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हिन्दी के प्रश्न उत्तर | Hindi ke prashn ka uttar

जब भी आप किसी ऐसे पेपर की तैयारी करते हो जिसमें हिंदी विषय भी रहता है। तो उस परीक्षा में सामान्य हिन्दी के और हिंदी ग्रामर के प्रश्न आवश्यक रूप से पूछे जाते हैं।

इस पोस्ट में हम आपको सामान्य हिंदी के प्रश्न और उनके उत्तर MCQ टाइप के देने वाले है। (हिन्दी के प्रश्न उत्तर | Hindi ke prashn ka uttar)

सामान्य हिन्दी के महत्वपूर्ण प्रश्न | Hindi ka prashn ke uttar

hindi ke prashn uttar

हिन्दी के प्रश्न उत्तर |  Hindi ke prashn ka uttar

Prashn 1 - हिन्दी दिवस' किस दिन मनाया जाता है?

(A) 14 सितम्बर
(B) 28 सितम्बर
(C) 10 अक्तूबर
(D) 11 जून

Uttar: (A) 14 सितम्बर


Prashn 2 - भारत में सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा कौन सी है ?

(A) संस्कृत
(B) तमिल
(C) उर्दू
(D) हिंदी

Uttar: (D) हिंदी


Prashn 3 - निम्नलिखित प्रश्न में चार-चार शब्द दिये गये है। इनमें से कौनसा शब्द शब्दकोश में सबसे अन्त में आता है ?

(A) इश्तिहार
(B) इहलोक
(C) इष्ट
(D) इतराना

Uttar: (B) इहलोक


Prashn 4 - ‘इकसठ’ शब्द का सही संधि विच्छेद है-

(A) एक + साठ
(B) इक + सठ
(C) इक + साठ
(D) ऐक + सठ

Uttar: (A) एक + साठ


Prashn 5 - ब्रजभाषा' है ?

(A) पश्चिमी हिन्दी
(B) बिहारी हिन्दी
(C) पहाड़ी हिन्दी
(D) पूर्वी हिन्दी

Uttar: (A) पश्चिमी हिन्दी


Prashn 6 - वर्णमाला कहते हैं ?

(A) वर्णों के संकलन को
(B) शब्द गणना को
(C) वर्णों के व्यवस्थित समूह को
(D) शब्द के समूह को
Uttar: (C) वर्णों के व्यवस्थित समूह को

Prashn 7 - किस क्रमांक में वाक्य शुद्ध है-

(A) यह घी की शुद्ध दूकान है।
(B) ऐक्यता से उन्नति होती है।
(C) यह आँखों से देखी घटना है।
(D) आज मैं प्रातःकाल वहाँ गया।
Uttar: (D) आज मैं प्रातःकाल वहाँ गया।

Prashn 8 - पुष्प कौन-सा शब्द है ?

(A) तत्सम
(B) तद्भव
(C) देशज
(D) विदेशज
Uttar: (A)तत्सम

Prashn 9 - निम्नलिखित में से शुद्ध वाक्य कौनसा है-

(A) कृपया आज का अवकाश देने की कृपा करें।
(B) आज का अवकाश देने की कृपा करें।
(C) आज का अवकाश कृपया देने की करें।
(D) आज का कृपया अवकाश देने की कृपा करे।
Uttar: (B)आज का अवकाश देने की कृपा करें।

Prashn 10 - कितने अक्षरों के समूह को गण कहा जाता है-

(A) दो अक्षरों का समूह
(B) तीन अक्षरों का समूह
(C) चार अक्षरों का समूह
(D) पाँच अक्षरों का समूह
Uttar: (B)तीन अक्षरों का समूह

सामान्य हिन्दी के महत्वपूर्ण प्रश्न | Hindi ka prashn ke uttar


Prashn 11 - “मुख्य” का सही विलोम है-

(A) विमुख
(B) प्रतिमुख
(C) गौण
(D) सामान्य
Uttar: (C)गौण

Prashn 12 - ए, ऐ, ओ, औ कौन सा स्वर है ?

(A) हस्व स्वर
(B) दीर्घ स्वर
(C) संयुक्त स्वर
(D) इनमें से कोई नहीं
Uttar: (C)संयुक्त स्वर

Prashn 13 - ‘भारतीय सेना बहुत शक्तिशाली है’ वाक्य में ‘सेना’ संज्ञा है-

(A) व्यक्तिवाचक
(B) जातिवाचक संज्ञा
(C) समुदायवाचक
(D) भाववाचक संज्ञा
Uttar: (C)समुदायवाचक

Prashn 14 - वर्तमान हिंदी का प्रचलित रूप है

(A)अवधी
(B)ब्रजभाषा
(C)खड़ी बोली
(D)देवनागरी
Uttar: (C)खड़ी बोली

Prashn 15 - इनमे सयुंक्त व्यंजन कौन- सा है ?

(A) ज्ञ
(B) ड़
(C) ढ़
(D) ड
Uttar: (A) ज्ञ

Prashn 16 - हिन्दी वर्णमाला से स्वरों की कुल संख्या कितनी है ?

(A) 10
(B) 11
(C) 12
(D) 13
Uttar: (B) 11

Prashn 17 - “दुष्कर” का सही विलोम है-

(A)सबल
(B)सरस
(C)सरल
(D)तैयार
Uttar: (C)सरल

Prashn 18 - भारतीय संविधान में किन अनुच्छेदों में राजभाषा संबंधी प्रावधानों का उल्लेख है ?

(A)343-351 तक
(B)434-315 तक
(C)443-135 तक
(D)334-153 तक
Uttar: (A)343-351 तक

Prashn 19 - मात्राएँ कितने प्रकार के होते है ?

(A) दो
(B) तीन
(C) पाँच
(D)सात
Uttar: (B)तीन

Prashn 20 - निम्नलिखित में कौन स्वर नहीं है ?

(A) ए
(B) उ
(C) ञ
(D) अ
Uttar: (C) ञ

Prashn 21 - जातिवाचक संज्ञा नहीं है-

(A)शैशव
(B)लोहा
(C)लकड़ी
(D)पुस्तक
Uttar: (A)शैशव

Prashn 22 - “भोला” का सही विलोम है-

(A)चालाक
(B)तेजस्वी
(C)बुद्धिमान
(D)चंचल
Uttar: (A)चालाक

अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद (Translation from English to Hindi)

अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद (English se hindi me anuvad) 

नमस्कार, आंसर दुनिया में आपका स्वागत है। 10वी  और 12वी में हिंदी परीक्षा में अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद करने के लिए वाक्य = दिया जाता साथ ही मुहावरों से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते है और आज के इस पोस्ट में आप जानोगे अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद कैसे करे. एग्जाम पूछे ही जाते है बहुत से ऐसे स्टूडेंट है जिसने यह सवाल हल नहीं होता था और वह उस प्रश्न को छोड़ के चले जाते थे.

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नीचे बहुत सारे उदहारण के माध्यम से समझाया गया है कि अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद कैसे करे और उसके लिए फार्मूला भी दिया गया जिसका उपयोग कर के आप आसानी से प्रश्नों को हल कर सकते है 

अंग्रेजी भाषा की प्रकृति और हिन्दी भाषा की प्रकृति में पर्याप्त अन्तर है। अत: अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद करते समय निम्नलिखित निर्देशों का पालन करना चाहिये। 

(1) अंग्रेजी के To; far; on; in; by आदि के विशेष प्रयोग होते हैं। हिन्दी में इनके लिये क्रमशः ‘को', ‘के लिये’, ‘पर’, ‘के’ ‘द्वारा आदि अनुवाद ही सर्वत्र उपयुक्त नहीं होते हैं, 

जैसे -(1)He met me on the way.

सम्बंधित पोस्ट - हिंदी मुहावरे और उनके प्रयोग

अनुवाद – वह मुझे रास्ते में मिला। यहाँ 'on' के लिये 'पर' के स्थान पर 'में' संगत है। 

(2) हिन्दी की प्रकृति के अनुसार विशेषण उपवाक्य को कर्ता से पूर्व रखना अधिक संगत है। 

जैसे— The book that I purchased was the best. 

जो पुस्तक मैंने खरीदी सर्वश्रेष्ठ थी । कभी-कभी विशेषण उपवाक्य वाक्य के अन्त में भी रखे जा सकते हैं।

जैसे— There is a richman where kindness can not be imagined. 

एक ऐसा धनवान आदमी है, जिसकी दयालुता की कल्पना नहीं की जा सकती है। 

(3) अंग्रेजी वाक्यांशों और लोकोक्तियों के अनुवाद में भी समस्या आती है। यथावत् अनुवाद करने की प्रवृत्ति के कारण वाक्य-विन्यास ही अव्यवस्थित हो जाता है और अर्थ भी अस्पष्ट हो जाता है। डॉ. भाटिया के कुछ ऐसे ही अव्यवस्थित वाक्य-विन्यास वाले उदाहरण दृष्टव्य हैं

(क) भौंकता हुआ कुत्ता ज्यादा काम का, सोते हुए सिंह से 

(ख) नया पन्ना उलटे इतिहास । इन अनुवादों की वाक्यगत अव्यवस्था और अर्थगत अस्पष्टता को स्पष्ट करने की आवश्यकता नहीं है। 

(4) अंग्रेजी भाषा में कुछ ऐसी क्रियायें हैं, जो पूर्ण क्रियाओं के साथ-साथ सहायक क्रिया के रूप में भी प्रयुक्त होती हैं। ऐसी स्थिति में इनके अर्थ का भी विस्तार होता है। 

जैसे— (क) You shall not enter my house. 

अनुवाद- तुम मेरे घर में नहीं घुस सकते । 

(ख) I will go with you are frightened. 

अनुवाद—अगर डर लगता है, तो मैं तुम्हारे साथ चलूँगा। 

(ग) What would you care to drink. 

अनुवाद—क्या पियेंगे? 

(घ) That ought to be Raju's car. 

अनुवाद - वह कार राजू का होना चाहिए। 

(ङ) I had better go. अनुवाद—अच्छा हो ! अच्छा हुआ। 

उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि 

(1) Should और Would सामान्यत : Shall और Will का भूतकालिन रूप है। 

(2) Can, May और Might का प्रयोग आज्ञा लेने अथवा सम्भावना प्रकट करने के लिये किया जाता है। 

(3) Should, Must और Ought का सामान्य अर्थ ‘चाहिये' है। 

सम्बंधित पोस्ट अनुवाद क्या है ? प्रकार और विशेषताए

(4) Need सामान्यतः आवश्यकता का अर्थ देता है।. इस प्रकार हम देखते हैं कि should, would, can, may, might, must, ought, need क्रियायें विविध प्रसंगों में विभिन्न अर्थों का बोध कराती हैं। अत : अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद करते समय इन क्रियाओं के प्रयोग सन्दर्भों को ध्यान में रखना चाहिये। 

(5) Would, rather जैसे मुहावरों का भी अंग्रेजी में विशिष्ट प्रयोग है, 

जैसे— We would much rather go by air by sea. 

अनुवाद – समुद्री यात्रा की अपेक्षा हमें हवाई यात्रा अधिक पसंद है।

अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद के उदाहरण

(1) Please circulate and file. 

कृपया प्रसारित कर संचित करें। 

(2) Issue a memorandum today. 

आज ही स्मरण-पत्र जारी कीजिए। 

(3) Issue reminder urgently. 

आज ही ज्ञापन जारी कीजिए। 

(4) Needful action has been done. 

आवश्यक कार्यवाही कर दी गई है

(5) Application may be rejected

आवेदन अस्वीकृत किया जाता है। 

(6) Delay in returning the file regretted.

फाइल लौटाने में हुई देरी के लिए खेद है। 

(7) Smoking to much can bad for health. 

अधिक सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। 

(8) He is playing on violin. 

वह वायलिन बजा रहा है। 

(9) Morning walk is a good habit. 

सुबह टहलना एक अच्छी आदत है।

(10) You need not drive fast alone this narrow road. 

इस तंग सड़क पर तेजी से गाड़ी चलाना ठीक नहीं है। 

(11) You might at least tell now what happened? 

अब तो बता दो कि क्या हुआ ? 

(12) He was terrible economical. 

वह आर्थिक तंगी में था। 

(13) The matter is still consideration. 

मामला अभी विचाराधीन है। 

(14) He did first what he asked others to do. 

उसने दूसरे से जो करने को कहा, उसे पहले कर दिखाया।

(15) I will write a letter. 

मैं पत्र लिखूँगा। 

(16) There is no room in the car. 

कार में जगह नहीं है।

(17) Throughout his life he lived for others. 

जीवन पर्यन्त वह दूसरों के लिए जिया। 

(18) Tulsi was a great poet. 

तुलसी महान् कवि थे। 

(19) Mangoes have got ripened. 

आम पक गये हैं।

(20) You ought to find his book very interesting

आपको यह पुस्तक अवश्य ही बहुत रुचिकर लगेगी। 

(21) Will you open the door please

कृपया दरवाजा खोल देंगे। 

(22) Must you go home now. 

आपको घर जाना चाहिए। 

(23) I will go to Jagdalpur. 

मैं जगदलपुर जाने वाला हूँ। 

(24) Come here. 

यहाँ आओ। 

(25) Touch and go. 

छुओ और जाओ। 

(26) How do you do ? 

तुम कैसे हो ?

सम्बंधित पोस्ट - हिंदी लोकोक्तियों अथवा कहावते

इस आर्टिकल मे हमने अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद (Translation from English to Hindi) के बारे में जाना। विभिन्न परीक्षाओं में अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद (Translation from English to Hindi) से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।

उम्मीद करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा, अगर आपको आर्टिकल पसंद आये तो आर्टिकल को शेयर जरुर करें।

हिंदी मुहावरे और उनके प्रयोग (Hindi Idioms and their Uses)

हिन्दी मुहावरे और उनका प्रयोग (Hindi muhavare aur unke prayog)

आज के इस आर्टिकल में हमने आपके लिए हिंदी मुहावरे और उने प्रयोग लेकर आये है मुहावरा मूलत: अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है बातचीत करना या उत्तर देना। कुछ लोग मुहावरे को ‘रोज़मर्रा’, ‘बोलचाल’, ‘तर्ज़ेकलाम’, या ‘इस्तलाह’ कहते हैं, किन्तु इनमें से कोई भी शब्द ‘मुहावरे’ का पूर्ण पर्यायवाची नहीं बन सका।

muhavare-or-unke prayog


मुहावरे अधिकतर प्रतियोगी परीक्षाओ में पूछे जाते है परीक्षा में कभी 10 मुहावरे और उनके अर्थ या 20 मुहावरे और उनके अर्थ पूछते है साथ मुहावरा इन हिंदी 20 प्रश्न आते है हमने इस पोस्ट में 30+ से अधिक महत्वपूर्ण मुहावरे और उनके प्रयोग दिये है.


महत्वपूर्ण मुहावरे और उनके प्रयोग पोस्ट से पहले हिंदी लोकोक्तियों अथवा कहावते पोस्ट कर दिया गया है  आप लिंक पर क्लिक कर पोस्ट को पढ़ सकते है.

हिंदी मुहावरो का प्रयोग 

  1. अपना उल्लू सीधा करना - स्वार्थ सिद्ध करना। 
    प्रयोग - आजकल के राजनीतिज्ञों से राष्ट्र सेवा की उम्मीद क्या करना !

  2. अग्नि परीक्षा - परख करना ।
    प्रयोग - राम ने सीता के स्त्रीत्व की अग्नि परीक्षा ली थी। 

  3. अन्धों में काना राजा - मूर्खों के बीच अल्पज्ञ व्यक्ति ।
    प्रयोग - सरपंच साहब तो स्कूल का मुँह भी नहीं देखे हैं, परन्तु ग्रामीण क्षेत्र में अन्धों में काना राजा बने हुए हैं। 
  4. अंधे की लकड़ी - एक मात्र सहारा । 
    प्रयोग - निशांत अपने पिता की अंधे की लकड़ी है। 

  5. अपने पैरों पर खड़ा होना - आत्मनिर्भर होना । 
    प्रयोग - लम्बी बेरोजगारी के बाद श्याम अंतत : अपने पैरों पर खड़ा हो ही गया। \

  6. अक्ल का दुश्मन - महामूर्ख
    प्रयोग– - ऐसे भी अक्ल के दुश्मन होते हैं जो तैरना नहीं जानते किन्तु गहरी नदी में कूद पड़ते हैं। 

  7. आस्तीन का साँप - धोखा देने वाला साथी ।
    प्रयोग - मैंने राम प्रसाद को निकटतम मित्र समझा था पर वह तो आस्तीन का साँप निकला।

  8. आड़े हाथों लेना - खरी
    प्रयोग - परीक्षा के समय विनोद ने रमेश की कॉपी ले जाकर अपने पास रख ली। मिलने पर विनोद ने रमेश को आड़े हाथों लिया । 

  9.  आसमान सिर पर उठाना - बहुत शोर करना । 
    प्रयोग - कभी तो शांत रहना भी सीखो ! हमेशा आसमान सिर पर उठाये रखते हो । 

  10. आँखों का तारा - परम प्रिय । 
    प्रयोग - कृष्ण, नंद

  11. औने-पौने करना -
    प्रयोग - घर में रखे पौने कर लो।
  12.   
  13. चिकना घड़ा - बेअसर 
    प्रयोग - अक्सर इकलौते बेटे माँ

  14. छक्के छुड़ाना - बुरी तरह हराना ।
     प्रयोग - सेना पर इतनी भारी पड़ी कि कुछ ही मिनटों में छक्के छुड़ा दिए।

  15. भीगी बिल्ली बनना - भय के कारण दबकर रहना । 
    प्रयोग - साहब कार्यालय में तो बहुत गुरति हैं, परन्तु घर आते ही मेम साहब को देखकर भीगी बिल्ली बन जाते हैं। 

  16. रंगा सियार - धूर्त व्यक्ति । 
    प्रयोग - उस पर कदापि विश्वास मत करना, वह बिल्कुल रंगा सियार है।

  17. ईद का चाँद होना - बहुत दिनों के बाद दिखाई देना। 
    प्रयोग - अरे भाई! तुम तो बिल्कुल ही ईद के चाँद हो गये हो इन दिनों । 

  18. एक आँख से देखना - सबको बराबर समझना। 
    प्रयोग - राजा को अपनी सभी प्रजा को एक आँख से देखना चाहिए।

  19. कच्चा चिट्ठा खोलना - भेद प्रकट करना । 
    प्रयोग - अब ज्यादा बोलोगे तो मैं चुप नहीं रहने वाला हूँ, कच्चा चिट्ठा खोलकर रख दूँगा। 

  20. कलम तोड़ना - बढ़िया लिखना।
    प्रयोग - वाह ! क्या अच्छा लिखा है। तुमने तो कलम तोड़ दी।

  21. कमर तोड़ना - कमजोर करना । 
    प्रयोग - महँगाई ने गरीबों की कमर तोड़ दी है। 

  1. कमर कसना - तैयार होना ।
    प्रयोग - सीमा पर हमारे सैनिक कमर कसकर जंग के लिए तैयार रहते हैं। 

  2. कागज काले करना - व्यर्थ लिखना । 
    प्रयोग - उनकी मर्जी के सामने किसी की तो चलती नहीं, कागज काले करने से क्या होगा ? 

  3. कान का कच्चा होना - दूसरे की बात पर विश्वास करना ।
    प्रयोग - तुम तो बिल्कुल ही कान के कच्चे हो तभी रामू की बात में आ जाते हो। 

  4. गाल बजाना - बेकार की बात करना ।
    प्रयोग - तुम्हें तो कोई काम है ही नहीं गाल बजाने के सिवा 

  5. घाव पर नमक छिड़कना - दुःखी को और दुःखी करना । 
    प्रयोग - क्यों मेरे घाव पर नमक छिड़क रहे हो? कितना नुकसान तो उठा चुका हूँ। 

  6. घी के दिये जलाना - प्रसन्नता प्रकट करना । 
    प्रयोग - 15 अगस्त 1947 को भारत में घर

  7. घाट-घाट का पानी पीना - अत्यन्त अनुभवी । 
    प्रयोग - राम को मूर्ख बनाना आसान नहीं है, वह घाट-घाट का पानी पीया है। 

  8. टका सा जवाब देना 
    प्रयोग - इस बार भी जब चंदा देने की बात उठी तो उसने टका सा जवाब दे दिया। 

  9. टेढ़ी खीर - कठिन कार्य । 
    प्रयोग - मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलना टेढ़ी खीर है।  

  10. दाल में काला होना - सन्देह जनक बात होना। 
    प्रयोग - आपकी बातों से साफ जाहिर होता है कि दाल में कुछ काला है।

  11. नौ दो ग्यारह होना - भाग जाना ।
    प्रयोग - सिपाही को देखकर चोर नौ दो ग्यारह हो गये। 

  12. लाल - पीला होना
    प्रयोग - लाल पीला होकर भी वह मेरा क्या बिगाड़ लेगा! मैं कोई गुलाम हूँ उसका ! 

  13. लोहे के चने चबाना - कठिन कार्य करना । 
    प्रयोग - निशांत ने आई.आई.टी. परीक्षा उत्तीर्ण होने के लिए लोहे के चने चबाना स्वीकार किया। 

  14. हवा से बात करना - बहुत तेज चलना।
    प्रयोग - देखते ही देखते राणा का चेतक हवा से बात करने लगा था। 

  15. मौत सिर पर मँडराना - संकटों से घिरे रहना। 
    प्रयोग - सैनिकों के सर पर मौत हमेशा मँडराते रहती है, उनके जीवन का क्या भरोसा ? 

  16. रफ्फू चक्कर होना - गायब होना ।
    प्रयोग - पुलिस को देखते ही चोर रफ्फू चक्कर हो गये। 

  17. घोड़े बेचकर सोना - निश्चिन्त सोना । 
    प्रयोग - चोर सारा सामान उठा ले गये वह घोड़े बेचकर सोता रहा । 

  18. चुटकी लेना - व्यंग्य करना । 
    प्रयोग - रामनारायण उपाध्याय ऐसी चुटकी लेते हैं कि आदमी तिलमिला जाता है। 

  19. चार चाँद लगाना - प्रतिष्ठा बढ़ाना । 
    प्रयोग - आपके पधारने से समारोह में चार चाँद लग गये।

  20. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना - भयभीत होना । 
    प्रयोग - आयकर वालों के छापों से शहर भर के अधिकारियों के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं। 

  21. चुल्लू भर पानी में डूब मरना - लज्जाजनक स्थिति।
    प्रयोग - तुम जैसे दुःश्चरित्र इंसान को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए। 

  22. छाती पर साँप लोटना - ईर्ष्या करना । 
    प्रयोग - गजाधर के प्रमोशन की खबर सुनकर मुरलीधर की छाती पर साँप लोटने लगे।. 

  23. छाती पर पत्थर रखना - धैर्य रखना। 
    प्रयोग - अपने बेटे के सुख की खातिर दीना अपने पति के विछोह को छाती पर पत्थर रखकर सहती रही । 

  24. जले पर नमक छिड़कना - दुःखी को अधिक दुःखी करना । 
    प्रयोग - मोहन को परीक्षा में फेल करवाने के बाद उससे परीक्षाफल पूछना जले पर नमक छिड़कना है। 

  25. जूतियाँ चटकाना - इधर
    प्रयोग - आजकल अच्छे

  26. टके सेर बिकना - बहुत सस्ता | 
    प्रयोग - आजकल पढ़े

  27. भूख मारना - समय बरबाद करना ।  
    प्रयोग - नदी में मछली मारना भूख मारना कहलाता है।

  28. तीसमार खाँ बनना - अपने को विशिष्ट समझना। 
    प्रयोग - इनाम मिलने के बाद मीरा अपने आप को बड़ी तीसमार खाँ समझने लगी। 

  29. तूती बोलना - प्रभावी होना। 
    प्रयोग - गाँधीजी की पूरे देश में तूती बोलती थी।
  30. रंगा सियार - धूर्त व्यक्ति । 
    प्रयोग - उस पर कदापि विश्वास मत करना, वह बिल्कुल रंगा सियार है।



muhavare or unke upyog FAQs

1. 2 बात से जुड़े कई मुहावरें प्रचलित है 10 मुहावरें लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए?

बातों ही बातों में - उमेश ने बातों ही बातों में मेरा मकान खरीद लिया। 4. बात का धनी होना - समाज में उस व्यक्ति का सम्मान होता है जो अपनी बात का धनी होता है

2. मुहावरे कैसे होते हैं?

मुहावरा एक ऐसा वाक्य होता है जो वाक्य की रचना करने पर अपना एक अलग अर्थ या विशेष अर्थ प्रकट करता है इनका प्रयोग करने से भाषा,आकर्षक, प्रभावपूर्ण तथा रोचक बन जाती है।

3. शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए?

"नीचे थोड़े-से शब्दों में सेठजी ने उस पैगाम की सिफारिश की थी।" - शब्दों में शब्द का उपयोग प्रेमचंद ने अपनी कहानी अनाथ लड़की इस प्रकार किया है. "विनम्र शब्दों में बोला—क्षमा कीजिएगा, मुझसे बड़ा अपराध हुआ।" - शब्दों में शब्द का उपयोग प्रेमचंद ने अपनी कहानी एक्ट्रेस इस प्रकार किया है.

इस आर्टिकल में हमने हिंदी मुहावरे और उनके प्रयोग (Hindi Idioms and their Uses) के बारे में जाना। किसी  भी बात को व्यंग्य के तौर पर कहने के लिए या बातों को प्रभावी बनाने के लिए मुहावरे का प्रयोग किया जाता है। साथ ही विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुहावरे से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं।

उम्मीद करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगी, यदि आपको आर्टिकल अच्छी लगी हो तो आर्टिकल को शेयर जरुर करें।

अनुवाद क्या है ? अनुवाद के रूप, विशेषतायें और उद्देश्य (What is translation in Hindi)

अनुवाद क्या है ? इसके कितने रूप हैं ?  anuvad kya hai 


नमस्कार, आंसर दुनिया में आपका स्वागत है। आज के इस आर्टिकल में हम अनुवाद -अर्थ , विशेषताएं ,प्रकार और अनुवाद के उद्देश्य के बारे में विस्तार से जानेंगे। अनुवाद संस्कृत के 'अनु' तथा 'वाद' शब्द से बना है 'वाद' 'वद्' धातु से बना है जिसका अर्थ होता है कहना या बोलना 'वाद' का अर्थ है 'कही हुई बात' अनु उपसर्ग लग जाने से अर्थ हुआ 'कही हुई बात को कहना' अनुवाद कहते हैं। अनुवाद दो भिन्न-भिन्न भाषी लोगों के मध्य संपर्क का साधन बनता है । विभिन्न परीक्षाओं में भी अनुवाद से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।

अनुवाद क्या है ? अनुवाद को कई लोगो ने अपने अनुसार अनुवाद को परिभाषित किया है जो नीचे दिया गया हैं.

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अनुवाद क्या है?(What is translation)

अनुवाद भाषाओं के बीच संप्रेषण की एक प्रक्रिया है। अनुवाद का शाब्दिक अर्थ है कि किसी के कहने के बाद कहना या पुनः कथन या कह सकते है उसे दोहराना जैसे कोई इंग्लिश में बोल रहा है उसे हिंदी में अनुवाद करना। ट्रांसलेशन(अनुवाद) शब्द अंग्रेजी के ट्रांस और लेशन के सहयोग से बना है जिसका अर्थ होता है पार ले जाना।

देवेन्द्रनाथ शर्मा : ‘विचारों को एक भाषा से दूसरी भाषा में रूपान्तरित करना अनुवाद है।’

विश्व में अनेक भाषाएँ प्रचलित हैं। हमें एक-दूसरे के विचारों एवं भावों को समझने की आवश्यकता - महसूस होती है। यह कार्य अनुवाद के द्वारा सम्भव हो पाता है। अनुवाद के द्वारा एक भाषा बोलने और जानने वाला व्यक्ति, दूसरी भाषा बोलने और जानने वाले तक अपने विचारों का सम्प्रेषण सहजता से कर सकता है। अंग्रेजी के प्रसिद्ध भाषाविद जे. सी. केटफर्ड के अनुसार “अनुवाद एक भाषा (स्रोत भाषा) की मूल पाठ सामग्री का दूसरी भाषा (लक्ष्य भाषा) में समानार्थक मूल पाठ सामग्री का स्थानापन्न हैं 

इन्हें भी पढ़े Hindi Bhasha ke Important Question Answer

अनुवाद इसके तीन रूप प्रकट होते हैं 

(1) शाब्दिक अनुवाद - इसमें मूल भाषा या स्रोत की शब्द - योजना, वाक्य विन्यासादि का दूसरी भाषा या लक्ष्य भाषा में लगभग ज्यों का त्यों अनुवाद किया जाता है। इसे शाब्दिक अनुवाद की संज्ञा दी जाती है। 

(2) भाषानुवाद - इसके अन्तर्गत मूल भाषा या स्रोत भाषा की शब्द - योजना, वाक्य-विन्यास आदि को दृष्टि में न रखकर शब्दों एवं वाक्यों में निहित मूल भाव पर विशेष ध्यान रखा जाता है तथा अनुवाद किया जाता है। 

(3) रूपान्तर- अनुवाद के इस स्वरूप के अन्तर्गत अनुवादक मूलभाषा या स्रोत भाषा के समस्त कथन को दूसरी भाषा या लक्ष्य भाषा में अनुदित करने के लिए उसमें यथेष्ट परिवर्तन कर देता है। इसमें अनुवादक की रुचि एक प्रकार से हावी हो जाती है।

अनुवाद के उद्देश्य?(purpose of translation)

अनुवाद के मुख्यतः तीन उद्देश्य हैं 

(1) दूसरी भाषा के साहित्य से अपनी भाषा-साहित्य को समृद्ध करना । 

(2) दूसरी भाषाओं की शैलियों, मुहावरों, दार्शनिक तथ्यों, वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान की प्राप्ति करना 

(3) विचार विनिमय

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अनुवाद की आवश्यकता (translation needed) - 

संसार में अनेक मानव समुदाय हैं एवं सैकड़ों भाषाएँ हैं। मानव समुदायों अनुवाद की आवश्यकता को एक-दूसरे को समझने एवं निकट आने की दिशा में इनकी भाषाएँ बाधा उपस्थित करती हैं। इस बाधा को दूर करने और एक मानव समुदाय की ज्ञान-विज्ञान की उपलब्धि को सम्पूर्ण मानवता के लिए सुलभ कराने का महत्वपूर्ण कार्य अनुवाद के द्वारा ही सम्पन्न होता है। 

अनुवाद के द्वारा एक भाषा को बोलने और जानने वाले, दूसरी भाषा बोलने और जानने वालों तक अपने भावों और विचारों का सम्प्रेषण कर सकते हैं। आज का युग ज्ञान-विज्ञान के विकास का युग है। मानव नित नये आविष्कार कर रहा है। इस युग में ज्ञान राशि किसी एक मानव समुदाय तक सीमित होकर नहीं रह सकती। उसे विश्वव्यापी होना ही है और यह कार्य अनुवाद द्वारा पूर्ण होता है। इस दृष्टि से विचार करने पर अनुवाद की महती आवश्यकता और उसके निर्विवाद महत्व से इंकार नहीं किया जा सकता है। 

आज अनुवाद ऐसी आवश्यकता बन गया है जो विश्व के विविध मानव समुदायों को परस्पर जोड़ने और ज्ञान-विज्ञान को मानव मात्र के लिए सुलभ कराने का एक मात्र उपाय है। 

लक्ष्य भाषा एवं स्रोत भाषा में अन्तर - लक्ष्य भाषा वह भाषा है, जिसमें अनुवाद किया जाता है। स्रोत भाषा वह भाषा है, जिसकी पाठ्य सामग्री का अनुवाद किया जाना है।

अनुवाद की विशेषताएं (Features of translation)

एक अच्छे अनुवादक के गुण या विशेषताएँ निम्नलिखित हैं के 

(1) स्रोत भाषा की सामग्री को लक्ष्य भाषा में सावधानीपूर्वक प्रस्तुत करने की क्षमता होनी चाहिए। 

(2) अच्छे अनुवाद के लिए अभिव्यक्ति सुबोध, प्रांजल और प्रवाहमयी होती है। 

(3) अनुवाद मूलत : भावानुवाद होना चाहिए, शाब्दिक रूपान्तरण भर नहीं । 

(4) एक अच्छे अनुवाद में मूल रचना की भाषा-शैली सुरक्षित होना चाहिए |  

(5) अनुवाद की भाषा स्रोत भाषा की प्रकृति के अनुसार होनी चाहिए। अत : अनुवादक को स्रोत भाषा की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से परिचित होना चाहिए। 

(6) अच्छे अनुवाद की भाषा सुबोध होनी चाहिए, जिससे कि आसानी से समझ में आ सके। 

(7) अनुवाद की प्रक्रिया में स्रोत भाषा की प्रतीक व्यवस्था को लक्ष्य भाषा के अनुरूप परिवर्तित करना होता है, इसलिए स्रोत भाषा के समानार्थी प्रतीक ही लक्ष्य भाषा में खोजना चाहिए। 

(8) अनुवाद जीवन्त हो तथा उसकी भाषा में प्रवाहमयता हो । 

(9) शब्दों को स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा में रूपान्तरित करते समय उसके लिंग, वचन और व्याकरणिक रूपों की संगति का ध्यान रखना आवश्यक है। 

(10) एक अच्छा अनुवादक वह होता है, जिसे स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा पर पूरा अधिकार हो । दोनों भाषाओं की संरचनात्मक बनावट, पदबंध-प्रयोग, वाक्य गठन आदि को अच्छी तरह समझता हो ।

(11) अनुवादक को संदेह निवारणकर्ता होना चाहिये  अनुवादक के सामने बहुत सारे समस्याएंआते है जिसका  निवारण करने की क्षमता होनी चाहिये.

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अनुवाद के क्षेत्र (field of translation)

अनुवाद का क्षेत्र आज के समय में बहुत ज्याद उपयोग में लाया जा रहा है अनुवाद हम हर क्षेत्र में उपयोग किया जाता है सायद ही कुछ क्षेत्र बचा होगा जिसमे अनुवाद का का उपयोग न हो अनुवाद के क्षेत्र जैसे - कोर्ट में मनोरंजन में, शिक्षा में साहित्य में और खेलो में क्षेत्र में अनुवाद का उपयोग होता ही है कुछ अनुवाद के क्षेत्र है निचे दिया गे है.

1. न्यायालय (कोर्ट) में - 

अभी के समय लोग मॉडर्न हो गये हैं सभी जगह इंग्लिश का उपयोग होता है और होता ही  रहेगा लेकिन बहुत से ऐसे लोग जिनको इंग्लिश बोलने, समझाने, और सिखने में बहुत सारी मुसीबतों का सामना करना पढता है इससे निजाद पाने के लिए अनुवादक का उपयोग करते है.

2. शिक्षा के क्षेत्र में -

एजुकेशन आज के समय में हर मनुष्य होना ही चाहिये शिक्षा के क्षेत्र में स्टूडेंट को इंग्लिश सब्जेक्ट को लेकर थोड़ी बहुत चिंता तो रहता है खास कर मेडिकल लाइन पूरा इंग्लिश का उपयोग होता है इसी को आसन बनाने के लिए अनुवाद (Translation) का उपयोग किया जाता है.

3. सरकारी कार्यालय - 

आजादी से पहले अंग्रेजो का शासन था और उस समय अंग्रेजी का दौर था अंग्रेजो के जाने के बाद हमारी मातृभाषा हिंदी को जगह मिली साथ ही सरकारी कार्यालय में दस्तावेज़ का हिंदी अनुवाद जरुर हो गया है अब सभी सरकारी कार्यालय में अनुवाद चलता है.

4. खेलो में क्षेत्र -

हमारे देश में अलग अलग तरह के खेल खेले जाते है और अलग अलग भाषा में होता है उस भाषा को समझने के लिए अनुवाद की जरुर पढ़ती है. 

अनुवाद की पूरी जानकारी आपके ऊपर जाना अनुवाद का आज के समय में बहुत ज्यादा उपयोग में लाया जाता है और आगे भी अनुवाद चलते रहेगा. आज के जानकारी भरी जानकारी हमने अपने जाना नुवाद क्या है ? अनुवाद के उद्देश्य, अनुवाद कि आवश्यकता, अनुवाद के क्षेत्र, इन सब के बारे में ऊपर बिलकुल सरल शब्दों में जाना.

आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगी ,अगर आपको आर्टिकल पसंद आये तो आर्टिकल को शेयर जरुर करें।

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अनुवाद से जुड़े 

FAQs

1. अनुवाद क्या है अनुवाद के प्रकार लिखिए?

अनुवाद के प्रकारों का विभाजन दो तरह से किया जा सकता है। पहला अनुवाद की विषयवस्तु के आधार पर और दूसरा उसकी प्रक्रिया के आधार पर उदाहरण के लिए विषयवस्तु के आधार पर साहित्यानुवाद कार्यालयी अनुवाद, विधिक अनुवाद, आशुअनुवाद, वैज्ञानिक एवं तकनीकी अनुवाद, वाणिज्यिक अनुवाद आदि

2. किसी सरकारी कार्यालय में कौनसा अनुवाद किया जाता है?

कार्यालयी हिन्दी का प्रयोग सरकारी, अर्ध-सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों में काम-काज में होता है जहाँ हिन्दी में मसोदा लेखन, टिप्पणी लेखन, पत्राचार, संक्षेपण, प्रतिवेदन, अनुवाद आदि करना पड़ता है। प्रशासनिक भाषा और बोलचाल की भाषा में पर्याप्त अन्तर पाया जाता है।

3. सरकारी कामकाज की भाषा कौन सी है?

सरकारी कामकाज में हिन्दी का प्रयोग जरूरी है। 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने हिन्दी भाषा को भारत संघ की राजभाषा के रूप में मान्यता दी ।

4. हमारे देश की राष्ट्रीय भाषा कौन सी है?

भारतीय संविधान में भारत की कोई राष्ट्र भाषा नहीं है। सरकार ने 22 भाषाओं को आधिकारिक भाषा के रूप में जगह दी है। जिसमें केन्द्र सरकार या राज्य सरकार अपने जगह के अनुसार किसी भी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में चुन सकती है। केन्द्र सरकार ने अपने कार्यों के लिए हिन्दी और रोमन भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में जगह दी है।

हिंदी लोकोक्तियाँ अथवा कहावतें (Hindi proverbs or sayings)

हिंदी लोकोक्तियाँ अथवा कहावतें (Hindi proverbs or sayings)

आज के इस लेख में पचास मुहावरे और कहावतों का अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग करना सीखने वाले है इससे पहले आपको बता दे कि लोकोक्तियों और कहावतें किसे कहते है.

"लोकोक्ति शब्द दो शब्दों से मिल कर बना है  — लोक + उक्ति। लोक में चिरकाल से प्रचलित कथन लोकोक्ति कहलाता है।"

लोकोक्तियों को हिंदी साहित्य करो ने अलग अलग तरीकों से परिभाषित किया है चलिए एक नजर उनपर भी डाल लेते हैं  

Hindi proverbs or sayings


"डॉ. भोलानाथ तिवारी के अनुसार, “विभिन्न प्रकार के अनुभवों, पौराणिक तथा ऐतिहासिक व्यक्तियों एवं कथाओं, प्राकृतिक नियमों एवं लोक विश्वास आदि पर आधारित चुटीला, सरगर्भित, सजीव, संक्षिप्त लोक प्रचलित ऐसी उक्तियों को लोकोक्ति कहते हैं जिनका प्रयोग बात की पुष्टि या विरोध, सीख तथा भविष्य कथन आदि के लिए किया जाता है।” 

तो ऊपर अपने जाना कि लोकोक्तियों क्या है अब जानते है कहावतें किसे कहते है.

कहावत आम बोलचाल में प्रयोग होने वाले उस वाक्यांश को कहते हैं जिसका सम्बन्ध किसी न किसी पौराणिक कहानी से जुड़ा हुआ होता है। कहीं कहीं इसे मुहावरा अथवा लोकोक्ति के रूप में भी जानते हैं। कहावतें प्रायः सांकेतिक रूप में होती हैं।

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(1) एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है - एक बुरा व्यक्ति सारे परिदृश्य को बुरा बना देता है। 

प्रयोग- सुखराम की रिश्वतखोरी ने सारी पार्टी को भ्रष्ट कर दिया। एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है। 

(2) अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनना- अपनी प्रशंसा स्वयं करना । 

प्रयोग - रहने दीजिए, अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना उचित नहीं है।

(3) अपनी करनी पार उतरनी- अपने किए का फल स्वयं भोगना पड़ता है।

प्रयोग - राम ने चोरी तो कर ली अब न्यायालय से उसे सजा ही मिलेगी। सच ही कहा गया है- अपनी करनी पार उतरनी। उसकी सजा में दूसरा कौन भागीदार बनेगा ? 

(4) अपनी गली में कुत्ता भी शेर – कमजोर भी अपने इलाके में ताकतवर होता है। 

प्रयोग - राम मोहन को अपने छत पर खड़ा होकर गालियाँ बक रहा था। मोहन ने कहा- छत से नीचे आ। अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है। 

(5) आप भला तो जग भला - भले के लिए सब भले होते हैं । 

प्रयोग–संत पुरुष कभी किसी के दुर्गुण नहीं देखते वे सदैव आप भला तो जग भला की नीति का पालन करते हैं।

(6)मुद्दई सुस्त गवाह चुस्त- मुख्य व्यक्ति निश्चिंत, सहयोगी चिंतित । 

प्रयोग—मोहन अपने विवाह के प्रति लापरवाह है, लेकिन उसके मित्र सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त । 

(7) आम के आम गुठलियों के दाम– दोहरा लाभ। 

प्रयोग—मिलो से निकलने वाले अनुपयोगी पदार्थ भी अन्य कार्यों में उपयोगी बन जाते हैं। सच है आम के आम गुठलियों के दाम 

(8) ओछे के घर जाना, जनम-जनम का ताना - नीच व्यक्ति किसी का काम करके उसे जन्म भर देता रहता है।

प्रयोग–सरनाम सिंह ने एक-दो बार मेरी सहायता कर दी है लेकिन अब वह सभी जगह इसी बात को कहता फिरता है। सच है, ओछे के घर जाना, जनम-जनम का ताना। 

(9) एक पंथ दो काज - एक साथ दो काम होना । 

प्रयोग- शासकीय कार्य से मुम्बई तो जा ही रहे हो तो बुआ से भी मिल आना । एक पंथ दो काज । 

(10) एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकतीं - प्रतिद्वन्द्वी एक साथ नहीं रह सकते। 

प्रयोग- यदि तुम सुरेश का पक्ष लेते रहोगे तो हमसे सम्बन्ध टूट जायेंगे, क्योंकि एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकतीं

(11) एक अनार सौ बीमार - कम वस्तुएँ माँग अधिक 

प्रयोग - जहाँ भी नौकरी के लिए जाओ सैकड़ों बेरोजगार मिलते हैं। सच है एक अनार सौ बीमार 

(12) एक और एक ग्यारह होते हैं - एकता में शक्ति होती है। 

प्रयोग - आप सब मिलकर अन्याय के खिलाफ लड़ोगे तो निश्चित ही सफलता मिलेगी, क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं। 

(13) एक ही थाली के चट्टे-बट्टे - सब एकसमान। 

प्रयोग- नेता किसी भी दल के क्यों न हों सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं। 

(14) हाथ कंगन को आरसी क्या - प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। 

प्रयोग - एक नजर ताजमहल को देख लेने से उसकी सुन्दरता अपने आप स्पष्ट हो जायेगी हाथ कंगन को आरसी क्या । 

(15) कौआ चले हंस की चाल - बड़ों की हास्यास्पद नकल । 

प्रयोग–नये-नये कलाकार जब बड़े-बड़े कलाकारों की नकल करते हैं, तो लोग सहसा कह उठते हैं— कौआ चले हंस की चाल

(16) खोदा पहाड़ और निकली चुहिया– अधिक परिश्रम और लाभ कम । 

योग—मंत्री जी पर आरोप तो बहुत लगे पर एक भी सिद्ध नहीं हुआ खोदा पहाड़ और निकली चुहिया चरितार्थ हो गई। 

(17) चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात - समय परिवर्तनशील होता है। 

प्रयोग- कल तक साँस लेने की फुर्सत नहीं थी अब मक्खी मारना पड़ रहा है यह सच है कि चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात 

(18) पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं - पराधीन जीवन, दुःखी जीवन । 

प्रयोग—जब नौकरी में आ गये हो तो सोच लो पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं। 

(19) मन चंगा तो कठौती में गंगा - मन पवित्र है तो घर में ही तीर्थ है। 

प्रयोग-मन चंगा तो कठौती में गंगा कहावत चरितार्थ करते हुए उसने दीन-दुःखियों की मदद की तीर्थ यात्रा की बात नहीं सोची ।

(20) आये थे हरिभजन को ओटन लगे कपास - उद्देश्य भूलकर किसी अन्य कार्य में लगना । प्रयोग–वह उच्च शिक्षा पाने विदेश गया पर वहाँ व्यवसाय करने लगा। आये थे हरिभजन को ओटन लगे 

(21) आसमान से गिरा, खजूर में अटका - एक बाधा से निकलकर दूसरी बाधा में फँसना । प्रयोग–केन्द्र सरकार से यह विधेयक पास हो गया, परन्तु राज्य सरकार इसे लटकाकर आसमान से गिरा खजूर में अटका कहावत चरितार्थ कर रही है। 

(22) गेहूँ के साथ घुन भी पीसता है —गलती में साथ रहने वाला भी दोषी ठहराया जाता है। 

प्रयोग–मोहन ने चोरी की थी किन्तु सबने उसके साथ रहने वाले मित्र सोहन को भी दोषी ठहरा दिया। कहा ही गया है कि-गेहूँ के साथ घुन भी पीसता है। 

(23) घर का भेदी लंका ढाये - पारिवारिक फूट के दुष्परिणाम 

प्रयोग–भारत पर विदेशियों का कब्जा हमारी आपसी फूट का परिणाम है, क्योंकि घर का भेदी लंका ढाये। 

(24) जैसी बहे बयार, पीठ पुनि तैसी कीजे - परिस्थिति के अनुसार चलना चाहिए। 

प्रयोग–नये प्राचार्य के आने पर प्रभारी प्राचार्य ने अपने कार्य-कलाप उसी की पसंद के अनुरूप बना लिये। जैसी बहे बयार पीठ पुनि तैसी कीजे । 

(25) जैसे नागनाथ वैसे साँपनाथ- दोनों विकल्प एक जैसे दूषित होना । 

प्रयोग - जैसी नयी सरकार है वैसी ही पुरानी सरकार भी। जैसे नागनाथ, वैसे साँपनाथ ।

(26) तू डाल-डाल मैं पात-पात - एक-दूसरे से बढ़कर चतुर होना । 

प्रयोग - मना करने पर भी जब अखाड़े वालों ने चौराहे पर सभा की तो नगरपालिका वालों ने बिजली गुल करवा दी तू डाल-डाल तो मैं पात-पात । 

(27) तीन लोक से मथुरा न्यारी- अपरम्परागत कार्य करना । 

प्रयोग – रोहित गर्मी के दिनों में भी रजाई ओढ़कर सोता है, उसकी तो तीन लोक से मथुरा न्यारी है। 

(28) थोथा चना बाजे घना - अल्पज्ञ द्वारा ज्ञान का प्रदर्शन 

प्रयोग- हमारे गणित के प्राध्यापक को अपने गणितज्ञ होने का बहुत घमण्ड था। एक दिन मैंने उनसे एक सवाल हल करने को दिया। वे साधारण सा सवाल हल नहीं कर सके। स्पष्ट हो गया वो थोथा चना बाजे घना वाली श्रेणी के व्यक्ति थे । 

(29) जहाँ चाह वहाँ राह - संकल्प पूरे किये जा सकते हैं। 

प्रयोग- शास्त्रीजी उफनती नदी में तैरकर परीक्षा देने गये। जहाँ चाह वहाँ राह । 

(30) जिन ढूँढ़ा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैठ - प्रयास करने पर ही सफलता मिलती है। 

प्रयोग—गरीब विद्यार्थी ज्ञानेश्वर ने पुस्तकालयों में बैठ-बैठकर अध्ययन पूर्ण किया और प्रथम श्रेणी प्राप्त की, जिन ढूँढ़ा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैठ । 

(31) सिर मुड़ाते ही ओले पड़े - कार्यारम्भ में ही विपत्ति आ जाना।

प्रयोग–नए घर में आते ही कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है-कभी बिजली, कभी पानी, कभी नौकरानी। सिर मुड़ाते ही ओले पड़े हैं।

(32) डायन भी दस घर छोड़कर खाती है - दुष्ट व्यक्ति भी अपने लोगों का बुरा नहीं करता। 

प्रयोग–वह व्यापारियों को ही नहीं अपने मामा के भी रुपये खा गया। अरे मामाजी को तो बख्शा होता डायन भी दस घर छोड़कर खाती है। 

(33) डूबते को तिनके का सहारा - विपत्तिग्रस्त को थोड़ा सा सहारा भी बहुत होता है। 

प्रयोग-जंगल में बिगड़ी कार के यात्रियों को एक बैलगाड़ी वाले ने बस्ती तक पहुँचाया। डूबते को तिनके का सहारा।

(34) जिसकी लाठी उसकी भैंस - ताकतवर का राज्य होना । 

प्रयोग- प्रजातंत्र में लोग इतने स्वतंत्र हो गए हैं कि जिसकी लाठी उसको भैंस हो गई है। 

(35) हंसा थे उड़ गये कागा भये दीवान– नेक आदमी का राज्य न होना। 

प्रयोग - आज राजनीति की स्थिति ऐसी हो गई है कि हंसा थे उड़ गये कागा भये दीवान । 

(36) आसमान पर चढ़ना- बढ़- चढ़कर बातें करना ।

प्रयोग- सोमेश कलेक्टर क्या बना उनके पिताजी का दिमाग आसमान पर चढ़ गया। 

(37) अंधी खोपड़ी का होना – अक्ल कमजोर होना।

प्रयोग—श्याम अंधी खोपड़ी का व्यक्ति है इसलिए उससे कोई बात नहीं करता । 

(38) हाथ धो बैठना - नुकसान कराना।  

प्रयोग - रामबिहारी ड्यूटी में नियमित नहीं होने के कारण नौकरी से हाथ धो बैठा। 

(39) काटो तो खून नहीं - डर के मारे खून सूखना।

प्रयोग—पड़ोसी के घर से मोबाईल चुराते हुए देखे जाने पर अरूणा के काटो तो खून नहीं वाली स्थिति हो गई थी

(40) दिया तले अंधेरा – पास रखी वस्तु के दोष दिखाई नहीं देते। 

प्रयोग—सीता के डॉ. होने का क्या सुख उसका बेटा चोरी करते पकड़ा गया। सच ही कहा है दिया तले अंधेरा ही होता है। 

(41) चोर-चोर मौसेरे भाई- समान प्रवृत्ति के लोगों में मित्रता होना। 

प्रयोग–सीता और गीता दूसरों के सामान को अपना समझ तुरंत इस्तेमाल करने लगती हैं सच ही कहा  है चोर-चोर मौसेरे भाई । 

(42) न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी - झगड़े को जड़ से ही नष्ट कर देना।

प्रयोग- भाई बहन को टीवी. देखने के लिए लड़ते देख पिताजी ने कहा मैं टी.वी. ही बेच देता हूँ न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी ।

(43) जाके पैर न फटे बिवाई वो क्या जाने पीर पराई - जिसके ऊपर विपत्ति नहीं आई वह दूसरों के को कैसे जाने। 

प्रयोग - रवि परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया। वह बड़ा दुखी हुआ। विनोद ने उसे समझाते हुए कहा "इसमें बात है।" रवि बोला "ठीक हैजाके पैर न फटे बिवाई वो क्या जाने पीर पराई "

(44) तलवार की धार पर चलना - कठिन कार्य करना। 

प्रयोग- देश भक्तों ने स्वतंत्रता संग्राम में तलवार की धार पर चलकर आजादी प्राप्त की। 

(45) काला कानून - अन्यायपूर्ण विधान। 

प्रयोग- प्रजातन्त्र में काला कानून नहीं चलता। 

(45) कान पर जूँ न रेंगना -बिल्कुल फ्रिक न होना। 

प्रयोग-सारा धान पानी में सड़ गया लेकिन अधिकारियों के कान पर जूं तक न रेंगी। 

(46) किताबी कीड़े - हर समय पढ़ने वाला। 

प्रयोग किताबी कीड़े अक्सर जीवन की जटिल समस्याओं से जल्दी घबरा जाते हैं। 

(47) खाका खींचना - मजाक उड़ाना। 

योग हमें किसी का खाका खींचना पसंद नहीं है। - 

(48) गंगा उठाना  - गंगा जल हाथ में लेकर शपथ लेना (कसम खाना )। 

प्रयोग- मैं गंगा उठाकर कह सकता हूँ कि मैंने तुमसे कोई कर्ज नहीं लिया। 

(49) गुड़ गोबर करना - काम बिगाड़ना। 

प्रयोग- पिकनिक का कार्यक्रम बन चुका था, लेकिन आँधी वर्षा ने सब गुड़ गोबर कर दिया।  

(50) घड़ों में पानी पड़ जाना — अत्यन्त लज्जित होना।

प्रयोग अपनी बेटी की करतूतें सुनकर माँ पर घड़ों में पानी पड़ गया।

लोकोक्तियों अथवा कहावतों अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओ में पूछे जाते है परीक्षा में 50 से अधिक लोकोक्तियों अथवा कहावतों और 20 से अधिक लोकोक्तियों अथवा कहावतों साथ ही साथ 10 से अधिक लोकोक्तियों अथवा कहावतों पूछे जाते है 


FAQs 

1) मुहावरे एवं लोकोक्तियां में क्या अंतर है?

मुहावरे का प्रयोग वाक्य के अंत, आरम्भ और बीच में कही भी किया जा सकता है। लोकोक्तियाँ अपने आप में एक पूर्ण वाक्य होती हैं। मुहावरा अपने रूढ़ अर्थ के लिए प्रसिद्ध होता है। लोकोक्ति का अर्थ है लोक+उक्ति यानी लोकोक्तियाँ लोक में प्रचलित उक्ति होती हैं जो भूतकाल का लोक अनुभव होती है।

2) पचास मुहावरे और कहावतों का अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग करो?

गुदड़ी का लाल – गरीब घर में गुणवान का पैदा होना (वाक्य में प्रयोग– राष्ट्रपति कलाम गुदड़ी के लाल हैं।) मिट्टी में मिलना – नष्ट होना (वाक्य में प्रयोग – केदारनाथ में बाढ़ आने पर सब कुछ मिट्टी में मिल गया)। आँखों का तारा होना – बहुत प्रिय होना (वाक्य में। प्रयोग – इकलौती संतान माता – पिता की आँखों की तारा होती है)।

3) मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करो?

(1) अपनी खिचड़ी अलग पकाना-सबसे पृथक् काम करना। 

वाक्य-प्रयोग-वह अपनी खिचड़ी अलग पकाता है। 

(2) आँखों में धूल झोंकना-धोखा देना। वाक्य-प्रयोग-तुमने उसकी आँखों में धूल झोंक दी।

4) मुहावरे और लोकोक्ति में क्या अन्तर है कोई तीन अंतर बताइये?

लोकोक्ति पूर्ण वाक्य होती हैं जबकि मुहावरा वाक्य का अंश होता हैं. लोकोक्ति लोक में प्रचलित उक्ति होती हैं जो भूतकाल का लोक अनुभव होती हैं जबकि मुहावरा अपने रूढ़ अर्थ के लिए प्रसिद्ध होता हैं. पूर्ण इकाई होने के कारण लोकोक्ति में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता है जबकि मुहावरों में वाक्य अनुसार परिवर्तन होता हैं

5) लोकोक्तियां कैसे लिखते हैं?

लोकोक्तियों के लिए यह शर्त जरूरी नहीं है। चूंकि लोकोक्तियाँ स्वतः पूर्ण वाक्य हैं अतः उनका अंत क्रिया के किसी भी रूप से हो सकता है; जैसे- अधजल गगरी छलकत जाए, अंधी पीसे कुत्ता खाए, आ बैल मुझे मार, इस हाथ दे, उस हाथ ले, अकेली मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।

इस लेख में हमने हिंदी लोकोक्तियाँ अथवा कहावतें (Hindi proverbs or sayings) के बारे में जाना। किसी बात को कम शब्दों में कहने या अपनी बात को प्रभावी बनाने के लिए हिंदी लोकोक्ति अथवा कहावत (Hindi proverbs or sayings) का प्रयोग किया जाता है।

आशा करता हूँ कि यह लेख आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगी यदि आपको लेख अच्छा लगा हो तो लेख को शेयर अवश्य करें।

भारत की कला संस्कृति (art culture of India in Hindi)

भारत की कला संस्कृति (art culture of India)

नमस्कार आंसर दुनिया में आपका स्वागत है। इस लेख में हम भारत की कला संस्कृति (art culture of India) के बारे में जानेंगे।  भारत की कला संस्कृति की बात करें तो भारत देश की संस्कृति और सभ्यता पुरे विश्व में विख्यात है कला और संस्कृति हमारे भारत की धरोहर है भारत की कला और संस्कृति, सांस्कृतिक रूप से भी हमारे देश की पहचान बने हुए है जहाँ एक ओर विदेशी संस्कृतियाँ विश्व में फैले हुए है वही हमारे देश की सभ्यता विदेशों में भी अपनी एक अलग जगह बनाये हुए है ,भारत अपने, संगीत, नृत्य, लोक परम्परा ,रहन-सहन ,संस्कृति, सभ्यताओं, परम्पराओं ,प्रदर्शन कला  ,अनुष्ठान, चित्रकला, रंगमंच, गानों से विश्व भर में मौजूद है. भारत की कला और संस्कृति का परिचय पूरी दुनिया देती है।

art-culture-of-india

भारत में विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदाय के लोग पाए जाते है। भारत की कला संस्कृति भी इसका एक महत्वपूर्ण भाग है जिस प्रकार से एक देश के अन्दर सारी समानताये , विविधताये पाई जाती है ठीक उसी प्रकार से बिना संस्कृति के हमारा भारत देश अधुरा मन जाता है भारत की संस्कृति अलग –अलग जाती धर्मो के लोग पाए जाते है यहाँ पर लोग विभिन्न प्रकार की भाषाये बोलते है अलग-अलग कपडे पहनते है अलग-अलग त्यौहार मानते है पर फिर भी उनमें समानताये है. 

Table of content:

  • भाषा (language)
  • धर्म(religion)
  • वेशभूषा(uniform)
  • संगीत(music)
  • नृत्य(dance)
  • नाटक और रंगमंच(drama and theater)
  • चित्रकारी(paintings)
  • मूर्तिकला और वास्तुकला(Sculpture and Architecture)


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भारत की कला संस्कृतियों को विभिन्न भागो में बांटा गया है (Art cultures of India are divided into different parts)-

  • भाषा
  • धर्म 
  • वेशभूषा 
  • संगीत
  • नृत्य 
  • नाटक और रंगमंच 
  • चित्रकारी 
  • मूर्तिकला, वास्तुकला  

 

(1) भाषा (language) –     भाषाओँ की बात करे तो भारत की कला व संस्कृति में संविधान के आठवी अनुसूची के अनुसार 22 भाषाये पायी जाती है इन भाषाओ को भी अलग-अलग सूचि में विभाजित किया गया है भारत की कला व संस्कृति में भाषाये महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है यहाँ पर विभिन्न जाती व धर्मो के लोग विभिन्न भाषाये बोलते है भाषागत विविधता भी अलग-अलग राज्यों में भी पायी जाती है जैसे की- लोग ओड़िसा राज्य में रहते है वे ओड़िया भाषा बोलते है महाराष्ट्र में मराठी ,छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी , मणिपुर ,बंगोली ,उर्दू ,हिंदी, गुजराती ,मलयालम,आदि भाषाओ का उपयोग भारत की संस्कृति में किया जाता है.

(2) धर्म(religion) – भारत की कला संस्कृति में बहुत सारे जाति धर्म के लोग पाए जाते है धर्म से आशय उनके आध्यात्म से है जो की अलग –अलग विभिन्नताए लिए हुए है भारत की कला संस्कृति का एक भाग धर्म भी माना गया है भारतीय धर्म विश्व के धर्मो में प्रमुख है-जैसे हिन्दूधर्म, बौद्धधर्म ,सिक्खधर्म, जैनधर्म धर्मो के आधार पर ही भारतीय कला व संस्कृति को रखा गया है  भारत में धर्मो में भिन्नताये सबसे ज्यादा है, बहुत ही कट्टर धार्मिक संस्थाए और संस्कृतियाँ सम्मिलित है इनमें सबसे ज्यादा 13.4% हिन्दू धर्म सम्मिलित है.

(3) वेशभूषा(uniform)- भारत की कला संस्कृति में इनका पहनावा भी महत्वपूर्ण है जैसे की महिलाओं के लिए साड़ी और पुरुषों के लिए धोती कुर्ता यहाँ का पारंपरिक परिधान है एवं यहाँ पर राज्यों एवं निवास स्थानों के हिसाब से भी पहनावा है जैसे की दक्षिण भारत के लोग  सफ़ेद रंग का लंबा चादर नुमा वस्त्र पहनते हैं और घगरा, चुन्नी, कुर्ता, लुंगी, धोती, पैजामा, साड़ी ब्लाउज आदि पहने जाते है।

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(4) संगीत(music)- भारतीय कला संस्कृति में संगीत का स्थान भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है संगीत का स्थान वैदिक काल से ही प्रभावशाली रहा है भारतीय संगीत में विभिन्न प्रकार के धार्मिक लोकसंगीत ,लोकगीत पॉप संगीत ,शामिल है भारतीय संगीत का सबसे पुराना उदहारण है सामवेद की कुछ धुनें जो आज भी वैदिक श्रोता बलिदान में गायी जाती है यह प्राचीन काल से ही मनोरंजन का साधन रहा है पहले राजा-महाराजा गीत संगीत का हिस्सा हुआ करते थे। 

(5) नृत्य(dance)- भारत की कला संस्कृति भी कभी नाच गाने भी इसका हिस्सा हुआ करते थे इसमें प्रमुख नृत्य है जो प्राचीन इतिहास के साक्ष भी माने जाते है, इसमें मोहिनीअट्टम, कुचीपुरी, कुछ लोक नृत्य राज्यों के अनुसार ही प्रसिद्ध हुए है जैसे की- असम का बिहू, गुजरात का डंडिया और गरबा,छत्तीसगढ़ का राउतनाचा, पंजाब का भांगड़ा, महाराष्ट्र का लावणी, कर्नाटक का यक्षगान, गोवा का देखनी,और तमिलनाडू का भारत नाट्यम, उत्तर प्रदेश का कत्थक केरल का कथकली इत्यादि भी भारत की कला संस्कृति का ही महत्वपूर्ण भाग है।

(6) नाटक और रंगमंच(drama and theater) - भारतीय कला और संस्कृति में नाटक रंगमंच का भी योगदान है कला के क्षेत्र में भारतीय नाटक और थिअटर प्राचीन कल से ही चले आ रहे है इनमे से कुछ है – कालिदास का अभिज्ञान शाकुंतलम, नाटकारों में महत्वपूर्ण रहा है। लोक थिएटर की परंपरा भारत के अधिकाशं क्षेत्रों में भी उपयोगी है । 

(7) चित्रकारी(paintings)- भारत की कला संस्कृतियों में चित्रकारी भी एक उपयोगी स्थान निभा रही है चित्रकारी भारत में एक अजंता एलोरा की  मंदिर में बने हुए चित्र प्राक्रतिक के प्रेंम को प्रदर्शित करते है यह चित्रकारी बहुत ही ,प्रसिद्ध मानी गयी है इनमे से एक है कालिदास की अभिज्ञान शाकुंतलम, भारतीय कला की कुछ उल्लेखनीय विधाएं हैं, जबकि राजा रवि वर्मा, नंदलाल बोस, गीता वढेरा, जामिनी रॉय और बी वेंकटप्पा कुछ आधुनिक चित्रकार हैं। वर्तमान समय के कलाकारों में अतुल डोडिया, बोस कृष्णमक्नाहरी, देवज्योति राय और शिबू नटेसन, भारतीय कला के उस नए युग के प्रतिनिधि हैं.

(8) मूर्तिकला और वास्तुकला(Sculpture and Architecture) - भारतीय कला व संस्कृति में मूर्ति कला और वास्तु कला का भी एक अलग स्थान रहा है भारत की मूर्ति कला सिन्धु घटी के ज़माने के है जहां पर खोदाई के दौरान कुछ मूर्तियाँ प्राप्त हुई है मथुरा की गुलाबी बलुआ पत्थर की कुछ मुर्तिया भी प्राप्त हुयी है भारतीय कला संस्कृति में वास्तुकला का भी योगदान रहा है मौर्य और उनके साम्राज्य के काल में साँची का स्तूप बनवाया है जो भारतीय इतिहास के वास्तुकला का एक नमूना पेश करता है, कुछ मुग़ल कालीन वास्तुकला भी भारत की कृष्णमक्नाहरी, देवज्योति राय और शिबू नटेसन, भारतीय कला के उस नए युग के प्रतिनिधि हैं संस्कृति व् वस्तु कला में पाए गये है जैसे गोल गुम्बद ,दिल्ली का लाल किला, आगरा का ताजमहल, जामा मस्जिद ,आलाई दरवाजा विक्टोरिया महल इसका उत्कृष्ठ उदहारण है।  

निष्कर्षइस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको भारतीय कला संस्कृति से रूबरू करवाया है जो की इस भारतीय लोककला और संस्कृति का एक केंद्रबिंदु है जिसमे की सारे लोकगायन लोक संस्कृति और बहुत सारे वास्तु कला के नमूने पेश किये है। इस प्रकार से हमारे भारतीय कला संस्कृति में अनेको विशेषताएं पायी जाती है भारत की कला और संस्कृति हमारे भारत की आधार शिला है। बिना कला और संस्कृति के भारत देश अधुरा माना गया है । आशा है यह पोस्ट आपको अच्छा लगा इस पोस्ट को अपने दोस्तों में अधिक से अधिक शेयर है |    

विकासशील देशों की समस्याएँ (problems of developing countries)

विकासशील देशों की समस्याएँ (problems of developing countries)


नमस्कार, आंसर दुनिया में आपका स्वागत है। आज के इस पोस्ट में हमविकासशील देशों की समस्याओं के बारे में जानेंगे। विश्व के ऐसे देश जो लगातार विकास की दिशा में कार्य कर रहे हैं और उनका परिणाम भी दिख रहा है उन्हें विकासशील देश कहते हैं। भारत भी विकासशील देश की श्रेणी में आता है। विकास की प्रक्रिया में सबसे बड़ी समस्याअसमानता की है। असमानता ही दुनिया की व्यवस्था का नियम है यह सर्व विदित है कि दुनिया में न कभी समानता रही है और न कभी रहेगी। दुनिया के अमीर-गरीब देशों में उपर्युक्त आधारों पर असमानताएँ व्याप्त हैं। ये असमानताएँ उन्हें विकास के मार्ग पर न ले जाकर विपरीत मार्ग पर ले जा रही है।
problems of developing countries

विकासशील देशों की प्रमुख समस्याएँ-(Problems of Developing Countries | What is the biggest problem of development?)

  1. सामाजिक एवं सांस्कृतिक समस्याएँ
  2. राजनीतिक समस्याएँ
  3. जनसंख्या सम्बन्धी समस्याएँ
  4. आर्थिक समस्याएँ
  5. प्राविधिक समस्याएँ
  6. निम्न जीवन स्तर
  7. गरीबी का कुचक्र
  8. बेकारी
  9. मकानों की कमी
  10. कुपोषण की समस्या
  11. अकुशल श्रमिकों की प्रचुरता
  12. कुल प्रजनन दर एवं बढ़ती शिशु मृत्यु-दर
  13. कमजोर राष्ट्र
कुछ देश और क्षेत्र ज्यादा विकसित हैं, जबकि कुछ पिछड़े और कुछ विकास के रास्ते पर चलने की कोशिश कर रहे हैं। विकास का लक्ष्य रखकर अनेक देश अनेक प्रकार के प्रयास कर रहे हैं और इसलिए उन्हें विकासशील कहते हैं। विकासशील देशों के अन्तर्गत आने वाले तृतीय विश्व के देशों की अलग-अलग राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, औद्योगिक एवं कृषि सम्बन्धी समस्याएँ हैं।

विकासशील देशों की प्रमुख समस्याएँ निम्नानुसार हैं -

1. सामाजिक एवं सांस्कृतिक समस्याएँ-

विकासशील देशों में अनेक सामाजिक,सांस्कृतिक कुरीतियाँ पायी जाती हैं। स्त्रियों का दर्जा पुरुष से नीचे होता है। पुरुष और स्त्रियाँ अशिक्षित होते हैं। सम्पूर्ण समाज उच्च, मध्य, एवं निम्न वर्गों में बँटा होता है। बाल-विवाह, बहु-विवाह, पर्दा-प्रथा, विधवा एवं छुआ-छूत जैसी अनेक सामाजिक रूढ़ियों के कारण वातावरण विषाक्त होता है।

2.राजनीतिक समस्याएँ-

विकासशील देशों को राजनीतिक स्थिति अत्यन्त कमजोर होती है। इन देशों में अशिक्षा एवं निर्धनता के कारण राजनीतिक जागरुकता नहीं होती। अधिकांश देश स्वतंत्रता के कारण शोषित होते रहते हैं। सभी देश अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में समान हितों की रक्षा के लिए परामर्श करते हैं।

3.जनसंख्या सम्बन्धी समस्याएँ-

विकासशील देशों को जनसंख्या से उत्पन्न समस्याओं से जूझना पड़ता हैइन देशों में जनसंख्या वृद्धि दर एवं जनसंख्या का घनत्व अधिक है। जन्म एवं मृत्यु-दर अधिक है। इन देशों में कार्य शौल जनसंख्या की जगह आश्रित जनसंख्या अधिक है, यही कारण है कि लोगों का जीवन-स्तर निम्न है। जन संख्या अधिक होने से बेकारी एवं निर्धनता से ये देश संत्रस्त होते हैं।

4.आर्थिक समस्याएँ-

विकासशील देशों में अशोपित या अर्द्धशोषित प्राकृतिक साधन समान रहते हैं। विकासशील देशों में पूँजी में कमी आय की न्यूनता, बड़े पैमाने पर उद्योगों का अभाव, कृषि पर निर्भरता, धन एवं आय के वितरण की असमानता, बेरोजगारी एवं वित्तीय संस्थाओं का अभाव जैसी समस्याएँ मौजूद होती हैं। इन समस्याओं के चलते विकास की गति धीमी होती है। इससे अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। जैसे-कुपोषण की समस्या।

5.प्राविधिक समस्याएँ-

विकासशील देशों के | निवासियों में प्राविधिक ज्ञान का अभाव होता है। अशिक्षा तकनीकी विकास में बाधक होती है एवं तकनीकी विकास के लिए उचित वातावरण भी नहीं होता है।

इसके अतिरिक्त कुछ अन्य समस्याएँ भी हैं जो निम्न हैं-

6.निम्न जीवन स्तर
7.गरीबी का कुचक्र
8.बेकारी
9.मकानों की कमी
10.कुपोषण की समस्या
11.अकुशल श्रमिकों की प्रचुरता
12.कुल प्रजनन दर एवं बढ़ती शिशु मृत्यु-दर
13.कमजोर राष्ट्र.

इस पोस्ट में विकासशील देशों की समस्याएँ-मानव विकास प्रतिवेदन-विकास की सबसे बड़ी समस्या क्या है? यह समस्या किन-किन आधारों पर है। अथवा विकासशील देशों की प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए। अथवा विकासशील देशों की प्रमुख समस्याएँ क्या हैं? के बारे में जाना।

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विकासशील देशों की संख्या कितनी है
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परशुराम की प्रतीक्षा कविता की विशेषताएँ (Features of Parashurama's Pratiksha poem)

परशुराम की प्रतीक्षा कविता की विशेषताएँ | Parshuram ki Pratiksha Kavita ki Visheshta

नमस्कार, आंसर दुनिया में आपका स्वागत है। महाकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित 'परशुराम की प्रतिक्षा' एक प्रबंध काव्य है। सन् 1962 में नेफा युद्ध में भारत की हुई पराजय के कारणों को कवि ने एक सिपाही के माध्यम से खोजने का प्रयास किया है। अक्टूबर 1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया उससे पहले चीन मित्रता का ढोंग कर रहा था। इसी से आहात होकर कवी रामधारी सिंह दिनकर जी ने यह "परशुराम की प्रतीक्षा" नाम की कविता की रचना की और युवाओं को सन्देश देना चाहा कि आपने देश की रक्षा के लिए युद्ध करना गलत नहीं।

Features of Parashurama's Pratiksha poem

'परशुराम की प्रतीक्षा' कविता की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-


'परशुराम की प्रतीक्षा' कविता की विशेषताएँ -

  1. कविता खड़ी बोली हिन्दी में लिखी गयी है। 
  2. कविता में प्रतीकों का प्रयोग बड़ा ही सटीक हुआ है। 
  3. सम्पूर्ण कविता ओजस्विता लिए हुए हैं। 
  4. शब्दालंकार तथा अर्थालंकार की प्रधानता है। 
  5. काव्य वक्रता पूरी कविता में दिखाई देती है। 
  6. कवि कहना चाहते हैं कि गाँधीवाद की रक्षा के लिए शस्व धारण आवश्यक है। 
  7. कविता में कथानक नहीं है। 
  8. तुष्टिकरण का विरोध किया गया है। 
  9. दिनकर जी ने इस कविता के माध्यम से ईमानदारी के साथ कर्त्तव्यपालन का सन्देश भी दिया है। 
  10. कविता मुक्तक शैली में है। 
  11. इसमें अकर्मण्यों पर तीखा व्यंग किया गया है।
  12. तत्कालीन राजनीति की भर्त्सना की गयी है। 
  13. स्वाधीनता का महत्व कविता में स्पष्ट है। 
  14. सम्पूर्ण कविता की रचना पौराणिक कथा को आधार बनाकर की गई है। 
  15. कविता में साम्प्रदायिक समन्वय का भाव स्पष्ट परिलक्षित होता है।

तो ये थी  'परशुराम की प्रतीक्षा' कविता की 15 विशेषताएँ इसके अलावा अन्य जानकारियां आप निचे देख सकते हैं -

परशुराम की प्रतीक्षा दिनकर जी की सुप्रसिद्ध का व्यकृति है। कवि का स्वाभिमान सौभाग्य पौरुष से मिलकर नए भावी व्यक्ति की प्रतीक्षा में रत दिखाई देता है। 

सतत जागरूकता परिस्थितियों के संदर्भ में समकालीनता एवं व्यवहारिक चिंतन एक कवि के लिए आवश्यक है। प्रस्तुत रचना भारत-चीन युद्ध के पश्चात लिखी गई थी।

है एक हाथ में परशु, एक में कुश है। 
आ रहा नये भारत का भाग्य-पुरुष है। 

परशुराम की प्रतीक्षा कविता के माध्यम से कवि भारत के उन तत्कालीन संतों व महापुरुषों पर व्यंग करते हैं, जिन्होंने अनेक शताब्दियों से भारतवासियों को अहिंसा, दया व ममता का पाठ पढ़ाते हुए शस्त्र प्रयोग को पाश्विक कार्य मानने तथा शारीरिक बल का प्रयोग न करने की शिक्षा दी है और लोगों को आक्रमणकारियों का सामना करने में असमर्थ बना दिया है, जो आत्मबल को श्रेष्ठ व शारीरिक बल के प्रयोग को निकृष्ट मानते हैं। 

उनके उपदेश ने जनता की तेजस्विता, विपत्तियों से लड़ने की शक्ति और कर्मठता दूर कर दी। इस प्रकार जिस व्यक्ति में वीरता और पौरुष का भाव रहता है, उसमें समस्त गुण रहते हैं, वे हँसते हैं। सारे गुणों का निवास तलवार अर्थात् पराक्रम में ही रहता है। 

जहाँ वीर भाव नहीं होता है, वहाँ पुण्य हार जाता है और पाप की विजय होती है। सम्मान को नष्ट होने से बचाना ही जीवन है, अतः स्पष्ट रूप से यह कहा जा सकता है कि कवि ने वर्तमान सन्दर्मों में भी वीरता को सर्वोच्च स्थान दिया है।

तो ये थी 'परशुराम की प्रतीक्षा' की कुछ विशेषताएँ और अन्य जानकारी जो आपको हिंदी विषय में ज्ञान को उजागर करने में मदद करता हैं | 

इस आर्टिकल में हमने कवि रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा रचित कविता "परशुराम की प्रतीक्षा" की विशेषताओं के बारे में जाना।

आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगी यदि आपको आर्टिकल पसंद आये तो आर्टिकल को शेयर अवश्य करें।