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ध्वनि क्या है- प्रकार, संचरण, प्रतिध्वनि, (What is Sound- type, Echo)

हेलो दोस्तों इस लेख में हम ध्वनि क्या है- प्रकार, संचरण, प्रतिध्वनि, (What is Sound- type, Echo) के बारे में जानने वाले हैं। जो विज्ञान विषय का एक महत्वपूर्ण शीर्षक है जिससे जुड़े प्रश्न प्राय: प्रतियोगी परीक्षाओं में देखने को मिल जाते हैं। अगर ऐसे भी देखा जाये तो हमें धध्वनि के बारे में जानना चाहिए क्यूंकि ध्वनि के बिना तो हम बात ही नहीं कर सकते ध्वनि संवाद के संचार का माध्यम है। ध्वनि के बारे में विस्तार से जानने के लिए इस लेख को पूरा जरुर पढ़ें। 

ध्वनि क्या है- प्रकार, संचरण, प्रतिध्वनि, (Dhwani kya hai- prakar, sancharan, echo )

ध्वनि क्या है (what is sound)

ध्वनि एक तरंग है जो वस्तुओं के कम्पन होने से उत्पन्न होती है । ध्वनि (Sound) एक स्थान से दूसरे स्थान तक तरंगों के माध्यम से पहुंचती है, इसे तरंग संचरण कहते हैं। ध्वनि ठोस , द्रव और गैसों के माध्यम से गति करती है । ध्वनि निर्वात् में गति नहीं करती है । ध्वनि संवाद का माध्यम है। ध्वनि तरंगे अनुदैर्ध्य तरंगे होती हैं, जो निर्वात में गमन नहीं कर सकती! इनके संचालन के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है जैसे – वायु, द्रव अथवा ठोस। वायु में ध्वनि की चाल 332 मी./से. होती है! 

ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो हमारे कानों में श्रवण का संवेदन उत्पन्न करती है।

इसे भी पढ़ें- धातु क्या है (Dhatu kya hai)

ध्वनि का वर्गीकरण (sound classification)

आवृति के अनुसार ध्वनि को चार भागों में वर्गीकृत किया गया है-

अपश्रव्य(Infrasonic):- वह ध्वनि तरंगे जिनकी आवृत्ति 20 Hz से कम होती है उन्हें “अपश्रव्य ध्वनि तरंगें” कहते हैं। इस प्रकार की तरंगों को बहुत बड़े आकार के स्त्रोतों से उत्पन्न किया जा सकता है। 20 Hz से कम आवृत्ति की ध्वनि मानव को सुनाई नहीं देती,  गैण्डा , हाथी ,  जैसे – जानवर इन तरंगों को सुन सकते है ।

पराश्रव्य (Ultrasonic):- 20,000Hz  से ऊपर की आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों को पराश्रव्य तरंगें कहा जाता है। इन ध्वनियों को मानव नहीं सुन सकता है। कुत्ता , बिल्ली , चमगादड़ , डॉल्फिन , चूहे आदि जानवर इन तरंगों को सुन सकते हैं । 20,000Hz से अधिक आवृति वाली ध्वनि अत्यधिक उच्च तरंगों से युक्त होती है।

श्रव्य (sonic):- वह ध्वनि तरंगे जिनकी आवृत्ति 20 Hz से 20,000 Hz के मध्य होती है, उसे श्रव्य (sonic) ध्वनि  कहते हैं। इन ध्वनि तरंगों को मनुष्य सुन सकता है ।

अतिध्वनिक (Hypersonic):- 1 गीगाहर्ट्ज़ से अधिक आवृति वाली ध्वनि तरंगें अतिध्वनिक कहलाती है।  यह आंशिक रूप से पैदा होती है। 

विभिन्न माध्यमों में ध्वनि की चाल (Speed of Sound in Different Media)

माध्यम- एल्युमीनियम 
ध्वनि की चाल:-  6420 m/s 

माध्यम- कांच
ध्वनि की चाल:- 5,640 m/s

माध्यम- लोहा
ध्वनि की चाल:-  5,130 m/s

माध्यम- समुद्री जल
ध्वनि की चाल:- 1,533 m/s

माध्यम- जल
ध्वनि की चाल:- 1,483 m/s

माध्यम- पारा
ध्वनि की चाल:- 1,450 m/s

माध्यम- हाइड्रोजन
ध्वनि की चाल:- 1,269 m/s

माध्यम- अल्कोहल
ध्वनि की चाल:- 1,213 m/s

माध्यम- कार्बन डाइऑक्साइड
ध्वनि की चाल:- 260 m/s

माध्यम- वायु
ध्वनि की चाल:- 332 m/s

माध्यम- भाप
ध्वनि की चाल:- 405 m/s

ध्वनि की प्रमुख विशेषताएँ (sound characteristics)

  • ध्वनि एक यांत्रिक तरंग है। 
  • ध्वनि के संचरण के लिये माध्यम की आवश्यकता होती है। ठोस, द्रव, गैस एवं प्लाज्मा में ध्वनि का संचरण सम्भव है। निर्वात में ध्वनि का संचरण नहीं हो सकता।
  • द्रव, गैस एवं प्लाज्मा में ध्वनि केवल अनुदैर्घ्य तरंग (longitudenal wave) के रूप में चलती है जबकि ठोसों में यह अनुप्रस्थ तरंग (transverse wave) के रूप में भी संचरण कर सकती है।। जिस माध्यम में ध्वनि का संचरण होता है यदि उसके कण ध्वनि की गति की दिशा में ही कम्पन करते हैं तो उसे अनुदैर्घ्य तरंग कहते हैं; जब माध्यम के कणों का कम्पन ध्वनि की गति की दिशा के लम्बवत होता है तो उसे अनुप्रस्थ तरंग कहते है।
  • सामान्य ताप व दाब (NTP) पर वायु में ध्वनि का वेग लगभग 332 मीटर प्रति सेकेण्ड होता है। बहुत से वायुयान इससे भी तेज गति से चल सकते हैं उन्हें सुपरसॉनिक विमान कहा जाता है।
  • मानव कान लगभग 20 Hz से 20,000 H आवृत्ति की ध्वनि तरंगों को ही सुन सकता है। बहुत से अन्य जन्तु इससे बहुत अधिक आवृत्ति की तरंगों को भी सुन सकते हैं।
  • एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने पर ध्वनि का परावर्तन एवं अपवर्तन होता है।
  • माइक्रोफोन ध्वनि को विद्युत उर्जा में बदलता है; लाउडस्पीकर विद्युत उर्जा को ध्वनि उर्जा में बदलता है।

ध्वनि से सम्बन्धित शब्द (phonic words)

तरंगदैर्ध्य (wavelength) :- दो क्रमागत संपीड़नों या विरलनों के बीच की दूरी को तरंग दैर्घ्य कहते हैं।  जब तरंग को वक्र से दिखाया जाता है वक्र के सबसे ऊपरी बिंदु को शिखर और सबसे निचले बिंदु को गर्त कहते हैं। दो लगातार शिखरों या गर्तों के मध्य की दूरी को तरंग दैर्घ्य कहते हैं।

आवृत्ति:- इकाई समय में होने वाले कंपन  की संख्या को तरंग की आवृत्ति कहलाती हैं। जब तरंग एक संपीड़न से एक विरलन होते हुए अगले संपीड़न तक पहुँचती है तो एक दोलन होता है। दूसरे शब्दों में, जब तरंग एक शिखर से गर्त तक जाती है और फिर शिखर तक पहुँचती है तो एक कंपन या दोलन पूरा होता है। आवृत्ति का SI मात्रक हर्ट्ज (Hz) है।

आयाम:- दो क्रमागत संपीडन को एक बिंदु से गुजरने में लगे समय को आयाम कहते हैं।  एक दोलन में लगने वाला समय आवर्तकाल कहलाता है।

प्रतिध्वनि:- जैसे प्रकाश किसी वस्तु  की सतह पर पड़ता है तो वह वापस लौट आता है जिसे प्रकाश का परावर्तन कहते हैं। इसी प्रकार ध्वनि भी वस्तुओं से टकराकर लौटती है उसे प्रतिध्वनि कहते हैं।

तारत्व:- किसी ध्वनि की आवृति को हमारा दिमाग किस तरह अनुभव करता है उसे तारत्व कहते हैं।

इस लेख में हमने ध्वनि क्या है- प्रकार, संचरण, प्रतिध्वनि, (What is Sound- type, Echo) के बारे में जाना। इसमें धनि के बारे में बहुत ही सटीक जानकरी दी गयी है जिससे कम समय में आप अधिक उपयोगी वस्तुओं को पढ़ सकें।

उम्मीद करता हूँ कि यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा , अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो इस लेख को शेयर जरुर करें। धन्यवाद!!

धातु क्या है (Dhatu kya hai)

हेलो दोस्तों, इस आर्टिकल में हम धातु क्या है  (Dhatu kya hai) के बारे में जानेंगे। धातु रसायन विज्ञानं का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है। धातु से जुड़े प्रश्न प्रमुख रूप से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। अगर आप धातु से जुड़े प्रश्नों को लेकर अपनी दुविधा दूर करना चाहते हैं तो आप बिलकुल सही पोस्ट में आये हैं क्यूंकि इस पोस्ट में आपको धातु से जुडी विस्तृत जानकरी मिल जाएगी।

धातु क्या है (What is Metal)


धातु क्या है  (What is Metal)

धातु वह खनिज पदार्थ या तत्व होते हैं जो सामान्य अभिक्रिया में अपने परमाणुओं से एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन को त्याग कर धनायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते हैं। धातु परमाणु द्वारा त्याग किये इलेक्ट्रॉन की संख्या पर ही उस धातु की संयोजकता निर्भर करती है। स्वतंत्र इलेक्ट्रॉन के कारण अधिकांश धातुएँ विद्युत की सुचालक होती है।  सामान्यतः धातुएँ ठोस और चमकदार होती है। 

जानें- विटामिन क्या है- प्रकार, लाभ (Vitamins kya hai - type, benefit)

धातुओं के भौतिक गुण (physical properties of metals)

उच्च गलनांक(high melting point) :- सभी धातुओं का गलनांक अत्यधिक होता है, अतः उन्हें ठोस से द्रव अवस्था में परिवर्तित करने के लिए उच्च ताप की आवश्यकता होती है।

चमकदार सतह(shiny surface):- धातुओं की सतह शुद्ध अवस्था में चमकदार होती है। धातुओं के इस गुण को धात्विक चमक कहते हैं। किसी धातु के ऊपरी सतह को साफ करने पर चमकने लगता है।

कठोरता(stiffness):- सभी धातु कठोर होते हैं। जिस पर घात करने से आसानी से टूटते नहीं हैं। अपवाद- पोटेशियम और सोडियम 

आघातवर्ध्नियता (malleability):- सभी धातु आघात वर्धनीय होते हैं इसका मतलब धातुओं के ऊपर कोई भरी वस्तु से प्रहार करने पर वह फैलने लगता है इसे अघातवर्धनीयता कहते हैं । जिसे सोने चांदी के आभूषण बनाने के लिए उसे पिटा जाता है। एल्युमीनियम को कागज की परत की तरह मिठाइयों के ऊपर लपेटना।

लचीलापन(resilience):- धातु में लचीलापन होता है इसलिए धातु को आसानी से पतली तार के रूप में बदला जा सकता है। विद्युत् के तारों में इन्ही तारों का प्रयोग किया जाता है। लोहे का प्रयोग मोती तार जैसे पूल बनाने में , सस्पेंसन ब्रिज बनाने में क्रेन बनाने में किया जाता है।

चालकता(conductivity):- धातु ऊष्मा और विद्युत् के सुचालक होते हैं इसलिए बिजली के तारों में एल्युमीनियम और कॉपर के तारों का उपयोग किया जाता है।

घनत्व(density):- धातुओं का घनत्व अधिक होता है। इसके अणु पास पास होते हैं।

तन्यता (Tensile):- धातुओं का यह भी एक गुण है कि धातु को खींचकर लम्बा किया जा सकता है।

धातुओं के रासायनिक गुण(chemical properties of metals)

लगभग सभी धातु एक ही प्रकार की अभिक्रिया करते हैं फिर भी कभी कभी पदार्थ की प्रकृति की भिन्नता के कारण कुछ अभिक्रियाएँ अलग हो सकती हैं। अधिकतर धातु किस तरह के रासायनिक गुण रखते हैं इसके बारे में यहाँ पर बताया जा रहा है।

ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया:- सभी धातु हवा में ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके धात्विक ऑक्साइड बनाते हैं।

4Na + O2 → 2Na2O (सोडियम ऑक्साईड)
2Ca + O2 → 2CaO (कैल्शियम ऑक्साईड)
4Al + 3O2 → 2Al2O3 (अल्यूमीनियम ऑक्साईड)



धात्विक ऑक्साइड धातु के ऊपर एक परत बना लेते हैं । जैसे लोहे में जंग लगना - लोहे के ऊपर एक परत जम जाती है। 

हेलोजन से अभिक्रिया:- हेलोजनों से अभिक्रिया करके धातु धात्विक हैलाइड लवण बनाते हैं। 

2Na + Cl2 → 2NaCl (सोडियम क्लोराईड - साधारण नमक)
Ca + Cl2 → CaCl2 (कैल्शियम क्लोराईड)
2Li + F2 → 2LiF (लीथियम फ्लोराईड)

जल के साथ अभिक्रिया:- अधिक क्रियाशील धातु जल के साथ अभिक्रिया करके क्षार बनाते हैं और हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।

अम्लों के साथ अभिक्रिया:- धातु अम्लों से अभिक्रिया करके लवण बनाते हैं और हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
Mg + H2SO4 → MgSO4 + H2

धातुओं के उपयोग (Uses of metals)

  • पारा थर्मामीटर बनाने में , सिन्दूर बनाने में 
  • मरक्यूरिक क्लोराइड कीटनाशक के रूप में
  • सोना,चांदी जैसे धातु का उपयोग आभूषणों  के रूप में किया जाता है।
  • खाद्य पदार्थों में एल्युमीनियम का 
  • विद्युत के तारों में एल्युमीनियम और कॉपर के तारों का 
  • लोहे की छड़ का उपयोग घर बनाने में , खिड़की,  दरवाजा, ग्रिल बनाने में 
  • जिप्सम प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाने में
  • बर्तन बनाने में 
  • मूर्ति बनाने में 
  • शल्य चिकित्सा में पट्टी के रूप में 
  • ब्लीचिंग पाउडर बनाने में
  • कंप्यूटर, मोबाइल फोन, सोलर सेल आदि जैसी वस्तुओं के निर्माण में सोने एवं चाँदी का उपयोग विद्युत संपर्क को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है।
इस पोस्ट में हमने धातु क्या है (What is Metal) के बारे में जाना। जो रसायन विज्ञानं के महत्वपूर्ण प्रश्नों में से एक है।

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विटामिन क्या है- प्रकार, लाभ (Vitamins kya hai - type, benefit)

इस पोस्ट में हम विटामिन के बारे में जानेंगे- जैसे विटामिन क्या है(Vitamins kya hai), विटामिन का रासायनिक नाम , विटामिन की कमी से होने वाले रोग , विटामिन के स्रोत आदि। जीवों को स्वस्थ रहने के लिए इन सभी विटामिन की जानकारी जरुर होनी चाहिए। परीक्षा में भी विटामिन से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। विटामिन जीवों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत ही आवश्यक है। 

विटामिन क्या है- प्रकार, लाभ (Vitamins kya hai - type, benefit)

विटामिन क्या है (What is vitamin)

सभी जीवों को जीवित रहने के लिए, शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। भिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में अलग अलग विटामिन पाए जाते हैं जो शरीर के विकास के लिए आवश्यक है। ये विटामिन कई प्रकार के होते हैं, इस विटामिन की कमी होने से बहुत से रोग जीवों को घेर लेते हैं। खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले जटिल कार्बनिक यौगिक जो शरीर की वृद्धि तथा पोषण करते हैं। विटामिन कहलाते हैं।

इन्हें भी जानें- प्रोकेरियोटिक कोशिका और यूकेरियोटिक कोशिका

विटामिन के प्रकार(Types of vitamin)-

विटामिन को दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है- 
  • वसा में विलेय विटामिन
  • जल में विलेय विटामिन
वसा में विलेय विटामिन:- विटामिन A, D, E और K वसा में घुलनशील हैं। शरीर फैटी टिश्यू और लीवर में वसा में घुलनशील विटामिन का भंडार करता है, और ये सभी विटामिन शरीर में कई दिनों और महीनों तक आसानी से रह जाते हैं।आहार वसा शरीर को इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के माध्यम से वसा में घुलनशील विटामिन को अवशोषित करने में मदद करते हैं।

जल में विलेय विटामिन:- पानी में घुलनशील विटामिन लंबे समय तक शरीर में नहीं रहते हैं और इन्हें संग्रहित नहीं किया जा सकता है। ये पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाते हैं। इस वजह से, लोगों को वसा में घुलनशील विटामिन की तुलना में पानी में घुलनशील विटामिन की अधिक नियमित आपूर्ति की आवश्यकता होती है। विटामिन C और सभी B विटामिन पानी में घुलनशील हैं। 

विटामिन और उसके बारे में(vitamin and about)-

विटामिन ए(Vitamin-A) -

रासायनिक नाम-  रेटिनॉल
विटामिन A की कमी से होने वाले रोग- रतौंधी , त्वचा का शुष्क हो जाना, जिरोप्थैलमिया
लक्षण- कम प्रकाश में दिखाई न देना, आंखों से लिसलिसा पदार्थ का निकलना।
विटामिन A के स्रोत- हरी सब्जियां, दालें, मछली के यकृत का तेल, दूध, मक्खन, गाजर, अंडा, ब्रोकोली, शकरकंद, केला, पालक, कद्दू, कोलार्ड ग्रीन्स, कुछ चीज, खुबानी, कैंटालूप तरबूज आदि।

विटामिन बी1(Vitamin- B1)

रासायनिक नाम- थायमिन
विटामिन बी1 की कमी से होने वाले रोग- बेरी-बेरी 
विटामिन बी1 के स्रोत- सूरजमुखी के बीज, अनाज, आलू, संतरे और अंडे।

विटामिन बी2(Vitamin-B2)- 

रासायनिक नाम- राइबोफ्लेविन
विटामिन बी2 की कमी से होने वाले रोग- त्‍वचा का फटना, आँखों का लाल होना
विटामिन बी2 के स्रोत- केला, दूध, दही, मास, अंडे, हरी बीन्स और मछली।

विटामिन बी3(Vitamin- B3)-

रासायनिक नाम- नियासिन
विटामिन बी3 की कमी से होने वाले रोग- त्‍वचा पर दाद होना
विटामिन बी3 के स्रोत- साबुत अनाज, आटा खजूर, दूध, अंडे, टमाटर, गाजर, एवोकाडो और एनरिच्ड अन्न

विटामिन बी5(Vitamin- B5) - 

रासायनिक नाम- पैंटोथेनिक एसिड
विटामिन बी5 की कमी से होने वाले रोग- बाल सफेद होना, मंदबुद्धि होना
विटामिन बी5 के स्रोत- गिरीदार फ़ल और साबुत अनाज

विटामिन बी6(Vitamin- B6)  

रासायनिक नाम-पाइरिडोक्सीन
विटामिन बी6 की कमी से होने वाले रोग- दुर्बलता, नींद न आना, तंत्रिका तंत्र में अनियमितता,एनिमिया, त्‍वचा रोग
विटामिन बी6 के स्रोत- अनाज, मांस,केले सब्जियां।

विटामिन बी7(Vitamin-B7)-  

रासायनिक नाम-  बायोटिन
विटामिन बी7 की कमी से होने वाले रोग-  लकवा की शिकायत ,शरीर में दर्द , बालों का गिरना तथा वृद्धि में कमी आदि ।
विटामिन बी7 के स्रोत- अंडे की जर्दी , सब्जियां।

विटामिन बी9- 

रासायनिक नाम- फोलेट या फोलिक एसिड
विटामिन बी9 की कमी से होने वाले रोग- त्वचा के लोग और गठिया
विटामिन बी9 के स्रोत- ताजी सब्जियां

विटामिन बी12(Vitamin-B12)- 

रासायनिक नाम- स्यानोकोबलामीन
विटामिन बी12 की कमी से होने वाले रोग- रुधिर की कमी, पर्निसियस एनीमिया 
विटामिन बी12 के स्रोत- पनीर, दूध, मांस, मछली, अंडा में पाया जाता है

विटामिन सी(Vitamin-C)-  

रासायनिक नाम- एसकोर्बिक एसिड
विटामिन सी की कमी से होने वाले रोग- स्कर्वी
विटामिन सी के स्रोत- सभी रसदार फ़ल. टमाटर कच्ची बंदगोभी, आलू, स्ट्रॉबेरी
लक्षण- हड्डियों का कमजोर होना, घाव का देरी से भरना, मसूड़ों से खून आना आदि।

विटामिन डी(Vitamin-D)- 

रासायनिक नाम- कैल्सिफेरॉल
विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग- रिकेट्स, ऑस्टियोमलेशिया
विटामिन डी के स्रोत- दुग्धशाला उत्पाद। बदन में धूप सेकने से कुछ एक विटामिन त्वचा में भी पैदा हो सकते है।
लक्षण- दांतों में विकृति, जोड़ों में सूजन आदि।

विटामिन ई(Vitamin-E)-

रासायनिक नाम- टोकोफेरोल
विटामिन ई की कमी से होने वाले रोग- जनन शक्ति का कम होना
विटामिन ई के स्रोत- वनस्पति तेल और अनेक दूसरे खाघ पदार्थ
लक्षण- जंतुओं में पेशी ताकतों का क्षय होना।

विटामिन के(Vitamin-K)-

रासायनिक नाम- फिलोक्विनोन
विटामिन के की कमी से होने वाले रोग- रक्‍त का थक्‍का न जमना
विटामिन के के स्रोत-  हरे पत्ते वाली सब्जियां, सोयाबीन, गोभी आदि।
लक्षण- रक्त का थक्का जमने में अधिक समय लगना, शिशुओं में मस्तिष्क रक्त स्राव का न रुकना।

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इस पोस्ट में हमने विटामिन क्या है- प्रकार, लाभ (Vitamins kya hai - type, benefit) के बारे में जाना। जीवों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए विटामिन के बारे में जानना बहुत जरुरी है।

आशा करता हूँ कि विटामिन क्या है- प्रकार, लाभ (Vitamins kya hai - type, benefit) का यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा , अगर आपको यह पोस्ट [पसंद आया हो तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।


Neet 2023 Biology question answer in Hindi pdf

अगर आप neet की तैयारी कर रहे हैं या करना चाहते हैं और neet की तैयारी के लिए question answer की प्रैक्टिस करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही पोस्ट में आये हैं क्यूंकि इस पोस्ट में Neet 2023 Biology question answer दिया जा रहा है। जो neet के लिए biology के महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्रह है।

Neet 2023 Biology question answer

प्रश्न:- सबसे कठोर कौन सा पादप उत्पाद  है?
उत्तर- क्यूटीन

प्रश्न:-मक्का में जंपिंग जीन की खोज किसने की थी?
उत्तर.मेंडल ने

प्रश्न:-फेरीटीमा मे पट किन खंडों के बीच अनुपस्थित होते हैं?
उत्तर- 5/6 एवं 7/8

प्रश्न:-  एंजाइम ग्लूकोस को अल्कोहल में कौन सा एंजाइम बदल देता है?
उत्तर- लाइपेस

प्रश्न:- रसारोहण के लिए सर्वमान्य परिकल्पना क्या है?
उत्तर- स्पंदन बाद

प्रश्न:- अगार  किससे प्राप्त किया जाता है?
उत्तर- क्लोरेला से

प्रश्न:- 16 कोशिकिय अवस्था में भ्रूण क्या कहलाता है?
उत्तर- मोरुला

प्रश्न:- लाइकेन प्राथमिक जैविक समुदाय किस प्रकार के अनुक्रमण में होते हैं?
उत्तर- लिथोसियर

इन्हें भी जानें- शैवाल का  वर्गीकरण

प्रश्न:- साइकस में परागकण कैसी अवस्था में होता है?
उत्तर- दो कोशिय अवस्था में

प्रश्न:-आपातकाल के समय कौन सा हार्मोन स्त्रावित होता है?
उत्तर- एल्डोस्टीरॉन

प्रश्न:- जंतु सर्दियों में एक अक्रिय अवस्था में से गुजरते हैं जिसे क्या कहते हैं?
उत्तर- एस्टिवेशन

प्रश्न:- द्विनाम नामकरण पद्धति किसके द्वारा दी गई है?
उत्तर- लिनियस द्वारा

प्रश्न:- द्विनिषेचन कहां पाया जाता है?
उत्तर- आवृतबिजीयो में

प्रश्न:- कौन सा किट निवही है?
उत्तर- मच्छर

प्रश्न:- रुधिर का थक्का जमने के लिए कौन सा विटामिन काम आता है?
उत्तर- विटामिन K

प्रश्न:- दो भिन्न आवासों के राज्य क्षेत्रों के संबंधी स्थान पर जैव विविधता की उपस्थिति क्या कहलाती है?
उत्तर- बोटल नैक प्रभाव

प्रश्न:- कुफ्फर कोशिकाएं उपस्थित कंहा होती है?
उत्तर- छोटी आंत में

प्रश्न:- कैलिप्ट्रा किससे बनता है?
उत्तर- स्त्रीधन से

प्रश्न:- आरंभक कोडान क्या है?
उत्तर- UAG

प्रश्न:- पैराफिन वैक्स क्या है?
उत्तर- मोनोहाइड्रेक एल्कोहल

प्रश्न:- DNA का गुणन क्या कहलाता है?
उत्तर- अनुवादन

प्रश्न:- वैज्ञानिकिय रूप में प्रोग्रेम्ड सैल डेथ को क्या कहते है?
उत्तर- परासरण

प्रश्न:- पत्तियों के विलगन का क्या कारण है?
उत्तर- ABA

प्रश्न:- वे परिवर्तन जो लार्वा को आवश्यक व्यस्क में परिवर्तित कर देते हैं वे क्या कहलाते हैं?
उत्तर- एकांतरण

प्रश्न:- मुर्गे का सिनसेकर्म कितनी कोशिकाओं का बना होता है?
उत्तर- 16 कोशिकाओं का

प्रश्न:- मेंढक के हृदय में हृदय पेशियां जंतुओं की बनी होती है उन्हें क्या कहते हैं?
उत्तर- मायानीमा

प्रश्न:- एस्फेरिस में सीलाम क्या कहलाती है?
उत्तर- हिमोसीलोम

प्रश्न:- कॉकरोच में लार्वा तथा निम्फ के गुण किसके द्वारा बनाए रखे जाते हैं?
उत्तर- लार ग्रंथियों द्वारा

प्रश्न:- अमीबा में संकुचनशील धानी का क्या कार्य है?
उत्तर- परासरण नियंत्रण

प्रश्न:- खरगोश में लंबी अस्थि का छोर दूसरी अस्थि किस द्वारा जुड़ा होता है?
उत्तर- उपास्थि द्वारा

प्रश्न:- पादपों में भोजन किस रूप में स्थानांतरित होता है?
उत्तर- फ्रक्टोज

प्रश्न:- एक पोषक स्तर से दूसरे पोषक स्तर पर स्थानांतरित ऊर्जा कितनी है?
उत्तर- 10%

प्रश्न:- स्तनीय थाइमस किस से संबंधित हैं?
उत्तर- शरीर के तापक्रम के नियंत्रण से

प्रश्न:- तुर्क तंतु किसे बना होता है?
उत्तर- हयुमुलिन का

प्रश्न:- DNA खंड जिसमें अपना स्वास्थ्य बदलने की क्षमता होती है क्या कहलाता है?
उत्तर- इन्ट्रॉन

जानें- जीवाणुओं का आर्थिक महत्त्व

प्रश्न:- L- आकार के गुणसूत्र क्या कहलाते हैं?
उत्तर- उपमध्यकेंद्री

प्रश्न:- 21 वें गुणसूत्र की ट्राईसोमी क्या कहलाती है?
उत्तर- डाउन सिंड्रोम

प्रश्न:- रिक्तिका एक कला द्वारा घीरी होती है जिसे क्या कहते हैं?
उत्तर- टोनोप्लास्ट

प्रश्न:- भिंडी किस कुल से संबंधित है?
उत्तर- मालवेसी

प्रश्न:- व्यस्क मानव में कौन सी ग्रंथि सबसे बड़ी है?
उत्तर- थाइमस

प्रश्न:- एक सामान्य पुरुष तथा वर्णान्ध स्त्री के विवाह से किस प्रकार की संतान पैदा होगी?
उत्तर- सामान्य पुत्र तथा वाहक पुत्रियां

प्रश्न:- मेल्पिघी नलिकाएं क्या होती है?
उत्तर- कीटो के उत्सर्जी अंग

प्रश्न:- कौन सा ऊतक पारदर्शी है?
उत्तर- तंतुकिय उपास्थि

प्रश्न:- अस्थिल मछली का उत्सर्जी पदार्थ क्या है?
उत्तर- यूरिया

प्रश्न:- मशरूम का खाने योग्य भाग कौन सा होता है?
उत्तर- बेसिडियोकार्प

प्रश्न:- रुधिर में CO2 का परिवहन मुख्यतया किस रूप में होता है?
उत्तर- सोडियम कार्बोनेट

प्रश्न:- LH तथा FSH को संग्रहित रूप से क्या कहते हैं?
उत्तर- ल्यूरियोट्रोपिक

प्रश्न:- पादपों में जल निरंतरता किसके कारण होती है?
उत्तर- आसंजन बल

प्रश्न:-गुणसूत्र प्रारूप 2n-1 को क्या कहा जाता है?
उत्तर- टेट्रासोमी

प्रश्न:- कोन प्रकाश रसायनिक समांग में हमेशा पाया जाता है?
उत्तर- CO2

प्रश्न:- पलिप अवस्था कहां अनुपस्थित होती है?
उत्तर- आबेलिया में

प्रश्न:- फेरिटीमा पोस्थूमा का मादा जनन छिद्र किस खंड में स्थित होता है?
उत्तर- 16 वें.

प्रश्न:- अपघटक क्या होते हैं?
उत्तर- स्वपरपो

प्रश्न:- किस जंतु में श्वसन श्वसन अंग के बिना ही होता है?
उत्तर- मेंढक

प्रश्न:- कौन अंतः स्त्रावी विज्ञान का पिता कहलाता है?
उत्तर- आइन्थोवन

प्रश्न:- इंडियूसिम कहां पाया जाता है?
उत्तर- शैवाल में

प्रश्न:- सीमाकारी कारको का नियम किसने दिया था?
उत्तर- कैल्विन ने

प्रश्न:- खरगोश में अधिवृषण का शीघ्र जो वृषण के सिर पर उपस्थित होता है क्या कहलाता है?
उत्तर- शुक्र वाहक

प्रश्न:- मोलस्का संघ में आंख एक पतली रचना के ऊपर स्थित होती है जिसे क्या कहते हैं?
उत्तर- आपरकुलम

प्रश्न:- कोशिका चक्र के किस अवस्था में गुणसूत्र मध्यवर्ती प्लेट पर व्यवस्थित होते हैं?
उत्तर- मध्यवस्था में

प्रश्न:- संघ सीलेंट्रेटा का लाक्षणिक लाडवा कौन है?
उत्तर- सष्टिसर्कस

प्रश्न:- निम्न ताप समाधान द्वारा पुष्पन का उत्प्रेरण क्या कहलाता है?
उत्तर- दीप्तिकालिता

प्रश्न:- कंडरा तथा स्नायु विशेषीकृत क्या है?
उत्तर- संयोजी उत्तक

प्रश्न:- किस में उत्तम कपाल क्षमता पाई जाती है?
उत्तर- पैकिंग मानव में

प्रश्न:- कौन विकास के महत्वपूर्ण प्रमाण प्रदान करता है?
उत्तर- अवशेषी अंग

प्रश्न:- सिस्टोसोमा का मध्य प्रदेश परपोषी क्या है?
उत्तर- घरेलू मक्खी

प्रश्न:- मृदा जल का परिवहन वायु होता है उसे क्या कहते हैं?
उत्तर- इओलियन

प्रश्न:-वे जंतु जो अपने शरीर का तापमान स्थिर बनाए रखते हैं वह क्या कहलाते हैं?
उत्तर- जैवतापी

प्रश्न:-Rh कारक किस में उपस्थि होता है?
उत्तर- सभी स्तनियो में

प्रश्न:- उष्णकटिबंधीय वन में कुछ जातियों के विलुप्त होने का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर- वनीकरण

प्रश्न:- संबंधों में कौन सी कोशिका अन्य प्रकार की कोशिकाओ द्वारा बनाने योग्य होती थी है?
उत्तर- थीसोसाईट

प्रश्न:-स्पर्शानुचलन किसके द्वारा नहीं दर्शाई जाती है?
उत्तर- पैरामीशियम

प्रश्न:- बदलना बहुभ्रूणता किसमें पाई जाती है?
उत्तर-मिनी साइकस में

प्रश्न:-लैंगहैंन्स की द्विपिकाए कहां पाई जाती है?
उत्तर- अग्नाश्य में

प्रश्न:- एक डीएनए अणु में एडमिन एवं थायमिन के मध्य उपस्थित हाइड्रोजन बंधुओं की संख्या कितनी है?
उत्तर- 2

प्रश्न:- चार्ल्स डार्विन और ए आर वालेस दोनों............. से प्रभावित थे।
उत्तर- टी आर मैलथस द्वारा मानव जनसंख्या पर निबंध

प्रश्न:- जीवन की उत्पत्ति के समय वायुमंडल में कौन अनुपस्थित था?
उत्तर- ऑक्सीजन

प्रश्न:- लैंगिक रूप से प्रजनन करने वाले जीवों की समष्टि में आनुवंशिक विभिन्नता की सबसे सामान्य क्रियाविधि कौन सी है?
उत्तर- पुनर्संयोजन

प्रश्न:- यदि 900 लोग इस प्रकार समष्टि बनाते हैं कि अवर्णक 300 हैं। वाहकों की आवृत्ति की गणना करें?
उत्तर-49

प्रश्न:- आधुनिक मानव का प्रत्यक्ष पूर्वज किसे माना जाता है?
उत्तर- क्रो-मैग्नॉन मानव

प्रश्न:- आनुवंशिक विचलन किसका का परिवर्तन है:
उत्तर- एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जीन आवृत्ति

प्रश्न:- एकमात्र स्व-चेतन जीव हैं-
उत्तर-मानव

प्रश्न:- द्विबीजपत्र किसका का प्रतिनिधित्व करती हैः
उत्तर- वर्ग 

प्रश्न:- जैविक वर्गीकरण श्रेणियों के लिए वैज्ञानिक शब्दावली है:
उत्तर- वर्गक

प्रश्न:- मांगिफेरा इंडिका कौनसा कुल हैः
उत्तर- ऐनाकार्डिऐसी

प्रश्न:- फेलिडी में नहीं होते हैंः
उत्तर-कुत्ते

प्रश्न:- गेहूं किस कुल के अंतर्गत आता है?
उत्तर-पोएसी

इसे भी पढ़ें- जंतु विज्ञान की शाखाएं

प्रश्न:- वैज्ञानिक नामों के लैटिन उत्पत्‍ति को इंगित करने के लिए-
उत्तर-इन्हें अपनी उत्पत्‍ति के निरपेक्ष लैटिनीकृत  किया जाता है।

प्रश्न:- वसा घुलनशील वर्णक जैसे कि पीतवर्णक उपस्थित होते हैं:
उत्तर- वर्णलवक में 

प्रश्न:- रंगसूत्रद्रव्य किससे अभिरंजित किया जा सकता है?
उत्तर-क्षारकीय रंजक

प्रश्न:- ग्लाइकोप्रोटीन और ग्लाइकोलिपिड्स के निर्माण का महत्वपूर्ण स्थल है:
उत्तर- गॉल्जी उपकरण

प्रश्न:- गैलेक्टान और मैनेन किसकी कोशिका भित्ति के महत्वपूर्ण घटक हैं?
उत्तर- शैवाल 

प्रश्न:- जीवाणुवीय कशाभिका किससे निर्मित होती है?
उत्तर-आधार पिंड, अंकुश, तंतु

प्रश्न:- कोशिकापंजर किससे निर्मित होता है?
उत्तर- प्रोटीन

प्रश्न:- सजीवों का विशिष्ट गुण क्या है?
उत्तर-चेतना

प्रश्न:- जैव विविधता का अर्थ है-
उत्तर- ज्ञात जीवों की संख्या, ज्ञात जीवों के प्रकार, ज्ञात प्रजातियों की संख्या

प्रश्न:- तारककेन्द्रों में परिधीय सूक्ष्मनलिका की व्यवस्था होती है:
उत्तर- त्रिक रूप में 9

प्रश्न:- पादप कोशिका में आयनों की सांद्रता अधिक होती है:
उत्तर- रिक्तिका में 

प्रश्न:- सूत्रकणिका कोशिका के विद्युत् गृह होते हैं क्योंकि:
उत्तर- यहाँ एटीपी संश्लेषित होते हैं

प्रश्न:- अपनी सतह पर राइबोसोम को धारण करने वाली अंतद्रव्यी जालिका को कहा जाता है:
उत्तर- खुरदरी अंतद्रव्यी जालिका

प्रश्न:- रिक्तिका की झिल्ली को कहा जाता है:
उत्तर- तानलवक

प्रश्न:- प्लाज्मा झिल्ली का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है:
उत्तर- इसके आर-पार अणुओं का परिवहन

प्रश्न:- अन्तः झिल्लिका तंत्र किसके कारण निर्मित होता है?
उत्तर- झिल्लीदार अंगको के समन्वित कार्य

प्रश्न:- शैवालों और पादपों की कोशिका भित्ति में समान घटक है:
उत्तर- सेलुलोस

प्रश्न:- एक तारककेंद्र जैसी संरचना, जिसमें से पक्ष्माभ और कशाभ निकलते हैं:
उत्तर- आधारीय शरीर

प्रश्न:- द्विपद नामपद्धति द्वारा प्राप्त गेहूं का सही वैज्ञानिक नाम है?
उत्तर- ट्रिटिकम एस्टीवम

प्रश्न:- वर्ग’ एकत्रित होकर पादपों में क्या निर्मित करते हैं?
उत्तर- प्रभाग

प्रश्न:- सैपिन्डेलीज का कौन सा टैक्सॉन है?
उत्तर- गण

प्रश्न:- फेलिडी और कैनिडी को किस गण में शामिल किया गया है?
उत्तर-कार्निवोरा

प्रश्न:- पर्णपीतक और पीतवर्णक पाए जाते हैं:
उत्तर-हरितलवक में, वर्णलवक में 

प्रश्न:- जल अपघटनी एंजाइम सक्रिय होते हैं:
उत्तर-अम्लीय पीएच पर 

प्रश्न:- कोशिका सिद्धांत किसके द्वारा प्रस्तावित किया गया था?
उत्तर- वनस्पतिविज्ञानी और एक प्राणिविज्ञानी

प्रश्न:- R.B.C का आकार होता है:
उत्तर- गोल और उभयावतल

इस पोस्ट में हमने Neet 2023 Biology question answer in Hindi pdf के बारे में जाना । जो neet की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए लाभदायक साबित होगा। 

उम्मीद करता हूँ कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा , अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।


प्रोकेरियोटिक कोशिका और यूकेरियोटिक कोशिका (Prokaryotic cell and Eukaryotic cell)

answerduniya में आपका स्वागत है। क्या आप विज्ञान विषय के विद्यार्थी हैं या आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं जिसमे विज्ञान के प्रश्न आते हैं। अगर हाँ तो यह पोस्ट आपके लिए ही है, क्यूंकि इस पोस्ट में हम जंतु विज्ञान के एक महत्वपूर्ण प्रश्न  प्रोकेरियोटिक कोशिका और यूकेरियोटिक कोशिका (Prokaryotic cell and Eukaryotic cell) में अंतर के बारे में जानने  वाले हैं । 

(Difference between Prokaryotic cell and Eukaryotic cell)

प्रोकेरियोटिक कोशिका और यूकेरियोटिक कोशिका (Prokaryotic cell and Eukaryotic cell)

(1) प्रोकेरियोटिक कोशिका (Prokaryotic cell):- ये सरल रचना वाली कोशिकाएँ हैं जो मात्र एक कोशिका कला (Single cell membrane) से घिरी रहती है। चूँकि इसमें कोशिका कला के अतिरिक्त अन्य कोई कला (Membrane) नहीं होती, अत: इसमें नाभिक (Nucleus) तथा अन्य कोशिकांग (Cell  organelles), जैसे- माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria), गॉल्जी काय (Golgi body), अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (Endoplasmic reticulum), क्लोरोप्लास्ट (Chloroplast) एवं लाइसोसोम (Lysosome) आदि नहीं पाये जाते हैं। केन्द्रक पदार्थ डी.एन.ए. (D.N.A.) से निर्मित होता है। इसके चारों ओर न्यूक्लिओप्रोटीन (Nucleoprotein) का आवरण नहीं पाया जाता है। इसके न्यूक्लिओइड (Nucleoid) कहते है। केन्द्रक पदार्थ के चारों ओर केन्द्रक झिल्ली का अभाव होता है। केन्द्रिका (Nucleolus) तथा सूत्री उपकरण (Mitotic apparatus) का अभाव होता है। यह प्राय: कार्बोहाइड्रेट तथा अमीनो अम्लों द्वारा बनी कोशिका भित्ति (Cell wall) द्वारा घिरे रहते हैं। इनकी प्लाज्मा झिल्ली (Plasma membrane) से प्राय: मोजोसोम (Mesosome) नामक कुछ अन्तर्वेध (Intrusions) अन्दर की ओर निकले रहते हैं, जिनकी संरचना जटिल होती है। इनमें अमीबीय गति (Amoeboid movement) नहीं पाई जाती है। इसके अतिरिक्त सर्वव्यापी वितरण, शीघ्र वृद्धि, लघु पीढ़ी काल (Short generation period), जीव रासायनिक व्यापकता (Biochemical versatility) एवं जीन सम्बन्धी व्यापकता (Genic flexibility) इनके विशेष गुण हैं। इन कोशिकाओं में राइबोसोम छोटे माप 705 के होते हैं तथा कोशिका विभाजन के समय तर्कु (Spindle) नहीं बनता है। विकास के प्रमाणों से पता चलता है कि प्रोकेरियोटिक कोशिका से ही यूकेरियोटिक कोशिका (Eukaryotic cell) का उद्भव हुआ है। जीवाश्मों में प्रोकेरियोटिक कोशिका तीन अरब पूर्व भी पायी गयी है, जबकि यूकेरियोटिक का उद्भव लगभग एक अरब वर्ष पूर्व हुआ है। प्रोकेरियोटिक कोशिका तथा यूकेरियोटिक कोशिका में प्रमुख समानता यह है कि दोनों में जेनेटिक कोड (Genetic code) तथा प्रोटीन संश्लेषण (Protein synthesis) की क्रिया-विधि समान होती है। इसके अन्तर्गत जीवाणु कोशिका (Bacterial cell), नीले हरे शैवाल (Blue-green algae) तथा पी. पी. एल. ओ. (PPLO Pleuro Pneumonia like Organism) इत्यादि आते हैं।

जानें- शैवाल का  वर्गीकरण ( Shaival ka Vargikaran in Hindi)

(2) यूकेरियोटिक कोशिका (Eukaryotic cell):- ये कोशिकाएँ पूर्ण रूप से सुविकसित होती हैं अर्थात् इनमें केन्द्रक एवं कोशिकांग (Cell organelles) पाये जाते हैं। इस प्रकार की कोशिकाएँ जीवाणु तथा नीली-हरी शैवालों के अतिरिक्त प्राय: सभी जीवधारियों में पायी जाती हैं। केन्द्रक पदार्थ के चारों ओर निश्चित केन्द्रक झिल्ली होती है तथा कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) में माइटोकॉण्ड्रिया, क्लोरोप्लास्ट (Chloroplast), गॉल्जीकाय (Golgi body) एवं लाइसोसोम (Lysosome) आदि कोशिकांग (Organelles) होते हैं। इनके कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) में अमीबीय गति (Amoeboid movement) होती है। केन्द्रक (Nucleus) में केन्द्रिका (Nucleoli) होते हैं। एक से अधिक गुणसूत्र (Chromosome) में हिस्टोन पाया जाता है। इन कोशिकाओं के द्वारा सभी प्रकार की उपापचय क्रियाएं की जातीहैं तथा इनका स्वभाव सहयोगी होता है।

प्रोकेरियोटिक कोशिका और यूकेरियोटिक कोशिका में अंतर(Difference between Prokaryotic cell and Eukaryotic cell)

प्रोकेरियोटिक कोशिका (Prokaryotic cell)

1. यह प्रारम्भिक या आद्य (Primitive) कोशिका है।

2. इसकी कोशिका भित्ति (Cell wall) प्रोटीन एवं कार्बोहाइड्रेट की बनी होती है।

3. इसके कोशिकाद्रव्य में कोशिकांग (Organelles) का अभाव होता है।

4. इन कोशिकाओं में राइबोसोम 70S श्रेणी के होते हैं जो 50S एवं 30S सब यूनिटों (Subunit) के होते हैं।

5. इन कोशिकाओं में वास्तविक केन्द्रक नहीं होता केन्द्रक पदार्थ (क्रोमेटिन) स्वतन्त्र रूप से कोशिका द्रव्य में वितरित रहता है।

5. हिस्टोन (Histone) अनुपस्थित होता है।

7. न्यूक्लिओलस (Nucleolus) एवं सेन्ट्रियोल (Centriole) का अभाव होता है।

8. विभाजन के समय तर्कु (Spindle) नहीं बनता।

9. सूत्री विभाजन असूत्री विभाजन (Amitosis) द्वारा होता है।

10. श्वसनं एवं प्रकाश-संश्लेषण एन्जाइम प्लाज्मा झिल्ली में होते हैं।

11. सूत की लच्छी के समान केवल एक डी.एन.ए. का गुणसूत्र (Chromosome) बना होता है।

पढ़ें- जीवाणुओं का आर्थिक महत्त्व (Economic Importance of Bacteria)

यूकेरियोटिक कोशिका (Eukaryotic cell)

1. यह सुविकसित (Developed) कोशिका है।

2. इसकी कोशिका भित्ति प्राणियों की कोशिका में प्लाज्मा झिल्ली के रूप में पायी जाती है तथा पादप कोशिकाओं

में यह सेलूलोस (Cellulose) की बनी होती है।

3. इसके कोशिकाद्रव्य में एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम (Endoplasmic reticulum) माइटो काण्डूया। (Mitochondria) गाल्जी काय (Golgi body) लाइसोसोम (Lysosome) एवं प्लैस्टिड (Plastid) आदि होते हैं।

4. इन कोशिकाओं के राइबोसोम 80S श्रेणी के होते हैं तथा 60S एवं 40S सब यूनिटों के होते हैं।

5. इसमें केन्द्रक निश्चित स्थिति में होता है। इसके चारों ओर स्पष्ट केन्द्रक झिल्ली (Nuclear membrane) होती है। इस झिल्ली के अन्दर केन्द्रक पदार्थ होता है।

6. हिस्टोन (Histone) क्रोमेटिन पदार्थ का महत्वपूर्ण घटक है।

7. न्यूक्लिओलस एवं सेन्ट्रिओल पाये जाते हैं।

8. विभाजन के समय तर्कु (Spindle) बनता है।

9. कोशिका विभाजन सूत्री तथा अर्द्धसूत्री दोनों प्रकार से होता है।

10. श्वसन एवं प्रकाश-संश्लेषण एन्जाइम माइटोकॉण्ड्रिया एक क्लोरोप्लास्ट में होता है।

11. केन्द्रक में एक से अधिक गुणसूत्र होते हैं।

इस पोस्ट में हमने (Prokaryotic cell and Eukaryotic cell) के बारे में जाना। जो विभिन्न परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है ।

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सहसंयोजकता बंध सिद्धांत (Sahsanyojakata bandh siddhant)

इस लेख में हम सहसंयोजकता बंध सिद्धांत (Sahsanyojakata bandh siddhant)  के बारे में जानने वाले हैं। रसायन विज्ञान का यह एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिससे सम्बंधित प्रश्न अक्सर ऊच्चतर माध्यमिक की परीक्षाओं में पूछे जाते रहते हैं और सहसंयोजकता बंध सिद्धांत (Sahsanyojakata bandh siddhant)  से जुड़े प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है। 

सहसंयोजकता बंध सिद्धांत (Sahsanyojakata bandh siddhant)

सहसंयोजकता (Sahsanyojakata bandh siddhant) 

सहसंयोजकता- तत्वों के परमाणु अपने कुछ इलेक्ट्रॉनों का स्वयं के अन्य परमाणु या अन्य तत्व के परमाणु के इलेक्ट्रॉनों के साथ संयोजन कर अणु बनाते हैं। संयोग करने वाले परमाणुओं के मध्य परस्पर आकर्षण के कारण रासायनिक बन्ध बनता है और अणु को स्थायी विन्यास प्राप्त होता है। यह संयोजन उन परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों की परस्पर साझेदारी द्वारा सम्पन्न होता है। दोनों परमाणु समान संख्या में इलेक्ट्रॉन देकर उभयनिष्ठ इलेक्ट्रॉन युग्म बनाते हैं। यह प्रक्रिया सहसंयोजकता कहलाती है।

इसे भी पढ़ें- पीरियाडिक टेबल की जानकारी | Periodic Table ki Jankari

संयोजकता वन्ध सिद्धान्त (Valence Bond Theory)

इसे परमाणु कक्षक सिद्धान्त (Atomic Orbital Theory) भी कहते हैं। इसे पहले हिटलर और लन्दन (Heitler and London) द्वारा प्रस्तावित किया गया, जिसमें सहसंयोजक बन्ध की प्रकृति को समझाया गया है। इस धारणा को अधिक विकसित कर पॉलिंग और स्लेटर (Pauling and Slater) ने सहसंयोजक बन्ध की दिशात्मक प्रवृत्ति को स्पष्ट किया। सिद्धान्तों का इस प्रकार मिला-जुला और सम्बन्धित रूप संयोजकता बन्ध सिद्धान्त' कहलाता है। इस सिद्धान्त की व्याख्या परमाणु कक्षकों के रेखीय संयोजन (Linear Combination of Atomic Orbitals or LCAO) के आधार पर की जाती है।

(अ) हिटलर-लन्दन सिद्धान्त- दो विपरीत चक्रण वाले (भिन्न परमाणु) अयुग्मित इलेक्ट्रॉन कक्षक एक-दूसरे से अतिव्यापन द्वारा बन्ध बनाते हैं। विपरीत चक्रण के कारण वे एक-दूसरे के चुम्बकीय क्षेत्र को निरस्त कर आपसी आकर्षण द्वारा इलेक्ट्रॉन युग्म बना लेते हैं। ये इलेक्ट्रॉन युग्म दोनों परमाणु नाभिकों से संबंधित रहते हैं। अतिव्यापन के कारण अधिकतम इलेक्ट्रॉन घनत्व दोनों नाभिकों के बीच में बनता है, जो दोनों नाभिकों को आकर्षण द्वारा वाँधे रखता है।

इस सिद्धान्त में बन्ध के दिशात्मक लक्षणों पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है।

(ब) पॉलिंग-स्लेटर का सिद्धान्त- यह सिद्धान्त सन् 1932 में लीनस पॉलिंग तथा स्लेटर द्वारा दिया गया। इसे संयोजकता बन्ध सिद्धान्त कहते हैं। इसके अनुसार-

(1) दो परमाणुओं के बीच सहसंयोजक बन्ध का निर्माण उनके कक्षकों (Orbitals) के अतिव्यापन से होता है।

(2) बन्ध बनाने वाले परमाणुओं के बाह्य कक्षक में विपरीत चक्रण वाले इलेक्ट्रॉन रहते हैं। किसी परमाणु द्वारा बनाये गये सहसंयोजक बन्ध की संख्या, उसमें पाये जाने वाले अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है।

(3) अतिव्यापन के बाद अधिकतम इलेक्ट्रॉन घनत्व दोनों परमाणुओं के बीच रहता है। यह इलेक्ट्रॉन घनत्व ही दोनों नाभिकों को आकर्षण द्वारा बाँधे रखता है।

(4) सहसंयोजी बन्ध की शक्ति (Strength) अतिव्यापन में भाग लेने वाले दोनों परमाणु कक्षकों के अतिव्यापन के समानुपाती होती है।

(5) s- कक्षक चारों दिशाओं में बन्ध बना सकता है, किन्तु p. d और f-कक्षक केवल उन्हीं दिशाओं में बन्ध बनाते हैं, जिन अक्षों पर वे पहले से स्थित होते हैं।

(6) समाक्ष (Co-axial) अतिव्यापन से सिग्मा (G) बन्ध तथा पाश्र्वीय (Sidewise) अतिव्यापन से पाई (ग) वन्ध बनता है।

इसे भी पढ़ें- क्रिस्टल क्षेत्र से सम्बंधित महत्वपूर्ण सवाल | Important question related to crystal field

संयोजकता वन्ध सिद्धान्त की सीमाएँ

सहसंयोजक बन्ध के इस पॉलिंग-स्लेटर सिद्धान्त से सहसंयोजक बन्ध की दिशा निर्धारित होकर पूर्व में अनुत्तरित कई प्रश्नों का समाधान हो जाता है। अतः यह सिद्धान्त व्यापक रूप से प्रयुक्त होता है, फिर भी इस सिद्धान्त में कुछ कमियाँ हैं। जैसे-

(i) उप-सहसंयोजक वन्ध (co-ordinate bond) बनना इस सिद्धान्त में निहित नहीं है। इस बन्ध निर्माण में इलेक्ट्रॉन युग्म, जो किसी एक परमाणु द्वारा ही दिया जाना चाहिए, आवश्यक है।

(ii) सहसंयोजक बन्ध के आयनिक गुण संयोजकता वन्ध सिद्धान्त से समझाये नहीं जा सकते।

(iii) संयोजकता वन्ध सिद्धान्त के अनुसार, अणु निर्माण के बाद अयुग्मित इलेक्ट्रॉन रहने की कोई सम्भावना नहीं है, क्योंकि विपरीत चक्रण युक्त इलेक्ट्रॉनों का युग्मन ही बन्ध निर्माण की अनिवार्यता है। इसके बाद भी O, अणु अनुचुम्बकीय गुण प्रदर्शित करता है तथा उसमें 2 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं, यह इस सिद्धान्त से स्पष्ट नहीं हो पाता है।

(iv) अनुनादी संकर जैसी संरचनाएँ संयोजकता बन्ध सिद्धान्त के द्वारा स्पष्ट नहीं है, जबकि रासायनिक गुणों को स्पष्ट करने हेतु अनुनादी संकर संरचना की आवश्यकता होती है तथा वर्तमान स्पेक्ट्रम व नवीनतम तकनीकी से अनुनादी संरचनाओं की उपस्थिति प्रमाणित होती है।

(v) इस सिद्धान्त के द्वारा H,* जैसे आयनों के बनने को नहीं समझाया जा सकता है।

(vi) यह सिद्धान्त इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिकों, धातुओं तथा अधात्विक यौगिकों में बन्धन को स्पष्ट करने में असमर्थ है।

हाइड्रोजन अणु (H) का बनना

दो हाइड्रोजन परमाणुओं के मध्य ऽ-कक्षकों के अतिव्यापन से सहसंयोजक बन्ध बनकर H2 अणु बनता है। हाइड्रोजन परमाणु में 1s-कक्षक में एक इलेक्ट्रॉन होता है। दो परमाणुओं के कक्षक, अतिव्यापन करने से निकट आते हैं। उनकी स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम हो जाने की स्थिति पर स्थायित्व आकर अणु बनता है। नाभिक इस सीमा में हटकर और पास-पास नहीं आ सकते क्योंकि तब नाभिकों के मध्य प्रतिकर्षण होने लगेगा। स्थायित्व की इस स्थिति में न्यूनतम ऊर्जा का मान बन्ध ऊर्जा। और नाभिकों के बीच की दूरी बन्ध लम्बाई कहलाती है, जो क्रमश: 103-2 किलो कैलोरी प्रति ग्राम अणु तथा 0-74A होती है। यह बन्ध 5-5 अतिव्यापन से बनता है और सिग्मा (6) बन्ध कहलाता है।

होटलर- लन्दन- सिद्धान्त के द्वारा समध्रुवीय (Homopolar) जैसे-H, का बनना भली-भाँति समझाया जा सकता है। यदि दो समान परमाणुओं (जैसे-H परमाणु) की अन्योन्य क्रिया ऊर्जा (interaction energy) को कई पदों में ज्ञात की जाये, तो यह मालूम होता है कि अत्यधिक दूरी पर संयोग नहीं होता और अत्यधिक निकट होने पर धनात्मक आवेश वाले दोनों हाइड्रोजन नाभिकों के पास होने पर प्रतिकर्षण बल उत्पन्न हो जाता है।  दो समान इलेक्ट्रॉनिक चक्रण वाले हाइड्रोजन परमाणुओं को पास लाने पर जो-जो ऊर्जा परिवर्तन होते हैं, वे वक्र में तथा असमान इलेक्ट्रॉनिक चक्रण वाले दो हाइड्रोजन परमाणुओं को पास लाने पर ऊर्जा परिवर्तन वक्र 2 में दर्शाये गये हैं। वक्रों से स्पष्ट है कि जब असमान चक्रण वाले हाइड्रोजन Y परमाणु पास आवे हैं, तो उनकी ऊर्जा में कमी होती है तथा यदि परमाणुओं के बीच की दूरी और भी कम की जाये, तो यह ऊर्जा पुनः बढ़ने लगती है। अतः यह स्पष्ट है कि परमाणुओं के मध्य एक निश्चित दूरी पर हो यह ऊर्जा न्यूनतम होती है।

हाइड्रोजन अणु की विघटन ऊर्जा (dissociation energy) 103.2 कि कैलोरी होती है। इससे यह भी स्पष्ट है कि दो परमाणुओं के बीच जब बन्ध बनता है (H2 अणु बनने में) तो इतनी हो ऊर्जा निकलती है, जिसका अर्थ है कि दो अलग- अलग परमाणुओं की सम्पूर्ण स्थितिज ऊर्जा की अपेक्षा हाइड्रोजन अणु की सम्पूर्ण स्थितिज ऊर्जा न्यून (low) होती है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि H2

Valence Bond Theory


अणु के बनने में ऊर्जा की कमी होती है। वक्र 2 का निम्निष्ठ (minima) यह प्रदर्शित करता है कि जब विपरीत इलेक्ट्रॉन चक्रण वाले दो हाइड्रोजन परमाणुओं को एक निश्चित दूरी तक पास लाया जाता है, तो उनके बीच बन्ध बनना सम्भव है।

इस लेख में हमने सहसंयोजकता बंध सिद्धांत (Sahsanyojakata bandh siddhant)  के बारे में जाना। जो परीक्षा की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण टॉपिक है।

उम्मीद करता हूँ कि सहसंयोजकता बंध सिद्धांत (Sahsanyojakata bandh siddhant)  का यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा , अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इस लेख को शेयर अवश्य करें।

NEET 2023 PHYSICS MCQ IN HINDI pdf download

क्या आप NEET 2023  की तैयारी कर रहे हैं या करने की सोच रहे हैं। तो आपको इसके लिए अच्छी रणनीति तैयार करनी होगी। जिसमे आपको एक एक विषय को अलग अलग पड़ना पड़ेगा और फिर उसके बहुत सारे MCQ सोल्व करने होंगे जिससे आपकी तैयारी पुख्ता हो सके।  NEET की परीक्षा में PHYSICS से सम्बन्धित जिस प्रकार प्रश्न पूछे जाते हैं उनका कुछ नमूना इस पोस्ट में दिया जा रहा है। NEET 2023 PHYSICS MCQ IN HINDI 

NEET 2023 PHYSICS MCQ IN HINDI

NEET 2023 PHYSICS MCQ IN HINDI pdf download

प्रश्न:- यदि एक पेंचमापी की पिच 1.5 mm और वृत्तीय पैमाने पर 300 विभाजन हैं, तो निम्नलिखित में से कौन सा पाठ्यांक इस पेंचमापी से लिया जा सकता है?
उत्तर- 0.030000 m 

प्रश्न:- मापन की यथार्थता किससे निर्धारित होती है?
उत्तर- प्रतिशत त्रुटि

प्रश्न:- आवेश की विमा है-
उत्तर- TA

प्रश्न:- कुंडली के स्वप्रेरकत्व का मात्रक है-
उत्तर- हेनरी

प्रश्न:- जूल-सेकण्ड किसका मात्रक है?
उत्तर- कोणीय संवेग

प्रश्न:- पारसेक किसका मात्रक है?
उत्तर- दूरी

प्रश्न:- ऑर्स्टेड किसका मात्रक है?
उत्तर- चुंबकीय तीव्रता

प्रश्न:- एक सेकण्ड किसके बराबर है?
उत्तर- Cs घड़ी के 9192631770 आवर्तकाल 

प्रश्न:- किसी भी भौतिक राशि का परिमाण:
उत्तर- मापन की विधि पर निर्भर नहीं करता है।

प्रश्न:- मात्रकों के संबंध में कौन-सा दूसरों से भिन्न है?
उत्तर- प्वासों अनुपात

प्रश्न:- नाभिकीय त्रिज्या को मापने के लिए कौन सा मात्रक सही है?
उत्तर- फर्मी

प्रश्न:- वोल्ट को दर्शाता है :
उत्तर- वाट/एम्पियर

प्रश्न:- भौतिक राशियों के युग्म (युग्मों) जिनकी विमाएँ समान नहीं हैं, 
उत्तर- प्लांक नियतांक और बल आघूर्ण

प्रश्न :- माक संख्या एक के बराबर होती है जब वस्तु का वेग बराबर होता है:
उत्तर- ध्वनि का वेग (332m/sec)

प्रश्न :-केल्विन पैमाने पर 0 अंश सेल्सियस का सही मान है।
उत्तर- 273.15 K

प्रश्न :-कैंडेला किसका मात्रक है?
उत्तर- ज्योति तीव्रता

प्रश्न :-यदि 97.52 को 2.54 से विभाजित किया गया है, तो सार्थक अंकों के पदों में सही परिणाम क्या है?
उत्तर- 38.4

प्रश्न :-शक्ति का मात्रक क्या है?
उत्तर- किलोवॉट

प्रश्न :-दो राशियों A और B की विमाएँ अलग-अलग हैं। नीचे दी गई गणितीय संक्रियाओं में कौन सी भौतिक रूप से सार्थक है?
उत्तर- A/B+

इन्हें भी जानें- 100+ जीव विज्ञान प्रश्न (Biology question in hindi)

NEET 2023 PHYSICS MCQ 

प्रश्न :- प्लांक नियतांक की विमा (मात्रक) क्या हैं?
उत्तर- कोणीय संवेग

प्रश्न :- द्रव्यमान और चाल के मापन में प्रतिशत त्रुटियां क्रमशः 2% और 3% हैं। द्रव्यमान और चाल के मापन द्वारा प्राप्त गतिज ऊर्जा के आंकलन में अधिकतम त्रुटि कितनी होगी?
उत्तर- 8%

प्रश्न :- एक प्रयोग में एक सरल लोलक का दोलन काल क्रमशः 2.63 s, 2.56 s, 2.42 s, 2.71 s और 2.80 s के रूप में अंकित किया गया है। औसत निरपेक्ष त्रुटि है-
उत्तर- 0.11 s

प्रश्न :- CR की विमा है-
उत्तर- आवर्तकाल

प्रश्न :- पारसेक किसकी मापन इकाई है ?
उत्तर- खगोलीय दूरी

प्रश्न :- दिष्ट धारा की आवृत्ति …………….. है?
उत्तर- शून्य

प्रश्न :- इस्पात के गोले में पदार्थ की मात्रा उसका क्या होती है?
उत्तर- द्रव्यमान

प्रश्न :-क्वांटम सिद्धांत का सुझाव किसने दिया?
उत्तर- मैक्स प्लैन्क

प्रश्न :-परमाणु शक्ति संयंत्र किस सिद्धान्त पर काम करता है?
उत्तर- विखण्डन

प्रश्न :- ए.टी.एम. (ATM) का पूरा नाम है
उत्तर-ऑटोमैटिक टेलर मशीन

प्रश्न :-आवृत्ति मॉडुलेशन में क्या प्राप्त होता है ?
उत्तर-नियत आयाम

प्रश्न :- ट्रांजिस्टर के किसमें होने की अधिकांशत: संभावना होती है?
उत्तर-श्रव्य उपकरण

प्रश्न :- क्यूरी किसकी यूनिट है?
उत्तर- रेडियोधर्मिता

पढ़ें- 500+ Gk Questions in Hindi 2023

NEET 2023 PHYSICS वन लाइनर

प्रश्न :- एक तारे की संहति (Mass) सूर्य की संहति से दोगुनी है, वह अन्तत: कैसे समाप्त होगा?
उत्तर- न्यूट्रॉन स्टार

प्रश्न :-रेडियोऐक्टिव सामग्री से उत्सर्जित बीटा किरणें क्या हैं?
उत्तर- केन्द्रक द्वारा उत्सर्जित आवेशित कण

प्रश्न :- एक नक्षत्र का रंग निर्भर करता है उसकी
उत्तर- पृष्ठीय ताप पर

प्रश्न :-. बिजली के हीटर में कौन-सी सामग्री प्रयुक्त होती है ?
उत्तर- नाइक्रोम

प्रश्न :-हाइड्रोफोन उपकरण किस में हुए परिवर्तन को दर्शाता है?
उत्तर- पानी के अंदर ध्वनि

प्रश्न:- उड़ान-अभिलेखी का तकनीकी नाम क्या है?
उत्तर- काला बक्सा

प्रश्न:- टेलीविजन के रिमोट कंट्रोल में प्रयुक्त विद्युत चुंबकीय तरंगें कैसी होती हैं ?
उत्तर- अवरक्त

प्रश्न:-डायोड का इस्तेमाल किसलिए किया जाता है ?
उत्तर- परिशोधन

प्रश्न:-जेट इंजन …………………. के संरक्षण के सिद्धांत पर कार्य करता है।
उत्तर- रैखिक संवेग

प्रश्न:-विद्युत चुंबक किससे बनती है?
उत्तर- नरम लोहा

प्रश्न:-उच्च वोल्टेज अनुप्रयोग के लिए किस प्रकार इंसुलेटर उपयोग किया जाता
उत्तर- निलंबन प्रकर

प्रश्न:-अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर लेता है कहलाती हैै |
उत्तर- समंजन

प्रश्न:-अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता हैः
उत्तर- पक्षमाभी (Ciliary)

प्रश्न:- लाल वर्ण के प्रकाश की तरंगदैधर्य नीले प्रकाश की अपेक्षा लगभग कितनी गुनी है|
उत्तर-1:8

प्रश्न:-सूर्य हमे वास्तविक सूर्योदय से लगभग कितने मिनिट पूर्व दिखाई देने लगता है?
उत्तर-2 मिनिट पूर्व

प्रश्न:-तारे टिमटिमाते क्यों प्रतीत होते है |
उत्तर-तारो के प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण

प्रश्न:-इंद्रधनुष सदैव किस दिशा में बनता है |
उत्तर-सूर्य के विपरीत दिशा में

प्रश्न:-सुर्य का प्रकाश सात वेर्णो से मिलकर बना | यह विचार किस विज्ञानिक के दिमाग में आया |
उत्तर-न्यूटन

प्रश्न:-वह न्यनतम दुरी जिस पर रखी कोई वस्तु बिना किसी तनाब के अत्यधिक स्पष्ट देखी जा सकती है|
उत्तर- 40 cm तक

प्रश्न:- रेटिना पर किसी वस्तु का उलटा तथा वास्त्विक प्रेतिबिबं बनाता है-
उत्तर- अभिनेत्र -लेंस

प्रश्न:-कोर्निया के पीछे एक सरचना होती है जिसे कहते है
उत्तर-परितारिका

प्रश्न:-नेत्र गोलक की आकृति लगभग गोलाकार होती है तथा इसका व्यास होता है
उत्तर- लगभग 2.3

प्रश्न:-प्रकाश एक पतली झिल्ली से होकर नेत्र मे प्रबेश क्ररता है इस झिली को कहते है |
उत्तर- कोर्निया

प्रश्न:-लेन्स कि क्षमता का SI मात्रक
उत्तर- डाइऑप्टर

प्रश्न:-लेन्स का केन्द्रिय विन्दु क्या कहलाता है ?
उत्तर- प्रकाशिक केन्द्र

प्रश्न:-किसी लेन्स मे बाहर की ओर उभ्ररे दो गोलिया पृष्ठ उसे कहते है-
उत्तर- दो- उतल लेन्स

प्रश्न:- दो पृष्ठों से घिरा हुआ कोई पारदर्शी माध्यम,जिसका एक या दोनो पृष्ठ गोलीय हो|
उत्तर- लेन्स

प्रश्न:-गोलिय शीशा कहलाता है
उत्तर- जिनका परावर्तक पृष्ठ गोलिय है

प्रश्न:-ध्वनि की गति सबसे तेज किस माध्यम में चलती है?
उत्तर- ठोस

प्रश्न:-ध्वनि की प्रबलता है
उत्तर- ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप

प्रश्न:- ध्वनि की तीव्रता कहते हैं |
उत्तर- किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा

प्रश्न:-आवर्ती के SI मात्रक का नाम किसके सम्मान में रखा गया |
उत्तर- हैनरिच रुडोल्फ हर्ट्ज़

प्रश्न:-गतिज ऊर्जा किसे कहते है|
उत्तर- किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित ऊर्जा को

प्रश्न:-आइजक न्यूटन का जन्म कहाॅ हुआ था ?
उत्तर- इंग्लैंड में वूल्स्थोर्पे

प्रश्न:-आइजक न्यूटन ने गणित कि नई शाखा क़ी खोज क़ी | जिसे क्या कहते है ?
उत्तर- कलन

प्रश्न:-अनिश्चितता का सिद्धांत के अनुसार -
उत्तर- इलेक्ट्रोन की स्थिति और वेग का निर्धारण एक साथ नही होता

प्रश्न:-विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते है
उत्तर- जनित्र

प्रश्न:-टरबाइन की आवश्यक चाल को बनाए रखने के लिए पवन की चाल कितनी होनी चाहिए-
उत्तर- 15 km/h

प्रश्न:- चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक -
उत्तर- ओस्टर्ड

प्रश्न:- टंगस्टन का गलनांक कितनी डिग्री सेल्सियस है |
उत्तर- 3380

प्रश्न:-प्रतिरोधको को परस्पर सयोजित करने की दो विधियाँ है | वे कोनसी है|
उत्तर- क्षेणीक्रम सयोजन और पार्श्व क्रम संयोजन

प्रश्न:-प्रतिरोध का SI मात्रक है |
उत्तर- ओम

प्रश्न:-आवेग का विमीय सूत्र किसके विमीय सूत्र के समान है?
उत्तर- संवेग

प्रश्न:-आवेग का मात्रक है-
उत्तर- kg-m/s

प्रश्न:-कौन सा एक व्युत्पन्न मात्रक है?
उत्तर- आयतन का मात्रक

प्रश्न:-हर्ट्ज किसका मात्रक है?
उत्तर- आवृत्ति

प्रश्न:-किलोवॉट-घंटा मात्रक है-
उत्तर- ऊर्जा

प्रश्न:-पृष्ठ तनाव का SI मात्रक है-
उत्तर- न्यूटन/मीटर

प्रश्न:-फैरेड किसका मात्रक है?
उत्तर- आवेश

जानें- विज्ञान के प्रश्न उत्तर | Science questions answers in Hindi

NEET 2023 PHYSICS question ANSWER

प्रश्न:-"पास्कल-सेकेण्ड" किसकी विमा है?
उत्तर- श्यानता गुणांक 

प्रश्न:-सूर्य में ऊर्जा का निरन्तर सृजन किस कारण होता रहता है?
उत्तर- नाभिकीय संलयन 

प्रश्न:-आदर्श वोल्टमीटर की प्रतिरोधिता कितनी होती है?
उत्तर- असीमित

प्रश्न:- एक उड़ते हुए जेट में होती है।
उत्तर- गतिज तथा स्थितिज ऊर्जा दोनों

प्रश्न:-जल विद्युत केंद्र में टर्बाइन किससे चलती है?
उत्तर- पानी के बहने से

प्रश्न:-विषम-मिश्रण से लोहे की परत को किस तकनीक से पृथक किया जा सकता है?
उत्तर- चुम्बकीकरण

प्रश्न:-p – तथा n – प्रकार के दो अर्धचालक, जब संपर्क में लाए जाते हैं, तो वे जो p-n संधि बनाते हैं, वह किस रूप में कार्य करती है?
उत्तर- दिष्टकारी

प्रश्न:- फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम का प्रयोग किसकी दिशा का पता लगाने के लिए किया जाता है?
उत्तर- प्रेरित धारा

प्रश्न:-नॉट (Knot) एक माप है :
उत्तर- जलयान की गति का

प्रश्न:-न्यूक्लियर रिएक्टर में न्यूट्रॉन को किससे अवमंदित किया जाता है?
उत्तर- मॉडरेटर

प्रश्न:-कृत्रिम उपग्रह के जरिए संचार के लिए किन तरंगों का प्रयोग किया जाता
उत्तर- सूक्ष्म तरंगें

प्रश्न:-गामा किरणों से क्या हो सकता है?
उत्तर- जीन-म्यूटेशन

प्रश्न:-धारावाहक तार कैसा होता है?
उत्तर- न्यूट्रल

प्रश्न:-हमारी आकाशगंगा की आकृति है
उत्तर- स्पाइरल

प्रश्न:-तुल्यकाली उपग्रह के परिक्रमण की अवधि होती है:
उत्तर- 24 घंटे

प्रश्न:-रेडियो प्रसारण के संदर्भ में AM’का पूरा रूप क्या है ?
उत्तर- Amplitude Modulation

प्रश्न:-रेडियो की ट्यूनिंग के लिए प्रयुक्त घटना मूलत: एकहोता है।
उत्तर- संघनक

प्रश्न:-एक धातु के चालक का प्रतिरोध________ ।
उत्तर- उसकी लम्बाई के समानुपाती होता है

प्रश्न:-सिलिकॉन किस प्रकार का पदार्थ है?
उत्तर- अर्द्धचालक

प्रश्न:-आवर्धक काँच में लेंस का प्रयोग होता है
उत्तर- उत्तल

प्रश्न:-भारत में किसने परमाणु अंतर्मुखी विस्फोट की तकनीकी (टेक्नोलॉजी) विकसित की थी?
उत्तर- डॉ. होमी जे. भाभा

प्रश्न:-न्यूटन–सेकेंड किसका मात्रक है?
उत्तर- संवेग

प्रश्न:-प्रकाश वर्ष किसका मात्रक है?
उत्तर- दूरी

प्रश्न:-वोल्ट/मीटर किसका मात्रक है?
उत्तर- विद्युत क्षेत्र की तीव्रता

प्रश्न:-प्रकाश की किरण की तरंगदैर्ध्य 0.00006 m, यह किसके बराबर है?
उत्तर- 60 माइक्रॉन

प्रश्न:-हेनरी/ओम को किसमें व्यक्त किया जा सकता है?
उत्तर- सेकण्ड

प्रश्न:-सर सी वी.रामन को वष॔ 1930 मे किस कार्य के लिए नोबेल पुरुस्कार मिला ?
उत्तर- रमन प्रभाव

प्रश्न:-हमारी मांसपेशिया के क्रियास्वरूप लगने बाले बल को कहते है ?
उत्तर- पेशीय बल

इस पोस्ट में हमने NEET 2023 PHYSICS MCQ IN HINDI के बारे में जाना। जो NEET की तैयारी करने वाले विद्यार्थियो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।

आशा करता हूँ NEET 2023 PHYSICS MCQ IN HINDI  का यह पोस्ट आपके लिए मददगार साबित होगा , अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।


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मशरूम की खेती (Mushroom ki Kheti in Hindi)

इस आर्टिकल में हम मशरूम की खेती (Mushroom ki Kheti in Hindi) के बारे में जानेंगे। क्या आपको मशरूम की सब्जी अच्छी लगती है। क्या आपको पता है ये मशरूम कैसी उत्पादित की जाती है। यदि आप नहीं जानते तो इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़ें , आपको मशरूम की खेती की पूरी जानकारी मिल जाएगी। 

मशरूम की खेती (Mushroom ki Kheti in Hindi)


मशरूम की खेती (Mushroom ki Kheti in Hindi)

भारत में मशरूम की खेती का विस्तार तीव्र गति से हो रहा है। विशेषरूप से हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश समेत कुछ अन्य राज्यों में मशरूम उत्पादन में प्रतिवर्ष उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।

1.पैरा अथवा पैडी स्ट्रॉ मशरूम की खेती (Cultivation of Paddy Straw Mushroom-Volvariella sp.)

बेड निर्माण तथा फसल उगाना (Bed preparation and cropping)-

हमारे छत्तीसगढ़ प्रदेश के लिए धान एक प्रमुख फसल है। अतः यहाँ धान का पैरा आसानी से उपलब्ध रहता है। पैरा का उपयोग बेड निर्माण में किया जाता है। सर्वप्रथम हाथ से काटे गये 3-4 फीट लम्बे, शुष्क तथा निरोगी पैडी स्ट्रॉ के बण्डल बनाये जाते हैं। एक बेड के निर्माण हेतु ऐसे 32 बण्डलों की आवश्यकता होती है तथा प्रत्येक बण्डल में एक से डेढ़ किलोग्राम पैरा होता है। इन बण्डलों को जल (Water) में 8-16 घण्टों तक डुबोकर (Soaked) रखा जाता है। तत्पश्चात् इन्हें बाहर निकालकर स्वच्छ पानी से धोया जाता है। अन्त में बण्डलों को लटकाकर अतिरिक्त पानी निकाल दिया जाता है।

पैरा नहीं बदलें अब पैडी स्ट्रॉ के बण्डलों को एक के ऊपर एक चार स्तरों (Four layers) में रखा जाता है। प्रत्येक स्तर में 8 बण्डल होते हैं। अब स्पॉन बॉटल (Spawn bottle) को खोलकर काँच की छड़ से हिलाकर स्पॉन को बेड के प्रत्येक स्तर के किनारों से 10 सेमी. की दूरी पर छिड़क दिया जाता है। यह छिड़काव (Sprinkling) 23 सेमी. सतत् भीतर की ओर किया जाता है। छिड़के हुए स्पॉन (Spawn) पर बेसन (पिसी लुई चने की दाल) को पतली पर्त छिड़क दी जाती है। इसी प्रकार दूसरी, तीसरी तथा चौथी लेयर का निर्माण किया जाता है। चौथे स्तर के निर्माण में थोड़ा-सा अन्तर होता है। चौथे स्तर में स्पॉन (Spawn) का छिड़काव समूची सतह पर एक समान किया जाता है जबकि अन्य स्तरों पर यह किनारों पर अधिक होता हैं।

बेड्स पर गर्म दिनों में 2-3 बार जल का छिड़काव किया जाता है। वर्षा काल में भी एकाध बार जल का छिड़काव आवश्यक है। यदि आवश्यक हो तो 0.1% मेलेथियॉन (Melathion) तथा 0.2% डाइइथेन Z.-78 (Dicthane Z-78) का छिड़काव किया जाता है। इस छिड़काव से कोटों (Insects), पेस्ट्स (Pests) तथा अन्य रोगों से बेड की रक्षा होती है।

कटाई तथा विपणन (Harvesting and Marketing)-

स्पॉनिंग (Spawning) 10-12 दिनों बाद फसल उगने लगती है। मशरूम की कटाई (Harvesting) सामान्यत: बटन स्टेज (Button stage) या फिर कप के फुटने (Rupturing) के तुरन्त बाद की जाती है। फसल को निकालने के 8 घण्टों के भीतर मशरूम का उपयोग कर लेना चाहिए या फिर इन्हें 10-15°C तापमान पर 24 घण्टों तक रख देना चाहिए अन्यथा ये नष्ट हो जाते हैं। इन्हें फ्रिज में एक सप्ताह तक रखा जा सकता है।

ताजा मशरूम को धूप में या फिर ओवन (Oven) में 55° से 60°C तापमान पर 8 घण्टों तक रखकर सूखाया जाता है। सूखने के बाद इन्हें पैक (Packed) कर सील कर दिया जाता है ताकि ये नमी (Moisture) न सोख सकें। मशरूम की पैकिंग प्राय: बटन स्टेज में करना उपयुक्त होता है। आमतौर पर प्रति बेड 3-4 किलोग्राम मशरूम की प्राप्ति की जा सकती है।

2. धींगरी की खेती (Cultivation of Pleurotus sp.)

अधोस्तर का चुनाव (Choice of substratum)- 

प्लूरोटस के खेती के लिए कटे हुए पैडी स्ट्रॉ (Chopped paddy straw) सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। अन्य पदार्थों में मकई की बाल (Maize cob), गेहूँ स्ट्रॉ (Wheat straw), रॉइ स्ट्रॉ (Rye straw), शुष्क घास (Dried grasses) कम्पोस्ट तथा लकड़ी के लट्ठे (Wooden logs) इत्यादि इस्तेमाल किये जा सकते हैं। बेड निर्माण तथा फसल उगाना (Bed preparation and Cropping)-कटे हुए पैडी स्ट्रॉ को 8-12 घण्टे तक पानी के टंकी (Water tank) में डुबोकर रखा जाता है। स्ट्रॉ को बाहर निकालकर स्वच्छ पानी से धोकर, अतिरिक्त पानी निकाल दिया जाता है। अब अधोस्तर (Substratum) को लकड़ी की ट्रे (1×1/2x1/4 मीटर) में रखा जाता है। पूरी ट्रे पर स्पॉन (Spawn) का छिड़काव किया जाता है। स्पॉनिंग (Spawing) के पश्चात् ट्रे को पॉलीथिन शीट से ढँक दिया जाता है। नमी बनाये रखने हेतु जल का छिड़काव दिन में 1 या 2 बार किया जाता है। 10-15 दिनों के बाद मशरूम के फलनकाय (Fruiting bodies) निकलने लगती हैं। जब पॉलीथिन शीट को हटा दिया जाता है। मशरूम की खेती पहले फलनकाय निकलने के 30-45 दिनों के बाद तक जारी रहती है।

बेड पर आवश्यकतानुसार जल का छिड़काव किया जाता है। तापमान 25°C (°5°C) तथा आपेक्षिक आर्द्रता (Relative humidity) 85-90% तक रखी जाती है। वातन (Aeration) की अच्छी व्यवस्था की जाती है तथा रोगनाशकों (0.1% Melathion, 0.2% Diethane Z-78) का छिड़काव किया जाता है।

कटाई तथा विपणन (Harvesting and Marketing)- 

मशरूम की कटाई उस समय की जाती है जब फलनकाय के पाइलियस (Pileus) का व्यास (Diameter) 8-10 सेमी. हो जाए। फसल को मोड़कर (Twisting) तोड़ा जाता है। आवश्यकतानुसार इसका विपणन कच्चा अथवा सूखाकर किया जाता है। मशरूम को धूप या ओवन में सूखाकर पैकिंग सीलिंग की जाती है ताकि ये नमी सोखकर नष्ट न होने पाये।

प्लूरोटस सजोर-काजू नामक प्रजाति 15 से 25 दिनों में तैयार हो जाती है। इसको खेती सरल है तथा इसमें प्रोटीन की मात्रा (Protein content) अत्यधिक होती है। इसमें मानव पोषण के लिए आवश्यक सभी अमीनो अम्ल (Amino acid) भी उपस्थित रहते हैं।

इसके खाद्य गुण (Palatability), स्वाद (Taste), सुगन्ध (Flavour) तथा मांस (Meat) के सदृश होनेके कारण " प्लूरोटस सजोर-काजू" को अत्यधिक पसंद किया जाता है।

मशरूम कृषि का महत्व (Importance of Mushroom Cultivations)

भारत सहित विश्व के अनेक देशों के लिये कुपोषण (Malnutrition) एक गम्भीर समस्या है। विकसित देशों (Developed countries) में जहाँ प्रति व्यक्ति प्राणी प्रोटीन की औसत खपत 31 किलोग्राम प्रतिवर्ष है, वहीं भारत में यह केवल 4 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष है। मशरूम (Mushrooms) प्रोटीन के प्रमुख स्रोत होते हैं। शुष्क भार (Dry weight) के आधार पर विभिन्न मशरूम में प्रोटीन की कुल मात्रा 21 से 30 प्रतिशत तक होती है। प्रोटीन की इतनी मात्रा अन्य स्रोतों, जैसे—अनाज (Cereals), दालों (Pulses), फल (Fruits) तथा सब्जियों (Vegetables) में भी नहीं होती। प्रोटीन के अलावा इसमें कैल्सियम, फॉस्फोरस तथा पोटैशियम जैसे खनिज तत्व भी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। सभी आवश्यक अमीनो अम्लों का इनमें समावेश होता है। भारत गरीबी, जनसंख्या वृद्धि तथा कुपोषण की समस्याओं से ग्रस्त है। ऐसी स्थिति में यदि मशरूम को आम जनता खासकर शिशु एवं किशोर युवाओं को उपलब्ध कराया जाए तो उनमें कुपोषण के कारण होने वाली शारीरिक समस्याओं को होने से रोका जा सकता है। मशरूम की खेती को आवश्यक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए क्योंकि मशरूम न केवल पोषक हैं बल्कि इनकी खेती भी सस्ती है।

मशरूम अपने स्वाद एवं पोषक मान जैसे प्रोटीन, खनिज तत्वों की बहुलता तथा कोलेस्टेरॉलरहित वैल्यू के कारण उच्चवर्गीय भारतीयों के आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। इससे विविध प्रकार के स्वादिष्ट\ व्यंजन, जैसे-मशरूम पनीर, मशरूम पुलाव, मशरूम ऑमलेट, मशरूम सूप, मशरूम टिक्का आदि बनाये जाते हैं। छोटे एवं बड़े शहरों में इसका प्रचलन दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है।

इस आर्टिकल में हमें मशरूम की खेती और उसके महत्व के बारे में जाना। जो परीक्षा के साथ साथ हमारे दैनिक जीवन की सामान्य जानकरी के लिए बी जरुरी है।

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शैवाल का वर्गीकरण ( Shaival ka Vargikaran in Hindi)

शैवाल का  वर्गीकरण ( Shaival ka Vargikaran in Hindi)

इस पोस्ट में हम शैवाल के वर्गीकरण के बारे में जानने वाले हैं। वनस्पति विज्ञान से सम्बन्धित यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है । जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछा जाता है। यदि आप भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है या करने वाले हैं तो आपको ऐसे बेसिक प्रश्नों के उत्तर जरुर आने चाहिए ।  


शैवाल का  वर्गीकरण ( Classification of Algae in Hindi)

Shaival ka Vargikaran

आधुनिक वर्गीकरण (Modern Classification)

आधुनिक शैवाल वैज्ञानिकों (Modern phycologists) ने फ्रिश्च (Fritsch, 1935) द्वारा दिये गये शैवालों के वर्गीकरण में प्रस्तावित 11 वर्गों (Classes) को प्रभाग (Division) का दर्जा (Rank) प्रदान करते हुए 11 प्रभागों को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया है-


प्रभाग (Division)-[1] सायनोफाइटा (Cyanophyta) नीली-हरी शैवाल

वर्ग (Class) - [1] सायनोफाइसी (Cyanophyceae)
गण (Order) -(1) क्लोरोकोक्केल्स (Chlorococcales)
(2) कैमीसाइफोनेल्स (Chamisiphotales)
(3) ऑसिलोटोरिएल्स (Oscillatoriales)
(4) नॉस्टोकेल्स (Nostocales)
(5) सायटोनिमेल्स (Cytonimales)
(6) स्टाइगोनिमेटेल्स (Stigonimatales)
(7) रिवुलेरिएल्स (Rivulariales)

इन्हें भी जानें- सामान्य ज्ञान के प्रश्न 2023

प्रभाग (Division)-[2] क्लोरोफाइटा (Chlorophyta) हरी शैवाल

वर्ग (Class)- [1] क्लोरोफाइसी (Chlorophyceae)
गण (Order)- (1) वॉलवकिल्स (Volvocales)
(2) क्लोरोकोक्कल्स (Chlorococcales)
(3) यूलोट्राइकेल्स (Ulotrichales)
(4) अल्वेल्स (Ulvales)
(5) ऊडोगोनिएल्स (Oedogoniales)
(6) क्लैडोफोरेल्स (Cladophorales)
(7) कीटोफोरेल्स (Chaetophorales)
(8) जिग्नीमेल्स (Zygnemales)
(9) साइफोनेल्स (Siphonales)

प्रभाग (Division)-[3] कैरोफाइटा (Charophyta) – स्टोनवर्ट

वर्ग (Class)- [1] कैरोफाइसी (Charophyceae)
गण (Order)- (1) कारेल्स (Charales)

प्रभाग (Division) [4] यूग्लीनोफाइटा (Euglenophyta)

गण (Order)- (1) यूग्लीनेल्स (Euglenales)

प्रभाग (Division) [5] पायरोफाइटा (Pyrophyta)

प्रभाग (Division) [6] जैन्थोफाइटा (Xanthophyta)-पीली-हरी शैवाल

वर्ग (Class)- [1] जैन्थोफाइसी (Xanthophyceae)
गण (Order)- (1) हेटेरोसाइफोनेल्स (Heterosiphonales)

प्रभाग (Division)- [7] बैसिलेरियोफाइटा (Bacillariophyta)

वर्ग (Class)- [1] बैसिलेरियोफाइसी (Bacillariophyceae) डायटम

प्रभाग (Division)– [8] क्राइसोफाइटा (Chrysophyta)

प्रभाग (Division) -[9] क्रिप्टोफाइटा (Cryptophyta)

प्रभाग (Division)-[10] फियोफाइटा (Phacophyta)-भूरी शैवाल

वर्ग (Class)- [1] आइसोजेनरेटी (Isogeneratae)
गण (Order)- (1) एक्टोकार्पेल्स (Ectocarpales)
(2) डिक्टियोटेल्स (Dictyotales)

वर्ग (Class)- [2] हेटेरोजेनरेटी (Heterogeneratae)
गण (Order)- (1) लैमिनेरिएल्स (Laminariales)

वर्ग (Class)- [3] साइक्लोस्पोरी (Cyclosporae)
गण (Order)- (1) फ्यूकेल्स (Fucales)

प्रभाग (Division) – [11] रोडोफाइटा (Rhodophyta)–लाल शैवाल

वर्ग (Class)- [1] रोडोफाइसी (Rhodophyceae)
उप-वर्ग (Sub-class)- [1] बैंगिओइडी (Bangioidae) [2] फ्लोरिडी (Florida
गण (Order)- (1) निमेलिओनेल्स (Nemalionales)
(2) सिरेमिएल्स (Ceramiales)

इस पोस्ट में हमने शैवाल का  वर्गीकरण ( Shaival ka Vargikaran in Hindi) के बारे में जाना। जो वनस्पति विज्ञान से जुड़ा एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।

उम्मीद करता हूँ कि शैवाल का  वर्गीकरण ( Shaival ka Vargikaran in Hindi) का यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा , अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।

कवकों के लक्षण (Kavkon ke lakshan in Hindi)

 अगर आप विज्ञान के विद्यार्थी हैं तो आपने कवक के बारे में जरुर पढ़ा होगा। कवक एक प्रकार के जीव हैं जो अपना भोजन सड़े गले म्रृत कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं। ये संसार के प्रारंभ से ही जगत में उपस्थित हैं। इनका सबसे बड़ा लाभ इनका संसार में अपमार्जक के रूप में कार्य करना है। इनके द्वारा जगत में से कचरा हटा दिया जाता है। कवक को फफूंद भी कहा जाता है। इसे अंग्रेजी में फंगी(Fungi) कहते हैं। क्यूंकि हमारे दैनिक जीवन से जुडी हुयी चीज है इसलिए हमें इसके बारे में जरुर जानना चाहिए तो चलिए जानते हैं कवकों के लक्षण (Kavkon ke lakshan in Hindi) के बारे में , जिससे जुड़े सवाल भी अक्सर परीक्षाओं में देखने को मिल जाते हैं।


कवकों के लक्षण (Kavkon ke lakshan in Hindi)


कवकों के लक्षण (Kavkon ke lakshan )

1. कवक सर्वव्यापी (World wild) होते हैं तथा यह अन्य जीवित पोषकों (Living host) पर अथवा सड़े-गले पदार्थों पर मृतोपजीवी (Saprophytic) जीवनयापन करते हैं।

2. इनका शरीर सूकायवत् (Thalloid) होता है अर्थात् इसमें जड़, तना एवं पत्ती का अभाव होता है। सूकाय गैमिटोफाइटिक (Gametophytic) होता है।

3. इनका सूकाय तन्तुवत् (Filamentous) एवं प्राय: शाखित (Branched) होता है तथा यह पट्टयुक्त (Septate) अथवा पट्टरहित (Non-septate) होता है। पट्टरहित सूकाय एककोशिकीय (Unicellular) एवं बहुनाभिकीय (Multinucleated) होता है। ऐसे सूकाय को सीनोसिटिक (Coenocytic) कहते हैं।

4. इनके प्रत्येक तन्तु (Filament) को कवक तन्तु या हाइफी (Hyphae) कहते हैं। बहुत-से हाइफीमिलकर एक कवक जाल (Mycelium) बना लेते हैं। कुछ कवकों में कवक तन्तु (Hyphae) अनुपस्थित होता है तथा वे एककोशिकीय गोलाकार संरचना के रूप में होते हैं। उदाहरण- यीस्ट (Yeast) I

5. इनमें एक स्पष्ट कोशिका भित्ति (Cell wall) पायी जाती है, जो कि फंगस सेल्यूलोज (Fungal cellulose) एवं काइटिन (Chitin) की बनी होती है। काइटिन, एसिटाइल ग्लूकोसैमिन (Acetyl glu- cosamine) का बहुलक  (Polymer) होता है। काइटिन के अलावा कवकों की कोशिकाभित्ति में ग्लूकेन्स  (Glucans) एवं ग्लाइकोप्रोटीन्स (Glycoproteins) भी पाये जाते हैं। कुछ कवकों की कोशिकाभित्ति में मेलानीन (Melanine) नामक वर्णक भी पाये जाते हैं। ये कवकों को पराबैंगनी किरणों से सुरक्षा प्रदान करती हैं। 

काइटिन एवं ग्लूकेन कवक कोशिका भित्ति के प्रमुख घटक होते हैं। इसके अणु आपस में निश्चित क्रम में जुड़े होते हैं। ये भित्ति को कठोरता, दृढ़ता तथा निश्चित आकार प्रदान करते हैं। कवकों की विभिन्न जातियों में कोशिका भित्ति का रासायनिक संरचना में अंतर पाया जाता है।

इन्हें भी जानें- जीवाणुओं का आर्थिक महत्त्व (Economic Importance of Bacteria)

6. इनमें क्लोरोफिल (Chlorophyll) का अभाव होता है, अत: ये परजीवी (Parasitic), मृतोपजीवी (Saprophytic) अथवा सहजीवी (Symbiotic) जीवनयापन करते हैं।

7. इनकी कोशिकाएँ कशाभिका रहित (Non-flagidate) होती हैं तथा कशाभिका केवल प्रजनन करने वाले जूस्पोर्स (Zoospores) अथवा युग्मकों में ही पाये जाते हैं।

8. इनमें संगृहीत भोज्य पदार्थ (Reserve food materials), तेल की बूंदों (Oil droplet वा ग्लाइकोजन (Glycogen) के रूप में पाया जाता है।

9 इनकी शारीरिक संरचना यूकैरियॉटिक (Eukaryotic) होती है।

10. कवकों में प्रजनन तीनों विधियों के द्वारा होता है-

(i) वर्धी प्रजनन (Vegetative reproduction) 

(ii) अलैंगिक प्रजनन (Asexual reproduction)

(iii) लैंगिक प्रजनन (Sexual reproduction)।

11 वर्धी प्रजनन प्रायः विखण्डन (Fragmentation), द्विभाजन (Binary fission), मुकुलन (Budding) एवं स्क्लेरोशिया (Sclerotia) के द्वारा होता है।

12. अलैंगिक प्रजनन प्राय: जूस्पोर्स (Zoospores), स्पोर्स (Spores), कोनिडिया (Conidia), क्लैमाइडोस्पोर्स (Chlamydospores) एवं ओइडियोस्पोर्स (Oidiospores) के द्वारा होता है।

13. लैंगिक प्रजनन चलयुग्मकी संयुग्मन (Planogametic copulation), युग्मकधानी सम्पर्क (Game- tangial contact), युग्मकधानी संयुग्मन (Gametangial copulation), स्पर्मेटाइजेशन (Spermatization), सोमेटोगैमी (Somatogamy) अथवा आटोगैमी (Autogamy) आदि विधियों द्वारा होता है।

14. स्पष्ट पीढ़ी एकान्तरण (Alternation of generation) पाया जाता है।

 कवकों का पोषण(Kavkon ka Poshan)

कवक परपोषी (Heterotrophic) प्रकृति के होते हैं। यह अपना भोजन या तो जीवित पोषकों (Living hosts) से प्राप्त करते हैं, या तो सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं। इसमें क्रमशः परजीवी (Parasites) तथा मृतोपजीवी (Saprophytes) कहलाते हैं।

(a) मृतोपजीवी (Saprophytes):- ये सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों पर उगते हैं। उदाहरण- म्यूकर (Mucor), राइजोपस (Rhizopus), पेनीसीलियम (Penicillium) तथा परजिलस (Aspergillus) |

(b) परजीवी (Parasites):-ये कवक जीवित पोषकों से ही अपना पोषक प्राप्त करते हैं तथा इन पोषकों पर रोग उत्पन्न करते हैं। इन्हें निम्न प्रकारों में विभक्त किये जा सकते हैं-

(1) अनिवार्य परजीवी (Obligate parasites):- ये अपने विकास हेतु जीवित पोषकों (Living hosts) पर निर्भर रहते हैं। उदाहरण-पक्सीनिया (Puccinia) |

(2) विकल्पी मृतोपजीवी (Facultative saprophytes):- इस प्रकार के परजीवो कवक प्रायः जीवित पोषकों (Living hosts) पर अपना जीवन व्यतीत करते हैं, किन्तु आवश्यकता पड़ने पर कुछ समय के लिए ये अपना जीवन मृतोपजीवी (Saprophytes) की भाँति व्यतीत करते हैं, जैसे-टेफराइना डीफोर्मेन्स (Taphrina deformans) तथा स्मट्स (Smuts) आदि।

(3) विकल्पी परजीवी (Facultative parasites):- कुछ परजीवी कवक अपना जीवन मृतोपजीवियों की भाँति व्यतीत करते हैं, किन्तु परिस्थितिवश ये कवक किसी उपयुक्त पोषक पर परजीवी की भाँति जीवन व्यतीत करने लगते हैं, जैसे—पीथियम (Pithium), फ्यूजेरियम (Fusarium) आदि।

परजीवी कवक पोषकों से अपना भोजन चूषकांगों (Haustoria) द्वारा अवशोषित करते हैं। कुछ कवकों के चूषकांग, गोल घुण्डीदार (Knob shaped) होते हैं, जैसे-एल्ब्यूगो (Albugo) अथवा कुछ कवकों के चूषकांग शाखित होते हैं, जैसे- पेरोनोस्पोरा (Peronospora) आदि।

सहजीवी (Symbiotic)

कुछ कवक उच्च श्रेणी के पौधों के साथ रहते हैं जिनसे दोनों जीवों को लाभ होता है, अत: इसके जीवन को सहजीवन कहते हैं तथा इसमें पाये जाने वाले कवक सहजीवी (Symbiotic) कहलाते हैं।

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कवकों का प्रजनन (Reproduction of Fungi)

कवकों में जनन तीन विधियों द्वारा होता है-

1. वर्धी प्रजनन (Vegetative reproduction)

2. अलगिक प्रजनन (Asexual reproduction)

3. लैंगिक प्रजनन (Sexual reproduction)

1. वर्धी प्रजनन अथवा कायिक जनन (Vegetative Reproduction)

वर्धी प्रजनन में कवक जाल का कोई भी हिस्सा जनक शरीर से अलग होकर नये कवक का निर्माणक है। इस विधि में कवक तन्तुओं में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होते हैं। ये निम्न प्रकार के होते हैं-

(1) खण्डन (Fragmentation):- इस विधि में कवकतन्तु कई खण्डों में टूट जाता है और प्रत्येक (Fragment) पुनः वृद्धि करके नया कवक जाल बनाता है।

(2) विभाजन (Fission):- इस विधि में एक कोशिकीय कवक में वृद्धि होती है फिर कोशिका संकुचन से दो बराबर आकार की संतति कोशिकाएँ। बनती हैं।

(3) मुकुलन (Budding):- इस विधि द्वारा जनन एककोशिकीय कवकों में पाया जाता है। इस विधि में जनक कोशिका से एक अतिवृद्धि के रूप में मुकुलन (Bud) दत्पन्न होती है। मुकुलन जनक कोशिका से पृथक् होकर एवं वृद्धि करके एक स्वतंत्र जीव को जन्म देती है।

(4) क्लैमाइडोबीजाणु (Chlamydo- spores):- कुछ कवकों में कवकतन्तुओं की कोशिकाएँ मोटी भित्ति वाले बीजाणुओं में बदल जाती हैं। इन बीजाणुओं को क्लैमाइडोवीजाणु (Chlamydospores) कहते हैं। अनुकूल परि- स्थतियों में बीजाणु अंकुरित होकर नया कवकतन्तु बना देते हैं।

2. अलैंगिक प्रजनन (Asexual Reproduction)

इनमें बीजाणुओं (Spores) का निर्माण बिनासंलयन के कवकतंतुओं पर सीधे ही हो जाता है। अलैंगिक प्रजनन निम्न विधियों द्वारा होता है-

(i) कोनिडिया द्वारा (By conidia):- ये अचल, गोल, पतली भित्ति वाली एवं एकनाभिकीय संरचना होती है। यह एक विशेष कवक शाखा है, जिसे कर्णाधार (Conidiophore) कहते हैं पर बहिर्जात Conidiophores (Exogenous), रूप से श्रृंखला में विकसित होती है। अनुकूल परिस्थितियों में यह अंकुरित होकर नया कवक तंतु बनाते हैं। उदाहरण— ऐस्परजिलस (Aspergillus) एवं पेनिसिलियम् (Penicillium)।

(ii) चल बीजाणुओं द्वारा (By zoospores):- जूस्पोर्स का निर्माण प्रायः निम्नवर्गीय कवक सदस्यों मे होता है। जूस्पोर्स का निर्माण जूस्पोरेंजियम (Zoosporangium) अथवा बीजाणुधानी में अंतर्जात (Endogenous) रूप से होता है। इन बीजाणुओं में एक या दो कशाभिका (Flagella) पाया जाता है। उदाहरण- ऐक्लिया (Achlya), ऐल्ब्यूगो (Albugo), पाइथियम (Pythium), तथा फाइटोफ्थोरा (Phytophthora) ।

(iii) ऐप्लानोस्पोर्स (Aplanospores):- ये विशेष प्रकार की बीजाणुधानी में बनने वाले कशाभिका रहित बीजाणु होते हैं। उदाहरण-म्यूकर (Mucor) 

(iv) बेसिडियोस्पोर्स (By basidiospores):- बेसिडियोस्पोर्स, बेसिडियम में बहिर्जात (Exogenous) रूप से उत्पन्न होने वाले मोओस्पोर्स हैं। यह अंकुरित होकर नया कवकतन्तु बनाते हैं। उदाहरण-पक्सीनिया

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लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)

ड्यूटेरोमाइसिटीज (Deuteromycetes) वर्ग को छोड़कर सभी कवकों में लैगिक जनन पाया जाता है। लैंगिक जनन दो युग्मकों के संलयन (Fusion) से होता है। लैंगिक जनन की क्रिया में तीन स्पष्ट अवस्थाएं प जाती हैं, जो निम्नलिखित हैं-

(i) प्लाज्मोगेमी (Plasmogamy):- यह लैंगिक जनन की प्रथम अवस्था है। इसमें दो युग्मकों के जीवद्रव्य का संलयन होता है। इस क्रिया में दोनों युग्मकों के केन्द्रक एक कोशिका में एक-दूसरे के पास आ जाने हैं, लेकिन आपस में संलयन नहीं करते हैं।

(ii) केन्द्रक संलयन अथवा कैरियोगेमी (Karyogamy):- यह लैंगिक जनन की द्वितीय अवस्था है। इसमें युग्मकों के दोनों अगुणित केन्द्रकों का संलयन होता है और द्विगुणित युग्मनज (Zygote) बनता है।

(iii) अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis):- यह लैंगिक जनन की तीसरी एवं अन्तिम अवस्था है। इसमें द्विगुणित केन्द्रक में अर्धसूत्री विभाजन होता है जिसके फलस्वरूप गुणसूत्रों की संख्या घटकर आधी रह जाती है।और पुनः अगुणित अवस्था प्राप्त होती है।

लैंगिक जनन के प्रकार (Types of sexual reproduction)– कवकों में लैंगिक जनन निम्न के प्रकार होते हैं-

1. चलयुग्मकी संयुग्मन (Planogametic copulation):- इस प्रकार के संयुग्मन में संलयन करते वाले युग्मक चल होते हैं तथा इन्हें चलयुग्मक (Planogamete) कहते हैं। इनके संलयन से द्विगुणित युग्मनज का निर्माण होता है । संलयित होने वाले युग्मकों की सरंचना एवं व्यवहार के आधार पर चलयुग्मको संयुग्मन तीन प्रकार का होता है-

(i) समयुग्मकी (Isogamous):- इसमें भाग लेने वाले युग्मक आकार एवं आकृति में समान होते हैं, शरीर क्रियात्मक दृष्टि से भिन्न होते हैं। ऐसे युग्मकों को समयुग्मक (Isogametes) कहते हैं।

(ii) असमयुग्मकी (Anisogamous):- इसमें भाग लेने वाले युग्मक आकारिकीय तथा शरीर क्रियात्मक दोनों तरह से भिन्न होते हैं। ऐसे युग्मकों को असमयुग्मक (Anisogametes) कहते हैं। इनमें नर युग्मक मादा युग्मक की तुलना में छोटे परन्तु अधिक सक्रिय होते हैं।

(iii) विषमयुग्मकी (Oogamous):-  इनमें भाग लेने वाले युग्मकों में से नर युग्मक चल होता है तथा मादा युग्मक (अण्ड) अचल होता है। इसमें भी युग्मक आकारिकीय तथा शरीर क्रियात्मक दोनों तरह से भिन्न होते हैं।

2. युग्मकथानीय सम्पर्क (Gametangial contact):- इसमें नर तथा मादा युग्मकधानियाँ (Gam- etangial) एक-दूसरे के सम्पर्क में आती हैं। नर युग्मकधानी (Antheridium) से केन्द्रक अथवा नर युग्मक मादा युग्मकधानी (Oogonium) में एक नलिका द्वारा या छिद्र के द्वारा स्थानान्तरित हो जाता है तथा नर एवं मादा केन्द्रकों का संलयन हो जाता है।

3. युग्मकथानीय संयुग्मन (Gametangial copulation) :- इसमें नर तथा मादा युग्मक धानियों केसम्पूर्ण पदार्थों का संलयन होता है। इस विधि में दो युग्मकधानियाँ सम्पर्क में आती हैं तथा इनके बीच की भित्ति घुल जाती हैं तथा दोनों के जीवद्रव्य एवं केन्द्रक आपस में मिल जाते हैं।

4. अचलपुंमणु युग्मन (Spermatization):- कवकों के कुछ प्रगत वंशों में लैंगिक अंगों का पूर्ण अभाव होता है। इनमें लैंगिक क्रिया अचल पुंमणु (Spermatia = नर युग्मक) तथा विशिष्ट ग्राही कवक तन्तुओं ( Recetive hyphae = मादा युग्मक) द्वारा पूर्ण होती है। अचल पुंमणु वायु, जल अथवा कीटों द्वारा ग्राही कवक तन्तु तक पहुँचते हैं तथा उससे चिपक जाते हैं। पुंमणु एवं ग्राही कवक तन्तु के मध्य की भित्ति घुल जाती हैं जिसमें पुंमणु के अन्दर का पदार्थ ग्राही कवकतन्तु में चला जाता है। पुंमणु और ग्राही कवक तन्तु के केन्द्रक बिना संलयित हुए जोड़ी बना लेते हैं, इसे केन्द्रकयुग्म (Dikaryon) कहते हैं।

5. काययुग्मन अथवा सोमेटोगेमी (Somatogamy):- कवकों के कुछ प्रगत वंशों, विशेषकर ऐस्कोमाइसिटीज एवं बेसीडियोमाइसिटीज के सदस्यों में लैंगिक अंगों का पूर्ण अभाव होता है। इन कवकों में दो सामान्य कायिक कोशिकाएँ लैंगिक जननांगों के रूप में कार्य करती हैं। इनके संलयन से दोनों कोशिकाओं के केन्द्रक पास आकर केन्द्रकयुग्म (Dikaryon) बना लेते हैं।

FAQs:-

Q. कवक रोग कैसे उत्पन्न करते हैं?

Ans:- कवक कोशिकाएं ऊतकों पर आक्रमण कर सकती हैं और कवक के कार्य को बाधित कर सकती हैं,  प्रतिरक्षा कोशिकाओं या एंटीबॉडी द्वारा प्रतिस्पर्धी चयापचय, विषाक्त मेटाबोलाइट्स (उदाहरण के लिए कैंडिडा प्रजातियां चयापचय के दौरान एसीटैल्डिहाइड, एक कार्सिनोजेनिक पदार्थ का उत्पादन कर सकती हैं)

Q. कवक रोग क्या है?

Ans:- फंगल संक्रमण, या माइकोसिस, कवक के कारण होने वाली बीमारियां हैं।

Q. कवक में किसकी कमी होती है?

Ans:- कवक में क्लोरोफिल की कमी होती है और प्रकाश संश्लेषण में संलग्न नहीं होते हैं।

इस पोस्ट में हमने कवक के लक्षण , पोषण और प्रजनन के बारे में जाना। जो परिक्षापयोगी है।

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