पर्यावरण से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल और जवाब | paryavaran ke sawal
नमस्कार साथियों, answerduniya.com में आपका स्वागत है। आज के इस लेख में हम आपके लिए लेकर आये हैं- पर्यावरण से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल और जवाब (Important questions and answers related to the environment) जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है। यह लेख आपकी परीक्षा की तैयारी को दृष्टिगत रखते हुए संग्रहित किया गया है। सफलता की प्राप्ति हेतु एक बार इसका अध्ययन अवश्य करें।
प्रश्न 1. पर्यावरण क्या है? इसके विभिन्न घटकों का वर्णन कीजिये।
उत्तर- पर्यावरण (Environment)- पर्यावरण, पृथ्वी की सतह के ऊपर उपस्थित वह क्षेत्र होता है, जहाँ पर जीवधारी निवास करते हैं। वास्तव में पर्यावरण एक व्यापक शब्द है जिसका तात्पर्य उस सम्पूर्ण भौतिक और जैविक व्यवस्था से है, जिसमें जीवधारी निवास करते हैं, वृद्धि करते हैं तथा अपनी स्वाभाविक प्रवृत्तियों का विकास करते हैं।
पर्यावरण के घटक (Components of Environment)- प्राकृतिक पर्यावरण निम्नलिखित दो घटकों से मिलकर बना होता है -
(1) भौतिक घटक,
(2) जैविक घटक।
(1) भौतिक घटक (Physical Components) - इसके अन्तर्गत पर्यावरण के उन घटकों को शामिल किया गया है, जो निर्जीव होते हैं। इन्हें अजैविक घटक (Abiotic Components) कहते हैं।
उदाहरण - भूमि, वायु, जल, प्रकाश आदि।
भौतिक पर्यावरण तीन भागों में बँटा होता है –
(i) जलमण्डल, (ii) स्थलमण्डल, (iii) वायुमण्डल
(i) जल मण्डल (Hydrosphere) - इसमें जीवमण्डल के जल सभी स्रोत सम्मिलित होते हैं,
जैसे- समुद्र, नदियाँ, तालाब तथा भूमि पर स्थित अन्य जल स्रोत।
(ii) स्थलमण्डल (Lithosphere)- इसमें सभी ठोस सम्मिलित होते हैं, जैसे- चट्टानें, मृदा तथा खनिज आदि।
(iii) वायुमण्डल (Atmosphere) – यह गैसों तथा वायु का मण्डल है, जो जल तथा स्थल दोनों मण्डलों को घेरे रहता है।
(2) जैविक घटक (Biotic Components)- पर्यावरण में उपस्थित सभी प्रकार के जीव-जन्तु एवं पेड़-पौधे आपस में मिलकर पर्यावरण के जैविक घटक का निर्माण करते हैं। पृथ्वी के आस-पास एक सीमित क्षेत्र में जीवन उपस्थित होता है। ये जीवधारी पृथ्वी से ऊपर 6 कि.मी. की ऊँचाई तक वायुमण्डल में तथा पृथ्वी से 6 से 7 किमी. नीचे समुद्र तथा महासागरों की तलछटी में जीव उपस्थित होते हैं।
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प्रश्न 2. सामाजिक पर्यावरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर - सामाजिक पर्यावरण (Social Environment) - "यह मानव निर्मित पर्यावरण होता है जिसके अन्तर्गत मनुष्य के विभिन्न क्रिया-कलाप आते हैं, जो कि पर्यावरण के जैविक एवं अजैविक घटकों को प्रभावित करते हैं।"
सामाजिक पर्यावरण के अन्तर्गत मानव की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, उसका सांस्कृतिक, राजनीतिक परिवेश, सोच तथा नैतिक मूल्यों का निर्वहन आता है।
प्रश्न 3. जैविक एवं अजैविक पर्यावरण किन कारणों से जनसंख्या के आकार को प्रभावित करता है ?
उत्तर- जैविक एवं अजैविक पर्यावरण निम्न कारणों से जनसंख्या के आकार को प्रभावित करता है-
- पोषक पदार्थों की उपलब्धता,
- उपलब्ध स्थान (आवास एवं अन्य कार्य),
- अन्य जीवों के साथ पारस्परिक क्रिया,
- जलवायु।
प्रश्न 4. पर्यावरण का अर्थ व्यापक रूप में समझाइये।
उत्तर- पर्यावरण शाब्दिक रूप से दो शब्दों से मिलकर बना है- परि + आवरण "पर्यावरण"।
‘परि' का अर्थ है- 'चारों ओर', आवरण का अर्थ है- 'ढके हुए'। इस प्रकार "पर्यावरण से तात्पर्य उस सब कुछ है जो किसी भौतिक अथवा अभौतिक वस्तु को चारों ओर से ढके हुए है।" अतः "वे सभी दशाएँ जो एक प्राणी के अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं अथवा उसको चारों ओर से घेरे हुए हैं, उसका पर्यावरण कहलाती हैं।"
हर्सकोविट्स के अनुसार, "पर्यावरण उन समस्त दशाओं और प्रभावों का योग है, जो प्राणी के जीवन और विकास पर प्रभाव डालती है।"
रॉस के अनुसार, "पर्यावरण कोई भी वह बाहरी शक्ति है, जो हमको प्रभावित करती है। इस प्रकार पर्यावरण से तात्पर्य मनुष्य के चारों और की उस परिस्थितियों से है, जो उसकी क्रियाओं को प्रभावित करती है।"
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प्रश्न 5. पर्यावरण के प्रमुख तत्व कौन-कौन से होते हैं ? संक्षेप में समझाइये।
उत्तर - पर्यावरण के तत्व (Elements of Environments)- पर्यावरण के प्रमुख तत्व निम्नांकित हैं-
(1) भूमि के स्वरूप (Lands Forms) - पृथ्वी की सतह के ऊपर और उसके भीतर आंतरिक शक्तियों के क्रियाशील होने के कारण धरातल पर जो स्वरूप बनते हैं, उन्हें स्थल रूप कहते हैं।
(2) जल राशियाँ (Water Bodies) - पृथ्वी, मनुष्य के लिए जितनी आवश्यक है, उतना ही महत्वपूर्ण है। जैसे- जलाशयों का होना। पृथ्वी के प्रमुख जलाशय हैं-सागर, नदियाँ, झीलें और नाले। (3) जलवायु (Climate) - मानव पर प्रभाव डालने वाले तत्वों में जलवायु का सर्वोच्च स्थान होता है। वायु मण्डल की दशा, वर्षा, नमी, वायु, दाब के वार्षिक औसत को जलवायु कहते हैं।
(4) प्राकृतिक वनस्पति (natural vegetation) - प्राकृतिक वनस्पति सामान्यतः जलवायु पर निर्भर करती है और इसका परोक्ष अथवा अपरोक्ष रूप से मनुष्य पर प्रभाव पड़ता है, जो सीधे रूप से जलवायु का प्रभाव ही है।
(5) गिट्टियाँ (Soils) - मिट्टी, प्राकृतिक वातावरण का एक प्रमुख तत्व है। मनुष्य ने अपनी उपयोगितानुसार इसे कई प्रकारों में विभाजित किया है।
(6) खनिज पदार्थ (Mineral Resources) - पृथ्वी के विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न प्रकार के खनिज पाये जाते हैं। मानव की आर्थिक स्थिति को ये काफी प्रभावित करती हैं। ये किसी राष्ट्र के सम्पन्न या गरीब होने के सूचक भी हैं।
(7) पशु जगत (Animal Life) -जीव-जन्तु भी प्राकृतिक पर्यावरण के अभिन्न तत्व हैं। ये मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं को भी प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 6. "प्राचीन भारतीय परंपराएँ पर्यावरण के अनुकूल थीं।" इस कथन की विवेचना कीजिए।
उत्तर – प्राचीन भारतीय परंपराएँ निम्नलिखित कारणों से पर्यावरण के अनुकूल थीं -
- प्राचीन काल से ही लोगों में प्रकृति के प्रति प्रेमआस्था तथा अनन्य श्रद्धा थी।
- भारतीय दर्शन व प्राचीन धर्म-ग्रंथ एवं शास्त्रों में पर्यावरण के घटकों—जल, वायु, भूमि, वृक्षों आदि को देव स्वरूप मानकर इनकी पूजा-अर्चना की जाती रही है।
- नदियों को माँ स्वरूप माना जाता रहा है। जैसे—गंगा, यमुना एवं सरस्वती।
- पर्वतों को देवस्वरूप मानकर उनके प्रति आदर व आस्था प्रकट की जाती रही है।
- कुछ वृक्षों के गुणों को देखकर उन्हें पूजनीय तथा रक्षणीय माना जाता है। उदाहरण- तुलसी, नीम, पीपल, आँवला, गूलर, बरगद आदि।
- भारतीय जीवन एवं संस्कृति में वृक्षों एवं वनों की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका, मानव को आध्यात्मिक व आत्मिक उन्नति प्रदान करने वाली मानी जाती रही है। सृष्टि के विषय में दो अवधारणाओं का विकास कर भारतीय समाज ने पर्यावरण की रक्षा की-
- देवता—जल देवता, अग्नि देवता, वायु देवता, पूज्यनीय वृक्ष, जैसे—बरगद, पीपल, नीम, तुलसी आदि।
- माता–सृष्टि माता, गोमाता, धरती माता, गंगा माता, तुलसी माता, भारत माता।
इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं परम्पराएँ पर्यावरण के अनुकूल थीं।
प्रश्न 7. जनसंख्या वृद्धि के कारणों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर- जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –
- जन्म-दर में वृद्धि होना।
- मृत्यु दर में कमी होना।
- रोगों पर नियन्त्रण होना (Control of Disease) - संचरण महामारी उत्पन्न करने वाले रोगों के उपचार की औषधियों की खोज, महामारी पर नियंत्रण आदि के कारण मृत्यु दर में कमी आ गई, जिसके कारण मनुष्य की औसत आयु में भी वृद्धि हो गई।
- उच्च प्रजनन दर (Higher reproductive rate)- मनुष्य की प्रजनन क्षमता में वृद्धि होना भी जनसंख्या में वृद्धि का प्रमुख कारण है।
- कम उम्र में विवाह होना तथा कम उम्र में ही जनन की दृष्टि से परिपक्व हो जाना।
- प्राकृतिक प्रकोपों से सुरक्षित हो जाना।
- कृषि की तकनीकों में सुधार होना, जिसके कारण जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ खाद्य सामग्री के उत्पादन में भी वृद्धि होती गई।
- निम्न सामाजिक स्तर (low social status)
- निरक्षरता (Illiteracy)।
- सामाजिक कुरीतियाँ तथा अन्धविश्वास।
- रोगों एवं महामारियों पर नियंत्रण।
- उद्योगों का विकास एवं शहरीकरण।
- अप्रवासन (immigration)आदि।
प्रश्न 8. जल के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- जल के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित है –
(1) वर्षा जल (धरातलीय जल-rain water) - यह मानसूनी वर्षा से प्राप्त जल है। इसी से नदियों, जलाशयों, नहरों आदि को जल की पूर्ति होती है।
(2) भूमिगत जल (well water)- वर्षा जल का लगभग 22% चट्टानों के छिद्रों व दरारों तथा भूमि की मृदा से रिसकर धरातल में प्रवेश कर जाता है। उदाहरण- कुएँ, पाताल तोड़ कुएँ, ट्यूबवेल, पहाड़ों की हैण्डपम्प आदि का जल
(3) नदी जल (river water)- वर्षा तथा बर्फ पहाड़ों के पिघलने से जल एक धारा के रूप में प्रवाहित होकर मैदानी क्षेत्र में नदियों में बहता रहता है।
(4) समुद्री जल (sea water)- यह पृथ्वी का सबसे बड़ा जल स्रोत होता है। वर्षा जल तथा बर्फ पिघलने से उत्पन्न जलनदियों के माध्यम से अंततः समुद्र में पहुँच जाता है। समुद्री जल खारा होता है।
पढ़ें- जल प्रदूषण क्या है।
प्रश्न 9. कम्पोस्ट खाद क्या है ? इसे किस प्रकार तैयार किया जाता है ?
उत्तर- कम्पोस्ट खाद (Compost manure) - "पशुओं के गोबर, पौधों के अवशेष पदार्थों, घास-पात अन्य कचरों तथा मनुष्य के मल-मूत्र इत्यादि को सड़ाकर बनायी गई खाद को कम्पोस्ट खाद कहते हैं।"
कम्पोस्ट खाद बनाने की विधि - कम्पोस्ट खाद बनाने की अनेक विधियाँ हैं। यहाँ पर इन्दौर विधि का वर्णन किया जा रहा है।
इन्दौर विधि (Indore Method)- कम्पोस्ट बनाने की इस विधि को इन्दौर में डॉ. हॉवर्ड ने विकसित किया था। इस विधि से कम्पोस्ट तैयार करने के लिए 4.21×0.9x0.6 मीटर नाप के 33 गड्ढे बनाये जाते हैं। दो-दो गड्ढों की जोड़ी बनाते हैं तथा एक जोड़ी गड्ढों की दूरी 3.60 मीटर रखी जाती है। इसमें उपयोग में आने वाले पदार्थ हैं-
(1) पशुओं का गोबर तथा मूत्र।
(2) लकड़ी की राख।
(3) पत्तियाँ, घास, खरपतवार, भूसा आदि।
(4) जल तथा वायु
विधि—सर्वप्रथम गड्ढे के धरातल पर पहले भारी कार्बनिक पदार्थों की 15 सेमी की तह लगाते हैं। इसके ऊपर राख छिड़क देते हैं फिर 5 सेमी. गोबर की पर्त लगा देते हैं। इसके ऊपर दिन में कई बार पानी छिड़क कर सारे पदार्थ को नम बनाये रखते हैं। इस प्रकार परतों के ऊपर परत लगाते जाते हैं तथा गड्ढों को भर लेते हैं।
गड्ढों को पूरा न भरकर 1/4 भाग खाली छोड़ देते हैं ताकि खाद की पलटाई में सुविधा रहे। तीन सप्ताह के बाद प्रथम पलटाई करते हैं फिर प्रथम पलटाई के पश्चात् द्वितीय पलटाई दो सप्ताह बाद की जाती है। इस पलटाई में गड्ढों की खाद आपस में बदलकर पलटी जाती है तथा पानी का छिड़काव किया जाता है। तीसरी पलटाई में खाद को गड्ढे से बाहर निकाला जाता है। यह खाद 3-4 महीने में तैयार होती है।
इस विधि में गोबर कम लगता है तथा समय भी कम लगता है। इस विधि में पानी अधिक लगता है तथा पलटने की क्रिया में काफी मजदूर लगते हैं। इस विधि को वायवीय विधि कहते हैं।
प्रश्न 10. समष्टि उच्चावचन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- समष्टि उच्चावचन (Population Fluctuation) - किसी समष्टि के साम्यावस्था में पहुँचने के बाद इसकी संख्या साम्यावस्था स्तर से कम या अधिक होती रहती है। साम्यावस्था की संख्या में कमी या अधिकता होने की क्रिया को समष्टि उच्चावचन पर्यावरण कहते हैं। समष्टि उच्चावचन में होने वाले परिवर्तनों या अन्तर्जातीय और प्रतिक्रियाओं के फलस्वरूप होता है। समष्टि उच्चावचन कहते हैं। समष्टि उच्चावचन समष्टि का एक विशिष्ट गुण है और सम्भवतः यह जलवायु सम्बन्धी नियन्त्रण के कारण होता है।
पढ़ें-
प्रश्न 11. प्रवासन क्या है ? इसके प्रमुख कारण लिखिये।
उत्तर- प्रवासन (Migration) - प्रवासन में जीव एक क्षेत्र को छोड़कर दूसरे क्षेत्र में जाते हैं और कुछ समय बाद ये प्रारम्भिक क्षेत्र में पुनः लौट आते हैं। जीवों में प्रवासन निम्नलिखित कारणों से हो सकता है -
- शत्रुओं से रक्षा के लिये।
- भीड़ से बचने के लिए।
- भोजन की तलाश।
- सन्तानोत्पत्ति के लिए उपयुक्त वातावरण की तलाश।
- उपयुक्त वातावरण-तेज हवाओं के कारण कीट तथा जल-धाराओं के कारण मछलियाँ प्रवासन करती हैं।
प्रश्न 12. तीव्र गति से बढ़ती हुई मानव जनसंख्या के नियंत्रण के उपाय लिखिए।
उत्तर - जनसंख्या नियन्त्रण के लिए निम्न उपायों को अपनाया जा सकता है -
- विवाह की आयु में वृद्धि करना।
- जन्म दर को कम करना।
- शिक्षा का प्रसार करके निम्न रूढ़ियों तथा धर्मान्धता को हटाना -
- सन्तान भगवान की देन का विचार।
- कन्यादान पुण्य का कार्य माना जाना।
- पुत्र पैदा होने से ही मोक्ष का मिलना।
- अधिक सन्तान द्वारा आय का बढ़ना।
- सन्तान की देख-रेख भगवान द्वारा होना।
- लोगों को जनसंख्या वृद्धि की भयावहता को समझाना।
- परिवार नियोजन के तरीकों का उपयोग।
- एक से अधिक महिलाओं से शादी पर प्रतिबन्ध।
प्रश्न 13. भारतवर्ष में स्वास्थ्य सेवाओं के कार्यक्रमों के संचालन में संलग्न किन्हीं पाँच संस्थाओं के नाम लिखिये।
उत्तर - शासन के द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमों के अतिरिक्त कई राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्वयं सेवी संस्थाएँ इस जनकल्याणी कार्यक्रम में वृहद् पैमाने पर सहयोग दे रही हैं।
कुछ प्रमुख संस्थाएँ निम्न हैं -
भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी,
- विश्व स्वास्थ्य संघ (W.H.O.)
- भारतीय परिवार नियोजन संघ,
- भारतीय सेवक समाज,
- भारतीय ब्लाइण्ड रिलीफ सोसाइटी
- भारतीय क्षय रोग एसोसियेशन,
- केन्द्रीय समाज कल्याण विभाग।
प्रश्न 14. भूमि को भौगोलिक दृष्टि से कितने भागों में बाँटा गया है ?
उत्तर - भौगोलिक दृष्टिकोण से भूमि को छ : भागों में बाँटा गया है -
- उत्तरी पर्वतीय प्रदेश - हिमालय पर्वत के पश्चिम से पूर्व तक।
- विशाल मैदान - सतलज, गंगा और ब्रम्हपुत्र के मैदान।
- थार मरुस्थल - पश्चिमी राजस्थान में निम्न भूमि का प्रदेश।
- दक्षिण का पठार - दक्षिण भारत के 16 लाख वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैला त्रिभुजाकार पठार।
- तटीय मैदान - दक्षिणी पठार के दोनों ओर स्थित मैदान।
- द्वीप - भारत के समुद्री तटों के समीप समुद्र में उपस्थित द्वीप।
प्रश्न 15. वाहनों से उत्सर्जित गैसों के नाम तथा उसके हानिकारक प्रभाव लिखिये।
उत्तर - वाहनों से मुख्यत : निम्नलिखित गैसें उत्सर्जित होती हैं -
(1) कार्बन-मोनो ऑक्साइड - यह श्वसन क्रिया में बाधा पहुँचाती है।
(2) नाइट्रोजन के ऑक्साइड - यह प्रकाश रासायनिक धुंध का निर्माण करती है। (3) हाइड्रोकार्बन - पौधों को नुकसान, आँख व नाक की श्लेष्मा ग्रंथियों का उत्तेजित होना। फेफड़ों का कैन्सर होना।
आज के इस लेख में हमने पर्यावरण से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल और जवाब (Important questions and answers related to the environment) के बारे में जाना जो विभिन्न परीक्षाओं में को ध्यान में रखकर लिखा गया है ।