प्रबंधकीय लेखाविधि क्या हैं? | प्रमुख विशेषताएँ | What are Managerial Accounting? salient features

प्रबंधकीय लेखाविधि से आशय और विशेषताएँ

नमस्कार, आंसर दुनिया में आपका स्वागत है। बहुत से लोगो को प्रबंधकीय लेखाविधि जैसे विषय पर परेशानी होती है, तो किसी को यह प्रक्रिया बिलकुल भी समझ में नही आता. हम इस पोस्ट के जरिये आपको प्रबंधकीय लेखाविधि और प्रमुख विशेषताएँ  के बारे में सरल भाषा में सफलता पूर्वक समझायेंगे।

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प्रबंधकीय लेखाविधि परिचय - प्रारम्भ में लेखा विधि का कार्य व्यापारिक लेंन-देनों का लेखन करना तथा उसके आधार पर परिणामो को लाभ हनी खता तथा चिट्टे के रूप में प्रस्तुत करना होता था, लेकिन प्रबंध विज्ञान एवं तकनीको के विकास के साथ ‘प्रबंध’ और ‘लेखाविधि’ एक दुसरे के निकट आ गए तथा लेखा विधि के विश्लेष्ण तथा निर्वचन प्रबंन्धकीय क्रियाओ के आधार और मार्गदर्शक बन गये तथा लेखाविधि की एक नवीन शाखा ‘प्रबंधकीय लेखाविधि’ का विकास हो गया| 

प्रबंधकीय लेखाविधि क्या हैं? | प्रमुख विशेषताएँ पोस्ट से पहले हमने वित्तीय विवरण क्या है? प्रकार और सीमाएँ के ऊपर पहले से आर्टिकल लिख चुके है आप इस पोस्ट के बाद वित्तीय विवरण क्या है? प्रकार और सीमाएँ को जरुर पढ़े.

प्रबंधकीय लेखाविधि का आशय(Meaning of Managerial Accounting)

प्रब्म्धाकीय लेखाविधि दो शब्दों – ‘प्रबंधकीय’ और ‘लेखाविधि’ का संयोग है| प्रबंधकीय का अर्थ ‘प्रबंध की दृष्टि’ से अथवा प्रबंध के लिए होता है| दुसरे शब्दों में, प्रबन्ध का कार्य नियोजन, निर्देशन एवं निमंत्रण करना होता है| इस दृष्टि से की जाने वाली व्यवस्था को प्रबंधकीय कहा जाता है| लेखाविधि या लेखांकन व्यवसाय के विभिन्न वित्तीया व्यवहारों का लेखन, संपादन और प्रस्तुति है| इस प्रकार लेखाविधि के उस स्वरूप, व्यवस्था एवं तकनीको को प्रबंधकीय लेखाविधि कहा जाता है जो व्यवसाय के संबंध में प्रबंध को उन सभी लेखांकन सूचनाओ को उपलब्ध कराता है जो प्रबंध को नियोजन करने , निर्देशन देने एवं नियंत्रण करने में सहायता करती है| प्रबंधकीय लेखाविधि की कुछ प्रमुख परिभाषाएं अग्र प्रकार है : 

1.एंग्लो -अमेरिकन उत्पादकता परिषद् के अनुसार, ‘‘प्रबंधकीय लेखाविधि, लेखांकन सूचनाओ का इस रूप में प्रस्तुतिकरण है जो प्रबंध को उपक्रम की निति निर्धारित करने तथा दिन प्रतिदिन के संचलन में सहायता करता है|’’

इस परिभाषा के अनुसार, लेखांकन सूचनाओ के ऐसे विशिष्ट प्रश्तुतीकरन को प्रबंधकीय लेखाविधि कहा गया है जो प्रबंध को निर्णय लेने और कार्य करने में सहायता कर सके| 

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2.रॉबर्ट एन. एंथोनी के अनुसार - ‘‘प्रबंधकीय लेखाविधि का सम्बन्ध लेखा सूचनाओ से है जो प्रबंध के लिए उपयोगो होती है|’’

एंथोनी ने प्रबंधकीय लेखाविधि को लेखांकन सूचनाओ और प्रबंध के रूप में उनकी प्रतियोगिता के रूप में परिब्जषित किया है|

3.जे. बेट्टी के शब्दों में - ‘‘प्रबंधकीय लेखाशास्त्र शब्द का प्रयोग उन लेखांकन विधियों, प्रणाली और तकनीको का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिन्हें विशिष्ट गया एवं योग्यता के साथ प्रयोग करने से प्रबंध को अपने कार्य अर्थात लाभों को अधिकतम करने या हानियो को न्यूनतम करने में सहायता मिलती है|’’

जे. बेट्टी - ने स्पस्ट किया कि प्रबंध का मुख्य उद्देश्य फार्म के लाभों को अधिकतम करना या हानियों को न्यूनतम करना है| इस दृष्टि से लेखांकन की उन सभी तकनीको और व्यवस्थायो प्रबंधकीय लेखाविधि में शामिल करते हैं जो प्रबंध को उचित निर्णय लेने में सहायता करता हैं| इसके लिए प्रबंध अपनी विशिष्ट योग्यता एवं ज्ञान का भि प्रयोग करता है जो विभिन्न विषयों जैसे सांख्यिकीय तकनीको, अर्थशाश्त्र, विधि इत्यादि के क्षेत्र में हो सकती हैं|  

प्रबंधकीय लेखाविधि के विशेषताएँ (Features of Managerial Accounting)

1. समन्वित पद्धति (Integrated System)—प्रवन्धकीय लेखाविधि एक समन्वित व्यवस्था है जिसमें सूचनाओं के सकछन, विश्लेषण और निर्णयन में अनेक विषयों की तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। इन विषयों में लागत लेखा विधि, वित्तीय लेखा-विधि, वित्तीय प्रवन्ध, सांडियको अर्थशास्त्र, व्यावसायिक औद्योगिक मनोविज्ञान इत्यादि शामिल हैं। 

2. भविष्य से अधिक सम्बन्धित (More Concerned with Puture)-प्रबन्धकीय लेखाविधि भविष्य से अधिक सम्बन्धित है। यह ठीक है कि ऐतिहासिक समकों के आधार पर विश्लेषण और निर्वाचन किया जाता है, लेकिन प्रबन्धकीय लेखाविधि के प्रयोग का महत्वपूर्ण उद्देश्य भविष्य के लिए नीति निर्धारित करना, पूर्वानुमान करना, नियोजन करना, बजट बनाना इत्यादि है।

3. चयनात्मक प्रकृति (Selective Nature) प्रबन्धकीय लेखाविधि चयनात्मक प्रकृति की होती है। इसके अन्तर्गत सर्वश्रेष्ठ योजनाओं तथा सबसे अधिक नामकारी और सर्वश्रेष्ठ विकल्पों का चुनाव किया जाता है। इसी प्रकार प्रबन्ध के समक्ष सभी सूचनाओं को न रखकर केवल उन्हीं सूचनाओं को रखा जाता है जो प्रबन्ध की जानकारी और निर्णय के लिए महत्वपूर्ण है। 

4. लागत तत्वों की प्रकृति के अध्ययन पर विशेष बल (More Emphasis on the Nature of Elements of Cast) -प्रवन्धकीय लेखाविधि में लागत तत्वों और उनकी प्रकृति के अध्ययन का विशेष महत्व है। इस दृष्टि से सम्पूर्ण लागत को स्वागत परिवर्तनशील लागत और अर्द्ध-परिवर्तनशील लागतों में बांटा जाता है। प्रबन्धकीय लेखाविधि की अनेक तकनीक जैसे प्रमाप लागत विधि, सीमावर्ती लागत विधि तथा लागत मात्रा विश्लेषण इत्यादि नागत तत्वों के विश्लेषण से ही सम्बन्धित है। 

5. कारण और प्रभाव का विश्लेषण (Cause and Effect Analysis) प्रबन्धकीय लेखाविधि किसी भी तथ्य के कारण एवं प्रभाव के विश्लेषण पर विशेष जोर देती है। वित्तीय लेखांकन लाभ या हानि की राशि बताकर ही छोड़ देता है, जबकि प्रवन्धकीय लेखाविधि में यह विश्लेषण भी किया जाता है कि हानि के क्या कारण रहे? लाभ में किन घटकों का सहयोग रहा? विभिन्न वर्षो में लाभ और हानि की क्या प्रवृत्ति रही? और विभिन्न निर्णयों का वित्तीय परिणामों या वित्तीय स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा ? 

6. नियम सुनिश्चित और सर्वव्यापी नहीं (Rules not Precise and Universal) - प्रवन्धकीय लेखाविधि के नियम पूरी तरह निश्चित और सर्वव्यापी नहीं होते हैं। यद्यपि प्रबन्धकीय लेखाविधि को तकनीके समान होती हैं, लेकिन उनके प्रयोग करने, उनसे निष्कर्ष निकालने और उन्हें प्रस्तुत करने में प्रत्येक उपक्रम अपनी आवश्यकता के अनुसार और लेखापाल अपनी योग्यता के अनुसार अलग-अलग नियम बना सकता है।

इस पोस्ट में हमने लेखाशास्त्र के विषय प्रबंधकीय लेखाविधि के बारे में विस्तार से जाना। विभिन्न परीक्षाओं में प्रबंधकीय लेखाविधि से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। और विशेष कर अकाउंट के विद्यार्थियों के लिए प्रबंधकीय लेखाविधि की यह विशेष उपयोगी है 

आशा है की आपकी प्रबंधकीय लेखाविधि  से सम्बंधित सभी सवालों के जवाब आपको इस पोस्ट के माध्यम से मिल गए होंगे। यदि आपको पोस्ट लाभकारी प्रतीत हो तो पोस्ट को शेयर जरुर करें।

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