लिंग सहलग्नता क्या है (what is gender linkage)

लिंग सहलग्नता क्या है (what is gender linkage)

नमस्कार मित्रों, आज के इस आर्टिकल में लिंग सहलग्नता क्या है? लिंग सहलग्नता के प्रकार, लिंग सहलग्नता के कारण इन सब की जानकारी सरल रूप से दिया गया है अगर आप विज्ञान के विद्यार्थी हैं तो ये जानकारी आपके लिए बेहद उपयोगी होने वाला है. क्यों लिंग सहलग्नता क्या है? लिंग सहलग्नता के प्रकार, लिंग सहलग्नता के कारण कॉलेज एग्जाम हो या स्कूल में हो यह प्रश्न परीक्षा में पूछे ही जाते है.


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लिंग सहलग्नता (Sex linkage) - यह एक विशेष प्रकार की सहलग्नता (Linkage) होती है, जो आनुवंशकों (Genes) के मध्य पाई जाती है, जो कि लिंग गुणसूत्र (Sex Chromosomes) में पाये जाते हैं। समजात एवं विषमजात (Homologous and non-homologous) X एवं Y-क्रोमोसोम के खण्डों की स्थिति के अनुसार जीन विनिमय नहीं कर सकते हैं, यह स्थिति अपूर्ण रूप से जीन लिंग सहलग्न (Sex-linked) माने जाते हैं। लिंग सहलग्नता को सर्वप्रथम मॉर्गन (Morgan) ने ड्रोसोफिला पर ज्ञान किया था। 

परिभाषा (Definition)-"वे गुण जिनके जीन्स लिंग गुणसूत्र पर पाये जाते हैं, लिंग सहलग्न गुण तथा इन गुणों का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जीन्स के द्वारा जाना लिंग सहलग्न जीन्स (Sex linkage genes) तथा इसकी वंशागतिकी लिंग सहलग्नता (Sex linkage) कहलाता है।"

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लिंग सहलग्नता के प्रकार (Kinds of Sex link age)

X या Y-क्रोमोसोम पर लिंग सहलग्न जीन्स के स्थित होने के आधार पर लिंग सहलग्न वंशागति निम्न प्रकार की होती है -

(i) होलोजेनिक (Hologenic)-

इस प्रकार के लिंग सहलग्न जीन सीधे मादा से मादा में वंशानुगत होते हैं। 

(ii) होलोऐन्ड्रिक (Holoandric)-

इसमें Y क्रोमोसोम, असमजात भागों में पाये जाने वाले जीन्स पिता से पुत्र में वंशानुगत होते हैं।

(iii) डाइऐन्ड्रिक (Diandric)- 

मादा के दोनों x क्रोमोसोम, समजात क्रोमोसोम के समान व्यवहार करते हैं तथा नर से प्राप्त X-क्रोमोसोम को पुत्री में वंशानुगत कर देते इस प्रकार के लिंग सहलग्न जीन्स गुणसूत्र के असमजात भाग में पाये जाते हैं। यह जीन्स पिता से F. पीढ़ी की स्त्रियों के माध्यम से F, पीढ़ी नर संतति में वंशानुगत होते हैं। 

लिंग सहलग्न वंशागति (Sex-linked inheritance) मानव के लैंगिक लक्षणों के अलावा गैर लैंगिक या दैहिक (Somatic) लक्षणों के निर्धारण के लिए जीन्स लिंग गुणसूत्रों (Sex Chromosomes) पर पाये जाते हैं। इन जीन्स को सेक्स लिंक्ड जीन्स तथा इनके लक्षणों को सेक्स लिंक्ड लक्षण कहते हैं। 

यद्यपिx और Y लिंग क्रोमोसोम की रचना भिन्न होती है, पर गैमेटोजिनेसिस के दौरान मियोटिक विभाजन में इनमें युग्मन या सिनैप्सिस अन्य समजात (Homologous) जोड़ियों के गुणसूत्रों की तरह ही होता है। लिंग गुणसूत्रों की रचना में एक समजात खण्ड तथा असमजात खण्ड होता है,

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लिंग सहलग्न लक्षणों को तीन श्रेणियों में बाँट सकते हैं

(i) X-लिंक्ड- वे लिंग सहलग्न लक्षण जिनके जीन्स X-गुणसूत्र के असमजात खण्ड पर होते हैं, ये पुत्रियों को माता और पिता दोनों से मिल सकते हैं, परन्तु पुत्रों को केवल माता से मिलते हैं। 

(ii) Y-लिंक्ड- वे जिनके जीन्स Y- क्रोमोसोम के नॉन-होमोलॉगस खण्ड पर होते हैं अतः इनके ऐलील्स x-क्रोमोसोम पर नहीं होते, ये पीढ़ी-दर-पीढ़ी से पुत्रों में ही जाते हैं, अतः इन्हें होलोऐण्ड्रिक जीन्स कहते हैं। 

(iii) XY-लिंक्ड- वे जिनके जीन X वY-क्रोमोसोम के होमोलॉगस खण्डों पर ऐलील्स के रूप में होते हैं, अतः इनकी वंशागति सामान्य ऑटोसोमल लक्षणों की तरह होती हैं।

लिंग सहलग्नता के कारण-(type of gender linkage)

लिंग सहलग्न लक्षणों की वंशागति को लिंग सहलग्न कहते हैं। मानव के कुछ आनुवंशिक रोग के जीन मुख्य रूप से X-क्रोमोसोम में होते हैं। इनमें से अधिकांश रोगों के जीन रेसेसिव (अप्रभावी) होते हैं अर्थात् इन जीन्स के प्रभावी (Dominant) ऐलील सामान्य रोगहीन दशा स्थापित करते हैं, क्योंकि पुरुष में x क्रोमोसोम केवल एक जवलि स्त्रियों में दो होते हैं, अत : इन लक्षणों की वंशागति विशेष प्रकार की होती है। 

इन जीन्स के रेसेसिव होने के कारण ये रोग हेटरोजायगस स्त्रियों में नहीं होते, ये केवल होमोजायगस (स्त्रियों मे होते हैं, जिसमें दोनों X- क्रोमोसोमों) में रोग के जीन्स होते हैं। लेकिन पुरुषों में केवल एक X-गुणसूत्र होने के कारण रोग के लक्षण का केवल एक ही जीन उपस्थित हो सकते हैं, अतः एक ही रिसेसिव जीन से रोग पैदा हो जाता है।

इसलिए आनवंशिक रोगों के लक्षण प्रायः पुरुषों में अधिक पाये जाते हैं। दूसरी ओर इन लक्षणों की वंशागति से यह स्पष्ट हो जाता है कि पुत्रों को इन लक्षणों के जीन पिता से कभी नहीं मिलते, क्योंकि पुरुष का अकेला 'X' क्रोमोसोम हमेशा पुत्रियों में जाता है। इन पुत्रियों से फिर यह जीन दूसरी पीढ़ी 32 के पुत्रों (F Qमें ज+ है। अतः पुत्रियों की भूमिका प्रायः वाहक की होती है।

लिंग सहलग्नता के आनुवंशिकी या वंशागति 

(1) रंग वर्णान्धता (Colour blindness)- 

यह वंशागति मनुष्य में एक बीमारी के रूप में पाया जाता है जिसमें व्यक्ति मिलते जुलते रंगों में भेद नहीं कर पाता है। वैसे तो मनुष्यों में कई प्रकार के रंग वर्णान्धता के होते हैं लेकिन लाल-हरी वर्णान्धता प्रमुख है। इसे Protanopin या लाल वर्णान्धता भी कहते हैं। 

  • वर्णांध पुरुष व सामान्य स्त्री का विवाह- यदि एक सामान्य वर्णबोध वाली स्त्री का विवाह वर्णांध पुरुष के साथ होता है, तो उसकी सभी संतानें सामान्य वर्णबोध वाली होती हैं । यद्यपि पुत्रियों में दृष्टि सामान्य होगी पर वे रोग की वाहक होगी क्योंकि इन्हें एक x-क्रोमोसोम पिता से प्राप्त होता है, जिसमें वर्णांधता से सम्बन्धित जीन होता है। दूसरा X-क्रोमोसोम माता से प्राप्त होता है, इनके पुत्रों में सामान्य वर्णबोध होगा। 
  • अगर ऐसी वाहक (Carrier) पुत्री का विवाह किसी सामान्य वर्णबोध वाले पुरुष के साथ हो, तो उसकी सभी पुत्रियों में सामान्य वर्णबोध होगा, किन्तु उनमें से 50% पुत्रियाँ वाहक होंगी, क्योंकि उनमें एक जीन वर्णांधता के लिए दूसरा सामान्य वर्णबोध के लिए होगा तथा इनके पुत्रों में 50% पुत्र वर्णांध होंगे। वर्णान्ध को C द्वारा प्रदर्शित करते हैं

  • सामान्य पुरुष तथा वाहक स्त्री का विवाह- इस प्रकार के उत्पन्न सन्तानों में 25% लड़के वर्णान्ध तथा 25% सामान्य, जबकि लड़कियों में 25% वाहक तथा 25% सामान्य होंगे।
  • वर्णान्ध पुरुष तथा वाहक स्त्री का विवाह- इस प्रकार के उत्पन्न सन्तानों में 25% पुत्र वर्णान्ध 25% पुत्र वाहक तथा 25% पुत्रियाँ वर्णान्ध, 25 पुत्रियाँ सामान्य होंगी।

(2) हीमोफीलिया की वंशागति (Inheritance of Haemophilia)- 

इस रोग में थ्रॉम्बोप्लास्टिन की कमी के कारण चोट लगने पर मनुष्य में रुधिर का ठीक से थक्का नहीं बनता, जिससे रक्त का बहना जारी रहता है। इसलिए इसे ब्लीडर्स रोग (Bleeders disease) भी कहते हैं। इस रोग में रोगी के रुधिर में एण्टीहीमोफीलिक-ग्लोबिन प्रोटीन की अनुपस्थिति के कारण थ्राम्बोप्लास्टिन का निर्माण नहीं हो पाता। इस प्रोटीन का निर्माण X-क्रोमोसोम पर स्थित जीन द्वारा नियन्त्रित रहता है। इस रोग के बारे में सबसे पहले जॉन कोटो ने सन् 1803 में बताया। हीमोफीलिया रोग यूरोप के शाही खानदान में बहुत सामान्य तथा इसकी शुरुआत महारानी विक्टोरिया से हुईयह वंशागति 

हीमोफीलिया की वंशागति दो प्रकार की होती है 

(a) हीमोफीलिया A- यह एण्टी हीमोफीलिक ग्लोब्यूलीन की कमी के कारण होता है।

(b) हीमोफीलिया B- यह प्लाज्मा में थ्राम्बोप्लास्टीन की कमी के कारण होती है। हीमोफिलिया को h द्वारा प्रदर्शित करते हैं। 

उदाहरण (Example)-सामान्य पुरुष एवं हीमोफीलिक स्त्री का विवाह- इससे उत्पन्न सन्तानों में 50% एक लड़का, एक लड़की सामान्य होगी तथा 50% एक लड़का, एक लड़की हीमोफीलिया वंशागत होगा।

इस आर्टिकल में हमने लिंग सहलग्नता क्या है (what is gender linkage) के बारे में जाना । विभिन्न परीक्षाओं में लिंग सहलग्नता क्या है (what is gender linkage) से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं।

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