सहसंयोजकता बंध सिद्धांत (Sahsanyojakata bandh siddhant)

इस लेख में हम सहसंयोजकता बंध सिद्धांत (Sahsanyojakata bandh siddhant)  के बारे में जानने वाले हैं। रसायन विज्ञान का यह एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिससे सम्बंधित प्रश्न अक्सर ऊच्चतर माध्यमिक की परीक्षाओं में पूछे जाते रहते हैं और सहसंयोजकता बंध सिद्धांत (Sahsanyojakata bandh siddhant)  से जुड़े प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है। 

सहसंयोजकता बंध सिद्धांत (Sahsanyojakata bandh siddhant)

सहसंयोजकता (Sahsanyojakata bandh siddhant) 

सहसंयोजकता- तत्वों के परमाणु अपने कुछ इलेक्ट्रॉनों का स्वयं के अन्य परमाणु या अन्य तत्व के परमाणु के इलेक्ट्रॉनों के साथ संयोजन कर अणु बनाते हैं। संयोग करने वाले परमाणुओं के मध्य परस्पर आकर्षण के कारण रासायनिक बन्ध बनता है और अणु को स्थायी विन्यास प्राप्त होता है। यह संयोजन उन परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों की परस्पर साझेदारी द्वारा सम्पन्न होता है। दोनों परमाणु समान संख्या में इलेक्ट्रॉन देकर उभयनिष्ठ इलेक्ट्रॉन युग्म बनाते हैं। यह प्रक्रिया सहसंयोजकता कहलाती है।

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संयोजकता वन्ध सिद्धान्त (Valence Bond Theory)

इसे परमाणु कक्षक सिद्धान्त (Atomic Orbital Theory) भी कहते हैं। इसे पहले हिटलर और लन्दन (Heitler and London) द्वारा प्रस्तावित किया गया, जिसमें सहसंयोजक बन्ध की प्रकृति को समझाया गया है। इस धारणा को अधिक विकसित कर पॉलिंग और स्लेटर (Pauling and Slater) ने सहसंयोजक बन्ध की दिशात्मक प्रवृत्ति को स्पष्ट किया। सिद्धान्तों का इस प्रकार मिला-जुला और सम्बन्धित रूप संयोजकता बन्ध सिद्धान्त' कहलाता है। इस सिद्धान्त की व्याख्या परमाणु कक्षकों के रेखीय संयोजन (Linear Combination of Atomic Orbitals or LCAO) के आधार पर की जाती है।

(अ) हिटलर-लन्दन सिद्धान्त- दो विपरीत चक्रण वाले (भिन्न परमाणु) अयुग्मित इलेक्ट्रॉन कक्षक एक-दूसरे से अतिव्यापन द्वारा बन्ध बनाते हैं। विपरीत चक्रण के कारण वे एक-दूसरे के चुम्बकीय क्षेत्र को निरस्त कर आपसी आकर्षण द्वारा इलेक्ट्रॉन युग्म बना लेते हैं। ये इलेक्ट्रॉन युग्म दोनों परमाणु नाभिकों से संबंधित रहते हैं। अतिव्यापन के कारण अधिकतम इलेक्ट्रॉन घनत्व दोनों नाभिकों के बीच में बनता है, जो दोनों नाभिकों को आकर्षण द्वारा वाँधे रखता है।

इस सिद्धान्त में बन्ध के दिशात्मक लक्षणों पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है।

(ब) पॉलिंग-स्लेटर का सिद्धान्त- यह सिद्धान्त सन् 1932 में लीनस पॉलिंग तथा स्लेटर द्वारा दिया गया। इसे संयोजकता बन्ध सिद्धान्त कहते हैं। इसके अनुसार-

(1) दो परमाणुओं के बीच सहसंयोजक बन्ध का निर्माण उनके कक्षकों (Orbitals) के अतिव्यापन से होता है।

(2) बन्ध बनाने वाले परमाणुओं के बाह्य कक्षक में विपरीत चक्रण वाले इलेक्ट्रॉन रहते हैं। किसी परमाणु द्वारा बनाये गये सहसंयोजक बन्ध की संख्या, उसमें पाये जाने वाले अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है।

(3) अतिव्यापन के बाद अधिकतम इलेक्ट्रॉन घनत्व दोनों परमाणुओं के बीच रहता है। यह इलेक्ट्रॉन घनत्व ही दोनों नाभिकों को आकर्षण द्वारा बाँधे रखता है।

(4) सहसंयोजी बन्ध की शक्ति (Strength) अतिव्यापन में भाग लेने वाले दोनों परमाणु कक्षकों के अतिव्यापन के समानुपाती होती है।

(5) s- कक्षक चारों दिशाओं में बन्ध बना सकता है, किन्तु p. d और f-कक्षक केवल उन्हीं दिशाओं में बन्ध बनाते हैं, जिन अक्षों पर वे पहले से स्थित होते हैं।

(6) समाक्ष (Co-axial) अतिव्यापन से सिग्मा (G) बन्ध तथा पाश्र्वीय (Sidewise) अतिव्यापन से पाई (ग) वन्ध बनता है।

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संयोजकता वन्ध सिद्धान्त की सीमाएँ

सहसंयोजक बन्ध के इस पॉलिंग-स्लेटर सिद्धान्त से सहसंयोजक बन्ध की दिशा निर्धारित होकर पूर्व में अनुत्तरित कई प्रश्नों का समाधान हो जाता है। अतः यह सिद्धान्त व्यापक रूप से प्रयुक्त होता है, फिर भी इस सिद्धान्त में कुछ कमियाँ हैं। जैसे-

(i) उप-सहसंयोजक वन्ध (co-ordinate bond) बनना इस सिद्धान्त में निहित नहीं है। इस बन्ध निर्माण में इलेक्ट्रॉन युग्म, जो किसी एक परमाणु द्वारा ही दिया जाना चाहिए, आवश्यक है।

(ii) सहसंयोजक बन्ध के आयनिक गुण संयोजकता वन्ध सिद्धान्त से समझाये नहीं जा सकते।

(iii) संयोजकता वन्ध सिद्धान्त के अनुसार, अणु निर्माण के बाद अयुग्मित इलेक्ट्रॉन रहने की कोई सम्भावना नहीं है, क्योंकि विपरीत चक्रण युक्त इलेक्ट्रॉनों का युग्मन ही बन्ध निर्माण की अनिवार्यता है। इसके बाद भी O, अणु अनुचुम्बकीय गुण प्रदर्शित करता है तथा उसमें 2 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं, यह इस सिद्धान्त से स्पष्ट नहीं हो पाता है।

(iv) अनुनादी संकर जैसी संरचनाएँ संयोजकता बन्ध सिद्धान्त के द्वारा स्पष्ट नहीं है, जबकि रासायनिक गुणों को स्पष्ट करने हेतु अनुनादी संकर संरचना की आवश्यकता होती है तथा वर्तमान स्पेक्ट्रम व नवीनतम तकनीकी से अनुनादी संरचनाओं की उपस्थिति प्रमाणित होती है।

(v) इस सिद्धान्त के द्वारा H,* जैसे आयनों के बनने को नहीं समझाया जा सकता है।

(vi) यह सिद्धान्त इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिकों, धातुओं तथा अधात्विक यौगिकों में बन्धन को स्पष्ट करने में असमर्थ है।

हाइड्रोजन अणु (H) का बनना

दो हाइड्रोजन परमाणुओं के मध्य ऽ-कक्षकों के अतिव्यापन से सहसंयोजक बन्ध बनकर H2 अणु बनता है। हाइड्रोजन परमाणु में 1s-कक्षक में एक इलेक्ट्रॉन होता है। दो परमाणुओं के कक्षक, अतिव्यापन करने से निकट आते हैं। उनकी स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम हो जाने की स्थिति पर स्थायित्व आकर अणु बनता है। नाभिक इस सीमा में हटकर और पास-पास नहीं आ सकते क्योंकि तब नाभिकों के मध्य प्रतिकर्षण होने लगेगा। स्थायित्व की इस स्थिति में न्यूनतम ऊर्जा का मान बन्ध ऊर्जा। और नाभिकों के बीच की दूरी बन्ध लम्बाई कहलाती है, जो क्रमश: 103-2 किलो कैलोरी प्रति ग्राम अणु तथा 0-74A होती है। यह बन्ध 5-5 अतिव्यापन से बनता है और सिग्मा (6) बन्ध कहलाता है।

होटलर- लन्दन- सिद्धान्त के द्वारा समध्रुवीय (Homopolar) जैसे-H, का बनना भली-भाँति समझाया जा सकता है। यदि दो समान परमाणुओं (जैसे-H परमाणु) की अन्योन्य क्रिया ऊर्जा (interaction energy) को कई पदों में ज्ञात की जाये, तो यह मालूम होता है कि अत्यधिक दूरी पर संयोग नहीं होता और अत्यधिक निकट होने पर धनात्मक आवेश वाले दोनों हाइड्रोजन नाभिकों के पास होने पर प्रतिकर्षण बल उत्पन्न हो जाता है।  दो समान इलेक्ट्रॉनिक चक्रण वाले हाइड्रोजन परमाणुओं को पास लाने पर जो-जो ऊर्जा परिवर्तन होते हैं, वे वक्र में तथा असमान इलेक्ट्रॉनिक चक्रण वाले दो हाइड्रोजन परमाणुओं को पास लाने पर ऊर्जा परिवर्तन वक्र 2 में दर्शाये गये हैं। वक्रों से स्पष्ट है कि जब असमान चक्रण वाले हाइड्रोजन Y परमाणु पास आवे हैं, तो उनकी ऊर्जा में कमी होती है तथा यदि परमाणुओं के बीच की दूरी और भी कम की जाये, तो यह ऊर्जा पुनः बढ़ने लगती है। अतः यह स्पष्ट है कि परमाणुओं के मध्य एक निश्चित दूरी पर हो यह ऊर्जा न्यूनतम होती है।

हाइड्रोजन अणु की विघटन ऊर्जा (dissociation energy) 103.2 कि कैलोरी होती है। इससे यह भी स्पष्ट है कि दो परमाणुओं के बीच जब बन्ध बनता है (H2 अणु बनने में) तो इतनी हो ऊर्जा निकलती है, जिसका अर्थ है कि दो अलग- अलग परमाणुओं की सम्पूर्ण स्थितिज ऊर्जा की अपेक्षा हाइड्रोजन अणु की सम्पूर्ण स्थितिज ऊर्जा न्यून (low) होती है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि H2

Valence Bond Theory


अणु के बनने में ऊर्जा की कमी होती है। वक्र 2 का निम्निष्ठ (minima) यह प्रदर्शित करता है कि जब विपरीत इलेक्ट्रॉन चक्रण वाले दो हाइड्रोजन परमाणुओं को एक निश्चित दूरी तक पास लाया जाता है, तो उनके बीच बन्ध बनना सम्भव है।

इस लेख में हमने सहसंयोजकता बंध सिद्धांत (Sahsanyojakata bandh siddhant)  के बारे में जाना। जो परीक्षा की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण टॉपिक है।

उम्मीद करता हूँ कि सहसंयोजकता बंध सिद्धांत (Sahsanyojakata bandh siddhant)  का यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा , अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इस लेख को शेयर अवश्य करें।

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क्या आप NEET 2023  की तैयारी कर रहे हैं या करने की सोच रहे हैं। तो आपको इसके लिए अच्छी रणनीति तैयार करनी होगी। जिसमे आपको एक एक विषय को अलग अलग पड़ना पड़ेगा और फिर उसके बहुत सारे MCQ सोल्व करने होंगे जिससे आपकी तैयारी पुख्ता हो सके।  NEET की परीक्षा में PHYSICS से सम्बन्धित जिस प्रकार प्रश्न पूछे जाते हैं उनका कुछ नमूना इस पोस्ट में दिया जा रहा है। NEET 2023 PHYSICS MCQ IN HINDI 

NEET 2023 PHYSICS MCQ IN HINDI

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प्रश्न:- यदि एक पेंचमापी की पिच 1.5 mm और वृत्तीय पैमाने पर 300 विभाजन हैं, तो निम्नलिखित में से कौन सा पाठ्यांक इस पेंचमापी से लिया जा सकता है?
उत्तर- 0.030000 m 

प्रश्न:- मापन की यथार्थता किससे निर्धारित होती है?
उत्तर- प्रतिशत त्रुटि

प्रश्न:- आवेश की विमा है-
उत्तर- TA

प्रश्न:- कुंडली के स्वप्रेरकत्व का मात्रक है-
उत्तर- हेनरी

प्रश्न:- जूल-सेकण्ड किसका मात्रक है?
उत्तर- कोणीय संवेग

प्रश्न:- पारसेक किसका मात्रक है?
उत्तर- दूरी

प्रश्न:- ऑर्स्टेड किसका मात्रक है?
उत्तर- चुंबकीय तीव्रता

प्रश्न:- एक सेकण्ड किसके बराबर है?
उत्तर- Cs घड़ी के 9192631770 आवर्तकाल 

प्रश्न:- किसी भी भौतिक राशि का परिमाण:
उत्तर- मापन की विधि पर निर्भर नहीं करता है।

प्रश्न:- मात्रकों के संबंध में कौन-सा दूसरों से भिन्न है?
उत्तर- प्वासों अनुपात

प्रश्न:- नाभिकीय त्रिज्या को मापने के लिए कौन सा मात्रक सही है?
उत्तर- फर्मी

प्रश्न:- वोल्ट को दर्शाता है :
उत्तर- वाट/एम्पियर

प्रश्न:- भौतिक राशियों के युग्म (युग्मों) जिनकी विमाएँ समान नहीं हैं, 
उत्तर- प्लांक नियतांक और बल आघूर्ण

प्रश्न :- माक संख्या एक के बराबर होती है जब वस्तु का वेग बराबर होता है:
उत्तर- ध्वनि का वेग (332m/sec)

प्रश्न :-केल्विन पैमाने पर 0 अंश सेल्सियस का सही मान है।
उत्तर- 273.15 K

प्रश्न :-कैंडेला किसका मात्रक है?
उत्तर- ज्योति तीव्रता

प्रश्न :-यदि 97.52 को 2.54 से विभाजित किया गया है, तो सार्थक अंकों के पदों में सही परिणाम क्या है?
उत्तर- 38.4

प्रश्न :-शक्ति का मात्रक क्या है?
उत्तर- किलोवॉट

प्रश्न :-दो राशियों A और B की विमाएँ अलग-अलग हैं। नीचे दी गई गणितीय संक्रियाओं में कौन सी भौतिक रूप से सार्थक है?
उत्तर- A/B+

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NEET 2023 PHYSICS MCQ 

प्रश्न :- प्लांक नियतांक की विमा (मात्रक) क्या हैं?
उत्तर- कोणीय संवेग

प्रश्न :- द्रव्यमान और चाल के मापन में प्रतिशत त्रुटियां क्रमशः 2% और 3% हैं। द्रव्यमान और चाल के मापन द्वारा प्राप्त गतिज ऊर्जा के आंकलन में अधिकतम त्रुटि कितनी होगी?
उत्तर- 8%

प्रश्न :- एक प्रयोग में एक सरल लोलक का दोलन काल क्रमशः 2.63 s, 2.56 s, 2.42 s, 2.71 s और 2.80 s के रूप में अंकित किया गया है। औसत निरपेक्ष त्रुटि है-
उत्तर- 0.11 s

प्रश्न :- CR की विमा है-
उत्तर- आवर्तकाल

प्रश्न :- पारसेक किसकी मापन इकाई है ?
उत्तर- खगोलीय दूरी

प्रश्न :- दिष्ट धारा की आवृत्ति …………….. है?
उत्तर- शून्य

प्रश्न :- इस्पात के गोले में पदार्थ की मात्रा उसका क्या होती है?
उत्तर- द्रव्यमान

प्रश्न :-क्वांटम सिद्धांत का सुझाव किसने दिया?
उत्तर- मैक्स प्लैन्क

प्रश्न :-परमाणु शक्ति संयंत्र किस सिद्धान्त पर काम करता है?
उत्तर- विखण्डन

प्रश्न :- ए.टी.एम. (ATM) का पूरा नाम है
उत्तर-ऑटोमैटिक टेलर मशीन

प्रश्न :-आवृत्ति मॉडुलेशन में क्या प्राप्त होता है ?
उत्तर-नियत आयाम

प्रश्न :- ट्रांजिस्टर के किसमें होने की अधिकांशत: संभावना होती है?
उत्तर-श्रव्य उपकरण

प्रश्न :- क्यूरी किसकी यूनिट है?
उत्तर- रेडियोधर्मिता

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NEET 2023 PHYSICS वन लाइनर

प्रश्न :- एक तारे की संहति (Mass) सूर्य की संहति से दोगुनी है, वह अन्तत: कैसे समाप्त होगा?
उत्तर- न्यूट्रॉन स्टार

प्रश्न :-रेडियोऐक्टिव सामग्री से उत्सर्जित बीटा किरणें क्या हैं?
उत्तर- केन्द्रक द्वारा उत्सर्जित आवेशित कण

प्रश्न :- एक नक्षत्र का रंग निर्भर करता है उसकी
उत्तर- पृष्ठीय ताप पर

प्रश्न :-. बिजली के हीटर में कौन-सी सामग्री प्रयुक्त होती है ?
उत्तर- नाइक्रोम

प्रश्न :-हाइड्रोफोन उपकरण किस में हुए परिवर्तन को दर्शाता है?
उत्तर- पानी के अंदर ध्वनि

प्रश्न:- उड़ान-अभिलेखी का तकनीकी नाम क्या है?
उत्तर- काला बक्सा

प्रश्न:- टेलीविजन के रिमोट कंट्रोल में प्रयुक्त विद्युत चुंबकीय तरंगें कैसी होती हैं ?
उत्तर- अवरक्त

प्रश्न:-डायोड का इस्तेमाल किसलिए किया जाता है ?
उत्तर- परिशोधन

प्रश्न:-जेट इंजन …………………. के संरक्षण के सिद्धांत पर कार्य करता है।
उत्तर- रैखिक संवेग

प्रश्न:-विद्युत चुंबक किससे बनती है?
उत्तर- नरम लोहा

प्रश्न:-उच्च वोल्टेज अनुप्रयोग के लिए किस प्रकार इंसुलेटर उपयोग किया जाता
उत्तर- निलंबन प्रकर

प्रश्न:-अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर लेता है कहलाती हैै |
उत्तर- समंजन

प्रश्न:-अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता हैः
उत्तर- पक्षमाभी (Ciliary)

प्रश्न:- लाल वर्ण के प्रकाश की तरंगदैधर्य नीले प्रकाश की अपेक्षा लगभग कितनी गुनी है|
उत्तर-1:8

प्रश्न:-सूर्य हमे वास्तविक सूर्योदय से लगभग कितने मिनिट पूर्व दिखाई देने लगता है?
उत्तर-2 मिनिट पूर्व

प्रश्न:-तारे टिमटिमाते क्यों प्रतीत होते है |
उत्तर-तारो के प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण

प्रश्न:-इंद्रधनुष सदैव किस दिशा में बनता है |
उत्तर-सूर्य के विपरीत दिशा में

प्रश्न:-सुर्य का प्रकाश सात वेर्णो से मिलकर बना | यह विचार किस विज्ञानिक के दिमाग में आया |
उत्तर-न्यूटन

प्रश्न:-वह न्यनतम दुरी जिस पर रखी कोई वस्तु बिना किसी तनाब के अत्यधिक स्पष्ट देखी जा सकती है|
उत्तर- 40 cm तक

प्रश्न:- रेटिना पर किसी वस्तु का उलटा तथा वास्त्विक प्रेतिबिबं बनाता है-
उत्तर- अभिनेत्र -लेंस

प्रश्न:-कोर्निया के पीछे एक सरचना होती है जिसे कहते है
उत्तर-परितारिका

प्रश्न:-नेत्र गोलक की आकृति लगभग गोलाकार होती है तथा इसका व्यास होता है
उत्तर- लगभग 2.3

प्रश्न:-प्रकाश एक पतली झिल्ली से होकर नेत्र मे प्रबेश क्ररता है इस झिली को कहते है |
उत्तर- कोर्निया

प्रश्न:-लेन्स कि क्षमता का SI मात्रक
उत्तर- डाइऑप्टर

प्रश्न:-लेन्स का केन्द्रिय विन्दु क्या कहलाता है ?
उत्तर- प्रकाशिक केन्द्र

प्रश्न:-किसी लेन्स मे बाहर की ओर उभ्ररे दो गोलिया पृष्ठ उसे कहते है-
उत्तर- दो- उतल लेन्स

प्रश्न:- दो पृष्ठों से घिरा हुआ कोई पारदर्शी माध्यम,जिसका एक या दोनो पृष्ठ गोलीय हो|
उत्तर- लेन्स

प्रश्न:-गोलिय शीशा कहलाता है
उत्तर- जिनका परावर्तक पृष्ठ गोलिय है

प्रश्न:-ध्वनि की गति सबसे तेज किस माध्यम में चलती है?
उत्तर- ठोस

प्रश्न:-ध्वनि की प्रबलता है
उत्तर- ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप

प्रश्न:- ध्वनि की तीव्रता कहते हैं |
उत्तर- किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा

प्रश्न:-आवर्ती के SI मात्रक का नाम किसके सम्मान में रखा गया |
उत्तर- हैनरिच रुडोल्फ हर्ट्ज़

प्रश्न:-गतिज ऊर्जा किसे कहते है|
उत्तर- किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित ऊर्जा को

प्रश्न:-आइजक न्यूटन का जन्म कहाॅ हुआ था ?
उत्तर- इंग्लैंड में वूल्स्थोर्पे

प्रश्न:-आइजक न्यूटन ने गणित कि नई शाखा क़ी खोज क़ी | जिसे क्या कहते है ?
उत्तर- कलन

प्रश्न:-अनिश्चितता का सिद्धांत के अनुसार -
उत्तर- इलेक्ट्रोन की स्थिति और वेग का निर्धारण एक साथ नही होता

प्रश्न:-विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते है
उत्तर- जनित्र

प्रश्न:-टरबाइन की आवश्यक चाल को बनाए रखने के लिए पवन की चाल कितनी होनी चाहिए-
उत्तर- 15 km/h

प्रश्न:- चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक -
उत्तर- ओस्टर्ड

प्रश्न:- टंगस्टन का गलनांक कितनी डिग्री सेल्सियस है |
उत्तर- 3380

प्रश्न:-प्रतिरोधको को परस्पर सयोजित करने की दो विधियाँ है | वे कोनसी है|
उत्तर- क्षेणीक्रम सयोजन और पार्श्व क्रम संयोजन

प्रश्न:-प्रतिरोध का SI मात्रक है |
उत्तर- ओम

प्रश्न:-आवेग का विमीय सूत्र किसके विमीय सूत्र के समान है?
उत्तर- संवेग

प्रश्न:-आवेग का मात्रक है-
उत्तर- kg-m/s

प्रश्न:-कौन सा एक व्युत्पन्न मात्रक है?
उत्तर- आयतन का मात्रक

प्रश्न:-हर्ट्ज किसका मात्रक है?
उत्तर- आवृत्ति

प्रश्न:-किलोवॉट-घंटा मात्रक है-
उत्तर- ऊर्जा

प्रश्न:-पृष्ठ तनाव का SI मात्रक है-
उत्तर- न्यूटन/मीटर

प्रश्न:-फैरेड किसका मात्रक है?
उत्तर- आवेश

जानें- विज्ञान के प्रश्न उत्तर | Science questions answers in Hindi

NEET 2023 PHYSICS question ANSWER

प्रश्न:-"पास्कल-सेकेण्ड" किसकी विमा है?
उत्तर- श्यानता गुणांक 

प्रश्न:-सूर्य में ऊर्जा का निरन्तर सृजन किस कारण होता रहता है?
उत्तर- नाभिकीय संलयन 

प्रश्न:-आदर्श वोल्टमीटर की प्रतिरोधिता कितनी होती है?
उत्तर- असीमित

प्रश्न:- एक उड़ते हुए जेट में होती है।
उत्तर- गतिज तथा स्थितिज ऊर्जा दोनों

प्रश्न:-जल विद्युत केंद्र में टर्बाइन किससे चलती है?
उत्तर- पानी के बहने से

प्रश्न:-विषम-मिश्रण से लोहे की परत को किस तकनीक से पृथक किया जा सकता है?
उत्तर- चुम्बकीकरण

प्रश्न:-p – तथा n – प्रकार के दो अर्धचालक, जब संपर्क में लाए जाते हैं, तो वे जो p-n संधि बनाते हैं, वह किस रूप में कार्य करती है?
उत्तर- दिष्टकारी

प्रश्न:- फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम का प्रयोग किसकी दिशा का पता लगाने के लिए किया जाता है?
उत्तर- प्रेरित धारा

प्रश्न:-नॉट (Knot) एक माप है :
उत्तर- जलयान की गति का

प्रश्न:-न्यूक्लियर रिएक्टर में न्यूट्रॉन को किससे अवमंदित किया जाता है?
उत्तर- मॉडरेटर

प्रश्न:-कृत्रिम उपग्रह के जरिए संचार के लिए किन तरंगों का प्रयोग किया जाता
उत्तर- सूक्ष्म तरंगें

प्रश्न:-गामा किरणों से क्या हो सकता है?
उत्तर- जीन-म्यूटेशन

प्रश्न:-धारावाहक तार कैसा होता है?
उत्तर- न्यूट्रल

प्रश्न:-हमारी आकाशगंगा की आकृति है
उत्तर- स्पाइरल

प्रश्न:-तुल्यकाली उपग्रह के परिक्रमण की अवधि होती है:
उत्तर- 24 घंटे

प्रश्न:-रेडियो प्रसारण के संदर्भ में AM’का पूरा रूप क्या है ?
उत्तर- Amplitude Modulation

प्रश्न:-रेडियो की ट्यूनिंग के लिए प्रयुक्त घटना मूलत: एकहोता है।
उत्तर- संघनक

प्रश्न:-एक धातु के चालक का प्रतिरोध________ ।
उत्तर- उसकी लम्बाई के समानुपाती होता है

प्रश्न:-सिलिकॉन किस प्रकार का पदार्थ है?
उत्तर- अर्द्धचालक

प्रश्न:-आवर्धक काँच में लेंस का प्रयोग होता है
उत्तर- उत्तल

प्रश्न:-भारत में किसने परमाणु अंतर्मुखी विस्फोट की तकनीकी (टेक्नोलॉजी) विकसित की थी?
उत्तर- डॉ. होमी जे. भाभा

प्रश्न:-न्यूटन–सेकेंड किसका मात्रक है?
उत्तर- संवेग

प्रश्न:-प्रकाश वर्ष किसका मात्रक है?
उत्तर- दूरी

प्रश्न:-वोल्ट/मीटर किसका मात्रक है?
उत्तर- विद्युत क्षेत्र की तीव्रता

प्रश्न:-प्रकाश की किरण की तरंगदैर्ध्य 0.00006 m, यह किसके बराबर है?
उत्तर- 60 माइक्रॉन

प्रश्न:-हेनरी/ओम को किसमें व्यक्त किया जा सकता है?
उत्तर- सेकण्ड

प्रश्न:-सर सी वी.रामन को वष॔ 1930 मे किस कार्य के लिए नोबेल पुरुस्कार मिला ?
उत्तर- रमन प्रभाव

प्रश्न:-हमारी मांसपेशिया के क्रियास्वरूप लगने बाले बल को कहते है ?
उत्तर- पेशीय बल

इस पोस्ट में हमने NEET 2023 PHYSICS MCQ IN HINDI के बारे में जाना। जो NEET की तैयारी करने वाले विद्यार्थियो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।

आशा करता हूँ NEET 2023 PHYSICS MCQ IN HINDI  का यह पोस्ट आपके लिए मददगार साबित होगा , अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।


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मशरूम की खेती (Mushroom ki Kheti in Hindi)

इस आर्टिकल में हम मशरूम की खेती (Mushroom ki Kheti in Hindi) के बारे में जानेंगे। क्या आपको मशरूम की सब्जी अच्छी लगती है। क्या आपको पता है ये मशरूम कैसी उत्पादित की जाती है। यदि आप नहीं जानते तो इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़ें , आपको मशरूम की खेती की पूरी जानकारी मिल जाएगी। 

मशरूम की खेती (Mushroom ki Kheti in Hindi)


मशरूम की खेती (Mushroom ki Kheti in Hindi)

भारत में मशरूम की खेती का विस्तार तीव्र गति से हो रहा है। विशेषरूप से हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश समेत कुछ अन्य राज्यों में मशरूम उत्पादन में प्रतिवर्ष उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।

1.पैरा अथवा पैडी स्ट्रॉ मशरूम की खेती (Cultivation of Paddy Straw Mushroom-Volvariella sp.)

बेड निर्माण तथा फसल उगाना (Bed preparation and cropping)-

हमारे छत्तीसगढ़ प्रदेश के लिए धान एक प्रमुख फसल है। अतः यहाँ धान का पैरा आसानी से उपलब्ध रहता है। पैरा का उपयोग बेड निर्माण में किया जाता है। सर्वप्रथम हाथ से काटे गये 3-4 फीट लम्बे, शुष्क तथा निरोगी पैडी स्ट्रॉ के बण्डल बनाये जाते हैं। एक बेड के निर्माण हेतु ऐसे 32 बण्डलों की आवश्यकता होती है तथा प्रत्येक बण्डल में एक से डेढ़ किलोग्राम पैरा होता है। इन बण्डलों को जल (Water) में 8-16 घण्टों तक डुबोकर (Soaked) रखा जाता है। तत्पश्चात् इन्हें बाहर निकालकर स्वच्छ पानी से धोया जाता है। अन्त में बण्डलों को लटकाकर अतिरिक्त पानी निकाल दिया जाता है।

पैरा नहीं बदलें अब पैडी स्ट्रॉ के बण्डलों को एक के ऊपर एक चार स्तरों (Four layers) में रखा जाता है। प्रत्येक स्तर में 8 बण्डल होते हैं। अब स्पॉन बॉटल (Spawn bottle) को खोलकर काँच की छड़ से हिलाकर स्पॉन को बेड के प्रत्येक स्तर के किनारों से 10 सेमी. की दूरी पर छिड़क दिया जाता है। यह छिड़काव (Sprinkling) 23 सेमी. सतत् भीतर की ओर किया जाता है। छिड़के हुए स्पॉन (Spawn) पर बेसन (पिसी लुई चने की दाल) को पतली पर्त छिड़क दी जाती है। इसी प्रकार दूसरी, तीसरी तथा चौथी लेयर का निर्माण किया जाता है। चौथे स्तर के निर्माण में थोड़ा-सा अन्तर होता है। चौथे स्तर में स्पॉन (Spawn) का छिड़काव समूची सतह पर एक समान किया जाता है जबकि अन्य स्तरों पर यह किनारों पर अधिक होता हैं।

बेड्स पर गर्म दिनों में 2-3 बार जल का छिड़काव किया जाता है। वर्षा काल में भी एकाध बार जल का छिड़काव आवश्यक है। यदि आवश्यक हो तो 0.1% मेलेथियॉन (Melathion) तथा 0.2% डाइइथेन Z.-78 (Dicthane Z-78) का छिड़काव किया जाता है। इस छिड़काव से कोटों (Insects), पेस्ट्स (Pests) तथा अन्य रोगों से बेड की रक्षा होती है।

कटाई तथा विपणन (Harvesting and Marketing)-

स्पॉनिंग (Spawning) 10-12 दिनों बाद फसल उगने लगती है। मशरूम की कटाई (Harvesting) सामान्यत: बटन स्टेज (Button stage) या फिर कप के फुटने (Rupturing) के तुरन्त बाद की जाती है। फसल को निकालने के 8 घण्टों के भीतर मशरूम का उपयोग कर लेना चाहिए या फिर इन्हें 10-15°C तापमान पर 24 घण्टों तक रख देना चाहिए अन्यथा ये नष्ट हो जाते हैं। इन्हें फ्रिज में एक सप्ताह तक रखा जा सकता है।

ताजा मशरूम को धूप में या फिर ओवन (Oven) में 55° से 60°C तापमान पर 8 घण्टों तक रखकर सूखाया जाता है। सूखने के बाद इन्हें पैक (Packed) कर सील कर दिया जाता है ताकि ये नमी (Moisture) न सोख सकें। मशरूम की पैकिंग प्राय: बटन स्टेज में करना उपयुक्त होता है। आमतौर पर प्रति बेड 3-4 किलोग्राम मशरूम की प्राप्ति की जा सकती है।

2. धींगरी की खेती (Cultivation of Pleurotus sp.)

अधोस्तर का चुनाव (Choice of substratum)- 

प्लूरोटस के खेती के लिए कटे हुए पैडी स्ट्रॉ (Chopped paddy straw) सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। अन्य पदार्थों में मकई की बाल (Maize cob), गेहूँ स्ट्रॉ (Wheat straw), रॉइ स्ट्रॉ (Rye straw), शुष्क घास (Dried grasses) कम्पोस्ट तथा लकड़ी के लट्ठे (Wooden logs) इत्यादि इस्तेमाल किये जा सकते हैं। बेड निर्माण तथा फसल उगाना (Bed preparation and Cropping)-कटे हुए पैडी स्ट्रॉ को 8-12 घण्टे तक पानी के टंकी (Water tank) में डुबोकर रखा जाता है। स्ट्रॉ को बाहर निकालकर स्वच्छ पानी से धोकर, अतिरिक्त पानी निकाल दिया जाता है। अब अधोस्तर (Substratum) को लकड़ी की ट्रे (1×1/2x1/4 मीटर) में रखा जाता है। पूरी ट्रे पर स्पॉन (Spawn) का छिड़काव किया जाता है। स्पॉनिंग (Spawing) के पश्चात् ट्रे को पॉलीथिन शीट से ढँक दिया जाता है। नमी बनाये रखने हेतु जल का छिड़काव दिन में 1 या 2 बार किया जाता है। 10-15 दिनों के बाद मशरूम के फलनकाय (Fruiting bodies) निकलने लगती हैं। जब पॉलीथिन शीट को हटा दिया जाता है। मशरूम की खेती पहले फलनकाय निकलने के 30-45 दिनों के बाद तक जारी रहती है।

बेड पर आवश्यकतानुसार जल का छिड़काव किया जाता है। तापमान 25°C (°5°C) तथा आपेक्षिक आर्द्रता (Relative humidity) 85-90% तक रखी जाती है। वातन (Aeration) की अच्छी व्यवस्था की जाती है तथा रोगनाशकों (0.1% Melathion, 0.2% Diethane Z-78) का छिड़काव किया जाता है।

कटाई तथा विपणन (Harvesting and Marketing)- 

मशरूम की कटाई उस समय की जाती है जब फलनकाय के पाइलियस (Pileus) का व्यास (Diameter) 8-10 सेमी. हो जाए। फसल को मोड़कर (Twisting) तोड़ा जाता है। आवश्यकतानुसार इसका विपणन कच्चा अथवा सूखाकर किया जाता है। मशरूम को धूप या ओवन में सूखाकर पैकिंग सीलिंग की जाती है ताकि ये नमी सोखकर नष्ट न होने पाये।

प्लूरोटस सजोर-काजू नामक प्रजाति 15 से 25 दिनों में तैयार हो जाती है। इसको खेती सरल है तथा इसमें प्रोटीन की मात्रा (Protein content) अत्यधिक होती है। इसमें मानव पोषण के लिए आवश्यक सभी अमीनो अम्ल (Amino acid) भी उपस्थित रहते हैं।

इसके खाद्य गुण (Palatability), स्वाद (Taste), सुगन्ध (Flavour) तथा मांस (Meat) के सदृश होनेके कारण " प्लूरोटस सजोर-काजू" को अत्यधिक पसंद किया जाता है।

मशरूम कृषि का महत्व (Importance of Mushroom Cultivations)

भारत सहित विश्व के अनेक देशों के लिये कुपोषण (Malnutrition) एक गम्भीर समस्या है। विकसित देशों (Developed countries) में जहाँ प्रति व्यक्ति प्राणी प्रोटीन की औसत खपत 31 किलोग्राम प्रतिवर्ष है, वहीं भारत में यह केवल 4 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष है। मशरूम (Mushrooms) प्रोटीन के प्रमुख स्रोत होते हैं। शुष्क भार (Dry weight) के आधार पर विभिन्न मशरूम में प्रोटीन की कुल मात्रा 21 से 30 प्रतिशत तक होती है। प्रोटीन की इतनी मात्रा अन्य स्रोतों, जैसे—अनाज (Cereals), दालों (Pulses), फल (Fruits) तथा सब्जियों (Vegetables) में भी नहीं होती। प्रोटीन के अलावा इसमें कैल्सियम, फॉस्फोरस तथा पोटैशियम जैसे खनिज तत्व भी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। सभी आवश्यक अमीनो अम्लों का इनमें समावेश होता है। भारत गरीबी, जनसंख्या वृद्धि तथा कुपोषण की समस्याओं से ग्रस्त है। ऐसी स्थिति में यदि मशरूम को आम जनता खासकर शिशु एवं किशोर युवाओं को उपलब्ध कराया जाए तो उनमें कुपोषण के कारण होने वाली शारीरिक समस्याओं को होने से रोका जा सकता है। मशरूम की खेती को आवश्यक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए क्योंकि मशरूम न केवल पोषक हैं बल्कि इनकी खेती भी सस्ती है।

मशरूम अपने स्वाद एवं पोषक मान जैसे प्रोटीन, खनिज तत्वों की बहुलता तथा कोलेस्टेरॉलरहित वैल्यू के कारण उच्चवर्गीय भारतीयों के आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। इससे विविध प्रकार के स्वादिष्ट\ व्यंजन, जैसे-मशरूम पनीर, मशरूम पुलाव, मशरूम ऑमलेट, मशरूम सूप, मशरूम टिक्का आदि बनाये जाते हैं। छोटे एवं बड़े शहरों में इसका प्रचलन दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है।

इस आर्टिकल में हमें मशरूम की खेती और उसके महत्व के बारे में जाना। जो परीक्षा के साथ साथ हमारे दैनिक जीवन की सामान्य जानकरी के लिए बी जरुरी है।

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