हिंदी लोकोक्तियाँ अथवा कहावतें (Hindi proverbs or sayings)
आज के इस लेख में पचास मुहावरे और कहावतों का अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग करना सीखने वाले है इससे पहले आपको बता दे कि लोकोक्तियों और कहावतें किसे कहते है.
"लोकोक्ति शब्द दो शब्दों से मिल कर बना है — लोक + उक्ति। लोक में चिरकाल से प्रचलित कथन लोकोक्ति कहलाता है।"
लोकोक्तियों को हिंदी साहित्य करो ने अलग अलग तरीकों से परिभाषित किया है चलिए एक नजर उनपर भी डाल लेते हैं
"डॉ. भोलानाथ तिवारी के अनुसार, “विभिन्न प्रकार के अनुभवों, पौराणिक तथा ऐतिहासिक व्यक्तियों एवं कथाओं, प्राकृतिक नियमों एवं लोक विश्वास आदि पर आधारित चुटीला, सरगर्भित, सजीव, संक्षिप्त लोक प्रचलित ऐसी उक्तियों को लोकोक्ति कहते हैं जिनका प्रयोग बात की पुष्टि या विरोध, सीख तथा भविष्य कथन आदि के लिए किया जाता है।”
तो ऊपर अपने जाना कि लोकोक्तियों क्या है अब जानते है कहावतें किसे कहते है.
कहावत आम बोलचाल में प्रयोग होने वाले उस वाक्यांश को कहते हैं जिसका सम्बन्ध किसी न किसी पौराणिक कहानी से जुड़ा हुआ होता है। कहीं कहीं इसे मुहावरा अथवा लोकोक्ति के रूप में भी जानते हैं। कहावतें प्रायः सांकेतिक रूप में होती हैं।
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(1) एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है - एक बुरा व्यक्ति सारे परिदृश्य को बुरा बना देता है।
प्रयोग- सुखराम की रिश्वतखोरी ने सारी पार्टी को भ्रष्ट कर दिया। एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है।
(2) अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनना- अपनी प्रशंसा स्वयं करना ।
प्रयोग - रहने दीजिए, अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना उचित नहीं है।
(3) अपनी करनी पार उतरनी- अपने किए का फल स्वयं भोगना पड़ता है।
प्रयोग - राम ने चोरी तो कर ली अब न्यायालय से उसे सजा ही मिलेगी। सच ही कहा गया है- अपनी करनी पार उतरनी। उसकी सजा में दूसरा कौन भागीदार बनेगा ?
(4) अपनी गली में कुत्ता भी शेर – कमजोर भी अपने इलाके में ताकतवर होता है।
प्रयोग - राम मोहन को अपने छत पर खड़ा होकर गालियाँ बक रहा था। मोहन ने कहा- छत से नीचे आ। अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है।
(5) आप भला तो जग भला - भले के लिए सब भले होते हैं ।
प्रयोग–संत पुरुष कभी किसी के दुर्गुण नहीं देखते वे सदैव आप भला तो जग भला की नीति का पालन करते हैं।
(6)मुद्दई सुस्त गवाह चुस्त- मुख्य व्यक्ति निश्चिंत, सहयोगी चिंतित ।
प्रयोग—मोहन अपने विवाह के प्रति लापरवाह है, लेकिन उसके मित्र सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त ।
(7) आम के आम गुठलियों के दाम– दोहरा लाभ।
प्रयोग—मिलो से निकलने वाले अनुपयोगी पदार्थ भी अन्य कार्यों में उपयोगी बन जाते हैं। सच है आम के आम गुठलियों के दाम
(8) ओछे के घर जाना, जनम-जनम का ताना - नीच व्यक्ति किसी का काम करके उसे जन्म भर देता रहता है।
प्रयोग–सरनाम सिंह ने एक-दो बार मेरी सहायता कर दी है लेकिन अब वह सभी जगह इसी बात को कहता फिरता है। सच है, ओछे के घर जाना, जनम-जनम का ताना।
(9) एक पंथ दो काज - एक साथ दो काम होना ।
प्रयोग- शासकीय कार्य से मुम्बई तो जा ही रहे हो तो बुआ से भी मिल आना । एक पंथ दो काज ।
(10) एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकतीं - प्रतिद्वन्द्वी एक साथ नहीं रह सकते।
प्रयोग- यदि तुम सुरेश का पक्ष लेते रहोगे तो हमसे सम्बन्ध टूट जायेंगे, क्योंकि एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकतीं
(11) एक अनार सौ बीमार - कम वस्तुएँ माँग अधिक
प्रयोग - जहाँ भी नौकरी के लिए जाओ सैकड़ों बेरोजगार मिलते हैं। सच है एक अनार सौ बीमार
(12) एक और एक ग्यारह होते हैं - एकता में शक्ति होती है।
प्रयोग - आप सब मिलकर अन्याय के खिलाफ लड़ोगे तो निश्चित ही सफलता मिलेगी, क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं।
(13) एक ही थाली के चट्टे-बट्टे - सब एकसमान।
प्रयोग- नेता किसी भी दल के क्यों न हों सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं।
(14) हाथ कंगन को आरसी क्या - प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती।
प्रयोग - एक नजर ताजमहल को देख लेने से उसकी सुन्दरता अपने आप स्पष्ट हो जायेगी हाथ कंगन को आरसी क्या ।
(15) कौआ चले हंस की चाल - बड़ों की हास्यास्पद नकल ।
प्रयोग–नये-नये कलाकार जब बड़े-बड़े कलाकारों की नकल करते हैं, तो लोग सहसा कह उठते हैं— कौआ चले हंस की चाल
(16) खोदा पहाड़ और निकली चुहिया– अधिक परिश्रम और लाभ कम ।
योग—मंत्री जी पर आरोप तो बहुत लगे पर एक भी सिद्ध नहीं हुआ खोदा पहाड़ और निकली चुहिया चरितार्थ हो गई।
(17) चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात - समय परिवर्तनशील होता है।
प्रयोग- कल तक साँस लेने की फुर्सत नहीं थी अब मक्खी मारना पड़ रहा है यह सच है कि चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात
(18) पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं - पराधीन जीवन, दुःखी जीवन ।
प्रयोग—जब नौकरी में आ गये हो तो सोच लो पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।
(19) मन चंगा तो कठौती में गंगा - मन पवित्र है तो घर में ही तीर्थ है।
प्रयोग-मन चंगा तो कठौती में गंगा कहावत चरितार्थ करते हुए उसने दीन-दुःखियों की मदद की तीर्थ यात्रा की बात नहीं सोची ।
(20) आये थे हरिभजन को ओटन लगे कपास - उद्देश्य भूलकर किसी अन्य कार्य में लगना । प्रयोग–वह उच्च शिक्षा पाने विदेश गया पर वहाँ व्यवसाय करने लगा। आये थे हरिभजन को ओटन लगे
(21) आसमान से गिरा, खजूर में अटका - एक बाधा से निकलकर दूसरी बाधा में फँसना । प्रयोग–केन्द्र सरकार से यह विधेयक पास हो गया, परन्तु राज्य सरकार इसे लटकाकर आसमान से गिरा खजूर में अटका कहावत चरितार्थ कर रही है।
(22) गेहूँ के साथ घुन भी पीसता है —गलती में साथ रहने वाला भी दोषी ठहराया जाता है।
प्रयोग–मोहन ने चोरी की थी किन्तु सबने उसके साथ रहने वाले मित्र सोहन को भी दोषी ठहरा दिया। कहा ही गया है कि-गेहूँ के साथ घुन भी पीसता है।
(23) घर का भेदी लंका ढाये - पारिवारिक फूट के दुष्परिणाम
प्रयोग–भारत पर विदेशियों का कब्जा हमारी आपसी फूट का परिणाम है, क्योंकि घर का भेदी लंका ढाये।
(24) जैसी बहे बयार, पीठ पुनि तैसी कीजे - परिस्थिति के अनुसार चलना चाहिए।
प्रयोग–नये प्राचार्य के आने पर प्रभारी प्राचार्य ने अपने कार्य-कलाप उसी की पसंद के अनुरूप बना लिये। जैसी बहे बयार पीठ पुनि तैसी कीजे ।
(25) जैसे नागनाथ वैसे साँपनाथ- दोनों विकल्प एक जैसे दूषित होना ।
प्रयोग - जैसी नयी सरकार है वैसी ही पुरानी सरकार भी। जैसे नागनाथ, वैसे साँपनाथ ।
(26) तू डाल-डाल मैं पात-पात - एक-दूसरे से बढ़कर चतुर होना ।
प्रयोग - मना करने पर भी जब अखाड़े वालों ने चौराहे पर सभा की तो नगरपालिका वालों ने बिजली गुल करवा दी तू डाल-डाल तो मैं पात-पात ।
(27) तीन लोक से मथुरा न्यारी- अपरम्परागत कार्य करना ।
प्रयोग – रोहित गर्मी के दिनों में भी रजाई ओढ़कर सोता है, उसकी तो तीन लोक से मथुरा न्यारी है।
(28) थोथा चना बाजे घना - अल्पज्ञ द्वारा ज्ञान का प्रदर्शन
प्रयोग- हमारे गणित के प्राध्यापक को अपने गणितज्ञ होने का बहुत घमण्ड था। एक दिन मैंने उनसे एक सवाल हल करने को दिया। वे साधारण सा सवाल हल नहीं कर सके। स्पष्ट हो गया वो थोथा चना बाजे घना वाली श्रेणी के व्यक्ति थे ।
(29) जहाँ चाह वहाँ राह - संकल्प पूरे किये जा सकते हैं।
प्रयोग- शास्त्रीजी उफनती नदी में तैरकर परीक्षा देने गये। जहाँ चाह वहाँ राह ।
(30) जिन ढूँढ़ा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैठ - प्रयास करने पर ही सफलता मिलती है।
प्रयोग—गरीब विद्यार्थी ज्ञानेश्वर ने पुस्तकालयों में बैठ-बैठकर अध्ययन पूर्ण किया और प्रथम श्रेणी प्राप्त की, जिन ढूँढ़ा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैठ ।
(31) सिर मुड़ाते ही ओले पड़े - कार्यारम्भ में ही विपत्ति आ जाना।
प्रयोग–नए घर में आते ही कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है-कभी बिजली, कभी पानी, कभी नौकरानी। सिर मुड़ाते ही ओले पड़े हैं।
(32) डायन भी दस घर छोड़कर खाती है - दुष्ट व्यक्ति भी अपने लोगों का बुरा नहीं करता।
प्रयोग–वह व्यापारियों को ही नहीं अपने मामा के भी रुपये खा गया। अरे मामाजी को तो बख्शा होता डायन भी दस घर छोड़कर खाती है।
(33) डूबते को तिनके का सहारा - विपत्तिग्रस्त को थोड़ा सा सहारा भी बहुत होता है।
प्रयोग-जंगल में बिगड़ी कार के यात्रियों को एक बैलगाड़ी वाले ने बस्ती तक पहुँचाया। डूबते को तिनके का सहारा।
(34) जिसकी लाठी उसकी भैंस - ताकतवर का राज्य होना ।
प्रयोग- प्रजातंत्र में लोग इतने स्वतंत्र हो गए हैं कि जिसकी लाठी उसको भैंस हो गई है।
(35) हंसा थे उड़ गये कागा भये दीवान– नेक आदमी का राज्य न होना।
प्रयोग - आज राजनीति की स्थिति ऐसी हो गई है कि हंसा थे उड़ गये कागा भये दीवान ।
(36) आसमान पर चढ़ना- बढ़- चढ़कर बातें करना ।
प्रयोग- सोमेश कलेक्टर क्या बना उनके पिताजी का दिमाग आसमान पर चढ़ गया।
(37) अंधी खोपड़ी का होना – अक्ल कमजोर होना।
प्रयोग—श्याम अंधी खोपड़ी का व्यक्ति है इसलिए उससे कोई बात नहीं करता ।
(38) हाथ धो बैठना - नुकसान कराना।
प्रयोग - रामबिहारी ड्यूटी में नियमित नहीं होने के कारण नौकरी से हाथ धो बैठा।
(39) काटो तो खून नहीं - डर के मारे खून सूखना।
प्रयोग—पड़ोसी के घर से मोबाईल चुराते हुए देखे जाने पर अरूणा के काटो तो खून नहीं वाली स्थिति हो गई थी
(40) दिया तले अंधेरा – पास रखी वस्तु के दोष दिखाई नहीं देते।
प्रयोग—सीता के डॉ. होने का क्या सुख उसका बेटा चोरी करते पकड़ा गया। सच ही कहा है दिया तले अंधेरा ही होता है।
(41) चोर-चोर मौसेरे भाई- समान प्रवृत्ति के लोगों में मित्रता होना।
प्रयोग–सीता और गीता दूसरों के सामान को अपना समझ तुरंत इस्तेमाल करने लगती हैं सच ही कहा है चोर-चोर मौसेरे भाई ।
(42) न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी - झगड़े को जड़ से ही नष्ट कर देना।
प्रयोग- भाई बहन को टीवी. देखने के लिए लड़ते देख पिताजी ने कहा मैं टी.वी. ही बेच देता हूँ न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी ।
(43) जाके पैर न फटे बिवाई वो क्या जाने पीर पराई - जिसके ऊपर विपत्ति नहीं आई वह दूसरों के को कैसे जाने।
प्रयोग - रवि परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया। वह बड़ा दुखी हुआ। विनोद ने उसे समझाते हुए कहा "इसमें बात है।" रवि बोला "ठीक हैजाके पैर न फटे बिवाई वो क्या जाने पीर पराई "
(44) तलवार की धार पर चलना - कठिन कार्य करना।
प्रयोग- देश भक्तों ने स्वतंत्रता संग्राम में तलवार की धार पर चलकर आजादी प्राप्त की।
(45) काला कानून - अन्यायपूर्ण विधान।
प्रयोग- प्रजातन्त्र में काला कानून नहीं चलता।
(45) कान पर जूँ न रेंगना -बिल्कुल फ्रिक न होना।
प्रयोग-सारा धान पानी में सड़ गया लेकिन अधिकारियों के कान पर जूं तक न रेंगी।
(46) किताबी कीड़े - हर समय पढ़ने वाला।
प्रयोग किताबी कीड़े अक्सर जीवन की जटिल समस्याओं से जल्दी घबरा जाते हैं।
(47) खाका खींचना - मजाक उड़ाना।
योग हमें किसी का खाका खींचना पसंद नहीं है। -
(48) गंगा उठाना - गंगा जल हाथ में लेकर शपथ लेना (कसम खाना )।
प्रयोग- मैं गंगा उठाकर कह सकता हूँ कि मैंने तुमसे कोई कर्ज नहीं लिया।
(49) गुड़ गोबर करना - काम बिगाड़ना।
प्रयोग- पिकनिक का कार्यक्रम बन चुका था, लेकिन आँधी वर्षा ने सब गुड़ गोबर कर दिया।
(50) घड़ों में पानी पड़ जाना — अत्यन्त लज्जित होना।
प्रयोग अपनी बेटी की करतूतें सुनकर माँ पर घड़ों में पानी पड़ गया।
लोकोक्तियों अथवा कहावतों अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओ में पूछे जाते है परीक्षा में 50 से अधिक लोकोक्तियों अथवा कहावतों और 20 से अधिक लोकोक्तियों अथवा कहावतों साथ ही साथ 10 से अधिक लोकोक्तियों अथवा कहावतों पूछे जाते है
FAQs
1) मुहावरे एवं लोकोक्तियां में क्या अंतर है?
मुहावरे का प्रयोग वाक्य के अंत, आरम्भ और बीच में कही भी किया जा सकता है। लोकोक्तियाँ अपने आप में एक पूर्ण वाक्य होती हैं। मुहावरा अपने रूढ़ अर्थ के लिए प्रसिद्ध होता है। लोकोक्ति का अर्थ है लोक+उक्ति यानी लोकोक्तियाँ लोक में प्रचलित उक्ति होती हैं जो भूतकाल का लोक अनुभव होती है।
2) पचास मुहावरे और कहावतों का अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग करो?
गुदड़ी का लाल – गरीब घर में गुणवान का पैदा होना (वाक्य में प्रयोग– राष्ट्रपति कलाम गुदड़ी के लाल हैं।) मिट्टी में मिलना – नष्ट होना (वाक्य में प्रयोग – केदारनाथ में बाढ़ आने पर सब कुछ मिट्टी में मिल गया)। आँखों का तारा होना – बहुत प्रिय होना (वाक्य में। प्रयोग – इकलौती संतान माता – पिता की आँखों की तारा होती है)।
3) मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करो?
(1) अपनी खिचड़ी अलग पकाना-सबसे पृथक् काम करना।
वाक्य-प्रयोग-वह अपनी खिचड़ी अलग पकाता है।
(2) आँखों में धूल झोंकना-धोखा देना। वाक्य-प्रयोग-तुमने उसकी आँखों में धूल झोंक दी।
4) मुहावरे और लोकोक्ति में क्या अन्तर है कोई तीन अंतर बताइये?
लोकोक्ति पूर्ण वाक्य होती हैं जबकि मुहावरा वाक्य का अंश होता हैं. लोकोक्ति लोक में प्रचलित उक्ति होती हैं जो भूतकाल का लोक अनुभव होती हैं जबकि मुहावरा अपने रूढ़ अर्थ के लिए प्रसिद्ध होता हैं. पूर्ण इकाई होने के कारण लोकोक्ति में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता है जबकि मुहावरों में वाक्य अनुसार परिवर्तन होता हैं
5) लोकोक्तियां कैसे लिखते हैं?
लोकोक्तियों के लिए यह शर्त जरूरी नहीं है। चूंकि लोकोक्तियाँ स्वतः पूर्ण वाक्य हैं अतः उनका अंत क्रिया के किसी भी रूप से हो सकता है; जैसे- अधजल गगरी छलकत जाए, अंधी पीसे कुत्ता खाए, आ बैल मुझे मार, इस हाथ दे, उस हाथ ले, अकेली मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।
इस लेख में हमने हिंदी लोकोक्तियाँ अथवा कहावतें (Hindi proverbs or sayings) के बारे में जाना। किसी बात को कम शब्दों में कहने या अपनी बात को प्रभावी बनाने के लिए हिंदी लोकोक्ति अथवा कहावत (Hindi proverbs or sayings) का प्रयोग किया जाता है।
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