पोषण के प्रकार (Types of Nutrition in Hindi)

नमस्कार, आपका answerduniya.com में स्वागत है। इस आर्टिकल में हम पोषण के प्रकार (Types of Nutrition in Hindi) के बारे में विस्तारपूर्वक जानने वाले हैं। किसी भी सजीव चाहे वह वह पादप हो या जन्तु सभी को कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है और शरीर की क्रियाएं जैसे ग्रहण, पाचन और उत्सर्जन के लिए भी ऊर्जा की जरुरत पड़ती है, यह ऊर्जा हमें भोज्य पदार्थों से मिलता है, इसे ही पोषण कहा जाता है। इस आर्टिकल में पोषण और पोषण के प्रकार के बारे में बताया जा रहा है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पोषण सम्बंधित पूछे जा रहे प्रश्नों को ध्यान में रख कर यह आर्टिकल लिखा गया है।

पोषण के प्रकार (Types of Nutrition in Hindi)

Types of Nutrition in Hindi











पोषण के प्रकार (Poshan ke Prakar)

पोषण (Nutrition)- पोषण वह क्रिया है, जिसके द्वारा जीव भोज्य पदार्थों का निर्माण या संश्लेषण अथवा ग्रहण तथा उपयोग करते है। इसके द्वारा जीव विभिन्न कार्यों को करने के लिये ऊर्जा प्राप्त करते है।

जीवों में पोषण के कौन-कौन से प्रकार होते है?

जीवों में पोषण की दो विधि होता है-

1.स्वपोषी (Autotrophic Nutrition)

2.विषमपोषण (Heterotrophic Nutrition)

1.स्वपोषी (Autotrophic Nutrition)- 

वह पोषण, जिसमें जीव अपने भोज्य पदार्थों का संश्लेषण स्वयं करता है, ऐसा पोषण करने वाले जीव को स्वपोषी कहते है। उदाहरण- पेड़- पौधे

2.विषमपोषण (Heterotrophic Nutrition)- 

वह पोषण है, जिसमें जीव अपने भोज्य पदार्थों का संश्लेषण स्वयं नहीं करते बल्कि ये, इन्हें दूसरे जीवों से प्राप्त करते है, ऐसा पोषण करने वाले जीवों को विषमपोषी कहते है। उदाहरण- सभी जीव- जन्तु, कवक, कुछ जीवाणु आदि।

जानें- पादप ऊतक- पारिभाषिक शब्दावली।

विषम पोषण के प्रकार-

  1. पूर्णभोजी (Holozoic Nutrition)
  2. मृतोपजीवी (Saprozoic Nutrition)
  3. मलभोजी (Coprozoic)
  4. परजीवी (Parasite Nutrition)

1.पूर्णभोजी पोषण (Holozoic Nutrition)- 

इस पोषण में जन्तु भोज्य पदार्थों को निगलकर अन्तर्ग्रहित करते है। इसके बाद भोजन का शरीर के अन्दर पाचन, अवशोषण तथा स्वांगीकरण होता है। पूर्णभोजी पोषण कई मुख्य समूहों में बँटा होता है।

(A) शाकाहारी (Herbivorous)- इस समूह में वे जन्तु आते है, जो पौधे या उनके भागों को भोजन के रूप में उपयोग करते है जैसे- भेड़, बकरी, हिरण, हाथी आदि।

(B) मांसाहारी (Carnivorous)- इस समूह में वे जन्तु आते है, जो दूसरे जन्तुओं के द्वारा अपना भोजन बनाते है जैसे- हाइड्रा, शेर, चीता आदि।

(C) सर्वाहारी (Omnivorous)- इस समूह में वे जन्तु आते है, जो पादपों तथा जन्तुओं दोनों को भोजन के रूप में उपयोग करते है, जैसे- कुत्ता, मनुष्य, भेड़िया आदि।

(D) रक्तभक्षी (Sanguivorous) - इस समूह में वे जन्तु आते है, जो अन्य जन्तुओं का रक्त चूसकर अपना पोषण प्राप्त करते है। जैसे- जोंक, मच्छर आदि।

(E) स्वजाति (Cannibalistic)- इस समूह में वे जन्तु आते है, जो अपनी ही जाती के जन्तुओं को खा जाते है। जैसे- गिद्ध

(F) स्कैवेन्जर्स (Scavenge)- इस समूह में वे जन्तु आते है, जो मृत जन्तुओं के मांस को भोजन के रूप में उपयोग करते है। जैसे- चींटी, चील आदि।.

पढ़ें- वन पारिस्थतिकी तंत्र।

2.मृतोपजीवी (Saprozoic Nutrition)- 

इस पोषण में जन्तु सड़े- गले निर्जीव पदार्थों से निकले तरल कार्बनिक पदार्थों को पोषक पदार्थों के रूप में शरीर की बाहरी सतह से अवशोषित करके पोषण प्राप्त करते है, ऐसा पोषण करने वाले जन्तु को मृतोपजीवी कहलाता है।जैसे- विषाणु, कवक आदि।

3.मलभोजी (Coprozoic)- 

वह पोषण है, जिसमें जीव भोजन के रूप में मल तथा विष्ठा को ग्रहण करता है। जैसे- सुअर आदि।

4.परजीवी (Parasite Nutrition)- 

यह वह पोषण है, जिसमें एक जन्तु जिसे परजीवी कहते है किसी दूसरे जीवित जन्तु जिसे पोषक (Host) कहते है, से अपना भोजन ग्रहण करता है। 

यह दो प्रकार के होते है-

(a)बाह्य परजीवी (Ectoparasite)-वे परजीवी जो पोषक के शरीर के बाहर रहकर अपना भोजन ग्रहण करते है, उसे बाह्य परजीवी कहते है। जैसे- जोंक, जूँ आदि।

(b)अन्तः परजीवी(Endoparasite)- वे परजीवी जो पोषक के शरीर के अन्दर रहकर अपना भोजन ग्रहण करते है, उसे अन्तः परजीवी कहते है। जैसे- एस्केरिस, प्लाजमोडियम आदि।

इस आर्टिकल में हमने पोषण के प्रकार के बारे में जाना। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पोषण से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। 

उम्मीद करता हूँ कि पोषण के प्रकार का यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा , अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आये तो इस आर्टिकल को शेयर जरुर करें।

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