जल प्रदूषण क्या है (What is Water Pollution)

जलप्रदुषण प्रदूषण क्या है (Jal pradushan kya hai)

नमस्कार, आंसर दुनिया के वेब पेज में आपका स्वागत है। जल प्रदूषण अभी के समय में बहुत बढ़ी समस्या बन गया है "जल है तो कल है" ऐसा नारा लगाते है और आज जल प्रदूषण कि सबसे बड़ी समस्या हमारे और आपके सामने बना हुआ है. तो आज के आर्टिकल में  जल प्रदूषण क्या है, जल प्रदूषण के प्रमुख स्रोत और जल प्रदूषण के प्रकार आदि के बारे में बताया जा रहा है। साथ ही जानेंगे कि जल प्रदूषण से जीव जंतु और मनुष्यों को क्या-क्या समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

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जल प्रदूषण (Water Pollution) - जल के निश्चित भौतिक (physical), रासायनिक (chemical) एवं जैविक गुण (biological character) होते हैं, अत : जल के इन लक्षणों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन जिसका मनुष्य (man), जन्तुओं (animals) एवं पौधों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, जल प्रदूषण (Water pollution) कहलाता है। जल प्रदूषण कारखानों, शहरों, उद्योगों तथा कृषि व अन्य हानिकारक पदार्थों के जल में मिल जाने के कारण होता है। वह स्वयं मनुष्य तथा जीवमण्डल (biosphere) के दूसरे जीवों को बुरी तरह से प्रभावित करता है।

जल प्रदूषण के प्रमुख स्रोत- (Major sources of water pollution)

(1) घरेलू अपमार्ज़क (Household Detergents)- 

आजकल घरों की सफाई, बर्तनों की सफाई, नहाने-धोने में अपमार्जकों का प्रयोग अधिकता से किया जा रहा है, जिसके कारण जल में फॉस्फेट, नाइट्रेट, अमोनियम के यौगिक ऐल्किन बेन्जीन सल्फोनेट (ABS) इत्यादि जल में मिलकर इसे प्रदूषित करते हैं। अनिम्नीकरणीय होने के कारण जल में एकत्र होकर जीवमण्डल को प्रभावित करता है फॉस्फोरस और नाइट्रेट जल में शैवालों की वृद्धि को उत्तेजित कर देते हैं। शैवालों की मृत्यु के बाद अपघटन के कारण जल में दुर्गन्ध पैदा होती है और O2 की कमी हो जाती है कुछ शैवाल विषैले पदार्थ स्रावित करते हैं, जिसके कारण इस जल का उपयोग करने वाले जन्तुओं की मृत्यु सम्भव है।

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(2) वाहित मल ( Sewage)- 

शहरों से निकला मल-मूत्र, कूड़ा-करकट भूमिगत नालियों द्वारा जलाशयों नदियों, झीलों तथा समुद्रों में मिला दिया जाता है । इन पदार्थों से अमोनिया CO, CO2, नाइट्राइट, सल्फाइड, सल्फेट आदि जल में मिल जाते हैं और इसे प्रदूषित करते हैं। कुछ जीवाणु तथा कवक इन पदार्थों का अपघटन करके इन्हें कम हानिकारक पदार्थों में बदल देते हैं|

(3) औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ (Industrial Wastes)-

कारखानों में कच्चे माल के उपयोग के आधार पर अनेक प्रकार के अपशिष्ट बनते हैं, जिन्हें नदियों, नालों, समुद्रों या खुले स्थानों पर छोड़ दिया जाता है जिससे जल प्रदूषित होता है। इन अपशिष्टों में पारा, ताँबा, जस्ता, अम्ल, क्षार, फीनॉल, सायनाइड, फेरस लवण, सल्फाइड, सल्फाइट दवाइयाँ, कीटनाशी तथा दूसरे कई विषैले पदार्थ होते हैं, जिनका बुरा प्रभाव जन्तुओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है।

(4) कीटनाशी इत्यादि पदार्थ (Insecticides etc.)- 

कृषि कार्य तथा शहरों में उपयोग होने वाले कीटनाशी जैसे-D.D.T. इत्यादि वर्षा के जल के साथ बहकर जल स्रोतों में मिलकर प्रदूषित करते हैं। D.D.T पौधों के माध्यम से मछलियों में पहुँचकर धीरे-धीरे एकत्र होता रहता है। इन मछलियों को खाने वाले छोटे जन्तुओं की मृत्यु हो जाती है। मनुष्य के शरीर में पहुँचकर D.D.T. तन्त्रिका तन्त्र व जनन ग्रन्थियों को प्रभावित करता है|

(5) तेल (Oil) - 

समुद्र में कई प्रकार के जीव-जन्तु पाये जाते हैं, जो हमारे लिए उपयोगी होते हैं। हमें प्राप्त कुल ऑक्सीजन की लगभग 70% मात्रा समुद्रों से ही प्राप्त होती है। कल-कारखानों से प्रदूषित नदियाँ अपने जल को समुद्र में डालकर इसे प्रदूषित करती हैं| बन्दरगाहों पर समुद्री जलपोत से निकला तेल समुद्र को प्रदूषित करता है। इसके अलावा युद्धकाल में जलपोतों पर किया गया आक्रमण भी जल को प्रदूषित करता है। तेलों के प्रदूषण के कारण आज सैकड़ों प्रकार के समुद्री जीव या तो विलुप्त हो गये हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं|

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(6) ताप तथा आण्विक बिजली घर ( Thermal and Nuclear Power Station ) - 

आण्विक तथा ताप बिजली घरों की मशीनों को ठण्डा करने के लिए जल का प्रयोग किया जाता है, जिसे उपयोग के बाद जल स्रोतों में छोड़ दिया जाता है, जो जल के ताप को बढ़ा देते हैं जिससे जलीय जीवों को हानि पहुँचती है। इसके अलावा आण्विक बिजली घरों से निकलने वाले अपशिष्टों को भी जल स्रोतों में छोड़ा जाता है जो जल को प्रदूषित करते हैं।

(7) संक्रामक सूक्ष्मजीव (Infective micro organism)- 

नगर पालिकाओं, चमड़े की फैक्ट्रियों इत्यादि से निकला गन्दा जल किसी-न-किसी जल स्त्रोत, जैसे- नदी, नाला, तालाब, झील इत्यादि में छोड़ा जाता है। इस जल में गन्दगी के कारण अनेक प्रकार के जीवाणु और सूक्ष्म जीव पाये जाते हैं, जो हैजा, मियादी बुखार (Typhoid) तथा चर्म रोग पैदा करते हैं। ये रोग इस प्रदूषित जल के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर फैलते हैं । 

जल प्रदूषण के  प्रकार (Types of Water Pollution)


जल प्रदूषण के प्रकार (Types of Water Pollution)- जल प्रदूषण को वैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत किया है। जल के लक्षणों (Character) के आधार पर जल प्रदूषण निम्नलिखित प्रकार का होता है-

(1) जल का भौतिक प्रदूषण (Physical pollution of water)-

ऐसा प्रदूषण जिसके कारण जल के भौतिक गुणों (Physical Properties), जैसे- रंग ( colour), गंध (odur), घनत्व (density), स्वाद (taste), गंदलापन ( turbidity) एवं तापीय लक्षणों (thermal properties) में परिवर्तन हो जाता है, उसे भौतिक प्रदूषण कहते हैं|

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(2) जल का रासायनिक प्रदूषण (Chemical pollution of water)- 

इस प्रकार के प्रदूषण के फलस्वरूप जल के रासायनिक गुणों, जैसे- अम्लीयता (acidity) या pH, घुलित ऑक्सीजन (dissolved oxygen or D.O.) एवं अन्य गैसों की मात्रा में परिवर्तन होते हैं । यह प्रदूषण मुख्यतः जल में कार्बनिक (organic) या अकार्बनिक (inorganic) अथवा दोनों प्रकार के पदार्थों के मिल जाने के कारण होता है ।

(3) जल का जैविक प्रदूषण (Biological pollution of water)-

 जल का जैविक प्रदूषण गर्म रक्त वाले प्राणियों ( warm blooded animals), जैसे- मनुष्य (man) पालतू एवं जंगली- जानवरों के द्वारा उत्सर्जित पदार्थों के कारण होता है।

(4) जल का प्रकार्यात्मक प्रदूषण (Physiological pollution of water)- 

जल के प्रकार्यात्मक प्रदूषण विभिन्न प्रकार के रासायनिक कारकों, जैसे- क्लोरीन (CI), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S), फीनॉल्स (phenols), मर्केप्टेन्स (mercaptans) एवं हाइड्रॉक्सी बेन्जीन (hydroxybenzene) के कारण होता है।

जल के स्रोत (source) के आधार पर जल प्रदूषण निम्न प्रकार का होता है-

(1) भूमिगत जल प्रदूषण (Underground water pollution), 

(2) सतही जल प्रदूषण (Surface water pollution), 

(3) झीलों के जल का प्रदूषण (Lake water pollution), 

(4) नदियों के जल का प्रदूषण (River water pollution), 

(5) समुद्री जल का प्रदूषण (Sea water pollution) । 

(A) जलीय जन्तुओं पर जल प्रदूषण का प्रभाव-

  • प्रदूषित जल में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिसके कारण जलीय जन्तु ऑक्सीजन के अभाव में मरने लगते हैं।
  • प्रदूषित जल में विभिन्न प्रकार के हानिकारक जीवाणु तथा प्रोटोजोआ उत्पन्न हो जाते हैं, जो जलीय जन्तुओं में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं।
  • प्रदूषित जल में शैवालों की संख्या में वृद्धि होती है, जिसके कारण ऑक्सीजन की माँग बढ़ जाती है। जिसके कारण जलीय जन्तुओं को श्वसन में कठिनाई होती है और वे मरने लगते हैं।
  • जल में वाहित मल एवं औद्योगिक अपशिष्टों के विसर्जन के कारण रासायनिक पदार्थों की मात्रा में वृद्धि हो जाती है तथा जल का pH मान बदल जाता है और जल में विशेष प्रकार की वनस्पतियाँ पनपने लगती हैं, जल में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा बढ़ती है तथा तालाब धीरे-धीरे सूखने लगते हैं और उसमें पाये जाने वाले जीव-जन्तु मर जाते हैं। 
  • जल के तापीय प्रदूषण से जलाशयों का तापमान बढ़ जाता है जिसके कारण जलीय जन्तु एवं वनस्पतियाँ नष्ट होने लगती हैं। 

(B) जलीय वनस्पतियों पर जल प्रदूषण का प्रभाव- 

  • कृषि रसायनों जैसे- उर्वरकों, पीड़कनाशियों, कवकनाशियों एवं शाकनाशियों को जल में प्रवाहित करने से जल में शैवालों की संख्या में वृद्धि होती है और जल में सूक्ष्म जीवों की संख्या में तेजी से वृद्धि होती है, जिसके कारण जल में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। परिणामस्वरूप जलीय पेड़ पौधे नष्ट होने लगते हैं । 
  • जल में कार्बनिक पदार्थ मुक्त अपशिष्टों, जैसे वाहित मल (सीवेज) के प्रवाहित होने से उसमें जीवाणुओं, शैवालों एवं कवकों की संख्या में वृद्धि होने लगती है, जो अन्य जलीय वनस्पतियों की वृद्धि को रोकते हैं । 
  • जल की सतह पर शैवालों की चादर जैसी बन जाती है। जिसके कारण प्रकाश किरणें जल की सतह तक नहीं पहुँच पाती हैं तथा जलीय पौधों में प्रकाश-संश्लेषण नहीं हो पाता है और वे मरने लगते हैं ।

जल प्रदुषण क्या है? FAQs

1. गांवों में जल प्रदूषण के कारण क्या है?

जल सबसे अधिक औद्योगिक अवशिष्ट के कारण प्रदूषित होता है। चीनी, अल्कोहल, उर्वरक, तेलशोधक, कपड़ा, कागज और लुगदी, कीटनाशक, औषधिक, दुग्ध उत्पाद, ताप विद्युत गृह, चर्म, कार्बनिक तथा अकार्बनिक रसायन, सीमेंट, रबर तथा प्लास्टिक, खाद्य-प्रसंस्करण आदि उद्योग जल प्रदूषण के मुख्य कारक हैं।

2. आप अपने गांव में जल प्रदूषण से कैसे बचेंगे?

जल प्रदूषण को रोकने के कुछ अन्य तरीकों में जल का पुनर्चक्रण एवं पुनः उपयोग भी सम्मिलित है। इससे स्वच्छ एवं मीठे जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। कम गुणवत्ता वाले जल जैसे कि गन्दे पानी को शोधित करने के पश्चात प्राप्त जल को हम विभिन्न उपयोग में ला सकते हैं।

3. जल स्रोत की स्थिति क्या है?

पृथ्वी पर 97 प्रतिशत लवण जल है और 3 प्रतिशत स्वच्छ जल है जिसमें से दो तिहाई भाग से थोड़ा अधिक हिमनद एवं धुव्रीय आइस कैप में जमा हुआ है। शेष बिना जमा स्वच्छ जल कम मात्रा में भूमि के ऊपर या वायु में उपस्थित नमी के साथ मुख्यतः भू जल के रूप में पाया जाता है

4. पानी का मुख्य स्रोत क्या है?

यदि बात पूरी पृथ्वी की है तो स्वाभाविकतः समुद्र ही पानी के मुख्य स्त्रोत है,इनसे ही हवा पानी सोख कर बादल बनाती है, जो बरसते है,फिर नदियां बहती है, सरोवर एवं कुँए भरते है। वैसे, हिमनद, नदियां, सरोवर आदि इंसानों या अन्य प्राणियों के संदर्भ मे पानी के स्त्रोत है।


इस आर्टिकल को पढने के बाद जल प्रदूषण क्या है की  पूरी जानकारी आपको हो गयी होगी जल को दूषित होने से बचाए लोगो को इसके बारे में बताये ताकि सब को जल प्रदूषण से होने वाली समस्याओं के बारे में जानकारी हो और लोग जल प्रदूषण करने से बचे.  

आशा करता हूँ कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी अगर आपको पोस्ट पसंद आये तो पोस्ट को शेयर जरूर करें।

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