पौधों में जल अवशोषण की क्रिया विधि (Water Absorption in Plants)

अगर आप विज्ञान के विद्यार्थी हैं और आप पौधों में जल अवशोषण की क्रिया विधि के बारे में जानना चाहते हैं। तो आप बिल्कुल सही पोस्ट  में आये हैं। वनस्पति विज्ञान का यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जो अक्सर विभिन्न परीक्षाओं में पूछा जाता है।

Water Absorption in Plants



पौधों में जल अवशोषण की क्रिया विधि (Water Absorption in Plants)

जल अवशोषण (absorption of Water) पौधों की जड़ो के मूल रोम प्रदेश में स्थित मूल रोमों की सहायता से मृदा विलयन में उपस्थित कोशिकीय जल (Copillary Water) को अंतर्ग्रहण करने की प्रक्रिया जल अवशोषण कहलाती है। उच्च वर्गीय पौधों में जल अवशोषण जड़ के द्वारा ही होता है।
पादपों में जल अवशोषण (Water absorption in plants)- रेनर (Renner, 1912-1915) के अनुसार पादपों में जल अवशोषण की प्रक्रिया निम्नांकित दो विधियों के तहत् होती है. - 
1. सक्रिय जल अवशोषण एवं 
2. निष्क्रिय जल अवशोषण 

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1. सक्रिय जल अवशोषण (Active water Ab sorption)

सक्रिय अवशोषण ऐसा अवशोषण है जिसमें जड़ें सान्द्रण प्रवणता के विपरीत जल का अवशोषण करती है तथा इस क्रिया में उपापचयी ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। 
(i) इस विधि में जल का अवशोषण जड़ो की परासरणीय (Osmotic) एवं अपरासरणीय (Non-Osmotic) क्रिया के कारण होती है।
(ii) इस विधि में प्रोटोप्लास्ट का जैविक भाग जल के अवशोषण में भाग लेता है। 
(iii) इस सिध्दान्त के अनुसार मृदा विलयन की अपेक्षा मूलरोगों का D.P.D. अधिक होता है जिसके कारण जल का अवशोषण होता है।


(a) सक्रिय अवशोषण परासरण सिद्धांत (Osmotic theory of active absorption):- इस सिद्धान्त को एटकिन्स (Aitkins, 1916) एवं प्रीस्टले (Priestley) ने प्रस्तावित किया था। इस सिद्धान्त के अनुसार, पौधों में जल का अवशोषण मृदा जल (Soil water) एवं कोशिका रस (Cell sapi) के मध्य परासरण विभव में अन्तर (Differ ences in osmoti gradient) के कारण होता है जब जायलम कोशिकाओं के कोशिका रस का परासरण विभव (Osmotic Potential) मृदा विलयन (Soil solution) की अपेक्षा अधिक होता है, तब मृदा से जल परासरण क्रिया के द्वारा जायलम कोशिकाओं (Xylem cells) तक पहुँच जाता है। मृदा जल का परासरण दाब (O.P.) I atm. से कम होता है, जबकि कोशिका रस का परासरण दाब (O.P.) 2 atm.s तक होता है, जो कि कभी-कभी बढ़कर 3 से 8 atms. तक हो जाता है। मूल रोमों के कोशिका रस का (D.P.D.) अधिक होने के कारण जल अन्तःपरासरण (En dosmosis) क्रिया के द्वारा अर्द्धपारगम्य प्लाज्मा कला (Semipermeable plasma membrane) को पार करके जड़ों के अन्दर चला जाता है। इस विधि के पक्ष में कई प्रणाम दिये गये हैं। हॉगलैण्ड (Hoagland1953) ब्रायर (Broyer,1951) बान एण्डेन (Van Andel, 1953) आदि के अनुसार जायलम रस में लवणों (Salts) के संचय (Ac cumulation) के कारण जायलम रस के D.P.D. अथवा के जल विभव (Water Potential) में वृद्धि हो जाती है, जिसके कारण जल का अवशोषण होता है।


(b) सक्रिय अवशोषण का अपरासरण सिद्धान्त (Non-osmotic theory of active absorption)- बेनेट क्लार्क (Bennet clark, 1936) थीमैन (Thimmen, 1951) आदि के अनुसार पौधों में जल का अवशोषण सान्द्रण प्रवणता के विपरीत ( Against a concentration gra dient) होता है तथा इस क्रिया के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा जड़ की कोशिकाओं में श्वसन क्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न होती है
कभी-कभी यह देखा गया है कि पौधों में जल का अवशोषण उस स्थिति में भी होता है, जबकि मृदा जल (Soil water) का परासरण दाब (O.P.) कोशिका रस (Cell sap) के परासरण दाब से अधिक होता है। इस मत के समर्थन में निम्नलिखित प्रमाण प्रस्तावित किये गये हैं


(1) जल के अवशोषण एवं श्वसन की दर में सीधा सम्बन्ध होता है तथा वे कारक जो कि श्वसन क्रिया को अवरूद्ध करते हैं, ये जल अवशोषण की दर को भी कम कर देते हैं। 
(2) कम तापमान, ऑक्सीजन की कमी तथा श्वसन निरोधकों (Respiratory inhibitors) के प्रभाव से जल अवशोषण की दर कम हो जाती है। 
(3) ऑक्जिन (Auxin) जो कि कोशिकाओं की उपापचयी क्रियाओं में वृध्दि करता है, के प्रभाव से जल अवशोषण की दर में वृद्धि होती है। 

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2. निष्क्रिय जल अवशोषण (Inactive absorption of water)

इस प्रकार का अवशोषण पौधे के ऊपरी भागों जैसे प्ररोह एवं पत्तियों की क्रियाशीलता के कारण होता है।
(i) इस विधि में उपापचयीक ऊर्जा का योगदान नहीं होता है। 
(ii) इस विधि में जल का अवशोषण पौधे के वायवीय भागों में तेजी से वाष्पोत्सर्जन के कारण होती है। 
(iii) जल का अवशोषण एवं प्रवाह जड़ों के स्वतंत्र स्थानों पर या एपोप्लास्ट के द्वारा होता हैं। 
(iv) इस सिध्दान्त के अनुसार जल का अवशोषण जायलम रस में वाष्पोत्सर्जन खिचाव के कारण उत्पन्न तनाव के कारण होता है।

पौधों में जल अवशोषण की क्रिया विधि(Water Absorption in Plants)



जब पौधों में वाष्पोत्सर्जन की क्रिया होती है, तो पत्तियों ( तथा दूसरे वायवीय भागों) की सतह से जल तेजी से वाष्पीकृत होता हैइस कारण इनकी रक्षक कोशिकाओं (Guard cells) में जल की कमी हो जाती है और एक "खिचाव (Tension) पैदा होता है। इन दोनों के कारण पत्ती के पर्णमध्योतक (Leaf mesophyll) कोशिकाओं का जल सतही कोशिकाओं में परासरण के द्वारा आ जाता है, अब जल की कमी तथा खिचाव बल पर्णमध्योतक कोशिकाओं में उत्पन्न हो जाता है, जिससे पत्तियों की जायलम नलिकाओं का जल पर्णमध्योतक (Leaf mesophyll) में आ जाता हैयही खिचाव बल, जिसे वाष्पोत्सर्जन खिचाव बल (Transpiration pull force) कहते हैं, स्थानान्तरित होते हुए जड़ की जायलम वाहिनिकाओं (Xylem vessels) तथा जड़ की जायलम वाहिनिकाओं (Xylem vessels) तथा मूल रोगों (Root hairs) में पहुँचता है और मूल रोम इसी बल के कारण जल का अवशोषण करते हैं। पौधों में जल का अवशोषण इस विधि के द्वारा अधिक (78%) होता है।
निष्क्रिय जल अवशोषण के पक्ष में क्रॅमर (Kramer, 1937) एवं लैचेनमीर (Lachenmeir, 1932) ने अनेक प्रमाण दिये हैं जो कि निम्नानुसार हैं 

(1) जल अवशोषण (Water absorption) एवं वाष्पोत्सर्जन की दर समान होती है। 
(2) जल का प्रवाह परासरण ग्रेडिएन्ट (Osmotic gradient) के विपरीत दिशा में होती है। 
(3) जल अवशोषण की दर वाष्पोत्सर्जन द्वारा नियंत्रित रहती है। 

अधिकतर वैज्ञानिक निष्क्रिय जल अवशोषण प्रक्रिया के समर्थन में अपने तर्क प्रस्तुत करते हैं तथा ऐसा मानना है कि अधिकतम जल अवशोषण की प्रक्रिया निष्क्रिय अवशोषण की प्रक्रिया के अंतर्गत ही सम्पादित होती है। आधुनिक वैज्ञानिकों का मानना है कि निष्क्रिय जल अवशोषण में एक्वापोरीन्स (aquaporins) नामक विशिष्ट संवहनी प्रोटीन (transport protein) जल के संचरण में मदद करता है।

इस पोस्ट में हमने पौधों में जल अवशोषण की क्रिया विधि (Water Absorption in Plants) के बारे में जाना। जो परीक्षा की दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।

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