खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल (Food chain & Food Web)

खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल (Food chain & Food Web)

नमस्कार आंसर दुनिया में आपका स्वागत है, इस आर्टिकल में हम खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल (Food chain & Food Web) के बारे में विस्तृत रूप में जानेंगे। जीवन के निर्वाह में खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल (Food chain & Food Web) का होना बहुत ही जरुरी है। खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल सभी जीव-जंतुओं के जीवन का हिस्सा है। 

               खाद्य श्रृंखला या आहार श्रृंखला विभिन्न प्रकार के जीवों का वह एक रेखीय क्रम होता है, जिसके द्वारा भोज्य पदार्थ के संश्लेषित होने तथा खाया एवं खाये जाने की प्रक्रिया के फलस्वरूप ऊर्जा का प्रवाह होता है। पारिस्थितिक तंत्र में आहार श्रृंखला के क्रियाशील होने की अवधारणा को प्रस्तुत करने का श्रेय लिन्डमैन (Lindeman, 1942) को जाता है। 

Food chain & Food Web

खाद्य श्रृंखला क्या हैं? (Food chain)

  1. सौर ऊर्जा (Solar energy) का प्रग्रहण उत्पादक अर्थात् प्रकाश संश्लेषी पौधे करते हैं। उत्पादक को प्राथमिक उपभोक्ता (शाकाहारी जंतु) खाते हैं, फिर शाकाहारी (Herbivores) को द्वितीयक उपभोक्ता अर्थात् मांसाहारी जंतु (Carnivores) खाते हैं। मांसाहारी जंतुओं को सर्वोच्च श्रेणी के मांसाहारी जंतु या तृतीयक उपभोक्ता खा सकते हैं। इस प्रकार भोजन के रूप में ऊर्जा का एक पक्षीय प्रवाह विभिन्न पोषक स्तरों के बीच होता है। 
  2. प्रत्येक आहार श्रृंखला, शृंखलाबद्ध तरीके से एक रेखीय दिशा में व्यवस्थित ऐसे जीवों का समूह होता है जिसमें प्रत्येक जीव (उत्पादक को छोड़कर) अपने से नीचे स्थित जीव को खाता है तथा स्वयं उसी श्रृंखला में अपने से ठीक ऊपर स्थित जीव द्वारा खाया जाता है। 

तो यहाँ हमने जाना की खाद्य श्रृंखला या आहार श्रृंखला क्या हैं अब आगे हम जानेंगे खाद्य श्रृंखला के प्रकारों के बारे में-

खाद्य श्रृंखला के प्रकार (Types of food chain)-

प्रारंभिक तथा अंतिम पोषक स्तरों की प्रकृति के आधार पर खाद्य श्रृंखला को निम्नलिखित तीन प्रकारों में बाँटा जाता है:-

1. परभक्षी अथवा चारण आहार श्रृंखला (Predator or Grazing food chain)-

इस प्रकार की श्रृंखला का प्रारंभ हरे पौधों से होता है तथा चरने वाले शाकाहारी जंतुओं से होते हुए मांसाहारी जंतुओं तक पहुँच कर समाप्त होता है। पारिस्थितिक तंत्र में प्राय : इसी प्रकार की खाद्य श्रृंखला क्रियाशील होती है।

2. परजीवी खाद्य श्रृंखला (Parasitic food chain)- 

इस प्रकार की खाद्य श्रृंखला पौधों से शुरू होकर शाकाहारियों से बड़े प्राणियों की ओर न होकर छोटे जीवों खासकर परजीवियों की ओर होता है। 

3. मृतोपजीवी खाद्य श्रृंखला (Saprophytic food chain)- 

यह आहार श्रृंखला बिल्कुल अलग प्रकृति की होती है। यह जीवित हरे पौधे से प्रारंभ न होकर जीवों के सड़े-गले मृत शरीर से मृतोपजीवी जीवों (Saprophytes) की ओर होता हैं.

तो अब तक आपने खाद्य श्रृंखला क्या है और खाद्य श्रृंखला के प्रकार बारे में जाना ,अब आगे हम खाद्य जाल के बारे में जानेंगे।

खाद्य जाल क्या होता हैं? (Food Web )-

प्रत्येक पारिस्थितिक तंत्र में प्रायः एक साथ अनेक आहार श्रृंखलाएँ क्रियाशील होती हैं तथा आपस में विभिन्न पोषकों से जुड़ी रहती हैं, अर्थात् पारिस्थितिक तंत्र में एक साथ ही अनेक खाद्य श्रृंखला के माध्यम से भोजन तथा ऊर्जा का प्रवाह होता है क्योंकि एक जीव एक से अधिक पोषक स्तरों से भोजन की पूर्ति कर सकता है, इसी प्रकार किसी एक जीव को अनेक जीव द्वारा भोजन बनाया जा सकता है।

"किसी एक पारिस्थितिक तंत्र में परस्पर संबंधित खाद्य श्रृंखलाओं को एक साथ खाद्य जाल (Food web) कहते हैं" खाद्य जाल पारिस्थितिक तंत्र को स्थायित्व प्रदान करता है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी पारिस्थितिक तंत्र में प्रथम श्रेणी की एक विशेष जाति 

जैसे - घास पारिस्थितिक तंत्र में खरगोश के उपभोक्ता का अभाव होने लगता है, तो इस श्रेणी को दूसरी जाति के उपभोक्ताओं जैसे- चूहे की आबादी में वृद्धि होने लगती है जिससे द्वितीयक श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए खाद्य की कमी नहीं हो पाती हैं। खाद्य जाल को समझने के लिए घासीय पारिस्थितिक तंत्र में पाये जाने वाले जीवों की कड़ियाँ घास एवं अन्य पौधे, कीट, चूहा, खरगोश, सर्प, लिजार्ड, बाज तथा चील आदि हैं। 

यहाँ बाज की स्थिति यह है कि वह कीटों को भी खा सकता है और साथ-साथ कीटों को खाने वाले मेंढक या लिजार्ड (Lizard) को भी खाता है। साँप मेढक को भी खाता है, तो चूहे को भी खा जाता है। इस स्थिति में अनेक आहार श्रृंखला एक शीर्ष मांसाहारी जीव से जुड़ी रहती है। ऊर्जा प्रवाह के अनेक पथो के आपस में जुड़ने से खाद्य जाल निर्मित होता हैं.


इस आर्टिकल में हमने खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल के बारे में जाना। खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल सभी जीव जंतुओं और पेड़ पौधों के लिए आवश्यक प्राकृतिक व्यवहार है।  जिससे प्रकृत्ति में सामंजस्य बना रहता है।

आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी अगर आपको आर्टिकल अच्छी लगी हो तो आर्टिकल को शेयर जरुर करें।

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