पारगम्यता क्या है- प्रकार और सिद्धान्त (What is Permeability - Types and Principles)

पारगम्यता क्या है(pargamyata kya hai)

हेलो दोस्तों, answerduniya.com में आपका स्वागत है, इस आर्टिकल में पारगम्यता(Permeability) क्या हैं?, पारगम्यता के प्रकार और पारगम्यता के सिद्धान्त के बारे में जानने वाले है। पारगम्यता दो शब्दों से मिलकर बना है- 'पार' तथा 'गम्य' पार का अर्थ होता है दूसरी तरफ और गम्य का अर्थ होता है- जाना। किसी वस्तु के एक तरफ से दूसरी तरफ जाने की क्षमता पारगम्यता कहलाती है। विभिन्न परीक्षाओं की दृष्टि से  पारगम्यता एक महत्वपूर्ण टॉपिक है । इसलिए हमें पारगम्यता के बारे में जरुर जानना चाहिए। पारगम्यता के बारे में जानने के लिए इस पोस्ट को पूरा जरुर पढ़ें।

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पारगम्यता क्या है ?

प्रत्येक जीवित कोशिका का जीव द्रव्य बाहरी ओर से कोशिका झिल्ली (Plasma Membrane) द्वारा घिरी रहती है, जो कि कोशिका के जीव द्रव्य को बाहरी वातावरण से विलग (Separate) रखती है। इसी प्लाज्मा झिल्ली द्वारा जल तथा खनिज लवण कोशिका में प्रवेश करते हैं। झिल्लियों की वह क्षमता जिसके द्वारा वे किसी घुलनशील पदार्थ को अपने में होकर आने जाने देती है, पारगम्यता (Permeability) कहलाती है।

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पारगम्यता के आधार पर झिल्लियों के प्रकार (Types of Membranes on the basis of Permeability)


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1.अपारगम्य झिल्ली (Impermeable Mem brane) - वह झिल्ली जो विलेय या विलायक में से किसी के भी अणुओं को अपने से होकर आने-जाने नहीं देती है, अपारगम्य झिल्ली (Impermeable Membrane) कहलाती है। उदाहरण— सुबेरिकृत कॉर्क कोशिकाओं की भित्ति ।

2.पारगम्य झिल्ली (Permeable Membrane) - जो झिल्लियाँ अपने में से होकर प्रत्येक पदार्थ (विलायक एवं विलेय के अणुओं) को आने-जाने देती हैं, वे पारगम्य झिल्ली कहलाती हैं। उदाहरण- सेल्युलोज की बनी पादपों की कोशिका भित्ति । 

3.अर्द्धपारगम्य झिल्ली (Semi Permeable Mem brane) - वे झिल्लियाँ जो अपने में से केवल विलायक के अणुओं को ही आने-जाने देती हैं अर्थात् विलेय के अणुओं का आवागमन नहीं होने देती हैं, अर्द्धपारगम्य झिल्ली (Semi Permeable Membrane) कहलाती हैं । उदाहरण—अण्डे की झिल्ली।

4.चयनात्मक या वरणात्मक पारगम्य झिल्ली (Selectively or Differentially Permeable Mem brane) - झिल्ली का वह प्रकार जो विलायक के अणुओं के साथ कुछ चयनित विलेयों को भी आर-पार जाने देती हैं, विभेदक पारगम्य या चयनात्मक पारगम्य या वरणात्मक पारगम्य झिल्ली कहलाती हैं। उदाहरण—कोशिका झिल्ली (Cell Membrane), रिक्तिका की झिल्ली (Tonoplast), कोशिकांगों की झिल्लियाँ (Membranes of Cell Organelles) ।

पारगम्यता के सिद्धान्त (Theories of Permeability)- 

पारगम्यता प्लाज्मा झिल्ली की लाक्षणिक विशेषता है, इसकी व्याख्या के लिए दिये गए विभिन्न सिद्धातों में कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं – 

(1) द्वव- मोजैक सिद्धान्त ( Fluid mosaic Theory ) – यह सिद्धान्त नेथन्सान (Nathanson1904) के द्वारा प्रस्तुत किया गया। इसके अनुसार प्लाज्मा झिल्ली लिपिड एवं प्रोटीन के मोजैक के रूप में होती है तथा लिपिड से संबंधता (affinity) प्रदर्शित करने वाले अणु प्लाज्मा झिल्ली के लिपोइडल क्षेत्र (Lipoidal area ) से कोशिका में प्रवेश करते हैं जबकि लिपिड में अघुलनशील पदार्थ प्लाज्मा झिल्ली के प्रोटीनस (Proteinous ) भाग से प्रवेश करते हैं ।


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सिंगर एवं निकोल्सन (Singer & Nicolson, 1972) नामक वैज्ञानिकों के अनुसार, प्लाज्मा झिल्ली की विभेदकीय पारगम्यता (deferential permeability) लिपिड एवं • प्रोटीन, प्रोटीन एवं प्रोटीन तथा लिपिड एवं लिपिड के अणुओं की अंतःक्रियाओं पर निर्भर करता है। कोशिका झिल्ली में उपस्थित आन्तर प्रोटीन (integral protein) आयनों आदि के स्थानान्तरण के समय वाहक (Carrier) एवं एन्जाइम (enzyme) की भाँति कार्य करते हैं।

(2) कोलॉइडल सिद्धान्त (Colloidal Theory) - इस सिद्धान्त के अनुसार कोशिकाद्रव्य (Protoplasm) एवं उनकी प्लाज्मा कला (Plasma membrane) एक पॉलिफेजिक कोलॉइडल तंत्र (Polyphasic colloidal system) के रूप में होती हैं तथा विभिन्न पदार्थों का प्लाज्माकला में प्रवेश कोलॉइडल तंत्र (Colloidal System) की अवस्थाओं में परिवर्तन पर निर्भर करता है। इस सिद्धान्त के अनुसार प्लाज्मा झिल्ली की श्यानता अवस्था (viscosity) प्रतिलोमन एवं विद्युतीय क्रियायें (Electrical reactions) ही कोशिका झिल्ली की पारगम्यता में परिवर्तन के लिए उत्तरदायी होते हैं। 

(3) सूक्ष्मछनन सिद्धान्त (Ultrafiltration theory ) - हॉफमैन (Hoffinan, 1925) के अनुसार कोशिका झिल्ली में अत्यंत सूक्ष्म छिद्र पाए जाते हैं जो कि एक चालिनी (Sieve) या पराछननी (ultrafilter) की तरह कार्य करते हैं। यह छिद्र ग्लूकोज के अणुओं को सुक्रोज के अणुओं की अपेक्षा अधिक तीव्रगति से आर-पार आने-जाने देते हैं। छिद्रों का आकार उसके चारों ओर उपस्थित दशाओं के आधार बनते रहता है।

(4) इलेक्ट्रोकैपिलरी सिद्धान्त (Electrocapillary Theory) - मिकेलिस (Michaelis) तथा लॉयड (Lioyd) जैसे वैज्ञानिकों का मानना है कि कोशिका झिल्ली में उपस्थित सूक्ष्म छिद्रों के चारों ओर आवेशित झिल्ली-प्रोटीन के समूह (charged group of membrane proteins) पाये जाते हैं। धनावेशित कण (Positively charged particles) ऋणावेशित छिद्रों के द्वारा कोशिका झिल्ली से होकर प्रवेश करते हैं जबकि ऋणावेशित कण धनावेशित छिद्रों के द्वारा प्रवेश करते हैं। इसी प्रकार नॉन- इलेक्ट्रोलाइट्स (non electrolytes) के अणु प्लाज्माकला में तभी प्रवेश कर पाते हैं जबकि उनके अणुओं का आकार प्लाज्माकला में उपस्थित छिद्रों की अपेक्षाकृत छोटा होता है।

ऊपर आपने पारगम्यता(Permeability) क्या हैं?पारगम्यता(Permeability) के प्रकार साथ ही  पारगम्यता के सिद्धान्त के बारे में भी जाना।

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