हम दैनिक जीवन में अक्सर जीवाणु के बारे में सुनते रहते हैं जिसे अंग्रेजी में बैक्टीरिया(Bacteria) कहते हैं। जिसे हम सभी नुकसान कारक ही मानते हैं । लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस जीवाणु के लाभ भी हो सकते हैं। इस पोस्ट में हम जीवाणुओं का आर्थिक महत्त्व (Economic Importance of Bacteria) के बारे में जानेंगे। जिसमे जीवाणु से होने वाले लाभ और हानि के बारे में बताया जा रहा है।
जीवाणुओं का आर्थिक महत्त्व (Economic Importance of Bacteria)
आर्थिक महत्व का अध्ययन हम निम्नलिखित दो शीर्षकों के अन्तर्गत करेंगे-
(A) लाभदायक जीवाणु, (B) हानिकारक जीवाणु
(A) लाभदायक जीवाणु (Useful Bacteria)
(a) कृषि के क्षेत्र में (In field of agriculture) - ये भूमि की उर्वरता को निम्नलिखित क्रियाओं के द्वाराबढ़ाते हैं—
(i) N, स्थिरीकरण द्वारा (By N2 fixation)- कुछ जीवाणु भूमि में स्वतन्त्र रूप से जैसे- क्लॉस्ट्रिडियम
(Clostridium) और ऐजोटोबैक्टर (Azotobactor) या लेग्यूमिनोसी कुल की जड़ों में जैसे- राइजोबियम
(Rhizobium) उपस्थित रहकर N, स्थिरीकरण के द्वारा भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं।
(ii) नाइट्रीकारी जीवाणु द्वारा (By nitrifying bacteria) - ये अमोनिया को नाइट्राइट और नाइट्राइट
को नाइट्रेट में बदलकर भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं। उदाहरण— नाइट्रोसोमोनास (Nitrosomonas
नाइट्रोवॅक्टर (Nitrobactor) |
(iii) मृत जीवों को सड़ाना (Decomposition of death organism) – मृत जीवों को सड़ाकर अपघटक भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं।
(b) डेयरी उद्योग में (In dairy industry)- दूध में उपस्थित लैक्टिक ऐसिड जीवाणु दूध को लैक्टोर
शर्करा को दही या लैक्टिक ऐसिड में बदलते हैं, जिससे मक्खन प्राप्त किया जाता है।
(c) सिरका उद्योग में (In vineger industry)- सिरका उद्योग में ऐसीटोबैक्टर ऐसीटी (Acetobactar
acei) जीवाणु के द्वारा शर्करा के घोल को सिरके में बदला जाता है।
(d) रेशे की रेटिंग में (In ratting of fibres)- विभिन्न पौधों के तनों के रेशों को अलग करने को रेटि
कहते हैं। जूट, पटसन, सन, अलसी इत्यादि के रेशों को, इनके पौधों को पानी में सड़ाकर प्राप्त किया जाता है
इस क्रिया में जलीय जीवाणु क्लॉस्ट्रिडियम ब्यूटीरिकम (Clostridium butyricum) कार्य करती है।
(e) तम्बाकू और चाय उद्योग में (In tobacco and tea industry )- इन दोनों उद्योगों में चाय तप
तम्बाकू की पत्तियों को जीवाणुओं के द्वारा किण्वित कराया जाता है तथा अच्छी खुशबू (Flavour), क्वालिटी के
चाय व तम्बाकू प्राप्त की जाती है। मायकोकोकस कॉण्डिसैन्स (Mycococcus condisans) द्वारा चाय क
पत्तियों पर किण्वन क्रिया द्वारा क्यूरिंग (Curing) किया जाता है।
(f) चमड़ा उद्योग में (In leather industry)- चमड़ा उद्योग में वसा आदि पदार्थों का विघटन जीवाणु
के द्वारा कराया जाता है।
(g) औषधि उद्योग में (In medicine industry)- दवा उद्योग में कुछ प्रमुख ऐण्टिबायोटिक (प्रतिजैविक
तथा कुछ प्रमुख प्रकीण्व जीवाणुओं से प्राप्त किये जाते हैं और बीमारियों को ठीक करने के लिए प्रयोग में त
जाते हैं। प्रतिजैविक (Antibiotic) सूक्ष्मजीवों (Microorganism) द्वारा उत्पन्न जटिल रासायनिक पदार्थ हैं,
दूसरे सूक्ष्मजी़ीवों को नष्ट करते हैं। जीवाणुओं द्वारा उत्पादित कुछ ऐण्टिबायोटिक निम्नलिखित हैं-
(i) पॉलिमिक्सिन (Polymyxin)- इसे बैसिलस पॉलिमिक्सा (Bacillus polymyxa) नामक ग्राम
ऋणात्मक जीवाणु से प्राप्त किया जाता है।
उपर्युक्त के अलावा कुछ जीवाणु हमारे शरीर में भी सहजीवी रूप में पाये जाते हैं। जैसे-ई. कोलाई (E,
col) हमारे आँत में विटामिन संश्लेषण का कार्य करता है। कुछ जीवाणु सड़े-गले पदार्थों को अपघटित करके
हमारी मदद करते हैं।
से प्राप्त किया जाता है।
(B) हानिकारक जीवाणु (Harmful Bacteria)
(1) बीमारियाँ (Diseases)- ये मनुष्य, जानवरों तथा पौधों में बीमारियाँ पैदा करते हैं।
(a) जन्तुओं की बीमारियाँ (Animal diseases)- सामान्यतः मनुष्य तथा दूसरे जन्तुओं के शरीर में
पाये जाने वाले परजीवी जीवाणु कोई न कोई बीमारी फैलाते हैं। कुछ प्रमुख जीवाणु रोग तथा उनके कारक
निम्नलिखित हैं-
रोग का नाम- ट्यूबरकुलोसिस (T.B.)
जानवरों के रोग
पौधों की बीमारियाँ
(2) विनाइट्रीकरण (Denitrification)- विनाइट्रीकरण वह क्रिया है, जिसमें उपयोगी नाइट्रोजन के
यौगिकों को पुनः अमोनिया और N, में बदल दिया जाता है। कुछ जीवाणु इस क्रिया के द्वारा भूमि की उर्वरा शक्ति
को कम करते हैं। कुछ जीवाणु जैसे- थायोबैसिलस डीनाइट्रीफिकेन्स (Thiopbacillus denitrificaus
और माइक्रोकोकस डीनाइट्रीफिकेन्स (Micrococus denitrificans) नाइट्रेट को स्वतन्त्र नाइट्रोजन
अमोनिया में बदल देते हैं।
(3) भोजन को विषावत करना (Food poisoning)- कुछ जीवाणुओं द्वारा भोज्य पदार्थों के उत्तयो
को विषैले पदार्थों में बदल दिया जाता है, जिससे भोजन जहरीला हो जाता है और खाने वाले की मृत्यु हो जह
है। क्लॉस्ट्रिडियम बॉटुलिनम (Clostridium botulinum) मांस एवं दूसरे अधिक प्रोटीन वाले शाकों को ऋ
कर देता है।
उपर्युक्त लाभकर तथा हानिकर क्रियाओं के आधार पर जीवाणु हमारे मित्र एवं शत्रु दोनों हैं।