चुम्बक से संबंधित सवाल (Magnet related questions)
हेलो दोस्तों, इस लेख में चुम्बक से संबंधित सवाल जैसे- चुम्बक क्या है, चुम्बकीय व्यवहार क्या है, प्रतिचुम्बकीय ,लौह्चुम्बकीय क्या है के बारे में विस्तृत रूप में जानेंगे। चुम्बक विज्ञान के प्रमुख खोजो में से एक हैं. यदि चुम्बक ना होता तो आज न जाने कितनी ही विधुत से चलने वाली चीजे ना बन पाती क्योंकि चुम्बक अपने आप पास एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता हैं जिसके सहारे आज कई सरे यंत्र चलायें जा रहें हैं. आज के इस लेख में हम चुम्बक से संबंधित सवाल और उनके सही और सटीक जवाब को कारण सहित जानेंगे।
चुम्बक क्या है ?
चुम्बकीय व्यवहार से आप क्या समझते हैं? चुम्बकीय व्यवहार कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर – संक्रमण धातु संकुल बन्ध चुम्बकीय क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के व्यवहार प्रदर्शित करते हैं। संकुलों द्वारा प्रदर्शित भिन्न-भिन्न व्यवहार को चुम्बकीय व्यवहार कहते हैं। संक्रमण धातु संकुलों में चुम्बकीय गुण संकुल के धातु आयन में उपस्थित अयुग्मित इलेक्ट्रॉन के चक्रण गति या कक्षक गति या दोनों के कारण उत्पन्न होता है। इस प्रकार संकुलों द्वारा प्रदर्शित चुम्बकीय व्यवहार अलग-अलग प्रकार के होते हैं, जो निम्नानुसार हैं.
चुम्बकीय व्यवहार के प्रकार-
- प्रति चुम्बकीय व्यवहार,
- अनुचुम्बकीय व्यवहार,
- लौहचुम्बकीय व्यवहार,
- प्रति लौह चुम्बकीय व्यवहार,
- फेरी चुम्बकीय व्यवहार।
प्रतिचुम्बकत्व एवं प्रतिचुम्बकीय पदार्थ को समझाइये।
उत्तर - ऐसे पदार्थ, जो किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र के विपरीत दिशा में आंशिक रूप से चुम्बकित हो जाते हैं अर्थात् चुम्बकीय बल रेखायें निर्वात् की अपेक्षा इन पदार्थों में कठिनाई से गुजरती है, इन्हें प्रतिचुम्बकीय पदार्थ कहते हैं। पदार्थों के इस गुण को प्रतिचुम्बकत्व कहते हैं,प्रतिचुम्बकीय पदार्थ चुम्बकीय बल रेखाओं को प्रतिकर्षित करते हैं। ऐसे पदार्थ, जिनमें युग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं। चुम्बकीय व्यवहार प्रदर्शित नहीं करते हैं।
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ को चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर उनमें एक प्रेरित चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है, जो लगाये गये चुम्बकीय क्षेत्र का विरोध करता है। प्रतिचुम्बकत्व सभी पदार्थों में मिलता है, क्योंकि यह युग्मित इलेक्ट्रॉनों के कारण होता है। केवल हाइड्रोजन इसका अपवाद है। युग्मित इलेक्ट्रॉनों वाले पदार्थों में एक इलेक्ट्रॉन द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय आघूर्ण अपने साथी इलेक्ट्रॉन द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय आघूर्ण के बराबर एवं विपरीत होने के कारण एक-दूसरे को निरस्त कर देते हैं, जिससे युग्मित इलेक्ट्रॉन युक्त पदार्थों में चुम्बकीय आघूर्ण नहीं पाया जाता है।
जैसे- Sc (III), Ti (IV), Zn (II), Cr (I), TiO2, V2O5 आदि।
अनुचुम्बकत्व एवं अनुचुम्बकीय व्यवहार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- जब किसी पदार्थ को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो पदार्थ के अन्दर चुम्बक की क्षेत्र-शक्ति लगाये गये चुम्बकीय क्षेत्र शक्ति से अधिक होती है, तो ऐसे पदार्थों को अनुचुम्बकीय पदार्थ कहते हैं। चुम्बकीय बल रेखायें निर्वात् की अपेक्षा इन पदार्थों में से आसानी से गुजर जाती है। इस प्रकार अनुचुम्बकीय पदार्थ चुम्बकीय बल रेखाओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। पदार्थों के इस गुण को अनुचुम्बकत्व कहते हैं। ऐसे संक्रमण तत्व,जिनके (n-1)d कक्षक में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं । ये अनुचुम्बकीय व्यवहार प्रदर्शित करते हैं। ऐसे संक्रमण तत्वों के संकुलों को चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर इनका परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण शून्य नहीं होता है तथा संकुल चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आकर्षित होता है। इन संकुलों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों n की संख्या जितनी अधिक होगी, अनुचुम्बकत्व गुण उतना ही अधिक होगा।
अनुचुम्बकत्व तीन प्रकार का होता है -
- सामान्य अनुचुम्बकत्व
- ताप पर निर्भर न करने वाला अनुचुम्बकत्व
- मुक्त इलेक्ट्रॉन अनुचुम्बकत्व
लौह चुम्बकत्व एवं लौह-चुम्बकीय पदार्थ की व्याख्या कीजिए।
उत्तर - यह एक विशेष प्रकार का अनुचुम्बकत्व है। वे पदार्थ, जिनमें बड़ी संख्या में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं तथा जिसे स्थायी रूप से चुम्बकीत किया जा सकता है, उसे लौह-चुम्बकीय (Ferromagnetic) पदार्थ कहते हैं। ये पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र में अत्यधिक प्रबलता से आकर्षित होते हैं। जैसे-Fe, Co, Ni, CrO2, एवं Fe3O4 आदि ।
लौह-चुम्बकत्व तथा अनुचुम्बकत्व में तीव्रता का अन्तर पाया जाता है । लौह-चुम्बकीय पदार्थों का चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकन बहुत तीव्र एवं प्रबल होता है। अनुचुम्बकीय पदार्थों में चुम्बक की भाँति व्यवहार करने वाले परमाणु या आयन अधिक दूरी पर होते हैं, अतः इनके मध्य कोई अन्योन्य क्रिया नहीं होती है। ये पदार्थ तनु चुम्बकीय कहलाते हैं। लौह-चुम्बकीय पदार्थों में अनुचुम्बकीय परमाणु या आयन एक-दूसरे के अधिक निकट होते हैं। ये पदार्थ सान्द्र चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। सान्द्र चुम्बकीय पदार्थ के सभी अनुचुम्बकीय आयनों के कुल चक्रण मूल अवस्था में एक ही दिशा में सरेखित हो जाते हैं, यह प्रक्रिया ही लौह-चुम्बकत्व है।
लौह-चम्बकत्व एवं प्रति लौह-चुम्बकीय पदार्थ की व्याख्या कीजिए।
उत्तर - ऐसे पदार्थ, जिनमें आधे इलेक्ट्रॉन चक्रण एक प्रकार से पंक्तिबद्ध होते हैं तथा आधे इलेक्ट्रॉन चक्रण दूसरे प्रकार से पंक्तिबद्ध होते हैं, प्रति लौह-चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। इन पदार्थों में चुम्बकीय आघूर्ण नहीं होता तथा ये चुम्बकीय क्षेत्र में अनुचुम्बकीय व्यवहार प्रदर्शित नहीं करते हैं। ऐसे पदार्थों को जब गर्म किया जाता है, तो एक निश्चित ताप के बाद ये अनुचुम्बकीय हो जाते हैं। वह ताप, जिसके ऊपर प्रति लौह-चुम्बकीय पदार्थ अनुचुम्बकीय गुण प्रदर्शित करते हैं, उस ताप को नील-ताप (Neel-temp.) कहते हैं।
जैसे-MnC एवं Fe3+, Mn2+, Gd3+ के अनेक लवण तथा V2O3, Cr2O3, CoO, NiO आदि प्रति लौह-चुम्बकीय गुण प्रदर्शित करते हैं।
विधि - दिये गये पदार्थ के चूर्ण को सेम्पल नली में भरकर इसे वैश्लेषिक तुला में लटका देते हैं। सेम्पल नली चित्रानुसार विद्युत् चुम्बकीय क्षेत्र में लटकी रहती है। पहले पदार्थ का भार ज्ञात कर लेते हैं । इसके बाद 5,000 से 15,000 ऑस्टैड शक्ति का चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न कर पदार्थ का पुन: भार ज्ञात कर लेते हैं। दोनों भार का अन्तर An ज्ञात करके सूत्र द्वारा चुम्बकीय आण्विक सुग्राहिता की गणना कर लिया जाता है।
चुम्बकीय सुग्राहिता की परिभाषा दीजिये।
उत्तर- चुम्बकीय सुग्राहिता (Magnetic Susceptibility)- चुम्बकीयकरण की तीव्रता (I) तथा चुम्बकीय क्षेत्र शक्ति (H) के अनुपात को चुम्बकीय सुग्राहिता कहते हैं।
K = I / H
जहाँ K = चुम्बकीय सुग्राहिता है.
जिसे चुम्बकीय सुग्राहिता प्रति इकाई आयतन में व्यक्त की जाती है, जिसे आयतन सुग्राहिता भी कहते हैं। प्रति चुम्बकीय पदार्थों के लिये K का मान ऋणात्मक होगा तथा अनुचुम्बकीय पदार्थों के लिए धनात्मक होगा।
इस लेख में चुम्बक से संबंधित सवाल जैसे- चुम्बक क्या है, चुम्बकीय व्यवहार क्या है, प्रतिचुम्बकीय ,लौह्चुम्बकीय पदार्थ क्या है के बारे में जाना। विभिन्न परीक्षाओं में चुम्बक से संबंधित सवाल पूछे जाते हैं।
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