हेलो दोस्तों, इस पोस्ट में हम वनस्पति विज्ञान के एक महत्वपूर्ण टॉपिक जलोद्भिद पौधे के आकारिकीय अनुकूलन के बारे में जानने वाले हैं। अगर आप विज्ञानं के विद्यार्थी है या फिर आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो आपको ऐसे बेसिक प्रश्नों के बारे में जरुर पता होना चाहिए। इस पोस्ट में जलोद्भिद पौधे के आकारिकीय अनुकूलन के बारे में जानकारी दी गयी है। जो परिक्षापयोगी दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है।
जलोद्भिद पौधे (Hydrophyte)
जलोद्भिद पौधे (Hydrophytes)-पौधों का वह विशिष्ट समूह, जो पानी में या पानी (जल) से संतृप्त मृदा पर उगते हैं, वृद्धि करते हैं एवं जिन्हें अपना जीवन चक्र पूरा करने के लिए अत्यधिक जल की आवश्यकता होती है, जलोद्भिद (Hydrophyte) पौधे कहलाते हैं। इनमें अनुकूलन निम्न कारणों से होता है
(i) पौधे को तैरने की क्षमता प्रदान करने हेतु,
(ii) जल अवशोषण की दर को कम करने के लिए,
(iii) गैसों के आदान-प्रदान हेतु,
(iv) वाष्पोत्सर्जन को बढ़ाने के लिए,
(v) जल धारा (Water current) के तनाव को कम करने के लिए,
(vi) अधिकतम प्रकाश तथा ऑक्सीजन ग्रहण करने के लिए
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जलोद्भिद के प्रकार (Types of Hydrophytes)
जल की आवश्यकता एवं उपस्थिति के आधार पर जलोद्भिद को निम्नलिखित प्रकारों में विभक्त किए जाते
1. जड़ित जल निमग्न जलोद्भिद (Rooted Sub merged Hydrophytes) — वे जलोद्भिद, जो कि जल के अंदर रहते हैं तथा जिनकी जड़ें कीचड़ में तली से लगी हुई होती हैं। उदाहरण- हाइड्रिला (Hydrilla), वैलिस्नेरिया (Vallisnaria) आदि ।
2. प्लवनकारी जलनिमग्न जलोद्भिद (Submerged Floating Hydrophytes) — ऐसे जलोद्भिद की जड़ें से लगी नहीं होती हैं लेकिन ये पूर्णतः निमग्न होते हैं तथा तैरते रहते हैं। उदाहरण- यूट्रीकुलेरिया (Utricu laria), सिरैटोफाइलम (Ceratophythm) आदि।
3. जड़ित प्लवनकारी जलोद्भिद (Rooted Float ingHydrophytes) —जलोद्भिद के इस प्रकार में जड़ें मृदा से लगी हुई होती हैं, परन्तु पत्तियाँ जल की सतह पर तैरती रहती हैं। उदाहरण- कमल (Lotus), सिंघाड़ा (Trapa), कुमुदिनी (Waterlily) |
4. मुक्त प्लावी जलोद्भिद (Free Floating Hydrophytes) — इनकी जड़ें मृदा या कीचड़ के सम्पर्क में नहीं होती है बल्कि ये जल की सतह पर स्वतंत्र रूप से तैरते हैं। उदाहरण— वॉल्फिया (Wolffia), लैम्ना (Lemna), स्पाइरोडेला (Spirodella), एजोला (Azolla), पिस्टिया (Pistia) आदि।
5. प्रक्षेपित जलोद्भिद अथवा जड़ित निर्गत जलोद्भिद (Rooted Emergent Hydrophytes) - ऐसे पौधों की जड़ें जल संतृप्त या जल में डूबी मृदा से जुड़ी होती हैं लेकिन पत्तियों के कुछ भाग तथा अन्य शेष भाग जल से बाहर होती हैं। उदाहरण - टायफा (Typha), रैननकूलस (Ranunculus), सैजीटेरिया (Sagittaria), फ्रैग्माइटिस (Phragmites) आदि ।
(A) आकारिकीय अनुकूलताएँ (Morphological Adaptations) — जलोद्भिद में पाये जाने वाले मुख्य आकारिकीय अनुकूलताएँ अग्रलिखित हैं
(i) जड़ तंत्र अल्पविकसित या अविकसित होता है।
(ii) मूल रोम केवल जड़ित निर्गत (Rooted Emer gent) प्रकार में सुविकसित तथा अन्य प्रकारों में अनुपस्थित होते हैं।
(iii) मूल टोप (Root cap) की जगह मूल कोटरिका (Root pockets) होते हैं। यह मूलाग्र के प्रतिरक्षा के साथ साथ संतुलन का भी कार्य करते हैं।
(iv) कुछ पौधों में कुछ जड़ें गैसों के संग्रहण के कारण रूपान्तरित होकर ऋणात्मक गुरुत्वानुवर्ती अंग की स्पंजी (Spongy) हो जाती हैं। उदाहरण- जूसिया (Jussiaea ) |
(v) पूर्ण निमग्न जलोद्भिद (Submerged hydro phytes) में तना कोमल, लचीला तथा स्पंजी होता है।
(vi) ऐसे पौधों के कुछ भागों में गैस संगृहीत होती है, जो पौधों को तैरने में मदद करती है। जैसे- नेप्ट्यूनिया (Neptunia) में तना, आइकॉर्निया ( Eichornia), ट्रापा (Trapa) में पत्ती का भाग गैस संग्रहण के कारण फूल जाता है।
(vii) निमग्न जलोद्भिद (Submerged hydrophytes) में पत्तियाँ पतली, छोटी, रिबन की तरह या खण्डित होती हैं। ये जल की धारा तरंगों के प्रभाव को निष्प्रभावी बनाती हैं
(viii) प्रकाश को अत्यधिक अवशोषित करने हेतु पौधे सामान्यत : धुंधले हल्के पीले (Dull-pale coloured) रंग के हो जाते हैं।
(ix) पौधों में सामान्यतः वर्धी प्रसारण (Vegetative propagation) द्वारा प्रजनन होता है। अतः इनमें उसके अनुसार रूपान्तरित अंग भी मिलते हैं। उदाहरण (i) स्टोलॉन (Stolon), वैलिस्नेरिया (Vallisnaria) में; (ii) ऑफसेट (Offset), पिस्टिया (Pistia), आइकॉर्निया (Eichornia) में।
(x) सभी जलनिमग्न जलोद्भिद का शरीर लसलसे आवरण (Mucilage) द्वारा आच्छादित होता है। म्यूसिलेज के कारण इन पर सूक्ष्मजीवों, रसायनों तथा जन्तुओं का आक्रमण नहीं हो पाता है।
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(B) आंतरिक अनुकूलन (Anatomical Adaptations) –
(i) निमग्न जलोद्भिद में क्यूटिकल (Cuticle) अनुपस्थित या अल्पविकसित होता है जबकि प्लावी जलोद्भिद में यह पत्तियों तथा तना पर उपस्थित होता है।
(ii) दृढ़ोत्तक (Sclerenchymatous) एवं स्थूलकोण (Collenchymatous) ऊतक अपेक्षाकृत कम विकसित होते हैं।
(iii) प्राय : वल्कुट ( Cortex) में वायु प्रकोष्ठ उपस्थित होता है। (iv) निमग्न जलोद्भिद (Submerged hydrophytes) में संवहन पूल अनुपस्थित या अल्प विकसित होते हैं, जबकि जड़ित निर्गत (Rooted emergent) या प्लावी जलोद्भिद (Floating hydrophytes) में सुविकसित होते
(C) कार्यिकीय अनुकूलन (Physiological Adaptations) -
इस पोस्ट में हमने जाना कि जलोद्भिद पौधे के आकारिकीय अनुकूलन किस प्रकार के होते हैं। वनस्पति विज्ञान का यह एक महत्वपूर्ण टॉपिक है।
उम्मीद करता हूँ कि जलोद्भिद पौधे के आकारिकीय अनुकूलन का यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।