ऊतक क्या है (What is tissue)
किसी जीव के शरीर में कोशिकाओं का समूह को ऊतक(tissue) कहलाता है। ऊतक की उत्पत्ति एक समान तथा वे एक विशेष कार्य करती है। अधिकतर ऊतकों का आकार एवं आकृति लगभग समान होता है। लेकिन कभी-कभी कुछ उतकों के आकार एवं आकृति में असमानता पाई जाती है, किन्तु उनकी उत्पत्ति एवं कार्य समान ही होते हैं। ऊतकों का निर्माण कोशिकायों से मिलकर होता है। ऊतक में समान संरचना और कार्य होते हैं। ऊतक के अध्ययन को ऊतक विज्ञान (Histology) कहते हैं।
ऊतक को दो भागो में बांटा गया है। -
- जंतु ऊतक (animal tissue)
- पादप ऊतक (Plant Tissue)
जंतु ऊतक
जंतु ऊतक पांच प्रकार के होते हैं-
- उपकला ऊतक (epithelial tissue)
- संयोजी ऊतक (connective tissues)
- पेशीय ऊतक (muscular tissues)
- तंत्रिका ऊतक (nervous tissues)
- जनन ऊतक(Reproductive Tissue)
उपकला ऊतक (epithelial tissue)
जंतु के शरीर के ढकने या बाह्य रक्षा प्रदान करने वाले ऊतक को उपकला ऊतक (epithelial tissue) कहते हैं।
ये कुछ ‘स्रावित ग्रन्थियाँ’ (Secratory Glands) जैसे- दुग्ध ग्रन्थियाँ (Mammalary Glands), स्वेद् ग्रन्थियाँ (Sweat Glands – पसीने की ग्रन्थियाँ) आदि में भी पाये जाते हैं। उपकला ऊतक (epithelial tissue) शरीर के बहुत से अंगों को तथा गुहिकाओं को ढकते हैं। ये भिन्न भिन्न प्रकार के शारीरिक तंत्रों को अलग करने के लिए अवरोध का निर्माण करती हैं। त्वचा, मुंह, आहारनली, रक्तवाहिनी, नली का अस्तर, फेफड़ों की कुपिका, वृक्कीय नली आदि सभी उपकला ऊतक से बनते हैं।
संयोजी ऊतक (connective tissues)
रक्त एक प्रकार का संयोजी ऊतक है। संयोजी ऊतक की कोशिकाएं आपस में कम जुड़ी हुई होती हैं और अंतर्कोशिकीय आधात्री में धंसी हुई होती हैं। यह आधात्री जैली की तरह, तरल, सघन या कठोर हो सकती है। आधात्री की प्रकृति विशिष्ट संयोजी ऊतक के कार्य अनुसार बदलती है।
अस्थि संयोजी ऊतक का उदहारण है। यह पंजर का निर्माण कर शरीर को आकार प्रदान करती है। यह मांसपेशियों को सहारा देती है और शरीर के मुख्य अंगों को सहायता प्रदान करती है। यह ऊतक मजबूत और कठोर होता है।
पेशीय ऊतक (muscular tissues)
पेशीय ऊतक लम्बी कोशिकाओं का बना होता है। जिसे रेशा भी कहा जाता है। यह शरीर की गति के लिए उत्तरदायी होते हैं। पेशियों में एक विशेष प्रकार की प्रोटीन होती है। जिसे सिकुड़ने वाला प्रोटीन कहलाता है। जिसके संकुचन और प्रसार के कारण गति होती है।
कुछ पेशियों की इच्छानुसार हम गति करा सकते हैं। हाथ और पैर में विद्यमान पेशियों को हम अपनी इच्छानुसार आवश्यकता पड़ने पर गति करा सकते हैं।
तंत्रिका ऊतक (nervous tissues)
सभी कोशिकाओं में उत्तेजना के अनुकूल प्रतिक्रिया करने की क्षमता होती है, यद्यपि तंत्रिका ऊतक की कोशिकाएं बहुत शीघ्र उत्तेजित होती हैं।और इस उत्तेजना को बहुत ही शीघ्र शरीर के एक स्थान से दुसरे स्थान तक ले जाती हैं। मस्तिष्क, मेरुरज्जु तथा तंत्रिकाएं तंत्रिका ऊतकों से बनी होती हैं। मस्तिष्क के धूसर भाग में ये कोशिकाएँ रहती हैं तथा श्वेत भाग में न्यूराग्लिया रहता है। कोशिकाओं से ऐक्सोन तथा डेंड्रॉन नाक प्रर्वध निकलते हैं। नाना प्रकार के ऊतक मिलकर शरीर के विभिन्न अंगों (organs) का निर्माण करते हैं। एक प्रकार के कार्य करनेवाले विभिन्न अंग मिलकर एक तंत्र (system) का निर्माण करते हैं।
जनन ऊतक (Reproductive Tissue)
यह संयोजी तंतु के समान होता है तथा शरीर का ढाँचा बनाता है। इसके अंतर्गत अस्थि तथा कार्टिलेज आते हैं। ये जनन कोशिकाओं में पाये जाते हैं जो नर में ‘स्पर्म‘ ( Sperm ) एवं मादा में ‘ओवा‘ ( Ova ) का निर्माण करते हैं।
पादप ऊतक (Plant Tissue)
पादप ऊतक को दो वर्गों में बांटा जाता है।-
- विभाज्योतकी ऊतक (meristematic tissue)
- स्थायी ऊतक (permanent tissue)
विभाज्योतकी ऊतक (meristematic tissue)
पौधों में वृद्धि कुछ निश्चित क्षेत्रो में ही होती है। ऐसा विभाजित ऊतकों के उन भागों में पाए जाने के कारण होता है।ऐसे ऊतकों को विभज्योतक कहते हैं। विभज्योतक के द्वारा तैयार नयी कोशिकाएं प्रारंभ में विभज्योतक की तरह होती हैं लेकिन जैसी ही ये बढती है इनके गुणों में धीरे धीरे परिवर्तन होने लगता है और ये दुसरे ऊतकों के घटकों के रूप में विभाजित हो जाती हैं।
विभज्योतक की कोशिकाएं बहुत अधिक क्रियाशील होती हैं। , उनके पास बहुत अधिक कोशिकद्रव्य, कोशिका भित्ति, और केन्द्रक होते हैं। उनके पास रस्धानी नहीं होती।
विभाज्योतक तीन प्रकार के होते हैं।
- शीर्षस्थ विभाज्योतक ऊतक (Apical meristem)
- पार्श्व विभाज्योतक ऊतक (lateral meristem)
- अंतवृस्ति विभाज्योतक ऊतक (Intercalary meristem)
स्थायी ऊतक (permanent tissue)
विभज्योतक एक विशिष्ट कार्य करती हैं और विभाजित होने की शक्ति को खो देती है। जिसके फलस्वरूप वह स्थायी ऊतक का निर्माण करती है। इस प्रकार एक विशिष्ट कार्य करने के लिए स्थायी रूप और आकर लेनी की प्रक्रिया को विभेदीकरण कहते हैं। विभज्योतक की कोशिकाएं विशिष्टीकृत होकर विभिन्न प्रकार के स्थायी ऊतक का विकास करती हैं।
स्थायी ऊतक