भारत की कला संस्कृति (art culture of India in Hindi)

भारत की कला संस्कृति (art culture of India)

नमस्कार आंसर दुनिया में आपका स्वागत है। इस लेख में हम भारत की कला संस्कृति (art culture of India) के बारे में जानेंगे।  भारत की कला संस्कृति की बात करें तो भारत देश की संस्कृति और सभ्यता पुरे विश्व में विख्यात है कला और संस्कृति हमारे भारत की धरोहर है भारत की कला और संस्कृति, सांस्कृतिक रूप से भी हमारे देश की पहचान बने हुए है जहाँ एक ओर विदेशी संस्कृतियाँ विश्व में फैले हुए है वही हमारे देश की सभ्यता विदेशों में भी अपनी एक अलग जगह बनाये हुए है ,भारत अपने, संगीत, नृत्य, लोक परम्परा ,रहन-सहन ,संस्कृति, सभ्यताओं, परम्पराओं ,प्रदर्शन कला  ,अनुष्ठान, चित्रकला, रंगमंच, गानों से विश्व भर में मौजूद है. भारत की कला और संस्कृति का परिचय पूरी दुनिया देती है।

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भारत में विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदाय के लोग पाए जाते है। भारत की कला संस्कृति भी इसका एक महत्वपूर्ण भाग है जिस प्रकार से एक देश के अन्दर सारी समानताये , विविधताये पाई जाती है ठीक उसी प्रकार से बिना संस्कृति के हमारा भारत देश अधुरा मन जाता है भारत की संस्कृति अलग –अलग जाती धर्मो के लोग पाए जाते है यहाँ पर लोग विभिन्न प्रकार की भाषाये बोलते है अलग-अलग कपडे पहनते है अलग-अलग त्यौहार मानते है पर फिर भी उनमें समानताये है. 

Table of content:

  • भाषा (language)
  • धर्म(religion)
  • वेशभूषा(uniform)
  • संगीत(music)
  • नृत्य(dance)
  • नाटक और रंगमंच(drama and theater)
  • चित्रकारी(paintings)
  • मूर्तिकला और वास्तुकला(Sculpture and Architecture)


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भारत की कला संस्कृतियों को विभिन्न भागो में बांटा गया है (Art cultures of India are divided into different parts)-

  • भाषा
  • धर्म 
  • वेशभूषा 
  • संगीत
  • नृत्य 
  • नाटक और रंगमंच 
  • चित्रकारी 
  • मूर्तिकला, वास्तुकला  

 

(1) भाषा (language) –     भाषाओँ की बात करे तो भारत की कला व संस्कृति में संविधान के आठवी अनुसूची के अनुसार 22 भाषाये पायी जाती है इन भाषाओ को भी अलग-अलग सूचि में विभाजित किया गया है भारत की कला व संस्कृति में भाषाये महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है यहाँ पर विभिन्न जाती व धर्मो के लोग विभिन्न भाषाये बोलते है भाषागत विविधता भी अलग-अलग राज्यों में भी पायी जाती है जैसे की- लोग ओड़िसा राज्य में रहते है वे ओड़िया भाषा बोलते है महाराष्ट्र में मराठी ,छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी , मणिपुर ,बंगोली ,उर्दू ,हिंदी, गुजराती ,मलयालम,आदि भाषाओ का उपयोग भारत की संस्कृति में किया जाता है.

(2) धर्म(religion) – भारत की कला संस्कृति में बहुत सारे जाति धर्म के लोग पाए जाते है धर्म से आशय उनके आध्यात्म से है जो की अलग –अलग विभिन्नताए लिए हुए है भारत की कला संस्कृति का एक भाग धर्म भी माना गया है भारतीय धर्म विश्व के धर्मो में प्रमुख है-जैसे हिन्दूधर्म, बौद्धधर्म ,सिक्खधर्म, जैनधर्म धर्मो के आधार पर ही भारतीय कला व संस्कृति को रखा गया है  भारत में धर्मो में भिन्नताये सबसे ज्यादा है, बहुत ही कट्टर धार्मिक संस्थाए और संस्कृतियाँ सम्मिलित है इनमें सबसे ज्यादा 13.4% हिन्दू धर्म सम्मिलित है.

(3) वेशभूषा(uniform)- भारत की कला संस्कृति में इनका पहनावा भी महत्वपूर्ण है जैसे की महिलाओं के लिए साड़ी और पुरुषों के लिए धोती कुर्ता यहाँ का पारंपरिक परिधान है एवं यहाँ पर राज्यों एवं निवास स्थानों के हिसाब से भी पहनावा है जैसे की दक्षिण भारत के लोग  सफ़ेद रंग का लंबा चादर नुमा वस्त्र पहनते हैं और घगरा, चुन्नी, कुर्ता, लुंगी, धोती, पैजामा, साड़ी ब्लाउज आदि पहने जाते है।

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(4) संगीत(music)- भारतीय कला संस्कृति में संगीत का स्थान भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है संगीत का स्थान वैदिक काल से ही प्रभावशाली रहा है भारतीय संगीत में विभिन्न प्रकार के धार्मिक लोकसंगीत ,लोकगीत पॉप संगीत ,शामिल है भारतीय संगीत का सबसे पुराना उदहारण है सामवेद की कुछ धुनें जो आज भी वैदिक श्रोता बलिदान में गायी जाती है यह प्राचीन काल से ही मनोरंजन का साधन रहा है पहले राजा-महाराजा गीत संगीत का हिस्सा हुआ करते थे। 

(5) नृत्य(dance)- भारत की कला संस्कृति भी कभी नाच गाने भी इसका हिस्सा हुआ करते थे इसमें प्रमुख नृत्य है जो प्राचीन इतिहास के साक्ष भी माने जाते है, इसमें मोहिनीअट्टम, कुचीपुरी, कुछ लोक नृत्य राज्यों के अनुसार ही प्रसिद्ध हुए है जैसे की- असम का बिहू, गुजरात का डंडिया और गरबा,छत्तीसगढ़ का राउतनाचा, पंजाब का भांगड़ा, महाराष्ट्र का लावणी, कर्नाटक का यक्षगान, गोवा का देखनी,और तमिलनाडू का भारत नाट्यम, उत्तर प्रदेश का कत्थक केरल का कथकली इत्यादि भी भारत की कला संस्कृति का ही महत्वपूर्ण भाग है।

(6) नाटक और रंगमंच(drama and theater) - भारतीय कला और संस्कृति में नाटक रंगमंच का भी योगदान है कला के क्षेत्र में भारतीय नाटक और थिअटर प्राचीन कल से ही चले आ रहे है इनमे से कुछ है – कालिदास का अभिज्ञान शाकुंतलम, नाटकारों में महत्वपूर्ण रहा है। लोक थिएटर की परंपरा भारत के अधिकाशं क्षेत्रों में भी उपयोगी है । 

(7) चित्रकारी(paintings)- भारत की कला संस्कृतियों में चित्रकारी भी एक उपयोगी स्थान निभा रही है चित्रकारी भारत में एक अजंता एलोरा की  मंदिर में बने हुए चित्र प्राक्रतिक के प्रेंम को प्रदर्शित करते है यह चित्रकारी बहुत ही ,प्रसिद्ध मानी गयी है इनमे से एक है कालिदास की अभिज्ञान शाकुंतलम, भारतीय कला की कुछ उल्लेखनीय विधाएं हैं, जबकि राजा रवि वर्मा, नंदलाल बोस, गीता वढेरा, जामिनी रॉय और बी वेंकटप्पा कुछ आधुनिक चित्रकार हैं। वर्तमान समय के कलाकारों में अतुल डोडिया, बोस कृष्णमक्नाहरी, देवज्योति राय और शिबू नटेसन, भारतीय कला के उस नए युग के प्रतिनिधि हैं.

(8) मूर्तिकला और वास्तुकला(Sculpture and Architecture) - भारतीय कला व संस्कृति में मूर्ति कला और वास्तु कला का भी एक अलग स्थान रहा है भारत की मूर्ति कला सिन्धु घटी के ज़माने के है जहां पर खोदाई के दौरान कुछ मूर्तियाँ प्राप्त हुई है मथुरा की गुलाबी बलुआ पत्थर की कुछ मुर्तिया भी प्राप्त हुयी है भारतीय कला संस्कृति में वास्तुकला का भी योगदान रहा है मौर्य और उनके साम्राज्य के काल में साँची का स्तूप बनवाया है जो भारतीय इतिहास के वास्तुकला का एक नमूना पेश करता है, कुछ मुग़ल कालीन वास्तुकला भी भारत की कृष्णमक्नाहरी, देवज्योति राय और शिबू नटेसन, भारतीय कला के उस नए युग के प्रतिनिधि हैं संस्कृति व् वस्तु कला में पाए गये है जैसे गोल गुम्बद ,दिल्ली का लाल किला, आगरा का ताजमहल, जामा मस्जिद ,आलाई दरवाजा विक्टोरिया महल इसका उत्कृष्ठ उदहारण है।  

निष्कर्षइस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको भारतीय कला संस्कृति से रूबरू करवाया है जो की इस भारतीय लोककला और संस्कृति का एक केंद्रबिंदु है जिसमे की सारे लोकगायन लोक संस्कृति और बहुत सारे वास्तु कला के नमूने पेश किये है। इस प्रकार से हमारे भारतीय कला संस्कृति में अनेको विशेषताएं पायी जाती है भारत की कला और संस्कृति हमारे भारत की आधार शिला है। बिना कला और संस्कृति के भारत देश अधुरा माना गया है । आशा है यह पोस्ट आपको अच्छा लगा इस पोस्ट को अपने दोस्तों में अधिक से अधिक शेयर है |    

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