विकासशील देशों की समस्याएँ (problems of developing countries)
नमस्कार, आंसर दुनिया में आपका स्वागत है। आज के इस पोस्ट में हमविकासशील देशों की समस्याओं के बारे में जानेंगे। विश्व के ऐसे देश जो लगातार विकास की दिशा में कार्य कर रहे हैं और उनका परिणाम भी दिख रहा है उन्हें विकासशील देश कहते हैं। भारत भी विकासशील देश की श्रेणी में आता है। विकास की प्रक्रिया में सबसे बड़ी समस्याअसमानता की है। असमानता ही दुनिया की व्यवस्था का नियम है यह सर्व विदित है कि दुनिया में न कभी समानता रही है और न कभी रहेगी। दुनिया के अमीर-गरीब देशों में उपर्युक्त आधारों पर असमानताएँ व्याप्त हैं। ये असमानताएँ उन्हें विकास के मार्ग पर न ले जाकर विपरीत मार्ग पर ले जा रही है।
विकासशील देशों की प्रमुख समस्याएँ-(Problems of Developing Countries | What is the biggest problem of development?)
- सामाजिक एवं सांस्कृतिक समस्याएँ
- राजनीतिक समस्याएँ
- जनसंख्या सम्बन्धी समस्याएँ
- आर्थिक समस्याएँ
- प्राविधिक समस्याएँ
- निम्न जीवन स्तर
- गरीबी का कुचक्र
- बेकारी
- मकानों की कमी
- कुपोषण की समस्या
- अकुशल श्रमिकों की प्रचुरता
- कुल प्रजनन दर एवं बढ़ती शिशु मृत्यु-दर
- कमजोर राष्ट्र
कुछ देश और क्षेत्र ज्यादा विकसित हैं, जबकि कुछ पिछड़े और कुछ विकास के रास्ते पर चलने की कोशिश कर रहे हैं। विकास का लक्ष्य रखकर अनेक देश अनेक प्रकार के प्रयास कर रहे हैं और इसलिए उन्हें विकासशील कहते हैं। विकासशील देशों के अन्तर्गत आने वाले तृतीय विश्व के देशों की अलग-अलग राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, औद्योगिक एवं कृषि सम्बन्धी समस्याएँ हैं।
विकासशील देशों की प्रमुख समस्याएँ निम्नानुसार हैं -
1. सामाजिक एवं सांस्कृतिक समस्याएँ-
विकासशील देशों में अनेक सामाजिक,सांस्कृतिक कुरीतियाँ पायी जाती हैं। स्त्रियों का दर्जा पुरुष से नीचे होता है। पुरुष और स्त्रियाँ अशिक्षित होते हैं। सम्पूर्ण समाज उच्च, मध्य, एवं निम्न वर्गों में बँटा होता है। बाल-विवाह, बहु-विवाह, पर्दा-प्रथा, विधवा एवं छुआ-छूत जैसी अनेक सामाजिक रूढ़ियों के कारण वातावरण विषाक्त होता है।
2.राजनीतिक समस्याएँ-
विकासशील देशों को राजनीतिक स्थिति अत्यन्त कमजोर होती है। इन देशों में अशिक्षा एवं निर्धनता के कारण राजनीतिक जागरुकता नहीं होती। अधिकांश देश स्वतंत्रता के कारण शोषित होते रहते हैं। सभी देश अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में समान हितों की रक्षा के लिए परामर्श करते हैं।
3.जनसंख्या सम्बन्धी समस्याएँ-
विकासशील देशों को जनसंख्या से उत्पन्न समस्याओं से जूझना पड़ता हैइन देशों में जनसंख्या वृद्धि दर एवं जनसंख्या का घनत्व अधिक है। जन्म एवं मृत्यु-दर अधिक है। इन देशों में कार्य शौल जनसंख्या की जगह आश्रित जनसंख्या अधिक है, यही कारण है कि लोगों का जीवन-स्तर निम्न है। जन संख्या अधिक होने से बेकारी एवं निर्धनता से ये देश संत्रस्त होते हैं।
4.आर्थिक समस्याएँ-
विकासशील देशों में अशोपित या अर्द्धशोषित प्राकृतिक साधन समान रहते हैं। विकासशील देशों में पूँजी में कमी आय की न्यूनता, बड़े पैमाने पर उद्योगों का अभाव, कृषि पर निर्भरता, धन एवं आय के वितरण की असमानता, बेरोजगारी एवं वित्तीय संस्थाओं का अभाव जैसी समस्याएँ मौजूद होती हैं। इन समस्याओं के चलते विकास की गति धीमी होती है। इससे अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। जैसे-कुपोषण की समस्या।
5.प्राविधिक समस्याएँ-
विकासशील देशों के | निवासियों में प्राविधिक ज्ञान का अभाव होता है। अशिक्षा तकनीकी विकास में बाधक होती है एवं तकनीकी विकास के लिए उचित वातावरण भी नहीं होता है।
इसके अतिरिक्त कुछ अन्य समस्याएँ भी हैं जो निम्न हैं-
6.निम्न जीवन स्तर
7.गरीबी का कुचक्र
8.बेकारी
9.मकानों की कमी
10.कुपोषण की समस्या
11.अकुशल श्रमिकों की प्रचुरता
12.कुल प्रजनन दर एवं बढ़ती शिशु मृत्यु-दर
13.कमजोर राष्ट्र.
इस पोस्ट में विकासशील देशों की समस्याएँ-मानव विकास प्रतिवेदन-विकास की सबसे बड़ी समस्या क्या है? यह समस्या किन-किन आधारों पर है। अथवा विकासशील देशों की प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए। अथवा विकासशील देशों की प्रमुख समस्याएँ क्या हैं? के बारे में जाना।
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