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धातु क्या है (Dhatu kya hai)

हेलो दोस्तों, इस आर्टिकल में हम धातु क्या है  (Dhatu kya hai) के बारे में जानेंगे। धातु रसायन विज्ञानं का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है। धातु से जुड़े प्रश्न प्रमुख रूप से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। अगर आप धातु से जुड़े प्रश्नों को लेकर अपनी दुविधा दूर करना चाहते हैं तो आप बिलकुल सही पोस्ट में आये हैं क्यूंकि इस पोस्ट में आपको धातु से जुडी विस्तृत जानकरी मिल जाएगी।

धातु क्या है (What is Metal)


धातु क्या है  (What is Metal)

धातु वह खनिज पदार्थ या तत्व होते हैं जो सामान्य अभिक्रिया में अपने परमाणुओं से एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन को त्याग कर धनायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते हैं। धातु परमाणु द्वारा त्याग किये इलेक्ट्रॉन की संख्या पर ही उस धातु की संयोजकता निर्भर करती है। स्वतंत्र इलेक्ट्रॉन के कारण अधिकांश धातुएँ विद्युत की सुचालक होती है।  सामान्यतः धातुएँ ठोस और चमकदार होती है। 

जानें- विटामिन क्या है- प्रकार, लाभ (Vitamins kya hai - type, benefit)

धातुओं के भौतिक गुण (physical properties of metals)

उच्च गलनांक(high melting point) :- सभी धातुओं का गलनांक अत्यधिक होता है, अतः उन्हें ठोस से द्रव अवस्था में परिवर्तित करने के लिए उच्च ताप की आवश्यकता होती है।

चमकदार सतह(shiny surface):- धातुओं की सतह शुद्ध अवस्था में चमकदार होती है। धातुओं के इस गुण को धात्विक चमक कहते हैं। किसी धातु के ऊपरी सतह को साफ करने पर चमकने लगता है।

कठोरता(stiffness):- सभी धातु कठोर होते हैं। जिस पर घात करने से आसानी से टूटते नहीं हैं। अपवाद- पोटेशियम और सोडियम 

आघातवर्ध्नियता (malleability):- सभी धातु आघात वर्धनीय होते हैं इसका मतलब धातुओं के ऊपर कोई भरी वस्तु से प्रहार करने पर वह फैलने लगता है इसे अघातवर्धनीयता कहते हैं । जिसे सोने चांदी के आभूषण बनाने के लिए उसे पिटा जाता है। एल्युमीनियम को कागज की परत की तरह मिठाइयों के ऊपर लपेटना।

लचीलापन(resilience):- धातु में लचीलापन होता है इसलिए धातु को आसानी से पतली तार के रूप में बदला जा सकता है। विद्युत् के तारों में इन्ही तारों का प्रयोग किया जाता है। लोहे का प्रयोग मोती तार जैसे पूल बनाने में , सस्पेंसन ब्रिज बनाने में क्रेन बनाने में किया जाता है।

चालकता(conductivity):- धातु ऊष्मा और विद्युत् के सुचालक होते हैं इसलिए बिजली के तारों में एल्युमीनियम और कॉपर के तारों का उपयोग किया जाता है।

घनत्व(density):- धातुओं का घनत्व अधिक होता है। इसके अणु पास पास होते हैं।

तन्यता (Tensile):- धातुओं का यह भी एक गुण है कि धातु को खींचकर लम्बा किया जा सकता है।

धातुओं के रासायनिक गुण(chemical properties of metals)

लगभग सभी धातु एक ही प्रकार की अभिक्रिया करते हैं फिर भी कभी कभी पदार्थ की प्रकृति की भिन्नता के कारण कुछ अभिक्रियाएँ अलग हो सकती हैं। अधिकतर धातु किस तरह के रासायनिक गुण रखते हैं इसके बारे में यहाँ पर बताया जा रहा है।

ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया:- सभी धातु हवा में ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके धात्विक ऑक्साइड बनाते हैं।

4Na + O2 → 2Na2O (सोडियम ऑक्साईड)
2Ca + O2 → 2CaO (कैल्शियम ऑक्साईड)
4Al + 3O2 → 2Al2O3 (अल्यूमीनियम ऑक्साईड)



धात्विक ऑक्साइड धातु के ऊपर एक परत बना लेते हैं । जैसे लोहे में जंग लगना - लोहे के ऊपर एक परत जम जाती है। 

हेलोजन से अभिक्रिया:- हेलोजनों से अभिक्रिया करके धातु धात्विक हैलाइड लवण बनाते हैं। 

2Na + Cl2 → 2NaCl (सोडियम क्लोराईड - साधारण नमक)
Ca + Cl2 → CaCl2 (कैल्शियम क्लोराईड)
2Li + F2 → 2LiF (लीथियम फ्लोराईड)

जल के साथ अभिक्रिया:- अधिक क्रियाशील धातु जल के साथ अभिक्रिया करके क्षार बनाते हैं और हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।

अम्लों के साथ अभिक्रिया:- धातु अम्लों से अभिक्रिया करके लवण बनाते हैं और हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
Mg + H2SO4 → MgSO4 + H2

धातुओं के उपयोग (Uses of metals)

  • पारा थर्मामीटर बनाने में , सिन्दूर बनाने में 
  • मरक्यूरिक क्लोराइड कीटनाशक के रूप में
  • सोना,चांदी जैसे धातु का उपयोग आभूषणों  के रूप में किया जाता है।
  • खाद्य पदार्थों में एल्युमीनियम का 
  • विद्युत के तारों में एल्युमीनियम और कॉपर के तारों का 
  • लोहे की छड़ का उपयोग घर बनाने में , खिड़की,  दरवाजा, ग्रिल बनाने में 
  • जिप्सम प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाने में
  • बर्तन बनाने में 
  • मूर्ति बनाने में 
  • शल्य चिकित्सा में पट्टी के रूप में 
  • ब्लीचिंग पाउडर बनाने में
  • कंप्यूटर, मोबाइल फोन, सोलर सेल आदि जैसी वस्तुओं के निर्माण में सोने एवं चाँदी का उपयोग विद्युत संपर्क को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है।
इस पोस्ट में हमने धातु क्या है (What is Metal) के बारे में जाना। जो रसायन विज्ञानं के महत्वपूर्ण प्रश्नों में से एक है।

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विटामिन क्या है- प्रकार, लाभ (Vitamins kya hai - type, benefit)

इस पोस्ट में हम विटामिन के बारे में जानेंगे- जैसे विटामिन क्या है(Vitamins kya hai), विटामिन का रासायनिक नाम , विटामिन की कमी से होने वाले रोग , विटामिन के स्रोत आदि। जीवों को स्वस्थ रहने के लिए इन सभी विटामिन की जानकारी जरुर होनी चाहिए। परीक्षा में भी विटामिन से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। विटामिन जीवों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत ही आवश्यक है। 

विटामिन क्या है- प्रकार, लाभ (Vitamins kya hai - type, benefit)

विटामिन क्या है (What is vitamin)

सभी जीवों को जीवित रहने के लिए, शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। भिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में अलग अलग विटामिन पाए जाते हैं जो शरीर के विकास के लिए आवश्यक है। ये विटामिन कई प्रकार के होते हैं, इस विटामिन की कमी होने से बहुत से रोग जीवों को घेर लेते हैं। खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले जटिल कार्बनिक यौगिक जो शरीर की वृद्धि तथा पोषण करते हैं। विटामिन कहलाते हैं।

इन्हें भी जानें- प्रोकेरियोटिक कोशिका और यूकेरियोटिक कोशिका

विटामिन के प्रकार(Types of vitamin)-

विटामिन को दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है- 
  • वसा में विलेय विटामिन
  • जल में विलेय विटामिन
वसा में विलेय विटामिन:- विटामिन A, D, E और K वसा में घुलनशील हैं। शरीर फैटी टिश्यू और लीवर में वसा में घुलनशील विटामिन का भंडार करता है, और ये सभी विटामिन शरीर में कई दिनों और महीनों तक आसानी से रह जाते हैं।आहार वसा शरीर को इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के माध्यम से वसा में घुलनशील विटामिन को अवशोषित करने में मदद करते हैं।

जल में विलेय विटामिन:- पानी में घुलनशील विटामिन लंबे समय तक शरीर में नहीं रहते हैं और इन्हें संग्रहित नहीं किया जा सकता है। ये पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाते हैं। इस वजह से, लोगों को वसा में घुलनशील विटामिन की तुलना में पानी में घुलनशील विटामिन की अधिक नियमित आपूर्ति की आवश्यकता होती है। विटामिन C और सभी B विटामिन पानी में घुलनशील हैं। 

विटामिन और उसके बारे में(vitamin and about)-

विटामिन ए(Vitamin-A) -

रासायनिक नाम-  रेटिनॉल
विटामिन A की कमी से होने वाले रोग- रतौंधी , त्वचा का शुष्क हो जाना, जिरोप्थैलमिया
लक्षण- कम प्रकाश में दिखाई न देना, आंखों से लिसलिसा पदार्थ का निकलना।
विटामिन A के स्रोत- हरी सब्जियां, दालें, मछली के यकृत का तेल, दूध, मक्खन, गाजर, अंडा, ब्रोकोली, शकरकंद, केला, पालक, कद्दू, कोलार्ड ग्रीन्स, कुछ चीज, खुबानी, कैंटालूप तरबूज आदि।

विटामिन बी1(Vitamin- B1)

रासायनिक नाम- थायमिन
विटामिन बी1 की कमी से होने वाले रोग- बेरी-बेरी 
विटामिन बी1 के स्रोत- सूरजमुखी के बीज, अनाज, आलू, संतरे और अंडे।

विटामिन बी2(Vitamin-B2)- 

रासायनिक नाम- राइबोफ्लेविन
विटामिन बी2 की कमी से होने वाले रोग- त्‍वचा का फटना, आँखों का लाल होना
विटामिन बी2 के स्रोत- केला, दूध, दही, मास, अंडे, हरी बीन्स और मछली।

विटामिन बी3(Vitamin- B3)-

रासायनिक नाम- नियासिन
विटामिन बी3 की कमी से होने वाले रोग- त्‍वचा पर दाद होना
विटामिन बी3 के स्रोत- साबुत अनाज, आटा खजूर, दूध, अंडे, टमाटर, गाजर, एवोकाडो और एनरिच्ड अन्न

विटामिन बी5(Vitamin- B5) - 

रासायनिक नाम- पैंटोथेनिक एसिड
विटामिन बी5 की कमी से होने वाले रोग- बाल सफेद होना, मंदबुद्धि होना
विटामिन बी5 के स्रोत- गिरीदार फ़ल और साबुत अनाज

विटामिन बी6(Vitamin- B6)  

रासायनिक नाम-पाइरिडोक्सीन
विटामिन बी6 की कमी से होने वाले रोग- दुर्बलता, नींद न आना, तंत्रिका तंत्र में अनियमितता,एनिमिया, त्‍वचा रोग
विटामिन बी6 के स्रोत- अनाज, मांस,केले सब्जियां।

विटामिन बी7(Vitamin-B7)-  

रासायनिक नाम-  बायोटिन
विटामिन बी7 की कमी से होने वाले रोग-  लकवा की शिकायत ,शरीर में दर्द , बालों का गिरना तथा वृद्धि में कमी आदि ।
विटामिन बी7 के स्रोत- अंडे की जर्दी , सब्जियां।

विटामिन बी9- 

रासायनिक नाम- फोलेट या फोलिक एसिड
विटामिन बी9 की कमी से होने वाले रोग- त्वचा के लोग और गठिया
विटामिन बी9 के स्रोत- ताजी सब्जियां

विटामिन बी12(Vitamin-B12)- 

रासायनिक नाम- स्यानोकोबलामीन
विटामिन बी12 की कमी से होने वाले रोग- रुधिर की कमी, पर्निसियस एनीमिया 
विटामिन बी12 के स्रोत- पनीर, दूध, मांस, मछली, अंडा में पाया जाता है

विटामिन सी(Vitamin-C)-  

रासायनिक नाम- एसकोर्बिक एसिड
विटामिन सी की कमी से होने वाले रोग- स्कर्वी
विटामिन सी के स्रोत- सभी रसदार फ़ल. टमाटर कच्ची बंदगोभी, आलू, स्ट्रॉबेरी
लक्षण- हड्डियों का कमजोर होना, घाव का देरी से भरना, मसूड़ों से खून आना आदि।

विटामिन डी(Vitamin-D)- 

रासायनिक नाम- कैल्सिफेरॉल
विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग- रिकेट्स, ऑस्टियोमलेशिया
विटामिन डी के स्रोत- दुग्धशाला उत्पाद। बदन में धूप सेकने से कुछ एक विटामिन त्वचा में भी पैदा हो सकते है।
लक्षण- दांतों में विकृति, जोड़ों में सूजन आदि।

विटामिन ई(Vitamin-E)-

रासायनिक नाम- टोकोफेरोल
विटामिन ई की कमी से होने वाले रोग- जनन शक्ति का कम होना
विटामिन ई के स्रोत- वनस्पति तेल और अनेक दूसरे खाघ पदार्थ
लक्षण- जंतुओं में पेशी ताकतों का क्षय होना।

विटामिन के(Vitamin-K)-

रासायनिक नाम- फिलोक्विनोन
विटामिन के की कमी से होने वाले रोग- रक्‍त का थक्‍का न जमना
विटामिन के के स्रोत-  हरे पत्ते वाली सब्जियां, सोयाबीन, गोभी आदि।
लक्षण- रक्त का थक्का जमने में अधिक समय लगना, शिशुओं में मस्तिष्क रक्त स्राव का न रुकना।

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इस पोस्ट में हमने विटामिन क्या है- प्रकार, लाभ (Vitamins kya hai - type, benefit) के बारे में जाना। जीवों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए विटामिन के बारे में जानना बहुत जरुरी है।

आशा करता हूँ कि विटामिन क्या है- प्रकार, लाभ (Vitamins kya hai - type, benefit) का यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा , अगर आपको यह पोस्ट [पसंद आया हो तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।


सहसंयोजकता बंध सिद्धांत (Sahsanyojakata bandh siddhant)

इस लेख में हम सहसंयोजकता बंध सिद्धांत (Sahsanyojakata bandh siddhant)  के बारे में जानने वाले हैं। रसायन विज्ञान का यह एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिससे सम्बंधित प्रश्न अक्सर ऊच्चतर माध्यमिक की परीक्षाओं में पूछे जाते रहते हैं और सहसंयोजकता बंध सिद्धांत (Sahsanyojakata bandh siddhant)  से जुड़े प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है। 

सहसंयोजकता बंध सिद्धांत (Sahsanyojakata bandh siddhant)

सहसंयोजकता (Sahsanyojakata bandh siddhant) 

सहसंयोजकता- तत्वों के परमाणु अपने कुछ इलेक्ट्रॉनों का स्वयं के अन्य परमाणु या अन्य तत्व के परमाणु के इलेक्ट्रॉनों के साथ संयोजन कर अणु बनाते हैं। संयोग करने वाले परमाणुओं के मध्य परस्पर आकर्षण के कारण रासायनिक बन्ध बनता है और अणु को स्थायी विन्यास प्राप्त होता है। यह संयोजन उन परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों की परस्पर साझेदारी द्वारा सम्पन्न होता है। दोनों परमाणु समान संख्या में इलेक्ट्रॉन देकर उभयनिष्ठ इलेक्ट्रॉन युग्म बनाते हैं। यह प्रक्रिया सहसंयोजकता कहलाती है।

इसे भी पढ़ें- पीरियाडिक टेबल की जानकारी | Periodic Table ki Jankari

संयोजकता वन्ध सिद्धान्त (Valence Bond Theory)

इसे परमाणु कक्षक सिद्धान्त (Atomic Orbital Theory) भी कहते हैं। इसे पहले हिटलर और लन्दन (Heitler and London) द्वारा प्रस्तावित किया गया, जिसमें सहसंयोजक बन्ध की प्रकृति को समझाया गया है। इस धारणा को अधिक विकसित कर पॉलिंग और स्लेटर (Pauling and Slater) ने सहसंयोजक बन्ध की दिशात्मक प्रवृत्ति को स्पष्ट किया। सिद्धान्तों का इस प्रकार मिला-जुला और सम्बन्धित रूप संयोजकता बन्ध सिद्धान्त' कहलाता है। इस सिद्धान्त की व्याख्या परमाणु कक्षकों के रेखीय संयोजन (Linear Combination of Atomic Orbitals or LCAO) के आधार पर की जाती है।

(अ) हिटलर-लन्दन सिद्धान्त- दो विपरीत चक्रण वाले (भिन्न परमाणु) अयुग्मित इलेक्ट्रॉन कक्षक एक-दूसरे से अतिव्यापन द्वारा बन्ध बनाते हैं। विपरीत चक्रण के कारण वे एक-दूसरे के चुम्बकीय क्षेत्र को निरस्त कर आपसी आकर्षण द्वारा इलेक्ट्रॉन युग्म बना लेते हैं। ये इलेक्ट्रॉन युग्म दोनों परमाणु नाभिकों से संबंधित रहते हैं। अतिव्यापन के कारण अधिकतम इलेक्ट्रॉन घनत्व दोनों नाभिकों के बीच में बनता है, जो दोनों नाभिकों को आकर्षण द्वारा वाँधे रखता है।

इस सिद्धान्त में बन्ध के दिशात्मक लक्षणों पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है।

(ब) पॉलिंग-स्लेटर का सिद्धान्त- यह सिद्धान्त सन् 1932 में लीनस पॉलिंग तथा स्लेटर द्वारा दिया गया। इसे संयोजकता बन्ध सिद्धान्त कहते हैं। इसके अनुसार-

(1) दो परमाणुओं के बीच सहसंयोजक बन्ध का निर्माण उनके कक्षकों (Orbitals) के अतिव्यापन से होता है।

(2) बन्ध बनाने वाले परमाणुओं के बाह्य कक्षक में विपरीत चक्रण वाले इलेक्ट्रॉन रहते हैं। किसी परमाणु द्वारा बनाये गये सहसंयोजक बन्ध की संख्या, उसमें पाये जाने वाले अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है।

(3) अतिव्यापन के बाद अधिकतम इलेक्ट्रॉन घनत्व दोनों परमाणुओं के बीच रहता है। यह इलेक्ट्रॉन घनत्व ही दोनों नाभिकों को आकर्षण द्वारा बाँधे रखता है।

(4) सहसंयोजी बन्ध की शक्ति (Strength) अतिव्यापन में भाग लेने वाले दोनों परमाणु कक्षकों के अतिव्यापन के समानुपाती होती है।

(5) s- कक्षक चारों दिशाओं में बन्ध बना सकता है, किन्तु p. d और f-कक्षक केवल उन्हीं दिशाओं में बन्ध बनाते हैं, जिन अक्षों पर वे पहले से स्थित होते हैं।

(6) समाक्ष (Co-axial) अतिव्यापन से सिग्मा (G) बन्ध तथा पाश्र्वीय (Sidewise) अतिव्यापन से पाई (ग) वन्ध बनता है।

इसे भी पढ़ें- क्रिस्टल क्षेत्र से सम्बंधित महत्वपूर्ण सवाल | Important question related to crystal field

संयोजकता वन्ध सिद्धान्त की सीमाएँ

सहसंयोजक बन्ध के इस पॉलिंग-स्लेटर सिद्धान्त से सहसंयोजक बन्ध की दिशा निर्धारित होकर पूर्व में अनुत्तरित कई प्रश्नों का समाधान हो जाता है। अतः यह सिद्धान्त व्यापक रूप से प्रयुक्त होता है, फिर भी इस सिद्धान्त में कुछ कमियाँ हैं। जैसे-

(i) उप-सहसंयोजक वन्ध (co-ordinate bond) बनना इस सिद्धान्त में निहित नहीं है। इस बन्ध निर्माण में इलेक्ट्रॉन युग्म, जो किसी एक परमाणु द्वारा ही दिया जाना चाहिए, आवश्यक है।

(ii) सहसंयोजक बन्ध के आयनिक गुण संयोजकता वन्ध सिद्धान्त से समझाये नहीं जा सकते।

(iii) संयोजकता वन्ध सिद्धान्त के अनुसार, अणु निर्माण के बाद अयुग्मित इलेक्ट्रॉन रहने की कोई सम्भावना नहीं है, क्योंकि विपरीत चक्रण युक्त इलेक्ट्रॉनों का युग्मन ही बन्ध निर्माण की अनिवार्यता है। इसके बाद भी O, अणु अनुचुम्बकीय गुण प्रदर्शित करता है तथा उसमें 2 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं, यह इस सिद्धान्त से स्पष्ट नहीं हो पाता है।

(iv) अनुनादी संकर जैसी संरचनाएँ संयोजकता बन्ध सिद्धान्त के द्वारा स्पष्ट नहीं है, जबकि रासायनिक गुणों को स्पष्ट करने हेतु अनुनादी संकर संरचना की आवश्यकता होती है तथा वर्तमान स्पेक्ट्रम व नवीनतम तकनीकी से अनुनादी संरचनाओं की उपस्थिति प्रमाणित होती है।

(v) इस सिद्धान्त के द्वारा H,* जैसे आयनों के बनने को नहीं समझाया जा सकता है।

(vi) यह सिद्धान्त इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिकों, धातुओं तथा अधात्विक यौगिकों में बन्धन को स्पष्ट करने में असमर्थ है।

हाइड्रोजन अणु (H) का बनना

दो हाइड्रोजन परमाणुओं के मध्य ऽ-कक्षकों के अतिव्यापन से सहसंयोजक बन्ध बनकर H2 अणु बनता है। हाइड्रोजन परमाणु में 1s-कक्षक में एक इलेक्ट्रॉन होता है। दो परमाणुओं के कक्षक, अतिव्यापन करने से निकट आते हैं। उनकी स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम हो जाने की स्थिति पर स्थायित्व आकर अणु बनता है। नाभिक इस सीमा में हटकर और पास-पास नहीं आ सकते क्योंकि तब नाभिकों के मध्य प्रतिकर्षण होने लगेगा। स्थायित्व की इस स्थिति में न्यूनतम ऊर्जा का मान बन्ध ऊर्जा। और नाभिकों के बीच की दूरी बन्ध लम्बाई कहलाती है, जो क्रमश: 103-2 किलो कैलोरी प्रति ग्राम अणु तथा 0-74A होती है। यह बन्ध 5-5 अतिव्यापन से बनता है और सिग्मा (6) बन्ध कहलाता है।

होटलर- लन्दन- सिद्धान्त के द्वारा समध्रुवीय (Homopolar) जैसे-H, का बनना भली-भाँति समझाया जा सकता है। यदि दो समान परमाणुओं (जैसे-H परमाणु) की अन्योन्य क्रिया ऊर्जा (interaction energy) को कई पदों में ज्ञात की जाये, तो यह मालूम होता है कि अत्यधिक दूरी पर संयोग नहीं होता और अत्यधिक निकट होने पर धनात्मक आवेश वाले दोनों हाइड्रोजन नाभिकों के पास होने पर प्रतिकर्षण बल उत्पन्न हो जाता है।  दो समान इलेक्ट्रॉनिक चक्रण वाले हाइड्रोजन परमाणुओं को पास लाने पर जो-जो ऊर्जा परिवर्तन होते हैं, वे वक्र में तथा असमान इलेक्ट्रॉनिक चक्रण वाले दो हाइड्रोजन परमाणुओं को पास लाने पर ऊर्जा परिवर्तन वक्र 2 में दर्शाये गये हैं। वक्रों से स्पष्ट है कि जब असमान चक्रण वाले हाइड्रोजन Y परमाणु पास आवे हैं, तो उनकी ऊर्जा में कमी होती है तथा यदि परमाणुओं के बीच की दूरी और भी कम की जाये, तो यह ऊर्जा पुनः बढ़ने लगती है। अतः यह स्पष्ट है कि परमाणुओं के मध्य एक निश्चित दूरी पर हो यह ऊर्जा न्यूनतम होती है।

हाइड्रोजन अणु की विघटन ऊर्जा (dissociation energy) 103.2 कि कैलोरी होती है। इससे यह भी स्पष्ट है कि दो परमाणुओं के बीच जब बन्ध बनता है (H2 अणु बनने में) तो इतनी हो ऊर्जा निकलती है, जिसका अर्थ है कि दो अलग- अलग परमाणुओं की सम्पूर्ण स्थितिज ऊर्जा की अपेक्षा हाइड्रोजन अणु की सम्पूर्ण स्थितिज ऊर्जा न्यून (low) होती है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि H2

Valence Bond Theory


अणु के बनने में ऊर्जा की कमी होती है। वक्र 2 का निम्निष्ठ (minima) यह प्रदर्शित करता है कि जब विपरीत इलेक्ट्रॉन चक्रण वाले दो हाइड्रोजन परमाणुओं को एक निश्चित दूरी तक पास लाया जाता है, तो उनके बीच बन्ध बनना सम्भव है।

इस लेख में हमने सहसंयोजकता बंध सिद्धांत (Sahsanyojakata bandh siddhant)  के बारे में जाना। जो परीक्षा की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण टॉपिक है।

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पीरियाडिक टेबल की जानकारी | Periodic Table ki Jankari

Chemistry subject में Periodic Table की पढाई की जाती है| Periodic Table में अभी तक 118 Element इन्वेंट हुए है| Periodic Table में Element का नाम, Symbol और Atomic Number होते है| तो फिर  Periodic Table को किसने बनाया।

Periodic Table का Invention Russian chemist Dmitri Mendeleev ने किया है| आपको निचे Periodic Table की जानकारी दी जा रही है|

Periodic Table (Name of Element and Atomic Number in Hindi)



Periodic Table ki Jankari

पीरियाडिक टेबल (तत्वों के नाम और उनके परमाणु संख्या हिंदी में)

Name of the Element Symbol of the Element Atomic Number
Hydrogen H 1
Helium He 2
Lithium Li 3
Beryllium Be 4
Boron B 5
Carbon C 6
Nitrogen N 7
Oxygen O 8
Fluorine F 9
Neon Ne 10
Sodium Na 11
Magnesium Mg 12
Aluminium Al 13
Silicon Si 14
Phosphorus P 15
Sulfur S 16
Chlorine Cl 17
Argon Ar 18
Potassium K 19
Calcium Ca 20
Scandium Sc 21
Titanium Ti 22
Vanadium V 23
Chromium Cr 24
Manganese Mn 25
Iron Fe 26
Cobalt Co 27
Nickel Ni 28
Copper Cu 29
Zinc Zn 30
Gallium Ga 31
Germanium Ge 32
Arsenic As 33
Selenium Se 34
Bromine Br 35
Krypton Kr 36
Rubidium Rb 37
Strontium Sr 38
Yttrium Y 39
Zirconium Zr 40
Niobium Nb 41
Molybdenum Mo 42
Technetium Tc 43
Ruthenium Ru 44
Rhodium Rh 45
Palladium Pd 46
Silver Ag 47
Cadmium Cd 48
Indium In 49
Tin Sn 50
Antimony Sb 51
Tellurium Te 52
Iodine I 53
Xenon Xe 54
Cesium Cs 55
Barium Ba 56
Lanthanum La 57
Cerium Ce 58
Praseodymium Pr 59
Neodymium Nd 60
Promethium Pm 61
Samarium Sm 62
Europium Eu 63
Gadolinium Gd 64
Terbium Tb 65
Dysprosium Dy 66
Holmium Ho 67
Erbium Er 68
Thulium Tm 69
Ytterbium Yb 70
Lutetium Lu 71
Hafnium Hf 72
Tantalum Ta 73
Tungsten W 74
Rhenium Re 75
Osmium Os 76
Iridium Ir 77
Platinum Pt 78
Gold Au 79
Mercury Hg 80
Thallium Tl 81
Lead Pb 82
Bismuth Bi 83
Polonium Po 84
Astatine At 85
Radon Rn 86
Francium Fr 87
Radium Ra 88
Actinium Ac 89
Thorium Th 90
Protactinium Pa 91
Uranium U 92
Neptunium Np 93
Plutonium Pu 94
Americium Am 95
Curium Cm 96
Berkelium Bk 97
Californium Cf 98
Einsteinium Es 99
Fermium Fm 100
Mendelevium Md 101
Nobelium No 102
Lawrencium Lr 103
Rutherfordium Rf 104
Dubnium Db 105
Seaborgium Sg 106
Bohrium Bh 107
Hassium Hs 108
Meitnerium Mt 109
Darmstadtium Ds 110
Roentgenium Rg 111
Copernicium Cn 112
Nihonium Nh 113
Flerovium Fl 114
Moscovium Mc 115
Livermorium Lv 116
Tennessine Ts 117
Oganesson Og 118

यहाँ पर आपको पीरियाडिक टेबल की जानकारी दी गयी है. आपको और किसी विषय की जानकारी चाहिये हो तो कमेंट कर के बताये| आशा है आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी.

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यूरिक अम्ल (uric acid in hindi) - परिभाषा, संरचना, फार्मूला

यूरिक अम्ल क्या है? (What is Uric Acid in Hindi)

"यूरिक अम्ल एक कार्बनिक यौगिक (organic Compounds) है जो कार्बन (c), हाईड्रोजन (h), आक्सीजन (o) और नाईट्रोजन (n) तत्वों से मिलकर बना होता है।"

इसका अणुसूत्र C5H4N4O3 है।

यह एक विषमचक्रीय योगिक (heterocyclic Compound) है, जो कि शरीर को प्रोटीन से एमिनो अम्ल के रूप में प्राप्त होता है।

यूरिक एसिड के गुण (Uric Acid Properties)
नाम (Name) यूरिक अम्ल (Uric Acid)
रंग (Appearance) सफेद क्रिस्टल (White crystals)
रासायनिक सूत्र (Chemical Formula) C5H4N4O3
गलनांक (Melting Point) 300 °C
घनत्व (Density) 1.87 g/cm³
मोलर द्रव्यमान (Molar Mass) 168.1103 g/mol
जल में घुलनशीलता घुलनशील (Soluble in Water)

यूरिक अम्ल की संरचना (Structure of Uric Acid)

फार्मूला- C5H4N4O3

2D संरचना (2D Structure of Uric Acid)

2d structure of uric acid

3D संरंचना (3 D Structure of Uric Acid)

3d structure of uric acid

यूरिक अम्ल किसमें पाया जाता है?

रेड मीट (लाल रंग के मांस), सी फूड, रेड वाइन, दाल, राजमा, मशरूम, गोभी, टमाटर, पालक, मटर, पनीर, भिन्डी, अरबी, चावल आदि के अधिक मात्रा में यूरिक एसिड पाया जाता है।

अणु और परमाणु में अंतर (Difference Between Molecule and Atom in Hindi)

आपका, answerduniya.com में स्वागत है। आज के इस लेख में हम अणु और परमाणु में अंतर(difference between molecule and atom in Hindi) के बारे में जानने वाले हैं । अणु तथा परमाणु , विज्ञान विषय से जुड़े हुए दो महत्वपूर्ण शब्द हैं।

विज्ञान विषय पढ़ने के लिए अणु और परमाणु शब्दों के अर्थ और अणु और परमाणु में अंतर को जानना बहुत जरूरी है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अणु और परमाणु में अंतर(difference between molecule and atom in Hindi) से जुड़े सवाल प्रायः पूछे जाते हैं। अणु और परमाणु में अंतर(difference between molecule and atom in Hindi) को जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

परमाणु और अणु में अंतर स्पष्ट कीजिए (difference between molecule and atom in Hindi)

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परमाणु किसी पदार्थ का वह सूक्ष्मतम कण है। जो स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकता है। जबकि अणु स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है।

परमाणु (Atom) अणु (Molecule)
परमाणु किसी पदार्थ का वह सूक्ष्मतम कण है जो स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकता है। अणु किसी पदार्थ का वह सूक्ष्मतम कण है जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है ।
यह रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाला तत्व का सूक्ष्मतम कण हैं। यह एक या एक से अधिक परमाणुओं के संयोग से बनता है।
यह रासायनिक अभिक्रिया में विभाजित नहीं होता है । यह रासायनिक अभिक्रिया में परमाणुओं में विभाजित हो जाता है।
परमाणु रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं । अणु रासायनिक अभिक्रिया में भाग नहीं लेते हैं ।
यह इलेक्ट्रान, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन से मिलकर बनता है। यह परमाणुओं से मिलकर बनता है।
यह अविभाज्य है। इसको विभाजित किया जा सकता है।
रासायनिक क्रियाओं में भाग लेता है। यह रासायनिक क्रियाओं में भाग नहीं लेता है।
इसे उत्पन्न नहीं किया जा सकता है। इसे उत्पन्न किया जा सकता है अर्थात इसे बनाया जा सकता है।
यह अविनाशी कण है। इसका विनाश सम्भव है।
नष्ट या विघटित नहीं होता है। यह रासायनिक क्रियाओं में विघटित हो जाता है।

जानें- वन पारिस्थितिकी तंत्र 

अणु (Molecule)

किसी पदार्थ (तत्व या यौगिक) का वह सूक्ष्म कण जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है, परंतु रासायनिक अभिक्रियाओं, प्रतिक्रियाओं में भाग नहीं ले सकता तथा जिसमें उस पदार्थ के सभी गुण विद्यमान रहते हैं, अणु कहलाता है।

परमाणु (Atom)

किसी पदार्थ (अर्थात् तत्व) का वह संभव सूक्ष्मतम कण जो स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकता परंतु रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेता है तथा जिसमें उस पदार्थ के सभी गुण विद्यमान रहते हैं, परमाणु कहलाता है।

अणु और परमाणु में अंतर

अणुओं और परमाणुओं में निम्नलिखित अन्तर हैं :-

  1. परमाणु अणु से छोटे होते हैं।
  2. अणु परमाणुओं से बनते हैं जबकि परमाणु इलेक्ट्रान, प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन से।
  3. परमाणु स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकते। अणु स्वतंत्र रूप से रह सकते हैं।
  4. रासायनिक क्रियाओं में परमाणु भाग लेते हैं न कि अणु।
  5. सामान्यतः अणुओं का विभाजन किया जा सकता है, परमाणुओं का नहीं। परमाणुओं का विखंडन विशेष परिस्थितियों में ही किया जा सकता है।
  6. अणुओं में उस पदार्थ के सभी गुण धर्म पाए जाते हैं, परमाणुओं में नहीं।
  7. परमाणु किसी न किसी तत्व के ही होते हैं। अणु तत्व और यौगिक दोनों के होते हैं।
इस आर्टिकल में हमने अणु और परमाणु में अंतर(difference between molecule and atom in Hindi) के बारे में जाना। यह आर्टिकल विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है। इसमें अणु और परमाणु में अंतर(difference between molecule and atom in Hindi) से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को लिया गया है।

आशा करता हूँ कि अणु और परमाणु में अंतर(difference between molecule and atom in Hindi) का यह आर्टिकल आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा, यदि आपको यह आर्टिकल पसंद आये तो इस आर्टिकल को शेयर अवश्य करें।

सामान्य विज्ञान के प्रश्न-उत्तर | General Science Questions and Answers in Hindi

हमारे इर्दगिर्द जो घटित हो रहा है, उसके बारे में कि वह क्यों और कैसे होता है, विज्ञान हमें स्पष्ट एवं सुव्यवस्थित जानकारी देता है। क्यों और कैसे जैसे प्रश्नों का उत्तर जानने के बाद कभी-कभी तो आश्चर्य होता है, क्योंकि तब हमें इस बात का अंदाजा नहीं होता कि छोटी-सी दिखने वाली घटना के पीछे कितनी लंबी प्रक्रिया काम करती है। आगे दी जा रही जानकारी आपको जरूर हैरानी में डालेगी, ऐसा हमें विश्वास है।

विज्ञान के सामान्य प्रश्नों के उत्तर science questions in Hindi

निचे विज्ञान के सामान्य प्रश्नों के उत्तर है ऐसे सामान्य प्रश्नों के उत्तर कभी -कभी हमें नहीं पता होते तो आइये पढ़ते है कुछ ऐसे ही सामान्य प्रश्नों के उत्तर -

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01-चंद्रमा पर किसी वस्तु का भार कम क्यों हो जाता है?

उत्तर :- पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को अपनी ओर खींचती है। इस कार्य के लिए पृथ्वी। कुछ बल लगाना पड़ता है। यही बल वस्तु का भार कहलाता है। जब कोई भी वस्तु चंद्रमा पर होती है, तो उसका भार चंद्रमा के आकर्षण बल पर निर्भर करता है। चंद्रमा का आकर्षण बल पृथ्वी के आकर्षण बल का छठा भाग होता है। यही कारण है कि चंद्रमा पर किसी वस्तु का भार कम अर्थात पृथ्वी पर वस्तु के भार का 1/6 भाग हो जाता है।

02-चलती बस से उतरते समय तुम आगे की ओर क्यों गिर पड़ते हो?

उत्तर :- जब तुम बस में बैठकर यात्रा कर रहे होते हो, तो तुम्हारा शरीर भी बस की गति के साथ-साथ गति-अवस्था में रहता है। बस के रुकने पर बस से उतरते समय जब तुम अपने पांव नीचे जमीन पर रखते हो, तो तुम्हारा निचला भाग विराम अवस्था में आ जाता है अर्थात स्थिर हो जाता है। दूसरी ओर, तुम्हारे शरीर का ऊपरी भाग गति-अवस्था में ही बना रहता है। बस, इसीलिए तुम आगे की ओर गिर पड़ते हो।

03-वृक्ष की शाखाओं को हिलाने पर फल जमीन पर ही गिरते हैं, ऊपर क्यों नहीं जाते?

उत्तर :- पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को अपनी ओर खींचती है। पृथ्वी के इस आकर्षण बल का नाम गुरुत्वाकर्षण भी है। चंद्रमा की तुलना में पृथ्वी का आकर्षण बल छह गुना अधिक होता है।जब तुम वृक्ष की शाखाओं को हिलाते हो, तो फल शाखाओं से टूटकर अलग हो जाते हैं। इन फलों को पृथ्वी गुरुत्वाकर्षण के कारण अपनी ओर खींच लेती है। ये फल ऊपर इसलिए नहीं जा पाते क्योंकि चंद्रमा का आकर्षण - बल पृथ्वी से कम है तथा वह इसे प्रभावित नहीं कर पाता ।

04-खाली ट्रक की तुलना में सामान से भरे हुए ट्रक को रोकना कठिन क्यों?

उत्तर :- संसार की प्रत्येक वस्तु अवस्था परिवर्तन (विराम से गति तथा गति से विराम में आना) का विरोध करती है, इस अवस्था परिवर्तन के विरोध करने के गुण को जड़त्व कहा जाता है। खाली ट्रक की तुलना में सामान से भरे हुए ट्रक का जड़त्व अधिक होता में है । किसी भी गति करती हुई वस्तु का जड़त्व जितना अधिक होगा, उसे रोकने के लिए तुम्हें उतना ही अधिक बल लगाना पड़ेगा। यही कारण है कि खाली ट्रक के बजाय सामान से भरे हुए ट्रक को रोकना कठिन होता है ।

05-नदी की अपेक्षा समुद्र के पानी में तुम आसानी से क्यों तैर सकते हो?

उत्तर :- किसी वस्तु के एकांक आयतन की संहति को उस वस्तु का घनत्व कहते हैं। नदी की अपेक्षा समुद्र के पानी का घनत्व अधिक होता है। जब तुम समुद्र के पानी में तैर रहे होते हो, तो तुम्हारे द्वारा हटाए गए पानी का भार नदी में तैरने पर हटाए गए पानी के भार से ज्यादा होता है। अतः समुद्र के पानी में तुम्हारे भार में नदी की अपेक्षा अधिक कमी आ जाती है। दूसरी ओर, अधिक घनत्व के कारण से समुद्र के पानी में उत्प्लावन-बल (वस्तु को द्रव में डुबोने पर द्रव द्वारा उस पर ऊपर की ओर लगाया गया बल) भी अधिक लगता है जिससे तुम आसानी से तैर सकते हो ।

06-लोहे का बना हुआ जहाज पानी में तैरता है परंतु लोहे की सुई पानी में क्यों डूब जाती है?

उत्तर :- किसी भी वस्तु के पानी में तैरने के लिए यह जरूरी है कि उसके द्वारा हटाए गए पानी का भार उसके भार से अधिक हो । लोहे का बना हुआ जहाज जब पानी में चलता है, तो उसके द्वारा हटाए गए पानी का भार उसके (जहाज के) भार से अधिक होता है अतः जहाज पानी में तैरता है। दूसरी ओर, सुई पानी में डालने पर अपने भार से कम भार का ही पानी हटा पाती है अतः पानी में डूब जाती है।

07-पानी भरने से गुब्बारा क्यों फूल जाता है?

उत्तर :- किसी वस्तु गुब्बारे में पानी भरने पर उसकी सतह पर यही बल कार्य करता है जिसके कारण गुब्बारा फूल जाता है। जैसे-जैसे तुम गुब्बारे में अधिक पानी डालते हो, गुब्बारा और अधिक फूलता जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि प्रणोद बढ़ जाता है क्योंकि यह द्रव की ऊंचाई पर निर्भर करता है।

08-नमकीन पानी में अंडा क्यों तैरता है?

उत्तर :- आमतौर पर पानी का घनत्व कम होता है किंतु नमक मिलाते ही पानी का घनत्व बढ़ जाता है। जब घनत्व बढ़ जाएगा, तब उत्प्लावन-बल (वस्तु को द्रव में डुबोने पर द्रव द्वारा उस पर ऊपर की ओर लगाया गया बल) भी अधिक हो जाता है। इसी कारण से नमकीन पानी में अंडा तैरता रहता है ।

09-रेगिस्तान में ऊंट आसानी से क्यों चल सकता है?

उत्तर :- ऊंट के पैर नीचे से चौड़े होते हैं जिससे पैरों का क्षेत्रफल अधिक होता है। इस वजह से जमीन पर प्रभावित क्षेत्रफल बढ़ जाता है तथा दबाव कम होने के कारण ही ऊंट रेगिस्तान में रेत पर आसानी से चल पाता है।

10-तुम पानी में सिर या पैर के बल ही छलांग क्यों लगाते हो?

उत्तर :- जब कोई वस्तु द्रव में डाली जाती है, तो द्रव उस वस्तु पर ऊपर की ओर उत्प्लावन-बल लगाता है। अतः जब तुम सिर या पैर के बल पानी में छलांग लगाते हो, तो पानी का उत्प्लावन-बल तुम्हारे सिर या पैरों पर ऊपर की ओर लगता है। यदि तुम पानी के समानांतर छलांग लगाओगे, तो यह बल शरीर पर लगेगा जिससे शरीर को चोट लगने की आशंका रहती ।

11-बर्फ पानी में क्यों तैरती है?

उत्तर :- बर्फ ठोस है, फिर भी वह पानी में तैरती है । है न, अचरज की बात। तो, सुनो! बर्फ का घनत्व पानी के घनत्व से कम होता है। जब बर्फ को पानी में डाला जाता है, तो वह कुछ पानी हटाती है। इस पानी के आयतन का भार बर्फ के भार से अधिक होता है। इसीलिए बर्फ पानी में तैरती हैं।

12-गरम चाय या दूध डालने से कभी-कभी कांच का गिलास टूट क्यों जाता है?

उत्तर :- जब तुम गिलास में गरम चाय या दूध डालते हो, तो गिलास का भीतरी तल उष्मा ग्रहण करके फैल जाता है। इसके विपरीत गिलास के बाहर के भाग का ताप भीतरी भाग से कम होने के कारण उसमें फैलाव नहीं या कम होता है। दोनों तलों में ताप के इस अंतर के कारण ही कभी-कभी कांच का गिलास टूट जाता है।

13-रेल की पटरियों में जोड़ों के बीच खाली स्थान क्यों छोड़ा जाता है?

उत्तर :- रेलगाड़ी जब पटरी पर चलती है, तो पहियों तथा पटरी के बीच में एक. प्रकार का घर्षण होता है । इस घर्षण से बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा निकलती है जिसके कारण रेल की पटरी फैलती है । पटरी के इस फैलाव के लिए स्थान देने के उद्देश्य से ही कहीं-कहीं खाली स्थान छोड़ा जाता है। यदि स्थान नहीं छोड़ा जाएगा, तो पटरी के फैलाव से वह टेढ़ी-मेढ़ी हो जाएगी और रेलगाड़ी पटरी से उतर जाएगी ।

14-बोतल को गरम करने पर फंसी हुई डाट आसानी से बाहर क्यों निकल जाती है?

उत्तर :- ऊष्मा प्रदान करने से वस्तु में प्रसार होता है। इसी सिद्धांत का उपयोग करके जब कांच की बोतल को गरम किया जाता है, तो उसमें प्रसार हो जाता है। प्रसार के कारण ही बोतल के मुंह में फंसी डाट आसानी से बाहर निकल जाती है।

15-थर्मस बोतल में गरम वस्तु गरम और ठंडी वस्तु ठंडी क्यों रहती है?

थर्मस बोतल कांच की बनी होती है और कांच उष्मा का कुचालक होता है। कुचालक ऐसे पदार्थ होते हैं जिनमें से उष्मा-चालन आसानी से नहीं होता। कांच की बोतल की दोनों दीवारों के बीच निर्वात (बिना वायु का स्थान) होने से उष्मा बोतल के अंदर की दीवार से बाहर नहीं आ पाती। इसके अतिरिक्त बोतल की चमकदार बाहरी दीवारें उष्मा की विकिरण किरणों को परावर्तित करके बाहरी सतह पर ही रोक लेती हैं। अत : थर्मस बोतल में गरम वस्तु गरम और ठंडी वस्तु ठंडी रहती है।

16-खाना पकाने के बरतन नीचे से काले और ऊपर से चमकदार क्यों होते हैं?

उत्तर :- काली वस्तु उष्मा को जल्दी से सोख लेती है। अतः खाना पकाने के बरतनों के पेंदे काले रखे जाते हैं ताकि बरतन अधिक उष्मा को सोखकर शीघ्र खाना पका दें । बरतनों की ऊपरी सतह चमकदार इसलिए रखी जाती है ताकि बरतनों में से उष्मा का स्थानांतरण न हो सके।

17-बर्फ को बोरी या बुरादे में ही क्यों रखते हैं?

उत्तर :- बोरी और बुरादे में तमाम छिद्र होते हैं और उन छिद्रों में वायु भरी रहती है । वायु उष्मा की कुचालक होती है जो बाहर की उष्मा को अंदर बर्फ तक आने से रोकती है। इस प्रकार बर्फ पिघल नहीं पाती। यही कारण है कि बर्फ को बोरी या बुरादे में ही रखते हैं।

18-रेगिस्तान में दिन के समय गरमी और रात के समय ठंड क्यों होती है?

उत्तर :- रेगिस्तान में रेत की अधिकता रहती है। रेत उष्मा का अच्छा अवशोषक है। अत : दिन के समय सूर्य की उष्मा को अवशोषित करके रेगिस्तान गरम हो जाता है और वहां गरमी होती है। रेगिस्तान विकिरण द्वारा अपनी उष्मा को निकालकर रात में ठंडा हो जाता है जिससे रात के समय वहां ठंड होती है।

19-चिड़ियां सर्दियों में अपने पंख क्यों फैलाए रहती हैं?

उत्तर :- जब सर्दियां शुरू होती हैं, तो अक्सर चिड़ियां अपने पंख फैलाए हुए देखी जा सकती हैं। जब चिड़ियां पंख फैलाकर बैठती हैं, तो उनके शरीर तथा पंखों के बीच में हवा की परत आ जाती है। हवा उष्मा की कुचालक है जो चिड़ियों के शरीर की उष्मा को बाहर जाने से रोकती है। इस प्रकार चिड़ियां सर्दी के कुप्रभाव से स्वयं को बचाने में सक्षम हो जाती हैं। यही कारण है कि चिड़ियां सर्दियों में अपने पंख फैलाए रहती हैं।

20-दो पतले कंबल एक मोटे कंबल की तुलना में अधिक गरम क्यों होते हैं?

उत्तर :- दो पतले कंबल ओढ़ने से उनके बीच में हवा की एक परत बन जाती है। हवा ऊष्मा की कुचालक होती है जो शरीर की उष्मा को बाहर नहीं जाने देती और शरीर को सर्दी के प्रकोप से बचाती है। एक मोटे कंबल में हवा की कोई परत नहीं होती जिससे वह अधिक गरम नहीं रहता ।

21-सब्जी की गरम पतीली को चूल्हे से उतारने के लिए कपड़े का प्रयोग क्यों करते हैं?

उत्तर :- कपड़े में अनेक छिद्र मौजूद रहते हैं जिनमें वायु भरी होती है । वायु ऊष्मा की कुचालक है । वह आग की ऊष्मा को तुम्हारे हाथ तक नहीं पहुंचने देती । इस प्रकार तुम्हारा हाथ सुरक्षित रहता है। तभी तो, सब्जी की गरम पतीली को चूल्हे से उतारने के लिए कपड़े का प्रयोग करते हैं ।

22-कच्चे मकान सर्दियों में गरम और गरमियों में ठंडे क्यों रहते हैं?

उत्तर :- कच्चे मकान मिट्टी के बने होते हैं। मिट्टी ऊष्मा की कुचालक होती है। कुचालक होने के कारण सर्दियों में मिट्टी मकान के अंदर की उष्मा को बाहर नहीं निकलने देती तथा यही मिट्टी गरमियों में बाहर की उष्मा को अंदर नहीं आने देती। अतः कच्चे मकान सर्दियों में गरम और गरमियों में ठंडे रहते हैं।

23-साइकिल की ट्यूब गरमियों में प्राय: फट क्यों जाती है?

उत्तर :- साइकिल की ट्यूब में हवा भरी होती है। गरमी के मौसम में गरम होकर ट्यूब की हवा फैलती है। ट्यूब को फैलने के लिए कुछ स्थान चाहिए। जब उसे यह स्थान नहीं मिल पाता, तब वह ट्यूब को फाड़ देती है।

24-अधिक ऊंचाई पर उड़ते हुए पक्षियों की छाया पृथ्वी पर क्यों नहीं बनती?

उत्तर :- सूर्य प्रकाश का बहुत बड़ा स्रोत है, जबकि पक्षी बहुत छोटे । पक्षियों की घटती हुई छाया और बढ़ती हुई उपछाया बनती है। पक्षियों के पृथ्वी से अधिक ऊंचाई पर उड़ने के कारण छाया घटकर रास्ते में ही खो जाती है। उपछाया अधिक बड़ी लेकिन बहुत हल्की होने के कारण दिखाई नहीं पड़ती। यही कारण है कि अधिक ऊंचाई पर उड़ते हुए पक्षियों की छाया पृथ्वी पर नहीं बनती।

25-सूखे बालों में कंघी करने से चट-चट की आवाज क्यों सुनाई देती है?

उत्तर :- जब आप सूखे बालों में कंघी करते हैं, तो घर्षण पैदा होता है। इस घर्षण से बालों तथा कंघी में विपरीत आवेश आ जाता है। जब अधिक मात्रा में आवेश जमा हो जाता है, तो बीच की वायु में बहुत अधिक तनाव पैदा हो जाता है । इस प्रकार वायु में आवेश का विसर्जन होता है जिससे तुम्हें चट-चट की आवाज सुनाई देती है।

26-जब बादल गरज रहे हों और बिजली चमक रही हो, तो तुम्हें किसी पेड़ के नीचे क्यों नहीं जाना चाहिए?

उत्तर :- रगड़ के कारण वायु तथा बादलों के बीच में आवेश उत्पन्न हो जाता है। जब आवेशित बादल ऊंचे पेड़ों के पास से गुजरते हैं, तो पेड़ों पर विपरीत आवेश आ जाने से आकर्षण होता है। आवेश के प्रवाहित होने से तड़ित भी उत्पन्न होती है। यह तड़ित जब किसी पेड़ पर गिरती है, तो नीचे खड़े व्यक्ति को हानि पहुंच सकती है। अत : ऐसी अवस्था में किसी पेड़ के नीचे नहीं जाना चाहिए।

27-सूखे बालों में रगड़ा हुआ प्लास्टिक का पेन कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर क्यों खींच लेता है?

उत्तर :- जब तुम सूखे बालों में प्लास्टिक का पेन रगड़ते हो, तो रगड़ के कारण घर्षण (स्थिर) विद्युत पैदा होती है। इस घर्षण - विद्युत के कारण ही प्लास्टिक का पेन कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर खींच लेता है।

28-कपड़े से रगड़ने के बाद वायु से भरा गुब्बारा दीवार से क्यों चिपक जाता है?

उत्तर :- जब तुम गुब्बारे को कपड़े से रगड़ते हो, तो उस स्थान पर आवेश उत्पन्न हो जाता है। आवेशित - गुब्बारा दीवार के निकट लाने पर विपरीत आवेश उत्पन्न करता है और आकर्षित होकर दीवार से चिपक जाता है ।

29-घरों में बिजली के तारों के ऊपर प्लास्टिक या रबड़ के खोल क्यों चढ़े होते हैं?

उत्तर :- जिस तार में से बिजली आ रही होती है, उसे छूने से तुम्हें झटका लग सकता है। इस झटके से बचने के लिए तारों पर प्लास्टिक या रबड़ के खोल चढ़ाए जाते हैं । प्लास्टिक तथा रबड़ दोनों ही विद्युत के कुचालक अर्थात विद्युतरोधी होते हैं जिनमें बिजली प्रवेश नहीं कर पाती। अतः इनको छूने पर भी तुम्हें झटका नहीं लग सकता ।

30-बिजली के बल्बों में पतला तार ही क्यों प्रयोग किया जाता है?

उत्तर :- चालक का वह गुण जिसके द्वारा विद्युत धारा के प्रवाह का विरोध किया जाता है, प्रतिरोध कहलाता है। पतले तार का प्रतिरोध अधिक होता है, जबकि मोटे तार का प्रतिरोध कम होता है। अतः बिजली के बल्बों में पतला तार ही प्रयोग किया जाता ।

31-अंधेरे कमरे में किसी छोटे छेद से आते हुए सूर्य के प्रकाश में हवा में उपस्थित धूल के कण इधर-उधर गति करते हुए क्यों दिखाई पड़ते हैं?

उत्तर :- जब अंधेरे कमरे में किसी छोटे छेद से सूर्य के प्रकाश में धूल के कण (अणु) आते हैं, तब वे लगातार गति करते हैं। इस प्रकार वायु के अणु धूल के कणों के साथ मिलकर टकराते हैं। इस टकराव के कारण ही धूल-कणों में अनियमित-गति उत्पन्न होती है और वे इधर-उधर गति करते हुए दिखाई पड़ते हैं।

32-वर्षा की बूंदें गोल क्यों होती हैं?

उत्तर :- पानी की संरचना छोटे-छोटे अणुओं से मिलकर होती हैं। ये अणु परस्पर एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं। इसी आकर्षण के कारण ही पानी सिकुड़ता है और कम स्थान घेरना चाहता है। बूंदें पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण नीचे गिरती हैं किंतु पानी के अणु पृष्ठ-तनाव द्वारा आपस में इकट्ठा होते हैं। इसी वजह से बूंदें गोल आकार ग्रहण कर लेती हैं ।

33-साइकिल के टायर खुरदरे क्यों होते हैं?

उत्तर :- जब एक तल दूसरे तल पर गति करता है, तो उस गति का विरोधक-बल उत्पन्न हो जाता है। इसे घर्षण बल कहते हैं । घर्षण बल जितना अधिक होता है, वस्तु उतनी ही सरलता से गति कर सकती है। - साइकिल के टायर भी खुरदरे इसीलिए बनाए जाते हैं ताकि घर्षण-बल अधिक रहे और साइकिल सुविधाजनक ढंग से चल सके । खुरदरे तल पर घर्षण समतल की अपेक्षा अधिक रहता है।

34-कांच की गोली खुरदरे तल की अपेक्षा समतल पर अधिक दूरी तक क्यों लुढ़कती है?

उत्तर :- खुरदरे तल पर घर्षण समतल की तुलना में अधिक होता है। अतः जब कांच की गोली खुरदरे तल पर लुढ़कती है, तो घर्षण अधिक होने के कारण शीघ्र रुक जाती है। दूसरी ओर, यही गोली जब समतल पर लुढ़कती है तो घर्षण कम होने से अधिक दूरी तक जाती है।

35-भारी गाड़ियों के टायर अधिक चौड़े क्यों होते हैं?

उत्तर :- अधिक चौड़े टायरों का क्षेत्रफल अधिक होता है जिससे घर्षण अधिक होता है और दाब कम हो जाता है। अतः गाड़ी की गति बढ़ जाती है। बस, इसीलिए भारी गाड़ियों के टायर अधिक चौड़े बनाए जाते हैं ।

36-मकान की नींव दीवार की अपेक्षा चौड़ी क्यों होती है?

उत्तर :- तल का क्षेत्रफल जितना कम होगा, दबाव भी उतना ही बढ़ जाएगा। अतः क्षेत्रफल घटाने से दबाव में वृद्धि होगी। इसीलिए मकान बनवाते समय नींव चौड़ी रखी जाती है ताकि तल का क्षेत्रफल अधिक रहे। अधिक क्षेत्रफल रहने से दीवार का दबाव कम पड़ेगा।

37-कुएं से पानी निकालने के लिए घिरनी का उपयोग क्यों किया जाता है?

उत्तर :- कुएं से पानी निकालने के लिए घिरनी का प्रयोग किया जाता है। इसका कारण यह है कि घिरनी के द्वारा बल लगाने की दिशा ऊपर की अपेक्षा नीचे हो जाती है। इससे पानी भरने में सुविधा रहती है तथा कम बल से अधिक कार्य हो जाता है।

38-कभी-कभी कील की अपेक्षा पेंच का प्रयोग क्यों किया जाता है?

उतार :- जब लकड़ी के साथ कुंडा लगाना हो, तो अक्सर पेंच का प्रयोग किया जाता है। पेंच कुंड़े को तख़्ते से कील की अपेक्षा अधिक मजबूती से जोड़े रखता है। इसका कारण यह है कि पेंच का तल चूड़ीदार होता है जबकि कील का तल समतल है। पेंच इन चूड़ियों के कारण अधिक शक्ति से अपना कार्य करता है।

39-ट्रक आदि पर सामान लादने के लिए ढलवां रखे हुए लकड़ी के तख्ते का प्रयोग क्यों किया जाता है?

उत्तर :- यदि किसी भारी वस्तु को उठाना हो, तो एक मजबूत छड़ लेकर उसका एक सिरा वस्तु के नीचे लगा देते हैं और छड़ को किसी ईंट आदि पर टिका कर दूसरे सिरे पर बल लगाते हैं। इस प्रकार भारी वस्तु को उठाने में आसानी हो जाती है। इस छड़ को उत्तोलक या लीवर कहते हैं। ट्रक आदि पर सामान लादने के लिए ढलवां रखे हुए लकड़ी के तख्ते का प्रयोग किया जाता है जो कि उत्तोलक ही है। ऐसा करने से कम बल लगाकर अधिक भार उठाया जा सकता है।

40-डिब्बे का ढक्कन खोलने के लिए चम्मच का प्रयोग क्यों करते हैं?

उत्तर :- डिब्बे का ढक्कन खोलने के लिए तुम चम्मच का उपयोग उत्तोलक के रूप में ही करते हो । चम्मच के किनारे को ढक्कन के नीचे रखा जाता है तथा दूसरे किनारे पर हाथ से नीचे को दबाकर बल लगाया जाता है। इस प्रकार चम्मच द्वारा बने उत्तोलक में बल भुजा भार भुजा से बड़ी होती है। अतः कम बल लगाने से बंद हुआ ढक्कन सरलता से खुल जाता है ।

41-झाड़ू में लंबी डंडी क्यों लगाते हैं?

उत्तर :- उत्तोलक के सिद्धांत के अनुसार यदि बल भुजा भार भुजा से बड़ी हो, तो कम बल से अधिक कार्य हो सकता है। झाड़ू में लंबी डंडी इसीलिए लगाई जाती है ताकि बल भुजा बड़ी हो जाए और कम बल लगाना पड़े। इसके अतिरिक्त बिना झुकें ही सफाई भी हो जाती है।

42-चंद्रमा प्रतिदिन एक ही समय पर उदय क्यों नहीं होता?

उत्तर :- चंद्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है जो उसके गिर्द 29 दिनों में एक बार परिक्रमा पूरी करता है। पृथ्वी अपने अक्ष पर 24 घंटे में एक बार घूमती है। जितने समय में पृथ्वी अपने अक्ष पर एक परिक्रमा करती है, उतने समय में चंद्रमा पृथ्वी के गिर्द अपने मार्ग में कुछ आगे निकल जाता है। अतः तुम चंद्रमा को पृथ्वी द्वारा अपने अक्ष पर एक परिक्रमा करने तथा उस दूरी को तय करने के बाद देखते हो जो दूरी चंद्रमा आगे निकल चुका है। यही कारण है कि चंद्रमा प्रतिदिन एक ही समय पर उदय नहीं होता।

43-अधिक देर तक धूप में बैठने पर शरीर का रंग काला क्यों हो जाता है?

उत्तर :- धूप में मनुष्य का शरीर गहरे रंग के वर्णक बनाता है। ये वर्णक सूर्य के प्रकाश की किरणों को सोख लेते हैं। यदि शरीर में प्रकाश-किरणों को सोख लेने वाले वर्णक बनाने की शक्ति विज्ञान न होती, तो सूर्य की गरमी के कारण त्वचा झुलस जाती। अधिक तेज धूप में शरीर अधिक वर्णक बनाता है। यही कारण है कि देर तक धूप में बैठे रहने से शरीर का रंग काला हो जाता है।

45-सर्दी में तुम्हें कंपकंपी क्यों लगती है?

उत्तर :- सर्दी के मौसम में वातावरण ठंडा हो जाता है। अतः तुम्हें कंपकंपी लगती है। कंपकंपी होने से तुम्हारी मांसपेशियों को अधिक काम करना पड़ता है, जिसके कारण ऊर्जा पैदा होती है। इस प्रकार शरीर का ताप (37°C) समान बना रहता है और यह कम नहीं हो पाता।

46-पहाड़ों पर दाल क्यों नहीं गलती?

उत्तर :- तुम जिस पृथ्वी पर रहते हो, वहां पर वायु का दबाव अत्यधिक है। जानते हो, तुम्हारे शरीर पर भी निरंतर 14 टन वायु का दबाव पड़ता रहता है। जैसे-जैसे तुम ऊंचाई पर जाते हो, इस दबाव में कमी आती रहती है । पहाड़ों पर भी वायु का दबाव कम हो जाता है। दाल को पकाने में यही वायुमंडलीय-दबाव कार्य करता है। क्योंकि पहाड़ों पर वायुमंडलीय दबाव कम होता है अत: दाल पकाने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

47-तारे टिमटिमाते हुए नजर क्यों आते हैं?

उत्तर :- तुम जिस वायुमंडल में सांस लेते हो, उसमें विभिन्न घनत्व वाली अनेक परतें पाई जाती हैं। इन्हीं परतों से गुजरकर तारों का प्रकाश तुम तक पहुंचता है। वायु के कारण वायुमंडल की परतें भी हिलती रहती हैं। यही कारण है कि जब तारों का प्रकाश इन परतों से गुजरकर तुम तक आता है, तो तारे टिमटिमाते हुए नजर आते हैं ।

48-आकाश नीला क्यों दिखाई देता है?

उत्तर :- सूर्य के प्रकाश में सात रंग पाए जाते हैं। जब सात रंगों वाला सूर्य का प्रकाश वायुमंडल के कणों से टकराता है, तो रंगों में विचलन की क्रिया प्रारंभ हो जाती है। बैंगनी, नीले और आसमानी रंग का विचलन सबसे अधिक होता है और शेष रंगों (हरा, पीला, नारंगी तथा लाल) का विचलन कम। उपर्युक्त तीन रंगों के विचलन से लगभग नीले रंग की ही उत्पत्ति होती है। अतः आकाश नीला दिखाई देता है।

49-रंगीन कपड़ा रात्रि को क्यों नहीं खरीदना चाहिए?

उत्तर :- सूर्य का प्रकाश सात रंगों से मिलकर बना है- बैंगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी और लाल । किसी वस्तु का रंग, रंगों के परावर्तन तथा अवशोषण के कारण होता है। अतः जो कपड़ा तुम दिन में पहनते हो, वह रात को अलग रंग का दिखाई देता है क्योंकि रात्रि का प्रकाश कृत्रिम (बनावटी) होता है। इसमें प्राय: सूर्य के प्रकाश की भांति सात रंगों का क्रम नहीं पाया जाता। इसीलिए, रात्रि में कपड़ा खरीदते समय रंग की भूल हो जाने के कारण कपड़ा नहीं खरीदना चाहिए। ।

50-इंद्रधनुष वर्षा के बाद ही क्यों दिखाई देता है?

उत्तर :- कांच के तिकोने टुकड़े को प्रिज्म या त्रिपार्श्व कहते हैं। जब सूर्य का प्रकाश प्रिज्म के एक फलक (सिरे) पर पड़ता है, तो विचलित होकर यह सात रंगों में विभाजित हो जाता है । यह क्रिया विक्षेपण कहलाती है। इंद्रधनुष का बनना भी प्रकाश के इसी विक्षेपण का एक उदाहरण है। वर्षा के बाद वायुमंडल में पानी की बूंदें उपस्थित रहती हैं। जब सूर्य का प्रकाश इन बूंदों पर गिरता है, तो बूंदें प्रिज्म का काम करने लगती हैं और सूर्य के प्रकाश को सात रंगों में विभाजित कर देती हैं। अतः इंद्रधनुष बन जाता है। वर्षा के पूर्व वायुमंडल में नमी न रहने के कारण इंद्रधनुष का बनना असंभव घटना है।

आशा है की आपको सारे प्रश्न रोचक और मजेदार लगे होंगे ।

ऐसे ही सामान्य प्रश्नों के उत्तर कभी-कभी हमसे नहीं बन पाते अर्थात उसका सही उत्तर नहीं बता पाते अगर आपको ऊपर  के  सारे प्रश्न अच्छे लगे होंगे, तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। 

"धन्यवाद"
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विज्ञान के प्रश्न उत्तर | Science questions answers in Hindi

Science questions answers in Hindi | विज्ञान के प्रश्न उत्तर | सामान्य विज्ञान के प्रश्न उत्तर

हम इस पोस्ट में विज्ञान से संबंधित प्रश्नों के उत्तर जानने वाले है। जो हमारे दैनिक जीवन में होते रहते है जिनका उत्तर हमें नहीं पता होता। इसलिए हमें उन प्रश्नों के उत्तर जानना जरूरी है तो आइये जाने ऐसे ही सामान्य प्रश्नों के उत्तर :-

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दैनिक जीवन में विज्ञान से सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर 

01-पानी से भरे टब में तल पर रखा हुआ सिक्का तुम्हें ऊंचा उठा हुआ क्यों प्रतीत होता है?

उत्तर :- वह भौतिक साधन जिसमें से प्रकाश गुजरता है, माध्यम कहलाता है। माध्यम दो प्रकार के होते हैं-विरल और सघन । वायु विरल माध्यम है जबकि कांच तथा पानी सघन माध्यम के उदाहरण हैं। अपवर्तन के कारण जब प्रकाश की किरणें सघन माध्यम से चलकर विरल माध्यम में प्रवेश करती हैं, तो अभिलंब से दूर हट जाती हैं। बस, इसीलिए बाहर से देखने पर पानी से भरे टब में तल पर रखा हुआ सिक्का तुम्हें ऊंचा उठा हुआ दिखाई देता है।

02-कभी-कभी विद्युत बल्ब कम अथवा तेज प्रकाश क्यों देता है?

उत्तर :- घरों में आने वाली विद्युत धारा 220 वोल्ट की होती है। कभी-कभी इस विद्युत धारा की मात्रा जब बढ़ जाती है, तो बल्ब का प्रकाश सामान्य से अधिक हो जाता है। दूसरी ओर, जब विद्युत की मात्रा कम हो जाती है, तो बल्ब का प्रकाश सामान्य से कम हो जाता है।

03-चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यात्री एक-दूसरे की आवाज क्यों नहीं सुन सकते?

उत्तर :- चंद्रमा की सतह पर वायु नहीं है । ध्वनि वायु के माध्यम से ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाती है । अतः चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री एक-दूसरे की आवाज नहीं सुन सकते । वे रेडियो तरंगों के माध्यम से ही आपस में संपर्क करते हैं ।

04-तेल टैंकरों को भरते समय ऊपर कुछ खाली स्थान क्यों छोड़ दिया जाता है?

उत्तर :- टैंकरों को तेल से भरते समय ऊपर कुछ खाली स्थान छोड़ दिया जाता है। इसका कारण यह है कि भीतर दाब कम हो जाता है और टैंकरों के बाहर दाब अधिक होता है। हवा अधिक दाब से कम दाब की ओर बहती है, इसलिए टैंकरों का ढक्कन ठीक से बंद हो जाता है ।

05-बस की छत पर रखे सामान को रस्सी से बांधना जरूरी क्यों है?

उत्तर :- तेज गति से चलती बस की छत पर हवा तेज गति से बहती हुई अनुभव होती है। छत पर रखा सामान भी उसी वेग से बस के साथ आगे बढ़ता है जिस वेग से बस आगे बढ़ रही है। जब तेज गति से बस अपनी दिशा बदलती है, तो गति के जड़त्व के कारण छत पर रखा सामान भी उसी दिशा में स्थानांतरित होना चाहता है जिसके परिणामस्वरूप वह छत से नीचे गिर जाता है। उसे गिरने से बचाने के लिए प्राय : बस की छत पर रखे सामान को रस्सी से बांधना जरूरी है।

06-बिजली की इस्त्री को तुम अंधेरे में क्यों नहीं देख सकते?

उत्तर :- बिजली की इस्त्री जब गरम होती है, तो इसमें से अवरक्त किरणों का विकिरण होता है (सूर्य विभिन्न तरंगदैर्ध्य के प्रकाश का विकिरण करता है। बैंगनी रंग के प्रकाश की तरंगदैर्ध्य कम तथा लाल रंग की तरंगदैर्ध्य अधिक होती है। लाल रंग के तरंगदैर्ध्य से अधिक तरंगदैर्ध्य के प्रकाश को अवरक्त प्रकाश कहते हैं ) । इसका अनुभव तुम इसके निकट आकर कर सकते हो। यह इस्त्री तुम्हें अंधेरे में दिखाई नहीं देती क्योंकि यह इतनी गरम होती नहीं कि दृश्य प्रकाश का विकिरण कर सके । अवरक्त - प्रकाश की किरणें तुम्हें दिखाई नहीं देतीं।

07-हाइड्रोजन गैस से भरा गुब्बारा हवा में ऊपर की ओर क्यों जाता है?

उत्तर :- हवा में कई प्रकार की गैसें मौजूद रहती हैं। कुछ गैसें हवा से भारी होती हैं, तो कुछ हवा से हल्की । हाइड्रोजन भी एक ऐसी ही गैस है जो हवा से हल्की होती है। जब गुब्बारे में हाइड्रोजन गैस भर दी जाती है, तो गुब्बारा हवा का जितना आयतन (वस्तु द्वारा घेरा गया स्थान) हटाता है, उसका भार गुब्बारे के भार से अधिक होता है। इसीलिए, गुब्बारा हवा में ऊपर की ओर जाता है।

08-पानी और दूध जैसे द्रव पदार्थों को नीचे से ही क्यों गरम किया जाता है?

उत्तर :- पानी और दूध जैसे सभी द्रव पदार्थों में उष्मा का स्थानांतरण संवहन विधि से ही होता है। इस विधि में द्रव के ठंडे कण भारी होने के कारण उष्मा के स्रोत के पास नीचे की ओर जाते हैं। ये कण गरम होकर हल्के हो जाते हैं जिससे ऊपर की ओर उठते हैं। अत: पानी और दूध जैसे द्रव पदार्थों को हमेशा नीचे से गरम किया जाता है।

09-पानी को गरम करने से वह भाप में क्यों बदल जाता है?

उत्तर :- पानी छोटे-छोटे अणुओं से मिलकर बना है। जब पानी को गरम किया जाता है, तो इसके अणुओं को ऊर्जा मिल जाती है। ऊर्जा मिलने से अणुओं की गति भी बढ़ जाती है। नतीजा यह निकलता है कि अणुओं के बीच में आकर्षण-बल कम हो जाता है और अणु एक-दूसरे से दूर-दूर हो जाते हैं।

10-इत्र की सुगंध को कमरे के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचने में कुछ समय क्यों लगता है?

उत्तर :- इत्र में जो अणु होते हैं, उनमें एक प्रकार की गति होती है जिसके कारण वे इधर-उधर टकराते हैं। जानते हो, इस गति का नाम क्या है? यह ब्राउनियन गति कहलाती है। तो, ब्राउनियन-गति से अणु इधर-उधर टकराते हुए ही एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंच पाते हैं। अणुओं की इस गति में थोड़ा-सा समय लग जाता है। अतः इत्र की सुगंध को पूरे कमरे में फैलने में थोड़ा समय जरूर लगता है।

11-बंद बर्तन में जलती हुई मोमबत्ती कुछ देर बाद बुझ क्यों जाती है?

उत्तर :- मोमबत्ती को जलने के लिए एक गैस की जरूरत पड़ती है, जिसे 'प्राण वायु' अर्थात आक्सीजन कहते हैं। बर्तन में जब तक आक्सीजन गैस मौजूद रहती है, मोमबत्ती जलती रहती है। कुछ देर बाद जब बरतन की समस्त आक्सीजन जलने में काम आ जाती है, तब बर्तन में कार्बन -डाइ-ऑक्साइड (अशुद्ध वायु) की अधिकता हो जाती है। परिणामस्वरूप मोमबत्ती बुझ जाती है।

12-पानी में चीनी क्यों घुल जाती है?

उत्तर :- चीनी के अणु आकर्षण-बल के कारण आपस में बंधे रहते हैं, अतः ये स्वतंत्रतापूर्वक गति नहीं कर सकते। पानी के अणुओं के बीच आकर्षण बल कम होता है जिससे ये स्वतंत्रतापूर्वक गति कर सकते हैं। - जब चीनी पानी में डाली जाती है, तो पानी के अणु चीनी के अणुओं से टकराते हैं जिससे चीनी के अणु अलग होकर गति करने लगते हैं। इस गति के कारण ही चीनी के अणु पानी में घुलकर विलयन (घोल) बना लेते हैं।

13-वर्षा के दिनों में नदियों का पानी दूषित क्यों हो जाता है?

उत्तर :- यों तो वर्षा का पानी सबसे शुद्ध होता है किंतु पृथ्वी पर गिरते ही इसमें अनेक प्रकार की अशुद्धियां मिल जाती हैं। वर्षा का पानी अन्य अशुद्धियों के साथ-साथ बहाव के कारण नदी के किनारे की गंदगी को भी नदी में मिला देता है। इसके अलावा वर्षा के पानी में मिट्टी भी काफी मात्रा में घुलकर नदी के पानी में चली जाती है। अत:  वर्षा के दिनों में नदियों का पानी दूषित हो जाता है।

14-कारखानों में चिमनियां क्यों लगाई जाती हैं?

उत्तर :- जिस पर्यावरण में तुम रहते हो, उसमें शुद्ध वायु की अधिकता अवश्य होनी चाहिए ताकि सांस लेने में तुम्हें कोई तकलीफ न हो। कारखानों आदि से धुआं निकलता है जो जहरीली (हानिकारक) गैसों से पर्यावरण को प्रदूषित करता है । अतः इस प्रदूषण से बचने के लिए ही कारखानों में ऊंची-ऊंची चिमनियां लगाई जाती हैं। इन चिमनियों के द्वारा निकला हुआ धुआं ऊपरी वायुमंडल में मिलकर तुम्हें होने वाले नुकसान से बचा लेता है।

15-कारखानों से निकला व्यर्थ पदार्थ नदियों या तालाबों में क्यों नहीं मिलने देना चाहिए?

उत्तर :- जल का जीवन में बहुत अधिक महत्व है। इस कारण इसे दूषित होने से तुम्हें बचाना चाहिए। कारखानों से निकला व्यर्थ पदार्थ नदियों या तालाबों में मिलने से इनका पानी दूषित हो जाता है। बहुत से हानिकारक रासायनिक पदार्थ पानी में घुल जाते हैं जो तुम्हारे लिए घातक होते हैं। अत : अनेक प्रकार के रोगों से छुटकारा पाने के लिए यह आवश्यक है कि कारखानों से निकले व्यर्थ पदार्थ को नदियों या तालाबों में मिलने से रोकना चाहिए।

16-पटाखे चलाने से तेज आवाज क्यों होती है?

उत्तर :- पटाखों में रासायनिक ऊर्जा संचित रहती है । जब पटाखे चलाए जाते हैं, तो उनमें संचित रासायनिक-ऊर्जा ध्वनि-ऊर्जा बदल जाती है। यही कारण है कि पटाखे चलाने से तेज आवाज पैदा होती । उष्मा-ऊर्जा पैदा होने से पटाखों में रोशनी भी होती है तथा गतिज ऊर्जा पैदा होने से पटाखों के टुकड़े बिखरकर दूर-दूर तक चले जाते हैं।

17-साबून के पानी में बुलबुले क्यों बनते हैं?

उत्तर :- क्या तुमने कभी साबुन के पानी से भरे टब से बुलबुले बनाकर उड़ाए हैं? जब तुम प्लास्टिक की एक नली में से साबुन के पानी से भरे टब में जोर की फूंक मारते हो, तो टब में बहुत सारे बुलबुले निकलकर हवा में उड़ने . लगते हैं। ऐसा क्यों होता है? वास्तव में, जब साबुन पानी के साथ मिलता है, तो पानी और साबुन के अणु परस्पर मिल जाते हैं और एक पतली फिल्म बना लेते हैं। जब तुम फूंक मारते हो, तो हवा इनके बीच से गुजरकर इन्हें फैला देती है। इस प्रकार, बुलबुलों की उत्पत्ति हो जाती है जो फूंक मारने पर उड़ने लगते हैं।

18-पानी डालने पर आग बुझ क्यों जाती है?

आग लगने पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी को आते हुए तो तुमने अवश्य ही देखा होगा। फायर ब्रिगेड की गाड़ी द्वारा पानी डालने पर ऊंची-ऊंची बिल्डिंग में भी लगी भयंकर आग बुझ जाती है । - किसी भी चीज को जलने के लिए उसका अत्यधिक गरम होना आवश्यक है अर्थात एक निश्चित ज्वलनांक पर ही कोई वस्तु गरम होती है। जब हुई वस्तु पर पानी डाला जाता है, तो उसका ज्वलन- ताप कम हो जाता है और वह बुझ जाती है। ठीक यही आग के साथ भी होता है। परंतु यदि आग तेल, बिजली या अन्य रसायन के कारण लगी हो, तो आग बुझाने के लिए पानी की जगह रसायनों का प्रयोग किया जाना चाहिए ।

19-समुद्र का पानी खारा अथवा नमकीन क्यों होता है?

उत्तर :- समुद्र के पानी में भिन्न-भिन्न प्रकार के रसायन पाए जाते हैं। इन सभी रसायनों में सबसे अधिक नमक होता है जिसकी मात्रा 80 प्रतिशत तक रहती है। यह नमक बर्फ के पिघलने अथवा इनके क्षय होने के फलस्वरूप आता है। वर्षा के दिनों में पर्वतों से नमक तथा दूसरे रसायन पानी में मिलकर नदियों द्वारा समुद्र में पहुंच जाते हैं। कुछ नमक समुद्र तल में पाई जाने वाली चट्टानों से भी आता है। इन्हीं कारणों से समुद्र का पानी खारा अथवा नमकीन होता है।

20-रबड़ से पेंसिल का निशान क्यों मिट जाता है?

उत्तर :- तुम पेंसिल में जो काला सिक्का देखते हो, दरअसल यह ग्रेफाइट और मिट्टी के मिश्रण से बनाया जाता है। ग्रेफाइट कार्बन का ही एक अपरूप है। "लिखते समय ग्रेफाइट एक बल (अवलंब) के द्वारा कागज पर चिपक जाता है। रबड़ से रगड़ने पर ग्रेफाइट का स्थान बदल जाता है। कारण, रबड़ का बल कागज के चिपकाने के बल से ज्यादा रहता है। इस प्रक्रिया में कागज तो साफ हो जाता है लेकिन रबड काला हो जाता है।

21-जलती हुई अंगीठी वाले बंद कमरे में सोना क्यों मना है?

उत्तर :- जलती हुई अंगीठी से कार्बन मोनो-ऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है जो अत्यंत विषैली है । - यदि कमरे के सारे दरवाजे और खिड़कियां बंद हों, तो कमरे की ऑक्सीजन गैस शीघ्र समाप्त हो जाएगी। फलस्वरूप बनने वाली कार्बन मोनो-ऑक्साइड गैस बाहर नहीं निकल सकेगी। यह गैस सोए हुए मनुष्य के शरीर में प्रवेश करके रक्त को विषाक्त (जहरीला) बना देती है । इस गैस के वातावरण में अधिक देर तक सांस लेने से मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है। अत : जलती हुई अंगीठी वाले बंद कमरे में नहीं सोना चाहिए।

22-कोयले की अंगीठी में आग मिट्टी के तेल में डुबोए गए कपड़े के किसी टुकड़े को जलाकर आरंभ क्यों की जाती है?

उत्तर :- कोई भी पदार्थ तब आग पकड़ता है जब वह एक विशिष्ट ताप प्राप्त कर लेता है। इस ताप को उस पदार्थ का ज्वलन-ताप कहते हैं । कोयले की अंगीठी में आग मिट्टी के तेल (केरोसिन) में डुबोए गए कपड़े के किसी टुकड़े को जलाकर इसलिए आरंभ की जाती है ताकि अंगीठी में आग ज्वलन-ताप तक पहुंच सके। ।

23-आग गरम क्यों होती है?

उत्तर :- जलने की प्रक्रिया में उष्मा उत्पन्न होती है। इस ऑक्सीजन की उपस्थिति में हाइड्रोजन के जलने की प्रक्रिया को इस प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं। जब ऑक्सीजन, हाइड्रोजन के साथ संयोग करके अणु-आबंध बनाती है, तो यह हाइड्रोजन द्वारा दिए गए इलेक्ट्रॉनों से अत्यधिक प्रवल आबंध बनाती है। इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन परमाणु अपने इलेक्ट्रॉन खो देता है जबकि ऑक्सीजन परमाणु एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है। किसी भी परमाणु में से एक इलेक्ट्रॉन को कम करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अतः ऊर्जा का परिमाण आवश्यक ऊर्जा से कहीं अधिक होता है जिससे उष्मा उत्पन्न होती है। यही कारण है कि आग गरम होती है।

24-मोमबत्ती की लौ के बीच का हिस्सा पीला क्यों दिखाई देता है?

उत्तर :- मोमबत्ती की बत्ती के पास लौ का सबसे निचला हिस्सा (भाग) मोमबत्ती के धागे के बिना जले हुए कार्बन के कणों के कारण काला होता है। जब शेष कण लौ के साथ ऊपर उठते हैं, तो ये चमकते हैं जिससे लौ के बीच का भाग पीला दिखाई देता है ।

25-धूप से अचानक कमरे में आने पर तुम्हें चीजें साफ क्यों नहीं दिखाई देतीं?

उत्तर :- जब तुम धूप से अचानक कमरे में आते हो, तो तुम्हें चीजें साफ नहीं दिखाई देतीं। धूप के कारण तुम्हारी आंखों की पुतलियां सिकुड़ जाती हैं। जब तुम अचानक कमरे में प्रवेश करते हो, तब उन्हें फैलने में थोड़ा समय लग जाता है। अतः तुम धीरे-धीरे वस्तुओं को ठीक से साफ-साफ देख पाते हो ।

26-शौच के बाद हाथों को भली-भांति धोना क्यों आवश्यक है?

उत्तर :- शौच के बाद साबुन या अन्य पदार्थ (मिट्टी, राख आदि) से हाथों को भली-भांति धोना जरूरी है ताकि तुम स्वस्थ रह सको। शौच के बाद हाथों में कीटाणु चिपके रहते हैं। यदि उन्हें साफ न करें तो खाना खाते समय ये कीटाणु पेट में पहुंचकर बीमारियां फैला सकते हैं। कभी-कभी दूसरे व्यक्तियों से हाथ मिलाने पर उनमें भी ये कीटाणु पहुंचकर बीमारियों को न्योता दे सकते हैं।

27-तकिया लगाकर सोना हानिकारक क्यों है?

उत्तर :- तकिया लगाकर सोना तो प्रायः सभी को अच्छा लगता है, लेकिन सिर पर खड़ी ज्यादातर बीमारियों की जड़ सिरहाने पड़ा रहने वाला यही तकिया ही होता है। तकिये की वजह से व्यक्ति को दिल (हृदय) तथा आंखों की बीमारियों के अलावा दमा जैसे खतरनाक रोग जकड़ लेते हैं । - तकिये पर सिर रखकर सोते समय मनुष्य के शरीर की सभी गतिविधियों को नियंत्रित करने वाली रक्त संचार प्रणाली में अवरोध उत्पन्न हो जाता है। इसकी वजह से शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलने में रुकावट आती है। अतः तकिया लगाकर सोना हानिकारक सिद्ध हो सकता है।

28-भोजन अदल-बदलकर क्यों खाना चाहिए?

उत्तर :- तुम्हारे शरीर को जिन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, वे एक ही प्रकार के भोजन में कदापि नहीं मिलते। इन्हें भिन्न-भिन्न प्रकार के भोजन से ही प्राप्त किया जा सकता है । अतः शरीर की आवश्यकतानुसार प्रतिदिन भोजन अदल-बदलकर खाना लाभकारी होता है ताकि तुम्हारे शरीर को पोषक तत्व प्राप्त हों तथा तुम सदैव स्वस्थ रह सको। ऐसा नहीं है कि जीभ के स्वाद के लिए भोजन अदल- बदलकर खाया जाता हो ।

29-जब तुम भागते हो, तो तुम्हारा हृदय तेज गति से क्यों धड़कने लगता है?

उत्तर :- दौड़ने अथवा व्यायाम करने से तुम्हारी हृदय गति तेज हो जाती है। जब तुम ऐसा करते हो, तब तुम्हें अधिक ऊर्जा का उपयोग करना पड़ता है। शरीर में अधिक ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है। शरीर के जो भाग अधिक कार्य करते हैं, उन तक जल्दी-जल्दी ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए शरीर में रक्त की गति भी तेज हो जाती है जिससे हृदय की गति बढ़ जाती है। इसी कारण से हृदय तेजी से धड़कने लगता है। यों तो एक मिनट में हृदय 72 बार धड़कता है किंतु दौड़ते या व्यायाम करते समय इसे अधिक कार्य करना पड़ता है।

30-तुम्हें जम्हाई क्यों आती है?

उत्तर :- तुम सोच रहे होगे कि अधिक काम से थकान पैदा होने अथवा पूरी नींद न लेने से जम्हाई आती है। लेकिन, ऐसा कदापि नहीं होता। काफी देर तक एक ही स्थिति में बैठे रहने अथवा कठोर परिश्रम करने से एक लंबे समय के बाद तुम्हारे शरीर की श्वसन-गति धीमी पड़ जाती है जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। जम्हाई आने का सिर्फ यही कारण है, बस! जम्हाई से छुटकारा पाने के लिए शरीर में अधिकाधिक ऑक्सीजन की मात्रा बनी रहने देनी आवश्यक है ।

31-कुछ देर गोलाई में घूमने पर तुम्हें चक्कर क्यों आने लगते हैं?

उत्तर :- शरीर का संतुलन कान के अंदर स्थित तीन अर्ध वृत्ताकार नलिकाओं द्वारा किया जाता है। इनकी दीवारों पर रोम होते हैं, जिनमें द्रव भरा रहता है । सामान्य तौर पर यह द्रव स्थिर रहता है। किंतु, जब तुम लगातार गोलाई में घूमने लगते हो, तो इसमें गति आ जाती है और यह गतिशील हो जाता है। अब यह गति नलिकाओं की भीतरी सतह पर स्थित रोमों के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचती है। इसी कारण तुम्हें चक्कर आने लगते हैं ।

32-कुछ लोग जल्दी क्यों भूल जाते हैं?

कभी-कभी देखने में आता है कि कुछ लोग याद की हुई बातों अथवा रखी हुई चीजों को शीघ्र भूल जाते हैं। क्या तुम्हारे साथ भी ऐसा होता है? दरअसल, स्मरण शक्ति क्षीण होने के कुछ खास कारण हैं । नशीले पदार्थों का सेवन स्मरण शक्ति को क्षीण कर देता है। स्मरण शक्ति पर आयु का प्रभाव भी पड़ता है। शारीरिक एवं मानसिक बीमारी भी स्मरण-शक्ति को घटाती है। इनके अतिरिक्त क्रोध, घबराहट, तनाव एवं चिंता के कारण भी स्मरण-शक्ति कमजोर हो जाती है।

33-तुम्हारा कद पूरी उम्र क्यों नहीं बढ़ता?

उत्तर :- तुम्हारे पापा का कद बढ़ना बंद हो गया है और तुम अब भी बढ़ रहे हो । ऐसा क्यों? जब बच्चा पैदा होता है, तो उसका औसतन कद 50 से.मी. होता है। जन्म 36 के बाद वह तेजी से बढ़ता है परंतु कुछ समय के बाद वृद्धि की दर धीमी पड़ जाती है। 12 वर्ष की उम्र तक कद लगभग डेढ़ गुणा अर्थात 1.7 मीटर हो जाता है। फिर, कद का बढ़ना रुक जाता है क्योंकि शरीर की ग्रंथियों का ऐसा सिस्टम (तंत्र) होता है जो कद को नियंत्रण में रखता है। कुछ बच्चे 20 वर्ष के बाद भी बढ़ते रहते हैं और सही कद 35 या 40 वर्ष की आयु के बीच तय हो पाता है। इसके बाद हर 10 वर्ष के दौरान मनुष्य 12 मिली मीटर सिकुड़ जाते हैं।

34-फल पकने के बाद वृक्ष से टूटकर क्यों गिर जाते हैं?

उत्तर :- पका हुआ अंडाशय ही फल कहलाता है। जब अंडाशय फल में परिवर्तित हो जाता है, तो यह पकने लगता है । जिस स्थान से यह डंठल से जुड़ा रहता है, उस स्थान पर एक विगलन परत का विकास होने लगता है। इसी परत के कारण ही पोषक पदार्थों का फल में पहुंचना धीरे -धीरे कम होने लगता है और अंत में बिलकुल बंद हो जाता है। जब यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो फल वृक्ष से टूटकर गिर जाते हैं ।

35-मिर्च खाने के बाद पानी पीने से राहत क्यों मिलती है?

उत्तर :- जीभ में कुछ ऐसी संवेदनशील स्वाद - ग्रंथियाँ होती हैं जो मुख्य रूप से मीठे, खट्टे और कड़वे स्वादों को भली-भांति पहचानती हैं। मिर्च के कुछ रसायन स्वाद-ग्रंथियों में जलन पैदा कर देते हैं जिससे जीभ में भी जलन होने लगती है। पानी पीने से जलन पैदा करने वाले ये रसायन पानी के साथ बह जाते हैं और राहत मिलती है ।

36-धूप में पेड़ की पत्तियां गरम क्यों नहीं होतीं?

उत्तर :- पौधों की पत्तियों में प्रायः 55 से 85 प्रतिशत तक पानी होता है । पत्तियों की निचली सतह पर छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिन्हें स्टोमेटा या रंध्र कहते हैं। जब धूप पत्तियों पर पड़ती है तो ये रंध्र खुल जाते हैं और वाष्पीकरण (पानी निकलने) की क्रिया से पानी वाष्पीकृत होना प्रारंभ हो जाता है। यह क्रिया प्रस्वेदन कहलाती है। धूप जितनी तेज होती है, प्रस्वेदन की क्रिया भी उतनी ही अधिक होती है। परिणामस्वरूपपेड़ की पत्तियां धूप में गरम नहीं होने पातीं ।

37-धूप में कुछ देर बैठने पर आलस क्यों आता है?

उत्तर :- धूप में कुछ देर बैठने पर तुम्हारे शरीर से पसीना निकलना शुरू हो जाता है। पसीना निकलने से शरीर ढीला पड़ने लगता है और तुम्हें आलस घेर लेता है। खाना खाकर भी धूप में बैठने से तुम्हें आलस आ जाता है। खाना खाने के बाद शरीर का रक्त समस्त भोजन को पचाने का काम शुरू कर देता है। मस्तिष्क को भेजा जाने वाला रक्त भी इसी कार्य में जुट जाता है। इस कारण, शरीर में आलस आ जाता है।

38-अंडा उबालने पर ठोस क्यों हो जाता है?

उत्तर :- कच्चे अंडे का आंतरिक भाग तरल होता है। अंडा उबालने पर ठोस हो जाता है। जानते हो, ऐसा क्यों होता है? अंडे के भीतरी भाग में एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो सामान्य ताप पर तरल रहता है। किंतु, गरम करने पर यह प्रोटीन रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप विखंडित होकर ठोस में परिवर्तित हो जाता है। अंडे के पीले भाग में वसा अधिक मात्रा में मिलती है।

39-नाखून काटने से दर्द क्यों नहीं होता?

शरीर के अंगों की रचना दो प्रकार की कोशिकाओं से होती है - जीवित और मृत कोशिकाएं। - नाखूनों की संरचना मृत कोशिकाओं से होती है। यही कारण है कि नाखूनों में रुधिर की कोशिकाएं नहीं पाई जातीं । अतः जब तुम नाखून काटते हो, तो दर्द का अनुभव नहीं होता।

40-रात्रि में पेड़ों के नीचे सोना हानिकारक क्यों हैं?

उत्तर :- पेड़ ऑक्सीजन देते हैं और अशुद्ध वायु कार्बन डाईऑक्साइड लेते हैं । पेड़ प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के दौरान ही ऑक्सीजन छोड़ने एवं कार्बन डाईऑक्साइड ग्रहण करने का कार्य करते हैं । प्रकाश संश्लेषण की क्रिया सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में केवल दिन के समय ही संभव है। रात्रि को यह क्रिया नहीं होती। रात्रि में पेड़ कार्बन डाईऑक्साइड गैस ही छोड़ते हैं और ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं। अतः रात्रि में पेड़ों के नीचे सोना हानिकारक है।

41-नमकीन चीजें खाने से प्यास क्यों लगती है?

उत्तर :- ऐसा देखा गया है कि नमक या नमकीन चीजें खाने के बाद प्यास अधिक लगती है। इसका कारण है कि नमक खाने के बाद शरीर की कोशिकाओं का पानी गुर्दों की ओर चला जाता है। इससे शरीर के अन्य भागों में अस्थायी रूप से पानी की कमी आ जाती है। पानी की इस कमी को पूरा करने के लिए ही प्यास का अनुभव होता है और तुम पानी पीते हो।

42-छींक क्यों आती है?

उत्तर :- मानव शरीर में प्रतिवर्ती-क्रियाओं के कई उदाहरण पाए जाते हैं। छींक आना भी शरीर की एक प्रतिवर्ती क्रिया है। - नाक के अंदर पाई जाने वाली म्यूकस-झिल्ली की नाड़ियों में कभी-कभी सूजन आ जाती है अथवा कोई बाहरी पदार्थ घुस जाता है। इसे दूर करने और खुजली को रोकने के लिए ही प्राय : छींक आती है।

42-हिचकी क्यों आती है?

उत्तर :- हिचकी आने पर अक्सर कहा जाता है कि कोई याद कर रहा है। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। है से शरीर की अनुकूलता के विरुद्ध भारी भोजन करने से कभी-कभी पेट में गैस या अम्लीयता बढ़ जाती है। अम्लीयता बढ़ने से डायाफ्राम सिकुड़ जाता है। ऐसे समय में फेफड़ों से जाने वाली वायु रुकावट के कारण एक अजीब सी आवाज उत्पन्न करने लगती है। यही आवाज 'हिचकी' के नाम से जानी जाती है।

43-शरीर में पसीना क्यों आता है?

उत्तर :- शरीर का तापमान 37° सेल्सियस होता है। जब रक्त का तापमान शरीर के सामान्य तापमान से अधिक हो जाता है, तो ठंडक पैदा होनी शुरू हो जाती है। ऐसे में ऑक्सीजन की क्रिया भी धीमी पड़ जाती है। शरीर में निहित स्वेद-ग्रंथियों से पसीना निकलने लगता है। अतः शरीर के तापमान को स्थिर करने के लिए तुम्हें पसीना आता है।

44-औरतों की आवाज पतली और पुरुषों की मोटी क्यों होती है?

उत्तर :- तारत्व ध्वनि का एक गुण होता है। ध्वनि का मोटा अथवा पतला होना इसी तारत्व पर निर्भर करता है। औरतों की ध्वनि का तारत्व अधिक होता है, अतः उनकी आवाज पतली होती है। इसके विपरीत पुरुषों की ध्वनि का तारत्व कम होता है, अतः उनकी आवाज मोटी होती है ।

45-गरमियों में दूध जल्दी क्यों खराब हो जाता है?

उत्तर :- गरमियों में जीवाणु अधिक सक्रिय होते हैं। ये जीवाणु दूध में उपस्थित प्रोटीन, वसा तथा अन्य पदार्थों को किण्वन द्वारा कार्बनिक अम्ल में बदल देते हैं। इससे दूध में अम्लीयता बढ़ जाती है और वह खराब होकर फट जाता है।

46-इंजेक्शन लगाने से पहले डॉक्टर त्वचा को एल्कोहल से साफ क्यों करते हैं?

इंजेक्शन लगाने से पहले डॉक्टर त्वचा को एल्कोहल से इसलिए साफ करते हैं, क्योंकि एल्कोहल त्वचा में उपस्थित सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर देता है। इसके अतिरिक्त वह त्वचा को निश्चेत करके स्थानीय निश्चेतक का कार्य भी करता है।

47-जो पौधे भोजन बनाते हैं, वे हरे क्यों होते हैं?

उत्तर :- सूर्य के प्रकाश में सात रंग पाए जाते हैं। जो पौधे सूर्य के प्रकाश में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करके भोजन बनाते हैं, वे सूर्य के प्रकाश में से केवल बैंगनी तथा लाल रंग का अवशोषण करते हैं। वे पौधे हरे रंग की तरंगदैर्ध्य को परावर्तित कर देते हैं। इसी कारण से वे हरे दिखाई देते हैं ।

48-मोटापा क्यों आता है?

उत्तर :- जब मनुष्य अधिक ऊर्जा तथा वसायुक्त आहार लेता है तथा उसको शारीरिक प्रक्रियाओं द्वारा जला नहीं सकता, तो अतिरिक्त वसा पेट के चारों ओर त्वचा के नीचे जमा हो जाती है। इसी वसा के कारण व्यक्ति मोटा तथा भारी-भरकम हो जाता है। मोटापा एक खतरनाक रोग है।

49-सरसों तथा मूंगफली का तेल द्रव रूप में ही क्यों रहते हैं?

उत्तर :- वसा दो प्रकार की होती हैं- संतृप्त और असंतृप्त । सरसों तथा मूंगफली के तेल असंतृप्त वसा से निर्मित हैं। असंतृप्त वसा में वसा अम्लों के अणुओं में एक या अधिक द्वि-आबंध होते हैं। इन वसाओं का द्रवणांक बहुत कम होता है, अतः ये तरल अवस्था में ही पाए जाते हैं। - इसके विपरीत ताजे मक्खन में द्वि- आबंध नहीं होते, जिससे वह ठोस अवस्था में रहता है क्योंकि वह संतृप्त वसा है।

50-आयु बढ़ने के साथ-साथ बहुत से व्यक्ति मोटे क्यों हो जाते हैं?

उत्तर :- आयु बढ़ने के साथ-साथ मनुष्य की ऊर्जा व्यय करने की क्षमता भी कम हो जाती है। इस अवस्था में शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए भोजन की थोड़ी मात्रा की ही आवश्यकता होती है। यदि मनुष्य पहले की तरह ही भोजन लेता रहे, तो फालतू भोजन वसा में बदल जाता है जो शरीर में इकट्ठा होता रहता है। इस कारण, ऐसे व्यक्ति मोटे हो जाते हैं।

तो आपने ऊपर के सभी विज्ञान के प्रश्न उत्तरों को पढ़ लिया होगा। उम्मीद है आपको सारे प्रश्नों के उत्तर समझ आ गये होंगे। पोस्ट अगर अच्छा लगा होगा तो अपने दोस्तों को शेयर जरूर करें।