वन के इकोतंत्र का वर्णन कीजिए | forest ecosystem in hindi
नमस्कार दोस्तों, आज के इस पोस्ट में हम वन के पारिस्थितिक तंत्र के बारे में जानेंगे। वन के पारिस्थितिक तंत्र में पेड़ पौधे प्रमुख होते हैं। वन के पारिस्थितिक तंत्र में पेड़ पौधों के साथ जीव जंतु ,पक्षी, जीवाणु, रोगाणु इत्यादि पाए जाते हैं। जो आपस में जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक दूसरे पर आश्रित होते हैं। जिससे पर्यावरण संतुलित रहता है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- UPSC,STATE PCS, RRB, NTPC, RAILWAY, BANKING,CDS इत्यादि में वन पारिस्थितिक तंत्र से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। वन पारिस्थितिक तंत्र से जुड़े सभी महत्वपूर्ण सवालों के लिए वन पारिस्थितिक तंत्र के इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़ें।
1. अजैवीय घटक (Abiotic components) -
इसके अंतर्गत वन भूमि एवं वातावरण में स्थित अकार्बनिक एवं कार्बनिक पदार्थ आते हैं। वन में विभिन्न प्रकार के मिनरल एवं पत्ते भी समशीतोष्ण वनों में पाए जाते हैं।
2. जैवीय घटक (Biotic components) -
वन पारिस्थितिक तंत्र में निम्नलिखित जैवीय घटक (Biotic components) होते हैं -
(i) उत्पादक (Producers) -
इसके अंतर्गत सभी पौधों एवं घास आदि की हरी पत्तियाँ आती हैं जो कि प्रकाश संश्लेषण कर भोजन का निर्माण करती है। ऊँचे वृक्ष सूर्य प्रकाश का सबसे अधिक उपयोग करके भोजन का निर्माण करते हैं, जबकि बचे हुए प्रकाश को घास शाक आदि उपयोग कर भोजन निर्माण करते हैं।
(ii) उपभोक्ता (Consumers) –
वनों में निम्नलिखित मुख्य उपभोक्ता पाये जाते हैं -
(a) प्राथमिक उपभोक्ता (Primary consumers) -
इस श्रेणी के अन्तर्गत शाकाहारी कीट, खरगोश, हिरन, हाथी, सूअर, घोड़े आदि आते हैं। ये उत्पादकों द्वारा निर्मित भोजन को ग्रहण करते हैं।
(b) द्वितीयक उपभोक्ता ( Secondary corisumers) -
ये प्राथमिक उपभोक्ता को भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं. अर्थात् ये प्राथमिक मांसाहारी जंतु होते हैं। इस श्रेणी में बिल्ली, भेड़ियासाँप, चील, गिद्ध आदि आते हैं।
(c) तृतीयक उपभोक्ता (Tertiary consumers) -
इस श्रेणी के जन्तु मांसाहारी होते हैं और प्राथमिक एवं द्वितीयक उपभोक्ताओं को भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। वे बड़े आकार के मांसाहारी जन्तु होते हैं। जैसे- शेर, चीता आदि ।
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(iii) अपघटक (Decomposers) -
जब उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं की मृत्यु हो जाती है तो उसके मृत शरीर को अपघटित करके अपने भोजन के रूप में उपयोग करते हैं और पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखते हैं। ये शरीर के जटिल कार्बनिक पदार्थों को साधारण यौगिक एवं तत्वों में परिवर्तित करके उसको मृदा में मिलाने में सहायक होते हैं। इस श्रेणी में सूक्ष्म जीव जैसे- बैक्टीरिया एवं फफूँद (Fungi) आते हैं।
आज के इस पोस्ट में हमने वन पारिस्थितिक तंत्र के बारे में विस्तार से जाना। वन पारिस्थितिक तंत्र के पर्यावरण संतुलन में सहायक है। विभिन्न परीक्षा में वन पारिस्थितिक तंत्र से सम्बंधित सवाल पूछे जाते हैं।
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