रेडियोधर्मी प्रदूषण पर निबंध (Essay on Radioactive Pollution in Hindi)

रेडियोधर्मी प्रदूषण क्या है (rediodharmi pradushan kya hai)

नमस्कार, आंसर दुनिया में आपका स्वागत है। इस लेख में हम रेडियोधर्मी प्रदुषण क्या है, रेडियोधर्मी प्रदूषण के स्रोत, रेडियोधर्मी प्रदूषण का दुष्प्रभाव, रेडियो धर्मी प्रदुषण से बचने के उपाय आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे। वर्तमान समय में टेक्नोलॉजी का बहुत ही ज्यादा उपयोग किया जा रहा है जिससे रेडियो धर्मी प्रदुषण बढ़ने की सम्भावना बढ़ रही है। रेडियो धर्मी प्रदूषण से जुड़े प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। रेडियो धर्मी प्रदुषण के बारे में अच्छे से जानने के लिए इस लेख को पूरा अवश्य पढ़ें।

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रेडियोधर्मी प्रदूषण ठोस, तरल या गैसीय पदार्थ में जहाँ अनायास या अवांछनीय रेडियोधर्मी पदार्थ की उपस्थिति होती है, उसे रेडियोधर्मी प्रदूषण कहते हैं। इसका प्रभाव पर्यावरण, जीव जन्तुओं और मनुष्यों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। जिससे लोगों की मृत्यु भी हो जाती है।

Table of content: -

  • रेडियोधर्मी प्रदूषण क्या है?
  • रेडियोधर्मी प्रदूषण के स्रोत
  • रेडियोधर्मी प्रदूषण के दुष्प्रभाव
  • रेडियोधर्मी प्रदूषण के उपाय
  • निष्कर्ष

रेडियोधर्मी प्रदूषण (Radioactive Pollution) - रेडियोधर्मी प्रदूषण वह है, जो रेडियोऐक्टिव किरणों (radioactive rays) से होता है। ये किरणें एक विशेष प्रकार की किरणें होती हैं, जो रेडियोऐक्टिव पदार्थों से निकलती हैं। ये किरणें मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं- अल्फा, बीटा, गामा । इन रेडियोऐक्टिव पदार्थों का उपयोग आजकल परमाणु ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए किया जा रहा है। शान्ति काल में इस ऊर्जा से विद्युत् का उत्पादन किया जाता है, जबकि युद्धकाल में इसका उपयोग विनाश के लिए बमों के रूप में किया जाता है।

ऊपर आपने जाना कि रेडियोधर्मी प्रदूषण क्या है? अब जानते है रेडियो धर्मी प्रदूषण के प्रमुख स्रोत के बारे में किन-किन कारणों से रेडियो धर्मी प्रदूषण होता है इसके बहुत सारे कारण हैं। जो नीचे दिया गया है.

 रेडियोधर्मी प्रदूषण के स्रोत (Sources of Radioactive Pollution)- 

रेडियो धर्मी प्रदूषण विभिन्न कारणों से होता है इसके बहुत सारे स्रोत हैं जिनके कारण रेडियो धर्मी प्रदूषण होता है। रेडियो धर्मी प्रदूषण के स्रोत निम्नलिखित है-

(1) चिकित्सा में उपयोग होने वाली किरणों से प्राप्त प्रदूषण-आजकल चिकित्सा में भी रेडियोऐक्टिव किरणों का उपयोग विभिन्न बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जा रहा है । ये किरणें जीव शरीर को प्रभावित कर रही हैं। जैसे- X- किरणें (x-rays ) । 

आजकल PETS (Position Emission Tomographic Scaning), लेसर (LASER = Light Amplified by Stimulated Emission of Radiation), सोनोग्राफी (Sonography) इत्यादि चिकित्सकीय युक्तियों का प्रयोग रोगों के उपचार में किया जा रहा है। इन सभी युक्तियों में कुछ तरंगों को शरीर में भेजा जाता है। हालाँकि ये तरंगें उपचार के लिए प्रयोग की जाती हैं, लेकिन ये शरीर के ऊतकों एवं कोशिकाओं को प्रभावित भी करती हैं और कभी-कभी कैंसर जैसे खतरनाक बीमारी भी पैदा करती हैं ।

(2) नाभिकीय शस्त्रों से प्रदूषण - आजकल नाभिकीय या परमाणु बमों द्वारा परमाणु ऊर्जा को पैदा करने के लिए यूरेनियम-235, प्लूटोनियम-239, स्ट्रान्शियम-90, सीजियम-137, आयोडीन- 131, इत्यादि रेडियोऐक्टिव पदार्थों का प्रयोग किया जा रहा है, जो रेडियोऐक्टिव विकिरण पैदा कर प्रदूषण फैला रहे हैं । 

(3) परमाणु भट्ठियाँ और ईंधन - परमाणु भट्ठियों में उपयोग किये जाने वाले पदार्थों से प्राप्त विकिरण प्रदूषण पैदा करता है। इसके अलावा इनके अपशिष्टों को भी जल स्रोतों एवं वातावरण में मिलाया जा रहा है, जिनसे निकला विकिरण रेडियोऐक्टिव प्रदूषण पैदा कर रहा है।

इन्हें पढ़े - प्राकृतिक संसाधन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी

(4) अन्य स्रोत – आजकल परमाणु बिजली घरों में रेडियोऐक्टिव पदार्थों का उपयोग हो रहा है, जिनसे निकले अपशिष्टों के विकिरण प्रदूषण पैदा कर रहे हैं। 

(5) शोधकार्यों में उपयोग में लाये गये रेडियोऐक्टिव पदार्थों से प्राप्त विकिरण भी प्रदूषण पैदा करते हैं।

(6) प्राकृतिक विकिरण – अन्तरिक्ष किरणों (Cosmic rays), सूर्य का विकिरण एवं पृथ्वी में स्थित न्यूक्लियोइड्स, जैसे— रेडियम-224, यूरेनियम- 235, यूरेनियम- 233, थोरियम- 232, रेडॉन 22, कार्बन-14 और पोटैशियम- 40 भी रेडियो विकिरण छोड़ते हैं, जिनसे रेडियोऐक्टिव प्रदूषण पैदा होता है।

रेडियो धर्मी प्रदूषण के दुष्प्रभाव- (Side effects of radioactive pollution

ऊपर आपने जाना कि रेडियो धर्मी प्रदूषण के प्रमुख स्रोत के बारे में अब आगे आपने पड़ने वाले है रेडियो धर्मी प्रदूषण के दुष्प्रभाव को रेडियो धर्मी प्रदूषण जीन्स तथा गुणसूत्रों को प्रभावित करते हैं। गुणसूत्र की संरचना तथा जीन्स की स्थिति में परिवर्तन आ जाने से आनुवंशिक रोग हो जाते हैं. इस रेडियो धर्मी प्रदूषण के कारण  मानव स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पढता है चलिए आगे जानते है.

(A) मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव (impact on human health)

(1) ल्यूकेमिया तथा हड्डी कैंसर (Leukemia and Bone Cancer)- प्रायः सभी नाभिकीय के विस्फोटकों के द्वारा रेडियोधर्मी स्ट्रांशियम-90 (Stotium) तथा सीजियम-137 मुक्त होता है जिससे वायु, जल तथा भूमि का प्रदूषण होता है । यह वर्षा के बूँदों के द्वारा गिरकर घास में प्रवेश करता है, जो दूध देने वाली गाय, भैंस, बकरियों आदि के द्वारा मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है। शरीर में पहुँचने पर यह सभी हड्डियों से मिल जाता है और ल्यूकेमिया व हड्डी कैंसर नामक भयानक रोग उत्पन्न करता है। 

(2) रेडियोऐक्टिव विकिरण के फलस्वरूप जीव की प्रजनन क्षमता क्षीण हो जाती है तथा असामयिक बुढ़ापे की अवस्था को प्राप्त कर वे मर जाते हैं। 

(3) महामारियों में वृद्धि (Spread of Epidemics)- रेडियो धर्मी विकिरण के बाद मनुष्य में रोग जनक बैक्टीरिया व विषाणु (bacteria and viruses) के प्रति एण्टीटॉक्सिन्स उत्पन्न करने की क्षमता कम हो जाती है। 

(4) जीन्स में परिवर्तन (Changes in Genes) रेडियोऐक्टिव विकिरण के फलस्वरूप जीवों के जर्मिनल कोशिकाओं के जीन्स में उत्परिवर्तन (mutation) उत्पन्न हो जाते हैं जिससे विकृत एवं विकलांग शिशुओं का जन्म हो सकता है।

(5) रेडियोऐक्टिव विकिरण के बाद केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र भी प्रभावित होता है, जिससे संवेदी तन्त्रिकाओं की कोशिकाएँ कभी भी उत्तेजित हो जाती हैं।

(6) बाह्य त्वचा पर घाव बन जाती है एवं आँख, आँत व जनन ऊतक प्रभावित होते हैं। इसके तात्कालिक प्रभाव के रूप में आँखों में जलन, डायरिया, उल्टी आदि लक्षण दिखाई देते हैं। 

(7) तन्त्रिका तन्त्र तथा संवेदी कोशिकाएँ उत्तेजित हो जाती हैं।

इन्हें पढ़े - पारिस्थितिक तंत्र की संरचना एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।

(B) जीव जन्तुओं पर प्रभाव (effect on animals)

(1) रेडियोधर्मी पदार्थों से संदूषित घास, दानें आदि खाने से पक्षियों के अण्डों में शिशु नहीं बन पाते।

(2) जल में रेडियोधर्मी पदार्थों के मिलने से जलीय जन्तुओं विशेषकर कीटों के लार्वा एवं अन्य छोटे जीवमरने लगते है।

(3) कीट-पतंगों के जीवनचक्र की विभिन्न अवस्थाओं (प्यूपा, लार्वा आदि) का नष्ट हो जाना, जिसके कारण इनकी प्रजातियों की विलुप्तता का खतरा उत्पन्न हो जाता है।

(C) वनस्पतियों पर प्रभाव (Effects on plants)

(1) वनस्पतियों की प्रचुरता का कम होना।

(2) पेड़-पौधों की प्रकार्यात्मक क्रियाओं, जैसे-रसारोहण, प्रकाश संश्लेषण, श्वसन, पुष्पर तथा जनन में व्यवधान आना। 

(3) पौधों की सतह पर घावों का बनना।

रेडियोधर्मी प्रदूषण के उपाय (Measures to control radioactive pollution)

  1. परमाण्विक ऊर्जा से संचालित विद्युत् गृहों व रिएक्टरों की स्थापना शहरों तथा आबादी से दूर करना चाहिए।
  2. परमाणु बिजली घरों से उत्पन्न परमाणु कचरे को भूमि के नीचे गहराई में सुरक्षापूर्वक दबा देना चाहिए।
  3. परमाण्विक रिएक्टरों के रख-रखाव के समुचित प्रबन्ध होने चाहिए तथा इनके रख-रखाव में सतर्कता रखनी चाहिए।
  4. परमाणु संयंत्रों की टंकियों एवं पाइप लाइनों की समय-समय पर जाँच करते रहना चाहिए।
  5. परमाणु बमों के निर्माण तथा उनके उपयोग पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए।
  6. विश्व के परमाणु भण्डारों को नष्ट कर देना चाहिए।
  7. परमाणु बमों के परीक्षण पर रोक लगाना चाहिए। 
  8. परमाणु ऊर्जा का उपयोग सही कार्यों में करना चाहिए।

आज के इस लेख में हमने  रेडियो धर्मी प्रदूषण क्या है?  रेडियोधर्मी प्रदूषण के स्रोत, रेडियोधर्मी प्रदूषण के दुष्प्रभाव, रेडियोधर्मी प्रदूषण के उपाय के बारे में जाना। रेडियो धर्मी प्रदूषण से अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न नीचे दिए जा रहे हैं। जिसका अभ्यास आप अपने परीक्षा की तैयारी के लिए कर सकते हैं।

रेडियो धर्मी प्रदूषण से सम्बंधित FAQs

1. रेडियोधर्मी प्रदूषण किसे कहते हैं तथा इससे क्या हानियां हैं?

प्रकृति में कुछ ऐसे पदार्थ पाए जाते हैं, जो स्वत: ही विघटित होकर एक प्रकार की हानिकारक किरणे उत्सर्जित करते हैं। जैसे – थोरियम आदि ऐसे पदार्थ रेडियोधर्मी पदार्थ कहलाते हैं। इन पदार्थों से निकलने वाली किरणें वायुमंडल को प्रदूषित करती हैं। इन किरणों द्वारा होने वाले प्रदूषण को रेडियोधर्मी प्रदूषण कहते हैं।

2. रेडियोधर्मी प्रदूषण से कौन सी बीमारी होती है?

उच्च मात्रा में विकिरण के संपर्क से 'क्रॉनिक डिज़ीज़िज़' (Chronic Diseases), जबकि अत्यधिक प्रदूषण से कैंसर या यहाँ तक कि अचानक मृत्यु भी हो सकती है। विकिरण की कम मात्रा उन बीमारियों का कारण बन सकती है जो विकिरण संपर्क के समय इतनी गंभीर नहीं होती हैं परंतु समय के साथ विकसित होती है।

3. रेडियोएक्टिव पदार्थ क्या होता है?

रेडियोसक्रियता (रेडियोऐक्टिविटी / radioactivity) या रेडियोधर्मिता वह प्रकिया होती है जिसमें एक अस्थिर परमाणु अपने नाभिक (न्यूक्लियस) से आयनकारी विकिरण (ionizing radiation) के रूप में ऊर्जा फेंकता है। ऐसे पदार्थ जो स्वयं ही ऐसी ऊर्जा निकालते हों विकिरणशील या रेडियोधर्मी (रेडियोऐक्टिव) कहलाते हैं।

उम्मीद करता हूँ कि रेडियोधर्मी प्रदूषण पर निबंध की यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी ,अगर आपको पोस्ट पसंद आये तो पोस्ट को शेयर अवश्य करें।

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