अनुवाद क्या है ? अनुवाद के रूप, विशेषतायें और उद्देश्य (What is translation in Hindi)

अनुवाद क्या है ? इसके कितने रूप हैं ?  anuvad kya hai 


नमस्कार, आंसर दुनिया में आपका स्वागत है। आज के इस आर्टिकल में हम अनुवाद -अर्थ , विशेषताएं ,प्रकार और अनुवाद के उद्देश्य के बारे में विस्तार से जानेंगे। अनुवाद संस्कृत के 'अनु' तथा 'वाद' शब्द से बना है 'वाद' 'वद्' धातु से बना है जिसका अर्थ होता है कहना या बोलना 'वाद' का अर्थ है 'कही हुई बात' अनु उपसर्ग लग जाने से अर्थ हुआ 'कही हुई बात को कहना' अनुवाद कहते हैं। अनुवाद दो भिन्न-भिन्न भाषी लोगों के मध्य संपर्क का साधन बनता है । विभिन्न परीक्षाओं में भी अनुवाद से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।

अनुवाद क्या है ? अनुवाद को कई लोगो ने अपने अनुसार अनुवाद को परिभाषित किया है जो नीचे दिया गया हैं.

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अनुवाद क्या है?(What is translation)

अनुवाद भाषाओं के बीच संप्रेषण की एक प्रक्रिया है। अनुवाद का शाब्दिक अर्थ है कि किसी के कहने के बाद कहना या पुनः कथन या कह सकते है उसे दोहराना जैसे कोई इंग्लिश में बोल रहा है उसे हिंदी में अनुवाद करना। ट्रांसलेशन(अनुवाद) शब्द अंग्रेजी के ट्रांस और लेशन के सहयोग से बना है जिसका अर्थ होता है पार ले जाना।

देवेन्द्रनाथ शर्मा : ‘विचारों को एक भाषा से दूसरी भाषा में रूपान्तरित करना अनुवाद है।’

विश्व में अनेक भाषाएँ प्रचलित हैं। हमें एक-दूसरे के विचारों एवं भावों को समझने की आवश्यकता - महसूस होती है। यह कार्य अनुवाद के द्वारा सम्भव हो पाता है। अनुवाद के द्वारा एक भाषा बोलने और जानने वाला व्यक्ति, दूसरी भाषा बोलने और जानने वाले तक अपने विचारों का सम्प्रेषण सहजता से कर सकता है। अंग्रेजी के प्रसिद्ध भाषाविद जे. सी. केटफर्ड के अनुसार “अनुवाद एक भाषा (स्रोत भाषा) की मूल पाठ सामग्री का दूसरी भाषा (लक्ष्य भाषा) में समानार्थक मूल पाठ सामग्री का स्थानापन्न हैं 

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अनुवाद इसके तीन रूप प्रकट होते हैं 

(1) शाब्दिक अनुवाद - इसमें मूल भाषा या स्रोत की शब्द - योजना, वाक्य विन्यासादि का दूसरी भाषा या लक्ष्य भाषा में लगभग ज्यों का त्यों अनुवाद किया जाता है। इसे शाब्दिक अनुवाद की संज्ञा दी जाती है। 

(2) भाषानुवाद - इसके अन्तर्गत मूल भाषा या स्रोत भाषा की शब्द - योजना, वाक्य-विन्यास आदि को दृष्टि में न रखकर शब्दों एवं वाक्यों में निहित मूल भाव पर विशेष ध्यान रखा जाता है तथा अनुवाद किया जाता है। 

(3) रूपान्तर- अनुवाद के इस स्वरूप के अन्तर्गत अनुवादक मूलभाषा या स्रोत भाषा के समस्त कथन को दूसरी भाषा या लक्ष्य भाषा में अनुदित करने के लिए उसमें यथेष्ट परिवर्तन कर देता है। इसमें अनुवादक की रुचि एक प्रकार से हावी हो जाती है।

अनुवाद के उद्देश्य?(purpose of translation)

अनुवाद के मुख्यतः तीन उद्देश्य हैं 

(1) दूसरी भाषा के साहित्य से अपनी भाषा-साहित्य को समृद्ध करना । 

(2) दूसरी भाषाओं की शैलियों, मुहावरों, दार्शनिक तथ्यों, वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान की प्राप्ति करना 

(3) विचार विनिमय

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अनुवाद की आवश्यकता (translation needed) - 

संसार में अनेक मानव समुदाय हैं एवं सैकड़ों भाषाएँ हैं। मानव समुदायों अनुवाद की आवश्यकता को एक-दूसरे को समझने एवं निकट आने की दिशा में इनकी भाषाएँ बाधा उपस्थित करती हैं। इस बाधा को दूर करने और एक मानव समुदाय की ज्ञान-विज्ञान की उपलब्धि को सम्पूर्ण मानवता के लिए सुलभ कराने का महत्वपूर्ण कार्य अनुवाद के द्वारा ही सम्पन्न होता है। 

अनुवाद के द्वारा एक भाषा को बोलने और जानने वाले, दूसरी भाषा बोलने और जानने वालों तक अपने भावों और विचारों का सम्प्रेषण कर सकते हैं। आज का युग ज्ञान-विज्ञान के विकास का युग है। मानव नित नये आविष्कार कर रहा है। इस युग में ज्ञान राशि किसी एक मानव समुदाय तक सीमित होकर नहीं रह सकती। उसे विश्वव्यापी होना ही है और यह कार्य अनुवाद द्वारा पूर्ण होता है। इस दृष्टि से विचार करने पर अनुवाद की महती आवश्यकता और उसके निर्विवाद महत्व से इंकार नहीं किया जा सकता है। 

आज अनुवाद ऐसी आवश्यकता बन गया है जो विश्व के विविध मानव समुदायों को परस्पर जोड़ने और ज्ञान-विज्ञान को मानव मात्र के लिए सुलभ कराने का एक मात्र उपाय है। 

लक्ष्य भाषा एवं स्रोत भाषा में अन्तर - लक्ष्य भाषा वह भाषा है, जिसमें अनुवाद किया जाता है। स्रोत भाषा वह भाषा है, जिसकी पाठ्य सामग्री का अनुवाद किया जाना है।

अनुवाद की विशेषताएं (Features of translation)

एक अच्छे अनुवादक के गुण या विशेषताएँ निम्नलिखित हैं के 

(1) स्रोत भाषा की सामग्री को लक्ष्य भाषा में सावधानीपूर्वक प्रस्तुत करने की क्षमता होनी चाहिए। 

(2) अच्छे अनुवाद के लिए अभिव्यक्ति सुबोध, प्रांजल और प्रवाहमयी होती है। 

(3) अनुवाद मूलत : भावानुवाद होना चाहिए, शाब्दिक रूपान्तरण भर नहीं । 

(4) एक अच्छे अनुवाद में मूल रचना की भाषा-शैली सुरक्षित होना चाहिए |  

(5) अनुवाद की भाषा स्रोत भाषा की प्रकृति के अनुसार होनी चाहिए। अत : अनुवादक को स्रोत भाषा की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से परिचित होना चाहिए। 

(6) अच्छे अनुवाद की भाषा सुबोध होनी चाहिए, जिससे कि आसानी से समझ में आ सके। 

(7) अनुवाद की प्रक्रिया में स्रोत भाषा की प्रतीक व्यवस्था को लक्ष्य भाषा के अनुरूप परिवर्तित करना होता है, इसलिए स्रोत भाषा के समानार्थी प्रतीक ही लक्ष्य भाषा में खोजना चाहिए। 

(8) अनुवाद जीवन्त हो तथा उसकी भाषा में प्रवाहमयता हो । 

(9) शब्दों को स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा में रूपान्तरित करते समय उसके लिंग, वचन और व्याकरणिक रूपों की संगति का ध्यान रखना आवश्यक है। 

(10) एक अच्छा अनुवादक वह होता है, जिसे स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा पर पूरा अधिकार हो । दोनों भाषाओं की संरचनात्मक बनावट, पदबंध-प्रयोग, वाक्य गठन आदि को अच्छी तरह समझता हो ।

(11) अनुवादक को संदेह निवारणकर्ता होना चाहिये  अनुवादक के सामने बहुत सारे समस्याएंआते है जिसका  निवारण करने की क्षमता होनी चाहिये.

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अनुवाद के क्षेत्र (field of translation)

अनुवाद का क्षेत्र आज के समय में बहुत ज्याद उपयोग में लाया जा रहा है अनुवाद हम हर क्षेत्र में उपयोग किया जाता है सायद ही कुछ क्षेत्र बचा होगा जिसमे अनुवाद का का उपयोग न हो अनुवाद के क्षेत्र जैसे - कोर्ट में मनोरंजन में, शिक्षा में साहित्य में और खेलो में क्षेत्र में अनुवाद का उपयोग होता ही है कुछ अनुवाद के क्षेत्र है निचे दिया गे है.

1. न्यायालय (कोर्ट) में - 

अभी के समय लोग मॉडर्न हो गये हैं सभी जगह इंग्लिश का उपयोग होता है और होता ही  रहेगा लेकिन बहुत से ऐसे लोग जिनको इंग्लिश बोलने, समझाने, और सिखने में बहुत सारी मुसीबतों का सामना करना पढता है इससे निजाद पाने के लिए अनुवादक का उपयोग करते है.

2. शिक्षा के क्षेत्र में -

एजुकेशन आज के समय में हर मनुष्य होना ही चाहिये शिक्षा के क्षेत्र में स्टूडेंट को इंग्लिश सब्जेक्ट को लेकर थोड़ी बहुत चिंता तो रहता है खास कर मेडिकल लाइन पूरा इंग्लिश का उपयोग होता है इसी को आसन बनाने के लिए अनुवाद (Translation) का उपयोग किया जाता है.

3. सरकारी कार्यालय - 

आजादी से पहले अंग्रेजो का शासन था और उस समय अंग्रेजी का दौर था अंग्रेजो के जाने के बाद हमारी मातृभाषा हिंदी को जगह मिली साथ ही सरकारी कार्यालय में दस्तावेज़ का हिंदी अनुवाद जरुर हो गया है अब सभी सरकारी कार्यालय में अनुवाद चलता है.

4. खेलो में क्षेत्र -

हमारे देश में अलग अलग तरह के खेल खेले जाते है और अलग अलग भाषा में होता है उस भाषा को समझने के लिए अनुवाद की जरुर पढ़ती है. 

अनुवाद की पूरी जानकारी आपके ऊपर जाना अनुवाद का आज के समय में बहुत ज्यादा उपयोग में लाया जाता है और आगे भी अनुवाद चलते रहेगा. आज के जानकारी भरी जानकारी हमने अपने जाना नुवाद क्या है ? अनुवाद के उद्देश्य, अनुवाद कि आवश्यकता, अनुवाद के क्षेत्र, इन सब के बारे में ऊपर बिलकुल सरल शब्दों में जाना.

आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगी ,अगर आपको आर्टिकल पसंद आये तो आर्टिकल को शेयर जरुर करें।

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FAQs

1. अनुवाद क्या है अनुवाद के प्रकार लिखिए?

अनुवाद के प्रकारों का विभाजन दो तरह से किया जा सकता है। पहला अनुवाद की विषयवस्तु के आधार पर और दूसरा उसकी प्रक्रिया के आधार पर उदाहरण के लिए विषयवस्तु के आधार पर साहित्यानुवाद कार्यालयी अनुवाद, विधिक अनुवाद, आशुअनुवाद, वैज्ञानिक एवं तकनीकी अनुवाद, वाणिज्यिक अनुवाद आदि

2. किसी सरकारी कार्यालय में कौनसा अनुवाद किया जाता है?

कार्यालयी हिन्दी का प्रयोग सरकारी, अर्ध-सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों में काम-काज में होता है जहाँ हिन्दी में मसोदा लेखन, टिप्पणी लेखन, पत्राचार, संक्षेपण, प्रतिवेदन, अनुवाद आदि करना पड़ता है। प्रशासनिक भाषा और बोलचाल की भाषा में पर्याप्त अन्तर पाया जाता है।

3. सरकारी कामकाज की भाषा कौन सी है?

सरकारी कामकाज में हिन्दी का प्रयोग जरूरी है। 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने हिन्दी भाषा को भारत संघ की राजभाषा के रूप में मान्यता दी ।

4. हमारे देश की राष्ट्रीय भाषा कौन सी है?

भारतीय संविधान में भारत की कोई राष्ट्र भाषा नहीं है। सरकार ने 22 भाषाओं को आधिकारिक भाषा के रूप में जगह दी है। जिसमें केन्द्र सरकार या राज्य सरकार अपने जगह के अनुसार किसी भी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में चुन सकती है। केन्द्र सरकार ने अपने कार्यों के लिए हिन्दी और रोमन भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में जगह दी है।

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