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पूर्ति - पारिभाषिक शब्दावली (Supply - Terminology in Hindi)

पूर्ति  - पारिभाषिक शब्दावली (Supply - Terminology in Hindi)

आपका answerduniya.com में स्वागत है। इस आर्टिकल में हम पूर्ति  - पारिभाषिक शब्दावली (Supply - Terminology) के बारे में जानने वाले हैं। किसी भी विषय विशेष की चयनित शब्दों की परिभाषा सहित सूची को पारिभाषिक शब्दावली कहा जाता है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- UPSC, STATE PCS, RRB, NTPC, RAILWAY, CDS इत्यादि में पूर्ति  - पारिभाषिक शब्दावली (Supply - Terminology) से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। पूर्ति  - पारिभाषिक शब्दावली (Supply - Terminology) के महत्वपूर्ण शब्दों को अर्थसहित  जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा अवश्य पढ़ें।

Purti Paribhashik Shabdavali

Purti Paribhashik Shabdavali in Hindi

1.पूर्ति (Supply)- प्रो. बेन्हम के अनुसार- पूर्ति का आशय वस्तु की उस मात्रा से है जिसे प्रति इकाई समय में बेचने के लिए प्रस्तुत किया जाता है। 

2.पूर्ति तालिका (Supply Schedule)- बाजार में ऐसी निश्चित समय में विभिन्न कीमतों पर किसी वस्तु की विभिन्न मात्राएँ बेचने के लिए उपलब्ध करायी जाती है। जब विभिन्न कीमतों तथा उन कीमतों पर बेचने के लिए उपलब्ध मात्राओं को एक तालिका के रूप में व्यक्त किया जाता है, उसे पूर्ति तालिका कहते है।

3.व्यक्तिगत पूर्ति तालिका (Individual Supply Schedule)- जब किसी निश्चित समय पर किसी बाजार में एक विक्रेता के द्वारा किसी वस्तु को भिन्न- भिन्न कीमतों में बेचा जाता है, तो उसे व्यक्तिगत तालिका कहते है।

4.बाजार पूर्ति तालिका (Market Supply Schedule)- एक बाजार में बहुत से विक्रेता होते है, जो विभिन्न कीमतों पर वस्तु को बेचने के लिए तैयार रहते है, यदि इन सब विक्रेताओं की पूर्ति को जोड़ दिया जाये तो इसे तालिका को बाजार पूर्ति तालिका कहते है।

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5.पूर्ति वक्र (Supply Curve)- पूर्ति वक्र किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर उसकी विक्रय हेतु उपलब्ध मात्राओं के बीच पाये सम्बन्ध को बताती है।

6.बाजार पूर्ति (Market Supply)- बाजार पूर्ति को अति अल्पकालीन पूर्ति भी कहा जाता है। ऐसे बाजार में पूर्ति यथास्थिर रहती है, बाजार पूर्ति कुछ घंटे या एक दिन के सम्बन्ध में हो सकती है।

7.अल्पकालीन पूर्ति (Short- Run Supply)- अल्पकालीन पूर्ति ऐसी पूर्ति है जिसमें विक्रेता के पास अधिक समय होता है, अधिक समय रहने के कारण विक्रेता वस्तु की पूर्ति में माँग में थोड़ी बहुत कमी या वृद्धि कर सकता है।

8.दीर्घकालीन पूर्ति ((Long- Run Supply)- दीर्घकालीन पूर्ति ऐसी पूर्ति है जो सामान्य स्थिति को बताती है, इसमें विक्रेता के पास समय की कमी नहीं होती है। समय की पर्याप्तता के कारण विक्रेता अपनी वस्तु की पूर्ण रूप से माँग के अनुरूप बढ़ा या घटा सकता है।

9.संयुक्त पूर्ति (Joint Supply)- संयुक्त पूर्ति वह है, जब किसी एक स्त्रोत से दो या दो से अधिक वस्तुएँँ प्राप्त होती है। जैसे- तेल था तेल से प्राप्त खली।

10.सामूहिक पूर्ति (Collective Supply)- सामूहिक पूर्ति वह है, जब वस्तु विशेष की पूर्ति विभिन्न प्रतियोगी स्रोतों से की जाती है। जैसे- शक्ति की आपूर्ति- बिजली, कोयला आदि।

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11.पूर्ति का नियम (Law of Supply)- वाटसन के अनुसार- पूर्ति का नियम बताता है की अन्य बातों के समान रहने पर एक वस्तु की पूर्ति, इसकी कीमत बढ़ने से बढ़ जाती है और कीमत के घटने से घट जाती है।

12.पूर्ति की लोच (Elasticity of Supply)- प्रो.बिलास के अनुसार- पूर्ति की लोच कीमत में थोड़े से परिवर्तन के फलस्वरूप पूर्ति की मात्रा में हुए प्रतिशत परिवर्तन को कीमत में हुए प्रतिशत परिवर्तन से विभाजन करके प्राप्त करते है।

13.पूर्णतया लोचदार पूर्ति (Perfectly Elastic Supply)- जब वस्तु की कीमत में परिवर्तन ण होने पर भी वस्तु की पूर्ति में बहुत अधिक परिवर्तन हों जाती है तब ऐसी वस्तु की पूर्ति को पूर्णतया लोचदार पूर्ति कहते है।

14.अधिक लोचदार पूर्ति (Highly Elastic Supply)- जब वस्तु की कीमत में थोड़े से परिवर्तन होने के कारण वस्तु की पूर्ति में बहुत अधिक परिवर्तन होता है तब वस्तु की पूर्ति को अधिक लोचदार पूर्ति कहते है।

15.लोचदार पूर्ति(Elastic Supply)-जब किसी वस्तु की पूर्ति में परिवर्तन ठीक उसी अनुपात में होता है जिस अनुपात उसकी कीमत में परिवर्तन हुआ है, तब ऐसी वस्तु की पूर्ति को लोचदार पूर्ति कहते है।

16.बेलोचदार पूर्ति (Inelastic  Supply)- जब किसी वस्तु की पूर्ति में होने वाला परिवर्तन, मूल्य में होने वाले परिवर्तन से कम होता है, तब वस्तु की पूर्ति की लोच इकाई में कम अथार्त बेलोचदार पूर्ति होती है।

17.पूर्णतया बेलोचदार पूर्ति (Perfectly Inelastic Supply)- जब किसी वस्तु के मूल्य में बहुत अधिक परिवर्तन होने पर भी वस्तु की पूर्ति में कोई परिवर्तन न हो तो वस्तु की पूर्ति पूर्णतया बेलोचदार पूर्ति होती है।

इस आर्टिकल में हमने पूर्ति  - पारिभाषिक शब्दावली (Supply - Terminology) के बारे में जाना । पूर्ति अर्थव्यवस्था से जुड़ा एक शब्द है जिससे जुड़े महत्वपूर्ण शब्दों का अर्थ इस आर्टिकल में दिया गया है।

आशा करता हूँ कि पूर्ति  - पारिभाषिक शब्दावली (Supply - Terminology) का यह आर्टिकल आपके लिए लाभकारी साबित होगी ,यदि आपको यह आर्टिकल पसंद आये तो इस आर्टिकल को शेयर अवश्य करें।

जन्तु ऊतक - पारिभाषिक शब्दावली (Animal Tissues - Terminology in Hindi)

जन्तु ऊतक - पारिभाषिक शब्दावली (Animal Tissues - Terminology)

हेलो दोस्तों, आपका answerduniya.com में स्वागत है। इस लेख में आपको जन्तु ऊतक से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली के बारे में जानने वाले हैं। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है। भ्रूणीय विकास में समान कोशिकाओं के समूह को ऊतक कहा जाता है। शरीर के निर्माण में सबसे छोटी इकाई कोशिका होती है जंतु के शरीर में ऐसे ही समान प्रकार के कोशिका के समूहों को जंतु ऊतक कहा जाता है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- UPSC, SSC, PCS, RRB, NTPC, RAILWAY, CDS, TET CTET इत्यादि में जन्तु ऊतक और जन्तु ऊतक  से जुड़े पारिभाषिक शब्दावली से जुड़े प्रश्न पूछे जाते रहे हैं। इस लेख में ऐसे ही जन्तु ऊतक के महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्रह किया गया है।

Animal Tissues - Terminology in Hindi

Jantu Utak Paribhashik Shabdavali

1.ऊतक (Tissue)-"लगभग एक ही परिमाण तथा आकर की कोशिकाओं का समूह जो उत्पत्ति, विकास, रचना, कार्य के विचार से एक समान हो, ऊतक कहलाते है।"

2.अंग (Organ)-"एक या एक से अधिक ऊतकों से बने शरीर के उस भाग को जो एक या कई विशिष्ट कार्य करता हैं, अंग कहते हैं।"

3.ऊतक संगठन (Tissue Organization)-"जीव शरीर का यह संगठन जो की कई विशिष्ट कार्य करने वाले ऊतकों का बना होता है, ऊतक संगठन कहलाता है।"

पढ़ें- पादप ऊतक - पारिभाषिक शब्दावली।

4.अंग तंत्र (Organ System)-"विशिष्ट कार्य करने वाले अंगों के समूह को अंग तंत्र कहते हैं।"

5.शरीर (Body)-"अंग तंत्र मिलकर शरीर का निर्माण करता हैं।"

6.पाचन तंत्र (Digestive System)-भोजन का पाचन तथा अवशोषण का कार्य करता है, पाचन तंत्र कहलाता है।

7.श्वसन तंत्र (Respiratory System)-गैसों के विनियम तथा ग्रहण का कार्य करता है, श्वसन तंत्र कहलाता है।

8.परिसंचण तंत्र (Circulatory System)-शरीर के अन्दर संवहन का कार्य करती है, परिसंचरण तंत्र कहलाता है।

9.उत्सर्जन तंत्र (Excretory System)-उत्सर्जन तंत्र उत्सर्जी पदार्थ को शरीर के बाहर निकलता है।

जानें- मानव जनन - जीव विज्ञान पारिभाषिक शब्दावली।

10.कंकाल तंत्र (Skeletal System)-कंकाल तंत्र शरीर को आधार प्रदान करता है, कोमल अंगों की रक्षा करता है तथा पेशियों को जोड़ने के लिए स्थान देता है।

11.तंत्रिका तंत्र (Nervous System)-तंत्रिका तंत्र सोचने समझाने याद रखने तथा संवेदनाओं को ग्रहण करने का कार्य करता है। मस्तिष्क, मेरुरज्जु तथा इनसे निकलने वाली तंत्रिकाएँ मिलकर तंत्रिका तंत्र का निर्माण करती है।

12.अन्तःस्त्रावी तंत्र (Endocrine System)-शरीर की वृद्धि तथा विकास के अलावा जैविक क्रियाओं का नियंत्रण करता है अन्तःस्त्रावी तंत्र कहलाता है।

13.अध्यावारणी तंत्र (Integumentary System)-यह तंत्र शरीर को वातावरण से सुरक्षा प्रदान करता है। त्वचा और इससे सम्बंधित रचनाएँ अध्यावारणी तंत्र का निर्माण करती है।

14.उपकला ऊतक (Epithelial Tissue)-ऐसा ऊतक जो की विभिन्न प्रकार के आंतरिक अंगों एवं शरीर की स्वतंत्र या बाहरी सतहों पर पाया जाता है, उसे उपकला ऊतक कहते है।

15.सरल उपकला ऊतक(Simple Epithelial Tissue)-सरल उपकला ऊतक कोशिकाओं की केवल एक ही स्तर का बना होता है।

16.संयुक्त उपकला ऊतक (compound Epithelial Tissue)-संयुक्त उपकला ऊतक कोशिका के कई स्तरों व्यवस्थित होती हैं।

17.विशेषीकृत उपकला ऊतक (Specialized Epithelial Tissue)-कुछ उपकला ऊतक कुछ विशिष्ट कार्यों को करने के लिए रूपांतरित होती हैं, विशेषीकृत उपकला ऊतक कहते हैं।

18.संयोजी ऊतक (Connective Tissue)-संयोजी ऊतक वह ऊतक है, जो शरीर ऊतकों के सभी तथा अंगों को जड़ने का कार्य करती है, इसी कारण यह ऊतक अन्य ऊतकों के अनुपात में शरीर के अन्दर बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है।

19.वास्तविक संयोजी ऊतक (Proper Connectiv Tissue)-इस ऊतक में आधात्री बहुत अधिक मात्रा में जेली या अर्द्ध-तरल रूप में पाई जाती है, उसे वास्तविक संयोजी ऊतक है।

20.तंतुमय संयोजी ऊतक (Fibrous Connective Tissue)-इस ऊतक में आधात्री बहुत कम मात्रा में पाई जाती  है, लेकिन रेशे अधिक मात्रा में पाई जाती है।

21.कंकाली संयोजी ऊतक (Skeletal Connective Tissue)-कशेरुकी जंतुओं के शरीर की आकृति तथा आकर स्थिर बनाये रखने के लिए इनके शरीर में एक मजबूत ढांचा पाया जाया है, जिसे कंकाल कहते हैं। यह एक रूपांतरित संयोजी ऊतक का बना होता है, जिसे कंकाली या अवलम्बन ऊतक कहते हैं।

22.संवहनीय संयोजी ऊतक (Vascular Connective Tissue)-रूपांतरित संयोजी ऊतक एक प्रकार का संवहनीय संयोजी ऊतक है, जिसमें मैट्रिक्स तरल होता है, जिसे प्लाज्मा कहते है।


इस लेख में हमने जन्तु ऊतक - पारिभाषिक शब्दावली (Animal Tissues - Terminology in Hindi) के बारे में जाना । भ्रूणीय विकास में  कोशिका सबसे छोटी इकाई होती है, शरीर में ऐसे ही समान प्रकार के कोशिकाओं के समूह को ऊतक कहा जाता है। विभिन्न परीक्षाओं को दृष्टिगत रखते हुए इस लेख को तैयार किया गया है ।

आशा करता हूँ कि जन्तु ऊतक - पारिभाषिक शब्दावली (Animal Tissues - Terminology in Hindi) का यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा , अगर आपको यह लेख पसंद आये तो इस लेख को शेयर अवश्य करें।

मुद्रा एवं बैंकिंग से संबंधित अर्थ (Meaning of Currency and Banking)

मुद्रा एवं बैंकिंग से संबंधित अर्थ - Meaning of Currency and Banking

नमस्कार, answerduniya.com में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में हम  मुद्रा एवं बैंकिंग से संबंधित अर्थ (Meaning of Currency and Banking) के बारे में जानेंगे। मुद्रा किसी भी देश की करेंसी होती है जो सेवा एवं वस्तु विनिमय में उपयोग की जाती है। विभिन्न परीक्षाओं में भी  मुद्रा एवं बैंकिंग से संबंधित अर्थ (Meaning of Currency and Banking) से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। मुद्रा एवं बैंकिंग से संबंधित अर्थ (Meaning of Currency and Banking) के बारे में जानने के लिए इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें।

Meaning of Currency and Banking


Mudra evam Banking se Sambandhit Arth

1.मुद्रा (Money)- प्रो.मार्शल के अनुसार- मुद्रा के अन्तर्गत वे समस्त वस्तुएँँ सम्मिलित की जाती है, जो किसी समय अथवा किसी स्थान में बिना संदेह या विशेष जाँच- पड़ताल के वस्तुओं तथा सेवाओं के खरीदने और खर्च चुकाने के साधन के रूप में सामान्यत: प्रचलित है।

2.बैंक (Bank)- किनले के अनुसार- बैंक एक ऐसी संस्था है, जो ऋण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐसे व्यक्तियों को उधार देती है, जिन्हें उनकी आवश्यकता पड़ती है और जिसके पास व्यक्तियों द्वारा अपनी अतिरिक्त राशि जमा की जाती है।

3.व्यापारिक बैंक (Commercial Bank)- व्यापारिक बैंक से आशय उन बैंकों से होता है जिनकी स्थापना इंडियन कम्पनीज एक्ट के अन्तर्गत की गयी है और जो सभी साधारण बैंकिंग कार्य को सम्पन्न करते है। जैसे- इलाहाबाद बैंक, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया आदि बैंक है।

जानें- विपणन -पारिभाषिक शब्दावली।

4.अनुसूचित बैंक (Scheduled Bank)- जीन बैंकों को रिजर्व बैंक ने अपनी दूसरी सारणी में सम्मिलित कर रखा है, वे अनुसूचित बैंक कहलाते है।

5.गैर- अनुसूचित बैंक (Non- Scheduled Bank)- गैर- अनुसूचित बैंक वे बैंक होते है, जो रिजर्व बैंक के दूसरी सारणी में सम्मिलित कर रखा है, वे गैर-अनुसूचित बैंक कहलाते है।

6.साख (Credit)- साख से अभिप्राय- जब अर्थव्यवस्था में कोई व्यक्ति या फर्म किसी अन्य व्यक्ति, फर्म या बैंक से पैसा उधार लेती है तो उसे साख कहते है।

7.पत्र मुद्रा (Letter Money)- जब भारत सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक के विशेषाधिकार के तहत् जरी कागजी मुद्रा जिसे सरकारी आदेश के अन्तर्गत जरी किया जाता है, पत्र मुद्रा कहलाता है।

8.मुद्रा की चलन गति (Currency Movement)- एक अर्थव्यवस्था में निश्चित समय में मुद्रा की एक इकाई को जितनी बार भुगतान हेतु प्रयोग में लाया जाता है, उसे मुद्रा की चलन गति कहते है।

9.मुद्रा की पूर्ति (Money Supply)- मुद्रा की पूर्ति से अभिप्राय- एक निश्चित समय पर देश में लोगों के पास सभी प्रकार की कुल मुद्रा के स्टाॅॅक को मुद्रा की पूर्ति कहते है।

10.विधिग्राहा: मुद्रा( Vidhigraha Currency)- विधिग्राहा: मुद्रा उस मुद्रा को कहते है जिसे कानून का समर्थन प्राप्त होता है। यह वस्तुओं तथा सेवाओं के विनिमय तथा ऋणों के भुगतान में सामान्य रूप से स्वीकार की जाती है।

पढ़ें- प्रबंध - पारिभाषिक शब्दावली।

11.चालू खाता (Current Account)- चालू खाते में जमाकर्ता इच्छानुसार राशि जमा कर सकता है और निकल सकता है। जमा राशि प्रायः चेक द्वारा निकला जाता है।

12.बचत खाता (Saving Bank Account)- वेतनभोगी कर्मचारी तथा अन्य सामान्य आय वाले व्यक्तियों के लिए बैंकों द्वारा एक विशेष प्रकार के खाते की व्यवस्था की जाती है जिसे बचत खाता कहते है।

13.स्थायी जमा खाता (Fixed Deposit Account)- स्थायी जमा खाते के अन्तर्गत जमाकर्ता का धन एक निश्चित अवधि (जो 3 माह से 1 वर्ष या कुछ अधिक के लिए हों सकता है)के लिए जमा किया जाता है।

14.घरेलू बचत खाता (Home Saving Account)- घरेलू बचत खाता में धन जमा करने की सुविधा देनी का उद्देश्य, दैनिक बचत को बैंक में जमा करने को आदत को बढ़ावा दिया जाता है।

15.अनिश्चितकालीन जमा खाता (Indefinite Period Deposit Account)- अनिश्चितकालीन जमा खाते में जमा राशि अनिश्चित कल के लिए होता है। विशेष परिस्थियों में जमा राशि को निकाली जा सकती है।

16.अधिविकर्ष (Overdraft)- जमा राशि से अधिक राशि निकालने को अधिविकर्ष कहते है। यह सुविधा सिर्फ विश्वासपात्र ग्राहक को दिया जाता है।

इस पोस्ट में हमने मुद्रा एवं बैकिंग से संबंधित अर्थ (Meaning of Currency and Banking) के बारे में जाना। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में मुद्रा एवं बैकिंग से संबंधित अर्थ (Meaning of Currency and Banking) के बारे में पूछा जाता है।

उम्मीद करता हूँ कि मुद्रा एवं बैकिंग से संबंधित अर्थ (Meaning of Currency and Banking)  की यह पोस्ट आपके लिए लाभकारी साबित होगी, अगर आपको पोस्ट पसंद आये तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।

विपणन - पारिभाषिक शब्दावली (Marketing - Terminology in Hindi)

विपणन- पारिभाषिक शब्दावली (Marketing - Terminology)

हेलो दोस्तों, आपका answerduniya.com में स्वागत है। इस पोस्ट में हम विपणन से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली के बारे में जानेंगे। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है। विपणन - पारिभाषिक शब्दावली (Marketing - Terminology in Hindi) से सम्बंधित प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जाता है। ऐसी ही परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए इस पोस्ट में विपणन - पारिभाषिक शब्दावली (Marketing - Terminology in Hindi) का संग्रह किया गया है।

Marketing - Terminology in Hindi

Vipnan Paribhashik Shabdavali

1.विपणन (Marketing)- प्रो. फिलिप कोटलर के अनुसार- विपणन मानवीय क्रियाओं का समूह है जो विनिमय प्रक्रियाओं के द्वारा आवश्कताओं एवं इच्छाओं की सन्तुष्टि के लिये की जाती है।

2.विपणन प्रबन्ध (Marketing management)- प्रो. फिलिप कोटलर के अनुसार- संगठनात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए बनाये गये विपणन कार्यक्रमों का विश्लेषण, नियोजन,क्रियान्वयन एवं नियन्त्रण ही विपणन प्रबन्ध है।

3.विक्रयण (Selling)- विक्रयण का तात्पर्य वस्तुओं के विक्रय से है। जिसके अन्तर्गत माल का विक्रय, नमूना, बाँँटना तथा बिक्री बढ़ाने से सम्बन्धित समस्त कार्य आते है।

4.विपणन मिश्रण (Marketing Mix)- प्रो. फिलिप कोटलर के अनुसार- एक फर्म का लक्ष्य अपने विपणन चलों के लिये सर्वोतम व्यवस्था को ढूढ़ना है। यह व्यवस्था विपणन मिश्रण कहलाती है।

पढ़ें- प्रबंधकीय लेखाविधि क्या है। विशेषताएं।

5.उत्पाद मिश्र (Product Mix)- लिपसन एवं डार्लिंग के अनुसार- एक व्यवसाय प्रणाली द्वारा विक्रय के लिये प्रस्तुत की गई समस्त वस्तुओं की पूर्ण सूची उत्पाद मिश्र कहलाती है।

6.ब्रांडिंग (Branding)- ब्राण्ड किसी वस्तु को पहचानने का विशिष्ट ढंग है। ब्राण्ड शब्द को पहचान चिन्ह या छाप भी कहा जाता है।

7.लेबिल या पर्ची (Labeling)- स्टेंन्सन के अनुसार- लेबिल उत्पाद का वह भाग होता है जिस पर उत्पाद या उसके निर्माता विक्रेता के बारे में मौखिक सूचना दी जाती है। यह पैकेज का वह भाग भी हों सकता है या इसे एक उत्पाद के साथ प्रत्यक्ष रूप से चिट के रूप में संलग्न किया जाता है।

8.संवेष्ठन (Packaging)- आर.एस.डावर के अनुसार- पैकेंजिग वह कला है जो एक वस्तु की किसी आधानपात्र (कन्टेनर)में बन्द करने या आधानपात्रको वस्तु के संवेष्ठन के उपयुक्त बनाये हेतु सामाग्रियों, ढंगों और साज -सज्जा के विकास एवं प्रयोग से सम्बधित है जिससे वस्तु विवरण की विभिन्न अवस्थाओं के गुजरते समय पूर्ण रूप से सुरक्षित रहे।

9.कीमत निर्धारण (Pricing)- हेमिल्टन के अनुसार- कीमत उन सभी दशाओं का मौद्रिक सार है जो एक उत्पादक की मूल्य प्रदान करती है।

10.वितरण वाहिकाएँँ या माध्यम (Distribution Channels)- मेकार्थी के अनुसार- उत्पादक से उपभोक्ता तक संस्थओं का कोई भी ऐसा क्रम जिसमें या तो एक मध्यस्थ है या उनकी कोई संस्था हों सकती है वितरण माध्यम कहलाता है।

11.भौतिक वितरण(Physical Distribution)- मेकार्थी के अनुसार- वैयक्तिक फर्मो के भीतर एवं वितरण प्रणालियों के साथ- साथ माल का वास्तविक हस्थन तथा संचलन भौतिक वितरण कहलाता है।

12.विक्रय संवर्द्धन (Sales Promotion)- जे.आर.डाबमेन के अनुसार- विक्रय संवर्द्धन से आशय फुटकर व्यापारियों के कार्य की अधिक सरल बनाना है, ग्राहकों के मस्तिष्क में इच्छा उत्पन्न करना है एवं व्यापारियों को अधिक श्रेष्ठ व्यापारी बनाना है।

13.व्यापार संवर्द्धन विधियाँँ (Trade Promotion Methods)- कोलिन्स के अनुसार- विक्रय का एक बहुत बड़ा भाग मध्यस्थों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

14.विज्ञापन (Advertisement)- डॉ. जॉन्स के अनुसार- विज्ञापन उत्पादन को बहुत बड़ी मात्रा में विक्रय करने की एक मशीन है जो विक्रेता की वाणी और व्यक्तित्व को सहायता पहुँँचाती है।

इसे पढ़ेवित्तीय बाजार - पारिभाषिक शब्दावली 

15.वैयक्तिक विक्रय (Personal Selling)- विलियम जे.स्टेन्टन के अनुसार- वैयक्तिक विक्रय वह विक्रय है जिसमें एकमात्र ऐसा व्यक्तिगत विक्रय संन्देश सम्मिलित होता है जो की विज्ञापन, विक्रय संवर्द्धन एम् अन्य विक्रय संवर्धनात्मक उपकरणों का विपरीत होता है।

16.प्रत्यक्ष विक्रय (Direct Sales)- प्रत्यक्ष विक्रय वह विक्रय है जिसमें विक्रेता स्वयं प्रत्यक्ष रूप से वस्तु का विक्रय करता है स्वयं सामग्री को लेकर क्रेता से मूल्य प्राप्तकर वस्तु को सुपुर्दगी देती है।

17.ब्राण्ड लेबिल (Brand Label)- इस प्रकार के लेबिल पर केवल ब्राण्ड का नाम दिया रहता है ब्राण्ड के रूप में निर्माता का नाम या कोई चिन्ह या कोई डिजाइन हों सकता है।

18.विवरणात्मक लेबिल (Descriptive label)- इस प्रकार के लेबिलों में उत्पाद में सम्बन्ध मर पूर्ण जानकारी दी जाती है। इसे सूचनात्मक लेबिल भी कहा जाता है।

इस पोस्ट में हमने विपणन - पारिभाषिक शब्दावली (Marketing - Terminology in Hindi) के बारे में विस्तार से जाना। अनेक प्रतिस्पर्धी परीक्षा में विपणन - पारिभाषिक शब्दावली से सम्बंधित सवाल पूछे जाते रहते हैं।

आशा करता हूँ कि विपणन - पारिभाषिक शब्दावली (Marketing - Terminology in Hindi) का यह पोस्ट आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा, यदि आपको यह पोस्ट पसंद आये तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।


पादप ऊतक - पारिभाषिक शब्दावली (Plant Tissue - Terminology)

पादप ऊतक - जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली (Plant Tissue - Biology Terminology)

नमस्कार, आपका answerduniya.com में स्वागत है। आज के इस आर्टिकल में हम पादप ऊतक से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली दिया गया है। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है। किसी विषय विशेष से सम्बंधित चुने हुए शब्दों की परिभाषा सहित सूची को परिभाषिक शब्दावली कहा जाता है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पादप ऊतक - पारिभाषिक शब्दावली (Plant Tissue - Terminology) से जुड़े प्रश्न पूछे जाते रहते हैं.

Plant Tissue - Terminology

Padap Utak Paribhashik Shabdavali

1.ऊतक (Tissue)-एक सामान उत्पत्ति तथा विकास वाली कोशिकाओं का ऐसा समूह जो एक सामान कार्य करता हो, ऊतक कहलाते है।

2.विभज्योतकी ऊतक (Meristematic Tissue)-उतकों के अंदर कोशिकाओं के वे समूह आतें हैं, जिनमें कोशिकाएं या तो विभाजित होने वाली हों या विभाजित हों रही हों प्रविभाजी या विभज्योतकी ऊतक कहलाते हैं

3.प्राक् विभज्योतक (promerited)-प्रविभाजी कोशिकाओं का समूह,जो पौधो के किसी वृद्धि करते हुए भाग की प्रारम्भिक अवस्था को प्रदर्शित करता हों, प्राक् विभज्योतकी कहलाता है।

4.प्राथमिक विभज्योतक (Primary Meristem)-प्राक् विभज्योतकों के परिवर्धन से इन प्राथमिक विभज्योतकों का निर्माण होता है। इनकी कोशिकाएं सदैव सक्रिय रूप से विभाजन की स्थिति में रहती हैं, प्राथमिक विभज्योतकी कहलाती हैं।

5.द्वितीयक विभज्योतक (Secondary meristem)- द्वितीयक विभज्योतक ऊतक पौधे में शुरू से नहीं होते, बल्कि आवश्यकतानुसार बाद में विकसित होते हैं। द्वितीयक विभज्योतकों का विकास कुछ प्राथमिक स्थायी उतकों की कोशिकाओं में विभाजन की क्षमता से होता है, जैसे की मूल की एधा, कॉर्क की एधा।

6.शीर्षस्थ विभज्योतक (Apical meristem)-ये विभज्योतक मूल; तथा ताने के शिखर पर स्थित होते हैं। इन उतकों के निरंतर विभाजन होते रहने से ही जड़ व तने लम्बाई में वृद्धि करते हैं।

7.अंतर्विष्ट विभज्योतक (Intercalary Meristem)-वास्तव में यह शीर्षस्थ विभज्योतक से पृथक हुआ भाग है, जो प्ररोह की वृद्धि के समय शीर्ष भाग से अलग हों जाता है और स्थायी ऊतक में परिवर्तन नहीं होता।

8. पाश्व विभज्योतक (Lateral Meristem)-ये विभज्योतक तनों तथा जड़ों के पाश्वों में स्थित होते हैं। ये ऊतक स्थायी उतकों के पुन: विभेदन के कारण बनते हैं।

9.स्थायी ऊतक (Permanent Tissue)-वह ऊतक जिसकी कोशिकाओं में विभाजन की क्षमता नहीं होती, स्थायी ऊतक कहलाता है।

10.सरल स्थायी ऊतक (Simple Permanent Tissue)-सरल स्थायी ऊतक प्रायः: कोशिकाओं के बने होते हैं, जिसके कारण ये समांगी होते हैं।

11.मृदुतक (Parenchyma)-सबसे अधिकता से पादप शरीर में यही ऊतक मिलता है, जो पौधों के मुलायम भागों में उपस्थित रहता है। इसकी कोशिकाएं जीवित और पतली भित्ति वाली होती हैं।

12.स्थूलकोणोतक (Collenchyma)-यह भी मृदुतक के समान जीवित ऊतक है, जिसकी कोशिकाएं मृदुतक कोशिकाओं की तुलना में लम्बी होती हैं। इनकी कोशिकाओं में अंतराकोशिकीयी स्थान नहीं पाये जाते, क्योंकि इन स्थानों अथवा कोशिकाओं के कणों पर सेल्युलोज एवं पेक्टिन जमा हों जाता है, जिसके कर्ण इनकी कोशिका भित्ति के कोने मोटे एवं स्थूल हों जाते हैं, इसी कारण इन्हें स्थूलकोणीय कहा जाता है।

13.दृढ़ोंतक (Sclerenchyma)- यह पौधों के कठोर भागों में पाया जाने वाला विशुद्ध यांत्रिकीय ऊतक है, जो बहुत लम्बी कोशिकाओं का बना होता है।

14.जटिल स्थायी ऊतक (Complex Permanent Tissue)-जटिल ऊतक कोशिकाओं का वह समूह होता है, जिनमें एक से अधिक प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं, लेकिन सब मिलकर एक इकाई की तरह कार्य करती हैं।

15.दारू (Xylem)-इसका कार्य जल और उसमें घुले लवणों का स्थानांतर होता है।

16.फ्लोएम (Phloem)-संवहनी ऊतकों में पाया जाने वाला यह दूसरा जटिल ऊतक है, इसे बास्ट भी कहा जाता है।

17.विशिष्ट स्थाई ऊतक (Special Permanent Tissue)-इस प्रकार के ऊतक विशेष प्रकार के कार्य करते हैं - गोंद, रेजिन, तेल, श्लेष्मा, आक्षीर, या दूध आदि को स्त्रावित करने वाले ऊतक की श्रेणी में आते हैं।

इस आर्टिकल में हमने पादप ऊतक - पारिभाषिक शब्दावली (Plant Tissue - Terminology) के बारे में जाना। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखकर यह आर्टिकल लिखा गया है।

उम्मीद करता हूँ कि पादप ऊतक - पारिभाषिक शब्दावली (Plant Tissue - Terminology) का यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगी, अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इस आर्टिकल को जरुर करें।

प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली (management terminology in Hindi)

प्रबन्ध-पारिभाषिक शब्दावली (Management -Terminology)

नमस्कार, आपका answerduniya.com में  स्वागत है। इस आर्टिकल में प्रबन्ध(management ) से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली दिया गया है। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है। किसी विषय से सम्बंधित विशेष शब्दों की चुनी हुई परिभाषा सहित सूची को पारिभाषिक शब्दावली कहा जाता है। प्रबंध अर्थव्यवस्था से सम्बंधित एक टॉपिक है जिसमे किसी कार्य के संपादन और संचालन के बारे में जानकारी दी जाती है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- UPSC, STATE PCS, RRB NTPC, RAILWAY, CDS इत्यादि में प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली (management terminology in Hindi) से जुड़े सवाल अक्सर पूछे जाते रहते हैं। प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली (management terminology in Hindi) के बारे में विस्तार से जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़ें।

management terminology in Hindi


Prabandh Paribhashik Shabdavali

1.प्रबन्ध(Management)-पीटर एफ.ड्रकर के अनुसार - यह प्रत्येक व्यवसाय का गतिशील जीवन दायक तत्व है, उसके नेतृत्व के अभाव में उत्पादन के साधन केवल साधन मात्र जाते है कभी भी उत्पादन नहीं बन सकते।

2.पेशे (Profession)- हॉज एवं जॉनसन के अनुसार - पेशा एक व्यवसाय है, जिसके लिये कुछ विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता होती है। जिसे समरूपता की उच्च उपाधि द्वारा समाज के एक सम्बंधित वर्ग की सेवा के लिए प्रयोग किया जाता है।

3.प्रबन्ध सार्वभौमिक (Management Universal)- टेलर के अनुसार- वैज्ञानिक प्रबन्ध के प्राथमिक सिद्धान्त सभी मानवीय क्रियाओं अर्थात एक साधारण व्यक्ति की क्रियाओं से लेकर बड़े निगमों की क्रियाओं तक में लागू होता है प्रबन्ध सार्वभौमिक होता है।


जानें- अधिगम -पारिभाषिक शब्दावली।

4.प्रशासन (Administration)- ओलिवर शेल्डन के अनुसार- प्रशासन का कार्य किसी विशेष उद्योग में कम्पनी की भांति नीतियों का निर्धारण, वित्त, उत्पादन एवं वितरण में समन्वय बनाये रखना, संगठन के क्षेत्र को निश्चित और कार्यकारिणी का अंतिम रूप से नियंत्रण करना है।

5.उच्चस्तरीय प्रबन्ध (Top Level Management)- एच.बी.मेनार्ड के अनुसार- मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा उसका स्टॉफ जो सामान्यत: बड़े विभागों के प्रबन्धक होते है, इसमे सम्मिलित होते है।

6.संचालक मण्डल (Board of Director)- ई.एफ.ब्रेच के अनुसार- संचालक मण्डल का दायित्व नीति- निर्धारण करना और सम्पूर्ण संगठन पर नियंत्रण रखना होता है।

7.मध्यस्तरीय प्रबन्ध(Middle Level Management)- फिफनर एवं शेरवुड के अनुसार- इसमें क्रय प्रतिनिधियों,एक स्थान से दूसरे स्थान तक माल ले जाने वाले विभाग, प्रमुख कार्यालय प्रबंधकों, उत्पादन प्रबंधकों और विभागीय संग्रहकर्ताओं सम्मिलित होते है।

8.पर्यवेक्षणीय या निम्न स्तरीय (Supervisory or Lower Level Management)- आर.सी.डेविस के अनुसार- पर्यवेक्षणीय प्रबन्ध में कार्यकारी नेतृत्व प्रदान करने वाले वे सभी पद आते है जिनका मुख्य कार्य कर्मचारियों के कार्यों का निरीक्षण एवं निर्देशन करना होता है।

9.नियोजन (Planning)- शील्ड के अनुसार- योजना विभाग प्रबन्ध का ह्रदय है जिसका एकमात्र कार्य उत्पादन के विभिन्न पहलुओं में कार्यरत की आवश्यकताओं को पूरा करना है।

पढ़ें- वित्तीय विवरणों का निर्वचन, उद्देश्य और प्रकार। 

10.संचालक (Direction )- मार्शल ई.डिमोक के अनुसार- संचालक कार्य प्रशासन का ह्रदय है जिसके अन्तर्गत क्षेत्र निर्धारण, आदेश तथा निर्देश देना एवं गतिशील नेतृत्व प्रदान करना है।

इसे पढ़ेनिर्देशन - पारिभाषिक शब्दावली

11.समन्वय (Coordination )- हैवर्ड एवं जाॅॅनसन के अनुसार- संसार के समस्त कार्य उसी समय सरलता एवं शीघ्रता से हल किये जा सकते है, जबकि सभी व्यक्ति स्वैच्छिक सहयोग प्रदान करें।

12.सहकारिता (Cooperation)-सहयोग और समन्वय मिलकर सहकारिता बनता है। सहकारिता का अर्थ है अपने स्वैच्छिक उद्देश्य के लिये एक-दूसरे की मदद करना है जबकि सामान्य उद्देश्य के लिये विभिन्न विभागों के मध्य तालमेल बनाना समन्वय है।

13.वैज्ञानिक प्रबन्ध (Scientific Management )-शेल्डन के अनुसार- वैज्ञानिक प्रबन्ध किसी उद्योग में इसके प्रबन्धको द्वारा निर्धारित योजना को इस प्रकार चलाना है, जिसके सुविधापूर्वक उसके उद्देश्यों की पूर्ति की जा सके।

14.समय अध्ययन (Time Study )- जाँन ए.भुविन के अनुसार- किसी दिये गये कार्य के निष्पादन में लगने वाले समय का विश्लेषण और समय निर्धारण समय अध्ययन कहलाता है।

15.व्यावसायिक वातावरण (Business Envioroment )- रेनकी एवं शाॅॅल के अनुसार- व्यवसाय के वातावरण में वे सभी बाह्य घटक या बातें सम्मिलित है जिनसे यह घिरा हुआ है, तथा जिनसे प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से प्रभावित होता है।

इस आर्टिकल में हमने प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली (management terminology in Hindi) के बारे में विस्तार पूर्वक जाना । प्रबंध अर्थव्यवस्था से  जुड़ा एक महत्वपूर्ण टॉपिक है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली से जुड़े प्रश्न प्राय: पूछे जाते हैं । इस आर्टिकल में सभी परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली का संग्रह किया गया है। 

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पाठ्यक्रम - पारिभाषिक शब्दावली (Curriculum -Terminology)

पाठ्यक्रम - पारिभाषिक शब्दावली (Curriculum - Terminology)

हेलो दोस्तों, answerduniya.com में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में पाठ्यक्रम से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली दिया गया है। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है। किसी विषय विशेष में उपयोग की जाने वाली महत्वपूर्ण शब्दों की परिभाषा सहित सूची को पारिभाषिक शब्दावली कहते हैं। किसी भी पुस्तक को खोलते ही पहले या दूसरे पृष्ठ पर पुस्तक का पाठ्यक्रम दिया होता है। पाठ्यक्रम किसी विषय को व्यवस्थित रूप से पढने के क्रम को कहते हैं। बहुत से परीक्षाओं में भी पाठ्यक्रम - पारिभाषिक शब्दावली (Curriculum -Terminology) से जुड़े सवाल पूछे जाते रहते हैं।

Curriculum -Terminology

pathyakram paribhashik shabdavali

1.पाठ्यक्रम (Curriculum)- "पाठ्यक्रम पाठ्यवस्तु का ही सुव्यवस्थित रूप है, जिसका निर्माण बालकों की आवश्यकता की पूर्ति के लिये होता है।"

2.पाठ्यचर्या (Syllabus)- प्रो. एस. के. दुबे के अनुसार- पाठ्यचर्या का आशय विषयों की उस व्यवस्थित रूपरेखा या क्रम से है, जो कि उस विषय की उपयोगिता, आवश्यकता एवं महत्व से संबंधित होता है, तथा इसमें विद्यालय, शिक्षक एवं समुदाय के उत्तरदायित्व का समावेश भी होता है।

3.ज्ञान (Knowledge)- ज्ञान किसी वस्तु या विषय के संबंध में यथार्थ जानकारी है।

4.मूल्य (Value)- मूल्य वे आदर्श, विश्वास या मानक है, जिन्हें समाज या समाज के अधिकांश सदस्य ग्रहण किये हुए होते है।

5.मानवीय मूल्य (Human Values)- प्रो. एस. के. दुबे के अनुसार- "मानवीय मूल्यों के अंतर्गत मानव उत्थान, विश्व बन्धुत्व एवं अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना से संपन्न वे सभी क्रियाकलाप आते हैं जो की, विश्व शांति एवं विश्व कल्याण के लिये सम्पूर्ण मानव जाति को प्रेरित करतें हैं तथा व्यक्तिगत स्वार्थ के स्थान पर सार्वजनिक हित की भावना का विकास करतें हैं।"

6.लोकतंत्र (Democracy)- अब्राहम लिंकन के अनुसार- "लोकतंत्र शासन का वह रूप है जिसमें जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिये शासन होता हो।"

7.शिक्षण (Teaching)- बी.ओ.स्मिथ के अनुसार- "शिक्षण, अधिगम को उत्प्रेरित करने वाली एक पद्धति है।"

इसे पढ़े अधिगम - पारिभाषिक शब्दावली

8.नैतिकता (Morality)- पं. मदनमोहन मालवीय के अनुसार- "नैतिकता मनुष्य की उन्नति का मूल आधार है। नैतिकता से रहित व्यक्ति पशुओं से भी निकृष्ट है। नैतिकता के अभाव में मनुष्य अथवा देश का पतन अवश्यम्भावी है। अतः नैतिकता हमारा व्यापक गुण है और किसी भी कीमत पर हमें नहीं छोड़ना चाहिये।"

9.दर्शन (Philosophy)- ब्राइटमेन के अनुसार- "दर्शनशास्त्र की परिभाषा एक ऐसे प्रयास के रूप में दी जा सकती है, जिसके द्वारा सम्पूर्ण मानव अनुभूतियों के संबंध में सत्यता से विचार किया जाता हो अथवा जो हमारी सम्पूर्ण अनुभूतियों को बोधगम्य बनता हो।"

10.आकलन (Assessment)- एस. के. दुबे के अनुसार- "निर्धारण या आकलन का आशय उन सभी नीतियों, सिद्धान्तों एवं विधियों की समीक्षा से है जो की छात्रों की शैक्षिक एवं सामाजिक आवश्यकताओं के ज्ञान एवं उनकी पूर्ति के लिये प्रयुक्त होती हैं।"

11.मूल्यांकन (Evaluation)- टारगर्सन तथा एडम्स के अनुसार- "मूल्यांकन का अर्थ है किसी वस्तु या प्रक्रिया का मूल्य निश्चित करना। इस प्रकार शैक्षणिक मूल्यांकन से तात्पर्य है- शिक्षण प्रक्रिया तथा सिखने की प्रक्रियाओं से उत्पन्न अनुभवों की उपयोगिता के विषय में निर्णय देना।"

12.गाँधीजी का दर्शन (Educational of Gandhiji)- डा. एम. एस. पटेल के अनुसार- "गाँधीजी ने उन महान शिक्षकों एवं उपदेशकों की गौरवपूर्ण मंडली में अनोखा स्थान प्राप्त किया, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में नव- ज्योति दी है। गाँधीजी के शिक्षा सम्बन्धी विचारों का निष्पक्ष अध्ययन सिद्ध करता है की ये विचार शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार के प्रारम्भिक बिन्दु हैं।"

13.अनुशासनिक ज्ञान (Disciplinary Knowledge)- एस. के. दुबे के अनुसार- "शैक्षणिक अनुशासनिक ज्ञान का आशय उन नियमों, सिद्धान्तों एवं परम्पराओं से है जो कि शिक्षा के माध्यमों से सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक व्यवस्थाओं में सहसंबंध एवं अंत: अनुशासन स्थापित करने में सहायता करते है, जिससे एक ओर शिक्षक का कार्य एवं व्यवहार सर्वोत्तम बनता है तो दूसरी ओर छात्रों का सर्वांगीण विकास संभव होता है जिससे एक विकसित एवं समृद्धशाली राष्ट्र का निर्माण संभव होता है।"

14.शिक्षा (Education)- शिक्षा द्वारा उपयुक्त आदतों का निर्माण होना चाहिये और संसार के प्रति उपयुक्त दृष्टिकोण का विकास करने में शिक्षा बालक की सहायता करती है। यह कार्य अनुदेशन द्वारा संभव है।

इस पोस्ट में हमने पाठ्यक्रम - पारिभाषिक शब्दावली (Curriculum -Terminology) के बारे में जाना ,विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पाठ्यक्रम - पारिभाषिक शब्दावली (Curriculum -Terminology) से जुड़े सवाल पूछा जाता है। 

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निर्देशन - पारिभाषिक शब्दावली (Direction - Terminology in Hindi)

निर्देशन - पारिभाषिक शब्दावली (Direction - Terminology)

हेलो दोस्तों, आपका answerduniya.com में स्वागत है। आज के इस लेख में हम निर्देशन - पारिभाषिक शब्दावली (Direction - Terminology in Hindi) के बारे में जानेंगे। किसी भी कार्य को करने या करवाने के लिए एक व्यक्ति की आवश्यकता होती है, जो उस कार्य को किस प्रकार पूरा करना है ,बताता है उसे निर्देशक और उसके बताने को निर्देशन कहते हैं। निर्देशन से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली से संबधित प्रश्न अक्सर परीक्षाओं में पूछे जाते रहते हैं। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है।

Direction - Terminology in Hindi

Nirdeshan Paribhashik Shabdavali 

1.निर्देशन (Direction)- निर्देशन का अर्थ - यह एक दिशा निर्देश है जिसमें यह बताया जाता है की किसी कार्य को कैसे, कहाँ व कब तथा किसके द्वारा किया जायेगा।

2.निर्देशन (Direction)- डिमोक के अनुसार- निर्देशन वास्तव में प्रशासन का ह्रदय है,जिसके अन्तर्गत कार्य क्षेत्र का निर्धारण, आदेशों व निर्देशों का देना एवं गतिशील नेतृत्व प्रदान करना शामिल है।

3.पर्यवेक्षण (Supervision)- वाइटल्स के अनुसार- पर्यवेक्षण का आशय कार्य के निष्पादन में अधीनस्थों का प्रत्यक्ष एवं तुरन्त मार्गदर्शन एवं नियंत्रण करने से है।

जानें- प्रबंधकीय लेखाविधि क्या है।

4.अभिप्रेरणा (Motivation)- डेल एस. बीच के अनुसार- "अभिप्रेरणा को एक लक्ष्य या परितोषण प्राप्त करने की शक्ति के विस्तार की इच्छा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।"

5.मौद्रिक प्रेरणा (Monetary incentives)- जब किसी व्यक्ति की सन्तुष्टि मुद्रा में की जाती है या मौद्रिक लाभ द्वारा व्यक्ति को जब प्रेरित किया जाता है तब उसे मौद्रिक प्रेरणाएँ कहते है।

6. अमौद्रिक प्रेरणा (Non - Monetary incentives)- जब व्यक्ति को धन के अतिरिक्त अन्य किसी ढंग से संतुष्ट किया जाता है तो इस प्रेरणा को अमौद्रिक प्रेरणा कहा जाता है।

7.बोनस (Bonus)- बोनस का आशय -  उस मौद्रिक लाभ से है जो नियोक्ता द्वारा वर्ष एक बार विशिष्ट पर्व पर या कंपनी को अधिक लाभ होने पर कर्मचारियों को प्रदान किया जाता है।

8.अनुलाभ (Perquisites)- अनुलाभ का आशय - नियोक्ता द्वारा कुछ आवश्यक सुविधायें उपलब्ध कराने से है।

9.अवकाश वेतन (Leave salary)- कर्मचारी को ऐसे अवधि का वेतन पाने की सुविधा प्रदान करना चाहिए जिसका उपयोग उसने नहीं किया है।

पढ़ें- जनसँख्या पारिस्थतिकी का वर्णन कीजिये।

10.घनात्मक प्रेरणा (Positive incentives)- एडविन बी. फोलिप्पो के अनुसार- घनात्मक प्रेरणा से आशय उस प्रकिया से है, जिसके द्वारा लाभ या पारिश्रमिक का प्रलोभन देकर कर्मचारियों को कार्य करने के लिये प्रेरित किया जाता है।

11.ऋणात्मक प्रेरणा(Negativeincentives)- ऋणात्मक प्रेरणाओं में कर्मचारी को भय दिखाकर कार्य कराने का प्रयास किया जाता है।

12.नेतृत्व (Leadership)- लिविंगटन के अनुसार- नेतृत्व अन्य लोगों में किसी सामान्य उद्देश्यों की अनुसरण की इच्छा को जाग्रत करने की योग्यता है।

13.चातुर्य (Tact)-चातुर्य एक ऐसी चैतन्यशील मानसिक सतर्कता है जो कि दूसरे से व्यवहार करते समय आक्षेपों से बचने के लिये क्या करना और क्या कहना है, इस विषय में सर्तक करती है।

14.सम्प्रेषण (Communication)- सम्प्रेषण दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य तथ्यों, विचारों, सम्मतियों अथवा भावनाओं का विनिमय है।

15.मौखिक सम्प्रेषण (Verbal Communication)- दो या अधिक व्यक्तियों के मध्य मुँँह से सूचना का आदान - प्रदान करना मौखिक सम्प्रेषण कहलाता है।

16.लिखित सम्प्रेषण (Written Communication)- जब संवाद देने वाला व्यक्ति अपना सम्प्रेषण लिखित रूप से प्रस्तुत करता है तब इसे लिखित सम्प्रेषण कहते है।

17.औपचारिक सम्प्रेषण (Formal Communication)- ऐसा सन्देशवाहन जो औपचारिक सम्प्रेषण संगठन ढाँँचे तथा कार्यालय की स्थिति या संदेश प्रेषक व संदेश प्राप्तकर्ता के पदों से सम्बन्धित होता है औपचारिक सम्प्रेषण कहलाता है।

18.अनौपचारिक सम्प्रेषण (Informal Communication)- जब कभी दो समान स्तर के व्यक्तियों, अधिकारियों, कर्मचारियों या पक्षकारों द्वारा आपस में कोई संवाद होता है तब इसे तब इसे अनौपचारिक सम्प्रेषण कहते है।


इस पोस्ट में हमने निर्देशन - पारिभाषिक शब्दावली (Direction - Terminology in Hindi) के बारे में जाना। अनेक प्रतियोगी परीक्षाओं में निर्देशन - पारिभाषिक शब्दावली (Direction - Terminology in Hindi) से जुड़ा सवाल अक्सर पूछा जाता रहता है।

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वित्तीय प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली (Financial Management - Terminology in Hindi)

वित्तीय प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली (Financial Management - Terminology)

आपका, answerduniya.com में स्वागत है। इस लेख में  वित्तीय प्रबन्ध से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली दिया गया है। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है। किसी विषय विशेष से सम्बंधित विशिष्ट शब्दों की परिभाषा सहित सूची को पारिभाषिक शब्दावली कहा जाता है। इस लेख में वित्तीय प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली (Financial Management - Terminology) दिया जा रहा है। जो अर्थव्यवस्था से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण शब्द है।

Financial Management - Terminology in Hindi

Vittiya Prabandh Paribhashik Shabdavali

1.वित्तीय प्रबन्ध(Financial Management)- वित्तीय प्रबन्ध का आशय - वित्त के साधनों व उपयोग के मध्य उचित सामन्जस्य बनाये रखना है, ताकि उपलब्ध वित्त का अधिकतम उपयोग, उपभोग एवं विनियोग समय - समय पर किया जा सके।

2.वित्तीय प्रबन्ध(Financial Management)- वेस्टन एवं ब्राइघम के अनुसार- वित्तीय प्रबन्ध वित्तीय निर्णय लेने की वह क्रिया है जो व्यक्तिगत उद्देश्यों और उपक्रम के उद्देश्यों में समन्वय स्थापित करती है।

3.रोकड़ा प्रबन्ध (Cash Management)- रोकड़ा का आना या रोकड़ा का जाना रोकड़ा प्रबन्ध कहलाता है। रोकड़ा किसी व्यवसाय का धड़कन है।

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4.वित्तीय नियोजन (Financial Planning)- वॉकर एवं बॉगन के अनुसार- वित्तीय नियोजन वित्त कार्य से सम्बधित है,जिसमें फर्म के वित्तीय लक्ष्यों का निर्धारण, वित्तीय नीतियों का निर्माण एवं अनुमान तथा वित्तीय प्रविधियों का विकास सम्मिलित है।

5.अल्पकालीन वित्तीय नियोजन ( Short - Financial Planning )- एक व्यवसाय में एक वर्ष की अवधि के लिए जो वित्तीय योजना बनाई जाती है, वह अल्पकालीन वित्तीय नियोजन कहलाती है।

6. मध्यकालीन वित्तीय नियोजन (Medium - Financial Planning)- एक व्यवसाय में एक वर्ष से अधिक की अवधि तथा पाँँच वर्ष से कम की अवधि के लिए जो वित्तीय योजना बनाई जाती है उसे मध्यकालीन वित्तीय नियोजन कहलाती है।

7.दीर्घकालीन वित्तीय नियोजन (Long -terms - Financial Planning)-एक व्यवसाय में पाँच वर्ष अथवा अधिक अवधि के लिए बनाई गई वित्तीय योजना दीर्धकालीन वित्तीय नियोजन कहलाती है।

8.पूँजी संरचना(Capital Structure)- बैस्टन एवं ब्राइन के अनुसार- पूंजी संरचना किसी फर्म का स्थायी वित्त प्रबन्धन होता है जो दीर्घकालीन ऋणों, अधिमान अंशो तथा शुद्ध मूल्य से प्रदर्शित होता है।

9.परिचालन अनुपात (Operating ratio)- किसी व्यवसाय में कुल आय का जितने प्रतिशत भाग परिचालन व्ययों में प्रयुक्त होता है उसे परिचालन अनुपात कहा जाता है।

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10.पूँजीकरण (Capitalization)- गस्टर्नबर्ग के अनुसार- व्यावहारिक दृष्टिकोण से पूँजीकरण का तात्पर्य व्यापार के लिये नियमित रूप से लगी कुल पूंजी के लेखांकन मूल्य से है।

11.अति पूँजीकरण ( Over- Capitalization)- गस्टर्नबर्ग के अनुसार- एक निगम को उस समय अति- पूँजीकृत कहा जाता है जब इसकी आय निर्गमन अ अंशो एवं ‍‌‍‍‍‍‌‌‌‍‍‌‍‍‍‍‌‌‌बाण्डों पर एक उचित दर से प्रत्याय देने के लिए अपर्याप्त हो अथवा जब देय प्रतिभूतियों का पुस्तकीय मूल्य सम्पतियों के वर्तमान मूल्य से अधिक हो।

12.अल्प पूँजीकरण (Under- Capitalization)- हॉगलैण्ड के अनुसार- अल्प पूँजीकरण का आशय व्यवसाय में लगी हुई संपतियों का कुल पूँजी से मिलान करने पर सम्पतियों के अधिक होने से है।

13.द्रवित या जलयुक्त पूँजी (Water Capital)- हॉगलैण्ड के अनुसार- जब कम्पनी की सम्पतियों का वास्तविक मूल्य से कम हों जाता है तो उसे जलयुक्त पूँजी कहते है।

14.स्थायी पूँजी (Fixed Capital)- स्थायी पूँजी व्यापार का वह भाग है जिसके द्वारा व्यापार स्थापित किया जाता है।

15.वास्तविक स्थायी पूँजी (Real Fixed Capital)- व्यापार में भूमि, भवन, फर्नीचर, मशीनरी, औजार आदि आवश्यक है इन पर व्यय की गई पूँजी को वास्तविक स्थायी पूँजी कहते है।

16. अवास्तविक स्थायी पूँजी (Unreal Fixed Capital)- व्यापार में पेटेण्ट, कापीराइट, ख्याति,प्रारम्भिक व्यय प्रवर्तन, प्रबन्धन आवश्यक है इन पर व्यय की गई पूँजी को वास्तविक स्थायी पूँजी कहते है।

17.कार्यशील पूँजी(Working Capital)- गस्टर्नबर्ग के अनुसार- कार्यशील पूँजी सामान्यत: चालू सम्पतियों के आधिक्य के रूप में परिभाषित किया जाता है।

18.नियमित अथवा स्थायी कार्यशील पूँजी(Regular or Fixed Working Capital)- कार्यशील पूँजी ऐसी होती है जिसकी आवश्कता सम्पूर्ण वर्ष भर लगातार होती है। ऐसी पूँजी व्यवस्था को दीर्घकालीन ऋण से की जाती है।

19.मौसमी अथवा परिवर्तन कार्यशील पूँजी(Seasonal or variable Working Capital)- यह एक ऐसी पूँजी ही जिसका उपयोग वर्ष में किसी निश्चित मौसम में किया जाता है साथ ही यह व्यय परिवर्तनशील होता है।

20.लाभांश (Dividend)- लाभांश का शाब्दिक अर्थ लाभ का अंश से है अर्थात ऐसा अंश जिसे वितरित किया जाता है।

इस आर्टिकल में हमने वित्तीय प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली (Financial Management - Terminology in Hindi) के बारे में जाना । विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में वित्तीय प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली (Financial Management - Terminology in Hindi) से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं।

उम्मीद करता हूँ कि वित्तीय प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली (Financial Management - Terminology in Hindi) की यह पोस्ट आपके लिये उपयोगी साबित होगी, अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें। 

जैव समष्टि - पारिभाषिक शब्दावली (Biopopulation - Terminology)

जैव समष्टि- जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली (Biocomposites- Biology Terminology)

हेलो दोस्तों, answerduniya.com में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में जैव समष्टि से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली दिया जा रहा है। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है। किसी विषय विशेष से जुड़े शब्दों की परिभाषा सहित सूची को पारिभाषिक शब्दावली कहते हैं। जैव समष्टि - पारिभाषिक शब्दावली (Biopopulation - Terminology) से सम्बंधित प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- UPSC, STATE PCS, CDS, SSC, RRB, NTPC इत्यादि में पूछा जाता है।

Biopopulation - Terminology

jaiv smshti paribhashik shabdavli 

1.पर्यावरण (Environment)- परिवेश, जीव के चारों ओर के सभी जैव व अजैव कारकों का समुच्चय।

2.यूरीहैलाइन (Euryhaline)- जन्तु जो लवणीय जल के एक बड़ी परास (Wide range of salt water) को सहन करने में सक्षम हो।

3.यूरीथर्मल (Eurythermal)- ऐसे जीव जो ताप में उतार चढ़ाव के एक बड़े बदलाव को सहन करने में सक्षम हो।

4.हैलोफाइड (Halophyte)- अत्यधिक लवणीय मृदा या जल में उगने वाले पौधे।

5. हीलियोफाइड (Heliophyte)- सूर्य का प्रकाश पसन्द करने वाले पौधे जो प्रकाश की उच्च तीव्रता में उगते हैं।

पढ़ें- जल प्रदूषण क्या है।

6.शीत निष्कृियता (Hibernation)- कुछ जीवों की कम ताप से बचने हेतु सर्दी में लम्बी नींद (Winter sleep) जिसमें उपापचयी क्रियाएँ मंद रहती हैं।

7.होमियोथर्मिक (Homeothermic)- एंडोथर्मिक या गर्म खून वाले जीव जिनके शरीर का तापमान स्थिर रहता है जैसे स्तनधारी।

8.साम्यावस्था (Homeostasis)- स्थिर आन्तरिक पर्यावरण बनाये रखने की प्रक्रिया जैसे ताप नियमन।  

9.ह्यूमस (Humus)- आंशिक रूप से अपघटित काला एमार्फस जैविक पदार्थ जो मृदा की उपजाऊ शक्ति बढ़ाता है।

10.काष्ठलता (Liana)- उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वनों की काष्ठ लताएँ (Woody chimber) जो वृक्षों से लिपटकर कैनोपी तक पहुँच जाती है।

11.प्रवास (Migration)- जीवों का प्रतिकूल परिस्थितियों से बचने के लिए अनुकूल पर्यावरण वाले स्थानों पर अस्थाई रूप से जाना।

12.सहोपकारिता (Mutualism)- दो जीवों के बीच की पारस्परिक क्रिया जिसमें दोनों ही साझेदारों को लाभ होता है।

13.रात्रिचर(Nocturnal)- जीव जो रात्रि में सक्रिय रहते हैं। जैसे- कॉकरोच, उल्लू। 

14.परासरण नियमन (Osmoregulation)- वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा जीव के शरीर में जल व आयनों के सान्द्रण का नियमन होता है। अर्थात् जीव के शरीर द्रवों की परासरणी सान्द्रता का नियमन। 

15.परजीविता (Parasitism)- जीवों के बीच की वह पारस्परिक क्रिया जिसमें एक जीव (परजीवी) को लाभ तथा दूसरे (पोषक) को हानि होती है। परजीवी पोषक से पोषण प्राप्त करता है। 

16.पादपभक्षी (Phytophagous)– किसी भी प्रकार के शाकाहारी जन्तु जो पौधों से आहार प्राप्त करते हैं।

17.ठण्डे रक्त वाले (Poikilothermic)-ऐसे जन्तु जो अपने शरीर का ताप स्थिर नहीं रख पाते, शरीर का ताप पर्यावरण के ताप के साथ बदलता है, जैसे मछली, एम्फीबियन, सरीसृप। 

18.परभक्षण (Predation)- वह पारस्परिक क्रिया जिसमें एक (परभक्षी) जीव दूसरे (शिकार) जीव को मार कर खा जाता है।


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19.दीप्तिकालता (Photoperiodism)- जीव की प्रकाश की अवधि के प्रति अनुक्रियाएँ जैसे पौधों में पुष्पन। 

20.समष्टि (Population)- किसी दिए भौगोलिक क्षेत्र में नियत समय पर उपस्थित एक ही प्रजाति के जीवों की संख्या। 

21.छाया प्रिय पौधे (Sciophyte)- ऐसे पौधे जो बहुत कम प्रकाश में तीव्रता में उगते हैं।

22.शुष्कोद्भिद पौधे (Xerophytes)- शुष्क आवासों में पाये जाने वाला पेड़-पौधे।

23.स्टेनोथर्मल (Stenothermal)- ऐसे जीव जो तापमान के एक सीमित परास को सहन करने की क्षमता रखते हैं।

24.गत पर्णरन्ध्र (Sunken Stomata)- वाष्पोत्सर्जन द्वारा जल हानि कम करने के लिए मरुस्थलीय पौधों की पत्तियों में गड्ढों में उपस्थित पर्णरन्ध्र। 

25.स्तरीकरण (Stratification)- वर्षा वनों में वनस्पति का अनेक स्तरों के रूप में पाया जाना।

26.आयु वितरण(Age distribution )– किसी समष्टि में विभिन्न आयु वर्ग के जीवों की आपेक्षित बहुलता।

27.स्वपारिस्थितिकी (Autoecology )- किसी एक जीव या एक जीव प्रजाति की उसके पर्यावरण से पारस्परिक क्रियाओं का अध्ययन। 

28.जैव मण्डल (Biosphere)- पृथ्वी पर वायुमण्डल,जलमण्डल व स्थलमण्डल का जीवन योग्य भाग/पृथ्वी के सभी जीवोमों का योग।

29.जैविक कारक (Biotic Factor)- पर्यावरण के ऐसे कारक जो जीवधारियों से सम्बंधित है जैसे प्रतिस्पर्धा, चारण (Grazing)।

30.सर्काडियन रिद्म ( Circadian rhythms )– जीवों की दिन के प्रकाश के प्रति दैनिक अनुक्रियाएँ ।

31.सहजीविता (Commensalism)- जीवों के बीच की ऐसी पारस्परिक क्रिया जिसमें एक जीव लाभान्वित होता है जबकि दूसरे को इस क्रिया से न कोई हानि होती है न लाभ।

32.डेमोग्राफी (Demography)- मनुष्य की जनसंख्या का वैज्ञानिक अध्ययन। 

33.उपरति / डाएपॉज (Diapause)– कुछ जन्तुप्लवकों (कीटों) द्वारा उपापचय के निलम्बन (Suspension) की अवस्था तार्किक प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना किया जा सके।

34.प्रसुप्ति (Dormancy)- बीजों की ऐसी अवस्था जिसमें अनुकूल परिस्थितियों में भी अंकुरण नहीं होता।जीवों की प्रतिकूल परिस्थितियों से बचने हेतु निष्क्रय अवस्था। 

35.पारिस्थितिकी (Ecology)- जीवों की आपस की तथा पर्यावरण के साथ की पारस्परिक क्रिया का अध्ययन।

36.उत्प्रवासन (Emigration)- किसी आवास में रह रही समष्टि में बाहर के उसी प्रकार के जीवों का जुड़ जाना।


इस पोस्ट में हमने जैव समष्टि - पारिभाषिक शब्दावली (Biopopulation - Terminology) के बारे  में जाना है । जैव समष्टि - पारिभाषिक शब्दावली (Biopopulation - Terminology) से जुड़े सवाल अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जाता रहता है। इसलिए इस पोस्ट में विभिन्न परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए जैव समष्टि - पारिभाषिक शब्दावली (Biopopulation - Terminology) का संग्रह किया गया है।

आशा है जैव समष्टि - पारिभाषिक शब्दावली (Biopopulation - Terminology) का यह पोस्ट आपके लिये लाभकारी साबित होगी , यदि आपको यह पोस्ट पसंद आये तो पोस्ट को शेयर जरुर करें। 

जैव प्रौद्योगिकी - पारिभाषिक शब्दावली (Biotechnology - Biology Terminology)

जैव प्रौद्योगिकी- जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली | Biotechnology - Biology Terminology

answerduniya.com में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में  जैव प्रौद्योगिकी से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली दिया गया है। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है। ज्ञान के किसी विशेष क्षेत्र में चुने हुए शब्दों की परिभाषा सहित सूची पारिभाषिक शब्दावली कहलाती है। विभिन्न परीक्षाओं में जैव प्रौद्योगिकी   - पारिभाषिक शब्दावली (Biotechnology - Biology Terminology) से जुड़े सवाल अक्सर पूछे जाते हैं। इस पोस्ट में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुये जैव प्रौद्योगिकी   - पारिभाषिक शब्दावली (Biotechnology - Biology Terminology) का संग्रह किया गया है।

Biotechnology - Biology Terminology

Jaiva Praudyogikee Paribhashik Shabdavali

1. जीन क्लोनिंग (Gene cloning) - पुनर्योगज डी.एन.ए. के पोषक कोशिका में प्रवेश के बाद परपोषी कोशिका का सम्वर्धन जिससे वांछित जीन की भी क्लोनिंग होती है।

2. निवेशी निष्क्रियता (Insertional Inactivation) - रंग पैदा करने वाले जीन उत्पाद, जैसे- बीटा गैलेक्टो साइडेज को कोडित करने वाले जीन में वांछित जीन निवेशित कर पुनर्योगजों की पहचान करना।

3. लाइगेज (Ligase) - डी.एन.ए. खण्डों को जोड़ने वाला एन्जाइम।

4. न्यूक्लिएज (Nuclease) - नाभिकीय अम्ल (DNA/ RNA) का पाचन करने वाला एन्जाइम।

5.ओरी (Ori) - प्लाज्मिड या वाहक का वह स्थल जहाँ से प्रतिकृतिकरण प्रारम्भ होता है।

6.प्लाज्मिड (Plasmid ) - जीवाणुओं के गुणसूत्रों से बाहर के गोलाकार स्व-प्रतिकृतिकरण करने वाले डी.एन.ए. अणु।

7.पुनर्योगज डी.एन.ए. तकनीक (Recombinant DNA Technology) - बाह्य या विजातीय डी.एन.ए. को दूसरे जीव के डी.एन.ए. से जोड़कर काइमेरिक डी. एन. ए. बनाने की प्रक्रिया या जेनेटिक इंजीनियरिंग।

8. पश्च विषाणु (Retro Virus) - आर.एन.ए. विषाणु जिनमें डी.एन.ए. निर्माण हेतु रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज एन्जाइम पाया जाता है।

9. वाहक / संवाहक (Vector) - डी.एन.ए. अणु जिसमें उचित पोषक कोशिका के अंदर प्रतिकृतिकरण की क्षमता होती है तथा जिसमें विजातीय डी.एन.ए. निवेशित (Insert) किया जा सकता है।

10. जी.एम.ओ. (GMO) - जेनेटिकली मॉडीफाइड आर्गेनिज्म या ट्रांसजेनिक जिनके जीनों में फेरबदल कर कोई कार्यशील विजातीय डी.एन.ए. प्रविष्ट करा दिया गया हो, जैसे बी.टी. पौधे।

12. जीन थेरेपी (Gene Therapy) - त्रुटिपूर्ण या विकारयुक्त जीन को सामान्य कार्यशील जीन द्वारा प्रतिस्थापित कर रोग - उपचार।

13. ह्यूम्यूलिन (Humulin) - यू. एस की एलि लिली कम्पनी द्वारा पुनर्योगज तकनीक से उत्पादित मानव इंसुलिन का ब्रांड नाम।

14.p 53 जीन (p53 जीन) - कोशिका विभाजन के नियन्त्रण के लिए यह जीन कोशिका चक्र को रोकती है।

15. पेटेन्ट (Patent) - सरकार द्वारा किसी वस्तु/प्रक्रिया के खोजकर्ता को दिया जाने वाला अधिकार जो अन्य व्यक्तियों को व्यावसायिक उपयोग से रोकता है।

16. खोजी (Probe) - न्यूक्लियोटाइड के छोटे 13-30 क्षारक युग्म लम्बे खण्ड है जो रेडियोएक्टिव अणुओं से चिन्हित करने पर पूरक खण्डों की पहचान हेतु प्रयोग किये जाते हैं।

17. प्रोइंसुलिन (Proinsulin) - इंसुलिन का पूर्ववर्ती अणु जिसमें एक अतिरिक्त C-पेप्टाइड होता है तथा इसके निकलने (प्रसंस्करण) से इंसुलिन बनता है।

18.जीन लाइब्रेरी (Gene library) - जीव के DNA के सभी जीनों को किसी वाहक के DNA के साथ समाकित करके क्लोनों का मिश्रण बना लेन।

19.DNA रिकॉम्बिनेंट तकनीक (DNA Recombinent Technology) - वह तकनीक जिसके अंतर्गत किसी मनचाहे DNA का कृत्रिम रूप से निर्माण करते है।

इसे पढ़ेवंशागति के सिद्धान्त - पारिभाषिक शब्दावली

इसे पढ़े - वंशागति का आण्विक आधार - पारिभाषिक शब्दावली

20.ट्रांसफॉर्मेशन(Transformation) - जब किसी स्वतंत्र DNA को बैक्टीरियल सेल में स्थानान्तरित करने की क्रिया।

21.रोगी थेरैपी (Patient Therapy) - इस थेरैपी में प्रभावित ऊतक में स्वस्थ जीनों का प्रवेश करा दिया जाता है।

22.भ्रूण थेरैपी (Embryo Therapy) -इस थेरैपी में दोषी जीन का पता लग जाने पर ,जायगोट बनने के बाद भ्रूण की आनुवंशिक संरचना को बदला जाता है।

23.सोमोक्लोनल विभिन्नताए (Somoclonal Variation) - कृत्रिम संवर्धन माध्यम कोशिकाओं अथवा ऊतको में होने वाली आकस्मिक एवं प्राकृतिक विभिन्नताओ को ही सोमोक्लोनल विभिन्नताए कहते है

24. हैटरोकेरियान(Heterokaryon) - ऐसी कोशिकाए जिसमे दो भिन्न -भिन्न कोशिकाओ में नाभिक होता है।

25.संकर कोशिका (Hybrid Cell) - कोशिका - संयोजन से बने हैटरोकेरियान में अंततः समससूत्रण विभाजन से बने सेल को संकर कोशिका कहते है।

इस पोस्ट में जैव प्रौद्योगिकी   - पारिभाषिक शब्दावली (Biotechnology - Biology Terminology) से सम्बंधित महत्वपूर्ण शब्दों का संग्रह दिया गया। जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत उपयोगी है।

उम्मीद है जैव प्रौद्योगिकी   - पारिभाषिक शब्दावली (Biotechnology - Biology Terminology) की यह पोस्ट आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगी, यदि आपको पोस्ट अच्छा लगा हो तो, पोस्ट को शेयर जरुर करें।

राष्ट्रीय आय से संबंधित अर्थ (meaning of national income)

राष्ट्रीय आय से संबंधित अर्थ (meaning of national income)

हेलो दोस्तों, answerduniya.com में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम राष्ट्रीय आय से संबंधित अर्थ (meaning of national income) के बारे में जानने वाले हैं। राष्ट्रीय आय किसी भी देश की आर्थिक विकास को दर्शाता है। एक वित्तीय वर्ष में देश की कुल उत्पादित वस्तु एवं सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य को राष्ट्रीय आय कहा जाता है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में देश की राष्ट्रीय आय के बारे में पूछा जाता है।  राष्ट्रीय आय से संबंधित अर्थ (meaning of national income) के बारे में जानने के लिए इस पोस्ट को पूरा जरुर पढ़ें।

meaning of national income


Rashtriya Aay Se Sambandhit Arth

1.राष्ट्रीय आय (National Income)- राष्ट्रीय आय से अभिप्राय- किसी देश द्वारा एक वर्ष में उत्पादित सभी अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य से है।

2.राष्ट्रीय आय (National Income)- प्रो.मार्शल के अनुसार- देश के प्राकृतिक साधनों पर श्रम और पूँजी द्वारा कार्य करने पर प्रतिवर्ष भौतिक एवं अभौतिक वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन होता है। इन सब की शुद्ध उत्पत्ति के योग को वास्तविक वार्षिक आय या वार्षिक राजस्व या राष्ट्रीय लाभांश कहते है।

3.सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product)- सकल घरेलू उत्पाद से अभिप्राय- किसी देश में एक निश्चित समयावधि में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्यों का योग होता है। विभिन्न प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन में लगे हुए होते है। इनके द्वारा उत्पादित अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्यों का योग को सकल घरेलू उत्पाद कहते है।

पढ़ें- वित्तीय विवरण क्या है।

4.सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product)- इसका सम्बन्ध देश की घरेलू सीमा से ण होकर उसके सामान्य निवासियों से होता है। देश के सामान्य निवासियों द्वारा एक लेखा वर्ष में देश के अन्दर व बाहर सृजित आय का योग सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहलाता है।

5.विशुद्ध घरेलू उत्पाद (Net Domestic Product)- एक देश के सकल घरेलू उत्पाद के मूल्य में से स्थिर पूँजी के उपभोग अथवा मशीनों एवं कल- पुर्जो के घिसावट व्यय को निकल देने से जो शेष राशि बचती है, उसे ही विशुद्ध घरेलू उत्पाद कहते है।

6. विशुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (Net National Product)- एक देश के सकल घरेलू उत्पाद के मूल्य में से स्थिर पूँजी के उपभोग अथवा मशीनों एवं कल- पुर्जो के घिसावट व्यय को घटा देने से जो शेष राशि बचती है, उसे ही विशुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहते है।

7.निजी आय (Private Income)-केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन- निजी आय वह आय है जो निजी क्षेत्र के सभी स्त्रोतों से प्राप्त साधन आय तथा सरकार से प्राप्त वर्तमान हस्तान्तरण और शेष विश्व से प्राप्त वर्तमान हस्तान्तरण का योग है।

8.वैयक्तिक आय (Personal Income)- पीटरसन के अनुसार- वैयक्तिक आय व्यक्तियों द्वारा सभी स्त्रोतों से वास्तव में प्राप्त साधन आय तथा वर्तमान हस्तान्तरण भुगतान का जोड़ है।

9.प्रति व्यक्ति आय (Per Capital Income)- एक देश की किसी वर्ष विशेष में औसत आय की ही प्रति व्यक्ति आय कहते है।

10.प्रयोज्य आय (Disposable Income)- वैयक्तिक आय का वह भाग, जिसे लोग अपनी इच्छानुसार खर्च कर सकते है अथवा बचाकर रख सकते है, प्रयोज्य आय कहलाती है।

11.बंद अर्थव्यवस्था (Close Economy)- जब किसी देश का अन्य दूसरे देशों से कोई आर्थिक संबंध नहीं होती है, तो उसे बंद अर्थव्यवस्था कहते है।

12.खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy)- जब किस भी देश का अन्य देशों से आर्थिक संबंध स्थापित हों जाता है, तो उसे खुली अर्थव्यवस्था कहते है।

पढ़ें- महत्वपूर्ण जनरल नॉलेज।

13.मजदूरी आय (Wage Income)- मजदूरी आय से तात्पर्य- उस आय से है जो श्रमिक को उनकी सेवाओं के बदले मौद्रिक या किस्त के रूप में प्राप्त होती है उसे मजदूरी आय कहते है।

14.गैर- मजदूरी आय (Non-Wage Income)- भूमि के स्वामी, पूँजीपति तथा साहसी को किराया(लगान), ब्याज तथा लाभांश के रूप में प्राप्त आय को गैर- मजदूरी आय कहते है।



इस आर्टिकल में हमने राष्ट्रीय आय से संबंधित अर्थ (meaning of national income) के बारे में जाना। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में राष्ट्रीय आय से संबंधित अर्थ (meaning of national income) से  जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं।

उम्मीद करता हूँ कि राष्ट्रीय आय से संबंधित अर्थ (meaning of national income) का यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा, अगर आपको आर्टिकल पसंद आये तो आर्टिकल को शेयर अवश्य करें।

मानव जनन - जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली (Human Reproduction - Biology Terminology)

मानव जनन - जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली । Human Reproduction - Biology Terminology

इस लेख में हम मानव जनन - जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली (Human Reproduction - Biology Terminology) के बारे में जानेंगे। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है। ज्ञान के किसी विशेष क्षेत्र में विषय से सम्बंधित महत्वपूर्ण शब्दों की परिभाषा सहित सूची को पारिभाषिक शब्दावली कहते हैं।

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को सम्बंधित विषय की पारिभाषिक शब्दावली का ज्ञान अवश्य होना चाहिए। इस लेख में ऐसे ही महत्वपूर्ण मानव जनन - जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली (Human Reproduction - Biology Terminology) का संग्रह किया गया है ,जो अक्सर परीक्षाओं में पूछे जा चुके हैं।

(Human Reproduction - Biology Terminology

Manav Janan Paribhashik Shabdavali

1. जर्म लेयर क्या है? (What is Germ layer)-

भ्रूण के प्राथमिक जनन स्तर जैसे एक्टोडर्म मीजोडर्म व एण्डोडर्म।

2. जनद क्या है? (What is Gonad)– 

प्राथमिक जनन अंग जिसमें युग्मकों का निर्माण होता है।

3. गोनेड्रोट्रापिन हॉर्मोन क्या है? (What is Gonadotropin hormone)-

अग्र पिट्यूटरी द्वारा स्रावित हॉर्मोन्स जैसे FSH व LH जो अण्डाशय व वृषण की क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।

4. शिश्न मुंड क्या है? (What is Glans) -

शिश्न का संवेदी शीर्ष।

जानें- TOP 100 जनरल नॉलेज प्रश्न उत्तर।

5.ह्यूमन कोरियोगिक गोनेड्रोट्रॉपिन क्या है? (What is Human Choclonic Gonadotropin)-

मनुष्य में कोरिऑन द्वारा निर्मित गोनेडोट्रापिन हॉर्मोन जो गर्भाशयी भित्ति (फलस्वरूप सगर्भता) बनाये रखने में मदद करता है।

6. पूर्ण विदलन क्या है? (What is Holoblastic Cleavage )-

युग्मनज का एक ऐसा विदलन जो उसे दो कोरकखण्डों (ब्लास्टोमियर्स) में बाँट दें।

7. योनिच्छद क्या है? (What is Hymen) - 

स्त्री के योनिकाछिद्र को ढकने वाली एक झिल्ली।

8. अन्तः रॉपण क्या है? (What is Implantation) - 

जरायुजी स्तनधारियों में भ्रूण का ब्लास्टोसिस्ट अवस्था में गर्भाशयी एंट्रोमेट्रियम में संलग्न होना (धंसना)।

9. वीर्य सेचन क्या है? (What is Insemination ) - 

स्त्री के योनि में वीर्य का छोड़ा जाना।

10. दुग्ध स्रावण क्या है? (What is Lactation) -

शिशु के पोषण हेतु जन्म के बाद माँ की स्तन ग्रन्थियों से दुग्ध का स्रावण।

11. पीतकी अवस्था क्या है? (What is Luteal Phase) - 

आर्तव चक्र में अण्डोत्सर्ग के बाद की अवस्था जिसके कार्पस ल्यूटियम विकसित होने के कारण प्रोजेस्टीरॉन का स्तर बढ़ जाता है।


पढ़ें- ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के उपाय।

12. रजोदर्शन क्या है? (What is Menarche) - 

किशोरावस्था में ऋतुस्राव का प्रारम्भ।

13. मैनोपॉज या रजोनिवृत्ति क्या है? (What is Menopause) - 

प्रौढ़ स्त्री में आर्तव चक्र का स्थायी रूप से समाप्त हो जाना।

14. ऋतुस्राव क्या है? (What is Menstruation) - 

प्रत्येक आर्वत चक्र की पहली अवस्था जिसमें गर्भाशय के आन्तरित स्तर के कुछ ऊतक व रक्त योनिमार्ग से बाहर निकलते हैं।

15. मीसोडर्म क्या है? (What is Mesoderm) - 

भ्रूण का बीज वाला प्राथमिक जनन स्तर जो पेशिय स्तर हृदय आदि बनाता है।

16. मीसोवेरियम क्या है? (What is Mesovarium)- 

अण्डाशय को उदरगुहा में निलम्बित रखने वाली मेसेन्टरी (संयोगी ऊतक)।

17. तूतक क्या है? (What is Morula) – 

भ्रूणीय विकास में युग्मजन में हुए विदलनों से बनने वाले ठोस गेंद जैसी 8-16 कोशिकीय संरचना।

18. अंग निर्माण क्या है? (What is Morphogenesic) - 

भ्रूणीय विकास के दौरान ऊतकों, अंगों व पूरे भ्रूण का आकार लेना।

19. न्यूरूला क्या है? (What is Neurula) – 

प्रारंभिक भ्रूणीय विकास में गैस्टुला के बाद की अवस्था जिसमें न्युरल प्लेट से न्यूरल ट्युब का निर्माण होता है व भावी तंत्रिका तंत्र की नींव रखी जाती है।

20. अण्डक क्या है? (What is Oocyte)

अण्डजनन में वह कोशिका जिसमें अर्द्धसूत्री विभाजन होता है।

21. अण्डजनन क्या है? (What is Oogenesis) - 

अण्डाशय से अर्धसूत्री विभाजन द्वारा अण्डाणुओं के निर्माण की प्रक्रिया ।

22. अण्डाशयी चक्र क्या है? (What is Ovarian Cycle) - 

अण्डाशय में होने वाले मासिक परिवर्तन जो रक्त में लिंग हॉर्मोन का स्तर निर्धारित करते हैं।

23. अण्डाशय क्या है? (What is Ovary) - 

मादा जनन जो अण्डाणु व मादा लिंग हॉर्मोन्स का उत्पादन करते हैं।

24. अण्डोत्सर्ग क्या है? (What is Ovulation) - 

अण्डाशय में पुटक के फटने से द्वितीयक अण्डक का मुक्त होना।

25. अण्डाणु क्या है? (What is Ovum) - 

अगुणित मादा युग्मक।


जानें- माइक्रोप्लाज्मा क्या है।

26. ऑक्सीटोसिन क्या है? (What is Oxytocin) - 

पश्च पिट्युटरी द्वारा मुक्त हॉर्मोन्स जो गर्भाशय में संकुचन प्रेरित करता है व दुग्ध उत्क्षेपन (Milk ejection) करता है।

27. शिश्न क्या है? (What is Penis) –

नर बाह्य जननेन्द्रिय जो शुक्राणुओं के स्त्री की योनि में स्थानांतरण में मदद करती हैं।

28. अपरा क्या है? (What is Placenta) -

जरायुजी स्तनधारियों में प्रयोग कोरियॉन व गर्भाशयी भित्ति के बीच बनने वाली अस्थायी, अंतरंग संरचनात्मक कार्तिकय संरचना जो भ्रूण की पोषण श्वसन व उत्सर्जन आवश्यकताओं की पूर्ति व कुछ हॉर्मोन का उत्पादन करता है।

29. ध्रुविय काय क्या है? (What is Polar Body) -

अण्डजनन का एक चक्रीय उत्पाद जिसका बनना अण्ड कोशिका में अधिक कोशिका द्रव्य की उपस्थिति सुनिश्चित करता है।

30. प्राइमेट क्या है? (What is Primate) -

स्तनधारियों के गण प्राइमेरा से सदस्य जैसे प्रोसेमियनबन्दर, कपि व मनुष्य।

31. प्रोजेस्टरॉन क्या है? (What is Progesterone) -

मादा लिंग हॉर्मोन जो प्रमुखत : गर्भाशयी भित्ति तथा संगर्भता बनाये रखने में मदद करता है।

32. प्रौलैक्टिन क्या है? (What is Prolactin) - 

अप पिट्यूटरी द्वारा स्रावित हॉर्मोन जो स्तनों में दुग्ध का निर्माण प्रेरित करता है।

33. अग्रपिण्डक क्या है? (What is Acrosome) -

शुक्राणु के शीर्ष पर स्थित एक नुकीली संरचना जो शुक्राणु के अण्ड में प्रवेश में मदद करती है।

34. उभय मिश्रण क्या है? (What is Amphimixis) – 

नर एवं मादा युग्मकों के संलयन में इनके गुण सूत्रों के आपस में मिलने की लैंगिक प्रजनन की एक क्रिया ।

35. एन्ड्रोजन्स क्या है? (What is Androgens) - 

नर लिंग हॉर्मोन, वृषणीय हॉर्मोन जैसे टेस्टोस्टेरॉन।

36. गहूवर क्या है? (What is Antrum) -

तृतीयक पुटक व ग्राफी पुटक की तरल से भरी गुहा।

37. एट्रेसिया क्या है? (What is Atresia) -

अण्डाशयी पुटकों का अपह्मसन।

38. कोरकपूटी गुहा क्या है? (What is Blastocyst)

- कोरकपूटी की गुहा जो तरल से भरी रहती है।

39. कोरकपूटी क्या है? (What is Blastocyst) -

एक स्तरीय कोशिकाओं से बना गेंद जैसा खोखला भ्रूण जिसके बीच में ब्लास्टोसील गुहा होती है, स्त्री के गर्भाशय में अन्त : रोपित होने वाला भ्रूणीय रचना।

40. बार काय क्या है? (What is Bar Body) -

मादा स्तनधारियों के केन्द्रक में उपस्थित एक गहरा रंग लेने वाली संरचना जिसमें एक संगठित X गुण सूत्र उपस्थित होता है।

41. ब्लास्टोपोर क्या है? (What is Blastopore) - 

गैस्टुला अवस्था में खाद्य आहार नाल का छिद्र।

42. केपेसिएशन क्या है? (What is Capaciation) - 

शुक्राणु में निषेचन पूर्व होने वाले परिवर्तन जो उसे अण्डे के निषेचन योग्य बनाते हैं।

43. गर्भाशयी ग्रीवा क्या है? (What is Cervex) -

गर्भाशय का निचला संकरा भाग।.

44. विदलन क्या है? (What is Cleavage) - 

युग्मनज में होने वाले समसूत्री विभाजन जो संसति कोशिकाओं (ब्लास्टोमियर्स) की संख्या तो बढ़ाते हैं मगर आकार नहीं ब्लास्टुला अवस्था युग्मनज के विदलन से ही बनती है।

45. कोरिआन क्या है? (What is Chorion)

- बाह्य भ्रूणीय कला जो सरीसृप व पक्षियों में श्वसनीय गैस विनिमय का कार्य करती है तथा मनुष्य सहित सभी स्तनधारियों में अपरा निर्माण में भाग लेती है।

46. कोरिआनिक बिलाई क्या है? (What is Chorionic) - 

भ्रूण की कोरियन के अंगुली जैसे या वृक्ष जैसे प्रवर्ध जो अपरा पर मातृ ऊतकों में धसे रहते हैं।

47. प्रथम स्तन्य / खींस क्या है? (What is Colostrum) - 

शिशु जन्म के बाद माँ के स्तनों से प्रारम्भिक कुछ दिनों तक निकलने वाला गाढ़ा हल्का पीला अत्यधिक पोषक द्रव्य ।

48. पीत पिण्ड क्या है? (What is Corpus Luteum) -

अण्डात्सर्ग के बाद शेष बची अण्डाशयी ग्राफी पुटक जो प्रोजेस्टेरॉन का स्राव करती है।

49. एक्टोडर्म या बाह्य त्वचा क्या है? (What is Ectoderm) -

किसी भ्रूण या प्राथमिक बाह्य जनन स्तर जो तंत्रिका तंत्र, त्वचीय तंत्र आदि बनाता है।

50. एन्डोडर्म अंतः त्वचा क्या है? (What is Endoderm) -

किसी भ्रूण को प्राथमिक आन्तरिक जनन स्तर जो आहार नाल, श्वसन तंत्र आदि बनाता है।

51. भ्रूण क्या है? (What is Embryo) - 

युग्मनज से विकसित होने वाली जन्म से पहले की बहुकोशिकीय अवस्था, मनुष्य में स-गर्भता अवधि में 2 माह तक का गर्भ में पल रहा शिशु भ्रूण कहलाता है।

52. भ्रूणीय अवधि क्या है? (What is Embryonic Period) - 

मनुष्य में लगभग एक सप्ताह बाद से लेकर 8 सप्ताह तक की भ्रूणीय विकास की अवधि।

53. गर्भाशय अंतःस्तर क्या है? (What is Endometrium) - 

गर्भाशय भिति का आन्तिरक श्लेष्मिक स्तर ।

54. भ्रूणीय उभार क्या है? (What is Embryonal knob) - 

अन्त कोशिका समूह या इन्टरसेल मास जो ट्रोफोब्लास्ट में अन्दर की ओर जुड़ा होता है।


पढ़ें-  जीव द्रव्य कुंचन क्या है।

55. अधिवृषण क्या है? (What is Epididymis) –

वृषण से जुड़ा द्वितीयक लैंगिक अंग जिसमें वासा इन्फेरेशिया खुलती है, शुक्राणु का परिपक्वन स्तर।

56. एस्ट्रोजन क्या है? (What is Extrogen) -

अण्डाशयी पुटकों द्वारा स्रावित मादा लिंग हॉर्मोन जो स्त्री के द्वितीयक लैंगिक लक्षणों आदि हेतु उत्तरदायी होता है।

57. निषेचन क्या है? (What is Fertilization) -

शुक्राणु के अण्ड कोशिका के संलयन में द्विगुणित युग्मनज का बनना।

58. पुटक क्या है? (What is Follicle) -

स्त्री के अण्डाशय में स्थित संरचना जिसमें अंडक (Oocyte) उपस्थित होता है तथा जो एस्ट्रोजन उत्पादित करता है।

59. पुटकीय अवस्था क्या है? (What is Follicular Phase) - 

आर्वत चक्र की ऋतुस्राव या मेंसट्टुऐशन के बाद की अवस्था जिसमें अण्डाशय में अण्डाशयी पुटक विकसित होता है, गर्भाशय की ऐन्ड्रोमेट्रियम मोटी हो जाती है तथा एस्ट्रोजन का स्तर उच्च हो जाता है।

60. युग्मक जनन क्या है? (What is Gametogenesis ) -

जनदों (वृषण व अण्डाशय) में हुए अर्धसूत्री विभाजनों से परिपक्व नर व मादा युग्मकों का निर्माण।

61. गर्भधारण काल क्या है? (What is Gestation Period) -

निषेचन व उसके पश्चात् होने वाले अन्त : रोपण से लेकर प्रसव तक की समयावधि।

62. युग्मक क्या है? (What is Gamete) -

अगुणित लैंगिक कोशिका जैसे शुक्राणु व अण्ड।

63. गैस्टुला क्या है? (What is Gastrula) -

भ्रूणीय विकास की वह अवस्था जिसमें अर्न्तवलन की क्रिया से प्राथमिक भ्रूणीय जनन स्तरों का विकास होना।

64. गैस्ट्रुलवन क्या है? (What is Gastrulation) -

ब्लास्टुला से गैस्टुला का निर्माण।


इस लेख में हमने मानव जनन - जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली (Human Reproduction - Biology Terminology) के बारे में जाना । मानव जनन - जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली (Human Reproduction - Biology Terminology) संबंधित प्रश्न अक्सर परीक्षाओं में पूछे जाते रहते हैं।

उम्मीद करता हूँ कि मानव जनन - जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली (Human Reproduction - Biology Terminology) का यह लेख आपके लिए लाभकारी साबित होगा ,यदि आपको यह लेख पसंद आये तो इस लेख को शेयर जरुर करें।

कृषि एवं जन्तु पालन -जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली | Agriculture and Animal Husbandry-Biology Terminology

कृषि एवं जन्तु पालन -जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली (Agriculture and Animal Husbandry-Biology Terminology)

आपका answerduniya.com में स्वागत है। इस आर्टिकल में हम कृषि एवं जन्तु पालन -जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली |Agriculture and Animal Husbandry-Biology Terminology के बारे में जानेंगे। ज्ञान के किसी विशेष क्षेत्र में चुने हुये शब्दों की परिभाषा सहित सूची को पारिभाषिक शब्दावली कहते हैं। किसी भी विषय की पारिभाषिक शब्दावली विषय की नींव का काम करती है। बहुत सारे परीक्षाओं में कृषि एवं जन्तु पालन -जीवविज्ञान पारिभाषिक शब्दावली |Agriculture and Animal Husbandry-Biology Terminology से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।

Krishi Evam Jantu Paribhashik Shabdavali

Krishi Evam Jantu Paribhashik Shabdavali

1. कृषि ( Agriculture) - विज्ञान की शाखा या पद्धति जो फसलों को उगाने, फसलों के लिए भूमि तैयार करने तथा पशु पालन से सम्बन्धित है, फसलों का उगाना संग्रहण व विपणन भी इसी के भाग है।

2.पशु पालन (Animal Husbandry)- कृषि की वह शाखा जो पशुओं की देखभाल, प्रबन्धन व प्रजनन से सम्बन्धित है।

3.कृत्रिम मधुमक्खी छत्ता (Apiary)- लकड़ी से बना कक्ष जिसमें मधुमक्खी पालन किया जाता है।

4. मधुमक्खी पालन (Apiculture)- व्यावसायिक रूप से शहद उत्पादन के लिए किया जाने वाला मधुमक्खी संवर्धन।

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5. जल कृषि (Aquaculture)- मछली, क्रस्टेशियन, मोलस्क या जलीय पादपों का व्यावसायिक संवर्धन।

6.कृत्रिम वीर्यसेचन ( Artificial Insemination)-उन्नत नस्ल के नर का वीर्य मादा के जननमार्ग में अन्तःक्षेपित या इंजेक्ट करना।

7. जैव पुष्टिकरण (Biofortification)- पादप प्रजनन की विभिन्न तकनीकों द्वारा फसली पौधों के पोषक मान में वृद्धि - करना।

8कैलस (Callus)- ऊतक संवर्धन में एक्सप्लाण्ड की संवर्धन माध्यम में वृद्धि से बना असंगठित व अविभेदित कोशिकाओं का समूह।

9. सांद्रिक पोषक (Concentrates nutrient)- पशुओं के - खाने में पोषक पदार्थों जैसे विटामिन, खनिजप्रोटीन या वसा आदि से समृद्ध भाग जैसे धान्य, खलीबिनौला।

10. घरेलूकरण (Domestication)- किसी जीव (पादप या जन्तु) को उसरी वन्य अवस्था से मानव प्रबन्धन की स्थिति में लाना।

11. कत्र्त्तातक (Explant)- किसी पौधे की वह कोशिका या ऊतक जिसे ऊतक संवर्धन हेतु पोषक माध्यम पर उगाया जाता है।

12. विदेशी नस्ल (Exotic Breed) -किसी क्षेत्र में प्रवेशित विदेशी नस्ल।

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13. जनन द्रव्य (Germplasm)- किसी पौधे के सभी जीनों के सभी एलील्ससभी सम्भावित स्रोतों से।

14. उद्यानिकी (Horticulture)- कृषि की शाखा जो फलो, वृक्षों, उद्यानों, सजावटी पौधों की कृषि से सम्बन्धित है।

15. संकरण (Hybridisation)- दो भिन्न लक्षणों वाले जनकों के लैंगिक प्रजनन से संकरों का निर्माण।

16. हेटेरोसिस (Heterosis)- संकरों की दोनों जनकों से श्रेष्टता की अवस्था।

17. अन्तः प्रजनन (Inbreeding)- एक ही किस्म (Variety) नस्ल (Breed) के जीवों के बीच प्रजनन।

18. पशु सम्पदा (Livestock)- घरेलू कृत पशु जैसे गौवंश, भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ाऊँट आदि।

19. दुधारू पशु (Milch Animal)- दूध देने वाले पशु जैसे गाय, भैंस, बकरी आदि।

20. पादप प्रजनन (Plant Breeding)- अनुप्रयोज्य वनस्पति विज्ञान की एक शाखा जो फसली पौधों में आनुवंशिक सुधार सम्बन्धित है।

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21. मत्स्य पालन उत्पादन(Pisciculture)- मछलियों का व्यावसायिक।

22. पोल्ट्री (Poultry)- अण्डे व माँस प्राप्ति हेतु मुर्गी व अन्य पक्षियों का पालन।

23. चयन (Selection)- मिश्रित समष्टि से वांछित गुणों वाले जीवों की पहचान व चयन।

24. सुपरओव्युलेशन (Superovulation)- उन्नत नस्ल को मादा (गाय आदि) में हॉर्मोनों के इंन्जेक्शन द्वारा अनेक अण्डों का निर्माण (अण्डोत्सर्ग) की प्रक्रिया।

25. स्वमिंग ( Swarming) - पुरानी रानी (Queen) मक्खी को कुछ श्रमिकों के साथ छोड़कर नए स्थान पर नयी कॉलोनी निर्माण की प्रक्रिया।

26.लवणन (Salting)- मछलियों को सोडियम क्लोराइड सहित परासरण के व्दारा आंशिक निर्जलीकरण को लवणन कहते है।

27.कृमि खाद उत्पादन(Vermicomposting) - कार्बनिक कचरे के कम्पोस्टिंग केंचुए व्दारा कराने की क्रिया।

28.कीटनाशक(Insecticides) - रसायन जिनका उपयोग कीटों को मारने,भगाने और इनकी संख्या कम करने में होता है।

29.अथाह हिमीकरण (Deep freezing)- हिमीकरण से पूर्व मछलियों को ठीक प्रकार से साफ धोया जाता है और मछलियों का सिर काटकर - 18C तापक्रम पर लम्बे समय के लिए रखा जाता है।

30.सूर्य शुष्कन (Sun drying ) - छोटी मछलियों को सूर्य के प्रकाश में अनेक बार पलटकर सुखाया जाता है।बड़ी मछलियों को छोटे-छोटे टुकडों में काटकर सुखाया जाता है।

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