बिन्दुस्रावण तथा वाष्पोत्सर्जन में अन्तर (Differences between Guttation & Transpiration in hindi)

आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे  बिन्दुस्रावण तथा वाष्पोत्सर्जन में अन्तर (Differences between Guttation & Transpiration) और बिन्दुस्रावण तथा वाष्पोत्सर्जन की क्रिया कैसे संपन्न होता है।

बिन्दुस्रावण तथा वाष्पोत्सर्जन


बिन्दुस्रावण तथा वाष्पोत्सर्जन में अन्तर (Differences between Guttation & Transpiration)

सं.क्र. बिन्दुस्राव या बिन्दुस्रावन (Guttation) वाष्पोत्सर्जन (Transpiration)
1. इसमें जलीय विलयन बूंदों के रूप में बाहर निकल हैं। बूँदें काफी समय तक स्पष्ट दिखाई देती हैं। वाष्पोत्सर्जन में शुद्ध जल जलवाष्प के रूप में निष्कासित होता है।
2. यह जलरन्ध्रों (Hydathodes) के द्वारा होता है। यह रन्ध्र, वातरन्ध्र, उपत्वचा आदि के द्वारा होता है।
3. यह प्राय: देर रात्रि पश्चात् या प्रातःकाल में होता है। यह दिन में अधिक तथा सभी स्थलीय पौधों में होता है। यह शाकीय, क्षूपीय तथा काष्ठीय अर्थात् सभी प्रकार के पौधों में होता है।
4. इसके द्वार की रक्षक कोशिकाओं में स्लथ तथा स्फीत होने की प्रक्रिया नहीं होती है। रंध्रो के रक्षक कोशिकाओं में स्लथ तथा स्फीत होने की प्रक्रिया क्रियाशील होती है। फलस्वरूप रंध्र बंद होता एवं खुलता है।
5. इस क्रिया में निष्काषित जल में खनिजों की प्रचुरता होती है। इस क्रिया में निष्काषित जल शुद्ध होता है।
6. मूल दब रात्रि में अधिक होने के कारण यह क्रिया होती है। इसका मूल दब से कोई सम्बन्ध नहीं है।
7. बिन्दुस्रावन की दर में वृद्धि होने के कारण पौधे मुर्झाते नहीं है। वस्पोत्सर्जन की दर में वृद्धि होने से पौधे मुर्झा जाते है।

बिन्दुस्रावण तथा वाष्पोत्सर्जन में अन्तर (Differences between Guttation & Transpiration)

 बिन्दुस्त्रावण ( Guttation) - जलरन्ध्रों (Hydathodes) द्वारा पत्तियों के किनारे या पत्तियों के शिखर पर जल का बूँदों के रूप में स्रावित होना, बिन्दुस्रावण कहलाता है। यह क्रिया तब होती है जब अधिक मात्रा में जल अवशोषण तथा अपेक्षाकृत कम मात्रा में वाष्पोत्सर्जन हो रहा होता है। पारिस्थितिक अर्थात् जलवायवीय दृष्टि से जब वातावरण में अधिक आर्द्रता तथा मृदा में जल भरपूर मात्रा में होता है, तब यह क्रिया होती है। उदाहरण कोलोकेसिया (Colocasia), नास्टरशियम (Nastertium), पिस्टिया (Pistia), टमाटर (Tomato) आदि।

 वाष्पोत्सर्जन (Transpiration)- पौधों द्वारा अवशोषित जल का मात्र 5 से 10 प्रतिशत ही उनके द्वारा अपनी विभिन्न उपापचयिक क्रियाओं में उपयोग किया जाता है तथा शेष 90-95% जल पौधे के वायवीय भाग द्वारा जलवाष्प के रूप में निकाल दिया जाता है। पौधे के वायवीय भागों से उनके ऊतक में स्थित जल का जलवाष्प के रूप में वातावरण में निष्कासन की क्रिया वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) कहलाती है। एक जल को जलवाष्प में परिणत होने में 540 कैलोरी ताप ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

तो हमने ऊपर जाना बिन्दुस्रावण तथा वाष्पोत्सर्जन में अन्तर और बिन्दुस्रावण तथा वाष्पोत्सर्जन की परिभाषा आशा है आपको हमारा यह पोस्ट अच्छा लगा होगा । अगर आपको लगता है की इसे पड़ना चाहिए तो  कृपया  अपने दोस्तों के साथ इस पोस्ट को शेयर करे ।

 "धन्यवाद "

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