक्ष कर का कराघात किसी एक व्यक्ति पर पड़ता है जो कर के मौद्रिक भर को अन्य व्यक्तियों के कन्धे पर टाल देता है। जैसे- बिक्री कर, आयात एवं निर्यात आदि।

17.विशिष्ट कर (Specific Tax )- जब किसी वस्तु पर उसके वजन के अनुसार या उसकी इकाई या आकर के अनुसार कर लगाया जाता है, तब उसे विशिष्ट कर कहते है।

18.मूल्यानुसार कर (Advalorem Tax)- जब किसी वस्तु पर उसके मूल्य के अनुसार कर लिया जाता है, तब उसे मूल्यानुसार कर कहते है।

19.सार्वजनिक ऋण (Public Debt)- प्रो. टेलर के अनुसार- सार्वजनिक ऋण सरकार द्वारा देश के अन्दर तथा विदेशों में बैंकों, व्यावसायिक संस्थओं तथा व्यक्तियों से लिया गया उर्जा है।

20.सार्वजनिक व्यय (Public Expenditure)- सार्वजनिक व्यय से तात्पर्य, उन समस्त व्ययों से है, जिन्हें किसी देश की केन्द्रीय राज्य तथा स्थानीय सरकारें एक वित्तीय वर्ष में अपने प्रशासन, सामाजिक कल्याण, आर्थिक विकास तथा अन्य देशों की सहायता के लिए करते है।

21.विकासात्मक व्यय (Development Expenditure)- विकासात्मक व्यय वह व्यय है जो आर्थिक विकास तथा सामाजिक कल्याण के लिए किया जाता है। इसके अन्तर्गत शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग आदि पर विकास पर खर्चे की जाने वाली धन आती है।

22.गैर- विकासात्मक व्यय (Development Expenditure)- गैर- विकासात्मक व्यय, वह व्यय, है जो सरकार के प्रशासन की सुरक्षा कानून व्यवस्था आदि पर खर्चे किया जाता है। इसके अन्तर्गत कर्मचरियों के वेतन, सेना, पुलिस, जेल आदि पर किया जाने व्यय आता है।

इस लेख में हमने बजट और कर से संबंधित अर्थ (Meaning related to budget and tax in Hindi) के बारे में जाना। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों को ध्यान में रखकर यह लेख तैयार किया गया है।

आशा करता हूँ कि बजट और कर से संबंधित अर्थ (Meaning related to budget and tax in Hindi) का यह लेख आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा, अगर आपको यह लेख पसंद आये तो इस लेख को शेयर अवश्य करें।

अर्थशास्त्र - पारिभाषिक शब्दावली (Economic - Terminology in Hindi)

हेलो दोस्तों, इस लेख में हम अर्थशास्त्र से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली(Economic - Terminology)  के बारे में जानने वाले हैं। अर्थशास्त्र में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग के बारे में अध्ययन किया जाता है। इस लेख में ऐसे ही अन्य महत्वपूर्ण अर्थशास्त्र से जुड़े चयनित शब्दों की परिभाषा सहित सूची दी जा रही है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- UPSC, STATE PCS, RRB, NTPC, RAILWAY, SSC CGL, SSC CHSL, SSC MTS इत्यादि में अर्थशास्त्र और अर्थशास्त्र से जुड़े पारिभाषिक शब्दावली के बारे में पूछा जाता है।

अर्थशास्त्र- पारिभाषिक शब्दावली (Economic - Terminology)

Economic - Terminology


Arthashastra Paribhashik Shabdaval
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1.अर्थशास्त्र (Economic)-अर्थशास्त्र(Economic)वह विज्ञान है जो विभिन्न प्रयोगों वाले सीमित साधनों और उद्देश्यों से सम्बन्ध रखने वाले मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है।

2.समष्टि अर्थशास्त्र (Macro Economic)- समष्टि अर्थशास्त्र(Economic)आर्थिक विश्लेषण की शाखा है जो समस्त अर्थव्यवस्था या अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित बड़े योगों व औसत का उनके व्यवहारों और पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन करता है।

3.व्यष्टि अर्थशास्त्र (Micro Economic)- व्यष्टि अर्थशास्त्र(Economic) आर्थिक विश्लेषण की वह शाखा है जो वैयक्तिक या विशिष्ट आर्थिक इकाइयों तथा अर्थव्यवस्था के छोटे भागों का उनके व्यवहारों और पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन करता है।

4.आर्थिक क्रियाएँ (Economic Activities)- वे क्रियाएँ जो दुर्लभ संसाधनों के प्रयोग से सम्बन्धित है, आर्थिक क्रियाएँ कहलाती है।

जानें- वित्तीय प्रबंध- पारिभाषिक शब्दावली

5.अर्थव्यवस्था (Economy)- अर्थव्यवस्था से तात्पर्य आर्थिक संगठन के ऐसे स्वरूप से है जो सम्बन्धित क्षेत्र में रहने वाले लोगों को आजीविका के स्रोत उपलब्ध कराता है।

6.संसाधन (Resource)- ऐसी वस्तुएँँ एवं सेवाएँँ जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए किया जाता है, उन्हें संसाधन कहते है। जैसे- भूमि, श्रम, औजार आदि।

7.वस्तु (Goods)- मनुष्य की आवश्कताओं को संतुष्ट करने वाली मूर्त एवं स्पर्श की जा सकने वाली सामग्री को वस्तु कहा जाता है, जैसे- टेबल, खाद्य पदार्थ, कपड़े आदि।

8.सीमान्त उत्पादन संभावना (Marginal Production Potential)- सीमान्त उत्पादन संभावना से अभिप्राय उस लागत से है जो एक अतिरिक्त इकाई उत्पादित करने की अवसर लागत है। अंतिम वस्तु की लागत की संभावना सीमान्त कहलाती है।

पढ़ें - प्रबंध- पारिभाषिक शब्दावली 

9.अवसर लागत (Opportunity Cost)- वह लागत जो दो अवसरों में दूसरें अवसर की हानि के रूप में पहले अवसर को लाभ उठाने की लागत होती है उसे अवसर लागत कहलाती है।

10.सामान्य वस्तु (Common Goods)- वे वस्तुएँँ सामान्य वस्तुएँँ कहलाती है जिनकी माँँग उपभोक्ता की आय बढ़ने पर बढ़ती है तथा आय घटने पर कम हों जाती है।

11.पूरक वस्तुएँँ Complementary Goods)- वे वस्तुएँँ जिनका उपयोग एक साथ किया जाता है। अगर इनमें से किसी भी वस्तु की कीमत में वृद्धि हों जाती है तो इसके फलस्वरूप दूसरी वस्तु की माँँग घट जाती है। जैसे- डबलरोटी और मक्खन आदि।

12.गिफिन या घटिया वस्तुएँँ (Gifin or Substandard Goods)-घटिया वस्तु वह वस्तु होती है जिनकी माँग उपभोक्ता की आय बढ़ने से घट जाती है तथा आय में कमी आने पर इन वस्तुओं की माँग बढ़ती है। जैसे- गुड़ और मोटा वस्त्र आदि।

13.स्थानापन्न वस्तुएँँ (Substitute Goods)- यह वह वस्तु है जिनका प्रयोग एक- दूसरे के बदले में किया जाता है। जैसे- चाय और कॉफी आदि।

14.उपभोक्ता सन्तुलन (Consumer Equilibrium)- जब उपभोक्ता को आय से अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त हों रही हो तो उसे उपभोक्ता सन्तुलन कहते है।

15.कीमत प्रभाव (Price Effect)- वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन के फलस्वरूप क्रयशक्ति में परिवर्तन के कारण वस्तुओं की इष्टतम मात्रा में जो परिवर्तन होता है,उसे कीमत प्रभाव कहते है।

16.माँग की लोच (Elasticity of Demand)- माँग की लोच मूल्य एवं माँगी गयी मात्रा के बीच पारस्परिक सम्बन्ध की मात्रा को बताती है। माँग की लोच वह दर है जो मूल्य में परिवर्तन के साथ वस्तु की माँगी जाने वाली मात्रा में परिवर्तन को बताती है।

17.अधिक लोचदार माँग (More Elastic Demand)- जब किसी वस्तु की माँगी गयी मात्रा में परिवर्तन, उसके मूल्य में परिवर्तन की तुलना में अधिक अनुपात में होता है तो उस वस्तु की माँग की लोच अधिक लोचदार होती है।

18.पूर्णतया बेलोचदार (Completely Elastic)- जब किसी वस्तु के मूल्य में बहुत अधिक परिवर्तन होने पर भी उसकी माँग में कोई परिवर्तन नहीं होता है तो उसे पूर्णतया बेलोचदार कहते है। इसे शून्य माँग की लोच भी कहते है।

19.आय माँग (Income Demand)- आय माँग से तात्पर्य, वस्तुओं एवं सेवाओं के उन विभिन्न मात्राओं से है जो अन्य बातें समान होने पर उपभोक्ता एक निश्चित समय में आय के विभिन्न स्तरों पर खरीदने को तैयार रहता है, अर्थात आय बढ़ने से माँग बढ़ती है तथा आय घटने से माँग घटती है।

20.कुल उपयोगिता (Total Utility)- उपभोग की जाने वाली समस्त इकाईयों की उपयोगिताओं का कुल योग कुल उपयोगिता कहलाती है।

इस लेख में हमने अर्थशास्त्र और अर्थशास्त्र से जुड़े पारिभाषिक शब्दावली के बारे में जाना। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए इस लेख का संग्रह किया गया है।

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ऋणपत्र-पारिभाषिक शब्दावली (DebentureTerminology in hindi)

ऋणपत्र- पारिभाषिक शब्दावली (Debenture Terminology)


हेलो दोस्तों, answerduniya.com में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में हम ऋणपत्र-पारिभाषिक शब्दावली (DebentureTerminology in hindi) के बारे में जानेंगे। ऋणपत्र, ऋण राशि की एक इकाई होती है, जब भी कोई कंपनी लोंगो से ऋण राशि संगृहीत करना चाहती है तो ऋण पत्र जारी करती है। ऋण पत्र अर्थशास्त्र से जुड़ा हुआ एक महत्वपूर्ण टॉपिक है। ऋणपत्र न केवल व्यवसाय बल्कि सामान्य लोंगो के जीवन में भी उपयोग में आता रहता है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में ऋणपत्र-पारिभाषिक शब्दावली (DebentureTerminology in hindi)
से सम्बंधित सवाल पूछे जाते रहते हैं।

DebentureTerminology in hindi



Rin Patra Paribhashik Shabdavali

1.ऋणपत्र (Debenture)- ऋणपत्र का अर्थ- कंपनी जब ऋण लेती है तो इसकी स्वाकृति के लिए ऋणदाता को वह एक प्रमाण पत्र देती है यही प्रमाण पत्र ऋण कहलाता है।

2.ऋणपत्र (Debenture)- ऋणपत्र का परिभाषा- ऋण-पत्र एक प्रपत्र है जिसमें ब्याज एवं पूँजी की वापसी की शर्ते होती है एवं जो ऋण निर्माण अथवा स्वीकार करता है।

3.रजिस्टर्ड ऋणपत्र (Registered Debenture)- यह वे ऋणपत्र होते है, जो कंपनी अधिनियम के अन्तर्गत निर्गमित किये गए हों और जिनकी प्रविष्टि कंपनी ने ऋणपत्रधारियों के रजिस्टर में की हों अर्थात् मूलधन तथा ब्याज का भुगतान उन्हीं ऋणपत्रधारियों द्वारा किया जाता है, जिनकी नाम उक्त रजिस्टर में दर्ज की हों।

4.वाहक ऋणपत्र (Bearer Debenture )- वाहक ऋणपत्र वे ऋणपत्र होते है जिसके मूलधन तथा ब्याज का भुगतान वह व्यक्ति को किया जाता जिसके पास ऋणपत्र होता है।

जानें- मुद्रा एवं बैंकिंग से सम्बंधित अर्थ

5.सुरक्षित ऋणपत्र (Secured Debenture )- वे ऋणपत्र जो कंपनी की चल एवं अचल सम्पत्ति पर प्रभार द्वारा सुरक्षित होते है, इसे सुरक्षित या बंधक ऋणपत्र कहलाते है। यह प्रभार स्थायी या अस्थायी हों सकता है।

6.असुरक्षित ऋणपत्र (Unsecured Debenture)- ये वे ऋणपत्र होते है जिन पर कंपनी ऋण तथा ब्याज के भुगतान के लिए कोई प्रतिभूति गिरवी नहीं रखती है। इनके भुगतान होने की कोई गारण्टी नहीं होती है।

7.शोध्य ऋणपत्र (Due Debenture )- वे ऋणपत्र होते है, जिनका भुगतान निश्चित अवधि समाप्त होने पर अथवा निश्चित अवधि के अभाव में, कंपनी की इच्छा पर कभी कंपनी के जीवनकाल में कर दिया जाता है। ये अस्थायी या प्रतिदेय ऋणपत्र कहते हैं।

8.अशोध्य ऋणपत्र (Bad Debenture )- वे ऋणपत्र होते है, जिनका भुगतान कंपनी के जीवनकाल में नहीं किया जा सकता है अर्थात् कंपनी की समापन पर ही इनकी भुगतान हों सकता है।

9.परिवर्तनशील ऋणपत्र (Convertible  )- परिवर्तनशील ऋणपत्रों से आशय ऐसे ऋणपत्रों से है, जिन्हें एक निश्चित अवधि में अंशों या नये ऋणपत्रों में परिवर्तित किया जा सकता है।

10.अपरिवर्तनशील ऋणपत्र (Non convertible )- ऐसे ऋणपत्र जिनको समता या अधिमान अंशों में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है, अपरिवर्तनशील ऋणपत्र कहलाता है। ऐसे ऋणपत्रों की ब्याज की दर ऊँची होती है।

11.शून्य कूपन दर वाले ऋणपत्र (Zero coupon rate debenture )- जिन ऋणपत्रों पर किसी विशेष दर से ब्याज नहीं मिलता है, उन्हें शून्य कूपन दर वाले ऋणपत्र कहते है।

12.विशिष्ट कूपन दर वाले ऋणपत्र (debenture with specific coupon rate )- जिन ऋणपत्रों पर किसी विशेष दर से ब्याज देय हों, उन्हें विशिष्ट कूपन दर वाले ऋणपत्र कहते है।

पढ़ें- विपणन- पारिभाषिक शब्दावली

13.बंधपत्र (Bond)- बंधपत्र या बॉण्ड की प्रकृति भी ऋणपत्र से मिलती- जुलती होती है। बॉण्ड सरकारी, अर्द्ध सरकारी या गैर- सरकारी संगठनों द्वारा निर्गमित किये जा सकते है जो ऋणपत्र में स्वीकृति दर्शाते है।

14.अवशिष्ट याचना राशि (Calls in Arrears)- ऋणपत्रों की ऐसी राशि अदत्त या अवशिष्ट राशि कही जाती है जो ऋणपत्रधारियों पर देय हों चुकी है तथा कंपनी ने उसे माँग लिया है, किन्तु निर्धारित तिथि पर ऋणपत्रधारियों ने उसका भुगतान नहीं किया जाता है।

15.अग्रिम याचना राशि (Calls in Advance)- कभी- कभी कुछ ऋणपत्रधारियों से ऋणपत्रों का भुगतान उसकी माँग करने के पहले ही प्राप्त हों जाता है, तब इस तरह प्राप्त की गई ऋणपत्र की राशि को अग्रिम याचना राशि कहा जाता है।

16. ऋणपत्र का शोधन (Redemption of debenture)- यह ऋणपत्र शोधन का अर्थ ऋणपत्रों के प्रति देयता को समाप्त करना है अर्थात् ऋणपत्रों पर देय राशि का भुगतान करना है।

17.अत्यधिक अभिदान (Over subscription)- कंपनी द्वारा निर्गमित ऋणपत्रों की संख्या से अधिक संख्या में ऋणपत्रों के लिए जनता से आवेदन प्राप्त होता है।


इस पोस्ट में हमने  ऋणपत्र-पारिभाषिक शब्दावली (DebentureTerminology in hindi) के बारे में जाना । विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में ऋणपत्र-पारिभाषिक शब्दावली (DebentureTerminology in hindi) से जुड़े सवाल पूछे जाते रहते हैं।

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जीवों में जनन - पारिभाषिक शब्दावली (Reproduction in Organisms -Terminology)

जीवों में जनन-पारिभाषिक शब्दावली(Reproduction in Organisms Terminology)

नमस्कार, answerduniya.com में आपका स्वागत है। इस लेख में हम जीवों में जनन - पारिभाषिक शब्दावली(Reproduction in Organisms -Terminology) के बारे में जानने वाले हैं। जीवों में जनन एक महत्वपूर्ण टॉपिक है । जीव की उत्पति किसी पूर्ववर्ती जीव से होती है। जनन के द्वारा कोई भी जीव अपने ही समान अन्य जीवों को जन्म देकर अपने जाति  की वृद्धि करता है। इस लेख में इसी जनन विषय से जुड़े शब्दों के पारिभाषिक शब्दावली और पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है।

Reproduction in Organisms -Terminology

Jivo me Janan Paribhashik Shabdawali

1. बाह्यदल पुंज (Calyx) - बाह्यदलों का समूह नाम।

2. अण्डप (Carpel) - जायांग / स्त्रीकेसर का बीजाण्ड धारण करने वाला भाग, अण्डाशय, वर्तिका व वर्तिकाग्र से मिलकर बनता है।

3. कोशिकीय भिन्नन (Cellular differentiation) -भ्रूणोद्भव प्रक्रिया व विकास की प्रावस्था जिसके द्वारा अभिन्नित कोशिका किसी कार्य विशेष हेतु विशिष्टीकृत हो जाती है।

4. कोनिडिया (Conidia) - कुछ कवकों जैसे पेनिसीलियम द्वारा बहिर्जात (Exogenously) बनाए जाने वाले अलैंगिक बीजाणु।

5. दलपुंज (Corolla) -दल (Petals) का सामूहिक नाम।

6. क्रोसिंग ओवर (Crossing over) - अर्धसूत्री विभाजन की अवस्था प्रोफेज को पेकीटीन अवस्था में समजात गुणसूत्र जोड़े के नान सिस्टर अर्धगुणसूत्र (क्रोमेटिड्स) के जीव होने वाला जीन विनिमय।

7. एकलिंगाश्रयी (Dioecious) - एक लिंगी पुष्पों शंकुओं को धारण करने वाले पौधा अर्थात् नर व मादा पौधों के अलग-अलग पाये जाने की अवस्था।

पढ़ेजनन स्वास्थ्य - पारिभाषिक  शब्दावली

8. द्विगुणित (Dioploid) - कोशिका / जीव जिसमें प्रत्येक गुणसूत्र युग्म के दोनों गुणसूत्र उपस्थित हो।

9. भ्रूण (Embryo) - बहुकोशिकीय जीवों की वह अवस्था जो युग्मनज के विभाजन से जीव के स्वतंत्र जीव बनने तक रहती है (बीज में स्थित भ्रूण)।

10. भ्रूणकोष (Embryo sac ) -पुष्पी पादपों का मादा युग्मकोद्भिद जिसमें अण्ड स्थित होता है।

11. एन्ड्रोमेट्रियम (Endrometrium)- गर्भाशय का आन्तरिक स्तर (गर्भाशय की श्लेष्मिक कला) |

12. जैव विकास (Evolution) -समान पूर्वजों से जीवों का अवतरण जिसमें समय के साथ आनुवंशिक व बाह्य लक्षण परिवर्तन होते हैं जो जीवों को पर्यावरण के और अधिक अनुकूल बना देते हैं।

13. मादा युग्मकोद्भिद (Female gametophyte) - बीजीय पादपों में वह युग्मकोद्भिद जो अण्ड बनाता है, पुष्पी पादपों में भ्रूणकोष।

14. निषेचन (Fertilization) - नर व मादा युग्मकों का संलयन जिससे युग्मनज का निर्माण होता है।

15. पुष्प (Flower) - पुष्पी पादपों का जनन अंग जो अनेक प्रकार की रूपान्तरित पत्तियों से बना होता है, जो एक पुष्पासन पर संकेन्द्रिक क्रम में लगी रहती है।

16. युग्मक (Gamete) -अगुणित लैंगिक कोशिका जैसे शुक्राणु व अण्ड।

17. युग्मक जनन (Gametogenesis) - नर या मादा युग्मकों का बनना व भिन्नता।

18. युग्मकोद्भिद (Gametophyte) - पौधों के जीवन चक्र में पीढ़ी एकान्तरण की अगुणित अवस्था जो युग्मकों का निर्माण करती है।

इसे पढ़े - पादपो में लैंगिक जनन  -पारिभाषिक शब्दावली

19. आनुवंशिक पुनर्संयोजन (Genetic Recombina tion) - वह प्रक्रिया जिसमें गुणसूत्रों में नई आनुवंशिक सूचना समाहित होती है।

इसे पढ़े वंशागति का आण्विक आधार - पारिभाषिक शब्दावली

20. अगुणित (Haploid) - कोशिका जीव की वह अवस्था जिसमें प्रत्येक गुणसूत्र जोड़े का केवल एक गुणसूत्र उपस्थित होता है।

21. द्विलिंगी (Hermaphrodite) - मादा दोनों प्रकार के जनन अंग होते हैं।

22. जीवन चक्र (Life cycle)- जीव जिसमें नर व आनुवंशिक रूप से नियोजित परिघटनाओं के दोहराने का पैटर्न जिसमें जीव वृद्धि, विकास, रखरखाव व प्रजनन कर मृत्यु को प्राप्त होता है।

23. नर युग्मकोद्भिद (Male gametophyte) - बीजीय पादपों में वह युग्मकोद्भिद जो नर युग्मक (शुक्राणु) बनाता है।

24. अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis) - लैंगिक प्रजनन के भाग के रूप में पाया जाने वाला कोशिका विभाजन जिसमें संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका के गुणसूत्रों की संख्या की आधी रह जाती है।

25. सूत्री विभाजन (Mitosis) - कोशिका विभाजन जिसमें मातृ कोशिका के विभाजन से दो संतति कोशिकाएँ बनती है। जिनमें गुणसूत्रों की संख्या व प्रकार मातृ कोशिका के गुणसूत्रों के समान होता है।

26. उभयलिंगाश्रयी (Monoecious) - एकलिंगी नर व मादा पुष्पों / शंकु की एक ही पौधे पर उपस्थित होने की अवस्था।

27. मादा चक्र (Oestrous cycle) - गैर प्राइमेट स्तनधारियों के प्रजनन काल में मादा जन्तु के एकान्तरित रूप से मद या हीट (Heat) में आने की अवस्था जिसमें वह प्रजनन हेतु तैयार होती है।

28. अनुकूलन (Adaptation) - जीव के आकारिकीय, शारीरिक, शरीर क्रियात्मक या व्यवहार सम्बन्धी गुण जो उसे किसी पर्यावरण विशेष में सफलतापूर्वक जीवन यापन हेतु सक्षम बनाते हैं।

29. अपस्थानिक जड़ें (Adventitious roots) - पौधों में मूलांकुर के अतिरिक्त किसी अन्य भाग से विकसित होने वाली जड़ें।

30. पीढ़ी एकान्तरण (Alternation of generation) - पौधों का प्रारूपिक जीवन-चक्र जिसमें द्विगुणित बीजाणुद्भिद पीढ़ी अगुणित युग्मकोद्भिद पीढ़ी से एकान्तरित होती है।

31. अलैंगिक जनन - (Asexual reproduction) - वह जनन जिसमें एक जनक भाग लेता है तथा जिसमें युग्मकों का निर्माण, अर्धसूत्री विभाजन पीढ़ी से एकान्तरित होती है।

32. द्विविभाजन (Binary fission) - जनक कोशिका का दो बराबर की संतति कोशिकाओं में बट जाना। जीवाणु प्रोटिस्टा में अलैंगिक जनन की विधि।

इस लेख में हमने जीवों में जनन - पारिभाषिक शब्दावली(Reproduction in Organisms -Terminology) के बारे में जाना। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में जीवों में जनन से सम्बंधित जानकारी के बारे में पूछा जाता है।

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कृषि एवं जन्तु पालन-शब्दावली (Agriculture and Animal Husbandry-Terminology)

कृषि एवं जन्तु पालन-पारिभाषिक शब्दावली (Agriculture and Animal Husbandry-Terminology)

हेलो दोस्तों, आपका answerduniya.com में स्वागत है। आप सभी इस बात को अक्सर सुनते आ रहे हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत में पशुपालन को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। अगर आप कृषि एवं जंतु के पालन के बारे में पढ़ना या जानना चाहते हैं तो आपको पहले कृषि एवं जन्तु पालन-पारिभाषिक शब्दावली (Agriculture and Animal Husbandry-Terminology) के बारे में जरूर जान लेना चाहिए। इस पोस्ट में आपको कृषि एवं जन्तु पालन से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली दिया जा रहा  है। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है।

Agriculture and Animal Husbandry-Terminology)

Krishi Evam Jantu Paribhashik Shabdavali

1. कृषि ( Agriculture) - 

विज्ञान की शाखा या पद्धति जो फसलों को उगाने, फसलों के लिए भूमि तैयार करने तथा पशु पालन से सम्बन्धित है, फसलों का उगाना संग्रहण व विपणन भी इसी के भाग है।

2.पशु पालन (Animal Husbandry)- कृषि की वह शाखा जो पशुओं की देखभाल, प्रबन्धन व प्रजनन से सम्बन्धित है।

3.कृत्रिम मधुमक्खी छत्ता (Apiary)- लकड़ी से बना कक्ष जिसमें मधुमक्खी पालन किया जाता है।

4. मधुमक्खी पालन (Apiculture)- व्यावसायिक रूप से शहद उत्पादन के लिए किया जाने वाला मधुमक्खी संवर्धन।

5. जल कृषि (Aquaculture)- मछली, क्रस्टेशियन, मोलस्क या जलीय पादपों का व्यावसायिक संवर्धन।

6.कृत्रिम वीर्यसेचन ( Artificial Insemination)-उन्नत नस्ल के नर का वीर्य मादा के जननमार्ग में अन्तःक्षेपित या इंजेक्ट करना।

पढ़ें- मृदा अपरदन क्या है।

7. जैव पुष्टिकरण (Biofortification)- पादप प्रजनन की विभिन्न तकनीकों द्वारा फसली पौधों के पोषक मान में वृद्धि - करना।

8कैलस (Callus)- ऊतक संवर्धन में एक्सप्लाण्ड की संवर्धन माध्यम में वृद्धि से बना असंगठित व अविभेदित कोशिकाओं का समूह।

9. सांद्रिक पोषक (Concentrates nutrient)- पशुओं के - खाने में पोषक पदार्थों जैसे विटामिन, खनिजप्रोटीन या वसा आदि से समृद्ध भाग जैसे धान्य, खलीबिनौला।

10. घरेलूकरण (Domestication)- किसी जीव (पादप या जन्तु) को उसरी वन्य अवस्था से मानव प्रबन्धन की स्थिति में लाना।

11. कत्र्त्तातक (Explant)- किसी पौधे की वह कोशिका या ऊतक जिसे ऊतक संवर्धन हेतु पोषक माध्यम पर उगाया जाता है।

12. विदेशी नस्ल (Exotic Breed) -किसी क्षेत्र में प्रवेशित विदेशी नस्ल।

13. जनन द्रव्य (Germplasm)- किसी पौधे के सभी जीनों के सभी एलील्ससभी सम्भावित स्रोतों से।

14. उद्यानिकी (Horticulture)- कृषि की शाखा जो फलो, वृक्षों, उद्यानों, सजावटी पौधों की कृषि से सम्बन्धित है।

15. संकरण (Hybridisation)- दो भिन्न लक्षणों वाले जनकों के लैंगिक प्रजनन से संकरों का निर्माण।

16. हेटेरोसिस (Heterosis)- संकरों की दोनों जनकों से श्रेष्टता की अवस्था।

17. अन्तः प्रजनन (Inbreeding)- एक ही किस्म (Variety) नस्ल (Breed) के जीवों के बीच प्रजनन।

18. पशु सम्पदा (Livestock)- घरेलू कृत पशु जैसे गौवंश, भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ाऊँट आदि।

19. दुधारू पशु (Milch Animal)- दूध देने वाले पशु जैसे गाय, भैंस, बकरी आदि।

20. पादप प्रजनन (Plant Breeding)- अनुप्रयोज्य वनस्पति विज्ञान की एक शाखा जो फसली पौधों में आनुवंशिक सुधार सम्बन्धित है।

इसे पढ़े पुष्पीय पादपो में लैंगिक जनन  -पारिभाषिक शब्दावली 

21. मत्स्य पालन उत्पादन(Pisciculture)- मछलियों का व्यावसायिक।

22. पोल्ट्री (Poultry)- अण्डे व माँस प्राप्ति हेतु मुर्गी व अन्य पक्षियों का पालन।

23. चयन (Selection)- मिश्रित समष्टि से वांछित गुणों वाले जीवों की पहचान व चयन।

24. सुपरओव्युलेशन (Superovulation)- उन्नत नस्ल को मादा (गाय आदि) में हॉर्मोनों के इंन्जेक्शन द्वारा अनेक अण्डों का निर्माण (अण्डोत्सर्ग) की प्रक्रिया।

25. स्वमिंग ( Swarming) - पुरानी रानी (Queen) मक्खी को कुछ श्रमिकों के साथ छोड़कर नए स्थान पर नयी कॉलोनी निर्माण की प्रक्रिया।

26.लवणन (Salting)- मछलियों को सोडियम क्लोराइड सहित परासरण के व्दारा आंशिक निर्जलीकरण को लवणन कहते है।

27.कृमि खाद उत्पादन(Vermicomposting) - कार्बनिक कचरे के कम्पोस्टिंग केंचुए व्दारा कराने की क्रिया।

28.कीटनाशक(Insecticides) - रसायन जिनका उपयोग कीटों को मारने,भगाने और इनकी संख्या कम करने में होता है।

29.अथाह हिमीकरण (Deep freezing)- हिमीकरण से पूर्व मछलियों को ठीक प्रकार से साफ धोया जाता है और मछलियों का सिर काटकर - 18C तापक्रम पर लम्बे समय के लिए रखा जाता है।

30.सूर्य शुष्कन (Sun drying ) - छोटी मछलियों को सूर्य के प्रकाश में अनेक बार पलटकर सुखाया जाता है। बड़ी मछलियों को छोटे-छोटे टुकडों में काटकर सुखाया जाता है।

इस पोस्ट में हमने विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले कृषि एवं जन्तुपालन से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली के बारे में जाना। 

उम्मीद है आपको कृषि एवं जन्तु पालन-पारिभाषिक शब्दावली (Agriculture and Animal Husbandry-Terminology) का यह पोस्ट पसंद आया होगा। अगर आपको यह पोस्ट उपयोगी लगा हो तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।

वंशागति के सिध्दांत-पारिभाषिक शब्दावली (Principal of Inheritance Terminology)

वंशागति के सिध्दांत-पारिभाषिक शब्दावली (Principal of Inheritance Terminology)

नमस्कार, answerduniya.com में  स्वागत है। आज के इस पोस्ट में हम वंशागति के सिध्दांत-पारिभाषिक शब्दावली (Principal of Inheritance Terminology) के बारे में जानने वाले हैं। विभिन्न लक्षणों का माता- पिता से बच्चों में आना वंशागति कहलाता है। जैसे- एक मनुष्य का बच्चा अपने ही माता पिता के समान दिखाई देता है। एक बिल्ली का बच्चा बिल्ली की तरह ही दिखाई देता है, एक अंकुरित पौधा अपने मातृ पौधा के समान  दिखाई देता है। यह उनमें पाए जाने वाले जीन की वजह होता है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में वंशागति के सिध्दांत-पारिभाषिक शब्दावली (Principal of Inheritance Terminology) से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।

Principal of Inheritance Terminology

Vanshagati ke siddhant Paribhashik Shabdavali

1. पश्चावस्था क्या है? (What is Anaphase)- 

कोशिका विभाजन की मध्यावस्था के बाद की अवस्था जिसमें क्रोमोसोम (अर्धसूत्री विभाजन में) अथवा क्रोमेटिड (सूत्री विभाजन में) विपरीत ध्रुवों की ओर गति करते हैं।

2. असुगुणिता क्या है? (What is Aneuploidy)-

वह स्थिति में जिसमें जीव में कुल गुणसूत्र संख्या से 1 या अधिक गुणसूत्र ज्यादा या कम होते हैं, जैसे 2n + 1 या 2n 1 आदि।

3.एलील (Allele) – एक ही जीन के विभिन्न रूप या प्रति जैसे TT या IA, IB, i (रक्त समूह को नियन्त्रित करने वाले जीन के रूप)।

4.क्रोमोसोमल उत्परिवर्तन (Chromosomal Mutation) - क्रोमोसोम की संरचना या संख्या में हुए वंशागत परिवर्तन।

5.सह प्रभाविता (Codominance) - वंशागति का वह तरीका जिसमें एक जीन के दोनों एलील अपना-अपना बरावर प्रभाव दिखाते हैं।

6. उत्परिवर्तन (Deletion) - जिसमें किसी क्षारक युग्म, जीन अथवा क्रोमोसोम भाग की कमी हो जाती है जैसे क्राइडू चैट सिन्ड्रोम में।

इसे पढ़े वंशागति का आण्विक आधार - पारिभाषिक शब्दावली

इसे पढ़े - विकास - पारिभाषिक शब्दावली

7. द्विसंकर संकरण (Dihybrid Cross )-संकरण जो दो लक्षणों में असमान हों।

8. प्रभावी एलील (Dominant allele)- वह एलिल विषमयुग्मजी अवस्था में भी अपना पूर्ण प्रभाव प्रदर्शित करता है तथा अप्रभावी एलील के प्रभाव को प्रकट नहीं होने देता।

9. डुप्लीकेशन (Duplication ) – क्रोमोसोम की संरचना में ऐसा बदलाव जिसमें इसका कोई भाग उसी क्रोमोसोम में एक से अधिक बार उपस्थित होता है।।

10. फ्रेमशिफ्ट म्यूटेशन (Frame shift Mutation) – जीन में कम से कम एक क्षारक की कमी या अधिकता हो जाना जिसमें mRNA का पूरा रीडिंग फ्रेम बदल जाता है।।

11. जीन (Gene) - वंशागति की इकाई जो क्रोमोसोम पर एलील के रूप में पाई जाती है।। 

12. जीन लोकस (Gene locus) – समजात क्रोमोसोम पर किसी जीन का स्थान। 

13. आनुवंशिक पुनर्संयोजन (Genetic Recombination) - वह प्रक्रिया जिसमें किसी DNA खण्ड या क्रोमोसोम में नई आनुवंशिक सूचना निवेशित हो जाती है।

इसे पढ़े - जैव प्रौद्योगिकी - पारिभाषिक शब्दावली  

14. जीनोटाइप (Genotype) - किसी लक्षण विशेष के लिए जीव का जीन जिन्हें प्रायः प्रतीकों द्वारा प्रदर्शित किया जाता।

15. विषमयुग्मजी (Heterozygous) - किसी विशेषक की असमान एलील धारण करने वाला।

16. समजात क्रोमोसोम (Homologous Chromosome)- क्रोमोसोम जोड़े के क्रोमोसोम जो दूसरे क्रोमोसोम के समान होते हैं तथा अर्धसूत्री विभाजन की प्रोफेज अवस्था में युग्मन सिनैप्स बनते समय साथ-साथ आ जाते हैं।

17. समयुग्मकी (Homozygous) – किसी लक्षण/विभेदक के दो समान एलील धारण करने वाला।

18. संकरण (Hybridization)-विभिन्न किस्मो \प्रजातियों के बीच का संकरण।

19. अपूर्ण प्रभाविता ( Incomplete Dominance) - वंशागति का वह प्रकार जिसमें संतति दोनों जनकों के बीच का फीनोटाइप प्रदर्शित करता है।

20. स्वतंत्र अपव्यूहन ( Independent Assortment)- अर्धसूत्री विभाजन के समय असहलग्न (Unlinked) जीनो के एलील का एक दूसरे से स्वतंत्र रूप से पृथक होना जिससे युग्मकों में एलील के सभी संभावित संयोजन होते हैं।

21. इनवर्सन ( Inversion)- क्रोमोसोम की संरचना में बदलाव जिसमें क्रोमोसोम का एक खण्ड 180° पर घूम जाता है, फलस्वरूप जीनों का क्रम बदल जाने में असामान्यता उत्पन्न हो जाती है।

22. कैरियोटाइप (Karyotype)-आकार प्रकार के आधार पर माइटोटिक विभाजन की मेटाफेज अवस्था के क्रोमोसोम का व्यवस्थित रूप।

23. मध्यावस्था (Metaphase)- कोशिका विभाजन की अवस्था जिसमें क्रोमोसोम मध्य में मेटाफेज प्लेट पर व्यवस्थित हो जाते हैं।

24. एक संकर संकरण (Monohybrid Cross) - ऐसे जनकों में संकरण जो केवल एक लक्षण में भिन्नता प्रदर्शित करते हैं। एक लक्षण की वंशागति हेतु किए क्रॉस।

25. एकसूत्रता (Monosomy) - सामान्य क्रोमोसोम संख्या से एक क्रोमोसोम कम होने की स्थिति ( 2n 1 )।

26. बहु एलील (Multiple allele) - वंशागति का वह प्रकार जिसमें किसी एक लक्षण की जीन के 2 से अधिक एलील होते हैं।

27. नॉन डिस्जंक्शन (Non-disjunction)-समजात क्रोमोसोम की अर्धसूत्री विभाजन के समय पृथक् न हो पाने की स्थिति।

28. फीनोटाइप (Phenotype)- किसी जीनोटाइप की प्रेक्षणीय अभिव्यक्ति जैसे आँखों का रंग।

29. प्लियोट्रापी (Pleiotropy)- वंशागति का वह तरीका जिसमें एक जीन जीव एक से अधिक फीनोटाइप को प्रभावित करती।

30. पुन्नेट वर्ग (Punnett square) -आनुवंशिक प्रयोगों में आपेक्षित परिणाम ज्ञात करने की सरल चित्रीय विधि।

31. अप्रभावी एलील (Recessive allele)-वह एलील जो केवल समयुग्मकी अवस्था में अभिव्यक्त होता है तथा विषम युग्मजी अवस्था में प्रभावी एलील के कारण अभिव्यक्त नहीं हो पाता।

32. लिंग क्रोमोसोम (Sex Chromosome) - वह क्रोमोसोम जो किसी जीव के लिंग का निर्धारण करता है।

33. परीक्षार्थ संकरण (Test Cross )- किसी प्रभावी लक्षण वाले जीव का अप्रभावी लक्षण वाले जीव से क्रॉस जिससे यह पता लगाया जा सके कि प्रभावी जीव समयुग्मजी है या विषमयुग्मजी।

34. त्रिसूत्रता (Trisomy)- किसी द्विगुणित जीव में किसी क्रोमोसोम की तीन प्रतियों का पाया जाना (2n + 1) जैसे डाउन सिन्ड्रोम में।

35. X सहलग्न (X-linked)- एलील जो X क्रोमोसोम पर स्थित हो तथा लैंगिक लक्षणों के अतिरिक्त अन्य लक्षण को भी प्रभावित करें।


इस पोस्ट में हमने वंशागति के सिध्दांत-पारिभाषिक शब्दावली (Principal of Inheritance Terminology)  के बारे में जाना। अनेक परीक्षाओं में वंशागति के सिध्दांत-पारिभाषिक शब्दावली (Principal of Inheritance Terminology) से जुड़े सवाल पूछे जाते रहते हैं।

उम्मीद करता हूँ कि वंशागति के सिध्दांत-पारिभाषिक शब्दावली (Principal of Inheritance Terminology) का यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा, अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इस पोस्ट को शेयर  जरूर करें।

पुष्पीय पादपो में लैंगिक जनन-पारिभाषिक शब्दावली (Sexual Reproduction in Floral Plant-Terminology)

पुष्पीय पादपो में लैंगिक जनन-पारिभाषिक शब्दावली (Sexual Reproduction in Floral Plant-Terminology)

नमस्कार, आपका answerduniya.com में स्वागत है। इस लेख में हम पुष्पीय पादपो में लैंगिक जनन-पारिभाषिक शब्दावली (Sexual Reproduction in Floral Plant-Terminology) के बारे में जानने वाले हैं। किसी विषय विशेष से सम्बंधित महत्वपूर्ण शब्दों की परिभाषा सहित सूची को पारिभाषिक शब्दावली कहा जाता है। किसी भी विषय को पढ़ने से पहले उसके पारिभाषिक शब्दावली के बारे में हमें जरूर जान लेना चाहिए ।

Reproduction in Floral Plant-Terminology

Pushpiya Padpo me Laigik Janan Paribhashik Shabdavali

1.अन्त:चोल(Intine)-परागकण की आंतरिक सतत पतली भित्ति जो पेंटासेल्युलोज की बनी होती है।

2.मध्यफलभित्ति(Mesocarp)-त्रिस्तरीय पेरीकार्प या फल भित्ति के बीज का स्तर।

3.मीजोगैमी(Mesogamy)-परागनलिका का अध्यावरण से होते हुए भ्रूणकोष में प्रवेश।

4.बीजांडव्दार(Micropyle)-बीजांड के अध्यावरण में स्थित वह छिद्र जिससे प्राय: परागनलिका बीजांड में प्रवेश करती है व जो बीज में भी वैसा ही बना होता है।

5.एकबीजाणुक(Monosporic)-ऐसा भ्रूण कोष जिसके निमार्ण से केवल एकगुरुबीजाणुक भाग लेता है।

जानें- मानव जनन-जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली

6.उभयलिंगाश्रयी(Monoccious)-नर व मादा दोंनो प्रकार के एकलिंगी पुष्पों को धारण करने वाला पौधा।

7.बीजांडकाय(Nucellus)-बीजांड के बीचो -बीच स्थिर भाग जिसमें भ्रूण कोष विकसित होता है।

8.अणडाशय(Ovary)-पुष्प के मादा जनन भाग अणडप का निचला फैला हुआ भाग जिसमे बीजांड स्थिर होता है ,जो निषेचन के बाद फल में बदल जाता है।

9.बीजांड(Ovary)-अंडाशय में स्थिर गुरुबीजाणुधानी जिसमें अर्धसूत्री विभाजन व्दारा भ्रूण कोष का निर्माण होता है

10.अनिषेकफलन(Parthenocarpy)-बिना निषेचन के फलों का विकास ,ऐसे फल बीज रहित होते हैं व अनिषेक जनन कहलाते हैं।

11.फलभित्ति(Pericarp)-परिपक्व अंडाशय की भित्ति जो निषेचनोपरांत फलभित्ति में बदल जाती है।

12.बीजांडासन(Placenta)-अंडाशय का वह स्थान जहाँ बीजांड लगे होते हैं।

13.बीजांडन्यास(Placentation)-बीजांडासन पर बीजांडो के लगे होने के क्रम अर्थात विन्यास का तरीका।

14.त्रिकर्सलयन(Tripalfusion)-2 ध्रुवीय केन्द्र को के एक नर युग्मक के साथ संलयन से त्रिगुणित भ्रूणपोष कोशिका बनना।

15.परागण (Pollination)-परागकणों के एक पुष्प के परागकोष से उसी पुष्प अथवा उसी प्रजाति के किसी अन्य पुष्पों के वर्तिकाग्र तक स्थानान्तरण की प्रक्रिया।

पढ़ें- जैव प्रौद्योगिकी- पारिभाषिक शब्दावली

16.सिनगैमी(Syngamy)-नर व मादा युग्मकों का संलयन \निषेचन

17.परागकण(Pollen)-परागकोष में बने अगुणित लघुबीजाणु जो नर युग्मकोदभिद का प्रतिनिधित्व करते हैं।

18.बहुभ्रूणता(Polyembryony)-बीज में एक से अधिक भ्रूणों के पास जाने की अवस्था।

19.बरुथीकास्क्यूटेलम(Scutellum)-एकबीजपत्रियों का एकमात्र बीजपत्र।

20.परिपक्वभ्रूणकोष(MatureEmbryoSac)-परिपक्व भ्रूणकोष में 7 कोशिकीय और 8 केन्दीकीय होते है।

21.बीज(Seed)-परिपक्व बीजांड जिसमे भ्रूण स्थित होता है।

22.साइफोनोगैमी(Siphonogamy)-परागनलिका की मदद से नरयुग्मक को मादा युग्मक के पास पहुचाने की क्रिया।

23.पुंकेसर(Stamen)-पुष्प के नर लैंगिक भाग की इकाई जो पुतंतु व परागकोष से बनी हो।

24.टेपीटम(Tapetum)-परागकोष भित्ति का सबसे भीतरी पोषक स्तर जो लघुबीजाणु मातृकोशिका व लघुबीजाणुओं को पोषण प्रदान करता है।25.टेस्टा(Testa)-बीज का बाह्य कवच जो बीजाण्ड के बाहरी अध्यावरण से विकसित होता है।

26.पुष्पासन(Thalamus)-पुष्प वृन्त का ऊपरी फूला हुआ भाग जिस पर पुष्प की चारों भूमियाँ(Whoris) लगी होती है।

27.जीवनक्षमता(Viability)- परागकण अथवा बीजों की अंकुरण करने में सक्षम होने की क्षमता ।

जानें- पादप ऊतक -पारिभाषिक शब्दावली 

28.परपरागण(Xenogamy)-वह परागण जिसमें परागकण एक पुष्प के परागकोष से उसी प्रजाति के किसी अन्य पौधे पर स्थित पुष्प के वर्तिकाग्र तक स्थानान्तरित होते हैं।

29.युग्मनज(Zygote)-लैंगिक जनन में नर व मादा युग्मक के संलयन से बनी द्विगुणित कोशिका।

30.भ्रूणपोषी(Albuminous)-ऐसे परिपक्व बीज जिनमें भ्रूणपोष बना रहता है। जैसे-नारियल,मक्का।

31.एल्यूरॉनपरत(Aleuronelayer)-एकबीजपत्री बीजों में भ्रूणपोष के चारों ओर पायी जाने वाली परत जिसकी कोशिकाओं में एल्यूरॉन होती है।

32.पीढ़ीएकान्तरण(AlternationofGeneration)-पौधों का प्रारूपिक जीवन-चक्र जिसमें द्विगुणित बीजाणुद्भिद पीढ़ी अगुणित युग्मकोद्भिद पीढ़ी से एकान्तरित होती है।

33.ऑटोगैमी(Autogamy)-स्वपरागण का एक प्रकार जिसमें किसी पुष्प के परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित होते हैं।

34.एकीन(Achene)-एकबीज वाले अस्फुट्नशील सरल फल।

35.कृत्रिमसंकरण(Artificialhybridization)-पादप प्रजनन की ए तकनीक जिसमें दो जनक पौधों के बीच मनुष्य द्वारा परागण कर संकरण कराया जाता है।36.प्रतिमुखकोशिकाएँ(Antipodalcells)-भ्रूणकोष में निभागीय सिरे (बीजाण्डद्वार के विपरीत सिरे) की ओर स्थित कोशिकाएँ जो भ्रूण को पोषण प्रदान करने के बाद नष्ट हो जाती है।

37.परागकोष(Anther)-पुंकेसर का वह भाग जिसमें परागकणों का निर्माण होता है।

38.मुक्ताण्डपी(Apocarpous)-वह बहुअण्डपी अवस्था जिसमें प्रत्येक अण्डप एक-दूसरेसे पृथक होता है

39.असंगजनन(Apomixis)-बिना युग्मक संलयन/निषेचन के बीज का निर्माण।

40.एलर्जन(Allergen)-एलर्जी उत्पन्न करने वाले कारक जैसे परागकण।

41.पुष्पीयपौधे(Angiosperm)-पुष्पीय पौधे जिनमें बीज फल के अन्दर स्थित होता है।42.अण्डप(Carpel)-पुष्प का मादा जनन भाग जो वर्तिकाग्र व अण्डाशय से मिलकर बना होता है।

43.उन्मीलपरागणी(Chasmogamous)-सामान्य पुष्प जिन के परागकोष व वर्तिकाग्र अनावृत (खुले) होते हैं।

44.अनुन्मील्यपरागणी(Cleistogamous)-ऐसे पुष्प जो कभी नहीं खुलते जैसे को मेलाइना।

45.सहविकास(Coevolution)-ऐसा संयुक्त विकास जिसमें एक प्रजाति दूसरी पर चयनात्मक बल लगाती है।

46.प्रांकुरचोल(Coleoptile)- एकबीजपत्री भ्रूण में एकबीजपत्री भ्रूण प्रांकुर व आद्यपत्तियों का सुरक्षात्मक आवरण

47.मूलांकरचोल(Coleorhiza)-एकबीजपत्री भ्रूण में मूलांकुर का सुरक्षात्मक आवरण।

48.बीजपत्र(Cotyledon)-पुष्पीय पौधों के भ्रूण के बीजपत्र,जो अंकुरण व बढ़ते नवांकुर को प्रकाश संश्लेषण प्रारम्भ होने तक पोषण उपलब्ध कराते हैं।49.एकलिंगाश्रयी(Dioecious)-एकलिंगी पुष्प धारण करने वाले नर अथवा मादा पादप डाइथिकस(Dithecous)-द्विपालित परागकोष जिसकी प्रत्येक पालि में दो थीका होते हैं।

51.प्रसुप्ति(Dormancy)-बीजों की वह अवस्था जिसमें वृद्धि रूक जाती है व अनुकूल परिस्थितियाँ होने पर भी अंकुरण नहीं होता है।

52.द्विनिषेचन(Doublefertilization)-पुष्पीय पादपों का विशिष्ट लक्षण जिसमें भ्रूणकोष में सिनगैमी व त्रिकसंलयन के रूप में दो बार संलयन होता है।

53.भ्रूण(Embryo)-युग्मनज के विभाजन में बनी मुक्तजीवी जीवन से पहले की बहुकोशिकीय अवस्था।

54.भ्रूणकोष(Embryosac)-पुष्पीय पौधों का मादा युग्मकोद्भिद।

इन्हें भी पढ़ें- पर्यावरण के महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी 

55.भ्रूणपोष(Endosperm)-पुष्पीय पौधों का त्रिगुणित पोषक ऊतक जो त्रिकसंलयन के फलस्वरूप बनता है।

56.भ्रूणीयअक्ष(Embryonalaxis)-बीज का भ्रूण जिसमें हाइपोकोटिल,एपीकॉटिल के साथ मूलांकर व प्रांकुर शामिल होते हैं व जो बीजपत्र से जुड़ा होता है।

57.विपुंसन(Emasculation)-पादप प्रजनन प्रक्रिया में मादा जनक पौधे के द्विलिंगी पुष्प से कलिका अवस्था में ही परागकोषों को काटकर अलग कर देना ताकि वर्तिकाग्र पर वांछित प्रकार के परागकण डाले जा सके।

58.बाह्यचोल(Exine)-परागकण की स्पोरोपोलेनिन से बनी बाहरी मोटी भित्ति जिसमें जनन छिद्र होते हैं।

59.भ्रूणविकास(Embryogeny)-युग्मनज से भ्रूण का विकास।

60.निषेचन(Fertilization)-नर व मादा युग्मक का संलयन जिसके फलस्वरूप द्विगुणित युग्मनज बनता है।

61.पुतंतु(Filament)–पुंकेसर का निचला तंतुवत भाग जिस पर परागकोष लगा रहता है।

62.पुष्प(Flower)-पुष्पीय पौधों में लैंगिक जनन सम्पन्न कर ने हेतु बना प्ररोह का एकरूपान्तरण।

63.फल(Fruit)-परिपक्व अण्डाशय जिसमें प्राय: बीज होते हैं।

64.युग्मक(Gamete)-अगुणित लिंग कोशिका जैसे अण्डकोशिका।65.युग्मकजनन(Gametogenesis)–नर या मादा युग्मकों का निर्माण व विकास।

66.जननछिद्र(Germpore)-परागकण की बाह्य भित्ति एक्जाइन के पतले क्षेत्र जहाँ स्पोरोपोलेनिन नहीं होता और जिनसे परागनलिका निकलती है।

67.जननकोशिका(Generativecell)-द्विकोशिकीय परागकण की छोटी कोशिका जो विभाजित होकर दो नरयुग्मक बनाती है।

68.जीटोनोगैमी(Geitonogamy)-परागकणों का एक पुष्प के परागकोष से उसी पौधे पर स्थित किसी अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र तक स्थानान्तरण (स्वपरागण)।

69.विषमबीजाणुक(Heterosporous)-बीजीय पादप जो दो प्रकार के बीजाणु (लुघबीजाणुवगुरुबीजाणु)बनातेहैं।जैसे जिम्नोस्पर्म व एंजियोस्पर्म।

70.असंगततायाअनिषेच्यता(Incompatibility)-असंगत या अन्तःप्रजनन रोकने की एक युक्ति जिसमें असंगत परागकण का वर्तिकाग्र पर अंकुरण या परागनलिका की वृद्धि अवरोधित हो जाती है।


इस लेख में हमने पुष्पीय पादपो में लैंगिक जनन-पारिभाषिक शब्दावली (Sexual Reproduction in Floral Plant-Terminology) के बारे में जाना। 

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पारिस्थितिक तंत्र - पारिभाषिक शब्दावली(Ecosystem - Terminology)

पारिस्थितिक तंत्र - पारिभाषिक शब्दावली(Ecosystem -  Terminology)

इस लेख में पारिस्थितिक तंत्र - पारिभाषिक शब्दावली(Ecosystem -  Terminology) के बारे में बताया जा रहा है। किसी भी विषय को जानने या पढ़ने से पहले हमें उससे जुड़े शब्दों के बारे में अवश्य जान लेना चाहिए। किसी विषय विशेष से सम्बंधित महत्वपूर्ण शब्दों की परिभाषा सहित सूची को पारिभाषिक शब्दावली कहा जाता है। इस लेख में पारिस्थितिक तंत्र से जुड़े महत्वपूर्ण शब्दावली को दिया जा रहा है ,जो पारिस्थितिक तंत्र पढ़ने से पहले जरूर जान लेना चाहिए।

paristhitik tantra paribhashik shabdawali

Ecosystem Paribhashik Shabdawali

1. कृषि पारितंत्र (Agroecosystem) - मानव निर्मित फसली क्षेत्र का पारितंत्र है।

2. जैवभार (Biomass) - जीव के शरीर में जैव पदार्थ की मात्रा जिसे प्रायः शुष्क भार के रूप में मापा जाता है।

3. चरम समुदाय (Climax Community) - अनुक्रमण के अन्त में विकसित हुआ स्थायी अधिक विविधता वाला समुदाय पर्यावरण के साथ साम्यावस्था में होता है।

4. उपभोक्ता (Consumer) – पारितंत्र में उत्पादकों के अतिरिक्त अन्य सभी जीव जिनमें शाकाहारी व माँसाहारी जन्तु, व विशेष प्रकार के उपभोक्ता अपघटक भी शामिल है।


5. अपघटक (Decomposer) — वे जीव जो मृत कार्बनिक पदार्थ से अपना पोषण प्राप्त करते हैं जैसे जीवाणु व कवक

6. अपरद (Detritus) – मृत पौधे व जन्तुओं के मृदा में पड़े भाग जैसे पत्तियाँ, पुष्प, जन्तुओं के अपशिष्ट पदार्थ आदि जिस सूक्ष्मजीव वृद्धि करते हैं।

7. अपदाहारी (Detritivore)- अपरदा को खाने वाले जीव जैसे केंचुआ, कुछ लार्वा।

8. पारितंत्र ( Ecosystem)- जैव समुदाय व उसके पर्यावरण के बीच पारस्परिक क्रिया से बना स्वपोषित तंत्र प्रकृति की कार्यात्मक इकाई।

9. खाद्य श्रृंखला (Food Chain) - अपने सरलतम रूप में खाद्य सम्बन्ध जिसमें उत्पादक व उपभोक्ता शामिल हों, पारितंत्र पोषण स्तर दिखाते सम्बन्ध।

10. खाद्य जाल (Food web) – अनेक खाद्य शृंखलाओं के आपस में जुड़ने से बना जाल।।

11. विखण्डन (Fragmentation)- अपरदहारी जीवों का अपरद या डेट्रिटस को खाकर छोटे-छोटे कणों में विभाजित कर जिससे उनका सतही क्षेत्र बढ़ जाता है।

12. ह्यूमस (Hymus) – अपरद पर सूक्ष्मजीवों की क्रिया से बना गहरे रंग का एमार्फस (amorphous) पदार्थ जो धीरे -धीरे खनिज मुक्त कर भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाता है।

13. जलारम्भी अनुक्रमण (Hydrarch)- जलाशयों से प्रारंभ होने वाला प्राथमिक अनुक्रम।

14. कर्कट (Littler) – पौधों से नीचे गिरी पत्तियाँ जो भूमि में पड़ी रहकर अपरद बन जाती है।

15. निक्षालन (Leaching)- अपघटन प्रक्रिया में जल में घुलित पदार्थों लवणों आदि की भूमि के निचले स्तरों में चले जाना।

16. मृदा निर्माण (Pedogenesis) – लाइकेज व अन्य कारकों द्वारा मृदा का निर्माण।

17. पादप प्लवक (Phytoplankton) - जलाशयों में निष्क्रिय रूप से तैरने वाले सूक्ष्म पादप।

18. मूल अन्वेषक प्रजाति ( Pioneer species) - वह प्रजाति जो प्राथमिक अनुक्रमण में सबसे पहले नये पार्यावास में पहुँचती है जैसे लाइकेन।

19. उत्पादकता (Productivity)- जैवभार उत्पादन की दर इसे g प्रति वर्गमीटर प्रतिवर्ष के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।

20. प्राथमिक अनुक्रमण (Primary Succession)- ऐसे स्थान में हुआ जहाँ पहले किसी प्रकार की वनस्पति नहीं था जैसे नग्न चट्टान, ठण्डा लावा।

21. द्वितीयक अनुक्रमण (Secondary Succession ) – ऐसे स्थान में हुआ जहाँ पहले के समुदाय किसी कारण से नष्ट हो गए।

22. स्टैंडिंग क्रॉप (Standing Crop) - किसी पोषण स्तर (Trophic level) में नियत समय पर उपलब्ध जैव भार

23. स्टैंडिंग स्टेट (Standing state) - किसी नियम समय पर मृदा में उपस्थित पोषक पदार्थों की मात्रा।

24.शुष्कारम्भी अनुक्रमण (Xerarch)- शुष्क स्थानों जैसे नग्न चट्टान से प्रारम्भ होने वाला प्राथमिक अनुक्रमण।

इस लेख में हमने पारिस्थितिक तंत्र - पारिभाषिक शब्दावली (Ecosystem - Terminology) के बारे में जाना। किसी भी विषय की शुरुआत पारिभाषिक शब्दावली से करनी चाहिए।

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जनन स्वास्थ्य-पारिभाषिक शब्दावली (Reproductive Health-Terminology)

जनन स्वास्थ्य-पारिभाषिक शब्दावली(Reproductive Health - Terminology)

नमस्कार, आपका answerduniya.com में स्वागत है। इस आर्टिकल में हम जनन स्वास्थ्य-पारिभाषिक शब्दावली (Reproductive Health-Terminology) के बारे में जानेंगे। जनन स्वास्थ्य जीवविज्ञान का एक टॉपिक है जिससे जुड़े प्रश्न अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में देखने को मिल जाते हैं। विभिन्न परीक्षाओं को ध्यान में रखकर यह आर्टिकल लिखा गया है। अगर आप जनन स्वास्थ्य पढ़ने वाले हैं तो आपको जनन स्वास्थ्य -पारिभाषिक शब्दावली के बारे में  अवश्य जान लेना चाहिए। 

janan swasthay paribhashik shabdawali

Jann vasthy Paribhashik Shabdawali

1. उल्ब परीक्षण (Amniocentesis) – भ्रूण में गुणसूत्रीय असामान्यताओं को ज्ञात करने की एक विधि जिसका दुरूपयोग भ्रूण के लिंग परीक्षण हेतु किया जाता है।

2. कृत्रिम वीर्य सेचन (Artificial Insemination) - वहतकनीक जिसमें किसी बन्ध्य पति/दाता का वीर्य कृत्रिम रूप से स्त्री की योनि अथवा गर्भाशय में प्रविष्ठ कराया जाता है।

3. सहायक जनन प्रौद्योगिकीयाँ (Assisted Reproductive Technologies ) – वह चिकित्सीय तकनीकें जो बन्ध्य लोगों के लिए सगर्भता के अवसर सुलभ करा देती है।

4. रोधक विधियाँ (Barrier Method) – गर्भ निरोधन के ऐसे उपाय जिसमें किसी यांत्रिक/ भौतिक साधन द्वारा शुक्राणुओं का अण्डकोशिका तक पहुँचना रोक दिया जाता है।

5. गर्भाशयी ग्रीवा टोपी (Cervical Cap) - गर्भ निरोध हेतु रबर/ प्लास्टिक से बनी एक टोपीनुमा रचना जो रोध या बैरियर की भाँति कार्य करती है।

पढ़े - जीवों में जनन - पारिभाषिक शब्दावली

6. डायफ्रॉम (Diaphragms)-गर्भाशयी ग्रीवा पर लगाने वाला एक रोधक निरोध उपाय।

7. भ्रूण स्थानान्तरण (Embryo Transfer)-इन विट्रो फर्टिलाइजेशन से बने भ्रूण को फैलोपियन नलिका अथवा गर्भाशय में स्थानान्तरित करना।

8. अन्तः कोशिकाद्रव्यीय शुक्राणु अन्तःक्षेपण (ICSI - In tra Cytoplasmic Sperm Injection) – सहायक जनन प्रौद्योगिकी की वह तकनीक जिसमें किसी बन्ध्य पुरुष के एक शुक्राणु को अण्ड कोशिका में इंजैक्ट किया जाता है।

9. बन्ध्यता ( Infertillty) - सन्तान पैदा करने की अक्षमता।

10. शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate)- एक वर्ष में प्रति 1000 जीवित शिशु जन्मों पर एक वर्ष के अन्दर मरने वाले शिशुओं की संख्या।

11.अन्तःगर्भाशयी युक्तियाँ (IUD Intra Uterine Device) - गर्भ निरोध की गर्भाशय में स्थापित की जाने वाली युक्तियाँ जो हॉर्मोन्स, कॉपर आधारित होती है। IUCD भी कहलाती है |

12.अन्तः गर्भाशयी वीर्य सेंचन (IUI Intra Uterine In semination ) – पति/दाता से प्राप्त वीर्य को कृत्रिम रूप से स्त्री के गर्भाशय में प्रविष्ट कराना।


पढ़ें- मानव जनन- पारिभाषिक शब्दावली।

13. अन्तः गर्भाशयी स्थानान्तरण (IUT Intra Uterine Transfer)- पात्रे निषेचन से बने 8 से अधिक कोरक खण्डों वाले भ्रूण को स्त्री के गर्भाशय में स्थानान्तरित करना।

14. दुग्धस्रावी अनार्तव (स्तनपान अनार्तव (Lactational Amenorrhea)- प्रसव के कुछ माह बाद तक सक्रिय स्तनपान के कारण माहवारी का अनुपस्थित होना।

15. मातृ मृत्यु दर (MMR-Maternal Mortality Rate) -प्रति 1000 सगर्भता स्थितियों में प्रतिवर्ष होने वाली मृत्यु की संख्या जिसमें सगर्भता अवधि, प्रसव व प्रसव के 42 दिनों के अन्दर हुई मृत्यु शामिल है।

16. सगर्भता का चिकित्सीय समापन (MTP - Medical Ter mination of Pregnancy) – प्रेरित गर्भपात या ऐच्छिक गर्भपात|

17. मुखिय गर्भ निरोधक (Oral Contraceptives)- हॉर्मोनल गोलियाँ जिन्हें गर्भ निरोध हेतु प्रयोग किया जाता है।

18. गोलियाँ (Pills)- गर्भनिरोध हेतु बनी हार्मोनल मुखीय औषधियाँ, एक प्रकार का मुखीय गर्भनिरोधक।

19. बन्ध्याकरण (Sterillzation)-गर्भनिरोध की शल्य चिकित्सीय विधियाँ, जैसे ट्यूबैक्टॉमी व वेसेक्टॉमी।

20. यौन संचरित रोग (STD Sexually Transmitted Dis eases)- प्राथमिक रूप से लैंगिक संपर्क द्वारा संचरित होने वाले रोग जैसे सिफलिस, एड्स आदि |

21. परखनली शिशु / टेस्ट ट्यूब बेबी (Test Tube baby) - पात्रे निषेचन या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन व बाद में भ्रूण के गर्भाशय में स्थानान्तरण से विकसित शिशु |

22. वाल्ट (Vault)- रोधक गर्भ निरोध का एक उपाय।

23. रजित रोग (VD Venereal Disease)- यौन संचरित रोगों का ही एक नाम |

24. युग्मनज का अन्तः फैलोपियन नलिका स्थानान्तरण (ZIFT Zygote Intra Fallopian Transfer)- इन विट्रो फर्टिलाइजेशन से विकसित 8 कोशिकीय भ्रूण का फैलोपियन नलिका में स्थानान्तरण।


इस आर्टिकल में हमने जनन स्वास्थ्य-पारिभाषिक शब्दावली (Reproductive Health-Terminology) के बारे  में जाना। विभिन्न प्रतिस्पर्धी परीक्षा में जनन स्वास्थ्य से जुड़े प्रश्न देखने को मिलते हैं।

उम्मीद करता हूँ कि जनन स्वास्थ्य-पारिभाषिक शब्दावली (Reproductive Health-Terminology) का यह आर्टिकल आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा ,यदि आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इस आर्टिकल को शेयर अवश्य करें।

बाजार -पारिभाषिक शब्दावली (Market - Terminology)


हेलो दोस्तों, इस आर्टिकल में हम बाजार से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली के बारे में जानेंगे। किसी विषय से जुड़े विशेष शब्दों की परिभाषा सहित जानकारी को पारिभाषिक शब्दावली कहा जाता है। बाजार एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग सामान्यत: हर दिन प्रत्येक व्यक्ति सुनता या करता है। बाजार अर्थशास्त्र से जुड़ा  हुआ एक शब्द है जिसका अर्थ होता है- व्यवसाय के लिए उपयोग की जाने वाले स्थान से होता है। विभिन्न परीक्षाओं में बाजार से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। 

बाजार -पारिभाषिक शब्दावली (Market - Terminology)




Market - Terminology

Bazar Paribhashik Shabdavali 

1.बाजार (Market)- प्रो.सिजविक के अनुसार- "बाजार व्यक्तियों के समूह या समुदाय को कहते है जिसके बीच इस प्रकार के पारस्परिक वाणिज्यिक सम्बन्ध हों की प्रत्येक व्यक्ति को सुगमता से इस बात का पूर्ण ज्ञान हों जाये की दूसरे व्यक्ति समय- समय पर कुछ वस्तुओं व सेवाओं का विनिमय किन मूल्यों और करते है।"

2.स्थानीय बाजार (Local Market)- जब किसी वस्तु का क्रय एवं विक्रय एक निश्चित स्थान अथवा एक निश्चित क्षेत्र तक ही सीमित होता है, तो उस वस्तु के बाजार को स्थानीय बाजार कहते है।

3.प्रादेशिक बाजार (Regional Market)- जब किसी वस्तु का बाजार एक विशेष प्रदेश अथवा एक बड़े क्षेत्र तक सीमित होता है, तो उस वस्तु के बाजार को प्रादेशिक बाजार कहा जाता है।जैसे- पगड़ी और साफे का बाजार राजस्थान एवं पंजाब तक सीमित होता है।

4.राष्ट्रीय बाजार (National Market)- जब किसी वस्तु की माँग सम्पूर्ण देश में होती है, तो उस वस्तु के बाजार को राष्ट्रीय बाजार कहते है। जैसे- धोती, साड़ी, चूड़ी आदि का बाजार।

जानें- वित्तीय प्रबंध- पारिभाषिक शब्दावली 

5.अंतर्राष्ट्रीय बाजार (International Markert)- जब किसी वस्तु के क्रेता एवं विक्रेता समस्त विश्व में पाये जाते है तो ऐसी वस्तु को अंतर्राष्ट्रीय बाजार कहते है। जैसे- सोना, चाँदी की बाजार आदि।

6.अति- अल्पकालीन बाजार (Very short Period Market)- जब किसी वस्तु की पूर्ति उसके उपलब्ध स्टाफ तक ही सीमित होती है, तो उसे अति- अल्पकालीन बाजार या दैनिक बाजार कहते है। जैसे- दूध, दही, सब्जी का बाजार आदि।

7.दीर्घकालीन बाजार (Long Period Market)- जब किसी वस्तु की पूर्ति को उसकी माँग के अनुसार घटाया या बढ़ाया जाता है, तो उसे दीर्घकालीन बाजार कहते है।

8.अति- दीर्घकालीन बाजार (Very Long Period Market)- जब किसी वस्तु की माँग की पूर्ति दोनों में बहुत अधिक परिवर्तन होते है तो ऐसे बाजार को अति- दीर्घकालीन बाजार कहते है।

9.पूर्ण प्रतियोगिता बाजार (Perfect Competition Market)- जब बाजार में किसी वस्तु की क्रय- विक्रय के लिए क्रेताओं व विक्रेताओं के बीच प्रतियोगिता होती है, तब उस बाजार को पूर्ण प्रतियोगिता बाजार कहते है।

10.अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार (Imperfect Competition Market)- बेन्हम के अनुसार- अपूर्ण बाजार उस बाजार को कहा जायेगा जब क्रेताओं व विक्रेताओं को या कुछ क्रेताओं और कुछ विक्रेताओं को एक- दूसरे के द्वारा दिया हुए माँग का ज्ञान नहीं होता है।

11.विशिष्ट बाजार (Specialized Market)- जब किस बाजार में एक विशेष वस्तु का क्रय- विक्रय किया जाता है, उसे विशिष्ट बाजार कहते है। जैसे- सब्जी मण्डी, अनाज मण्डी अदि।

पढ़ें- राष्ट्रीय  आय से सम्बंधित अर्थ।

12.मिश्रित बाजार (Mixed Market)- जब किस बाजार में विभिन्न वस्तुओं का क्रय- विक्रय किया जाता है, उसे मिश्रित बाजार कहते है। जैसे- रायपुर का गोल बाजार, दिल्ली का चाँँदनी चौक आदि।

13.नमूनों द्वारा बाजार (Marketing by Sampling)- जब कोई वस्तु नमूनों के आधार पर बेची एवं खरीदी जाती है, तो उसे नमूनों के द्वारा बिक्री बाजार कहते है।

14.श्रेणियों के आधार पर बाजार (Marketing by Grades)- जब किसी वस्तु को विभिन्न श्रेणियों में बाँँटकर बेचा जाता है, तो उसे श्रेणियों के आधार पर बिक्री बाजार कहते है।

15.एकाधिकार बाजार (Monopoly Market)- एकाधिकार बाजार उस बाजार को कहा जाता है, जिसमें वस्तु का अकेला उत्पादक होता है और उसकी स्थापन्न वस्तु का भी कोई उत्पादक नहीं होता है तो उसे एकाधिकार बाजार कहते है।

16.उचित बाजार (Fair Market)- जब किसी बाजार में वस्तुओं का क्रय- विक्रय सरकारी हस्तक्षेप से किया जाता है और उपभोक्ताओं को वस्तुएँँ उचित कीमत पर मिल जाती है, तो उसे उचित बाजार कहा जाता है।

17.अवैध बाजार (Illegal Market)- जब किसी बाजार में वस्तुओं का क्रय- विक्रय सरकार द्वारा निर्धारित कीमत से कम या अधिक होता है, तो उसे अवैध बाजार कहा जाता है।

18.उपज बाजार (Product Market)- जिस बाजार में उत्पादित वस्तुओं के क्रय- विक्रय के सौदे होते है, उसे उपज बाजार कहा जाता है।

19.स्कन्ध बाजार (Stock Market)- जिस बाजार में अंश, प्रतिभूतियों था स्टाॅॅक आदि के सौदे होते है, उसे स्कन्ध बाजार कहते है।

20.धातु बाजार (Bullion Market)- जिस बाजार में सोने- चाँदी के क्रय- विक्रय के सौदे होते है, उसे धातु बाजार कहते है।

21.द्वयाधिकार बाजार (Duopoly Market)- द्वयाधिकार से आशय, बाजार की ऐसी स्थिति से होता है, जिसमें केवल दो ही विक्रेता होते है, दोनों विक्रेताओं की वस्तु के एक हों रूप होते है और दोनों समान मूल्य नीति का पालन करते है।

22.अल्पाधिकार बाजार (Oligopoly Market)- अल्पाधिकार बाजार बाजार की ऐसी अवस्था होती है, जिसमें किसी वस्तु के बहुत कम विक्रेता होते है और प्रत्येक विक्रेता पूर्ति एवं मूल्य पर समुचित प्रभाव रखता है।

इस आर्टिकल में हमने बाजार -पारिभाषिक शब्दावली (Market - Terminology) के बारे में जाना। बाजार अर्थशास्त्र से जुड़ा जुड़ा शब्द है जिसका अर्थ व्यवसाय  के लिए उपयोग की जाने वाले जगह से है।

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समष्टि अर्थशास्त्र - पारिभाषिक शब्दावली (Macro Economic- Terminology in Hindi)

समष्टि अर्थशास्त्र - पारिभाषिक शब्दावली (Macro Economic- Terminology in Hindi)

नमस्कार, आपका answerduniya.com में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में समष्टि अर्थशास्त्र से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली दिया जा रहा है। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है। किसी विषय विशेष से सम्बंधित महत्वपूर्ण शब्दों की परिभाषा सहित सूची को पारिभाषिक शब्दावली कहा जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र से जुड़े प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते रहे हैं। समष्टि अर्थशास्त्र में  समुच्चय का विश्लेषण सम्पूर्ण अर्थशास्त्र के सन्दर्भ में किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र से जुड़ा एक महत्वपूर्ण टॉपिक है। समष्टि अर्थशास्त्र के बारे में जानने एक लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़ें।

Macro Economic- Terminology

Samasti Arthashastra Paribhashik Shabdavali in Hindi

1.समष्टि अर्थशास्त्र क्या है? (What is Macroeconomics?)-

समष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक विश्लेषण की शाखा है जो समस्त अर्थव्यवस्था या अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित बड़े योगों व औसत का उनके व्यवहारों और पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन करता है।

2. उपभोग वस्तुएँँ क्या है? (What are Consumption Goods)- 

वे वस्तुएँँ जो मानवीय आवश्कताओं को प्रत्यक्ष रूप से संतुष्ट करती है एवं जिसका प्रयोग अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए नहीं किया जाता है उपभोग वस्तुएँँ कहलाती है, जैसे- डबलरोटी, मक्खन, दूध आदि।

3.टिकाऊ वस्तुएँँ क्या है? (What are Durable Goods)-

ऐसी वस्तुएँँ जिनका प्रयोग कई वर्षों तक किया जाता है, जैसे- कार, टी.वी., कपड़े धोने की मशीन आदि।

4.अर्द्ध- टिकाऊ वस्तुएँँ क्या है? (What are Semi- Durable Goods)-

ऐसी वस्तुएँँ जिनका प्रयोग एक वर्ष या उससे कुछ अधिक समय के लिए किया जाता है, अर्द्ध- टिकाऊ वस्तुएँँ कहलाती है, जैसे- कपड़े, फर्नीचर आदि।

जानें- प्रबंधकीय लेखाविधि क्या है ।प्रमुख विशेषताएँ।

5.गैर- टिकाऊ वस्तुएँँ क्या है? (What are Non- Durable Goods)-

ऐसी वस्तुएँँ गैर- टिकाऊ वस्तुएँँ की श्रेणी में आती है जिनका प्रयोग केवल एक ही बार करने से वह समाप्त हो जाती है, जैसे- दूध, पेट्रोल, सब्जियाँ आदि।

6.पूँजीगत वस्तुएँँ (Capital Goods)- ऐसी वस्तुएँँ जिनका प्रयोग उत्पादन प्रक्रिया में कई वर्षो तक किया जाता है तथा जिनका मूल्य ऊँँचा होता है उसे पूँजीगत वस्तुएँँ कहते है, जैसे- प्लांट, मशीनरी, भवन आदि।

7.अंतिम वस्तुएँँ (Final Goods)- ऐसी वस्तुएँँ जिनका उत्पादन सीमा रेखा को पार कर जाता है उसे अंतिम वस्तुएँँ कहलाती है। यह वस्तुएँँ अंतिम प्रयोगकर्ता द्वारा प्रयोग के लिए तैयार किया जाता है।

8.अंतिम उपभोक्ता वस्तुएँँ (Final Consumer Goods)- वह वस्तुएँँ जो उपभोक्ताओं द्वारा मानवीय आवश्कताओं को संतुष्ट करने के लिए होती है, जैसे- टी.वी., डबलरोटी आदि।

9.अंतिम उत्पादक वस्तुएँँ (Final producer Goods)- वे वस्तुएँँ जिन्हें उद्योग द्वारा आगे और वस्तुओं के उत्पादन के लिए प्रयोग में लाया जाता है, अंतिम उत्पादक वस्तुएँँ कहलाती है, जैसे- मशीनें, बिल्डिंग आदि।

पढ़ें- वित्तीय विवरण क्या है- प्रकार और सीमाएं।

10.मध्यवर्ती वस्तुएँँ (Intermediate Goods)- ऐसी वस्तुएँँ जिनका उत्पादन सीमा रेखा के अंदर होती है तथा अंतिम प्रयोगकर्ता द्वारा प्रयोग के लिए तैयार नहीं होती है।

11.स्टाॅक (Stocks)- स्टाॅक का आशय समय के एक बिंदु पर एक चर के मूल्य से है, जैसे- सम्पत्ति, श्रम बल, पूँजी आदि।

12.प्रवाह (Flows)- प्रवाह का आशय समय अवधि के दौरान एक चर के मूल्य से है, जैसे- आय, मुद्रा का व्यय, पूँजी निर्माण आदि।

13.वास्तविक प्रवाह (Real Flows)- वास्तविक प्रवाह से अभिप्राय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रवाह से है। परिवार क्षेत्र से उत्पादन क्षेत्र की और कारक सेवाओं के प्रवाह अथवा उत्पादक क्षेत्र से परिवार क्षेत्र की ओर वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रवाह को वास्तविक प्रवाह कहते है।

14.मौद्रिक प्रवाह (Monetary Flows)- मौद्रिक प्रवाह से अभिप्राय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के मध्य मुद्रा के प्रवाह से है। उत्पादक क्षेत्र से परिवार क्षेत्र की ओर कारक भुगतानों के प्रवाह तथा परिवार क्षेत्र से उत्पादक क्षेत्र की ओर मुद्रा प्रवाह होता है।

15.सकल निवेश (Gross Investment)- वर्ष के दौरान स्थिर सम्पतियों को खरीदने के साथ- साथ माल सूची स्टाॅक पर किया गया खर्च सकल निवेश कहते है।

16.बाजार कीमत (Market Price)- यह कीमत अति अल्पकालीन कीमत होता है , यह कीमत वास्तव में किसी समय विशेष में बाजार में प्रचलित होता है।


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