प्रोटीन का वर्गीकरण (classification of proteins)

प्रोटीन का वर्गीकरण (classification of proteins)

नमस्कार, आंसर दुनिया में आपका स्वागत है। प्रोटीन का वर्गीकरण को को हम इस पोस्ट में विस्तृत रूप में जानेंगे प्रोटीन के वर्गीकरण से जुड़े कई प्रश्न अक्सर परीक्षा में पूछे जाते हैं ।

प्रोटीन, जैविक स्थूलअणुओं के एक महत्वपूर्ण वर्ग हैं जो सभी जैविक अवयवों में मौजूद होते हैं और मुख्य रूप से कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, आक्सीजन और सल्फर तत्वों से बने होते हैं। सभी प्रोटीन, अमीनो एसिड के बहुलक हैं। अपने भौतिक आकार द्वारा वर्गीकृत किए जाने वाले प्रोटीन, नैनोकण हैं (परिभाषा: 1-100 nm). प्रत्येक प्रोटीन बहुलक - जिसे पॉलीपेप्टाइड के रूप में भी जाना जाता है - 20 अलग-अलग L-α अमीनो एसिड के अनुक्रम से बने होते हैं, जिन्हें अवशेष के रूप में भी उद्धृत किया जाता है। 40 अवशेषों के अंतर्गत श्रृंखला के लिए प्रोटीन के बजाय अक्सर पेप्टाइड शब्द का प्रयोग किया जाता है।
classification of proteins

प्रोटीनों का वर्गीकरण (Classification of Proteins)

प्रोटीन को भौतिक गुणों तथा विलेयता के आधार पर निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है -


(1) साधारण प्रोटीन (Simple proteins) -

इनमें केवल ऐमीनों अम्ल अवयव होते हैं, अत : इनका जल अपघटन करने से केवल ऐमीनो अम्ल प्राप्त होते हैं। इनको पुनः निम्नालिखित वर्गों में विभाजित किया गया है-

(i) ऐल्ब्यूमिन (Albumins) - ये जल, अम्ल तथा क्षार में विलेय होते हैं। गर्म करने पर इनका स्कन्दन हो जाता ह। अमोनियम सल्फेट विलयन से इनका अवक्षेपण हो जाता है।

उदाहरण- सीरम ऐल्ब्यूमिन (Serum albumin) रक्त में, लेक्ट ऐल्ब्यूमिन (Lect albumin) दूध में, एग ऐल्ब्यूमिन (Egg albumin) अण्डे में।

उदाहरण- ऊतक ग्लोब्यूलिन (Tissue's globulin) तथा वनस्पति ग्लोब्यूमिन (Vegetable globulin) बीज में। 

(ii) ग्लूटेलिन (Glutelines) - ये जल तथा लवण विलयन में अविलेय परन्तु अम्लों व क्षारों में विलेय हैं। गर्म करने पर इनका स्कन्दन हो जाता है। 
उदाहरण- ग्लूटेनिन (glutenin) गेहूँ में तथा ओरिजेनिन (oryzenin) चावल में। 

(iii) प्रोलामीन (Prolamines) - ये जल तथा लवण विलयन में अविलेय किन्तु तनु अम्लों, क्षारकों और 70-90% ऐल्कोहॉल में विलेय है। 

उदाहरण - जीन (Zein) मक्का में, ग्लाइडीन (gliadin) गेहूँ में तथा होरडीन (hordein) जौ में।

(iv) हिस्टोन (Histones) - ये जल, तनु अम्लों में। बिलेय है, किन्तु क्षारों में अविलेय हैं। गर्म करने पर इनका स्कन्दन नहीं होता। ये हीमोग्लोबिन तथा न्यूक्लियोप्रोटीन पाये जाते हैं। 

(v) प्रोटामीन (Protamines) - ये जल, तनु अम्ने तथा अमोनिया में विलय हैं। गर्म करने पर इसका स्कन्दन नाही होता। ऐल्कोहॉल विलयन में इनका अवक्षेपण हो जाता हैयह भी न्यूक्लियो-प्रोटीन में पाया जाता है तथा क्षारकीय है।

(vi) स्क्लेरोप्रोटीन (Scleroproteins) - ये जल तथा लवण विलयन में अविलेय हैं, किन्तु प्रबल अम्लों क्षारों में विलेय हैं। ये एन्जाइम द्वारा अप्रभावित रहते हैं।

उदाहरण- 

(a) केरोटीन (Keroteins) - यह बाल नाखुनों तथा सींगों में पाया जाता है।

(b) फाइब्रोइन (Fibroin) - सिल्क में तथा कोलेजन (Collagen) त्वचा और हड्डियों में पाया जाता है। 

पढ़ें- भौतिक विज्ञान का सामान्य परिचय।

(2) संयुग्मित प्रोटीन (Conjugated proteins) -

इनमें ऐमीनो अम्ल के अतिरिक्त कोई अन्य अवयव भी रहता है। ऐमीनो अम्ल के अवयव के अतिरिक्त जो दूसरा भाग होता है, उसे प्रोस्थेटिक समूह (Prosthetic group) कहा जाता है।

संयुग्मित प्रोटीनों को पुनः निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जाता है-

(i) न्यूक्लियोप्रोटीन (Nucleoproteins) - इनमें ऐमीनो अम्ल के अतिरिक्त न्यूक्लिक अम्ल (Nucleicacid) प्रोस्थेटिक समूह रहता है। ये मन्द अम्लीय होते हैं। ये जल, लवण विलयन तथा शारों में विलेय होते हैं। ये कोशिका (Cell) के न्यूक्लियस में रहते हैं।

(ii) फॉस्फोप्रोटीन (Phosphoproteins)- इनमें प्रोस्थेटिक समूह फॉस्फोरस अम्ल होता है। ये जल में अविलेय किन्तु क्षारों में विलेय होते हैं। क्षारीय विलयन में अन्त मिलाने पर इनका अवक्षेपण हो जाता है। 

उदाहरण- 

(a) केसीन (Casein) - यह दूध में। पाया जाता है। 

(b) विटेलीन (Vitelline) - यह अण्डे में पाया जाता है। 

(iii) ग्लाइकोप्रोटीन (Glycoprotein) - इनमें प्रोस्थेटिक समूह फॉस्फोरस अम्ल होता है। ये अम्लीय प्रकृति के होते हैं तथा क्षारों में विलेय होते हैं। ये अण्डे की सफेद तथा जेलीफिश में पाये जाते हैं। 

(iv) क्रोमोप्रोटीन(Chromoprotein) - इनमें स्थेटिक समूह पाइरोल होता है। इनमें Fe,Cu, Ms Coजैसी धातुएँ भी होती है, जिसके कारण यह रंगीन होता 

उदाहरण-

(a) हीमोग्लोबिन (Haemoglobin) - यह रक्त में पाया जाता है।

(b) क्लोरोफिल (Chlorophyll) - यह पौधों में पाया जाता है। 

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(3) व्युत्पन प्रोटीन (Derived protein) -

ये प्रोटीन के निम्नाकृत (Degraded) यौगिक हैं तथा प्रोटीन का अम्ल, क्षार तथा एन्जाइम द्वारा जल-अपघटन करने से प्राप्त होते हैं। 

ये निम्नलिखित प्रकार के होते हैं -

(i) विकृत अथवा स्कन्दित प्रोटीन (Denatured or Coagulated proteins) - ये जल में अविलेय हैं तथा ऊष्मा के प्रभाव से बनाये जाते हैं। 

(ii) प्राथमिक प्रोटिओसेस (Primary proteoses) - ये जल में अविलेय परन्तु अम्लों और क्षारों में विलेय होते हैं। ये प्रोटीन पर क्षार की अभिक्रिया द्वारा बनते हैं। 

(iii) द्वितीयक प्रोटिओसेस (Secondary pro teoses) - ये जल तथा लवण विलयन में अविलेय हैं तथा ऊष्मा द्वारा स्कन्दित नहीं होते। ये HCI या H.SO, द्वारा जल-अपघटन करने से बनते हैं। 

(iv) पेप्टोन (Peptones) - ये जल में विलेय हैं तथा ऊष्मा द्वारा स्कन्दित नहीं होते। ये बाइयूरेट परीक्षण देते हैं। इन्हें HCI अथवा HASO, द्वारा जल-अपघटन करके बनाते हैं।

(v) पेप्टाइड (Peptide) - ये जल में विलेय हैं तथा ऊष्मा द्वारा स्कन्दित नहीं होते। ये बाइयूरेट परीक्षण नहीं देते हैं। इन्हें भी HCI अथवा H.So, द्वारा जल-अपघटन से बनाया जाता हैं।

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