रबर क्या है- खेती, प्रोसेसिंग, महत्व और उपयोग(What is Rubber- Cultivation, Processing, Importance and Uses)

रबर क्या है- खेती, प्रोसेसिंग, महत्व और उपयोग(What is Rubber- Cultivation, Processing, Importance and Uses)

हेलो साथियों आज के आर्टिकल में आप जानने वाले है रबर क्या है? रबर कि खेती कैसे होता है साथ ही रबर बनने की प्रोसेसिंग भी जानने वाले है साथ ही आपको इस आर्टिकल में रबर के महत्व और उपयोग भी बताने वाले है रबर की पूरी जानकरी नीचे पॉइंट टू पॉइंट दिया गया है. 

रबर लचीला (Flexible), जलप्रतिरोधी (Water resistant), वायुरोधी (Air tight), प्रत्यास्थ (Elas tic) पदार्थ के रूप में होता है जो आइसोप्रीन ( Isoprene, CsHg) नामक हाइड्रोकार्बन बहुलक की अनियमित शृंखला व्यवस्था से निर्मित हुए होते हैं। 

what-is-rubber-cultivation-processing-importance-and-uses-of-rubber

भारतवर्ष में मुख्यत : रबर केरल राज्य में उत्पादित होता है। 85% भारतीय रबर क्षेत्र केरल में ही है तथा 90% रबर यहीं से उत्पादित होता है। पादप स्रोतों से प्राप्त किए जाने वाले रबर को प्राकृतिक रबर (Natural Rubber) तथा रासायनिक संयोजन प्रक्रियाओं द्वारा कृत्रिम रसायनों के सम्मिश्रण से उत्पादित होने वाले रबर को कृत्रिम रबर (Synthetic Rubber) कहते हैं। 97% प्राकृतिक रबर का उत्पादन पारा रबर वृक्ष (Para Rubber Tree) से होता है। यह यूफॉर्बिएसी (Euphorbiaceae) कुल का सदस्य है तथा इसका वानस्पतिक नाम हीविया ब्रैसिलिएन्सिस (Hevea brasiliensis) है

रबर का नाम 

  • सेरा रबर (Sera rubber) - 
  • भारतीय रबर (Indian rubber)  
  • पारा रबर (Para rubber)  

वानस्पतिक नाम

  • Manihot glaziovii
  • Ficus elastica
  • Heveabr asiliensis

कुल

  • यूफॉर्बिएसी (Euphorbaceae)
  • मोरेसी (Moraceae)  
  • यूफॉर्बिएसी (Euphorbeaceac)

रबर की खेती (Cultivation of Rubber) – 

  1. रबर की कृषि के लिए उष्णकटिबंधीय, दोमट मिट्टी वाले क्षेत्र ज्यादा उपर्युक्त होते हैं जहाँ प्रति वर्ष 175 से 200 से.मी. वार्षिक वर्षा होती है। 
  2. नये रबर के पौधे को प्राप्त करने के लिए पूर्ण परिपक्व बीज को प्राप्त कर तुरन्त नर्सरी में बोया जाता है।
  3. भारत में ज्यादातर रबर वृक्ष RR11-105 किस्म के क्लोन ही लगाए गए हैं तथा इस क्लोन के द्वारा 3,50,000 हेक्टेयर रबर कृषि क्षेत्र को प्रतिनिधित्व किया जाता है। 
  4. रबर के वृक्ष से रबर का उत्पादन 7 वर्ष के होने से प्रारंभ होता है तथा उससे 35 वर्ष की उम्र तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
  5. रबर के लैटेक्स के निष्कर्षण हेतु तना की मोटाई 50 से. मी. होनी चाहिए और इतनी मोटाई 07 वर्ष की वृक्ष में प्राप्त की जा सकती है। लैटेक्स की प्राप्ति के लिए तना में V या Y आकृति में 1-1.5 मि. ली. गहराई वाली 30 ° कोण युक्त तिरछा चीरा प्रातः काल लगाया जाता है। 
  6. चीरा के कोणीय शीर्ष के ठीक नीचे मिट्टी या धातु का पात्र लटका दिया जाता है जिसमें हाइड्रोजन पराक्साइड या अमोनिया जैसे प्रतिस्कंदक (Anticoagulants) रखे गए होते हैं।
  7. रबर की कृषि हेतु वैज्ञानिक रीति से प्रस्तावित प्रबंधन किए जाने की स्थिति में औसतन 2000 कि. ग्राम से 3,500 किलोग्राम रबर प्रति हेक्टेयर उत्पादित होता है।
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रबर की प्रोसेसिंग (Processing of Rubber) – 

  1. चीरा के नीचे लगाए गए संग्राहक पात्र में इकट्ठा किए गए रबर को फार्मिक अम्ल एवं एसीटिक अम्ल जैसे स्कंदन कारक की सहायता से बड़े-बड़े पात्रों में स्थानांतरित कर स्कंदित कर लिया जाता है। 
  2. इस तरह प्राप्त रबर को जल से धोकर रोलरों के नीचे से गुजारकर निचोड़ा जाता है जिसके कारण अन्ततः रबर का लैटेक्स रबर के शीट में परिवर्तित हो जाता है। शीट की मोटाई दो से पाँच मि. मी. या आवश्यकतानुसार अधिक रखी जाती है। 
  3. इन शीटों को 3-5 दिनों तक धूम्रकक्षों (Smoke chambers) में रखकर सुखाया जाता है तथा इस तरह प्राप्त हुए रबर को कच्चा रबर (Raw Rubber) कहा जाता है
  4. कच्चा रबर को औद्योगिक दृष्टि से उपयोगी बनाने के लिए वल्कनीकरण (Vulcanization) की प्रक्रिया से गुजारा जाता है। इसके लिए कच्चा रबर के रबर शीट के रबर को सल्फर की विभिन्न मात्राओं के साथ मिलाया जाता है। सल्फरीकृत रबर को ही वल्केनाइज्ड (Vulcanised) रबर कहते हैं।
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रबर का महत्व (Importance of Rubber) – 

  1. रबर की कृषि उत्पादन क्षेत्रों में श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने का महत्वपूर्ण स्रोत है। 
  2. 30 से 35 वर्षों बाद रबर उत्पादन कर चुके रबर के वृक्षों से इमारती काष्ठ प्राप्त होता है। इसका काष्ठ प्लाइवुड के निर्माण के लिए कच्चा स्रोत का काम करता है। 
  3. रबर चिकित्सकीय क्षेत्र में भी अपनी अत्यंत उपयोगिता रखता है। इसका उपयोग कर दास्ताने (Gloves), मूत्रनलिकायें (Catheters), एनिमा (Enema), ग्लूकोज - सलाइन के ढक्कन आदि का निर्माण किया जाता है। 
  4. रबर मुख्यत : टायर ट्यूब उद्योग की जान है, दूसरे • शब्दों में ऑटोमोबाइल उद्योग की रफ्तार रबर पर निर्भर करती ।
  5. इससे ग्राउण्ड शीट, वाटर प्रूफ शीट, गद्दे, फोम, कन्वेयर वेल्ट, चटाइयाँ, बेल्ट शीट आदि बनाये जाते हैं।
  6.  रबर से विभिन्न प्रकार के बैग, जूते, चप्पल, लाइफ न बेल्ट, जूतों का सोल, दबाव अवशोषक (Shock absorb wers) आदि भी निर्मित किए जाते हैं।

रबर का उपयोग (use of rubber)-

  1. रबर का प्रयोग मोटर के ट्यूब, टायर, वाटर प्रूफ कपड़े, जूते तथा विभिन्न प्रकार के दैनिक उपयोग की वस्तुओं में होता है। 
  2. थाईलैंड, इण्डोनेशिया, मलेशिया, भारत, चीन तथा श्रीलंका प्रमुख उत्पादक देश है। 
  3. भारत का विश्व उत्पादन में चौथा स्थान है परन्तु घरेलु खपत अधिक होने के कारण यह रबर का आयात करता है।
बहुत सारे पादपों के बीजों या छाल एवं पत्तियों में उपस्थित विशिष्ट कोशिका एवं वाहिकाओं से दूधिया(सफ़ेद) या रंगीन स्राव निकलता है , जिसे लेटेक्स कहते है यहाँ सफ़ेद रंग का होता है पेड़ में लगाये गए चीरा के नीचे लगाए गए संग्राहक पात्र में इकट्ठा किए गए रबर को फार्मिक अम्ल एवं एसीटिक अम्ल जैसे स्कंदन कारक की सहायता से बड़े-बड़े पात्रों में स्थानांतरित कर लिया जाता है फिर रबर बनाया जाता है 

तो आज के महत्वपूर्ण जानकारी भरी आर्टिकल में हमने जाना रबर की खेती (Cultivation of Rubber), रबर की प्रोसेसिंग (Processing of Rubber), रबर का महत्व (Importance of Rubber), रबर का उपयोग ( use of rubber) इस सब के बारे बारीकी से जाना पोस्ट अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करे 


रबर से सम्बंधित FAQs


1. रबर का वैज्ञानिक नाम क्या है?
Hevea brasiliensis

2. रबर का आविष्कार कब हुआ?

रबर टायर का आविष्कार ब्रिटेन के वैज्ञानिक थामस हानकाक ने 1846 में क्या था।

3. रबड़ के बागान कहाँ के प्रसिद्ध है?

भारत के केरल राज्य में रबर का सबसे अधिक उत्पादन होता है. इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं – केरल, तमिलनाडु तथा कर्नाटक।

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