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विज्ञान के प्रश्न उत्तर | Science questions answers in Hindi

Science questions answers in Hindi | विज्ञान के प्रश्न उत्तर | सामान्य विज्ञान के प्रश्न उत्तर

हम इस पोस्ट में विज्ञान से संबंधित प्रश्नों के उत्तर जानने वाले है। जो हमारे दैनिक जीवन में होते रहते है जिनका उत्तर हमें नहीं पता होता। इसलिए हमें उन प्रश्नों के उत्तर जानना जरूरी है तो आइये जाने ऐसे ही सामान्य प्रश्नों के उत्तर :-

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दैनिक जीवन में विज्ञान से सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर 

01-पानी से भरे टब में तल पर रखा हुआ सिक्का तुम्हें ऊंचा उठा हुआ क्यों प्रतीत होता है?

उत्तर :- वह भौतिक साधन जिसमें से प्रकाश गुजरता है, माध्यम कहलाता है। माध्यम दो प्रकार के होते हैं-विरल और सघन । वायु विरल माध्यम है जबकि कांच तथा पानी सघन माध्यम के उदाहरण हैं। अपवर्तन के कारण जब प्रकाश की किरणें सघन माध्यम से चलकर विरल माध्यम में प्रवेश करती हैं, तो अभिलंब से दूर हट जाती हैं। बस, इसीलिए बाहर से देखने पर पानी से भरे टब में तल पर रखा हुआ सिक्का तुम्हें ऊंचा उठा हुआ दिखाई देता है।

02-कभी-कभी विद्युत बल्ब कम अथवा तेज प्रकाश क्यों देता है?

उत्तर :- घरों में आने वाली विद्युत धारा 220 वोल्ट की होती है। कभी-कभी इस विद्युत धारा की मात्रा जब बढ़ जाती है, तो बल्ब का प्रकाश सामान्य से अधिक हो जाता है। दूसरी ओर, जब विद्युत की मात्रा कम हो जाती है, तो बल्ब का प्रकाश सामान्य से कम हो जाता है।

03-चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यात्री एक-दूसरे की आवाज क्यों नहीं सुन सकते?

उत्तर :- चंद्रमा की सतह पर वायु नहीं है । ध्वनि वायु के माध्यम से ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाती है । अतः चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री एक-दूसरे की आवाज नहीं सुन सकते । वे रेडियो तरंगों के माध्यम से ही आपस में संपर्क करते हैं ।

04-तेल टैंकरों को भरते समय ऊपर कुछ खाली स्थान क्यों छोड़ दिया जाता है?

उत्तर :- टैंकरों को तेल से भरते समय ऊपर कुछ खाली स्थान छोड़ दिया जाता है। इसका कारण यह है कि भीतर दाब कम हो जाता है और टैंकरों के बाहर दाब अधिक होता है। हवा अधिक दाब से कम दाब की ओर बहती है, इसलिए टैंकरों का ढक्कन ठीक से बंद हो जाता है ।

05-बस की छत पर रखे सामान को रस्सी से बांधना जरूरी क्यों है?

उत्तर :- तेज गति से चलती बस की छत पर हवा तेज गति से बहती हुई अनुभव होती है। छत पर रखा सामान भी उसी वेग से बस के साथ आगे बढ़ता है जिस वेग से बस आगे बढ़ रही है। जब तेज गति से बस अपनी दिशा बदलती है, तो गति के जड़त्व के कारण छत पर रखा सामान भी उसी दिशा में स्थानांतरित होना चाहता है जिसके परिणामस्वरूप वह छत से नीचे गिर जाता है। उसे गिरने से बचाने के लिए प्राय : बस की छत पर रखे सामान को रस्सी से बांधना जरूरी है।

06-बिजली की इस्त्री को तुम अंधेरे में क्यों नहीं देख सकते?

उत्तर :- बिजली की इस्त्री जब गरम होती है, तो इसमें से अवरक्त किरणों का विकिरण होता है (सूर्य विभिन्न तरंगदैर्ध्य के प्रकाश का विकिरण करता है। बैंगनी रंग के प्रकाश की तरंगदैर्ध्य कम तथा लाल रंग की तरंगदैर्ध्य अधिक होती है। लाल रंग के तरंगदैर्ध्य से अधिक तरंगदैर्ध्य के प्रकाश को अवरक्त प्रकाश कहते हैं ) । इसका अनुभव तुम इसके निकट आकर कर सकते हो। यह इस्त्री तुम्हें अंधेरे में दिखाई नहीं देती क्योंकि यह इतनी गरम होती नहीं कि दृश्य प्रकाश का विकिरण कर सके । अवरक्त - प्रकाश की किरणें तुम्हें दिखाई नहीं देतीं।

07-हाइड्रोजन गैस से भरा गुब्बारा हवा में ऊपर की ओर क्यों जाता है?

उत्तर :- हवा में कई प्रकार की गैसें मौजूद रहती हैं। कुछ गैसें हवा से भारी होती हैं, तो कुछ हवा से हल्की । हाइड्रोजन भी एक ऐसी ही गैस है जो हवा से हल्की होती है। जब गुब्बारे में हाइड्रोजन गैस भर दी जाती है, तो गुब्बारा हवा का जितना आयतन (वस्तु द्वारा घेरा गया स्थान) हटाता है, उसका भार गुब्बारे के भार से अधिक होता है। इसीलिए, गुब्बारा हवा में ऊपर की ओर जाता है।

08-पानी और दूध जैसे द्रव पदार्थों को नीचे से ही क्यों गरम किया जाता है?

उत्तर :- पानी और दूध जैसे सभी द्रव पदार्थों में उष्मा का स्थानांतरण संवहन विधि से ही होता है। इस विधि में द्रव के ठंडे कण भारी होने के कारण उष्मा के स्रोत के पास नीचे की ओर जाते हैं। ये कण गरम होकर हल्के हो जाते हैं जिससे ऊपर की ओर उठते हैं। अत: पानी और दूध जैसे द्रव पदार्थों को हमेशा नीचे से गरम किया जाता है।

09-पानी को गरम करने से वह भाप में क्यों बदल जाता है?

उत्तर :- पानी छोटे-छोटे अणुओं से मिलकर बना है। जब पानी को गरम किया जाता है, तो इसके अणुओं को ऊर्जा मिल जाती है। ऊर्जा मिलने से अणुओं की गति भी बढ़ जाती है। नतीजा यह निकलता है कि अणुओं के बीच में आकर्षण-बल कम हो जाता है और अणु एक-दूसरे से दूर-दूर हो जाते हैं।

10-इत्र की सुगंध को कमरे के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचने में कुछ समय क्यों लगता है?

उत्तर :- इत्र में जो अणु होते हैं, उनमें एक प्रकार की गति होती है जिसके कारण वे इधर-उधर टकराते हैं। जानते हो, इस गति का नाम क्या है? यह ब्राउनियन गति कहलाती है। तो, ब्राउनियन-गति से अणु इधर-उधर टकराते हुए ही एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंच पाते हैं। अणुओं की इस गति में थोड़ा-सा समय लग जाता है। अतः इत्र की सुगंध को पूरे कमरे में फैलने में थोड़ा समय जरूर लगता है।

11-बंद बर्तन में जलती हुई मोमबत्ती कुछ देर बाद बुझ क्यों जाती है?

उत्तर :- मोमबत्ती को जलने के लिए एक गैस की जरूरत पड़ती है, जिसे 'प्राण वायु' अर्थात आक्सीजन कहते हैं। बर्तन में जब तक आक्सीजन गैस मौजूद रहती है, मोमबत्ती जलती रहती है। कुछ देर बाद जब बरतन की समस्त आक्सीजन जलने में काम आ जाती है, तब बर्तन में कार्बन -डाइ-ऑक्साइड (अशुद्ध वायु) की अधिकता हो जाती है। परिणामस्वरूप मोमबत्ती बुझ जाती है।

12-पानी में चीनी क्यों घुल जाती है?

उत्तर :- चीनी के अणु आकर्षण-बल के कारण आपस में बंधे रहते हैं, अतः ये स्वतंत्रतापूर्वक गति नहीं कर सकते। पानी के अणुओं के बीच आकर्षण बल कम होता है जिससे ये स्वतंत्रतापूर्वक गति कर सकते हैं। - जब चीनी पानी में डाली जाती है, तो पानी के अणु चीनी के अणुओं से टकराते हैं जिससे चीनी के अणु अलग होकर गति करने लगते हैं। इस गति के कारण ही चीनी के अणु पानी में घुलकर विलयन (घोल) बना लेते हैं।

13-वर्षा के दिनों में नदियों का पानी दूषित क्यों हो जाता है?

उत्तर :- यों तो वर्षा का पानी सबसे शुद्ध होता है किंतु पृथ्वी पर गिरते ही इसमें अनेक प्रकार की अशुद्धियां मिल जाती हैं। वर्षा का पानी अन्य अशुद्धियों के साथ-साथ बहाव के कारण नदी के किनारे की गंदगी को भी नदी में मिला देता है। इसके अलावा वर्षा के पानी में मिट्टी भी काफी मात्रा में घुलकर नदी के पानी में चली जाती है। अत:  वर्षा के दिनों में नदियों का पानी दूषित हो जाता है।

14-कारखानों में चिमनियां क्यों लगाई जाती हैं?

उत्तर :- जिस पर्यावरण में तुम रहते हो, उसमें शुद्ध वायु की अधिकता अवश्य होनी चाहिए ताकि सांस लेने में तुम्हें कोई तकलीफ न हो। कारखानों आदि से धुआं निकलता है जो जहरीली (हानिकारक) गैसों से पर्यावरण को प्रदूषित करता है । अतः इस प्रदूषण से बचने के लिए ही कारखानों में ऊंची-ऊंची चिमनियां लगाई जाती हैं। इन चिमनियों के द्वारा निकला हुआ धुआं ऊपरी वायुमंडल में मिलकर तुम्हें होने वाले नुकसान से बचा लेता है।

15-कारखानों से निकला व्यर्थ पदार्थ नदियों या तालाबों में क्यों नहीं मिलने देना चाहिए?

उत्तर :- जल का जीवन में बहुत अधिक महत्व है। इस कारण इसे दूषित होने से तुम्हें बचाना चाहिए। कारखानों से निकला व्यर्थ पदार्थ नदियों या तालाबों में मिलने से इनका पानी दूषित हो जाता है। बहुत से हानिकारक रासायनिक पदार्थ पानी में घुल जाते हैं जो तुम्हारे लिए घातक होते हैं। अत : अनेक प्रकार के रोगों से छुटकारा पाने के लिए यह आवश्यक है कि कारखानों से निकले व्यर्थ पदार्थ को नदियों या तालाबों में मिलने से रोकना चाहिए।

16-पटाखे चलाने से तेज आवाज क्यों होती है?

उत्तर :- पटाखों में रासायनिक ऊर्जा संचित रहती है । जब पटाखे चलाए जाते हैं, तो उनमें संचित रासायनिक-ऊर्जा ध्वनि-ऊर्जा बदल जाती है। यही कारण है कि पटाखे चलाने से तेज आवाज पैदा होती । उष्मा-ऊर्जा पैदा होने से पटाखों में रोशनी भी होती है तथा गतिज ऊर्जा पैदा होने से पटाखों के टुकड़े बिखरकर दूर-दूर तक चले जाते हैं।

17-साबून के पानी में बुलबुले क्यों बनते हैं?

उत्तर :- क्या तुमने कभी साबुन के पानी से भरे टब से बुलबुले बनाकर उड़ाए हैं? जब तुम प्लास्टिक की एक नली में से साबुन के पानी से भरे टब में जोर की फूंक मारते हो, तो टब में बहुत सारे बुलबुले निकलकर हवा में उड़ने . लगते हैं। ऐसा क्यों होता है? वास्तव में, जब साबुन पानी के साथ मिलता है, तो पानी और साबुन के अणु परस्पर मिल जाते हैं और एक पतली फिल्म बना लेते हैं। जब तुम फूंक मारते हो, तो हवा इनके बीच से गुजरकर इन्हें फैला देती है। इस प्रकार, बुलबुलों की उत्पत्ति हो जाती है जो फूंक मारने पर उड़ने लगते हैं।

18-पानी डालने पर आग बुझ क्यों जाती है?

आग लगने पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी को आते हुए तो तुमने अवश्य ही देखा होगा। फायर ब्रिगेड की गाड़ी द्वारा पानी डालने पर ऊंची-ऊंची बिल्डिंग में भी लगी भयंकर आग बुझ जाती है । - किसी भी चीज को जलने के लिए उसका अत्यधिक गरम होना आवश्यक है अर्थात एक निश्चित ज्वलनांक पर ही कोई वस्तु गरम होती है। जब हुई वस्तु पर पानी डाला जाता है, तो उसका ज्वलन- ताप कम हो जाता है और वह बुझ जाती है। ठीक यही आग के साथ भी होता है। परंतु यदि आग तेल, बिजली या अन्य रसायन के कारण लगी हो, तो आग बुझाने के लिए पानी की जगह रसायनों का प्रयोग किया जाना चाहिए ।

19-समुद्र का पानी खारा अथवा नमकीन क्यों होता है?

उत्तर :- समुद्र के पानी में भिन्न-भिन्न प्रकार के रसायन पाए जाते हैं। इन सभी रसायनों में सबसे अधिक नमक होता है जिसकी मात्रा 80 प्रतिशत तक रहती है। यह नमक बर्फ के पिघलने अथवा इनके क्षय होने के फलस्वरूप आता है। वर्षा के दिनों में पर्वतों से नमक तथा दूसरे रसायन पानी में मिलकर नदियों द्वारा समुद्र में पहुंच जाते हैं। कुछ नमक समुद्र तल में पाई जाने वाली चट्टानों से भी आता है। इन्हीं कारणों से समुद्र का पानी खारा अथवा नमकीन होता है।

20-रबड़ से पेंसिल का निशान क्यों मिट जाता है?

उत्तर :- तुम पेंसिल में जो काला सिक्का देखते हो, दरअसल यह ग्रेफाइट और मिट्टी के मिश्रण से बनाया जाता है। ग्रेफाइट कार्बन का ही एक अपरूप है। "लिखते समय ग्रेफाइट एक बल (अवलंब) के द्वारा कागज पर चिपक जाता है। रबड़ से रगड़ने पर ग्रेफाइट का स्थान बदल जाता है। कारण, रबड़ का बल कागज के चिपकाने के बल से ज्यादा रहता है। इस प्रक्रिया में कागज तो साफ हो जाता है लेकिन रबड काला हो जाता है।

21-जलती हुई अंगीठी वाले बंद कमरे में सोना क्यों मना है?

उत्तर :- जलती हुई अंगीठी से कार्बन मोनो-ऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है जो अत्यंत विषैली है । - यदि कमरे के सारे दरवाजे और खिड़कियां बंद हों, तो कमरे की ऑक्सीजन गैस शीघ्र समाप्त हो जाएगी। फलस्वरूप बनने वाली कार्बन मोनो-ऑक्साइड गैस बाहर नहीं निकल सकेगी। यह गैस सोए हुए मनुष्य के शरीर में प्रवेश करके रक्त को विषाक्त (जहरीला) बना देती है । इस गैस के वातावरण में अधिक देर तक सांस लेने से मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है। अत : जलती हुई अंगीठी वाले बंद कमरे में नहीं सोना चाहिए।

22-कोयले की अंगीठी में आग मिट्टी के तेल में डुबोए गए कपड़े के किसी टुकड़े को जलाकर आरंभ क्यों की जाती है?

उत्तर :- कोई भी पदार्थ तब आग पकड़ता है जब वह एक विशिष्ट ताप प्राप्त कर लेता है। इस ताप को उस पदार्थ का ज्वलन-ताप कहते हैं । कोयले की अंगीठी में आग मिट्टी के तेल (केरोसिन) में डुबोए गए कपड़े के किसी टुकड़े को जलाकर इसलिए आरंभ की जाती है ताकि अंगीठी में आग ज्वलन-ताप तक पहुंच सके। ।

23-आग गरम क्यों होती है?

उत्तर :- जलने की प्रक्रिया में उष्मा उत्पन्न होती है। इस ऑक्सीजन की उपस्थिति में हाइड्रोजन के जलने की प्रक्रिया को इस प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं। जब ऑक्सीजन, हाइड्रोजन के साथ संयोग करके अणु-आबंध बनाती है, तो यह हाइड्रोजन द्वारा दिए गए इलेक्ट्रॉनों से अत्यधिक प्रवल आबंध बनाती है। इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन परमाणु अपने इलेक्ट्रॉन खो देता है जबकि ऑक्सीजन परमाणु एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है। किसी भी परमाणु में से एक इलेक्ट्रॉन को कम करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अतः ऊर्जा का परिमाण आवश्यक ऊर्जा से कहीं अधिक होता है जिससे उष्मा उत्पन्न होती है। यही कारण है कि आग गरम होती है।

24-मोमबत्ती की लौ के बीच का हिस्सा पीला क्यों दिखाई देता है?

उत्तर :- मोमबत्ती की बत्ती के पास लौ का सबसे निचला हिस्सा (भाग) मोमबत्ती के धागे के बिना जले हुए कार्बन के कणों के कारण काला होता है। जब शेष कण लौ के साथ ऊपर उठते हैं, तो ये चमकते हैं जिससे लौ के बीच का भाग पीला दिखाई देता है ।

25-धूप से अचानक कमरे में आने पर तुम्हें चीजें साफ क्यों नहीं दिखाई देतीं?

उत्तर :- जब तुम धूप से अचानक कमरे में आते हो, तो तुम्हें चीजें साफ नहीं दिखाई देतीं। धूप के कारण तुम्हारी आंखों की पुतलियां सिकुड़ जाती हैं। जब तुम अचानक कमरे में प्रवेश करते हो, तब उन्हें फैलने में थोड़ा समय लग जाता है। अतः तुम धीरे-धीरे वस्तुओं को ठीक से साफ-साफ देख पाते हो ।

26-शौच के बाद हाथों को भली-भांति धोना क्यों आवश्यक है?

उत्तर :- शौच के बाद साबुन या अन्य पदार्थ (मिट्टी, राख आदि) से हाथों को भली-भांति धोना जरूरी है ताकि तुम स्वस्थ रह सको। शौच के बाद हाथों में कीटाणु चिपके रहते हैं। यदि उन्हें साफ न करें तो खाना खाते समय ये कीटाणु पेट में पहुंचकर बीमारियां फैला सकते हैं। कभी-कभी दूसरे व्यक्तियों से हाथ मिलाने पर उनमें भी ये कीटाणु पहुंचकर बीमारियों को न्योता दे सकते हैं।

27-तकिया लगाकर सोना हानिकारक क्यों है?

उत्तर :- तकिया लगाकर सोना तो प्रायः सभी को अच्छा लगता है, लेकिन सिर पर खड़ी ज्यादातर बीमारियों की जड़ सिरहाने पड़ा रहने वाला यही तकिया ही होता है। तकिये की वजह से व्यक्ति को दिल (हृदय) तथा आंखों की बीमारियों के अलावा दमा जैसे खतरनाक रोग जकड़ लेते हैं । - तकिये पर सिर रखकर सोते समय मनुष्य के शरीर की सभी गतिविधियों को नियंत्रित करने वाली रक्त संचार प्रणाली में अवरोध उत्पन्न हो जाता है। इसकी वजह से शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलने में रुकावट आती है। अतः तकिया लगाकर सोना हानिकारक सिद्ध हो सकता है।

28-भोजन अदल-बदलकर क्यों खाना चाहिए?

उत्तर :- तुम्हारे शरीर को जिन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, वे एक ही प्रकार के भोजन में कदापि नहीं मिलते। इन्हें भिन्न-भिन्न प्रकार के भोजन से ही प्राप्त किया जा सकता है । अतः शरीर की आवश्यकतानुसार प्रतिदिन भोजन अदल-बदलकर खाना लाभकारी होता है ताकि तुम्हारे शरीर को पोषक तत्व प्राप्त हों तथा तुम सदैव स्वस्थ रह सको। ऐसा नहीं है कि जीभ के स्वाद के लिए भोजन अदल- बदलकर खाया जाता हो ।

29-जब तुम भागते हो, तो तुम्हारा हृदय तेज गति से क्यों धड़कने लगता है?

उत्तर :- दौड़ने अथवा व्यायाम करने से तुम्हारी हृदय गति तेज हो जाती है। जब तुम ऐसा करते हो, तब तुम्हें अधिक ऊर्जा का उपयोग करना पड़ता है। शरीर में अधिक ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है। शरीर के जो भाग अधिक कार्य करते हैं, उन तक जल्दी-जल्दी ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए शरीर में रक्त की गति भी तेज हो जाती है जिससे हृदय की गति बढ़ जाती है। इसी कारण से हृदय तेजी से धड़कने लगता है। यों तो एक मिनट में हृदय 72 बार धड़कता है किंतु दौड़ते या व्यायाम करते समय इसे अधिक कार्य करना पड़ता है।

30-तुम्हें जम्हाई क्यों आती है?

उत्तर :- तुम सोच रहे होगे कि अधिक काम से थकान पैदा होने अथवा पूरी नींद न लेने से जम्हाई आती है। लेकिन, ऐसा कदापि नहीं होता। काफी देर तक एक ही स्थिति में बैठे रहने अथवा कठोर परिश्रम करने से एक लंबे समय के बाद तुम्हारे शरीर की श्वसन-गति धीमी पड़ जाती है जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। जम्हाई आने का सिर्फ यही कारण है, बस! जम्हाई से छुटकारा पाने के लिए शरीर में अधिकाधिक ऑक्सीजन की मात्रा बनी रहने देनी आवश्यक है ।

31-कुछ देर गोलाई में घूमने पर तुम्हें चक्कर क्यों आने लगते हैं?

उत्तर :- शरीर का संतुलन कान के अंदर स्थित तीन अर्ध वृत्ताकार नलिकाओं द्वारा किया जाता है। इनकी दीवारों पर रोम होते हैं, जिनमें द्रव भरा रहता है । सामान्य तौर पर यह द्रव स्थिर रहता है। किंतु, जब तुम लगातार गोलाई में घूमने लगते हो, तो इसमें गति आ जाती है और यह गतिशील हो जाता है। अब यह गति नलिकाओं की भीतरी सतह पर स्थित रोमों के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचती है। इसी कारण तुम्हें चक्कर आने लगते हैं ।

32-कुछ लोग जल्दी क्यों भूल जाते हैं?

कभी-कभी देखने में आता है कि कुछ लोग याद की हुई बातों अथवा रखी हुई चीजों को शीघ्र भूल जाते हैं। क्या तुम्हारे साथ भी ऐसा होता है? दरअसल, स्मरण शक्ति क्षीण होने के कुछ खास कारण हैं । नशीले पदार्थों का सेवन स्मरण शक्ति को क्षीण कर देता है। स्मरण शक्ति पर आयु का प्रभाव भी पड़ता है। शारीरिक एवं मानसिक बीमारी भी स्मरण-शक्ति को घटाती है। इनके अतिरिक्त क्रोध, घबराहट, तनाव एवं चिंता के कारण भी स्मरण-शक्ति कमजोर हो जाती है।

33-तुम्हारा कद पूरी उम्र क्यों नहीं बढ़ता?

उत्तर :- तुम्हारे पापा का कद बढ़ना बंद हो गया है और तुम अब भी बढ़ रहे हो । ऐसा क्यों? जब बच्चा पैदा होता है, तो उसका औसतन कद 50 से.मी. होता है। जन्म 36 के बाद वह तेजी से बढ़ता है परंतु कुछ समय के बाद वृद्धि की दर धीमी पड़ जाती है। 12 वर्ष की उम्र तक कद लगभग डेढ़ गुणा अर्थात 1.7 मीटर हो जाता है। फिर, कद का बढ़ना रुक जाता है क्योंकि शरीर की ग्रंथियों का ऐसा सिस्टम (तंत्र) होता है जो कद को नियंत्रण में रखता है। कुछ बच्चे 20 वर्ष के बाद भी बढ़ते रहते हैं और सही कद 35 या 40 वर्ष की आयु के बीच तय हो पाता है। इसके बाद हर 10 वर्ष के दौरान मनुष्य 12 मिली मीटर सिकुड़ जाते हैं।

34-फल पकने के बाद वृक्ष से टूटकर क्यों गिर जाते हैं?

उत्तर :- पका हुआ अंडाशय ही फल कहलाता है। जब अंडाशय फल में परिवर्तित हो जाता है, तो यह पकने लगता है । जिस स्थान से यह डंठल से जुड़ा रहता है, उस स्थान पर एक विगलन परत का विकास होने लगता है। इसी परत के कारण ही पोषक पदार्थों का फल में पहुंचना धीरे -धीरे कम होने लगता है और अंत में बिलकुल बंद हो जाता है। जब यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो फल वृक्ष से टूटकर गिर जाते हैं ।

35-मिर्च खाने के बाद पानी पीने से राहत क्यों मिलती है?

उत्तर :- जीभ में कुछ ऐसी संवेदनशील स्वाद - ग्रंथियाँ होती हैं जो मुख्य रूप से मीठे, खट्टे और कड़वे स्वादों को भली-भांति पहचानती हैं। मिर्च के कुछ रसायन स्वाद-ग्रंथियों में जलन पैदा कर देते हैं जिससे जीभ में भी जलन होने लगती है। पानी पीने से जलन पैदा करने वाले ये रसायन पानी के साथ बह जाते हैं और राहत मिलती है ।

36-धूप में पेड़ की पत्तियां गरम क्यों नहीं होतीं?

उत्तर :- पौधों की पत्तियों में प्रायः 55 से 85 प्रतिशत तक पानी होता है । पत्तियों की निचली सतह पर छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिन्हें स्टोमेटा या रंध्र कहते हैं। जब धूप पत्तियों पर पड़ती है तो ये रंध्र खुल जाते हैं और वाष्पीकरण (पानी निकलने) की क्रिया से पानी वाष्पीकृत होना प्रारंभ हो जाता है। यह क्रिया प्रस्वेदन कहलाती है। धूप जितनी तेज होती है, प्रस्वेदन की क्रिया भी उतनी ही अधिक होती है। परिणामस्वरूपपेड़ की पत्तियां धूप में गरम नहीं होने पातीं ।

37-धूप में कुछ देर बैठने पर आलस क्यों आता है?

उत्तर :- धूप में कुछ देर बैठने पर तुम्हारे शरीर से पसीना निकलना शुरू हो जाता है। पसीना निकलने से शरीर ढीला पड़ने लगता है और तुम्हें आलस घेर लेता है। खाना खाकर भी धूप में बैठने से तुम्हें आलस आ जाता है। खाना खाने के बाद शरीर का रक्त समस्त भोजन को पचाने का काम शुरू कर देता है। मस्तिष्क को भेजा जाने वाला रक्त भी इसी कार्य में जुट जाता है। इस कारण, शरीर में आलस आ जाता है।

38-अंडा उबालने पर ठोस क्यों हो जाता है?

उत्तर :- कच्चे अंडे का आंतरिक भाग तरल होता है। अंडा उबालने पर ठोस हो जाता है। जानते हो, ऐसा क्यों होता है? अंडे के भीतरी भाग में एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो सामान्य ताप पर तरल रहता है। किंतु, गरम करने पर यह प्रोटीन रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप विखंडित होकर ठोस में परिवर्तित हो जाता है। अंडे के पीले भाग में वसा अधिक मात्रा में मिलती है।

39-नाखून काटने से दर्द क्यों नहीं होता?

शरीर के अंगों की रचना दो प्रकार की कोशिकाओं से होती है - जीवित और मृत कोशिकाएं। - नाखूनों की संरचना मृत कोशिकाओं से होती है। यही कारण है कि नाखूनों में रुधिर की कोशिकाएं नहीं पाई जातीं । अतः जब तुम नाखून काटते हो, तो दर्द का अनुभव नहीं होता।

40-रात्रि में पेड़ों के नीचे सोना हानिकारक क्यों हैं?

उत्तर :- पेड़ ऑक्सीजन देते हैं और अशुद्ध वायु कार्बन डाईऑक्साइड लेते हैं । पेड़ प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के दौरान ही ऑक्सीजन छोड़ने एवं कार्बन डाईऑक्साइड ग्रहण करने का कार्य करते हैं । प्रकाश संश्लेषण की क्रिया सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में केवल दिन के समय ही संभव है। रात्रि को यह क्रिया नहीं होती। रात्रि में पेड़ कार्बन डाईऑक्साइड गैस ही छोड़ते हैं और ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं। अतः रात्रि में पेड़ों के नीचे सोना हानिकारक है।

41-नमकीन चीजें खाने से प्यास क्यों लगती है?

उत्तर :- ऐसा देखा गया है कि नमक या नमकीन चीजें खाने के बाद प्यास अधिक लगती है। इसका कारण है कि नमक खाने के बाद शरीर की कोशिकाओं का पानी गुर्दों की ओर चला जाता है। इससे शरीर के अन्य भागों में अस्थायी रूप से पानी की कमी आ जाती है। पानी की इस कमी को पूरा करने के लिए ही प्यास का अनुभव होता है और तुम पानी पीते हो।

42-छींक क्यों आती है?

उत्तर :- मानव शरीर में प्रतिवर्ती-क्रियाओं के कई उदाहरण पाए जाते हैं। छींक आना भी शरीर की एक प्रतिवर्ती क्रिया है। - नाक के अंदर पाई जाने वाली म्यूकस-झिल्ली की नाड़ियों में कभी-कभी सूजन आ जाती है अथवा कोई बाहरी पदार्थ घुस जाता है। इसे दूर करने और खुजली को रोकने के लिए ही प्राय : छींक आती है।

42-हिचकी क्यों आती है?

उत्तर :- हिचकी आने पर अक्सर कहा जाता है कि कोई याद कर रहा है। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। है से शरीर की अनुकूलता के विरुद्ध भारी भोजन करने से कभी-कभी पेट में गैस या अम्लीयता बढ़ जाती है। अम्लीयता बढ़ने से डायाफ्राम सिकुड़ जाता है। ऐसे समय में फेफड़ों से जाने वाली वायु रुकावट के कारण एक अजीब सी आवाज उत्पन्न करने लगती है। यही आवाज 'हिचकी' के नाम से जानी जाती है।

43-शरीर में पसीना क्यों आता है?

उत्तर :- शरीर का तापमान 37° सेल्सियस होता है। जब रक्त का तापमान शरीर के सामान्य तापमान से अधिक हो जाता है, तो ठंडक पैदा होनी शुरू हो जाती है। ऐसे में ऑक्सीजन की क्रिया भी धीमी पड़ जाती है। शरीर में निहित स्वेद-ग्रंथियों से पसीना निकलने लगता है। अतः शरीर के तापमान को स्थिर करने के लिए तुम्हें पसीना आता है।

44-औरतों की आवाज पतली और पुरुषों की मोटी क्यों होती है?

उत्तर :- तारत्व ध्वनि का एक गुण होता है। ध्वनि का मोटा अथवा पतला होना इसी तारत्व पर निर्भर करता है। औरतों की ध्वनि का तारत्व अधिक होता है, अतः उनकी आवाज पतली होती है। इसके विपरीत पुरुषों की ध्वनि का तारत्व कम होता है, अतः उनकी आवाज मोटी होती है ।

45-गरमियों में दूध जल्दी क्यों खराब हो जाता है?

उत्तर :- गरमियों में जीवाणु अधिक सक्रिय होते हैं। ये जीवाणु दूध में उपस्थित प्रोटीन, वसा तथा अन्य पदार्थों को किण्वन द्वारा कार्बनिक अम्ल में बदल देते हैं। इससे दूध में अम्लीयता बढ़ जाती है और वह खराब होकर फट जाता है।

46-इंजेक्शन लगाने से पहले डॉक्टर त्वचा को एल्कोहल से साफ क्यों करते हैं?

इंजेक्शन लगाने से पहले डॉक्टर त्वचा को एल्कोहल से इसलिए साफ करते हैं, क्योंकि एल्कोहल त्वचा में उपस्थित सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर देता है। इसके अतिरिक्त वह त्वचा को निश्चेत करके स्थानीय निश्चेतक का कार्य भी करता है।

47-जो पौधे भोजन बनाते हैं, वे हरे क्यों होते हैं?

उत्तर :- सूर्य के प्रकाश में सात रंग पाए जाते हैं। जो पौधे सूर्य के प्रकाश में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करके भोजन बनाते हैं, वे सूर्य के प्रकाश में से केवल बैंगनी तथा लाल रंग का अवशोषण करते हैं। वे पौधे हरे रंग की तरंगदैर्ध्य को परावर्तित कर देते हैं। इसी कारण से वे हरे दिखाई देते हैं ।

48-मोटापा क्यों आता है?

उत्तर :- जब मनुष्य अधिक ऊर्जा तथा वसायुक्त आहार लेता है तथा उसको शारीरिक प्रक्रियाओं द्वारा जला नहीं सकता, तो अतिरिक्त वसा पेट के चारों ओर त्वचा के नीचे जमा हो जाती है। इसी वसा के कारण व्यक्ति मोटा तथा भारी-भरकम हो जाता है। मोटापा एक खतरनाक रोग है।

49-सरसों तथा मूंगफली का तेल द्रव रूप में ही क्यों रहते हैं?

उत्तर :- वसा दो प्रकार की होती हैं- संतृप्त और असंतृप्त । सरसों तथा मूंगफली के तेल असंतृप्त वसा से निर्मित हैं। असंतृप्त वसा में वसा अम्लों के अणुओं में एक या अधिक द्वि-आबंध होते हैं। इन वसाओं का द्रवणांक बहुत कम होता है, अतः ये तरल अवस्था में ही पाए जाते हैं। - इसके विपरीत ताजे मक्खन में द्वि- आबंध नहीं होते, जिससे वह ठोस अवस्था में रहता है क्योंकि वह संतृप्त वसा है।

50-आयु बढ़ने के साथ-साथ बहुत से व्यक्ति मोटे क्यों हो जाते हैं?

उत्तर :- आयु बढ़ने के साथ-साथ मनुष्य की ऊर्जा व्यय करने की क्षमता भी कम हो जाती है। इस अवस्था में शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए भोजन की थोड़ी मात्रा की ही आवश्यकता होती है। यदि मनुष्य पहले की तरह ही भोजन लेता रहे, तो फालतू भोजन वसा में बदल जाता है जो शरीर में इकट्ठा होता रहता है। इस कारण, ऐसे व्यक्ति मोटे हो जाते हैं।

तो आपने ऊपर के सभी विज्ञान के प्रश्न उत्तरों को पढ़ लिया होगा। उम्मीद है आपको सारे प्रश्नों के उत्तर समझ आ गये होंगे। पोस्ट अगर अच्छा लगा होगा तो अपने दोस्तों को शेयर जरूर करें। 

सामान्य विज्ञान से संबंधित प्रश्न उत्तर | general science question answer

सामान्य विज्ञान से संबंधित प्रश्न उत्तर | general science question answer in hindi

क्या आप जानते है की आंसू क्यों निकलते हैं? या फिर ये की पहाड़ पर चढ़ते समय व्यक्ति आगे की ओर क्यों झुकता है? इन्ही के जैसे 50 सवालों का जवाब इस पोस्ट में आपको निचे मिलने वाला है।

हमारे दैनिक जीवन में बहुत सी घटनाएँ होती रहती है, जिनमे बहुत से सवाल विज्ञान या साइंस से जुड़े रहे है। इस पोस्ट में विज्ञान के कुछ सवालों के जवाब (general science question answer) आप जानने वाले हो।

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जैसे की पैन्क्रिआस शरीर के लिए जरूरी क्यों होती है?, क्यों साथ-साथ चलता है चंद्रमा?, पहाड़ों पर खाना पंकाना कठिन क्यों होता है?, बिजली की इस्त्री को तुम अंधेरे में क्यों नहीं देख सकते?

सामान्य विज्ञान पर आधारित परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण प्रश्न (general science question)

01-फ्लोराइड से दांत मजबूत क्यों होते हैं?

उत्तर - प्रत्येक मनुष्य के जीवन काल में दांत दो बार निकलते हैं। जन्म के कुछ महीनों बाद निकलने वाले दांत नौ दस साल की उम्र में गिर जाते हैं। इन्हें दूध के दांत कहते हैं। इनके स्थान पर नए स्थायी दांत आ जाते हैं ! दूध के दांतों की संख्या बीस होती है। स्थायी दांतों की संख्या बत्तीस होती है। प्रत्येक दांत में मसूड़ों से ऊपर क्राउन नामक हिस्सा होता है और प्रत्येक दांत की एक से लेकर तीन तक जड़ें होती हैं, जो उसके आकार-प्रकार और स्थिति पर निर्भर करती हैं। दांत का अधिकांश भाग पीले रंग के एक सख्त पदार्थ से बना होता है, जिसे डेंटाइन कहते हैं। दांत के क्राउन भाग पर एक सफेद रंग के पदार्थ की परत चढ़ी रहती है, जिसे इनेमल कहते हैं। यह मानव शरीर का सबसे सख्त ऊतक है। फ्लोराइड एक ऐसा रासायनिक पदार्थ है जो दांतों के इनेमल को और भी मजबूत बनाता है। जब हम अपने दांतों को फ्लोराइड टूथपेस्ट से ब्रश करते हैं तो फ्लोराइड के अणु दांतों पर चिपक जाते हैं। चूंकि फ्लोराइड *अणु दांत की ऊपरी संरचना में अधिक उपयुक्त रूप से फिट हो जाते हैं, वे दांतों की ऊपरी परत को और भी मजबूत बना देते हैं ।

02-पैन्क्रिआस शरीर के लिए जरूरी क्यों होती है?

उत्तर - पैन्क्रिआस मानव शरीर सहित सभी रीढ़ की हड्डी वाले प्राणियों का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। यह पेट के निचले भाग में स्थित होता है और पाव से लेटे पलास्क जैसा दिखता है। इस ग्रंथि का रंग गुलाबीपन लिए पीला होता है और यह 12 से 15 सेमी लंबी, 3.8 सेमी चौड़ी और 2.5 सेमी मोटी होती है। आइए जानें यह शरीर के लिए महत्वपूर्ण क्यों होती है। पैन्क्रिआस एक बहुत ही शक्तिशाली पाचक रस पैदा करता है। यह रस ही आंतों में भोजन को तोड़ता है। इससे इंसुलिन और ग्लूकेगोन नामक हार्मोन भी पैदा होते हैं। यह ग्रंथि रोज करीब सवा किलो से डेढ़ किलो पैन्क्रिऑटिक रस पैदा करती है। सोडियम बाइकार्बोनेट युक्त यह रस अम्ल को उदासीन कर एक नली से होता हुआ छोटी आंत या डुओडिनम तक आता है। इस रस में लवण और एंजाइम होते हैं, जो प्रोटीन, स्टार्च, शर्करा और वसा को पचाने में सहायता करते हैं। इस रस में पांच एंजाइम होते हैं, जो प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट को पचाने का काम करते हैं। अगर पैन्क्रिआस ग्रंथि नहीं हो, तोन तो भोजन ठीक से पच सकता है और न ही इंसुलिन के अभाव के कारण रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है।

03-आंसू क्यों निकलते हैं?

उत्तर - जब किसी शोक- समाचार या दुख के कारण हम रोने लगते हैं तो हमारी आंखों से आंसू निकलने लगते हैं। रोने का कारण चाहे कुछ भी हो, लेकिन इस क्रिया में सदा ही हमारी आंखों से आंसू निकलते हैं। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? हमारी आंखों की पलकें सदा ही खुलती और बंद होती रहती हैं। पलकों का यह खुलना और बंद होना मांसपेशियों द्वारा होता है। इनकी गति इतनी तीव्र होती है कि पलक झपकने से हमारी दृष्टि पर कोई असर नहीं पड़ता। पलक झपकने की क्रिया हर छः सेकंड के अंतर में सारी उम्र होती है। हमारी आंख के बाहरी कोने के अंदर एक आंसू ग्रंथि होती है। इस ग्रंथि से पतली नलियां आंसुओं को ऊपर की पलक तक ले जाती हैं और वहां से दूसरी पतली नलियों द्वारा आंसू आंखों से बाहर आ जाते हैं। जब भी हम पलक झपकते हैं, वैसे ही आंसू नलिकाओं से कुछ तरल पदार्थ बाहर आ जाता है। यही तरल पदार्थ आंखों को नम रखता है और सूखने से बचाता है |

04-क्यों साथ-साथ चलता है चंद्रमा?

उत्तर - रात के समय ट्रेन की खुली खिड़की से बाहर देखना बहुत अच्छा लगता है। नदियां, पहाड़, पेड़ और शहर पीछे छूटते जाते है, लेकिन चंद्रमा साथ ही चलता रहता है। आइए, देखें कि चंद्रमा क्यों साथ चलता है? जब हम किसी भी चीज को देखते हैं, तो वह हमारी आंखों पर एक कोण बनाती है। यदि उस वस्तु की स्थिति बदल दी जाए, तो उसके कारण आंखों पर बनने वाला कोण भी बदल जाता है। जब हम ट्रेन या किसी अन्य वाहन से जा रहे हों, तो नदियां, मकान, पहाड़ और झाड़-पेड़ पीछे जाते हुए नजर आते हैं, क्योंकि ट्रेन या उस वाहन के आगे बढ़ने से दृश्य द्वारा आंखों पर बनाया जाने वाला कोण बदल जाता है। लेकिन जो चीजें पीछे जाती हुई नजर आती हैं, उनसे हमारी दूरी अधिक नहीं होती, इसलिए स्थिति में जरा से बदलाव से भी कोण बदल जाता है। जबकि चंद्रमा पृथ्वी से 3 लाख 84 हजार किमी. की दूरी पर है। इतनी अधिक दूरी होने के कारण जब हम आगे बढ़ते भी हैं, तो चंद्रमा के कारण आंखों पर बनने वाले कोण में कोई बदलाव नहीं आता। यही वजह है चंद्रमा हमें साथ चलता हुआ दिखाई देता है ।

05-बच्चे क्यों दिखते हैं माता या पिता जैसे?

उत्तर - अक्सर बच्चों का रूप-रंग, उनकी कद-काठी माता या पिता में से किसी एक की तरह होती है। आइए देखें, ऐसा क्यों होता है? मनुष्य के शारीरिक गुण-सूत्र एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी क्रोमोसोम्स के द्वारा हस्तांतरित होते हैं। बच्चे के जन्म के लिए 46 क्रोमोसोम्स जरूरी होते हैं, जिनमें से 23 पिता के द्वारा और 23 माता के द्वारा प्राप्त होते हैं। इसका मतलब यह है कि जन्म लेने वाले बच्चे के पास हर जीन के दो संस्करण होते हैं, एक पिता से प्रदत्त और एक माता का दिया हुआ । जीन क्रोमोसोम्स का छोटा सेक्शन होती है। हर जीन में बच्चे में विशेष गुण के विकास के लिए जरूरी सूचनाएं दर्ज होती हैं। मसलन, कोई जीन आंखों के रंग के लिए जिम्मेदार है, तो कोई बालों के रंग के लिए। बच्चे में उसी जीन के गुण आते हैं, जो प्रभुत्वशाली होता है। उदाहरण के लिए पिता के बालों का रंग काला है और माता के बाल भूरे हैं। अगर वालों के रंग का निर्धारण करने वाले जीनों में माता के जीन का प्रभुत्व है, तो बच्चे के बालों का रंग भी माता के बालों के रंग की तरह ही होगा। इसके विपरीत यदि पिता की जीन अधिक प्रभुत्वशाली है, तो बच्चे के बालों का रंग पिता के बालों की तरह होगा।

06-काटने वाले कीड़े शरीर में कीटाणु कैसे भेजते हैं?

उत्तर - पृथ्वी पर रहने वाले हजारों प्रकार के कीड़ों में से कुछ काटने वाले कीड़े हमारे बहुत बड़े दुश्मन हैं। काटकर रोग फैलाने वाले कीड़ों में मुख्य रूप से मच्छर, ट्सेट्से मक्खी, जुएं, रैट फ्लाई, खटमल आदि ऐसे हैं जो अनेक बीमारियां फैलाते हैं। ये कीड़े जब किसी रोगी को काटते हैं और उसका खून चूसते हैं तो रोगी से बीमारी के कीटाणु उनके शरीर में आ जाते हैं। यही कीड़ा जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो अपनी सुई जैसी खोखली नली द्वारा लार के साथ उस रोग के कीटाणु शरीर में प्रवेश करा देता है। ये कीटाणु उसके शरीर में पहुंचकर उस स्वस्थ व्यक्ति को भी रोगी बना देते हैं। मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से मलेरिया फैलता है। ट्सेट्से मक्खी के काटने से स्लीपिंग सिकनेस, जुओं के काटने से टायफाइड और रैट फ्लाई के काटने से प्लेग के कीटाणु शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। दरअसल, ये कीटाणु स्वयं जीवित रहने के लिए हमारा खून चूसकर अपना पेट भरने हेतु हमें काटते हैं। खून चूसने से पहले थोड़ी-सी लार हमारे शरीर के अंदर भेजते हैं ताकि खून सूखकर गाढ़ा न हो जाए और इसी लार के साथ रोग के कीटाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।

07-छिपकली अपनी पूंछ छोड़कर क्यों भाग जाती है?

उत्तर - छिपकली देखने में डरावनी लगती है, लेकिन यह जहरीली नहीं होती है। कभी-कभी देखा जाता है कि छिपकली अपनी पूंछ छोड़कर भाग जाती है। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? जब छिपकली पर उसका कोई शत्रु हमला करता है और इसकी पूंछ जरा सी भी पकड़ में आ जाती है तो यह अपनी पूंछ का वह हिस्सा छोड़कर भाग जाती है और दुश्मन के चुंगल से अपने को बचा लेती है। कटी हुई पूंछ थोड़ी देर तक छटपटाती रहती है। कुछ ही दिनों में छिपकली की नई पूंछ उग आती है। छिपकली द्वारा पूंछ छोड़ने का गुण एक ऐच्छिक गुण है। इसकी पूंछ की हड्डियां दूसरी हड्डियों के साथ में ढीले रूप में जुड़ी होती हैं, इसलिए पूंछ इसके शरीर से आसानी से अलग हो सकती है। पूंछ काटने पर खून भी नहीं निकलता, क्योंकि इसकी रक्त कोशिकाओं के अंतिम सिरे लगभग बंद होते हैं। इन सब कारणों से इसे अपनी पूंछ शरीर से अलग करने में कष्ट नहीं होता और पूंछ कटने पर इसे चलने में भी कोई परेशानी नहीं होती।

08-हवाई जहाज द्वारा सफर करते समय फाउंटेन पेन से स्याही निकाल देने के लिए कहा जाता है, क्यों?

उत्तर पृथ्वी तल की अपेक्षा ऊंचे स्थानों पर दबाव कम होता है। इसलिए जब हम हवाई जहाज में बैठकर ऊंचाई की ओर बढ़ते हैं, तो पेन (लेखनी) के भीतर का दबाव, वातावरण के दबाव से अधिक हो जाता है और इसे समान करने के लिए पेन से अपने आप स्याही निकलने लग जाती है जो हमारे कपड़ों को गंदा व देती है। इसी से बचने के लिए स्याही निकाल देने की सलाह व जाती है ।

09-खोलते पानी की अपेक्षा भाप अधिक गम्भीरता से जलाती है, क्यों?

उत्तर कारण यह है कि भाप में खौलते पानी की अपेक्षा अधिक दाहक शक्ति होती है अथवा यह कहिए कि भाप की ऊष्मा उसी तापमान में खौलते पानी की ऊष्मा की अपेक्षा अधिक होती है, इसलिए भाप अधिक दाहकारी होती है

10-पहाड़ पर चढ़ते समय व्यक्ति आगे की ओर क्यों झुकता है |

उत्तर पहाड़ पर चढ़ते समय स्थायी सन्तुलन रखने के लिए झुकाव आवश्यक है। आगे की ओर का झुकाव हमें आधार क्षेत्र में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण केन्द्र से होकर गुजरने वाली रेखा पर बने रहने देता है और उससे विलग नहीं करता। स्थायी सन्तुलन के लिए यह आवश्यक है।

11-पेट्रोल द्वारा लगी आग पानी से क्यों नहीं बुझती?

उत्तर पेट्रोल की आग में इतनी प्रबल ऊष्मा होती है कि उसके संस्पर्श से पानी स्वयं भाप बन जाता है और वह आग को बुझाने में असफल रहता है।

12-आकाश नीला क्यों दिखाई देता है?

उत्तर धूल तथा वायु कणों के कारण प्रकाश का बिखराव हो जाता है। यह बिखराव अधिकतर निचली तरंगों की लम्बाई में होता है, इसलिए यह प्रतिछाया के अन्त में रंगों में असमान हो जाता है जो अधिकतर नीला या बैंगनी होता है। इसी वजह से आकाश भी नीला ही दिखाई पड़ता है।

13-लद्दाख जैसे प्रदेश में सूर्य निकलने पर तो खूब गर्मी पड़ती है तथा धूप न होने पर शीतलता बढ़ने लगती है। इसका क्या कारण है?

उत्तर - लद्दाख जैसे ऊंचे (पहाड़ी) स्थानों में वायुमंडल विरल होता है। इस प्रकार का वायुमंडल बाधाहीन होता है अर्थात् उसमें सूर्य की किरणों को सोख लेने और बिखराने आदि की शक्ति नहीं होती इसलिए ऐसे स्थानों पर सूर्य निकलने पर गर्मी काफी पड़ती है । छाया होने पर विरल वायुमंडल मूर्य की किरणों की ऊष्मा से बहुत कम गर्मी ले पाती है और धुपहले अंश का बिखराव भी कम होता है। परिणामस्वरूप शीतलता अधिक हो जाती है।

14-डूबने के कुछ समय पश्चात् लाश पानी में उतराने क्यों लगती है?

उत्तर शरीर में विद्यमान गैसों के निकल जाने पर शव हल्का हो जाता है और उसका भार उसके द्वारा हटाए गए जल से कम हो जाता है। इसलिए लाश उतराने लगती है।

15-बर्फ पानी पर क्यों तैरती है?

उत्तर आर्केमेडीज के सिद्धान्त के अनुसार तरल पदार्थ में कोई वस्तु तब तैरती है जब उसके द्वारा हटाए गए तरल पदार्थ का वजन उस वस्तु के वजन से अधिक होता है। पानी जब जम कर बर्फ बन जाता है तब उसका आपेक्षिक घनत्व कम हो जाता है और इस प्रकार उसके द्वारा हटाए गए जल की अपेक्षा उसका भार कम होता है। फलतः बर्फ जल में तैरती है।

16-पहाड़ों पर खाना पंकाना कठिन क्यों होता है?

उत्तर पर्वतों पर दबाव कम होता है। इसलिए पानी देर से उबलता है और खाना देर से बन पाता है।

17-सर्दी के मौसम में सूती कपड़ों की अपेक्षा ऊनी वस्त्र शरीर को अधिक गर्म क्यों रखते है?

उत्तर गर्म कपड़े ऊष्मा के असंवाहक होते हैं। अत्यधिक मात्रा में छिद्र होने के कारण उसमें हवा भर जाती है और वह भी शरीर के ताप से ऊष्मा हो जाती है तथा बाहरी वातावरण का प्रभाव उस पर इसलिए नहीं पड़ पाता कि वे कपड़े ऊष्मा के असंवाहक हैइसलिए ऊनी कपड़े शरीर के तापमान को बाहर के तापमान (शीतल) से बचाए रखते हैं

18-हाइड्रोजन गैस से भरे गुब्बारे ऊपर क्यों उठते हैं?

उत्तर हाइड्रोजन गैस से भरे गुब्बारे का हवा में ऊपर उठने का कारण यह है कि उसका वजन गुब्बारे द्वारा हटाई जाने वाली हवा से कम होता है । फलतः गुब्बारा ऊपर उठता जाता है |

19-बिजली का बल्ब प्रकाश कैसे विकीर्ण करता है?

उत्तर बल्ब के भीतर अत्यधिक अवरोध वाला टंगस्टन तार लगा होता है। जब विद्युत तरंगें इससे होकर गुजरती हैं, तो यह गर्म होकर लाल हो जाता है और तार के परमाणु उच्च ऊर्जा में परिवर्तित हो जाते हैं, और कुछ सेकेंड तक उस स्थिति में रहने के पश्चात् निम्न ऊर्जा में प्रत्यावर्तित हो जाते हैं और प्रकाश के रूप में ऊर्जा देने लगते हैं।

20-साइकिल सवार कोने ( मोड़ ) पर घूमते समय आगे की ओर क्यों झुक जाता है?

उत्तर सन्तुलन बनाए रखने के लिए ऐसा किया जाता है । बाहर की ओर केन्द्रापसारी शक्ति ( झुकाव आदि) चक्करदार मोड़ की विशेषता होती है।

21-स्वच्छ जल की अपेक्षा खारे पानी में तैरना आसान क्यों होता है।

उत्तर खारे पानी का घनत्व स्वच्छ पानी की अपेक्षा अधिक होता है। अधिक घनत्व वाले तरल पदार्थ में तैरना कम घनत्व वाले तरल पदार्थ की अपेक्षा अधिक सुगम हैं क्योंकि अधिक घनत्व वाले जल का विस्थापित आयतन का भार अधिक होता है।

22-बलुई भूमि पर चलना मुश्किल होता है, क्यों?

उत्तर प्रत्येक क्रिया की प्रतिगामी क्रिया भी होती है और यही कारण है कि हम पृथ्वी पर खड़े हो पाते हैं। यदि पैरों के तलुवों और धरती की सतह के बीच संघर्षण काफी अधिक होता है तो हम चल नहीं पाते । जब हम बालू पर खड़े होते हैं, तो धीरे मे हमारे ऊपर एक ऊर्ध्व प्रतिगामी क्रिया होती है। किन्तु जब हम चलने का प्रयत्न करते हैं या बालू पर दबाव डालते हैं तो तलुवों और रेत कणों के बीच के संघर्षण की शक्ति में ऊर्ध्वगामी प्रतिक्रिया की शक्ति खो जाती है और हमारे तलुवों में कोई ऊर्ध्वगामी प्रतिक्रिया नहीं हो पाती । यह संघर्षण ही आसानी से चलने में बाधक हो जाता है।

23-जंग लगने पर लोहे का कील के भार में वृद्धि हो जाती है, क्या कारण है?

उत्तर सीले वातावरण में लोहे की कील हवा की नमी को चूस लेती है जिससे उनमें आयरन ऑक्साइड पैदा हो जाती है और जंग लग जाता है। इस आयरन आक्साइड़ के कारण कील का भार बढ़ जाता है

24-मोटर चालक पीछे की वस्तु (आते वाहनों को देखने के लिए उत्तल दर्पण का प्रयोग क्यों करते है?

उत्तर एक छोटे उत्तल दर्पण में बहुत अधिक दूरी में फैली हुई वस्तुओं का प्रतिबिम्ब स्पष्ट दिखाई दे जाता है। इसी कारण से ऐसे दर्पण मोटर कार में ड्राइवर के सामने लगाए जाते हैं, ताकि उसे पीछे से आने वाली गाड़ियों के प्रतिबिम्ब दिखाई दे सकें।

25-किन-किन बातों पर किसी वस्तु का रंग निर्भर करता है?

उत्तर सफेद प्रकाश सात रंगों का मिश्रण होता है। जब वह किसी वस्तु पर पड़ता है तो वह वस्तु इन सात रंगों में से कुछ का अवशोषण कर लेती है और शेष रंगों को परिवर्तित कर देती है। इस परावर्तित प्रकाश से ही वह दिखाई देती है। जो वस्तु लाल दिखाई देती है केवल लाल रंग की किरणों को परावर्तित करती है, शेष सबको अवशोषित कर लेती है। जो वस्तु सब रंगों को अवशोषित कर लेती है वह काली दिखाई पड़ती है और जो वस्तु किसी भी रंग का अवशोषण नहीं करती, वह सफेद दिखाई पड़ती है।

26-कठोर जल साबुन के साथ आसानी से झाग नहीं देता है, क्यों?

उत्तर कठोर जल (खारे पानी) में सल्फेट और मैगनेशियम या कैल्शियम के क्लोराइड होते हैंइनका यौगिक (Compound) साबुन में नहीं घुलता । इसलिए कठोर जल में साबुन आसानी से झाग नहीं देता।

27-लकड़ी पानी में क्यों तैरती है?

उत्तर कोई भी वस्तु किसी द्रव में डूबने से पहले जब अपने भार के बराबर का द्रव हटा लेती है, तो वह उसमें तैरने लगती है ऐसा Qी व कर सकती है, जिसका विशिष्ट गुरुत्व उस द्रव के विशिष्ट गुरुत्व से कम हो । लकड़ी का विशिष्ट गुरुत्व जल के विशिष्ट गुरुत्व से कम है, इसलिए वह पानी में तैरती है

28-क्या पेड़ों की पत्तियों का रंग बदलता रहता है? पतझड़ में उनका रंग पीला क्यों दिखाई देता है?

उत्तर वस्तुतः पत्तियों का रंग बदलता नहीं है। जब पत्तियों में हरा तत्व क्लोरोफिल, बनना कम हो जाता है, जैसे सूखे मौसम में, तो पत्तियों का हरा रंग मन्द पड़ जाता है और पत्तियों में विद्यमान पीला या लाल रंग अपेक्षाकृत अधिक उभर कर सामने आ जाता है। तभी पत्तियों का रंग बदला हुआ प्रायः पीला दिखाई पड़ता है।

29-मच्छर के काटने से जलन क्यों होती है?

उत्तर जब मच्छर काटता है, तो उसका मुंह हमारी खाल के भीतर घुस जाता है और मच्छर खून चूम लेता है। इसी समय मच्छर अपने मुंह से थूक या लार जैसी वस्तु हागरे शरीर में छोड़ देता है। इसी थूक या लार जैसी वस्तु के कारण हमारे शरीर में जलन होती है।

30-फूलों में सुगंध कहां से और कैसे आती है?

उत्तर फूलों की पंखुड़ियों में एक प्रकार का तेल होता है। जब वह तेल वाष्पित होकर हवा में मिल जाता है, तो हमें उसकी सुगंध मिलती है।

31-मकड़ी अपना जाला कैसे बनाती है?

उत्तर मकड़ी के शरीर में एक ग्लैंड होता है, जिनमें से पतला तरल धागे जैसा पदार्थ निकलता है, जो तत्काल सूखता जाता है। मकड़ी के जाले दो किस्म के होते हैं (i) सूखा, और (ii) चिपचिपा । चिपचिपे जाले में ही मक्खियां और कीड़े फंस जाते हैं, जिन्हें मकड़ी खाती है। -

32-बैलगाड़ी के पहिए पर रिम चढ़ाने से पहले रिम को आग में तपाकर लाल क्यों कर देते है?

उत्तर जब रिम को आग में तपाकर लाल कर देते हैं, तो उसका व्याप थोड़ा बढ़ जाता है और वह आसानी से पहिए पर चढ़ जाता है। जब रिम ठंडा हो जाता है तो थोड़ा-सा सिकुड़कर पहिए के साथ खूब चिपक जाता है।

33-तारे और ग्रह में क्या अंतर है?

उत्तर तारा वह आकाशीय पिंड है, जिसका अपना प्रकाश होता है जबकि ग्रह में अपना प्रकाश नहीं होता; ग्रह सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिम्बित करता है। तारा स्थिर होता है जबकि ग्रह सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा में घूमता रहता है।

34-चमगादड़ अंधेरे में कैसे उड़ पाता है?

उत्तर रात्रि में चमगादड़ उड़ते है; परन्तु वे उड़ते समय साधारणतः रात के अंधेरे में किसी भी अवरोध से टकराते नहीं हैं। देखा गया है कि चमगादड़ बहुत ही अधिक तारत्व ( पिच) वाली ध्वनि पैदा करते हैं, जिनको मनुष्य के कान नहीं सुन सकते । इन ध्वनियों को अल्ट्रासोनिक ध्वनि (पराश्रव्य ध्वनि ) कहते हैं । ये अल्ट्रासोनिक ध्वनियां अवरोध से टकरा कर प्रतिध्वनि के रूप में चमगादड़ के कानों तक आती है, जिससे चमगादड़ को आगे आने वाली वस्तु (अवरोध) का पूर्ण ज्ञान हो जाता है।

35-किसी देश में हुए परमाणु बम विस्फोट का पता दूसरे देशों के वैज्ञ निकों को कैसे लग जाता है?

उत्तर प्रत्येक आणविक विस्फोट से उच्च आवृत्ति की ऐसी प्रकाश व रेडियोधर्मी तरंगें का जन्म होता है, जिनका ज्ञान दूसरे देशों में रखे गये यंत्रों से हो जाता है। इसके अतिरिक्त सूक्ष्म-वायुभारमापी (माइक्रो बैरोमीटर ) नामक यंत्र भी वायुमंडल से इन तरंगों को ग्रहण कर सकता है। किसी भी आणविक विस्फोट से सारे विश्व की रेडियोधर्मिता बढ़ जाती है, जिसे यंत्रों की सहायता से दुनिया में कहीं भी जाना जा सकता है।

36-क्या परमाणु बिस्फोट के बाद तेज आंधी आ सकती है?

उत्तर परमाणु विस्फोट के बाद आंधी अवश्य आती है । विस्फ़ोट जितना अधिक भयंकर होगा, आंधी भी उतनी ही जबर्दस्त आएगी। सौ मेगाटन के अणु बम के विस्फोट के बाद पौने दो हजार मील प्रति घण्टा तक के वेग की आंधी आ सकती है।

40-धुआं क्या है?

उत्तर धुआं अपूर्ण दहन का परिणाम है। अधिकतर वस्तुएं जिनके जलने पर धुआं पैदा होता है, यदि पूर्ण रूप से जलाई जाएं तो प्रायः रंगहीन गैसों के अतिरिक्त और कुछ नहीं निकलेगा | परन्तु मनुष्य अभी तक उस भट्टी का आविष्कार नहीं कर पाया है, जिससे वस्तु पूर्ण रूप से जल जाए हम लोग लकड़ी, कोयला आदि को अंशतः जलाते हैं, फलस्वरूप वस्तु के कुछ कण दहन के फलस्वरूप उत्पन्न गैसों के साथ निकलते है, और धुएं का निर्माण करते हैं।

41-क्या हम अपने देश की धरती में इतना गहरा छेद कर सकते है कि उसके सहारे अमेरिका पहुंच सकें?

उत्तर ऐसा असम्भव है, क्योंकि बीस-पच्चीस मील की गहराई के आगे इतनी अधिक ऊष्मा मिलेगी, कि मनुष्य तो क्या सभी मशीनें गलने लगेंगी।

42-एण्टीबायोटिक क्या है?

उत्तर 'एण्टीबायोटिक' कुछ चुने हुए जीवाणुओं का नाश करने वाले अत्यधिक शक्तिशाली यौगिक हैं। ये कुछ जड़ी-बूटियों के अवशिष्ट तथा मिट्टी में प्राप्त सूक्ष्म जीवों द्वारा तैयार किये हैं। ये अन्य प्रकार के जीवाणुओं का नाश करते हैं। पेनिसिलीन, स्ट्रेप्टोमाइसिन, क्लोरोमाइसिटिन तथा ओरियोमाइसिन चार प्रकार के मुख्य 'एण्टीबायोटिक' है । ये औषधियां विशिष्ट जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न विशेष रोगों का निराकरण करती हैं। न्यूमोकोस जीवाणु द्वारा उत्पन्न निमोनिया रोग को दूर करने के लिए पेनिसिलिन रामबाण औषधि है।

43-लोहे का बना हुआ जहाज पानी में तैरता है परंतु लोहे की सुई पानी में क्यों डूब जाती है?

उत्तर :- किसी भी वस्तु के पानी में तैरने के लिए यह जरूरी है कि उसके द्वारा हटाए गए पानी का भार उसके भार से अधिक हो । लोहे का बना हुआ जहाज जब पानी में चलता है, तो उसके द्वारा हटाए गए पानी का भार उसके (जहाज के) भार से अधिक होता है अतः जहाज पानी में तैरता है। दूसरी ओर, सुई पानी में डालने पर अपने भार से कम भार का ही पानी हटा पाती है अतः पानी में डूब जाती है।

44-रेल की पटरियों में जोड़ों के बीच खाली स्थान क्यों छोड़ा जाता है?

उत्तर :- रेलगाड़ी जब पटरी पर चलती है, तो पहियों तथा पटरी के बीच में एक. प्रकार का घर्षण होता है । इस घर्षण से बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा निकलती है जिसके कारण रेल की पटरी फैलती है । पटरी के इस फैलाव के लिए स्थान देने के उद्देश्य से ही कहीं-कहीं खाली स्थान छोड़ा जाता है। यदि स्थान नहीं छोड़ा जाएगा, तो पटरी के फैलाव से वह टेढ़ी-मेढ़ी हो जाएगी और रेलगाड़ी पटरी से उतर जाएगी ।

45--अधिक ऊंचाई पर उड़ते हुए पक्षियों की छाया पृथ्वी पर क्यों नहीं बनती?

उत्तर :- सूर्य प्रकाश का बहुत बड़ा स्रोत है, जबकि पक्षी बहुत छोटे । पक्षियों की घटती हुई छाया और बढ़ती हुई उपछाया बनती है। पक्षियों के पृथ्वी से अधिक ऊंचाई पर उड़ने के कारण छाया घटकर रास्ते में ही खो जाती है। उपछाया अधिक बड़ी लेकिन बहुत हल्की होने के कारण दिखाई नहीं पड़ती। यही कारण है कि अधिक ऊंचाई पर उड़ते हुए पक्षियों की छाया पृथ्वी पर नहीं बनती।

46-डिब्बे का ढक्कन खोलने के लिए चम्मच का प्रयोग क्यों करते हैं?

उत्तर :- डिब्बे का ढक्कन खोलने के लिए तुम चम्मच का उपयोग उत्तोलक के रूप में ही करते हो । चम्मच के किनारे को ढक्कन के नीचे रखा जाता है तथा दूसरे किनारे पर हाथ से नीचे को दबाकर बल लगाया जाता है। इस प्रकार चम्मच द्वारा बने उत्तोलक में बल भुजा भार भुजा से बड़ी होती है। अतः कम बल लगाने से बंद हुआ ढक्कन सरलता से खुल जाता है ।

47-बिजली की इस्त्री को तुम अंधेरे में क्यों नहीं देख सकते?

उत्तर :- बिजली की इस्त्री जब गरम होती है, तो इसमें से अवरक्त किरणों का विकिरण होता है (सूर्य विभिन्न तरंगदैर्ध्य के प्रकाश का विकिरण करता है। बैंगनी रंग के प्रकाश की तरंगदैर्ध्य कम तथा लाल रंग की तरंगदैर्ध्य अधिक होती है। लाल रंग के तरंगदैर्ध्य से अधिक तरंगदैर्ध्य के प्रकाश को अवरक्त प्रकाश कहते हैं ) । इसका अनुभव तुम इसके निकट आकर कर सकते हो। यह इस्त्री तुम्हें अंधेरे में दिखाई नहीं देती क्योंकि यह इतनी गरम होती नहीं कि दृश्य प्रकाश का विकिरण कर सके । अवरक्त - प्रकाश की किरणें तुम्हें दिखाई नहीं देतीं।

48-कारखानों में चिमनियां क्यों लगाई जाती हैं?

उत्तर :- जिस पर्यावरण में तुम रहते हो, उसमें शुद्ध वायु की अधिकता अवश्य होनी चाहिए ताकि सांस लेने में तुम्हें कोई तकलीफ न हो। कारखानों आदि से धुआं निकलता है जो जहरीली (हानिकारक) गैसों से पर्यावरण को प्रदूषित करता है । अतः इस प्रदूषण से बचने के लिए ही कारखानों में ऊंची-ऊंची चिमनियां लगाई जाती हैं। इन चिमनियों के द्वारा निकला हुआ धुआं ऊपरी वायुमंडल में मिलकर तुम्हें होने वाले नुकसान से बचा लेता है।

49-पानी डालने पर आग बुझ क्यों जाती है?

आग लगने पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी को आते हुए तो तुमने अवश्य ही देखा होगा। फायर ब्रिगेड की गाड़ी द्वारा पानी डालने पर ऊंची-ऊंची बिल्डिंग में भी लगी भयंकर आग बुझ जाती है । - किसी भी चीज को जलने के लिए उसका अत्यधिक गरम होना आवश्यक है अर्थात एक निश्चित ज्वलनांक पर ही कोई वस्तु गरम होती है। जब हुई वस्तु पर पानी डाला जाता है, तो उसका ज्वलन- ताप कम हो जाता है और वह बुझ जाती है। ठीक यही आग के साथ भी होता है। परंतु यदि आग तेल, बिजली या अन्य रसायन के कारण लगी हो, तो आग बुझाने के लिए पानी की जगह रसायनों का प्रयोग किया जाना चाहिए ।

50-चंद्रमा पर किसी वस्तु का भार कम क्यों हो जाता है?

उत्तर :- पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को अपनी ओर खींचती है। इस कार्य के लिए पृथ्वी। कुछ बल लगाना पड़ता है। यही बल वस्तु का भार कहलाता है। जब कोई भी वस्तु चंद्रमा पर होती है, तो उसका भार चंद्रमा के आकर्षण बल पर निर्भर करता है। चंद्रमा का आकर्षण बल पृथ्वी के आकर्षण बल का छठा भाग होता है। यही कारण है कि चंद्रमा पर किसी वस्तु का भार कम अर्थात पृथ्वी पर वस्तु के भार का 1/6 भाग हो जाता है।

पुष्पीय पादपो में लैंगिक जनन-पारिभाषिक शब्दावली (Sexual Reproduction in Floral Plant-Terminology)

पुष्पीय पादपो में लैंगिक जनन-पारिभाषिक शब्दावली (Sexual Reproduction in Floral Plant-Terminology)

नमस्कार, आपका answerduniya.com में स्वागत है। इस लेख में हम पुष्पीय पादपो में लैंगिक जनन-पारिभाषिक शब्दावली (Sexual Reproduction in Floral Plant-Terminology) के बारे में जानने वाले हैं। किसी विषय विशेष से सम्बंधित महत्वपूर्ण शब्दों की परिभाषा सहित सूची को पारिभाषिक शब्दावली कहा जाता है। किसी भी विषय को पढ़ने से पहले उसके पारिभाषिक शब्दावली के बारे में हमें जरूर जान लेना चाहिए ।

Reproduction in Floral Plant-Terminology

Pushpiya Padpo me Laigik Janan Paribhashik Shabdavali

1.अन्त:चोल(Intine)-परागकण की आंतरिक सतत पतली भित्ति जो पेंटासेल्युलोज की बनी होती है।

2.मध्यफलभित्ति(Mesocarp)-त्रिस्तरीय पेरीकार्प या फल भित्ति के बीज का स्तर।

3.मीजोगैमी(Mesogamy)-परागनलिका का अध्यावरण से होते हुए भ्रूणकोष में प्रवेश।

4.बीजांडव्दार(Micropyle)-बीजांड के अध्यावरण में स्थित वह छिद्र जिससे प्राय: परागनलिका बीजांड में प्रवेश करती है व जो बीज में भी वैसा ही बना होता है।

5.एकबीजाणुक(Monosporic)-ऐसा भ्रूण कोष जिसके निमार्ण से केवल एकगुरुबीजाणुक भाग लेता है।

जानें- मानव जनन-जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली

6.उभयलिंगाश्रयी(Monoccious)-नर व मादा दोंनो प्रकार के एकलिंगी पुष्पों को धारण करने वाला पौधा।

7.बीजांडकाय(Nucellus)-बीजांड के बीचो -बीच स्थिर भाग जिसमें भ्रूण कोष विकसित होता है।

8.अणडाशय(Ovary)-पुष्प के मादा जनन भाग अणडप का निचला फैला हुआ भाग जिसमे बीजांड स्थिर होता है ,जो निषेचन के बाद फल में बदल जाता है।

9.बीजांड(Ovary)-अंडाशय में स्थिर गुरुबीजाणुधानी जिसमें अर्धसूत्री विभाजन व्दारा भ्रूण कोष का निर्माण होता है

10.अनिषेकफलन(Parthenocarpy)-बिना निषेचन के फलों का विकास ,ऐसे फल बीज रहित होते हैं व अनिषेक जनन कहलाते हैं।

11.फलभित्ति(Pericarp)-परिपक्व अंडाशय की भित्ति जो निषेचनोपरांत फलभित्ति में बदल जाती है।

12.बीजांडासन(Placenta)-अंडाशय का वह स्थान जहाँ बीजांड लगे होते हैं।

13.बीजांडन्यास(Placentation)-बीजांडासन पर बीजांडो के लगे होने के क्रम अर्थात विन्यास का तरीका।

14.त्रिकर्सलयन(Tripalfusion)-2 ध्रुवीय केन्द्र को के एक नर युग्मक के साथ संलयन से त्रिगुणित भ्रूणपोष कोशिका बनना।

15.परागण (Pollination)-परागकणों के एक पुष्प के परागकोष से उसी पुष्प अथवा उसी प्रजाति के किसी अन्य पुष्पों के वर्तिकाग्र तक स्थानान्तरण की प्रक्रिया।

पढ़ें- जैव प्रौद्योगिकी- पारिभाषिक शब्दावली

16.सिनगैमी(Syngamy)-नर व मादा युग्मकों का संलयन \निषेचन

17.परागकण(Pollen)-परागकोष में बने अगुणित लघुबीजाणु जो नर युग्मकोदभिद का प्रतिनिधित्व करते हैं।

18.बहुभ्रूणता(Polyembryony)-बीज में एक से अधिक भ्रूणों के पास जाने की अवस्था।

19.बरुथीकास्क्यूटेलम(Scutellum)-एकबीजपत्रियों का एकमात्र बीजपत्र।

20.परिपक्वभ्रूणकोष(MatureEmbryoSac)-परिपक्व भ्रूणकोष में 7 कोशिकीय और 8 केन्दीकीय होते है।

21.बीज(Seed)-परिपक्व बीजांड जिसमे भ्रूण स्थित होता है।

22.साइफोनोगैमी(Siphonogamy)-परागनलिका की मदद से नरयुग्मक को मादा युग्मक के पास पहुचाने की क्रिया।

23.पुंकेसर(Stamen)-पुष्प के नर लैंगिक भाग की इकाई जो पुतंतु व परागकोष से बनी हो।

24.टेपीटम(Tapetum)-परागकोष भित्ति का सबसे भीतरी पोषक स्तर जो लघुबीजाणु मातृकोशिका व लघुबीजाणुओं को पोषण प्रदान करता है।25.टेस्टा(Testa)-बीज का बाह्य कवच जो बीजाण्ड के बाहरी अध्यावरण से विकसित होता है।

26.पुष्पासन(Thalamus)-पुष्प वृन्त का ऊपरी फूला हुआ भाग जिस पर पुष्प की चारों भूमियाँ(Whoris) लगी होती है।

27.जीवनक्षमता(Viability)- परागकण अथवा बीजों की अंकुरण करने में सक्षम होने की क्षमता ।

जानें- पादप ऊतक -पारिभाषिक शब्दावली 

28.परपरागण(Xenogamy)-वह परागण जिसमें परागकण एक पुष्प के परागकोष से उसी प्रजाति के किसी अन्य पौधे पर स्थित पुष्प के वर्तिकाग्र तक स्थानान्तरित होते हैं।

29.युग्मनज(Zygote)-लैंगिक जनन में नर व मादा युग्मक के संलयन से बनी द्विगुणित कोशिका।

30.भ्रूणपोषी(Albuminous)-ऐसे परिपक्व बीज जिनमें भ्रूणपोष बना रहता है। जैसे-नारियल,मक्का।

31.एल्यूरॉनपरत(Aleuronelayer)-एकबीजपत्री बीजों में भ्रूणपोष के चारों ओर पायी जाने वाली परत जिसकी कोशिकाओं में एल्यूरॉन होती है।

32.पीढ़ीएकान्तरण(AlternationofGeneration)-पौधों का प्रारूपिक जीवन-चक्र जिसमें द्विगुणित बीजाणुद्भिद पीढ़ी अगुणित युग्मकोद्भिद पीढ़ी से एकान्तरित होती है।

33.ऑटोगैमी(Autogamy)-स्वपरागण का एक प्रकार जिसमें किसी पुष्प के परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित होते हैं।

34.एकीन(Achene)-एकबीज वाले अस्फुट्नशील सरल फल।

35.कृत्रिमसंकरण(Artificialhybridization)-पादप प्रजनन की ए तकनीक जिसमें दो जनक पौधों के बीच मनुष्य द्वारा परागण कर संकरण कराया जाता है।36.प्रतिमुखकोशिकाएँ(Antipodalcells)-भ्रूणकोष में निभागीय सिरे (बीजाण्डद्वार के विपरीत सिरे) की ओर स्थित कोशिकाएँ जो भ्रूण को पोषण प्रदान करने के बाद नष्ट हो जाती है।

37.परागकोष(Anther)-पुंकेसर का वह भाग जिसमें परागकणों का निर्माण होता है।

38.मुक्ताण्डपी(Apocarpous)-वह बहुअण्डपी अवस्था जिसमें प्रत्येक अण्डप एक-दूसरेसे पृथक होता है

39.असंगजनन(Apomixis)-बिना युग्मक संलयन/निषेचन के बीज का निर्माण।

40.एलर्जन(Allergen)-एलर्जी उत्पन्न करने वाले कारक जैसे परागकण।

41.पुष्पीयपौधे(Angiosperm)-पुष्पीय पौधे जिनमें बीज फल के अन्दर स्थित होता है।42.अण्डप(Carpel)-पुष्प का मादा जनन भाग जो वर्तिकाग्र व अण्डाशय से मिलकर बना होता है।

43.उन्मीलपरागणी(Chasmogamous)-सामान्य पुष्प जिन के परागकोष व वर्तिकाग्र अनावृत (खुले) होते हैं।

44.अनुन्मील्यपरागणी(Cleistogamous)-ऐसे पुष्प जो कभी नहीं खुलते जैसे को मेलाइना।

45.सहविकास(Coevolution)-ऐसा संयुक्त विकास जिसमें एक प्रजाति दूसरी पर चयनात्मक बल लगाती है।

46.प्रांकुरचोल(Coleoptile)- एकबीजपत्री भ्रूण में एकबीजपत्री भ्रूण प्रांकुर व आद्यपत्तियों का सुरक्षात्मक आवरण

47.मूलांकरचोल(Coleorhiza)-एकबीजपत्री भ्रूण में मूलांकुर का सुरक्षात्मक आवरण।

48.बीजपत्र(Cotyledon)-पुष्पीय पौधों के भ्रूण के बीजपत्र,जो अंकुरण व बढ़ते नवांकुर को प्रकाश संश्लेषण प्रारम्भ होने तक पोषण उपलब्ध कराते हैं।49.एकलिंगाश्रयी(Dioecious)-एकलिंगी पुष्प धारण करने वाले नर अथवा मादा पादप डाइथिकस(Dithecous)-द्विपालित परागकोष जिसकी प्रत्येक पालि में दो थीका होते हैं।

51.प्रसुप्ति(Dormancy)-बीजों की वह अवस्था जिसमें वृद्धि रूक जाती है व अनुकूल परिस्थितियाँ होने पर भी अंकुरण नहीं होता है।

52.द्विनिषेचन(Doublefertilization)-पुष्पीय पादपों का विशिष्ट लक्षण जिसमें भ्रूणकोष में सिनगैमी व त्रिकसंलयन के रूप में दो बार संलयन होता है।

53.भ्रूण(Embryo)-युग्मनज के विभाजन में बनी मुक्तजीवी जीवन से पहले की बहुकोशिकीय अवस्था।

54.भ्रूणकोष(Embryosac)-पुष्पीय पौधों का मादा युग्मकोद्भिद।

इन्हें भी पढ़ें- पर्यावरण के महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी 

55.भ्रूणपोष(Endosperm)-पुष्पीय पौधों का त्रिगुणित पोषक ऊतक जो त्रिकसंलयन के फलस्वरूप बनता है।

56.भ्रूणीयअक्ष(Embryonalaxis)-बीज का भ्रूण जिसमें हाइपोकोटिल,एपीकॉटिल के साथ मूलांकर व प्रांकुर शामिल होते हैं व जो बीजपत्र से जुड़ा होता है।

57.विपुंसन(Emasculation)-पादप प्रजनन प्रक्रिया में मादा जनक पौधे के द्विलिंगी पुष्प से कलिका अवस्था में ही परागकोषों को काटकर अलग कर देना ताकि वर्तिकाग्र पर वांछित प्रकार के परागकण डाले जा सके।

58.बाह्यचोल(Exine)-परागकण की स्पोरोपोलेनिन से बनी बाहरी मोटी भित्ति जिसमें जनन छिद्र होते हैं।

59.भ्रूणविकास(Embryogeny)-युग्मनज से भ्रूण का विकास।

60.निषेचन(Fertilization)-नर व मादा युग्मक का संलयन जिसके फलस्वरूप द्विगुणित युग्मनज बनता है।

61.पुतंतु(Filament)–पुंकेसर का निचला तंतुवत भाग जिस पर परागकोष लगा रहता है।

62.पुष्प(Flower)-पुष्पीय पौधों में लैंगिक जनन सम्पन्न कर ने हेतु बना प्ररोह का एकरूपान्तरण।

63.फल(Fruit)-परिपक्व अण्डाशय जिसमें प्राय: बीज होते हैं।

64.युग्मक(Gamete)-अगुणित लिंग कोशिका जैसे अण्डकोशिका।65.युग्मकजनन(Gametogenesis)–नर या मादा युग्मकों का निर्माण व विकास।

66.जननछिद्र(Germpore)-परागकण की बाह्य भित्ति एक्जाइन के पतले क्षेत्र जहाँ स्पोरोपोलेनिन नहीं होता और जिनसे परागनलिका निकलती है।

67.जननकोशिका(Generativecell)-द्विकोशिकीय परागकण की छोटी कोशिका जो विभाजित होकर दो नरयुग्मक बनाती है।

68.जीटोनोगैमी(Geitonogamy)-परागकणों का एक पुष्प के परागकोष से उसी पौधे पर स्थित किसी अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र तक स्थानान्तरण (स्वपरागण)।

69.विषमबीजाणुक(Heterosporous)-बीजीय पादप जो दो प्रकार के बीजाणु (लुघबीजाणुवगुरुबीजाणु)बनातेहैं।जैसे जिम्नोस्पर्म व एंजियोस्पर्म।

70.असंगततायाअनिषेच्यता(Incompatibility)-असंगत या अन्तःप्रजनन रोकने की एक युक्ति जिसमें असंगत परागकण का वर्तिकाग्र पर अंकुरण या परागनलिका की वृद्धि अवरोधित हो जाती है।


इस लेख में हमने पुष्पीय पादपो में लैंगिक जनन-पारिभाषिक शब्दावली (Sexual Reproduction in Floral Plant-Terminology) के बारे में जाना। 

उम्मीद करता हूँ कि पुष्पीय पादपो में लैंगिक जनन-पारिभाषिक शब्दावली (Sexual Reproduction in Floral Plant-Terminology) का यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा, यदि आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इस लेख को शेयर अवश्य करें । 

पारिस्थितिक तंत्र - पारिभाषिक शब्दावली(Ecosystem - Terminology)

पारिस्थितिक तंत्र - पारिभाषिक शब्दावली(Ecosystem -  Terminology)

इस लेख में पारिस्थितिक तंत्र - पारिभाषिक शब्दावली(Ecosystem -  Terminology) के बारे में बताया जा रहा है। किसी भी विषय को जानने या पढ़ने से पहले हमें उससे जुड़े शब्दों के बारे में अवश्य जान लेना चाहिए। किसी विषय विशेष से सम्बंधित महत्वपूर्ण शब्दों की परिभाषा सहित सूची को पारिभाषिक शब्दावली कहा जाता है। इस लेख में पारिस्थितिक तंत्र से जुड़े महत्वपूर्ण शब्दावली को दिया जा रहा है ,जो पारिस्थितिक तंत्र पढ़ने से पहले जरूर जान लेना चाहिए।

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Ecosystem Paribhashik Shabdawali

1. कृषि पारितंत्र (Agroecosystem) - मानव निर्मित फसली क्षेत्र का पारितंत्र है।

2. जैवभार (Biomass) - जीव के शरीर में जैव पदार्थ की मात्रा जिसे प्रायः शुष्क भार के रूप में मापा जाता है।

3. चरम समुदाय (Climax Community) - अनुक्रमण के अन्त में विकसित हुआ स्थायी अधिक विविधता वाला समुदाय पर्यावरण के साथ साम्यावस्था में होता है।

4. उपभोक्ता (Consumer) – पारितंत्र में उत्पादकों के अतिरिक्त अन्य सभी जीव जिनमें शाकाहारी व माँसाहारी जन्तु, व विशेष प्रकार के उपभोक्ता अपघटक भी शामिल है।


5. अपघटक (Decomposer) — वे जीव जो मृत कार्बनिक पदार्थ से अपना पोषण प्राप्त करते हैं जैसे जीवाणु व कवक

6. अपरद (Detritus) – मृत पौधे व जन्तुओं के मृदा में पड़े भाग जैसे पत्तियाँ, पुष्प, जन्तुओं के अपशिष्ट पदार्थ आदि जिस सूक्ष्मजीव वृद्धि करते हैं।

7. अपदाहारी (Detritivore)- अपरदा को खाने वाले जीव जैसे केंचुआ, कुछ लार्वा।

8. पारितंत्र ( Ecosystem)- जैव समुदाय व उसके पर्यावरण के बीच पारस्परिक क्रिया से बना स्वपोषित तंत्र प्रकृति की कार्यात्मक इकाई।

9. खाद्य श्रृंखला (Food Chain) - अपने सरलतम रूप में खाद्य सम्बन्ध जिसमें उत्पादक व उपभोक्ता शामिल हों, पारितंत्र पोषण स्तर दिखाते सम्बन्ध।

10. खाद्य जाल (Food web) – अनेक खाद्य शृंखलाओं के आपस में जुड़ने से बना जाल।।

11. विखण्डन (Fragmentation)- अपरदहारी जीवों का अपरद या डेट्रिटस को खाकर छोटे-छोटे कणों में विभाजित कर जिससे उनका सतही क्षेत्र बढ़ जाता है।

12. ह्यूमस (Hymus) – अपरद पर सूक्ष्मजीवों की क्रिया से बना गहरे रंग का एमार्फस (amorphous) पदार्थ जो धीरे -धीरे खनिज मुक्त कर भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाता है।

13. जलारम्भी अनुक्रमण (Hydrarch)- जलाशयों से प्रारंभ होने वाला प्राथमिक अनुक्रम।

14. कर्कट (Littler) – पौधों से नीचे गिरी पत्तियाँ जो भूमि में पड़ी रहकर अपरद बन जाती है।

15. निक्षालन (Leaching)- अपघटन प्रक्रिया में जल में घुलित पदार्थों लवणों आदि की भूमि के निचले स्तरों में चले जाना।

16. मृदा निर्माण (Pedogenesis) – लाइकेज व अन्य कारकों द्वारा मृदा का निर्माण।

17. पादप प्लवक (Phytoplankton) - जलाशयों में निष्क्रिय रूप से तैरने वाले सूक्ष्म पादप।

18. मूल अन्वेषक प्रजाति ( Pioneer species) - वह प्रजाति जो प्राथमिक अनुक्रमण में सबसे पहले नये पार्यावास में पहुँचती है जैसे लाइकेन।

19. उत्पादकता (Productivity)- जैवभार उत्पादन की दर इसे g प्रति वर्गमीटर प्रतिवर्ष के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।

20. प्राथमिक अनुक्रमण (Primary Succession)- ऐसे स्थान में हुआ जहाँ पहले किसी प्रकार की वनस्पति नहीं था जैसे नग्न चट्टान, ठण्डा लावा।

21. द्वितीयक अनुक्रमण (Secondary Succession ) – ऐसे स्थान में हुआ जहाँ पहले के समुदाय किसी कारण से नष्ट हो गए।

22. स्टैंडिंग क्रॉप (Standing Crop) - किसी पोषण स्तर (Trophic level) में नियत समय पर उपलब्ध जैव भार

23. स्टैंडिंग स्टेट (Standing state) - किसी नियम समय पर मृदा में उपस्थित पोषक पदार्थों की मात्रा।

24.शुष्कारम्भी अनुक्रमण (Xerarch)- शुष्क स्थानों जैसे नग्न चट्टान से प्रारम्भ होने वाला प्राथमिक अनुक्रमण।

इस लेख में हमने पारिस्थितिक तंत्र - पारिभाषिक शब्दावली (Ecosystem - Terminology) के बारे में जाना। किसी भी विषय की शुरुआत पारिभाषिक शब्दावली से करनी चाहिए।

आशा करता हूँ कि पारिस्थितिक तंत्र - पारिभाषिक शब्दावली(Ecosystem - Terminology) का यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा। अगर आपको यह लेख पसंद आये तो इस लेख को शेयर जरूर करे।

जनन स्वास्थ्य-पारिभाषिक शब्दावली (Reproductive Health-Terminology)

जनन स्वास्थ्य-पारिभाषिक शब्दावली(Reproductive Health - Terminology)

नमस्कार, आपका answerduniya.com में स्वागत है। इस आर्टिकल में हम जनन स्वास्थ्य-पारिभाषिक शब्दावली (Reproductive Health-Terminology) के बारे में जानेंगे। जनन स्वास्थ्य जीवविज्ञान का एक टॉपिक है जिससे जुड़े प्रश्न अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में देखने को मिल जाते हैं। विभिन्न परीक्षाओं को ध्यान में रखकर यह आर्टिकल लिखा गया है। अगर आप जनन स्वास्थ्य पढ़ने वाले हैं तो आपको जनन स्वास्थ्य -पारिभाषिक शब्दावली के बारे में  अवश्य जान लेना चाहिए। 

janan swasthay paribhashik shabdawali

Jann vasthy Paribhashik Shabdawali

1. उल्ब परीक्षण (Amniocentesis) – भ्रूण में गुणसूत्रीय असामान्यताओं को ज्ञात करने की एक विधि जिसका दुरूपयोग भ्रूण के लिंग परीक्षण हेतु किया जाता है।

2. कृत्रिम वीर्य सेचन (Artificial Insemination) - वहतकनीक जिसमें किसी बन्ध्य पति/दाता का वीर्य कृत्रिम रूप से स्त्री की योनि अथवा गर्भाशय में प्रविष्ठ कराया जाता है।

3. सहायक जनन प्रौद्योगिकीयाँ (Assisted Reproductive Technologies ) – वह चिकित्सीय तकनीकें जो बन्ध्य लोगों के लिए सगर्भता के अवसर सुलभ करा देती है।

4. रोधक विधियाँ (Barrier Method) – गर्भ निरोधन के ऐसे उपाय जिसमें किसी यांत्रिक/ भौतिक साधन द्वारा शुक्राणुओं का अण्डकोशिका तक पहुँचना रोक दिया जाता है।

5. गर्भाशयी ग्रीवा टोपी (Cervical Cap) - गर्भ निरोध हेतु रबर/ प्लास्टिक से बनी एक टोपीनुमा रचना जो रोध या बैरियर की भाँति कार्य करती है।

पढ़े - जीवों में जनन - पारिभाषिक शब्दावली

6. डायफ्रॉम (Diaphragms)-गर्भाशयी ग्रीवा पर लगाने वाला एक रोधक निरोध उपाय।

7. भ्रूण स्थानान्तरण (Embryo Transfer)-इन विट्रो फर्टिलाइजेशन से बने भ्रूण को फैलोपियन नलिका अथवा गर्भाशय में स्थानान्तरित करना।

8. अन्तः कोशिकाद्रव्यीय शुक्राणु अन्तःक्षेपण (ICSI - In tra Cytoplasmic Sperm Injection) – सहायक जनन प्रौद्योगिकी की वह तकनीक जिसमें किसी बन्ध्य पुरुष के एक शुक्राणु को अण्ड कोशिका में इंजैक्ट किया जाता है।

9. बन्ध्यता ( Infertillty) - सन्तान पैदा करने की अक्षमता।

10. शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate)- एक वर्ष में प्रति 1000 जीवित शिशु जन्मों पर एक वर्ष के अन्दर मरने वाले शिशुओं की संख्या।

11.अन्तःगर्भाशयी युक्तियाँ (IUD Intra Uterine Device) - गर्भ निरोध की गर्भाशय में स्थापित की जाने वाली युक्तियाँ जो हॉर्मोन्स, कॉपर आधारित होती है। IUCD भी कहलाती है |

12.अन्तः गर्भाशयी वीर्य सेंचन (IUI Intra Uterine In semination ) – पति/दाता से प्राप्त वीर्य को कृत्रिम रूप से स्त्री के गर्भाशय में प्रविष्ट कराना।


पढ़ें- मानव जनन- पारिभाषिक शब्दावली।

13. अन्तः गर्भाशयी स्थानान्तरण (IUT Intra Uterine Transfer)- पात्रे निषेचन से बने 8 से अधिक कोरक खण्डों वाले भ्रूण को स्त्री के गर्भाशय में स्थानान्तरित करना।

14. दुग्धस्रावी अनार्तव (स्तनपान अनार्तव (Lactational Amenorrhea)- प्रसव के कुछ माह बाद तक सक्रिय स्तनपान के कारण माहवारी का अनुपस्थित होना।

15. मातृ मृत्यु दर (MMR-Maternal Mortality Rate) -प्रति 1000 सगर्भता स्थितियों में प्रतिवर्ष होने वाली मृत्यु की संख्या जिसमें सगर्भता अवधि, प्रसव व प्रसव के 42 दिनों के अन्दर हुई मृत्यु शामिल है।

16. सगर्भता का चिकित्सीय समापन (MTP - Medical Ter mination of Pregnancy) – प्रेरित गर्भपात या ऐच्छिक गर्भपात|

17. मुखिय गर्भ निरोधक (Oral Contraceptives)- हॉर्मोनल गोलियाँ जिन्हें गर्भ निरोध हेतु प्रयोग किया जाता है।

18. गोलियाँ (Pills)- गर्भनिरोध हेतु बनी हार्मोनल मुखीय औषधियाँ, एक प्रकार का मुखीय गर्भनिरोधक।

19. बन्ध्याकरण (Sterillzation)-गर्भनिरोध की शल्य चिकित्सीय विधियाँ, जैसे ट्यूबैक्टॉमी व वेसेक्टॉमी।

20. यौन संचरित रोग (STD Sexually Transmitted Dis eases)- प्राथमिक रूप से लैंगिक संपर्क द्वारा संचरित होने वाले रोग जैसे सिफलिस, एड्स आदि |

21. परखनली शिशु / टेस्ट ट्यूब बेबी (Test Tube baby) - पात्रे निषेचन या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन व बाद में भ्रूण के गर्भाशय में स्थानान्तरण से विकसित शिशु |

22. वाल्ट (Vault)- रोधक गर्भ निरोध का एक उपाय।

23. रजित रोग (VD Venereal Disease)- यौन संचरित रोगों का ही एक नाम |

24. युग्मनज का अन्तः फैलोपियन नलिका स्थानान्तरण (ZIFT Zygote Intra Fallopian Transfer)- इन विट्रो फर्टिलाइजेशन से विकसित 8 कोशिकीय भ्रूण का फैलोपियन नलिका में स्थानान्तरण।


इस आर्टिकल में हमने जनन स्वास्थ्य-पारिभाषिक शब्दावली (Reproductive Health-Terminology) के बारे  में जाना। विभिन्न प्रतिस्पर्धी परीक्षा में जनन स्वास्थ्य से जुड़े प्रश्न देखने को मिलते हैं।

उम्मीद करता हूँ कि जनन स्वास्थ्य-पारिभाषिक शब्दावली (Reproductive Health-Terminology) का यह आर्टिकल आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा ,यदि आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इस आर्टिकल को शेयर अवश्य करें।

एड्स कारक, रोग के संचरण, उपचार एवं रोकथाम

एड्स क्या है? इस रोग को उत्पन्न करने वाले कारक, रोग के संचरण, उपचार एवं रोकथाम के उपाय बताइये।

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उत्तर - एड्स (A. D. S.) एक विषाणु जनित मानव रोग है। इस संक्रमण के बाद की स्थिति है, जिसमें मानव अपने प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता खो देता है। एच.आई.वी. संक्रमण को एड्स की स्थिति तक पहुंचने में 8 से 10 वर्ष या इससे भी अधिक समय लग सकता है। एच.आई.वी से ग्रस्त व्यक्ति अनेक वर्षों तक बिना किसी विशेष लक्षणों के बिना रह सकते हैं।

एड्स के कारण – 

एड्स रोग HIV वाइरस से होता है, HIV का पूरा नाम ह्यूमेन इम्यूनो वाइरस है। एड्स वाइरस एक रिट्रोवाइरस (Retrovirus) है, जिसमें आनुवंशिक पदार्थ RNA होता है। एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिसियेन्सी सिण्ड्रोम है। इस रोग में T कोशिका (T Cell) का अभाव होता है, जो अन्य क्रिम्फोसाइट को सक्रिय करती है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति लगभग 3 वर्ष में मर जाता है। एड्स रोग के उपचार की विधि अभी तक ज्ञात नहीं है। इसके समान एक अन्य रोग भी पाया जाता है, जिसे एड्स रिलेटेड कॉम्प्लेक्स (A.R.C.) कहते हैं। 

एड्स की संचरण (transmission of aids) -

(1) मैथुन या सहवास द्वारा 
(2) दूषित इंजेक्शन से 
(3) रक्त दान द्वारा 
(4) अंग प्रतिरोपण द्वारा
(5) कृत्रिम वीर्य संकरण से
(6) माता से शिशु में होता है।

एड्स रोग के लक्षण- 

एड्स का विषाणु मानव शरीर की सहायक कोशिकाओं को (जो कि लिम्फोसाइट्स को सक्रिय करती है) मार देता है। इस कारण शरीर में प्रतिरक्षियों के निर्माण पर प्रतिकूल असर होता है तथा रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। लसिका ग्रन्थियों में सूजनबुखार, भार कम होना, कमजोरी आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। इस रोग के कारण रोगी की तीन वर्ष में मृत्यु हो जाती है। 

एड्स का उपचार- 

अभी तक इस रोग के निवारण के लिए कोई उपचार नहीं है। एक बार यह रोग होने पर उस व्यक्ति का बचना असम्भव है। फिर भी प्रतिरक्षा उत्तेजन विधि द्वारा शरीर में इस विषाणु की निरोधक कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि की जा सकती है। 

एड्स का नियन्त्रण- 

एड्स को फैलने से रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय काम में लाने चाहिए-

(1) लोगों को एड्स के घातक परिणामों की सूचना देनी चाहिए।

(2) इन्जेक्शन लगाने वाली सिरिंज एक बार प्रयोग करने के बाद फेंक देना चाहिए।

(3) रुधिर देने वाले व्यक्तियों, प्रतिरोपण के लिए वृक्क, यकृत, नेत्र का कॉर्निया, वीर्य या वृद्धि हॉमोन का दान करने वाले व्यक्तियों तथा गर्भधारण करने वाली स्त्रियों का निरीक्षण अनिवार्य रूप से करना चाहिए।

महत्वपूर्ण सवाल और उनके जवाब(Questions Answers) FAQs | Answer Duniya

Questions Answers | FAQs | Answer Duniya

नमस्कार दोस्तों, answerduniya.com में आपका स्वागत है। आज के इस आर्टिकल में हम विज्ञान विषय से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण सवाल और उनके जवाब(Questions Answers) के बारे में जानेंगे। जो प्राय: विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। अगर आप  विज्ञान के विद्यार्थी हैं या भविष्य में विज्ञान विषय में ही अपना करियर बनाना चाहते हैं तो इन प्रश्नों के उत्तर आपको अवश्य पता होने चाहिये। इस महत्वपूर्ण प्रश्नों के संग्रह को अंत तक जरुर पढ़ें। 
Questions Answers

Question - where do the lipids and proteins get synthesised?

Answer - Lipids and proteins are synthesized in the endoplasmic reticulum (ER).


प्रश्न - लिपिड और प्रोटीन कहां संश्लेषित होते हैं?

उत्तर - लिपिड और प्रोटीन अंतर्द्रव्यी जालिका (ER) में संश्लेषित होते हैं।


Question - where is cocaine produced in the world?

Answer - World's cocaine is produced in Bolivia, Colombia and Peru


प्रश्न - विश्व में कोकीन का उत्पादन कहाँ होता है?

उत्तर - विश्व में कोकीन का उत्पादन बोलीविया, कोलंबिया और पेरू में होता है?


Question - amount of soil erosion depends upon?

Answer - The amount of soil erosion depends on the following factors -

Direct factor

  1. deforestation and deforestation
  2. use of land as excessive pasture
  3. Excessive use of chemical fertilizers and pesticides
  4. Unscientific irrigation practices, over-farming, not using crop rotation, etc.

Indirect factor

  1. Construction of Dams & Multipurpose Projects
  2. water flow problem
  3. Urbanization, industrialization, construction work and mining work etc.

प्रश्न - मृदा अपरदन की मात्रा निर्भर करती है?

उत्तर - मृदा अपरदन की मात्रा निम्न कारकों पर निर्भर करती है-

प्रत्यक्ष कारक

  1. वनों की कटाई तथा वन विनास 
  2. अत्यधिक चारागाह के रूप में भूमि का उपयोग 
  3. रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग 
  4. अवैज्ञानिक सिंचाई पद्धतियां, अतिकृषि, अल्पकृषिफसल चक्र का प्रयोग नहीं करना आदि। 

अप्रत्यक्ष कारक 

  1. बाँधों का निर्माण व बहुउद्देश्यीय परियोजनाएं
  2. जल प्रवाह की समस्या 
  3. नगरीकरण, औद्योगिकरण, निर्माण कार्य व खनन कार्य आदि।

Question - what is plasmolysis?

Answer - The plasmolysis action is the shrinking of protoplasm away from the cell wall of a plant or bacterium.


प्रश्न - प्लास्मोलिसिस क्या है?

उत्तर - प्लास्मोलिसिस क्रिया एक पौधे या जीवाणु की कोशिका भित्ति से दूर प्रोटोप्लाज्म का सिकुड़ना है। प्रोटोप्लाज्मिक सिकुडन प्राय: एक्सोमिक द्वारा पानी के कम होने से होता है।


Question - plasmolysis occurs due to?

Answer - Plasmolysis is caused by osmosis.


प्रश्न - प्लास्मोलिसिस किसके कारण होता है?

उत्तर - प्लास्मोलिसिस परासरण (osmosis) के कारण होता है।


प्रश्न - प्लास्मोलिसिस कितने प्रकार का होता है?

उत्तर - प्लास्मोलिसिस दो प्रकार का होता है-  1. उत्तल प्लास्मोलिसिस
                                                                   2. अवतल प्लास्मोलिसिस

प्रश्न - उत्तल प्लास्मोलिसिस क्या है?
उत्तर  - उत्तल प्लास्मोलिसिस एक अपरिवर्तनीय प्लास्मोलिसिस है। उत्तल प्लास्मोलिसिस में, एक प्लास्मोलाइज्ड सेल गोलाकार प्रोटोप्लाज्म होता है। यह सेल की दीवारों से पूरी तरह अलग होता है।

प्रश्न - अवतल प्लास्मोलिसिस क्या है?
उत्तर - अवतल प्लास्मोलिसिस में प्रोटोप्लाज्म और प्लाज्मा झिल्ली के संकुचन से इनकी जेबें अवतल हो जाती हैं। इके बाद भी प्रोटोप्लाज्म और कोशिका भित्ति में लगाव के बिंदु मौजूद होते हैं।

आज के इस आर्टिकल में हमने विज्ञान के कुछ महत्वपूर्ण सवाल और उनके जवाब(Questions Answers) के बारे में जाना ,जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं।

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