एन्जाइम्स क्या है? (what are enzymes in Hindi)

नमस्कार दोस्तों, आंसर दुनिया की वेब पेज में आपका स्वागत है। एन्जाइम्स प्रोटीन के बने अधिक अणुभार वाले प्रो जटिल कार्बनिक पदार्थ है। यह जीव शरीर में होने वाली इस जैव-रासायनिक प्रतिक्रियाओं में उत्प्ररेक (Catalyst) की भाँति कार्य करता है, उत्प्ररेक हम उसे कहते हैं जो किसी रासायनिक क्रिया को बढ़ा देता हैं। प्रतिक्रिया में भाग लेते समय इनमें loc कोई परिवर्तन नहीं होता है।  एन्जाइम नाम कुहने (Kuhne) ने सन् 1978 में दिया था। आज के इस पोस्ट में हम एन्जाइम्स क्या है ,एन्जाइम्स का वर्गीकरण ,एन्जाइम्स का महत्व इत्यादि के बारे में जानेंगे।

एन्जाइम्स क्या है (what are enzymes)

एन्जाइम्स की विशेषताएँ- 

  1. अधिकांश पानी या नमक के घोल में घुलनशील होते हैं। 
  2. ये जटिल प्रोटीन्स हैं। 
  3. ये प्रायः रंगहीन, कुछ लाल, पीले, नीले, भूरे होते हैं 
  4. कुछ ठोस व रवेदार होते हैं। 
  5. ये क्षारीय अभिकर्मक (Alkaloid reagent) के साथ अवक्षेप बनाते हैं। 
  6. ये 25-40°C के मध्य पूर्ण रूप से सक्रिय होते हैं। 
  7. इनमें प्रतिक्रिया की क्षमता बहुत अधिक होती है। 
  8. इनके द्वारा नियंत्रित प्रतिक्रियाएँ उत्क्रमणीय (Re versible) होती हैं। 
  9. इनका कार्य सामूहिक होता है। 
  10. ये कोलॉइडल प्रकृति (Colloidal Nature) के होते हैं।
  11. ये जीन्स के अनुसार होते हैं। अधिकांश कोशिका के कोशिकाद्रव्य में घुले रहते हैं, परन्तु माइट्रोकॉण्ड्रिया, राइबोसोम्स, लाइसोसोम्स (lysosomes) आदि में होते हैं।

what are enzymes


एन्जाइम्स की रासायनिक प्रकृति- 

कुनिज (Kuntz) ने सन् 1931 में दिखाया कि एन्जाइम प्रोटीन युक्त स्वभाव के के लिस्ट होते हैं। इनमें उन सभी विशेषताओं को निम्न दो समूहों में बाँटा जा सकता है 

(1) सरल प्रोटीन एन्जाइम्स (Single Protein.En zymes)—ये सरल प्रोटिन्स के बने होते हैं। 

(ii) जटिल प्रोटीन एन्जाइम्स या कॉन्जूगेटेड एन्जाइम Complex Protein enymes or conjugated en zymes)-ये जटिल प्रोटीन्स के बने होते हैं। जिसमें अप्रोटीन भाग के (Non-Protein group) विशिष्ट प्रोटीन से जुड़ा रहता है। ये दोनों समूह यदि पृथक्-पृथक् कर दिये जाते हैं, तब एन्जाइम क्रियाहीन हो जाता है Conjugated enzyme का प्रोटीन वाला भाग (जो वास्तव में एन्जाइम होता है), एपोएन्जाइम (Apoenzyme) कहलाता है, तथा इसका नॉन प्रोटीन वाला भाग को-फैक्टर (Co-factor) कहलाता है। इस प्रकार एपोएन्जाइम अपने को-फैक्टर से मिलकर पूर्ण एन्जाइम का निर्माण करता है, जो होलोएन्जाइम्स (Ho + loenzymes) कहलाता है।

यह पढ़े -  अजीब सवालों के जवाब पार्ट - 1

एन्जाइम्स का नामकरण- 

एन्जाइम्स के नामकरण की आधुनिक पद्धति में किसी भी एन्जाइम का नाम उसके प्रभाव अथवा उसके द्वारा प्रभावित होने वाले विशिष्ट पदार्थ या सब्स्ट्रेट (Substrate) के नाम के अन्त में ऐज (ase) सफिक्स (Suffix) लगाकर किया जाता है। जैसे- यूरिया की हाइड्रोलाइसिस करने वाला एन्जाइम यूरियेज (Urase) तथा फॉस्फेट का विघटन करने वाला एन्जाइम फॉस्फेटेज (Phosphatase) कहलाते हैं। इसी प्रकार सुक्रोज के ऊपर प्रतिक्रिया करने वाला एन्जाइम सुक्रेज (Sucrase) होता है। 

कुछ सब्स्ट्रेट के पीछे ऐज के स्थान पर लाइटिक सफिक्स (Suffix) का प्रयोग करके एन्जाइम का नामकरण किया जाता है, जैसे प्रोटीन के ऊपर प्रतिक्रिया करने वाला एन्जाइम प्रोटिओलाइटिक (Proteolytic) कहलाता है। कभी-कभी क्रिया के स्वभाव को कैटेलाइट करने के आधार पर एन्जाइम का नामकरण किया जाता है, जैसे हाइड्रोजन को स्थानान्तरित करने वाला एन्जाइम डीहाइड्रोजिनेज (Dehydrogenase) तथा रासायनिक गुणों को स्थानान्तरित करने वाला एन्जाइम ट्रान्सफरेज (Transferase) कहलाते हैं। खोज करने वाले वैज्ञानिकों के नाम पर भी एन्जाइम्स का नामकरण किया जाता है।

एन्जाइमों की क्रिया-विधि- एन्जाइमों की क्रिया विधि के बारे में तीन परिकल्पनाएँ हैं 

  1. ताला-कुंजी या टेम्पलेट परिकल्पना- (Lock &key or template hypothesis)- इस परिकल्पना को एमिल फिशर (Emil Fisher, 1884) ने प्रस्तुत किया। इस परिकल्पना के अनुसार, प्रत्येक के अणु की संरचना विशेष प्रकार की होती है जिसे टेम्पलेट (Template) कहते हैं। इसमें कोई ऐसा ही सब्स्ट्रेट या पदार्थ (या कुंजी) जुड़ जाता है जिसका अणु एन्जाइम अणु के विशेष भाग (टेम्पलेट) में फिट हो जाता है। 
  2. एन्जाइम सब्स्ट्रेट कॉम्प्लेक्स परिकल्पना (En zyme Substrate complex Hypothesis)-प्रो. हेनरी (Herry, 1903) ने बताया कि एन्जाइम अणु के टेम्पलेट में उसके सब्स्ट्रेट के अणु (Enyme-Substrate molecule) अधिक सक्रिय होते हैं तथा जल के साथ क्रिया करके एन्जाइम बाद में सब्स्ट्रेट से अलग हो जाता है और फिर दूसरे सब्स्ट्रेट अणुओं से क्रिया करता है । इस विचारधारा को माइकैलिस एवं मेण्टेन (Michaelis & Menten 1913) ने "एन्जाइम सब्स्ट्रेट काम्पलेक्स परिकल्पना" के रूप से प्रस्तुत किया है।
  3. इनड्यूस्ड फिट मॉडल परिकल्पना (Induced fit model hypothesis)- यह परिकल्पना आधुनिक वैज्ञानिक कौशलैण्ड (Koshland, 1963-64) ने प्रस्तुत की। इनके अनुसार एन्जाइम की आण्विक संरचना (molecular struc ture) निश्चित नहीं होती हैं। प्रतिक्रिया (reaction) के दौरान ही सब्स्ट्रेट के प्रभाव से, एन्जाइम के अणु की संरचना में ऐसा विशेष परिवर्तन होता है कि यह अपने सब्स्ट्रेट के अणु से जुड़ सके।अतः इस परिकल्पना में परिवर्तनशील या लचक (Flexibility) पायी जाती है। जिससे यह अपने सब्स्ट्रेट के अणु की संरचना के अनुसार बदलकर, सब्स्ट्रेट के अणु से जुड़कर प्रतिक्रिया करता है।

एन्जाइम्स का वर्गीकरण (Classification of Enzymes)

लेहनिंगर (Lehninger, 1970) ने एन्जाइम्स को छः श्रेणियों में विभाजित किया 

1. हाइड्रोलेजेज (Hydrolases)-ये पाचक एन्जाइम ये (Digestive enzymes) कहलाते हैं। ये हाइड्रोलिसिस (Hy drolysis) द्वारा भोजन के जटिल अणुओं को सरल अणुओं में बदल देते हैं, सब्स्ट्रेट के आधार पर हाइड्रोलेजेज।

(A) प्रोटिओलाइटिक एन्जाइम्स (Proteolytic enzymes)- ये हाइड्रोलाइसिस के द्वारा विभिन्न प्रकार की प्रोटीन्स का पाचन करते हैं। ये जटिल प्रोटीन्स को पहले सरल प्रोटीन्स प्रोटीओज (Protiose) तथा पेप्टोन्स (Pep tones) में और फिर इनको पॉलिपेप्टाइड (Ploypeptide) एवं अमीनो अम्ल (Amino acid) में बदल देते हैं। इनको भी निम्न दो भागों में बाँटा जा सकता है 

(i) Endopeptidase - Protein Central peptide bond पर आक्रमण करते हैं, इनमें मुख्य निम्न 

(a) Pepsin- जठर रस (Gastric juice) का एन्जाइम होता है। जो Complex proteines को Simple (Pro teose तथा Peptones) में बदल देता है।

(b) Trypsin - 26 Pancreatic juice of enzyme है जो Simple protenin को polypeptides में बदल देता है। 

(c) Chymotrypsin – Pancreatic juice पाया जाता है। जो Protin को Polypeptides में बदल देता है। 

(d) Erepsin - Intestinal juice में पाया जाता है। यह Polypetides को Amino acid बदल देता है।

(ii) Exopeptidase - ये Protein के Terminal bond पर आक्रमण करके उन्हें Amino acid में बदलता है।

(a) Carboxypeptidases – ये Peptides में उपस्थित स्वतंत्र (Carborxyl group) पर आक्रमण करते हैं। (b) Amino Peptidases – ये Peptides group में उपस्थित Amino group पर आक्रमण करते हैं। (c) Dipeptidases – ये Dipeptide में आक्रमण ( - करके उन्हें Amino acid में बदल देते हैं। 

(B) सुक्रोलाइटिक एन्जाइम्स या कार्बोहाइड्रेजेज (Sucrolytic Enzymes or carbohydrases)- ये एन्जाइम, कार्बोहाइड्रेट (Starch) का पाचन करके उन्हें ग्लूकोज में बदल देते हैं। ये निम्न हैं 

(a) Ptyalin - Starch को maltose में बदलता है। लार में पाया जाता है। 

(b) Amylase - Starch को maltose में बदलता ) है। अग्न्याशय रस में होता है। 

(c) Maltase - Maltose को glucose में बदलता है। अग्न्याशय रस में होता है। 

(d) Sucrase - Sucrose को glucose में बदलता है। अग्न्याशय रस में होता है। 

(e) Lactase - Lactose को glucose में बदलता है। अग्न्याशय रस में होता है। 

(C) लाइपोलाइटिक एन्जाइम (Lipolitic enzyme)– ये भोजन की वसाओं (fats) को glycerol तथा fatty acids में बदल देते हैं, ये निम्न हैं 

(a) Gastric lipase -यह gastric juice में पाया जाता है, जो Fats को glycerol तथा fatty acid में बदलता है। 

(b) Pancreatic lipase यह Emulsified को glycerol तथा fatty acid में बदलता है। 

(c) Intestinal lipase- यह Intestinal juice में पाया जाता है, जो phosphatidase को glycerol fatty acids तथा phosphoric acid में बदलता है। 

(d) Amidase - यह Amids पर क्रिया करता है। इसमें मुख्य रूप से यूरिएज (Uriase) तथा आर्जिनेज (Arginase) एन्जाइम्स आते हैं। यूरिऐज यूरिया को अमोनिया में तथा आर्जीनेजकृत में यूरिया बनाता है।

2. ऑक्सीडोरिडक्टेजेज (Oxidoreductases)- ये H* आयनों के अणुओं का स्थानान्तरण करने वाले उत्प्रेरक होते हैं । जैसे- Dehydrogenase Product 

3. ट्रान्सफरेजेज (Transferases)- इनमें फॉस्फोराइलेज, ATP से Fig : Mechanism of Enzymes एक फॉस्फेट भाग को ग्लूकोज अणु में स्थानान्तरित करते हैं। 

4. आइसोमरेजेज (Isomerases)- ये रासायनिक यौगिकों के अणुओं में एटम्स (Atom's) के विन्यास को ) ये परिवर्तित करने का कार्य करते हैं। जैसे- Phosphoxoisomerase Co-enzymes (को एन्जाइम्स)

को-एन्जाइम्स (Co-enzymes)-

  1. ये None protein कार्बनिक पदार्थ जो एन्जाइम्स से धीरे से जुड़े हैं और Dialysis के द्वारा आसानी से अलग किये जा सकते हैं, जैसे- NAD, NADP, CoA तथा FAD. 
  2. इन्हें Co-substrate भी कहते हैं। 
  3. ये कम molecular weight वाले छोटे molecules हैं। 
  4. ये Heatsot Soluble होते हैं। 
  5. इनका विटामिन से निकट का संबंध होता है और Vit. B complex के व्युत्पन्न हैं। 
  6. ये Catalyst की तरह कार्य करते हैं और Enzyme action के लिए जरूरी है।

co-एन्जाइम्स का वर्गीकरण (Classification of Co-enzymes)- ये कार्य के आधार पर तीन प्रकार के होते हैं 

  1. Hydrogen transfering Co-enzyme - it- NAD, NADP, FAD snifi 
  2. Group transfering Co-enzyme - - ATP, CDP, CO-A fi 
  3. Isomerase Co-enzyme -जैसे- UDP, TPP आदि।

एन्जाइम सक्रियण (Enzyme activation) 

  • एन्जाइम-क्रियाधार संकुल (Enzymes-Substrate-complex) उत्पाद एन्जाइम अभिक्रिया की गति में वृद्धि करता है, किन्तु अन्त में स्वयं अपरिवर्तित रहता है। 
  • एन्जाइम सक्रियण ऊर्जा को ह्रास करते हैं (Enzymes reduce the Energy ofActivation)- एन्जाइम के प्रभाव से सक्रियण ऊर्जा की आवश्यकतायें (Activation-enzyme requirement) कम हो जाती है। 
  • एन्जाइम मुक्त सक्रिय ऊर्जा (Free energy of activation) को घटाकर अभिक्रियाओं की गति बढ़ाते हैं। इस धारणा (Concept) के अनुसार प्रतिकारक (Reactants)A और B को परस्पर क्रिया कर उत्पाद (Product)c बनाने के लिए एक संक्रमण अवस्था (Transition State A-B) से होकर पारित होना पड़ता है। एक सक्रियित संकुल (Activation complex) बनता है तथा सक्रियण (Activation) ऊर्जा की एक निश्चित मात्रा (Ea) आवश्यक होती है।

उत्प्रेरक स्थल (The Catalytic Site) 

  • उत्प्रेरक स्थल एन्जाइम के कुल आयतन (Total volume) का अपेक्षाकृत एक छोटा भाग होता है। 
  • उत्प्रेरक स्थल का एक त्रि-विमीय अस्तित्व (Three-dimensional entity) होता है। 
  • उत्प्रेरक स्थल दरार या विदरिका (Clefts or Cevices) होता है। 
  • सब्स्ट्रेट (Substrate) एन्जाइमों के साथ अपेक्षाकृत क्षीण शक्तियों (Weak forces) द्वारा संयोजित होती है।

एन्जाइम विशिष्टता (Enzyme Specific)

1. ताला और कुंजी सिद्धान्त (Lock and key Theory) – Emil Fischer, ने 1980 में की थी। इस सिद्धान्त के अनुसार, जिस प्रकार एक विशेष आकार की कुंजी किसी एक निश्चित ताले में ही लग सकती है। इसी प्रकार एन्जाइम के साथ किसी विशेष सब्स्ट्रेट के अणु ही सही प्रकार से संयोजित हो सकते हैं। प्रत्येक एन्जाइम के उत्प्रेरक स्थल की रचना सब्स्ट्रेट की रचना की अनुपूरक (Complementary) होती है।

2. प्रेरित आसंजन सिद्धान्त उत्प्रेरक स्थल का लचीला प्रतिरूप (Induced fit Theory Flexible modle of the catalytic site) कोशलैण्ड (Koshland) द्वारा प्रस्तावित किया गया था। सब्स्ट्रेट के एन्जाइम के साथ संबद्ध होने के बाद ही उत्प्रेरक स्थल का आकार क्रियाधार के अनुपूरक (Complementary) हो पाता है। अभिज्ञान की यह गतिशील प्रक्रिया ही Induce fit कहलाती है। यह सब्स्ट्रेट बन्धन (Substrate binding), उत्प्रेरणा अथवा दोनों के लिए अमीनो अम्ल अवशिष्टों या एन्जाइम पर सही स्थानिक अनुस्थापन (Spatial orientation) में लाती है। इसके साथ की अन्य अमीनों अम्ल अवशिष्ट एन्जाइम अणु के भीतर धसकर अंतर्हित (CBurried) हो सकते हैं।


इस आर्टिकल में हमने एन्जाइम्स क्या है (what are enzymes), एन्जाइम्स का वर्गीकरण, एन्जाइम्स की क्रियाविधि, एन्जाइम्स का महत्त्व इत्यादि  के बारे में विस्तार से जाना। विभिन्न परीक्षाओं में एन्जाइम्स से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं ।

उम्मीद करता हूँ कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा ,अगर आपको यह पोस्ट पसंद आये तो पोस्ट को शेयर जरुर करें।

Subjects -


Active Study Educational WhatsApp Group Link in India

Share -