वंशागति का आण्विक आधार - पारिभाषिक शब्दावली(Molecular Basis of Inheritance - Terminology)
आपका, answerduniya.com में स्वागत है। इस पोस्ट में वंशागति का आण्विक आधार से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली दिया जा रहा है। वंशागति, जीव विज्ञान से सम्बंधित टॉपिक है। जिससे जुड़े प्रश्न प्राय: विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जाता है। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है। वंशागति का आण्विक आधार - पारिभाषिक शब्दावली(Molecular Basis of Inheritance - Terminology) के बारे में जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़ें।
Vanshagati Ka Aanvik Aadhar Paribhashik Shabdavali
1.एडीनीन (Adenine)-डी.एन.ए. व आर. एन. ए की संरचनात्मक इकाई में उपस्थित 4 नाइट्रोजन क्षारकों में एक।
2.एडीनोसीन (Adenosine)-नाइट्रोजन क्षारक एडीनीन व राइबोज शर्करा के जुड़ने से बना एक न्यूक्लियोसाइड जो न्यूक्लियोटाइड बनाता है।
4.एंटीकोडॉन (Anticodon)- tRNA पर स्थित तीन क्षारकों का अनुक्रम जो RNA के पूरक कोडॉन से युग्मित होता है।
5.प्रतिसमानान्तर (Antiparallel)- द्वि-रज्जूकी डी. एन. ए. में दोनों रज्जूकों के एक-दूसरे के विपरीत होने की अवस्था जिसमें एक रज्जूक की दिशा 5'→3' तथा दूसरे की 3'→5' होती है।
6.जीवाणुभोजी (Bacteriophage)– जीवाणु को संक्रमित करने वाला विषाणु।
7. Bacterial Artificial Chromosome (B.A.C.)- जीन क्लोनिंग में प्रयुक्त जीवाणु क्रोमोसोम आधारित कृत्रिम रूप से तैयार वाहक (Vector)।
8.जैवसूचना विज्ञान (Bioinformatics)- जीनोम अध्ययन व अनुप्रयोगों में कम्प्यूटर तकनीकी का प्रयोग।
9.कैपिंग (Capping)- अनुलेखित mRNA के 5' सिरे पर - मिथाइल ग्वानोसीन फॉस्फेट का जुड़ना जो mRNA की रक्षा करता है।
10.कैप्सिड (Capsid)- विषाणु का प्रोटीन से बना बाह्यतम आवरण जिसके अन्दर आनुवंशिक पदार्थ सुरक्षित रहता है।
11.अपकेन्द्रण (Centrifugation)- किसी निलम्बन को अपकेन्द्रण नलिकाओं में तेजी से घुमाने वाली पृथक्करण विधि जिसमें सबसे भारी कण सबसे नीचे व हल्के कण घनत्व प्रवणता (density gradient) के अनुसार व्यवस्थित होते हैं।
12.RNA की चार्जिंग (Charging of tRNA)- सक्रिय, ऊर्जा वान अमीनो अम्ल का RNA से जुड़ना।
13.राइबोसोमल RNA (Ribosomal RNA)- प्रकार का RNA जो राइबोसोम में पाया जाता है तथा अनुवाद में मदद करता है।
14.राइबोजाइम (Ribozyme)- एंजाइम के रूप में कार्यकरने वाले आर. एन. ए. का प्रकार।
15.आर. एन. ए. (RNA)- राइबोन्यूक्लियोटाइड इकाइयों से बना बहुलक नाभिकीय अम्ल जो विषाणु में आनुवंशिक पदार्थ का तथा कोशिकीय जीवों में विभिन्न रूपों में आनुवंशिक सूचनाओं के स्थानान्तरण में मदद करता है।
16.आर. एन. ए. पॉलीमिरेज (RNA polymerase)- अनुलेखन के समय डी. एन. ए. टेमप्लेट पर राइबोन्यूक्लिटाइडों के बहुलकीकरण में सहायक एन्जाइम।
17.सैटेलाइट डी. एन. ए. (Satellite DNA)- ऐसा डी. एन. ए. अनुक्रम जो पुनरावृत्त डी. एन. ए. अनुक्रमों से ही बना होता है। पुनरावृत्त डी. एन. ए. के प्रत्येक समूह को सैटेलाइट कहा जाता है।
18.अर्द्धसंरक्षी प्रतिकृतिकरण (Semi conservative Rep lication)- डी. एन. ए. अणु का द्विगुणन या प्रतिकृतिकरण जिससे डी. एन. ए. के दो द्विकुंडलित अणु बन जाते हैं, जिनमें से प्रत्येक में एक रज्जूक पैत्रिक व दूसरा नवसंश्लेषित होता है।
19.एकल न्यूक्लियोटाइड बहुरूपता (SNPs Single Nucle otide Polymorphism)- मानव जीनोम के 1-4 मिलियन ऐसे स्थान जहाँ एकल क्षारक डी. एन. ए. भिन्नता पाई जाती है अर्थात् डी. एन. ए. केवल एक क्षारक के आधार पर भिन्न होता है।
20.स्प्लाइसिंग (Splicing )- प्रारम्भिक m RNA का प्रसंस्करण या प्रोसेटिंग अथवा एडीटिंग जिससे उसमें से इंट्रान खण्ड निकाल दिये जाते हैं तथा एक्जान को आपस में जोड़ दिया जाता है।
21.सीक्वेंस एनोटेशन (Sequence Annotation)– जीनोम अध्ययन की विधि जिसमें क्षारकों के सभी अनुक्रमों का निर्धारण कर बाद में उन्हें उनके कार्यों के साथ सम्बद्ध किया जाता है।
22.संरचनात्मक जीन (Structural Gene)– किसी उपापचयी पथ के एंजाइमों को कोड करने वाली जीन।
23.पुच्छन (Tailling)- अनुलेखित m RNA के 3' सिरे पर m लगभग 200 एडीनीन क्षारकों का जुड़ना।
24.सांचा, टेम्पलेट (Template)- डी. एन. ए. प्रतिकृतिकरण में डी. एन. ए. का अलग हुआ पैत्रिक रज्जूक जो पूरक रज्जू संश्लेषण के लिए निर्देशक का कार्य करता है। अनुलेखन में डी. एनए. 3'5' दिशा वाला रज्जुक जिसकी सूचना के आधार पर m RNA का संश्लेषण होता है।
25.थायमिन (Thymine)- डी. एन. ए. के संरचनात्मक घटक न्यूक्लियोटाइड के चार नाइट्रोजनी क्षारकों में से एक पिरीमिडीन।
26.अनुलेखन (Transcription)- डी. एन. ए. टेम्पलेट से आर. एन. ए. का निर्माण।
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27 अनुलेखन कारक (Trancription factor)- कारक, प्रमुखत : प्रोटीन जो अनुलेखन विशेषतः इसके प्रारम्भन में मदद करती है।
28.ट्रांसडक्शन (Transduction)- जीवाणुभोजी की मदद से जीवाणुओं के बीच होने वाला आनुवंशिक पदार्थ का विनिमय।
29.टी-आर एन. ए. (7-RNA)- एक प्रकार का आर. एनए. जो विशिष्ट प्रकार के अमीनों अम्ल को प्रोटीन संश्लेषण स्थल राइबोसोम तक लाता है तथा अपने एंटीकोडॉन की मदद से M RNA से जुड़कर अनुवाद में अनुकूलक (adapter) अणु का कार्य करता है।
30.रूपान्तरण (Transformation)- जीवाणुओं द्वारा कोशिका के बाहर स्थित आनुवंशिक पदार्थ को ग्रहण कर रूपान्तरित हो जाना।
31.अनुवाद (Translation)- वह प्रक्रिया जिसमें m-RNA की आनुवंशिक सूचना के आधार पर, राइबोसोम स्थल पर -RNA के द्वारा लाए गये अमीनों अम्लो की मदद से प्रोटीन संश्लेषण होता है।
32. ट्रांसपोसोन (Transposon)- डीएन. ए. के ऐसे खण्ड जो किसी जीनोम में एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में सक्षम होते हैं।
33.रोगकारी (Virulent)- क्षमता वाला कोई जीव पोषक में रोग उत्पन्न करने की क्षमता वाला कोई जीव।
34.वोबेल संकल्पना (Wobble Hypothesis) - जेनेटिक कोड की अपहासित प्रकृति की व्याख्या करने वाली परिकल्पना जिसके अनुसार त्रिक कोड के प्रथम दो अक्षर किसी अमीनों अम्ल को कोड करने में अधिक महत्वपूर्ण होते हैं, तीसरा भिन्नता प्रदर्शित कर सकता है। UUU व UUC दोनों फिनाइल एलेनीन को कोड करते हैं।
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35.हाइड्रोजन बन्ध (Hydrogen Bond )- कमजोर बन्ध जो एक हल्के धनावेशित हाइड्रोजन परमाणु व किसी अन्य अणुओं के हल्के ऋणावेशित परमाणु के बीच बनते हैं।
36.प्रेरक (Inducer)- ऐसा अणु जो दमनकारी पदार्थ (repressor) से जुड़कर उसे ओपरेटर जीन से बँधने से रोक लेता हैं तथा ओपेरॉन को स्विच ऑन अर्थात् सक्रिय कर देता है।
37.इन्ट्रॉन (Intron)- यूकेरियोटिक विखण्डित (Split) जीनों के वह भाग जो पॉलीपेप्टाइड को कोड नहीं करते व अंतिम m-RNA अनुलेख से स्प्लाइसिंग द्वारा निकाल दिये जाते हैं।
38.मोनोसिस्ट्रानिक (Monocistronic)- यूकैरियोटिकसंरचनात्मक जीन जो प्रायः विखण्डित (splite) होती है तथा कोडिंग एक्सान व नॉन कोडिंग इंट्रान की बनी होती है।
39.एम आर. एनए. (m-RNA)- एक प्रकार का आर. एन. एजो. डी. एनएसे अनुलेखित होता है तथा पॉलीपेप्टाइड में अमीनों अम्लों के अनुक्रम की सूचना संग्रहीत करता है।
40.नाभिकीय अम्ल (Nucleic Acid)- न्यूक्लियोटाइड के बहुलक जैसे डी. एन. ए. जो आनुवंशिक पदार्थ के रूप में कार्य करते हैं।
41.केन्द्रकाभ (Nucleoid)- प्रोकेरियोटिक कोशिकाओं का वह क्षेत्र जहाँ डी. एन. ए. स्थित होता है तथा जो केन्द्रक कला विहीन होता है।
42.न्यूक्लिओसोम (Nucleosome)- यूकैरियोटिक कोशिका में 8 हिस्टोन प्रोटीन से बनी कोर व उस पर लिपटे डी. एन. ए. से बनी इकाई जो मनकों (beds) की माला के रूप में दिखाई देती है।
43.यूक्लियोटाइड्स (Nucleotide)- डी. एन. ए. व आर. एन. एका संरचनात्मक इकाई जो एक पेन्टोन शर्करा, नाइट्रोजन क्षारक व फास्फोरस समूह से बनी होती है (यूक्लियोटाइड्स के फास्फेट)।
44.ऑकोजीन (Oncogene)- कैंसरकारी जीन।
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45.ओपेरॉन (Operon)- संरचनात्मक व नियामक जीनों का समूह जो एक इकाई के रूप में कार्य करता है।
46.बिन्दु उत्परिवर्तन (Point mutation)- किसी जीन के क्षारक अनुक्रम में केवल एक क्षारक के परिवर्तन से हुए उत्परिवर्तन।
47.बहुरूपता (Polymorphism)- मानव जनसंख्या में एक लोकस पर एक से अधिक एलिल की 0-01 से अधिक आवृत्ति में पाये जाने की अवस्था व्यक्तियों में पुनरावृत्त डी. एन. ए. की भिन्नता।
48.पॉलीपेप्टाइड (Polypeptide)- पेप्टाइड बन्धों से जुड़ी अमीनों अम्लों की एक श्रृंखला।
49.पॉलीराइबोसोम (Polyribosome)- के दौरान एक ही mRNA के खण्डों का अनुवाद करती प्रोटीन संश्लेषण राइबोसोमों की श्रृंखला।
50.प्रियॉन (Prion)– संक्रमणकारी कण जो केवल प्रोटी के बने होते हैं तथा जिनमें न्यूक्लिक अम्ल नहीं होता।
51.प्रमोटर (Promotor)- किसी ओपेरॉन का वह डी. एन ए. अनुक्रम जहाँ अनुलेखन से पहले आर. एन. ए. पॉलीमरेज जुड़ता है।
52.प्रूफ रीडिंग (Proof reading)- डी. एनएप्रतिकृति करण में नये बने डीएन. एकी परिशुद्धता जाँचने की विधि जिसमें गलती से जुड़े किसी गलत क्षारक को हटाकर उसकी जगह सभी क्षारक लगा दिया जाता है।
53.प्रोटीन कूट लेखन जीन (Protein coding Gene)- ऐसी जीन जो mRNA में अनुलेखित हो जाती है।
54.प्रोटियोमिक्स (Proteomics)- एक जीव द्वारा उत्पन्न सभी प्रकार के प्रोटीनों का अध्ययन।
55.प्यूरीन (Purine)- नाइट्रोजनी क्षारक जैसे एडीनीन व ग्वानीन जो दो चक्रों (Rings) के बने होते हैं।
56.पिरीमिडीन (Pyrimidine)- नाइट्रोजन क्षारक जैसे साइटोसोम, थायमीन व यूरेसिल जिनमें केवल एक चक्र (Ring) होता है।
57.नियामक जीन (Regulatory Gene)- किसी ओपेरॉन में वह जीन जो ऐसी प्रोटीन का निर्माण करती है जो अन्य जीनों की अभिव्यक्ति का नियमन करती है।
58.प्रतिकृति द्विशाख (Replication Fork)- यूकैरियोटिक कोशिका में डी. एन. ए. अणु का वह बिन्दु जहाँ से दोनों पैतृक रज्जूक अलग-अलग होकर प्रतिकृतिकरण का अवसर प्रदान करते हैं।
59.दमनकारी (Repressor)- किसी ओपेरान में प्रोटीन अणु जो ओपेरेटर से जुड़कर संरचनात्मक जीन का अनुलेखन बाधित कर देता है।
60.क्रोमेटिन (Cromatin)– डी. एन.ए. व सम्बद्ध प्रोटीनों के तंतुओं का जाल जो ऐसे केन्द्रक में स्पष्ट होता है जो विभाजित न हो रहा हो।
61. कोडॉन (Codon)- mRNA पर स्थित तीन क्षारकों का अनुक्रम जो विशिष्ट अमीनो एम्ल को कोड करता है, तीन समापन कोडोन इसके अपवाद है व अमीनो अम्लों को कोड नहीं करते।
62.कूटलेखन रज्जूक (Coding Strand)- अनुलेखन में टेम्पलेट रज्जूक का पूरक 5'→ 3' दिशा वाला डी. एन.ए. रज्जूक जो अनुलेखन में भाग नहीं लेता।
63.पूरक क्षारक युग्म (Complementary Base Pairing)- डी. एन.ए. पूरक प्यूरीन व पिरीमिडीन के बीच हाइड्रोजन बन्ध बनाना।
64.Complementary DNA (c DNA)- mRNA में एंजाइम रिवर्स ट्रांससक्रिप्टेज रिवर्स की क्रिया द्वारा संश्लेषित हुआ डी. एन. ए.।
65.सहदमनकारी (Co-repressor)- अणु जो दमनकारी(repressor)से जुड़कर दमन योग्य ओपेरान में दमनकारी को ओपेरेटर से जुड़ने में सक्षम बनाता है। जैसे ट्रिप ओपेरान में।
66.सहसंयोजी बंध (Covalent Bond)- रासायनिक बंधजिनमें परमाणुओं के बीच एक युग्म (Pair) इलेक्ट्रान की साझेदारी होती है।
67.साइटोसीन (Cytosine C)- डी. एन. ए. व आर. एन. ए. की संरचनात्मक इकाई के चार, नाइट्रोजनधारी क्षारकों में से एक पिरीमिडीन।
68.डीऑक्सीराइयोज (Deoxyribose)- डी. एन. ए. की पेन्टोज शर्करा।
69.डाईसैकेराइड (Disaccharide)- ऐसी शर्करा जिसमें दो मोनोसैकेराइड इकाइयाँ होती है, जैसे लैक्टोज माल्टोज।
70.डी. एन. ए. (DNA)- लगभग सभी कोशिकीय जीवों का आनुवंशिक पदार्थ जो डी ऑक्सी राइबोन्यूक्लियोटाइड इकाईयों का बना होता है।
71.डी. एन. ए. अंगुलिछापी (DNA fingerprinting)- व्यक्तियों में डी. एन. ए. के स्तर पर पाई जाने वाली विभिन्नताओं की पहचान करने की विधि जिसके आधार पर किसी व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित की जा सकती है।
72. डीएन. ए. लाइगेज (DNA ligase)-एंजाइम जो डी. एनए. खण्डों को जोड़ता है।
73. डीएन. ए. पॉलीमरेज (DNA Polymerase)- डी. एन. ए. प्रतिकृतिकरण के समय पूरक न्यूक्लियोटाइडों को टेम्पलेट डी. एन. ए. पर जोड़ने वाला एन्जाइम।
74. डी. एन. ए. रिपेयर एंजाइम (DNA repair enzyme)- अनेक एंजाइमों में से एक जो डीएन. ए. के बदले या परिवर्तित रज्जूक में मौलिक क्षारक अनुक्रम वापस लाने में मदद करता है।
75. डी. एन. ए. प्रतिकृतिकरण (DNA replication)- कोशिका विभाजन से पहले डी. एन. ए. के द्विकुंडलित अणु से अर्धसंरक्षी विधि द्वारा संतति डी. एन. ए. का संश्लेषण।
76. अभिव्यक्त अनुक्रम टैग (EST Expressed Sequence Tags)-डी. एन. ए. में क्षारक अनुक्रम निर्धारण की विधि जिसमें डीएन. ए. द्वारा अनुलेखित एमआर. एन. ए. की पहचान द्वारा डी. एनए. क्षारकों का क्रम निर्धारित किया जाता है।
77.यूक्रोमेटिन (Euchromatin)- क्रोमेटिन का वह भाग जो कम संघनित होता है, रंगने पर हल्का रंग लेता है तथा अनुलेखन को उपलब्ध होता है।
78.Exon - यूकैरियोटिक विखण्डित (split) जीनों के कोंडिंग अनुक्रम (Coding sequence) जो पॉलीपेप्टाइड को कोड करते हैं।
79.जीन (Gene) - आनुवंशिकता की इकाई जो द्विगुणित जीवों में अलील के रूप में दो प्रतियों में उपस्थित रहती है।
80.आनुवंशिक कूट (Genetic Code)- सार्वत्रिक कोड जो सभी जीवों में प्रोटीन संश्लेषण हेतु विशिष्टीकृत सूचना प्रदान करता है, त्रिक या ट्रिपलेट कोडोन के रूप में एक विशिष्ट अमीनों अम्ल को कोड करता है।
81.जीनोमिक्स (Genomics)- जीनोम का अध्ययन।
82.जीनोम (Genome)- अगुणित क्रोमोसोम सैट की सभी जीन।
83.G- ग्वानीन (Guanine)- डी. एन. ए. व आर. एन. एकी संरचनात्मक इकाई के चार नाइट्रोजनी क्षारकों में से एक प्यूरीन क्षारक।
84.एच एन. आर. एन. ए. (hnRNA)- डी. एनए. के आर. एन. ए. पॉलीमरेज की मदद से हुए अनुलेखन से बना mRNA का पूर्ववर्ती (अप्रसंस्कारित mRNA)।
85.हेटेरोक्रोमेटिन (Hetero chromation)- अत्यधिक संघनित क्रोमेटिन जो अनुलेखन हेतु उपलब्ध नहीं हो पाता तथा गहरा रंग लेता है।
86.हिस्टोन (Histone)- क्रोमोसोम में डी. एन. ए. को बाँधने वाली क्षारकीय प्रोटीन जो न्यूक्लियोसोम बनाती है।
इस पोस्ट में हमने वंशागति का आण्विक आधार - पारिभाषिक शब्दावली(Molecular Basis of Inheritance - Terminology) के बारे में जाना । किसी विषय विशेष से सम्बद्ध शब्दों की परिभाषा सहित सूची को पारिभाषिक शब्दावली कहा जाता है।
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