माइकोप्लाज्मा क्या हैं? (What is mycoplasma in Hindi)

माइकोप्लाज्मा (Mycoplasma) क्या हैं ? माइकोप्लाज्मा की संरचना (mycoplasma kya hai in hindi)

नमस्कार दोस्तों ANSWERDUNIYA.COM में आपका स्वागत है। क्या आप भी माइकोप्लाज्मा क्या हैं? के बारें में जानना चाहते है. तो आप सही वेबसाइट में आये है क्योंकि आज के इस आर्टिकल में आप जानने वाले है माइकोप्लाज्मा (Mycoplasma) के बारे में, ये ऐसे जीवधारी होते है जिनमें कोशिका भित्ति नहीं पायी जाती है | माइकोप्लाज्मा सूक्ष्म सजीव होते हैं। माइकोप्लाज्मा की खोज नोकार्ड और रॉक्स ने 1898 में की थी। छोटे आकार के प्लाज्मा को माइकोप्लाज्मा (microplasma) कहते हैं. जिसका आकार 10 मिलीमीटर के आसपास होता है। माइकोप्लाज्मा को विभिन्न तापमान, दाब पर उत्पन्न किया जा सकता है और यह 'तापीय' या 'अतापीय' प्लाज्मा हो सकता है। अनेक परीक्षाओं में भी माइकोप्लाज्मा  से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं।

mycoplasma kya hai in hindi


Table of content: -

  • माइकोप्लाज्मा (Mycoplasma) क्या हैं?
  • माइकोप्लाज्मा के लक्षण तथा संरचना (symptoms and Structure of Mycoplasma)
  • माइकोप्लाज्मा में प्रजनन (Reproduction in Mycoplasma)
  • माइकोप्लाज्मा का महत्व (Importance of Mycoplasma)

माइकोप्लाज्मा (Mycoplasma) क्या हैं?

माइकोप्लाज्मा आकारिकीय बहुरूपता का प्रदर्शन करने वाले कोशिका भित्ति रहित एककोशिकीय प्रोकैरियोटिक सूक्ष्म जीव होते हैं। इन्हें प्रोकैरियोटा जगत के स्कोटोबैक्टीरिया (Scoto bacteria) प्रभाग के मॉलिक्यूटस (Mollicutes) वर्ग के आर्डर तथा कुल के अंतर्गत माइकोप्लाज्मेटेल्स (Mycoplasmatles) माइकोप्लाज्मेटेसी (Mycoplasmataceae) रखा गया है। छोटे आकार के प्लाज्मा को माइकोप्लाज्मा (microplasma) कहते हैं जिसका आकार 10 मिलीमीटर के आसपास होता है। माइक्रोप्लाज्म को विभिन्न तापमान, दाब पर उत्पन्न किया जा सकता है और यह 'तापीय' या 'अतापीय' प्लाज्मा हो सकता है।

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(i) माइकोप्लाज्मा कि खोज पाश्चर (Pasteurs, 1843) ने किया, परन्तु पृथक्कृत करने में असफल रहे। नोकार्ड एवं रॉक्स (Noccard and Roux, 1898) ने इसे पृथक्कृत किया। इसलिए इन्हें माइकोप्लाज्मा के खोज का श्रेय जाता है तथा PPLO (Pleuropneumonia Like Organism) कहा। 

(ii) बोरेल एवं उनके सहयोगियों (Borrel et al. 1910) ने मायकोप्लाज्मा के लिए एस्टेरोकॉकस मायकॉयडिस (Asterococaus mycoides) नाम दिया। 

(iii) माइकोप्लाज्मा नाम नोवाक (Nowak1929) के द्वारा दिया गया।

माइकोप्लाज्मा के लक्षण तथा संरचना (Cularacter and Structure of Mycoplasma)

  1. माइकोप्लाज्मा एककोशिकीय प्रोकैरियोटिक तथा बहुरूपी जीव होते हैं। ये कार्बनिक प्रचुर माध्यम में गोलाभ तंतुल, ताराकार (Stellate), वृत्त (Circle) आदि के रूप में मिलते हैं। इनके इस बहुरूपी गुण के कारण इन्हें पादप जगत का विदूषक (Jokers of Plant Kingdom) कहा जाता है। - 
  2. ये प्रायअचल तथा कोशिका भित्ति विहीन होते. हैं। इनकी कोशिका लिपिड एवं प्रोटीन की बनी एक त्रिस्तरीय इकाई झिल्ली से घिरी होती है। 
  3. ये परजीवी तथा मृतोपजीवी- दोनों प्रकार के हो सकते हैं। 
  4. इसमें दोनों प्रकार के न्यूक्लिक अम्ल अर्थात DNA (4%) तथा RNA (8%) उपस्थित होते हैं।
  5. ये पेनिसिलिन, एम्पिसिलिन आदि प्रतिजैविक के प्रति अत्यंत प्रतिरोधी होते हैं लेकिन क्लोरामफेनिकॉलटेट्रासायक्लिन, इरिथ्रोमायसिन नामक जीवद्रव्य पर क्रियाशील प्रतिजैविकों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। 
  6. इसके कोशिका द्रव्य में DNA, RNA के अतिरिक्त राइबोसोम्स (70s), घुलनशील प्रोटीन्स उपापचयी उत्पाद पदार्थ (metabolite) उपस्थित होते हैं। 
  7. संवर्द्धक माध्यम पर मायकोप्लाज्मा तले हुए अंडे की सी कॉलोनी के रूप में दिखते हैं। 
  8. इसका आमाप 330A से 500A होता है। माइकोप्लाज्मा होमिनिस (Mycoplasma hominis) को सबसे छोटा माइकोप्लाज्मा (300A) तथा सूक्ष्मतम जीव की मान्यता दी जाती है। 
  9. माइकोप्लाज्मा कोलेस्टेरॉल तथा कोलेस्टोइस्टर नामक पदार्थ की उपस्थिति में पोषण एवं वृद्धि की प्रक्रियाओं का प्रदर्शन करते हैं।
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माइकोप्लाज्मा में प्रजनन (Reproduction in Mycoplasma) – 

Reproduction in Mycoplasma


मायकोप्लाज्मा में प्रजनन की क्रिया कलिकायन (budding) तथा द्विविखण्डन (Binary Fission) के द्वारा होती है। मायकोप्लाज्मा लेडलेवी (Mycoplasma laidlavi) में प्रजनन की क्रिया का अध्ययन किया गया है। इनके प्रजनन एवं जीवन चक्र में चार अवस्थायें बनती हैं जो कि प्राथमिक कोशाकाय (Primary or elemantary cell body)द्वितीयक कोशा काय (Secondary or Interme diate call body) तृतीयक कोशिका काय (Large or Tertiary cell body) तथा चतुर्थक कोशा काय (Quar ternary cell body) कहलाते है। प्राथमिक कोशा काय ही बढ़कर द्वितीयक कोशाकाय अथवा मध्यस्थ कोशाकाय में परिणत हो जाते हैं। द्वितीयक कोशाकाय से तृतीयक अवस्थ (Large cell body) विकसित होती है जिसके अंदर प्राथमिक

माइकोप्लाज्मा का महत्व (Importance of Mycoplasma)- 

माइकोप्लाज्मा अपने ऋणात्मक महत्व के लिए ही जाना जाता है। इसकी 60 से अधिक ऐसी प्रजातियाँ ज्ञात है जो स्तनधारियों कीटों (insects) तथा पादपों में विभिन्न रोग पैदा करती हैं। माइकोप्लाज्मा के कारण पौंधों में नींबू का ग्रीनिंग रोग, गन्ने का घासी प्ररोह (Grassy shoot disease), चन्दन का स्पाइक रोग, बैंगन का लघुपर्णी रोग (Little leaf disease) जैसे रोग फैलते हैं। माइकोप्लाज्मा के कारण पौधों में बौनापन, पत्तियों में पीलापन (etiolation), पुष्पों का पत्तियों की तरह हो जाना (philloidy), पर्व तथा पत्तियों के अत्यधिक छोटा हो जाने जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। जन्तुओं में पालतू पशुओं जैसे-गाय, भैस का प्लूरोन्यूमोनिया रोग, भेड़-बकरी का एगलैक्टि रोग प्रमुख हैं। मनुष्यों में जननांग शोथ (Genital inflamation disease), बन्ध्यता (Sterilitly) जैसे रोग माइकोप्लाज्मा के कारण होते हैं।

माइकोप्लाज्मा (Mycoplasma) से सम्बंधित FAQs

1. माइकोप्लाज्मा का दूसरा नाम क्या है?

माइकोप्लाज्मा सूक्ष्मतम, एक कोशिकीय, बहुरूपी, प्रोकैरियोटिक जीव हैं। इन्हें “पादप जगत का जोकर' कहा जाता है। माइकोप्लाज्मा को विभिन्न तापमान, दाब पर उत्पन्न किया जा सकता है और यह 'तापीय' या 'अतापीय' प्लाज्मा हो सकता है।

2. माइकोप्लाज्मा से कौन सा रोग होता है?

  1. चंदन का स्पाइक 
  2. रोग आलू का कुर्चीसम 
  3. रोग कपास का हरीतिमागम 
  4. बैंगन का लघु पर्ण रोग 
  5. गन्ने का धारिया रोग 
  6. ऐस्टर येलो 

3.माइकोप्लाज्मा की कितनी प्रजातियां हैं?

माइकोप्लाज्मा बैक्टीरिया लगभग 200 प्रकार के होते हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश हानिरहित होते हैं।


आज के इस पोस्ट में हमने माइकोप्लाज्मा (Mycoplasma) क्या हैं, लक्षण, सरंचना, प्रजनन एवं महत्त्व के बारे में विस्तृत रूप से जाना। माइकोप्लाज्मा (Mycoplasma) विज्ञान का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है इसलिए विज्ञान के विद्यार्थियों को माइकोप्लाज्मा (Mycoplasma) क्या हैं के बारे में जरुर जानना चाहिए।

आशा करता हूँ कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी ,अगर आपको पोस्ट पसंद आये तो पोस्ट को शेयर जरुर करें।

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