विसरण एवं परासरण में अंतर (difference between diffusion and osmosis in Hindi)
visran aur parasaran mein antar पौधो की यांत्रिकी में से प्रमुख क्रियाओ में से एक हैं. विसरण एवं परासरण में अंतर मुख्यत उनकी विशेषताओ पर निर्भर करती हैं. इस आर्टिकल में आपको विसरण एवं परासरण में अंतर बताए गए हैं और विसरण एवं परासरण का महत्त्व को भी बताया गया हैं.
विसरण (Diffusion)-
"वह कार्यिक प्रक्रिया जिसमें द्रव(Liquid) ठोस(Solid) गैस(Gas) के अणुओं की, अधिक सान्द्रण वाले क्षेत्र से कम सान्द्रण वाले क्षेत्र की ओर गति होती है तथा वह तब तक होती है, जब तक कि पदार्थ के अणु उपस्थित स्थान में समान रूप से न फैल जाए, विसरण (Diffusion) कहलाता है।"
परासरण (Osmosis) -
"यह विशिष्ट प्रकार के कार्यिकी प्रक्रिया है, जिसमें विलायक के अणुओं का एकरेखीय प्रवाह उसके उच्च सान्द्रण से निम्न सान्द्रण वाले क्षेत्र की ओर होता है, परासरण (Osmosis) कहलाता है।"
विसरण एवं परासरण में अंतर (difference between diffusion and osmosis)-
- किसी पदार्थ के अणुओं या आयनों के विसरित होने की सम्भावना को विसरण दाब (Diffusion Pressure) कहते हैं।
- दो निरन्तर स्थित कोशिका के बीच विलयन के कारण उपस्थित दाब भिन्नता (Pressure Difference), जिसके कारण जल का अन्तर्ग्रहण कोशिकाओं के बीच सम्भव होता है, विसरण दाब न्यूनता (Diffusion Pressure Deficit : DPD) कहलाता है। जिस विलयन में विलेय के अणुओं की जितनी अधिक मात्रा होगी, उसके विसरण दाब न्यूनता का मान उतना ही अधिक होगा।
- अर्थात् किसी विलायक का विलयन में विसरण दाब, शुध्द विलायक के विसरण दाब से सदैव कम होता है। विसरण दाब न्यूनता (DPD) वास्तव में विलयन की जल अवशोषक क्षमता होती है। दूसरे शब्दों में विलयन में विलायक का विसरण दाब शुद्ध विलायक की अपेक्षा जितना कम होता है, उसे विसरण दाब न्यूनता (DPD) कहते हैं।
- प्रयोगशाला में हम एक बीकर में जल लेकर उसमें पोटैशियम परमैंग्नेट (KMnOA) के कण या दुधिया (CuSO4) के कण डालकर इसका प्रदर्शन कर सकते हैं। विलायक में डाले जाने के बाद ये कण सारे विलायक में फैल जाते हैं।
- विसरण के क्रम में एक ही समय में विलेय तथा विलायक के अणुओं की गति जारी रहती हैं तथा दोनों प्रकार अणु एक समय में एक-दूसरे के विपरीत गति करते । हैं। यह आयनों के द्विरेखीय गति वाला भौतिक क्रिया है।
विसरण की दर निम्नलिखित परिस्थितियों में बढ़ जाती हैं
- जब विसरण दाब प्रवणता (diffusion pres sure gradient) काफी अधिक होती है।
- जब विलयन का तापमान (temperature) बढ़ा दिया जाता है।
- जब विलयन करने वाले पदार्थ के कणों का घनत्व (density) कम होती है।
- वह माध्यम जिसमें विसरण क्रिया होती है, उसकी सान्द्रता (concentration) कम होती है।
विसरण का महत्व (Importance of Diffusion):-
- पौधे के वायवीय भागों द्वारा जल का जलवाष्प के रूप में निष्कासन या वाष्पोत्सर्जन की क्रिया विसरण की प्रक्रिया पर निर्भर करती है।
- श्वसन एवं प्रकाश संश्लेषण जैसी अभिक्रियाओं के दौरान होने वाला गैसीय आदान-प्रदान विसरण द्वारा होता है।
- कुछ पौधों के पुष्पों, पत्तियों में उपस्थित वाष्पशील एरोमैटिक पदार्थों की वायु में विसरण के कारण सुगन्ध चारों तरफ फैल जाती है। यह सुगन्ध प्रायः परागकर्ता (Pollina tor) को आकर्षित करने हेतु होती है।
- आयन विसरण को प्रक्रिया के तहत आयन निष्क्रिय लवण परिवहन (Passive Uptake) आसानी से अवशोषित होते हैं।
- यह प्रक्रिया कार्बनिकों विलेयों के रूप में भोज्य पदार्थों के संवहन में सहायता करता है।
परासरण का महत्त्व (Importance Of Osmosis):-
- परासरण को प्रक्रिया के लिए अर्द्धपारगम्य. झिल्लो का होना अति आवश्यक होता है।
- यह केवल तरल विलायक के अणुओं के द्वारा सम्पन्न की जाती है।
- इस क्रिया में विलायक के अणु एक विलयन से दूसरे विलयन में जाते है। यह क्रिया विलेय के विभव (Solute Potential) पर पूर्णत : आश्रित होता है।
- इस क्रिया को दर विलयन में विलेय या उसी के जैसे अन्य पदार्थों के अणुओं पर निर्भर करती है।
- परासरण क्रिया के द्वारा तन्त्र के दोनों ओर विलायकों की सान्द्रता को बराबर नहीं किया जाता है।
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इस लेख में हमने visran aur parasaran mein antar में अंतर के बारे में जाना । विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में इनसे जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं।
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