मरुद्भिद पौधो के प्रकार व अनुकूलन के प्रकार (Xerophytes Plants )

मरुद्भिद पौधे क्या हैं? (What is Xerophytes Plants )

नमस्कार, आंसर दुनिया में आपके स्वागत है। इस पोस्ट में हम मरुद्भिद पौधे क्या हैं, मरुद्भिद पौधे के प्रकार व मरुद्भिद अनुकूलन के प्रकार के बारे में जानेंगे। मरुद्भिद पौधे ऐसे पौधे होते हैं जो कि भौतिकी (Physically) या कार्यिकीय (Physiologically) रूप से जल की कमी अर्थात् शुष्क वातावरण वाले क्षेत्रों में वृद्धि करते हैं, मरुद्भिद (Xerophytes) कहलाते हैं। अर्थात् ये शुष्क पारिस्थितिक स्थिति में उगने के लिए अनुकूलित होते हैं। मरुस्थलीय प्रदेशों में ऐसे पौधे ज्यादातर पाए जाते हैं। मरुद्भिद पौधे आकार में बहुत छोटे और बहुत समय तक जीवित रहने वाले होते हैं।

Xerophytes Plants



जीवन-चक्र के आधार पर मरुद्भिद को निम्न प्रकारों में विभेदित किया जा सकता है- 

1. अल्पकालिक या जलाभाव पलायनी मरुद्भिद (Ephemerals or Draught-Escapers)-

इस प्रकार के मरुद्भिद अपना जीवन-चक्र बहुत छोटी अवधि में पूर्ण कर लेते हैं। शुष्क मौसम के प्रभाव से बचने के लिए ये अदृश्य हो जाते हैं तथा बीजों को मुक्त कर देते हैं। उदाहरण - रेंगनी (Solanum Xanthocarpus), पीली कंटेरी (Argemone Mexicana), चरौटा (Cassia tora) आदि।

2. मांसलोभिद (Succulents or Fleshy Xerophytes)- 

जल तथा भोज्य पदार्थों को संचयित कर शुष्क वातावरण में वृद्धि करने वाले पौधे मांसल मरुद्भिद या शुष्कता सहनशील पौधे (Drought avoiding xerophytes) कहलाते हैं। उदाहरण— नागफनी (Opuntia), कैक्टस (Cactus), पत्थरचट्टा (Bryophyllum) आदि। 

3. अमांसल मरुद्भिद (Non-succulent Xerophytes)- 

इन्हें सत्य मरुद्भिद अथवा जलाभाव सह पौधे (Drought Avoiding Xerophytes) कहते हैं। ये मरुस्थल (Desert) प्रकृति वाले क्षेत्रों में मिलते हैं। उदाहरण- बबूल (Acacia), आक (Calotropis), कैपेरिस (Capparis), प्रोसोपिस (Prosopis)।

अनुकूलन के कारण (Causes of Adaptation):-

मरुद्भिद ऐसी स्थिति में वृद्धि करते हैं, जहाँ अधिक अवधि के लिए उपापचयिक रूप से सक्रिय पानी की कमी होती है। ऐसे पौधों में निम्नलिखित प्रक्रियाओं के लिए अनुकूलन पाया जाता है 

  • जल के अवशोषण के लिए। 
  • ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी के संग्रहण के लिए। 
  • वाष्पोत्सर्जन की दर को कम करने के लिए। प्रकाश को परावर्तित करने के लिए। 

मरुद्भिद अनुकूलन  के प्रकार (Types Of Xerophytes):-

मरुद्भिद पौधो के अनुकूलताओं के प्रकार मुख्य रूप से तीन प्रकार के पाए जाते हैं, जो निम्न हैं-

(A) आकारिकीय अनुकूलन (Morphological Adaptation)-

  1. मरुद्भिद पौधों में जड़ तंत्र काफी गहराई (65-129 feet) तक फैली होती है तथा भू-जल (Ground water) को अवशोषित करने की क्षमता रखती है। उदाहरण- प्रोसोपिस (Prosopis), एल्गी (Alagi), अल्फाल्फा (Alfalfa)
  2. दीर्घ जड़ तंत्र न होने की स्थिति में जड़ मृदा के ऊपरी हिस्सों में ही काफी दूरी तक फैली हो सकती है। उदाहरण-ओपन्शिया (Opuntia), यूफॉर्बिया (Euphor bia) आदि।
  3. मूल रोम चिरस्थायी प्रकृति वाले होते हैं। 
  4. वायवीय अंग अपेक्षाकृत कम विकसित होते हैं। 
  5. न्यूनतम प्रकाश के अवशोषण हेतु पत्तियाँ ऊर्ध्व सजी रहती हैं। 
  6. कुछ पौधों की पत्तियाँ दिन में मुड़कर वाष्पोत्सर्जन की दर को कम कर देती हैं। उदाहरण-पोआ प्रेटेन्सिय. (Poa pratensis), एम्मोफिला (Ammophila)
  7. पत्तियाँ या तो अत्यधिक छोटी या मोटी, चर्मिल या सूच्याकार (Needle shaped) होती हैं। 
  8. पत्तियाँ वर्षा ऋतु तक पौधों से जुड़ी रहती हैं तथा गर्मी आने तक सभी पत्तियाँ झड़ जाती हैं। उदाहरण— कैपेरिस डेसिड्यूआ (Capparis decidua)

(B) आंतरिक अनुकूलन (Anatomical Adapta tion)-

  1. बाह्यत्वचा (Epidermis) के ऊपर सुस्पष्ट एवं मोटी क्यूटिकल की परत होती है। साथ ही साथ एपिडर्मिस पर मोम (Wax) या रोम (Hairs) की अतिरिक्त परत होती है। उदाहरण—निफैलियम (Gnephalium) में रोम, आक (Calotropis) में मोम की परत। 
  2. पत्तियों तथा अन्य वायवीय अंगों में गर्ती रन्ध्र (Sunken Stomata) पाये जाते हैं। 
  3. पेलिसेड ऊतक पूर्ण विकसित होते हैं, साथ ही साथ इनमें अन्तरकोशिकीय अवकाश (Intercellular spaces) नहीं पाये जाते हैं।
  4. कॉर्टेक्स (Cortex) की कोशिकाएँ क्लोरेनकायमेटस होती हैं। 
  5. म्यूसिलेडा या रेजिन कोशिका या नलिका (Ducts) पत्तियों में या तने में उपस्थित होते हैं। 
  6. पत्तियों में दृढ़ोत्तक कोशिकाओं की बनी अध : त्वचा (Hypodermis) होती है। 
  7. संवहन पूल (Vascular Tissue) सुविकसित होते हैं।
  8. यांत्रिक ऊतक यथा स्थूलोत्तक (Collenchy matous) तथा दृढ़ोत्तक (Sclerenchymatous) कोशिकाएँ काफी अधिक मात्रा में होते हैं। 
  9. लैटेक्स युक्त ऊतक तथा अन्य ग्रंथिकीय ऊतक प्रायः उपस्थित होते हैं। उदाहरण- आर्जिमोन (Argemone), यूफॉर्बिया (Euphorbia) आदि। 
  10. जायलम वाहिकाएँ (Xylem Vessels) बड़े व्यास (Large diameter) वाले होते हैं।

(C) कार्यिकीय अनुकुलतायें (Physiological Adaptations) 

  1. इन पौधों में वाष्पोत्सर्जन की दर अपेक्षाकृत कम होती है। 
  2. इन कोशिकाओं का परासरण दाब उच्च होता है क्योंकि कोशिकाद्रव्य में विलेय की मात्रा अधिक अर्थात् सान्द्रता अधिक होती है। 
  3. अल्प रन्ध्रीय आवृत्ति या अन्य रूपान्तरणों के कारण शुष्कन की स्थितियों का प्रभाव कम होता है।

इस पोस्ट में मरुद्भिद पौधो के प्रकार व अनुकूलन के प्रकार के बारे में जाना। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में मरुद्भिद पौधे से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं।

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