औषधीय पौधों के नाम व महत्व (Top medicinal plants & uses in Hindi)

औषधीय पौधों के नाम व महत्व (Top medicinal plants & uses in Hindi)


इस पोस्ट में हमने आपको महत्वपूर्ण औषधि पौधों के नाम व महत्व  के बारे में बताया हैं आज भी लाखों लोग वनों से प्राप्त औषधि का प्रयोग करते हैं आपको हम आज बताने जा रहे हैं महत्वपूर्ण औषधि पौधों के नाम व महत्व  (Top medicinal plants names in Hindi ) पहले के ज़माने में जब अस्पताल नहीं होते थे, तब वैद्य इलाज करते थे और वे दवाई के रूप में जंगलों से लाये हुए औषधि का प्रयोग करते थे। ये औषधियां उन्हें पेड़-पौधों से मिलते थे। उन पेड़ों को औषधीय पेड़-पौधे कहते हैं।
Top medicinal plants & uses in Hindi

"महत्वपूर्ण औषधीय पौधे (Important Medicinal Plants) भारत के नवनिर्मित राज्यों में से एक है जिसके 40% भूभाग वनों से अच्छादित हैं। ये वन अनेकानेक औषधीय पादप जो कि आंचलिक रूप से जड़ी बूटी के नाम से जाने जाते हैं, और जड़ी बूटी का प्रमुख स्रोत हैं। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ हर्बल राज्य (Herbal State) के नाम से भी जाना जाता है।"

50 औषधीय पौधों के नाम (50 names of medicinal plants in hindi):

  1. नीम (Azadirachta indica)
  2. तुलसी (ocimum sanctum)
  3. ब्राम्ही/बेंग साग (hydrocotyle asiatica)
  4. ब्राम्ही (cetella asiatica)
  5. हल्दी (curcuma longa)
  6. चिरायता / भुईनीम (Andrographis paniculata)
  7. अडूसा (Malabar nut)
  8. सदाबहार (Catharanthus roseus)
  9. सहिजन / मुनगा(Moringa oleifera)
  10. हडजोरा (Veld grape)
  11. करीपत्ता (Maurraya koengii)
  12. दूधिया घास (Euphorbia hirat)
  13. मीठा घास(Scoparia dulcis )
  14. भुई आंवला (phyllanthus niruri)
  15. अड़हुल (Hisbiscus rosasinensis)
  16. घृतकुमारी/ घेंक्वार (Aloe vera)
  17. महुआ (madhuka indica)
  18. दूब घास ( cynodon dactylon)
  19. आंवला (Phyllanthus emblica)
  20. पीपल (Ficus religiosa)
  21. लाजवंती/लजौली (Mimosa pudica)
  22. करेला (Mamordica charantia)
  23. पिपली (Piperlongum)
  24. अमरुद (Psidium guayava)
  25. कंटकारी/ रेंगनी (Solanum Xanthocarpum)
  26. जामुन (Engenia jambolana)
  27. इमली (Tamarindus indica)
  28. अर्जुन (Terminalia arjuna)
  29. बहेड़ा (Terminalia belerica)
  30. हर्रे (Terminalia chebula)
  31. मेथी (Trigonella foenum)
  32. सिन्दुआर/ निर्गुण्डी (Vitex negundo)
  33. चरैयगोडवा (Vitex penduncularis)
  34. बांस (Bambax malabaricum)
  35. पुनर्नवा / खपरा साग (Boerhavia diffusa)
  36. सेमल (Bombax malabaricum)
  37. पलाश (Butea fondosa)
  38. पत्थरचूर (Coleus aromaticus)
  39. सरसों (Sinapis glauca)
  40. चाकोड़ (Cassia obtusifolia)
  41. मालकांगनी/ कुजरी (Celastrus paniculatus)
  42. दालचीनी (Cinnamonum cassia)
  43. शतावर (Asparagus racemosus)
  44. अनार (punica granatum)
  45. अशोक (Saraca indica)
  46. अरण्डी/ एरण्ड (Ricinus communis)
  47. कुल्थी/ कुरथी (Dolichos biflorus)
  48. डोरी (Bassia latifolia)
  49. चिरचिटी( Achyranthes aspera)
  50. बबूल (Acacia arabica)

20 औषधीय पौधों के नाम (20 names of medicinal plants in hindi):

  1. नीम (Azadirachta indica)
  2. तुलसी (ocimum sanctum)
  3. ब्राम्ही (cetella asiatica)
  4. हल्दी (curcuma longa)
  5. हडजोरा (Veld grape)
  6. करीपत्ता (Maurraya koengii)
  7. अड़हुल (Hisbiscus rosasinensis)
  8. घृतकुमारी/ घेंक्वार (Aloe vera)
  9. दूब घास ( cynodon dactylon)
  10. पिपली (Piperlongum)
  11. कंटकारी/ रेंगनी (Solanum Xanthocarpum)
  12. अर्जुन (Terminalia arjuna)
  13. बहेड़ा (Terminalia belerica)
  14. हर्रा (Terminalia chebula)
  15. मेथी (Trigonella foenum)
  16. सिन्दुआर/ निर्गुण्डी (Vitex negundo)
  17. पत्थरचूर (Coleus aromaticus)
  18. मालकांगनी/ कुजरी (Celastrus paniculatus)
  19. दालचीनी (Cinnamonum cassia)
  20. शतावर (Asparagus racemosus)

औषधीय पौधों के उपयोग और लाभ

तो दोस्तों तो ऊपर हमने औषधि पौधों के बारे जाना नीचे आपको औषधीय पौधों के वानस्पतिक नाम कुल एवं उपयोगों के साथ ही साथ औषधीय महत्व के बारे में जानकारी आपको पढ़ने को मिलेगा नीचे आपको 13 महत्वपूर्ण औषधीय पौधों की जानकारी मिलेगा.

कुदरत के दिए गए वरदानों में से पेड़ -पौधों का महत्वपूर्ण भूमिका है पेड़ पौधों हमारे दैनिक जीवन महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है पेड़ पौधों से हमारी भोजन सम्बन्धी दुःख दूर होते है साथ ही वातावरण को भी नियंत्रित करने का कार्य करता है और बात करें तो वर्ष कराने में मदद करता है तो चलिए शुरू करते है प्रमुख औषधीय पौधों का वर्णन निम्नलिखित है-

Top medicinal plants & uses in Hindi

1. मुलैठी (Licorice)-इसका वानस्पतिक नाम ग्लाइसीराइजा ग्लैब्रा (Glycyrrhiza Glabra) है। यह लेग्यूमिनेसी कुल का सदस्य होता है। इसकी जड़ें औषधीय महत्व रखती हैं। इसकी खेती भी औषधीय पौधों के रूप में बस्तर क्षेत्र के हिस्सों में की जाती है। 

Licorice

औषधीय महत्व (Medicinal Importance)- 

  • इसका उपयोग अनेक आयुर्वेदिक औषधियों में उसके गुण को बढ़ाने के लिए तथा कड़वे स्वाद को दूर करने के लिए किया जाता है। 
  • इसकी जड़ों को सुखाने के पश्चात् छोटे-छोटे टुकड़ों में काट दिया जाता है। इन टुकड़ों का उपयोग प्यास बुझानें, दर्द, खाँसी तथा श्वास संबंधी बीमारियों जैसे ब्रोंकाइटिस, दमा आदि के इलाज में किया जाता है।

2. सफेद मूसली (Safed Musli)- यह पौधा लिलिएसी कुल का सदस्य है तथा इसका वानस्पतिक नाम क्लोरोफाइटम बोरिविलिएनम (Chlorophytum borivilianum) है। इसे कुलाई (Kulai) भी कहते हैं। 

सफेद मूसली मुलेठी का औषधीय उपयोग

औषधीय महत्व (Medicinal Importance)-

  • इसकी जड़े औषधीय महत्व रखती हैं तथा इसे भारतीय वियाग्रा (Indian Viagra) कहते हैं। इसके जड़ के चूर्ण का सेवन लैंगिक क्षमताओं में वृद्धि लाने हेतु किया जाता है। 
  • शुष्क जड़ को पीसकर प्राप्त चूर्ण को दवा के रूप में लेने से सामान्य कमजोरी खत्म हो जाती है अतः इसे टॉनिक के रूप में लिया जाता है। 
  • इसकी जड़े गठियाँ के इलाज में भी गुणकारी होती है। 
  • 200 ग्राम दूध के साथ इसके जड़ चूर्ण (Root powder) को उबालकर प्रतिदिन दो बार सेवन करने से मात्र एक महीने के अंतराल में लैंगिक अक्षमता (Impotency) तथा आंतरिक कमजोरी (Internal debility) समाप्त हो जाती है।

3. तुलसी (Tulsi)- वानस्पतिक नाम (Botani cal name)- ऑसिमम सेन्क्टम (Ocimum sanctum) कुल (Family)- लेबिएटी (Labiaceae) 

Tulsi

औषधीय महत्व (Medicinal use)- 

  • यह पौधा हिन्दुओं में पवित्र माना जाता है। इस पौधे के बहुत औषधीय महत्व है इसकी पत्तियाँ बुखार, खाँसी तथा ब्रोकाइटिस के उपचार के लिये काम आती है। 
  • इसके अलावा इसकी पत्तियाँ उबालकर गाठिया, लकवा तथा त्वचा रोगों के उपचार के लिये भी किया जाता है इसके बीज सिरदर्द ठीक करने के काम आता है।
4. अश्वगंधा (Ashwagandha) - वानस्पतिक नाम (Botanical name)- विथानिया सोमनिफेरा (Withania somnifera) कुल (Family) - सोलेनेसी (Solanaceae) 

Ashwagandha

औषधीय महत्व (Medicinal use)- 

  • इसके जड़ के चूर्ण का उपयोग अल्सर, सूजन तथा अनियमित आकार वाले उभारयुक्त ग्रंथियों, दमा, कफ, मिरगी जैसे रोगों के निवारण हेतु करते हैं। 
  • इसकी पत्तियाँ एवं जड़ का उपयोग स्मरण शक्ति के गायब होने, तंत्रिका तंत्र की (Nervous system) गड़बड़ियाँ, ड्राप्सी आदि बीमारियों के उपचार के लिये किया जाता है।

5. वचनाग (Monksood) - अर्थात् एकोनाइट (Aco nite)-यह रेननकुलेसी कुल का सदस्य है। इसका वानस्पतिक नाम एकोनाइटम नैपेलस (Aconitum napellus ) तथा एकोनाइटस फेरॉक्स (Aconitum ferox) है। इसके कंदिल जड़ों से एकोनाइट (Aconite) नामक एल्केलॉयड प्राप्त होता है।

औषधीय उपयोग (Medicinal Importance) – 

  • इसे स्नायुमण्डल के रोगों, दर्द, बुखार आदि में उपयोग किया जाता है। 
  • कुष्ठ, लकवा, अस्थमा, मधुमेह आदि अवस्था में भी इसका सेवन गुणकारी होता है। 
  • इसके कंद को दूध के साथ उबालकर सेवन करने से जोड़ों का दर्द, दमा, मधुमेह में आराम मिलता है। . (iv) टिंक्चर के रूप में यह वातशूल या गठिया (rheu matism), सियाटिका जैसे रोगों के इलाज में अपनी उपयोगिता रखता है।

6. सतावर या शतमूली (Satwar or Satmuli) यह पादप लिलिएसी कुल का सदस्य है। इसका वानस्पतिक नाम एस्पेरेगस रेसिमोसस (Asparagus racemosus) है। इस पादप की कंदिल जड़ें (tuberous root) औषधीय महत्व रखती हैं। 

Satwar or Satmuli

औषधि का उपयोग (Medicinal Importance) 

  • इस पादप का कंदिल जड़ का उपयोग पेट दर्द का शमन करता है। यह टॉनिक के रूप में पाचनकारी, मूत्रवर्द्धक तथा स्फूर्तिदायक होता है। 
  • इसके कंदिल मूल का सेवन मंदाग्नि, डायरिया, डीसेन्ट्री (dysentery), तपेदिक (Tuberculosis), मिरगी, कोढ़ (Leprosy) आदि बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता है।

7. अनंतमूल (Anantmool)- यह एस्क्लेपिएडेसी (Asclepiadaceae) कुल का सदस्य है। इसका वानस्पतिक नाम हेमीडेस्मस इण्डिकस (Hemidesmus indicus) है। इसे भारतीय सर्पसरिल्ला (Indian Sarpasarilla) भी कहा जाता है। इसकी जड़ औषधीय उपयोगिता रखती है। 

Anantmool

औषधीय उपयोग (Medicinal Importance)-

  • इसके जड़ के चूर्ण तथा दूधिया लैक्टेक का उपयोग सिफालिस, अजीण, गठिया, ज्वर एवं चर्मरोग के उपचार में किया जाता है। 
  • इसका उपयोग मादा-जननांग संबंधी रोग तथा मूत्र रोग में अत्यंत लाभप्रद होता है। 

8. भारतीय पोडोफाइलम (Indian podophylum) यह बर्बेरिडेसी (Berberidaceae) कुल का सदस्य है। इसका वानस्पतिक नाम पोडोफायलम हे क्सैन्ड्रम (Podophylum hexandrum) है। इसे बनबैंगन, बनबरी, भावन बकरा कहा जाता है। इसका प्रकन्द (rhizome) तथा जड़ (root) औषधीय महत्व रखता है, क्योंकि उसे । विशिष्ट प्रकार का रेजिन युक्त पदार्थ पोडोफाइलिन (Podo phyllin) पाया जाता है 

Indian podophylum

औषधीय उपयोग (Medicinal Importance)-

  • इसका प्रकन्द तथा जड़ से प्राप्त होने वाले रसायन में कैंसररोधी गुण होता है। अतः प्रकन्द एवं जड़ का उपयोग कैंसर के इलाज हेतु किया जाता है। 
  • इसे बच्चों के दाँत निकलते समय दर्द से मुक्ति दिलाने हेतु औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। (iii) इसे औषधि के रूप में रक्त को शुद्ध करने, यकृत को उत्तेजित करने, कब्ज तथा चर्म रोगों के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है।

9. कोनेसीन (Konesine) या कुर्चीन (Kurchine) - यह एपोसायनेसी (Apocynaceae) कुल का सदस्य है। इसका वानस्पतिक नाम होलैरहीना ऐन्टिडिसें ट्रिका (Holarrhena antidysenterica) है। इसे ही इन्द्रजौ, कुजाता, धूतखुंरी भी कहा जाता है। इसकी छाल औषधीय उपयोगिता रखती है। 

Kurchine

औषधीय उपयोग (Medicinal Importance)

  • इसके बीज का उपयोग दर्द निवारक औषधि की तरह किया जाता है। 
  • इसकी छाल का उपयोग क्षय रोग तथा डीसेन्ट्री के इलाज के लिए किया जाता है।
  • इसके छाल का उपयोग पायरिया नाशक तथा पेट दर्द नाशक के रूप में भी किया जाता है।
  • इसके छाल का सेवन मासिक स्राव संबंधित जटिल रोगों के इलाज के लिए भी लाभकारी होता है।

10. बेलाडोना (Belladona)-यह पादप सोलेनेसी (Solanaceac) कुल का सदस्य है। इसका वानस्पतिक नाम एट्रोपा बेलाडोना (Atropa belladona) तथा एट्रोपा एक्यूमिनेटा (Atropa acuminata) है। इसकी पत्तियाँ औषधीय उपयोगिता रखती हैं। इसकी पत्तियों में एट्रोपीन, स्कोलोपोलेमीन, हायोस्यामिन तथा होमियोट्रॉपिन नामक एल्केलॉयडस पाए जाते हैं। 

Belladona

औषधीय उपयोग (Medicinal Importance) 

  • इसकी पत्तियों को औषधि के रूप में बच्चों में समय समय पर होने वाले पेट दर्द के लिए उपयोगी होता है
  • इससे बनायी जाने वाली बेलाडोना नामक औषधि आँखों के आने पर, दमा, हिचकी, बदन दर्द, गठिया आदि में राहत हेतु किया जाता है
  • अत्यधिक ऐंठन, उत्तेजना, खिंचाव तथा उसके कारण होने वाले दर्द की स्थिति इस पादप का औषधि के रूप में उपयोग लाभकारी होता है। 
  • यह औषधि स्नायुतंत्र से संबंधित बीमारियों में भी अपनी उपयोगिता रखता है।

11. कुनैन (Quinine) या सिनकोना (Cinchona) - कुनैन का पादप रूबिएसी (Rubiaceac) कुल का सदस्य है। कुनैन का छाल औषधीय रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। यह मलेरिया रोग के इलाज की महत्वपूर्ण औषधि है। कुनैन मुख्यतः सिनकोना ऑफिसिनैलिस नामक जाति से प्राप्त होता है, इसकी कुछ अन्य जातियाँ भी औषधीय महत्व रखती हैं 

Quinine

(i) सिनकोना कैलिसाया (Cinchona calisaya) 

(ii) सिनकोना लेडजेरियाना (Cinchona ledgeriana)

(iii) सिनकोना सक्सिरूब्रा (Cinchona Succirubra) सिनकोना लेडजेरियाना में कुनाइन की प्रतिशत मात्रा सबसे अधिक होता है। कुनाइन इसके सूखे छाल से प्राप्त होने वाले सत्व (extract) को कहते हैं। इसमें लगभग 20 प्रकार के एल्केलॉयड्स (Alkaloids) होते हैं जिसमें कुनाइन के अतिरिक्त सिनकोनिन (Cinchonin) तथा सिनकोनिडिन (Cinchonidine) आदि प्रमुख हैं।

औषधीय उपयोग (Medicinal Importance)-

  • इस पादप के छाल से प्राप्त होने वाला कुनैन मलेरिया रोग के इलाज हेतु उपयोग की जाने वाली सर्वोत्कृष्ट औषधि मानी जाती है। 
  • इसका उपयोग चेचक, ज्वर, अल्सर, गठिया, कुकुरखाँसी (Diptheria) आदि के उपचार के लिए भी किया जाता है। 
  • इससे जीवाणु रोगों, अमीबीय पेचिस तथा आँख की बीमारियों आदि के उपचार के लिए उपयोगी औषधि तैयार की जाती है। 

12. आँवला (Amla)-यह यूफोर्बिएसी कुल का सदस्य है । इसका वानस्पतिक नाम ऐम्बिलका ऑफिसिनेलिस (Emblica officinalis) है। इस वृक्ष का फल विटामिन सी की प्रचुर मात्रा (28%) से परिपूर्ण होता है जिसके कारण इसका स्वाद कसैला होता है। 

Amla

औषधीय महत्व (Medicinal Importance)-

  • आँवला के हरे अथवा सूखे फल का सेवन मंदाग्नि, दस्त, पेचिस (Diarrhoea) रोग के इलाज हेतु किया जाता है।
  • इसके फलों के किण्वन (Fermentation) से निर्मित सिरका (Vinegar) रक्तक्षीणता (Anaemia), पीलिया (Jaundice), हृदय रोग तथा सर्दी जुकाम जैसे रोगों के होने पर सेवन किया जाये तो काफी लाभ होता है। 
  • इसका फल यकृत को शक्तिशाली बनाता है तथा बनाये रखता है। यह च्यवनप्राश नामक औषधि का महत्वपूर्ण घटक होता है। 
  • इसके उबले फलों का सेवन खसरा (Measles) में अत्यंत लाभकारी होता है। 
  • यह प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा त्रिफला का घटक (हर्रा तथा बहेरा के साथ) होता है जो कि यकृत के बढ़ जाने पर, बवासीर में नेत्र तथा उदर विकारों में बहुत उपयोगी होता है।

13. हर्रा (Harra)-यह कॉम्ब्रिटेसी(Combretaceae) कुल का सदस्य है। इसका वानस्पतिक नाम टर्मिनिलिया चिबुला (Terminalia chebula) है। इसे काला मायरोबालान (Black Myrobalan) भी कहते हैं इसके फल में सेन्नोसाइड (Sennoside) से मिलता जुलता ग्लूकोसाइड होता है। जिसके कारण इसमें कोलेस्टेरॉलरोधी (Anticho- letsterol), हृदयवर्द्धक (Cardiotonic), दमारोधी (Antiasthmatic) गुण पाया जाता है। 

Harra

महत्व (Medicinal Importance)- 

  • इसके सूखे हुए फल के चूर्ण के सेवन से हृदय की बीमारियों तथा रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। 
  • फल के दरदरे चूर्ण का धूम्रपान की तरह उपयोग दमा (Asthma) के इलाज के लिए प्रयुक्त होता है। 
  • इसके फल को पीसकर दंतमंजन की तरह इस्तेमाल करने से दाँत चमकदार तथा मसूड़े मजबूत बनते हैं। 
  • यह भी त्रिफला का घटक होता है।

निष्कर्ष :- औषधीय पौधों का अपना अलग ही महत्व है पहले के ज़माने में टेबलेट और इंजेक्शन नहीं थे तो औषधीय पौधों के द्वरा ही रोगों को ठीक करने के लिए औषधीय पौधों का उपयोग किया जाता था और भी इसका इस्तेमाल किया जाता है मुझे उमीद है की आपको यह पोस्ट पसंद आया होगा पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करे.

Subjects -


Active Study Educational WhatsApp Group Link in India

Share -